करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है

पुट ऑप्शन का व्यापक रूप से ट्रेडर द्वारा तब उपयोग किया जाता है जब अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस में आपेक्षित गिरावट होती है׀
पुट ऑप्शन – पुट ऑप्शन की खरीद, बिक्री, फॉर्मूला और ट्रेडिंग
आइए हम पुट ऑप्शन के बेसिक्स करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है पर चर्चा करते हैं और फिर हम पुट ऑप्शन प्रीमियम और ट्रेडिंग के लिए आगे बढ़ेंगे:
Put Options क्या है?
पुट ऑप्शन एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है जो खरीदार को अधिकार देता है, लेकिन अंडरलाइंग एसेट को एक विशेष प्राइस, जिसे स्ट्राइक प्राइस के रूप में भी जाना जाता है, पर बेचने की बाध्यता नहीं देता है׀
पुट ऑप्शन को कई अंडरलाइंग एसेट्स जैसे स्टॉक, करेंसी, और कमोडिटी पर भी ट्रेड किया जा सकता है।
वे एक विशेष प्राइस से नीचे के एसेट की प्राइस में गिरावट के खिलाफ हमारे ट्रेडों की रक्षा करने में हमारी सहायता करते हैं׀
प्रत्येक पुट कॉन्ट्रैक्ट में अंडरलाइंग सिक्योरिटी के 100 शेयर शामिल होते हैं।
ट्रेडर्स को करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है पुट खरीदने या बेचने के लिए अंडरलाइंग एसेट का मालिक होना आवश्यक नहीं है।
पुट ऑप्शन बेचने से क्या तात्पर्य है?
पुट विक्रेता ऑप्शन के लिए प्राप्त प्रीमियम से लाभ के लिए वैल्यू गंवाने की उम्मीद के साथ ऑप्शन बेचते हैं।
एक बार जब पुट एक खरीदार को बेच दिया जाता है, तो विक्रेता को स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट को खरीदने की बाध्यता होती है, यदि ऑप्शन का करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है प्रयोग किया जाता है।
लाभ कमाने के लिए स्टॉक प्राइस को स्ट्राइक प्राइस से ऊपर होना चाहिए।
यदि एक्सपायरेशन डेट से पहले अंडरलाइंग स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम हो जाती है, तो खरीदार को बिक्री करने पर प्रॉफिट होता है।
खरीदार को पुट बेचने का अधिकार है, जबकि विक्रेता को इसके लिए बाध्यता है और वह स्पेसिफिक स्ट्राइक प्राइस पर पुट खरीदता है।
हालांकि, यदि पुट स्ट्राइक प्राइस से ऊपर है, तो खरीदार नुकसान उठाने के लिए खड़ा होता है।
उपरोक्त चित्र से हम यह कह सकते हैं कि प्रॉफिट प्रीमियम तक लिमिटेड है जबकि यदि प्राइस करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है हमारी अपेक्षा के विपरीत मूव करते हैं तो हमें अनलिमिटेड लॉस हो सकता है।
पुट करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है ऑप्शन फार्मूला:
यदि आप पुट ऑप्शन की वैल्यू की गणना करना चाहते हैं, तो हमें 2 पैरामीटर की आवश्यकता होगी:
• एक्सरसाइज प्राइस
• अंडरलाइंग एसेट की करंट मार्केट प्राइस
यदि ऑप्शन का उपयोग किया जाता है, तो हम नीचे दिए गए सूत्र द्वारा, पुट ऑप्शन की वैल्यू का पता लगा सकते हैं:
वैल्यू= एक्सरसाइज प्राइस – अंडरलाइंग एसेट की मार्केट प्राइस
यदि ऑप्शन का उपयोग नहीं किया जाता, तो इसकी कोई वैल्यू नहीं होती हैं׀
पुट ऑप्शन प्रीमियम:
पुट ऑप्शन प्रीमियम की गणना करने के लिए, आपको आवश्यकता होगी:
• इन्ट्रिन्सिक वैल्यू
• टाइम वैल्यू
इन्ट्रिन्सिक वैल्यू की गणना करने के लिए, आपको अंडरलाइंग स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस और स्ट्राइक प्राइस की आवश्यकता होती है।
इन दोनों के बीच अंतर को इन्ट्रिन्सिक वैल्यू के रूप में जाना जाता है।
टाइम वैल्यू इस बात पर निर्भर करती है कि करंट डेट करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है से एक्सपायरेशन डेट कितनी दूर है। साथ ही, वोलेटाइलिटी जितनी अधिक होगी, टाइम वैल्यू भी उतनी ही अधिक होगी׀
फीचर आर्टिकल: कॉइन स्विच के साथ क्रिप्टो ट्रेडिंग उतनी ही आसान है जितना अपना फेवरेट फूड ऑर्डर करना
बिटकॉइन और क्रिप्टो करेंसी को लेकर तमाम तरह की बहस और तर्क-वितर्क के बावजूद भारत की जनता ने सुरक्षा जुड़े तमाम संदेह दरकिनार करते हुए न केवल क्रिप्टो करेंसी को अपनाया है, बल्कि दुनिया में क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग करने वाली सबसे बड़ी आबादी भारत की ही है। भारत में क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग को आसान, सुलभ और सुरक्षित बनाने में बहुत बड़ा हाथ देश के तेजी से बढ़ते क्रिप्टो ऐप कॉइन स्विच करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है कुबेर का है। भारत के सबसे सरल क्रिप्टो ऐप कॉइन स्विच कुबेर के साथ 1.2 करोड़ का विशाल निवेशक वर्ग जुड़ चुका है और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
कोई बैंक या मध्यस्थ नहीं, आप हैं अपनी संपत्ति के खुद मालिक
क्रिप्टो करेंसी एक डीसेंट्रलाइज डिजिटल एसेट है। यानी रुपए या डॉलर या किसी और मुद्रा की तरह इसके मूल्य को रिजर्व बैंक या फेडरल रिज़र्व जैसी सेंट्रल अथॉरिटी नियंत्रित नहीं करती, बल्कि अपनी संपत्ति के आप खुद मालिक होते हैं।
Currency trading : होता क्या है ?
Currency trading करना यानी के करंसी के फ्यूचर और ऑप्शन मार्किट में ट्रेडिंग करना | करंसी ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध है , शेअर या कमोडिटी से बिलकुल भी अलग नहीं है | करंसी में भी लॉट सिस्टम होता है , करंसी के काॅन्ट्रैक्ट होते हैं , करंसी में ट्रेडिंग मार्जिन के आधार पर होती है और करंसी में ट्रेडिंग करने के लिए आपका एक ट्रेडिंग अकाउंट होना अनिवार्य है | सभी कॅपिटल मार्केट की तरह इस मार्केट में भी सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट ट्रेड होते हैं , आपको असल में कभी भी कोई करंसी फिजिकल फॉर्म में नहीं मिलती | करंसी मार्केट के बारे में समझने जैसी कुछ बाते है जिन्हें हम इस Page में कवर करने वाले है |
कंरसी का स्पॅाट प्राइज , या कहें की करेंसी की असली कीमत भारत में RBI द्वारा हर रोज 1:30 बजे प्रकाशित की जाने वाली एक्सचेंज या रेफरन्स रेटस होती है |
लॉट साइज क्या होता है ?
करेंसी मार्केट में लॉट साइज फिक्स होता है | इसका मतलब यह है की करंसी मार्केट में जो लॉट साइज एक बार तय हो चुकी है वह सामान्य: कभी भी बदली नहीं जाती | और करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है फिलहाल सभी करंसी की लॉट साइज है 1000 काॅन्टिटी | यानी आप चाहे USD या INR में ट्रेडिंग करें या किसी और करंसी में लॉट साइज 1000 काॅन्टिटी की ही होगी | लॉट साइज से आप कॉन्ट्रैक्ट साइज का अंदाजा भी लगा सकते है | जैसे की एक हजार डॉलर का एक लॉट |
करंसी मार्केट में दूसरी मार्केट के मुकाबले सबसे कम मार्जिन लगता है | उदाहरण के लिए अगर आप USD या INR में ट्रेडिंग करते है तो 3% या उससे भी कम का मार्जिन आपको देना होता है | उदाहरण के लिए USD या NIR की मौजूदा कीमत अगर 70 रूपये है, तो 70×1000 = 70,000 | अब 70,000 का केवल 3% (2,100) आपको अपने अकाउंट में रखना जरूरी है, अगर आप USD या INR काॅन्ट्रैक्ट में ट्रेड करना चाहते करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है हैं तो |
कौन सी करंसी में ट्रेड हो सकता है ?
भारत में फिलहाल नॅशनल स्टॉक एक्सचेंज में केवल चार करंसी में ट्रेडिंग करना संभव है |
1. | USD | US DOLLER |
2. | GBP | GREAT BRITAIN POUND |
3. | JPY | JAPANESE YEN |
4. | EURO | EURO |
दूसरे Currency में trading कैसे करें ?
भारतवर्ष में दूसरे करंसी में ट्रेडिंग नहीं होती, पर आप इन्टरनॅशनल ब्रोकर के पास अपना अकाउंट ओपन करके वैश्विक करंसी यानी फ़ॉरेक्स मार्केट में भी ट्रेडिंग कर सकते है | फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग पर कई तरह की पाबंदियाँ, शर्ते और नियम लागू होते है करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है |
जैसे की आपका इंटरनॅशनल ट्रांजैक्शन, इंटरनॅशनल करंसी में ट्रेड के बाद होने वाला मुनाफा और इन दोनों बातों पर लगने वाला टॅक्स कही ज्यादा होता है | इसलिए अगर आप कभी फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग करें तो इस बारे में अपने ITR रिटर्न में अवश्य मेंशन करें | फ़ॉरेक्स ब्रोकर के लिए, गूगल पर सर्च करें फ़ॉरेक्स ब्रोकर | भारत में फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग से जुडा कोई कानून लागू हुवा हो तो उसे भी जरुर पढ़ें |
Income Tax Rule : लेन देन के लिए कर करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है रहे हैं कैश का इस्तेमाल तो हो जाईये सावधान, ITR विभाग रख रहा है आप पर कड़ी नज़र
अगर आप भी हर रोज़ के लेनदेन के लिए कैश का इस्तेमाल कर रहे हैं तो हो जाईये सावधान क्योंकि कैश का ज्यादा इस्तेमाल करने से आप आ सकते हैं इनकम टैक्स विभाग की नज़रों में। आइए जानते हैं क्या कहता है कैश से जुड़ा नया नियम
HR Breaking News, New Delhi : हर टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त अपने हर तरह के इनकम सोर्स, ट्रांजैक्शन और इन्वेस्टमेंट की खबर देनी चाहिए. खासकर, अगर आप कोई हाई-वैल्यू का ट्रांजैक्शन करते हैं, तो अपने दिमाग में यह जरूर रखें कि इसका जिक्र आपको आईटीआर में करना होगा. अगर आपने इस साल के आईटीआर में इसका रिकॉर्ड नहीं दिया है तो आपको रिवाइज़्ड आईटीआर फाइल कर लेना चाहिए. अगर आपके टैक्स रिकॉर्ड में इसकी डिटेल्स शामिल नहीं है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से आपके पास नोटिस आ सकता है. Annual Information Return (AIR) स्टेटमेंट आपके सारे फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की डिटेल रखता है, टैक्स अथॉरिटी इस स्टेटमेंट को चेक करती करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है हैं. फॉर्म 26A के E हिस्से में आपकी हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन की डिटेल होती है.