विदेशी मुद्रा व्यापार का परिचय

अतिरिक्त कमाई

अतिरिक्त कमाई

वसूली भाई बन कर रहे अवैध कमाई

वसूली भाई बन कर रहे अवैध कमाई

सरकारी विभाग के कर्मियों को लगी है अतिरिक्त पैसे कमाने की लत. कोई चोरी तो कोई रिश्वत लेने में है बिजी, गाड़ी से डीजल चोरी करते सफाईकर्मी का वीडियो हुआ वायरल.

रांची(ब्यूरो)। सरकारी कर्मी होने के बावजूद कुछ कर्मचारी गैरकानूनी तरीके से पैसों की उगाही कर रहे हैैं। सिस्टम में रहकर जिसपर सारी व्यवस्थाएं संभालने का दायित्व होता है। ईमानदारी से काम करने करनेे की शपथ लेता है वह भी गलत तरीके से पैसा कमाने में लगा है। कोई चोरी करके तो कोई रिश्वत लेकर ऊपरी कमाई में जुटा है। इस खेल में रांची नगर निगम के सफाई कर्मचारी, इंफोर्समेंट टीम से लेकर ट्रैफिक पुलिस और पीसीआर के कुछ जवान शामिल हैैं। इन पर अवैध तरीके से पैसों के लेन-देन के आरोप लग रहे हैैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के पास ऐसे कई उदाहरण हैं, जो यह बता रहे हैं कि किन-किन तरीकों का इस्तेमाल कर ये सरकारीकर्मी अवैध कमाई कर रहे हैैं।

केस 1, 18 सितंबर

पैसा लेने का इजाद किया नया फार्मूला

ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने रिश्वत लेने का नया फार्मूला इजाद किया है। हाथ में पैसे लेने से कैमरे में आने या किसी व्यक्ति के देखने की संभावना रहती है। इसे देखते हुए अब पैसा रोड पर गिरा देने का इशारा किया जाता है। जिसे बाद में ट्रैफिक पुलिस जाकर उठा लेते हैं। अतिरिक्त कमाई साइकिल और बाइक से अवैध रूप से कोयला बेचनेवाले पुलिस को चढ़ावा देते हुए पार होते हैैं। पैसे मिलते ही पुलिस अपनी आंखें बंद कर लेती है।

केस 2, 04 अक्टूबर

गौवंश पार कराने के लिए उगाही

इधर, पीसीआर के जवान भी कुछ कम नहीं हैैं। रात 10 बजे के बाद हैवी व्हीकल व दूसरी गाडिय़ों से तो पुलिस के जवान पैसा लेते ही हैं। अब गौवंश पार कराने के लिए भी उगाही शुरू हो चुकी है। ट्रक ड्राइवर जो किसी खटाल वालों के लिए गौवंश लेकर जाते है उनसे भी वसूली हो रही है। कोकर आर्दश नगर के रहने वाले रामजन्म कुमार का आरोप है कि वे किसी खटाल वाले के लिए दो गाएं लेकर अपनी गाड़ी से बख्तियारपुर जा रहे थे। गाड़ी में गाय देखकर गश्ती दल ने उन्हें रोका और दो हजार रुपए की मांग की। ड्राइवर ने जब दो सौ रुपए देने की कोशिश की तो पुलिसवाले उसके साथ गाली-गलौज करने लगे।

केस 3, 05 अक्टूबर

ऊपरी चढ़ावा लेती है ट्रैफिक पुलिस

रांची के मेन रोड स्थित सर्जना चौक के पास एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी पैसा लेता हुआ कैमरे में कैद हो गया। ट्रैफिक पुलिसकर्मी पहले युवक को साइड में बुलाया, उस स्थान पर हाथ आगे बढ़ाकर झट से पैसे ले लिए। इसके बाद दोनों इस कदर हसंते हुए बाहर आए ताकि उन पर कोई शक न करे। हालांकि, यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई।

केस 4, 07 अक्टूबर

निगम के सफाईकर्मी कर रहे ऊपरी कमाई

रांची नगर निगम की कचरा ढोने वाली गाड़ी से डीजल की चोरी करते एक सफाईकर्मी पकड़ा गया है। सुनसान जगह पर गाड़ी ले जाकर कर्मचारी गाड़ी से डीजल चुरा रहा अतिरिक्त कमाई था। डीजल चोरी का वीडियो भी काफी तेजी से वायरल हुआ। इसमें किशोरगंज स्थित ज्योति विहार अपार्टमेंट से एक सफाई कर्मी कचरा ढोनेवाली गाड़ी से तेल निकालता दिख रहा है। वार्ड नंबर 26 के पार्षद ओमप्रकाश ने बताया कि यह खेल काफी लंबे समय से चल रहा है।

गलत काम करनेवालों पर कार्रवाई की जाएगी। वो चाहे सिस्टम का ही व्यक्ति क्यों न हो। शिकायत मिलने पर एक्शन जरूर होगा।

आप भी कर सकते है लाखो रुपए की कमाई जानिए कैसेI

आप भी कर सकते है लाखो रुपए की कमाई जानिए कैसेI

राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में रेतीली जमीन है तथा अंतिम छोर पर पडऩे के कारण हमेशा सिंचाई के पानी की कमी रहती है। जब भी राजस्थान में सूखा या अकाल पड़ता है तो उसकी काली छाया इस क्षेत्र पर अवश्य पड़ती है। इसके अलावा कभी टिड्डी दल का हमलाए कभी सूखा रोगए कभी औलावृष्टि आदि की मार से परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है।

लेकिन गांव बरासरी ;सिरसाद्ध के किसान राजेश कुमार पुत्र पूनम चंद रोज ने हौसला हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा। उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए बीए की पढ़ाई करने के साथ.साथ परंपरागत खेती के साथ 1 एकड़ में 5 साल पहले आलू की बिजाई की। इससे परंपरागत अतिरिक्त कमाई कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई।

अब हर साल अढाई लाख रुपए के अतिरिक्त कमाई होने लगी। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने राजेश कुमार को हरियाणा के साथ.साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। कम उम्र में ही किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया।

माधोसिंघाना के प्रगतिशील किसान से प्रेरणा लेकर शुरू की आलू की बिजाई
किसान राजेश कुमार ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। उसने खेती के साथ अन्य कमाई का जरीया खोजना शुरू किया तो बीए की पढ़ाई करने के साथ.साथ खेती कार्य में रुचि के कारण गांव माधोसिंघाना के प्रगतिशील किसान रामस्वरूप से प्रेरणा लेकर 1 एकड़ फसल में 5 साल पहले आलू की सब्जी लगानी शुरू की। जिससे

200 क्विंटल आलू की पैदावार हुई और करीब 200000 रुपए की कमाई हुई । उन्होंने बताया कि आलू की फसल अक्टूबर के पहले सप्ताह में लगाई जाती है और दिसंबर में पैदावार मिल जाती है । पिछले 5 वर्ष से हर साल करीब अढाई से 300000 रुपए की पैदावार हो जाती है जिससे परंपरागत खेती की आमदनी के साथ.साथ अतिरिक्त कमाई होने से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत रहने लगी।

उन्होने बताया कि बिना किसी सरकारी सहायता के अपना अतिरिक्त कमाई खुद के पैसों से आलू का व्यवसाय शुरू किया है। उन्होंने बताया कि गांव के कई युवा उनके व्यवसाय को देखकर सब्जी लगाने का काम करने लगे हैं। जिससे उन्हें रोजगार मिल गया है। किसान खेती के साथ इस तरह के व्यवसाय से कमाई करके आत्म निभर बन सकते है।
सरलता से मिले सरकारी सहायताए विकसित हो फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर या सब्जी मंडी


राजेश कुमार ने बताया कि अगर सरकारी सहायता मिल जाए तो सब्जी के व्यवसाय को और ज्यादा बढ़ा सकता है। जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है। इसके अलावा नाथूसरी चौपटा के आसपास फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर या सब्जी मंडी विकसित हो जाए तो किसानों को काफी फायदा होने लगेगा।

परंपरागत कृषि के साथ मधुमक्खी पालन से करिए अतिरिक्त कमाई, इस परियोजना के तहत मिलती हैं कई सुविधाएं

किसान आमदनी बढ़ाने के लिए परंपरागत कृषि के साथ पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और मधुमक्खी पालन (Beekeeping) का भी काम कर रहे हैं. अगर किसानों को इन सब कार्यों के लिए प्रशिक्षण मिल जाए तो वे बहुत बेहतर नतीजे दे सकते हैं.

परंपरागत कृषि के साथ मधुमक्खी पालन से करिए अतिरिक्त कमाई, इस परियोजना के तहत मिलती हैं कई सुविधाएं

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अभिषेक तिवारी

Updated on: Feb 10, 2022 | 8:25 PM

हमारे किसान अपनी आय में वृद्धि के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. आमदनी बढ़ाने के लिए परंपरागत कृषि (Traditional Farming) के साथ नए-नए विकल्पों में हाथ आजमाते हैं. वे खेती के साथ पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और मधुमक्खी पालन (Beekeeping) का भी काम कर रहे हैं. अगर किसानों (Farmers) को इन सब कार्यों के लिए प्रशिक्षण मिल जाए तो वे बहुत बेहतर नतीजे दे सकते हैं. इसी से जुड़ा है मधुशक्ति परियोजना, जिसमें परंपरागत कृषि के साथ मधुमक्खी पालन कर किसानों को अपनी कमाई बढ़ाने में मदद मिलेगी.

कई वर्षों से कृषि विज्ञान केंद्र पुणे क्षेत्र में महिला किसान विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती कर रही हैं. इसमें गेहूं, दलहन, तिलहन, फल और सब्जियां शामिल हैं. पिछले कुछ वर्षों में कई फसलों की पैदावार में कमी देखी गई है. उपज में 20 से 70 प्रतिशत तक की कमी दर्ज हुई है.

मधुशक्ति परियोजना के तहत दिया जाता है प्रशिक्षण

उत्पादन घटने से किसानों की आय में अतिरिक्त कमाई कमी होता देख कृषि विज्ञान केंद्र पुणे ने मधुमक्खी पालन को किसानों के लिए विकल्प के रूप में चुना है. वर्ष 2019 में मधुमक्खी पालन के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, नारायणगांव, बी-पॉजिटिव, नई दिल्ली और केंद्रीय मधुमक्खी पालन अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान, पुणे ने मधुशक्ति परियोजना की शुरुआत की.

इस परियोजना को बी-पॉजिटिव और पीएचटी ग्रामीण विकास फाउंडेशन की तरफ से आर्थिक रूप से सहायता प्रदान की जा रही है. कृषि विज्ञान केंद्र नारायणगांव द्वारा जून में आयोजित संवेदीकरण कार्यशाला में लगभग 295 महिला प्रतिभागियों ने भाग लिया. कार्यशाला के बाद इनमें से 100 महिलाओं को मधुशक्ति परियोजना के लिए नामांकित किया गया.

प्रमाणित मधुमक्खी पालक के रूप में इन नामांकित महिलाओं को कक्षाओं और व्यवहारिक सत्रों के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया गया है. प्रशिक्षण पूरी करने के बाद प्रत्येक महिलाएं मधुमक्खी बक्से की आपूर्ति कराती हैं.

बॉक्स मुहैया करा कर सकते हैं 10000 रुपए कमाई

कृषि विज्ञान केंद्र नारायण गांव ने मधुमक्खी पालक महिलाओं को अतिरिक्त कमाई तकनीकी सलाह और मदद प्रदान की है. साथ ही प्राप्त उत्पादों जैसे शहद को बाजार में बेचने के लिए मार्केटिंग में भी मदद दी जा रही है. वर्तमान में लगभग 239 किलो शहद की बिक्री से 95600 रुपए तक की आमदनी हो चुकी है.

इस योजना के तहत गांव के किसान मधुमक्खी पालन के लिए बीज सहित बक्से भी उपलब्ध कराते हैं. एक बॉक्स के लिए हर महीना 1000 रुपए तक मिलते हैं. इससे किसानों को प्रत्येक सीजन में 10000 रुपए की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. इस योजना के अंतर्गत किसानों को देखभाल से लेकर रोग के बचाव तक के लिए अतिरिक्त कमाई ट्रेनिंग दी जाती है.

जा कहां रही है पेट्रोल से हो रही अतिरिक्त कमाई?

रोजाना औसतन 30 से 40 किलोमीटर कार चलाता हूं. लगभग 5-6 हज़ार रूपए प्रति माह का पेट्रोल खर्च होता है. यदि सरकार पेट्रोल के दाम 25 रू लीटर कम कर दे तो महीने में लगभग 16-17 सौ रूपए की बचत मुझे होगी. मोटरसाइकिल वाले के लिए यही बचत अधिकतम लगभग 500 रूपए प्रतिमाह होगी.

दामों में यह कमी होनी चाहिए. मैं भी इससे सहमत हूं. लेकिन सवाल यह है कि ये पैसा जा कहां रहा है? क्या किसी निजी कम्पनी को मुनाफा पहुंचाया जा रहा है? या यह पैसा सरकार के खजाने में जा रहा है? यदि सरकार के खजाने में जा रहा है तो उसका उपयोग क्या हो रहा है?

यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब मुझे इस बात के लिए परेशान नहीं करते कि पेट्रोल की घटी हुई कीमत का शत प्रतिशत लाभ हमें क्यों नहीं दे रही सरकार.

इसका कारण जानने के लिए पहले यह जानना भी जरूरी है कि UPA के 10 वर्ष के शासनकाल में कोई रक्षा सौदा किया ही नहीं गया. नेवी एयरफोर्स के सैन्य अधिकारी आधुनिक लड़ाकू युद्धपोतों और वायुयानों के लिए गुहार ही लगाते रहे लेकिन उन्हें मिला कुछ नहीं. थलसेना के लिए नए अत्याधुनिक हथियार खरीदना तो दूर, उनके लिए अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट तक नहीं खरीदे गए UPA के 10 वर्ष के शासन में.

जबकि पिछले 3 वर्षों में ही लगभग 5 लाख करोड़ के रक्षा सौदे कर चुकी है भारत सरकार. अगले वर्ष तक मोर्चे पर तैनात हर सैनिक के पास अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट होगा. यह प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है.

यह पैसा कौन देगा? इसके दो जवाब हैं…

पहला कांग्रेसी शैली का जवाब कि इसका पैसा कोई नहीं देगा. हम भी मौज लें, तुम भी मौज लो… देश जाए भाड़ में.

दूसरा जवाब है कि यह पैसा सरकार भी देगी, हम भी देंगे…

यह केवल एक उदाहरण है रक्षा क्षेत्र का. कई अन्य ऐसे क्षेत्र हैं जो धन के लिए बुरी तरह तरस रहे थे, जिन्हें अब जाकर कुछ राहत मिली है.

और अंत मे एक और बात….

2014-15 तक एयरटेल के इंटरनेट का बिल प्रतिमाह 750 रूपए चुकाता था मैं, उस बिल में भी एक निश्चित सीमा तक डाटा ही उपलब्ध होता था.

वह पैसा निजी कम्पनियों की तिजोरी में जाता था. वह भी तब जबकि देश के खजाने से 2G सरीखे लूटकांड कर लाखों करोड़ लूट चुकी थीं वह कम्पनियां.

अब क्यों नहीं जा रहा? आज क्या अतिरिक्त कमाई स्थिति है?

उन्हीं कम्पनियों से लगभग 3 लाख करोड़ रूपए भी वसूल रही है सरकार, फिर भी वही कम्पनियां आज वही डेटा 150 और 200 में हमें बेच रहीं हैं जिसकी कीमत तीन साल पहले तक 750 रूपए वसूलती थीं.

कार वाले को तो शिकायत करनी ही नहीं चाहिए. लेकिन मोटरसाइकिल वाले को यदि 4-5 सौ रूपए का लाभ पेट्रोल में नहीं मिल रहा है तो मोबाइल और इंटरनेट में उसे क्या और कितनी छूट मिल रही है. कम से कम इतना आंकलन अवश्य करें.

यह तो सर्वविदित तथ्य है कि देश मे मोटरसाइकिल से अधिक मोबाइल इस्तेमाल करने वाले रहते हैं.

रेटिंग: 4.73
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 282
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *