लाइन नमूना

ईएसआरएफ सिंक्रोट्रॉन सुविधा, ग्रेनोबल, फ्रांस में एफआईपी बीम लाइन के दूरस्थ उपयोग को वी ई सी सी, कोलकाता, भारत में लाइन नमूना 15 और 16 फरवरी के दौरान एप्लीकेशन पोर्टिंग के लिए एशिया 2 2011 संयुक्त सी एच ए आई एन / ई लाइन नमूना लाइन नमूना यू-इंडिया ग्रिड2 ई पी आई के एच स्कूल के दौरान लाइव प्रदर्शित किया गया।
पंचर क्लैंप
इन्सुलेशन भेदी क्लैंप मुख्य रूप से प्रबलित खोल, भेदी ब्लेड, गैसकेट, वाटरप्रूफ सिलिकॉन तेल, उच्च शक्ति बोल्ट, टॉर्क नट और केबल टर्मिनल कैप कवर से बना है। जब केबल को शाखा या कनेक्ट करने की आवश्यकता हो, तो मुख्य लाइन की शाखा स्थिति निर्धारित करने के बाद केबल शाखा लाइन टर्मिनल को वाटरप्रूफ टर्मिनल में डालें, क्लैंप पर टॉर्क नट को मोड़ने के लिए सॉकेट रिंच का उपयोग करें। लाइन नमूना प्रक्रिया के दौरान, संपर्क ब्लेड केबल इन्सुलेशन परत को छेदेगा और कंडक्टर से संपर्क करेगा। गैसकेट केबल की छेदित स्थिति के चारों ओर दबाता है, शेल सिलिकॉन तेल ओवरफ्लो के अंदर। जब टॉर्क निर्धारित मूल्य तक पहुंचता है, तो अखरोट का टोक़ तंत्र बंद हो जाता है, मुख्य लाइन और शाखा लाइन जुड़ी होती है, और वाटरप्रूफ प्रदर्शन और विद्युत प्रभाव मानक द्वारा आवश्यक मापदंडों को पूरा करते हैं।
लाभ:
पहाड़ की लाइफ लाइन चल्थी पुल: इंजीनियरिंग का नायाब नमूना, 67 साल बाद भी इस पुल की खासियत बरकरार
चल्थी का पुल इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। खास वास्तु वाला यह पुल दो जिलों की लाइफ लाइन नमूना लाइन है। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना यह पुल 67 साल बाद भी मैदान से पहाड़ को जोड़ने का सेतु बना लाइन नमूना है। देश की आजादी के बाद बने इस पुल के संकरा होने से यहां से एक समय में सिर्फ एक ही वाहन गुजरता है।
एनएच पर स्थित चल्थी में बना यह पुल बगैर किसी खंभों के सहारे खड़ा है। पुल का पूरा लोड उसके ऊपरी (धनुष आकार वाले ढांचे पर) हिस्से पर है। लोनिवि के ईई विभोर सक्सेना बताते हैं कि खूबसूरती के अलावा मजबूती इस कदर है कि 1955 में बना चल्थी का पुल 67 साल बाद भी आवाजाही में उपयोग में आ रहा है।
विस्तार
चल्थी का पुल इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। खास वास्तु वाला यह पुल दो जिलों की लाइफ लाइन है। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना यह पुल 67 साल बाद भी मैदान से पहाड़ को जोड़ने का सेतु बना है। देश की आजादी के बाद बने इस पुल के संकरा होने से यहां से एक समय में सिर्फ एक ही वाहन गुजरता है।
एनएच पर स्थित चल्थी में बना यह पुल बगैर किसी खंभों के सहारे खड़ा है। पुल का पूरा लोड उसके ऊपरी (धनुष आकार वाले ढांचे पर) हिस्से पर है। लोनिवि के ईई विभोर सक्सेना बताते हैं कि खूबसूरती के अलावा मजबूती इस कदर है कि 1955 में बना चल्थी का पुल 67 साल बाद भी आवाजाही में उपयोग में आ रहा है।
आरसीसी स्ट्रक्चर पर आधारित 110 मीटर लंबा और दस फीट चौड़ा यह पुल अब भी पूरे दमखम के साथ खड़ा है। कम संकरा होने से इस पुल से एक समय में एक ही वाहन गुजर सकता है। धौलीगंगा जल विद्युत परियोजना की कई भारी-भरकम मशीनें और दूसरे उपकरण भी इस पुल से गुजरे। आपदाओं और अतिवृष्टि का बहादुरी से मुकाबला करने वाले इस पुल को निर्माण के बाद कभी मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ी। सिर्फ दो बार इसमें रंग-रोगन किया गया।
वर्चुअल लैब
“ Remote Physics Experiment at ESRF (Experimental लाइन नमूना Synchrotron Research Facility), Grenoble, France on NKN,An experiment has recently लाइन नमूना been conducted accessing the Synchrotron at Grenoble, France from Homi Bhabha National Institute (HBNI), Mumbai, on NKN, for protein crystallography studies. ”
ईएसआरएफ पर दूरस्थ भौतिकी प्रयोग (प्रायोगिक सिंक्रोट्रॉन अनुसंधान सुविधा), ग्रेनोब्ल, एनकेएन पर फ्रांस प्रोटीन क्रिस्टलोग्राफी अध्ययन के लिए हाल ही में एनकेएन पर होमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट (एचबीएनआई), मुंबई से ग्रेनोबल, फ्रांस में सिंक्रोट्रॉन का उपयोग करने के लिए एक प्रयोग किया गया है। तीसरी पीढ़ी के सिंक्रोट्रॉन में उत्पादित विकिरण केवल कुछ ही देशों में उपलब्ध है। इस विकिरण का उपयोग क्रिस्टलोग्राफी द्वारा अणुओं के तीन आयामी संरचना को निर्धारित करने के लिए किया गया है, जो जैविक मैक्रोमोलेक्यूल में संरचना-कार्य संबंधों और नई दवाओं के डिजाइन पर अध्ययन को सक्षम करता है।
रेल पटरी के बीच लगा दिया बिजली का खंभा, अधिकारी बोले- डबल लाइन का काम ऐसे ही होता है
- सागर,
- 24 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 24 अगस्त 2022, 6:52 AM लाइन नमूना IST)
मध्य प्रदेश के सागर जिले में रेलवे की थर्ड लाइन का काम चल रहा है. इसी दौरान ट्रैक के बीचों-बीच इलेक्ट्रिक पोल लगाने का काम सुर्खियों में है. लोग इसे स्मार्ट इंजीनियरिंग का नायाब नमूना बता रहे हैं. रेलवे का कहना है कि पूरा काम प्लान के तहत हो रहा है. इसमें लाइन नमूना कहीं कोई गलती नहीं हुई है.
बता दें कि बीना-कटनी के बीच रेलवे की थर्ड लाइन का काम चल रहा है. स्मार्ट इंजीनियरिंग का दावा करने वाली रेलवे ने नरयावली से ईसरवारा के बीच 7.5 किलोमीटर की रेल लाइन में ऐसा कारनामा कर दिखाया कि काबिलियत पर सवाल उठने लगे हैं. निर्माण विभाग ने यहां रेल ट्रैक बिछाया और इलेक्ट्रिक विभाग ने बीच ट्रैक पर ही बिजली का खंभा लगा दिया. अब 1 किलोमीटर के रेल ट्रैक को नए सिरे से शिफ्ट करना होगा, क्योंकि पोल इसी लाइन में लगा दिया गया है.
Video: इंजीनियरिंग का नमूना या लापरवाही? रेल की पटरी के बीचों-बीच लगाया बिजली का खंभा
डीएनए हिंदी: सोशल मीडिया पर रेलवे ट्रेक का एक वीडियो वायरल हो रहा जिसे देख कर आपका भी दिमाग घूम जाएगा. आपने हर जगह रेलवे लाइन या सड़कों के किनारे हजारों खंभे लगे हुए देखे होंगे. कई लाइन नमूना बार ऐसे खंभे सड़कों के बीचों-बीच भी दिख जाते हैं लेकिन क्या आपने कभी रेलवे ट्रेक के बीच में बिजली का खंभा लगा देखा है. अगर नहीं तो आज के इस वीडियो में देख लीजिए.
वायरल वीडियो मध्यप्रदेश के सागर जिले का है जहां रेलवे की थर्ड लाइन बिछाने का काम तेजी से चल रहा है. थर्ड लाइन बिछाने के काम के दौरान इंजिनियर ने रेलवे लाइन के बीच ही खंभा लगा दिया जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो ईसरवारा रेलवे स्टेशन का है. यह वीडियो पत्रकार अवधेश अकोदिया अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है. उन्होंने कैप्शन में लिखा, सड़क पर बिजली के खंभे के तो कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन रेल की पटरियों के बीच ऐसा पहली बार देखा है. कुछ लोग इसे रेलवे की लापरवाही बता रहे हैं तो वहीं कुछ स्मार्ट इंजिनियरिंग का नमूना बोल रहे हैं.