निवेश स्थल

Indian Economy के लिए शुभ संकेत! मल्टीनेशनल कंपनियों को भारत की ग्रोथ पर भरोसा, 71% ने माना-निवेश के लिए सबसे बेहतर
71 फीसदी कंपनियों ने माना कि भारत उनके वैश्विक विस्तार के लिए महत्वपूर्ण.
सर्वे के अनुसार, 71 फीसदी मल्टीनेशनल कंपनियां (एमएनसी) भारत को अपने बिजनेस के वैश्विक विस्तार के लिए महत्वूर्ण स्थान के रूप में देखती हैं. यह सर्वे 'विजन- डेवलप्ड इंडिया: ऑपर्च्यूनिटीज एंड एक्सपेक्टेशंस ऑफ एमएनसीज' नामक रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है.
- News18Hindi
- Last Updated : October 17, 2022, 13:52 IST
हाइलाइट्स
भारत में अगले पांच साल में 475 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आने की उम्मीद.
96 फीसदी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत के आर्थिक विकास को लेकर आश्वस्त.
इस वित्त वर्ष भारत का 100 अरब डॉलर का एफडीआई हासिल करने का है लक्ष्य.
नई दिल्ली. कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत को अपने बिजनेस के विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान मानती हैं. भारत में पहले से काम कर रही ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां देश की ग्रोथ को लेकर भी काफी सकारात्मक बनी हुई हैं. ऐसा तब है जब पूरे विश्व पर आर्थिक संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सीआईआई-ईवाई के एक सर्वे में यह बात सामने आई हैं. सर्वे के अनुसार, भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) अगले 5 साल में 475 अरब डॉलर (39.12 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच सकता है.
इस सर्वे के अनुसार, 71 फीसदी मल्टीनेशनल कंपनियां (एमएनसी) भारत को अपने बिजनेस के वैश्विक विस्तार के लिए महत्वूर्ण स्थान के रूप में देखती हैं. सर्वे में शामिल हुए 96 फीसदी कंपनियां भारत के विकास को लेकर काफी सकारात्मक हैं. उनका मानना है कि अगले 3-5 साल में (लघु अवधि) भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद शानदार प्रदर्शन करने वाली है. यह सर्वे ‘विजन- डेवलप्ड इंडिया: ऑपर्च्यूनिटीज एंड एक्सपेक्टेशंस ऑफ एमएनसीज’ नामक रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है.
लगातार बढ़ा एफडीआई
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले दशक में लगातार विदेशी निवेश (एफडीआई) में इजाफा हुआ है. तनावपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों और कोरोना वायरस के प्रभाव के बावजूद वित्त वर्ष 2022 में भारत को 84.8 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला था. शनिवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा था कि भारत इस वित्त वर्ष में 100 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्त करने की राह पर है. इसमें आर्थिक रिफॉर्म्स और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बड़ा योगदान है. आपको बता दें कि अप्रैल-जून तिमाही में भारत में एफडीआई 6 फीसदी गिरकर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 21 में भारत को 81.9 अरब डॉलर का एफडीआई मिला था. इसका 10 फीसदी हिस्सा इंफ्रास्टक्चर गतिविधियों के लिए आया था.
सीआईआई का बयान
सीईआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है, “बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि के सामने आ रही चुनौतियों और नई भू-राजनीतिक समस्याओं के बावजूद एमएनसीज द्वारा भारत को आकर्षक निवेश स्थल माना जाना काफी सुकून की बात है. हमारा मानना है कि सरकार की ओर से किए बदलावों के कारण एमएनसीज का भारत में निवेश औक घरेलू सप्लाई चेन में उनका योगदान बढ़ेगा.
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डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी को बताया निवेश के लिए अनुकूल, बोले- संभावनाएं हैं अपार
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए प्रबल व अपार संभावनाएं की बात कही है. उन्होंने कहा कि यहां जलवायु, वातावरण और कानून व्यवस्था सबकुछ निवेश करने के लिए ठीक है.
शिवेंद्र श्रीवास्तव
- लखनऊ,
- 21 फरवरी 2020,
- (अपडेटेड 21 फरवरी 2020, 12:24 AM IST)
- यूपी सरकार ने निवेश के लिए कई अहम कदम उठाए: डिप्टी सीएम मौर्य
- मौर्य बोले- निवेश के लिए जलवायु, वातावरणऔर कानून व्यवस्था है अनुकूल
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, 'देश व प्रदेश में निवेश की प्रबल व अपार संभावनाएं हैं. यहां की जलवायु, यहां का वातावरण और कानून व्यवस्था सब कुछ निवेश करने के लिए बहुत ही अनुकूल है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निवेश के लिए कई अहम कदम भी उठाए गए हैं.' मौर्य आज ताज होटल लखनऊ में द फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की ) के उप्र के साथ चौथे संवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा, जापान और भारत एक 'विशेष रणनीति और वैश्विक भागीदारी' साझा करते हैं. जापानी दूतावास के साथ साझेदारी में फिक्की फोरम ने भारतीय राज्यों के साथ संबंधों को गहरा करने और सामाजिक व आर्थिक हितों को बढ़ावा देने के लिए इस वार्ता की श्रृंखला शुरू की थी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और जापान के प्रधानमंत्री की दोस्ती हमारे संबंधों की एक मिसाल है, जो विश्व में शांति और स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है. एक पुनरुत्थान करने वाला जापान और परिवर्तित भारत एशियाई सामरिक परिदृश्य के साथ-साथ पूरे विश्व को एक नया रूप दे सकता है.
उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा राज्य है. यहां पर विद्यमान अपार संभावनाओं को समझा जा सकता है. उत्तर प्रदेश की भूमि बहुत उपजाऊ है. इसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि पर आधारित है. कई क्षेत्रों में मिलजुल कर अच्छा काम किया जा सकता है, जिसमें खाद्य प्रसंस्करण, आईटी, पर्यटन, खनिज आधारित उद्योग, वस्त्र, हथकरघा, हस्तशिल्प, जैव प्रौद्योगिकी आदि शामिल हैं. इन क्षेत्रों की क्षमता बढ़ाने और जापानी निवेश को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह से तत्पर है.
तीर्थ स्थानों में सर्वाधिक पांच स्थल यूपी में
मौर्य ने कहा, महात्मा बुद्ध से संबंधित तीर्थ स्थानों में सर्वाधिक पांच स्थल उत्तर प्रदेश में हैं, जिन्हें हम तीर्थ स्थल व पर्यटन के क्षेत्र के रूप में विश्व पटल पर और भव्य रूप दे सकते हैं. इसके अलावा भी यहां पर पर्यटन क्षेत्र विकसित करने की असीम संभावनाएं हैं. पर्यावरण, नदी, सिचाई आदि के क्षेत्र में कार्य करके हम यहां की गरीब जनता के जीवन स्तर में परिवर्तन ला सकते हैं.
मौर्य ने जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी निवेश स्थल को उनकी नई भूमिका के लिए उन्हें बधाई दी और आशा व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश व देश में निवेश के लिए उनके स्तर से बहुत बड़े कदम उठाए जाएंगे. कैशव प्रसाद मौर्य ने कहा, अभी हाल ही में पेश किए गए बजट में निवेश को लेकर सरकार द्वारा बहुत ही गंभीर प्रयास किए गए हैं. तकनीकी के मामले में जापान दुनिया में अपना डंका बजा रहा है. जापान का उत्तर प्रदेश की व्यवसायिक व धार्मिक दृष्टि से जुड़ाव अधिक होगा. उत्तर प्रदेश की सरकार ने डिफेंस एक्स्पो व इन्वेस्टर्स समिट कर देश और प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
मौर्य ने कहा, फिक्की के साथ उत्तर प्रदेश की यह चौथी बैठक हो रही है और हम सभी क्षेत्रों में अच्छा कार्य मिलकर कर सकते हैं. देश को जापान सहित दुनिया की अन्य तकनीकों की भी आवश्यकता है, जिसके लिए यहां निवेश के द्वार खुले हैं. फिक्की के माध्यम से दुनिया का निवेश यहां लाया जा सकता है. यहां निवेश करने के लिए जो मंथन किया गया है, निश्चित रूप से इसके सकारात्मक और सार्थक परिणाम निकल कर आएंगे. जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी ने उत्तर प्रदेश और देश में निवेश के लिए अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए.
Make In India के 8 साल पूरे, चालू वित्त वर्ष में FDI के 100 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान
नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि उसका एक प्रमुख कार्यक्रम मेक इन इंडिया भारत की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करते हुए इसे दुनिया के एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र और निवेश स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। सरकार का कहना है कि इस कार्यक्रम से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तेजी से बढ़ा है और यह चालू वित्त वर्ष में 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह कार्यक्रम भारत में निवेश को सुगम बनाने, नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित करने, कौशल विकास और विश्व-स्तरीय विनिर्माण सुविधाओं के विस्तार के लिए मोदी सरकार द्वारा 2014 में शुरू किया था। मेक इन इंडिया के 25 सितंबर 2022 को आठ वर्ष पूरे निवेश स्थल हो रहे हैं।
इस अवसर पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन आठ वर्षों में भारत में वार्षिक एफडीआई दोगुना होकर 83 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। मंत्रालय ने कहा है,” केंद्र सरकार देश में सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को प्राप्त किया जा सके।”
बयान में कहा गया है कि इकाइयों पर नियमों के अनुपालन का बोझ हल्का होने से लागत कम हुयी है और भारत में कारोबार करना आसान हुआ है। सरकार द्वारा शुरू की गयी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) से अबतक स्वीकृत सभी 14 क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को भारी बढ़ावा मिला है।
मंत्रालय ने कहा है कि इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के बीच भारत से निवेश स्थल निवेश स्थल खिलौनों का निर्यात 2013 की इसी अवधि की तुलना में 636 प्रतिशत ऊंचा रहा। ब
यान में इस बात का उल्लेख है कि वर्ष 2014-15 में एफडीआई 45.15 अरब डॉलर के बराबर था जो वित्त वर्ष 2021-22 में 83.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत में 31 राज्य और केंद्रशासित क्षेत्रों में 57 तरह के उद्योग धंधों में एफडीआई हुआ है। दुनिया के 101 देशों की कंपनियां भारत में सीधे निवेश काम कर रही हैं। मंत्रालय का दावा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
मुख्य गंतव्य स्थल के रूप में विकसित उत्तराखंड निवेशकों के लिए तैयार
आठवां इनवेस्ट नार्थ-पर्यटन, बायो टेक्नोलाॅजी, नवीकरणीय ऊर्जा, फिल्म शूटिंग व सूचना प्रौद्योगिकी पर रहा फोकस
देहरादून। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बैंगलोर में आयोजित आठवें इनवेस्ट नाॅर्थ कार्यक्रम में प्रतिभाग करते निवेश स्थल हुए उत्तराखण्ड में निवेश के लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में सेवा क्षेत्र विशेष तौर पर पर्यटन, बायो टेक्नोलाॅजी, नवीकरणीय ऊर्जा, फिल्म शूटिंग व सूचना प्रौद्योगिकी में निवेश की काफी सम्भावनाएं हैं। उत्तराखण्ड सरकार, निवेशकों को आवश्यक सुविधायें प्रदान करने के लिए तत्पर है। गत दो वर्षाें मंे राज्य में निवेश के लिए सुनियोजित प्रयास किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य तेजी से निवेश के लिये मुख्य गंतव्य स्थल के रूप में विकसित हुआ है। यह देश की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। राज्य सरकार ने डीपीआईआईटी और विश्व बैंक द्वारा प्रस्तावित विभिन्न व्यावसायिक सुधार किए हैं। पर्वतीय राज्यों द्वारा किए गए व्यापार सुधारों के मामले में उत्तराखण्ड अग्रणी है। लाॅजिस्टिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए अनेक बुनियादी अवसंरचनात्मक परियोजनाएं प्रारम्भ की हैं। राज्य में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आईसीडी और एलसीएस की स्थापना की गई हैं। आॅल वेदर रोड़ व जौलीग्रांट एयरपोर्ट की क्षमता विस्तार का काम प्रगति पर है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अमृतसर-कोलकाता इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर से उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में स्थित उद्योगों को लाॅजिस्टिक्स के लिए सुगमता होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में औद्योगिक विकास को सुदृढ करने हेतु एकीकृत औद्योगिक आस्थान/क्षेत्रों का निर्माण किया गया है, जो विश्व स्तरीय अवस्थापना सुविधाओं से युक्त हैं। सुदृढ़ कानून व्यवस्था, भारत के अन्य राज्यों की तुलना में कम औद्योगिक विद्युत दर, गुणवत्ता युक्त मानव संसाधन की उपलब्धता, सौहार्दपूर्ण श्रमिक सम्बन्ध एवं न्यूनतम कार्यदिवसों की क्षति आदि कुछ ऐसे मुख्य कारण हैं, जो उत्तराखण्ड में निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सहायक कारक सिद्ध हुए हैं।
उत्तराखण्ड में अक्टूबर, 2018 में प्रथम इन्वेस्टर्स समिट ‘‘डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड’’ का आयोजन किया गया था, जिसमें देश व विदेश के 4000 से अधिक प्रतिनिधियों, निवेशकों, उद्योगपतियों ने प्रतिभाग किया था। शिखर सम्मेलन के दौरान 600 से अधिक निवेशकों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में पूंजी निवेश के लिए रू. 1,24,000 करोड़ (एक लाख चैबिस हजार करोड़़) से अधिक के प्रस्तावों के एमओयू किये गये। इन एमओयू के क्रियान्वयन के लिए ठोस पहल की गई है। इन्वेस्टर्स समिट के बाद के 10 माह में लगभग रू. 17 हजार करोड़ से अधिक के पूंजी निवेश के प्रस्तावों की ग्राउण्डिंग की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में औद्योगिकीकरण की अपार सम्भावनायें हैं। राज्य सरकार ने आॅटोमोबाइल, आयुष एवं वेलनेस, बायो-टैक्नोलाॅजी, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, आदि क्षेत्रों को चिन्हित किया है और इन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट नीतियां लागू कर आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं।
राज्य का ध्यान ऐसी परियोजनाओं पर भी केंद्रित है, जिससे राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों के निवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिकी को मजबूत किया जा सके। पाइन निडिल से ऊर्जा उत्पादन इनमें से एक है, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को रोजगार के अवसर सुलभ हो सकें। राज्य सरकार ने अब तक 20 परियोजनाआंे की स्थापना के लिए विकासकर्ताओं का चयन किया है, जो लगभग 675 किलोवाट की बिजली उत्पादन कर सकेंगे और आने वाले समय में इस परियोजना की क्षमता को 5 मेगावाट तक बढ़ाये जाने की योजना है।
मुख्यमंत्री ने राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश की सम्भावनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि उत्तराखण्ड भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये नयी पर्यटन नीति-2018 लागू की गयी है, जिसका मुख्य उद्देश्य रिवर्स माइग्रेशन को सुगम बनाने, ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने और पारिस्थितिक पर्यटन, वैलनेस व साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। राज्य के प्रत्येक जनपद में एक नया थीम बेस्ड डेस्टिनेशन विकसित किया जा रहा है। राज्य में पर्यटक रोप-वे निर्माण की व्यापक सम्भावनायें हैं, जिनमें से कुछ चिन्हित परियोजनायें देहरादून-मसूरी, जानकी चट्टी-यमुनोत्री, गोविन्दघाट-हेमकुण्ड साहिब, भैरव गढ़ी, देव का डाण्डा, बिनसर प्रमुख हैं। हाल ही में देहरादून को मसूरी से जोड़ने वाले रोप-वे प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया है, जिससे सड़क मार्ग से यात्रा मंे लगने वाला समय एक घण्टा तीस मिनट से घटकर केवल 15-20 मिनट हो जायेगा। यह परियोजना विश्व की 5 सबसे लम्बी रोप-वे परियोजनाओं में से एक है, जिस पर रू. 285 करोड़ का व्यय अनुमानित है। राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को राज्य की आर्थिकी से जोड़ने के लिए उद्योग का दर्जा प्रदान दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की भी व्यापक सम्भावनाएं हैं। वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन के लिए कई निविदाएं आमंत्रित की हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन की लगभग 148 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए उद्यमकर्ता/विकासकर्ताओं का चयन किया जा चुका है, जिसका कुल निवेश लगभग रू. 600 करोड़ सम्भावित है। इसके अतिरिक्त 52 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए निविदाएं आमंत्रित की गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा 66 वें राष्ट्रीय फिल्म फेयर अवाड्र्स में उत्तराखण्ड का चयन मोस्ट फिल्म फेंडली स्टेट के लिए किया गया है। राज्य सरकार की फिल्म नीति के कारण ही पिछले वर्ष 180 से अधिक फिल्मों की शूटिंग राज्य में की गईं, जो एक समर्पित क्षेत्र नीति का ही परिणाम है। उत्तराखण्ड, सूचना प्रौद्योगिकी एवं समर्थित सेवाओं के क्षेत्र के विकास पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है और इस क्षेत्र के लिए राज्य सरकार ने आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष पहल की है। राज्य ने अपनी सूचना प्रौद्योगिकी नीति को अधिसूचित कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत, दुनिया के शीर्ष 12 निवेश स्थल बायोटेक गंतव्यों में शामिल है। उत्तराखण्ड विविध प्रकार की वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों से समृद्ध है और राज्य में कई विशेष प्रकार की दुर्लभ औषधीय और सुगंधित पौधे पाये जाते हैं। राज्य में उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद सहित आई0आई0टी0 रुड़की, जीबी पंत विश्वविद्यालय, जैव ऊर्जा संस्थान, रक्षा अनुसंधान संस्थान, वन अनुसंधान संस्थान सहित जैव प्रौद्योगिकी तथा अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित शोध संस्थान हैं, जो कि उत्तराखण्ड राज्य के सतत् विकास में निरन्तर योगदान प्रदान कर रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य में जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से अन्तरराष्ट्रीय स्तर का एक समर्पित जैव प्रौद्योगिकी पार्क प्रस्तावित किया गया है। जैव प्रौद्योगिकी एवं इससे सम्बन्धित नवीन क्षेत्रों में निवेश की सुविधा को और सुगम बनाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी नीति-2018-23 को अधिसूचित किया जा चुका है।
इस अवसर पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज ने भी सम्बोधित किया।