विदेशी मुद्रा व्यापार का परिचय

एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है

एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है

RBI News : RBI ने दे दी मंजूरी, अब HDFC और Canara बैंक खोल सकेंगे ये स्पेशल खाते

RBI

HR Breaking News, New Delhi : एचडीएफसी बैंक और केनरा बैंक को रूस के साथ रुपये में व्यापार के लिए एक विशेष ‘Vostro account’ खोलने के लिए भारत के सेंट्रल बैंक से मंजूरी मिल गई है।
बता दें कि कोरेस्पोंडेंट बैंकिंग का एक महत्वपूर्ण घटक एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक की ओर से, अक्सर एक विदेशी बैंक द्वारा वोस्ट्रो खातों का इस्तेमाल होता है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), HDFC बैंक और केनरा बैंक से इस बारे में कोई तुरंत प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। बता दें कि निर्यात को प्रोत्साहित करने और आयात को आसान बनाने के लिए, आरबीआई ने जुलाई में विदेशी व्यापार में रुपया निपटान के लिए एक नई प्रणाली का अनावरण किया था।

9 बैंकों को दी गई अनुमति
यह भी देखा गया कि कैसे मास्को को यूक्रेन पर आक्रमण के लिए अधिक गंभीर पश्चिमी प्रतिबंधों का एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है सामना करना पड़ा। इस कार्रवाई को मास्को के साथ वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने के रूप में देखा गया। बता दें कि भारतीय व्यापार सचिव सुनील बर्थवाल ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की कि रूस के साथ रुपये के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नौ बैंकों को ‘Vostro’ खाते खोलने की अनुमति दी गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहले सरकार को दो भारतीय बैंकों के साथ नौ विशेष Vostro खाते खोलने की अनुमति दी थी ताकि विदेशों में भारतीय रुपये में व्यापार किया जा सके।

आरबीआई द्वारा जुलाई में रुपये में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए नियम स्थापित करने के बाद, प्राधिकरण प्राप्त करने वाले पहले विदेशी ऋणदाता क्रमशः रूस के सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े बैंक, Sberbank और VTB बैंक रहे।

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Dollar vs Rupee: अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया 7 पैसे गिरा, जानिए क्या कहना है विशेषज्ञों का?

Dollar vs Rupee: विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में बीते शुक्रवार को 51.20 करोड़ रुपए के शेयरों की बिक्री की थी। वहीं, डॉलर सूचकांक 0.83 फीसदी उछाल के साथ बंद हुआ है।

Viren Singh

Dollar vs Rupee

Dollar vs Rupee: (सोशल मीडिया)

Dollar vs Rupee: भारतीय मुद्रा रुपए की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में 7 पैसे नीचे जाकर 81.81 प्रति डॉलर (अनंतिम) पर बंद हुआ। इससे पहले बीते दो लगातार कारोबारी सत्र में रुपया डॉलर की तुलना में गिरावट पर बंद हुआ था।

81.84 पर खुला रुपया

इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में आज शुरुआती कारोबार में स्थानीय इकाई 81.84 पर खुला था। उसके बाद कारोबार में रुपया 81.74 एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है के उच्च स्तर और 81.91 के निचले स्तर पर गया है। बाद में 81.81 पर बंद हुआ, जोकि पिछले बंद के मुकाबले 7 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। बीते कारोबार के आखिरी दिन शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में 10 पैसे की गिरावट के साथ 81.74 पर बंद हुआ था।

गिरावट पर बाजार विशेषज्ञ का एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है मत

भारतीय मुद्रा में आई गिरावट पर बीएनपी पारिबा के शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी का कहना है कि कमजोर घरेलू बाजारों और मजबूत डॉलर के वजह से स्थानीय मुद्रा में गिरावट आई है। साथ ही, एफआईआई के बहिर्वाह ने रुपये पर नकारात्मक दबाव डाला है।

उन्होंने कहा हम उम्मीद करते हैं कि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने के बीच अमेरिकी डॉलर में मजबूती पर रुपया एक नकारात्मक पूर्वाग्रह के साथ व्यापार करेगा। हालांकि, कमजोर कच्चे तेल की कीमतें रुपये को निचले स्तर पर समर्थन दे सकती हैं। इस सप्ताह आयोजित होने वाली बैठक के बाद हैं। ट्रेडर्स फेडरल ओपन मार्केट कमेटी आगे सतर्क रह सकते हैं।

डॉलर सूचकांक में वृद्धि

इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.83 फीसदी बढ़कर 107.19 पर बंद हुआ है। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.76% गिरकर 86.95 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

एफआईआई की स्थिति

एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता थे, क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को 751.20 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे। वहीं, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11 नवंबर तक 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो अगस्त 2021 के बाद से सबसे तेज वृद्धि एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है है।

सेंसेक्स 0.84 फीसदी लुढ़का

सोमवार को घरेलू इक्विटी बाजार के मोर्चे पर 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 518.64 अंक या 0.84% गिरकर 61,144.84 पर बंद एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है हुआ, जबकि व्यापक एनएसई निफ्टी 147.70 अंक या 0.81% गिरकर 18,159.95 पर बंद हुआ है।

Pre-Budget Meet: किसान संगठनों से मिलीं वित्त मंत्री, क्या हैं किसानों की मांगे और सुझाव ?

वित्त मंत्री सीतारमण एक फरवरी, 2023 को अगला आम बजट पेश करेंगी, बजट की तैयारियों के लिए वित्त मंत्री फिलहाल बजट पूर्व की बैठकें कर रही हैं जिसमें वो सभी पक्षों से मांगे और सुझाव ले रही हैं

Pre-Budget Meet: किसान संगठनों से मिलीं वित्त मंत्री, क्या हैं किसानों की मांगे और सुझाव ?

TV9 Bharatvarsh | Edited By: वेंकटेश कुमार

Updated on: Nov 23, 2022 | 9:04 AM

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व बैठक में किसान संगठनों ने मंगलवार को सरकार से गेहूं, अन्य कृषि वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंध हटाने का आग्रह करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम लागत वाले उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित करने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को पामतेल के बजाय सोयाबीन, सरसों, मूंगफली और सूरजमुखी जैसे स्थानीय तिलहनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. वित्त मंत्री के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान किसान संगठनों ने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर ऊंचा कर लगाने का भी सुझाव दिया. वित्त मंत्री ने यहां कृषि विशेषज्ञों और कृषि प्रसंस्करण उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ अपनी तीसरी बजट-पूर्व परामर्श बैठक की अध्यक्षता की.

क्या है किसानों की मांगें

आम बजट 2023-24 के लिए अपनी विश लिस्ट में भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने मांग की कि सरकार को जहां आयातित कमोडिटी की देश में आने की लागत एमएसपी से कम है, वहां ऐसी उपज के एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है आयात की अनुमति नहीं देनी चाहिए. उन्होंने केंद्र से कृषि क्षेत्र में मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया. जाखड़ ने किसानों को उच्चतम मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए खेतों से स्वैच्छिक कार्बन क्रेडिट का विश्वस्तर पर व्यापार करने की अनुमति देने की भी वकालत की.

बैठक में हिस्सा लेने वाले कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (सीआईएफए) के अध्यक्ष रघुनाथ दादा पाटिल ने कहा कि गेहूं और टूटे चावल जैसे कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

पाटिल ने कहा कि बैठक के दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. उनके अनुसार, निर्यात से केवल देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में ही सहायता मिलेगी. भारत ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए गेहूं और टूटे चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है. खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के लिए पाटिल ने सुझाव दिया कि सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंगफली के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. वित्त मंत्री सीतारमण एक फरवरी, 2023 को अगला आम बजट पेश करेंगी.

कौन हुए बैठक में शामिल

इस बैठक में वीरेन के खोना, सचिव, अखिल भारतीय मसाला निर्यातक फोरम, (केरल); ए एस नैन, निदेशक, गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, (उत्तराखंड); हरीश चौहान, प्रदेश अध्यक्ष, राज्य फल सब्जियां और फूल उत्पादक संघ (हिमाचल); और जेफरी रेबेलो, अध्यक्ष, यूपीएएसआई, (तमिलनाडु) ने भी हिस्सा लिया.

बैठक में इफको के संयुक्त प्रबंध निदेशक – राकेश कपूर, भारतीय किसान संघ के महासचिव – मोहिनी मोहन मिश्रा, और दक्षिण भारतीय गन्ना किसान संघ (एसआईएसएफए), तमिलनाडु एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है के अध्यक्ष, वी राजकुमार ने भी हिस्सा लिया.

बैठक के दौरान, जम्मू-कश्मीर फल और सब्जियां प्रसंस्करण और एकीकृत शीत भंडारण श्रृंखला संघ के अध्यक्ष – माजिद ए वफाई, एसोसिएटेड टी एंड एग्रो मैनेजमेंट सर्विसेज (असम) की कार्यकारी निदेशक – नंदिता शर्मा और जैविक कृषि के लिए अंतरराष्ट्रीय क्षमता केंद्र (कर्नाटक) के कार्यकारी निदेशक – मनोज कुमार मेनन ने भी अपने सुझाव दिए.

बांग्लादेशियों ने सीखे मछली के इतने सारे उपयोग कि हर तरफ से पैसा आ रहा है, पढ़िए इंटरेस्टिंग स्टोरी

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में मछली उत्पादन का बड़ा योगदान रहता है। आपको जानकार ताज्जुब होगा कि अकेले मछलियों के स्केल्स(जिसे हिंदी में शल्क कहते हैं-Fish scales) की दुनिया के कई देशों में बड़ी डिमांड है। यह यहां 15 रुपए प्रति किलो तक बिकता है।

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ढाका. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में मछली उत्पादन(fish production) का बड़ा योगदान रहता है। आपको जानकार ताज्जुब होगा कि अकेले मछलियों के स्केल्स(जिसे हिंदी में शल्क कहते हैं-Fish scales) की दुनिया के कई देशों में बड़ी डिमांड है। यह यहां 15 रुपए प्रति किलो तक बिकता है। पहले बता दें शल्क या स्केल्स होते क्या हैं? यह मछली, सांप, तितली, चील के पंजों के ऊपर की एक कठोर परत होती है। यह त्वचा को वातावरण, शिकार या अन्य हानि से सुरक्षित रखती है। बांग्लादेश के जेस्सोर(Jessore) जिले के उदाहरण से मछली के स्केल्स से हो रही कमाई का गणित समझते हैं।

मछली मार्केट में स्केल्स की बड़ी डिमांड
जेस्सोर जिले के मछली बाजारों में मछली के स्केल्स 15 रुपए एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है प्रति किलोग्राम की रेट से बेचे जाते हैं। कुछ प्रोसेसिंग के बाद मछलियों के इन अवशिष्ट भागों(residual parts) को चीन और जापान सहित कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में निर्यात किया जाता है। एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो के आंकड़ों( Export Promotion Bureau statistics) के मुताबिक, बांग्लादेश हर साल 200 करोड़ रुपये(बांग्लादेशी मुद्रा टका) मूल्य की मछली का निर्यात करता है।

इन चीजों में होता है स्केल्स का प्रयोग
मछली के स्केल्स का उपयोग बैटरी, इलेक्ट्रिकल प्रॉडक्ट्स, आर्टिफिशियल कॉर्निया और हड्डियों, मेडिसिन्स, मछली और पोल्ट्री फीड के अलावा विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों(cosmetics items) के उत्पादन के लिए किया जाता है। जेसोर में मछली के स्केल्स की हाई डिमांड है। यहां 1 किलो मछली काटने के लिए 10 रुपये चार्ज करने के अलावा, मछली काटने वाले स्केल्स बेचकर प्रति माह 20,000 रुपये अतिरिक्त कमाते हैं।

मछली काटने वाले एमडी जाहिद कहते हैं-“न केवल स्केल्स बल्कि हम फिश गॉल्स(fish galls) भी बेचते हैं। गाल्स और Gills (गलफड़ों) का उपयोग मछली के भोजन के उत्पादन के लिए किया जाता है, जबकि मछलियों के गलफड़ों का उपयोग सूखने के बाद सूप बनाने के लिए किया जाता है।”

एक वेयरहाउस के मालिक एमडी बबलू डेली बेस पर जेस्सोर के विभिन्न मछली बाजारों से मछली के स्केल्स एकत्र करते हैं। एक स्थानीय मीडिया से उन्होंने कहा कि वह चटगांव में व्यापारियों को मछली के स्केल्स बेचते हैं, जो बाद में अन्य देशों को निर्यात किए जाते हैं। बबलू ने कहा-“मैं 2500 रुपये से 3000 रुपये प्रति मन (1 मन = लगभग 40 किग्रा) की दर से मछली के स्केल्स बेचता हूं। व्यवसाय की शुरुआत सबसे पहले ढाका के एक व्यापारी शम्सुल आलम ने की थी। मछली के स्केल्स में कोलेजन फाइबर और अमीनो एसिड(collagen fibre and amino acid) जैसे रासायनिक घटक(chemical components) होते हैं, जो सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओं और दवाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक होते हैं।”

ऐसे होते हैं तैयार
व्यापारियों ने बताया कि एक स्पेशल प्रोसेस के द्वारा मछली के स्केल्स को बेचने के लिए तैयार किया जाता है। तैलीय पदार्थों(oily substances) से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले मछली के स्केल्स को इकट्ठा किया जाता है और साफ या गर्म पानी में धोया जाता है। गीले स्केल्स को धोने के बाद उन्हें कुरकुरे बनाने के लिए खुले में सुखाया जाता है। कुछ लोग स्केल्स को मिक्सर में पीसकर पाउडर बनाकर बेचते हैं। मछली के स्केल्स की कीमतें मछली के प्रकार और आकार के अनुसार भिन्न होती हैं। बड़ी मछलियों के स्केल्स हाई रेट पर बेचे जाते हैं, जबकि झींगा जैसी छोटी मछलियों के स्केल्स भिन्न दर पर बेचे जाते हैं। इसके अलावा मछली के गॉल्स और Gills (गलफड़े) के दाम भी स्केल्स के दाम से अलग होते हैं।

बांग्लादेश एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग जोन्स अथॉरिटी के अनुसार, केवल 10-12 व्यापारी ही मछली के स्केल्स के निर्यात में शामिल हैं। हालांकि, लगभग 5,000 लोग सीधे व्यापार से जुड़े हुए हैं। हर साल कुल 2,500 टन मछली के स्केल्स का निर्यात किया जाता है, जो 200 करोड़ रुपये( टका) की विदेशी मुद्रा लाता है।

मछली स्केल के व्यापारियों ने कहा कि अगर उन्हें सरकार से प्राथमिकता और फोकस मिले तो उनके कारोबार में और अधिक बढ़ने की क्षमता है। जेस्सोर के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) तमीजुल इस्लाम खान ने कहा कि वे संबंधित अधिकारियों से इस संबंध में बात करेंगे।

संघर्ष-शहादत कांग्रेस की और वाहवाही गोडसे और सावरकर की

भोपाल। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या से शुरू हुई राजनीतिक हिंसा, देश को झकझोर तो गयी, परंतु हिंदुत्ववादी शक्तियों के लिए हत्यारे नाथुराम गोडसे को भी इतिहास में नाम दे दिया। इतिहास में सदैव ऐसा ही होता आया है। एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है शिशुपाल के वध के लिए श्री कृष्ण का नाम आता हैं। जरासंध और दुर्योधन के वध के लिए भीम को याद किया जाता हैं। शायद यह मानव की रीति हैं। परंतु कभी भी कुमार्गियों के अंत को महिमा मंडित नहीं किया गया, जैसा कि इस समय हो रहा हैं। अविभाजित पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रताप सिंह कैरो की हत्या 6 फरवरी 1965 को दिल्ली -चंडीगडढ़ राजमार्ग पर सुच्चा सिंह, और बलदेव सिंह तथा नहर सिंह ने की, जिन्हें बाद में अदालत ने फांसी की सज़ा दी। दूसरे राजनीतिक शिकार पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह बने, 31 अगस्त 1995 बने जिनकी चंडीगढ़ सचिवालय में बम विस्फोट में बेअंत सिंह सहित 18 लोगों की मौत हुई थी।

राज्यों से राजनीतिक हिंसा की जो बयार बही उसने 31 अक्तूबर 1984 को देश की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की जान ले ली। उनकी हत्या उनके ही अंगरक्षकों द्वारा की गयी, अब कौन सोच सकता था कि जिनपर प्रधानमंत्री के प्राणों की रक्षा का भर था- वे ही प्राण भक्षक निकले। यह गांधी परिवार का ही त्याग हैं कि इन्दिरा जी के देहावसान के बाद काँग्रेस पार्टी ने राजीव गांधी को एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है देश का प्रधानमंत्री चुना। गौर तलब है की राजीव के अनुज संजय की मौत एक दुर्घटना में हुई थी। यद्यपि राजीव राजनीति में संजय की मौत के बाद आए और अंततः इन्दिरा जी की मृत्यु के बाद सरकार और पार्टी की कमान सम्हाली। फिर आया वह काला दिन 21 मई 1991 का जब वे श्रीपेर्म्बदूर में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। उस समय लिट्टे समर्थक गुट ने आत्मघाती हमले में उनकी जान ले ली। बम का विस्फोट इतना भेषण था कि राजीव जी के शव को उनके जूते से पहचाना जा सका।

इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पुत्री और दामाद ललित माकन की भी हत्या दिल्ली में हुई। ये कुछ राजनीतिक हत्यायें हैं –जिनके लिए विरोधी राजनीतिक विचारधाराएं ही जिम्मेदार हैं। महात्मा से लेकर राजीव गांधी के हत्यारों को महिमा मंडित करना न केवल उनकी कुर्बानियों को नकारना हैं, वरन राष्ट्र के प्रति भी अपमान भी है। आजकल बयार बही हैं -इन शहीदों को नकारने और गोडसे तथा सावरकर ऐसों के गुणगान की ! भारतेन्दु हरिश्चंद्र का नाटक है -अंधेर नागरी चौपट राजा, कुछ कुछ वैसा ही हो रहा हैं। लोगों को आज़ादी की लड़ाई में हुई कुर्बानियों की जगह हिन्दू – मुस्लिम का पाठ पढ़ ाया जा रहा हैं। यह देश का दुर्भाग्य हैं। शिक्षा -स्वास्थ्य की जगह मूर्ति–और मंदिर ही राज्य का काम हो गया हैं। इन स्थानों पर सरकारी खजाने से लाखों दीप जला कर हम किस की खुशी माना रहे हैं ? जब देश में भूख और बीमारी और अशिक्षा का अभिशाप हैं तब तक मंदिर में बैठे देवता भी हमारा भला नहीं करेंगे।

गीता में कर्मयोग में शासक का कर्तव्य बताते हुए शर शय्या पर लेते भीष्म ने युधिष्ठिर को ज्ञान दिया था कि प्रजा के दुःख का निवारण ही तुम्हारा कर्तव्य होना चाहिए। आज हिन्दू – हिन्दू चिल्लाने वाले केवल मुस्लिम – ईसाई को कोसते हैं, वे समाज में असमानता को दूर करने के बजाय सरकारी संपातियों को उन लोगों को बेच रहे हैं जिनकी हैसियत बंैकों से लिए कर्ज को चुकाने की नहीं हैं। राष्ट्र के सकल उत्पाद का 30% कुल पाँच घरानों के पास पिछले सात सालों में पहुँच गया हैं। अब जनता को सवाल पूछना होगा कि किसान के लाख रुपये का कर्ज की वसूली उसका घरबार कुर्क करके होती हैं। पर योगी से व्यापारी बने को बैंक उदारतापूर्वक अरबों रुपये का उधार सुलभ करता हैं। अदानी समूह की बात ही निराली हैं। उनके लिए हुए कर्ज की कितनी भरपाई हुई है यह सुप्रीम कोर्ट में भी केंद्र सरकार ने नहीं खुलाषा किया। जबकि कर्जदारों को उधारी वसूली का नोटिस सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित किया जाता हैं। जिन बैंकों एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है ने अदानी या अनिल अंबानी को कर्ज दिया हैं वे भी अपनी बैलेंस शीट में यह साफ साफ नहीं दिखते हैं की कितने कर्ज की वसूली बाकी है!

बात हो रही थी देश के लिए शहीद हुए तीन गांधीयों की, उनकी कुर्बानियों को आज राजनीतिक रूप से एक विचारधारा नकारने का प्रयास कर रही हैं। राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं,परंतु सिर्फ चुनावी मशीन बन कर रह जाना और संगठन के नाम पर पंचतारा कार्यालय बनाना शायद आज की राजनीति हो ! परंतु भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत कर तो कुछ ही सरकार बना पायी है, वरना मध्य प्रदेश, गोवा और उत्तर पूर्व के राज्यों में दल महाराष्ट्र में जिस प्रकार शिव सेना को केंद्र सरकार के शह पर तोड़ा गया वह किसी से छिपा नहीं हैं। सत्ता की यह लिप्सा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की राजनीतिक पहचान बन गयी हैं। जो देश के संविधान और जन मानस के के लिए हानिकारक ही हैं।

दुनिया के हनगर इंडेक्स में भारत का स्थान चिंतनीय है, विदेशी मुद्रा के भंडार में लगातार गिरावट भी शोचनीय है। राज्यों खास कर बीजेपी शासित राज्यों में स्कूलो को बंद करने की लाइन लगी हैं। आसाम, गुजरात, उत्तर प्रदेश में तो बाकायदा इनकी बंदी का ऐलान भी हो गया है। मध्य प्रदेश में भी शायद हो। अब संविधान में समानता का अधिकार तो किताब में लिखी बात ही रह जाएगी। जैसे आज़ादी के शहीदों को हम भूल रहे हैं, वैसे ही संविधान भी बस अब एक किताब बन कर रह गया हैं।

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