विकल्पों का परिचय

लचित बोरफुकन को पूर्वोत्तर का शिवाजी भी कहा जाता था क्योंकि उन्होंने शिवाजी की तरह ही मुगलों की रणनीति फेल कर दी थी और वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था. गुवाहाटी पर मुगलों का कब्जा होने के बाद उन्होंने शिवाजी की तरह ही उनको बाहर का रास्ता दिखाया था.
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दीनदयाल अन्त्योदेय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन केन्द्र प्रवर्तित ‘‘स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के स्थान पर 12वी पंचवर्षीय योजना में शहरी गरीबों के उत्थान के लिए संशोधित नवीन योजना ‘‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राज्य शहरी आजीविका मिशन अक्टूबर 2013 से लागू की गई थी।
संजू सैमसन का जन्म एवं शुरूआती जीवन
संजू सैमसन का जन्म 11 नवंबर 1994 को लिजी विश्वनाथ और सैमसन विश्वनाथ के घर हुआ था। उनके पिता दिल्ली पुलिस में पुलिस कांस्टेबल थे। सैमसन एक धर्मनिष्ठ कैथोलिक हैं। उनका एक छोटा भाई भी हैं जिसका नाम सैली सैमसन हैं।
संजू अपने पिता की तरह ही एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहता था। उनके क्रिकेट करियर में उनका साथ देने के लिए उनके पिता ने दिल्ली में पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़ दी।
संजू सैमसन की शिक्षा (Sanju Samson Education)
संजू सैमसन ने अपनी शुरूआती शिक्षा तिरूवनंतपुरम के जोसेफ हायर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की हुई हैं। उसके साथ साथ उन्होंने क्रिकेट की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने कॉलेज का अभ्यास त्रिवेंद्रम के मॉर इवानियोस कॉलेज से बी.ए की डिग्री पाप्त की हैं।
पिता का नाम (Father’s Name) | सैमसन विश्वनाथ (पुलिस) |
माता का नाम (Mother’s Name) | लिजी विश्वनाथ |
भाई का नाम (Brother’s Name) | सैली सैमसन (छोटा) |
पत्नी (Wife Name) | चारूलता |
संजू सैमसन की शादी, पत्नी (Sanju Samson Wife)
भारत के क्रिकेटर संजू सैमसन ने शनिवार 22 दिसंबर 2018 को लंबे समय से रही उनकी गर्लफ्रेंड चारुलता के साथ शादी के बंधन में बंध गए।
दोनों की पहली मुलाकात 5 साल पहले कॉलेज में हुई थी यह सब तब शुरू हुआ जब संजू ने फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और जब भी उन्हें समय मिला मिलने लगे।
5 साल बीत गए और संजू ने भारतीय क्रिकेट में अपना नाम बनाया सालों तक साथ रहने के बाद उसने उसे उसी जगह पर प्रपोज किया जहा वे पहली बार मिले थे।
पूर्व कॉलेज के साथियों ने कोवलम के विकल्पों का परिचय एक रिसॉर्ट में एक सादे समारोह में परिवारों के दोनों पक्षों के सिर्फ 30 से अधिक लोगों के साथ शादी की। जबकि सैमसन एक ईसाई हैं। और चारू एक हिंदू नायर है।
N Jagadeesan को खरीद सकती हैं ये 3 टीमें, मिल सकते हैं करोड़ो रुपए
तमिलनाडु के बल्लेबाज नारायण जगदीशन सुर्खियों में हैं। विजय हजारे ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ वनडे मैच में 277 रन बनाकर उन्होंने शानदार फॉर्म का परिचय देते हुए टूर्नामेंट में लगातार 5वां शतक जड़ा। आईपीएल ऑक्शन से पहले CSK ने उन्हें रिलीज कर दिया है ऐसे में उनकी मौजूदा फॉर्म को देखते हुए आईपीएल ऑक्शन में ये 3 टीम उनपर दांव लगा सकती हैं।
कोलकाता नाइट राइडर्स: श्रेयस अय्यर की टीम केकेआर टीम में एक घेरलू विकेटकीपर को शामिल करना चाहेगी। वहीं नारायण जगदीशन केकेआर के लिए बतौर ओपनर भी अच्छे विकल्प हो सकते हैं। ऐसे में इस बात की काफी ज्यादा संभावना है कि तमिलनाडु इस विकेटकीपर बल्लेबाज को खरीदने में दिलचस्पी दिखाए।
प्रवेग डेफी इलेक्ट्रिक एसयूवी 39.50 लाख रूपए में हुई लॉन्च, मिलेगी 500 किमी की रेंज
बेंगलुरू स्थित इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्टअप प्रवेग डायनेमिक्स ने भारतीय बाजार में अपनी पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी को लॉन्च कर दिया है और इसे डेफी नाम दिया गया है। इस इलेक्ट्रिक एसयूवी की कीमत 39.50 लाख रुपये रखी गई है। ब्रांड के सीईओ, सिद्धार्थ बागरी का कहना है कि यह परियोजना ग्यारह वर्षों से विकास के अधीन है और डेफी को बाजार में लाने के लिए पिछले दस महीनों में सीमाओं को आगे बढ़ाया गया है।
प्रवेग डेफी को ‘ब्रूटल सोफिस्टिकेशन’ स्टाइल फिलॉसफी पर आधारित कहा जाता है और इसकी बुकिंग खुली हुई हैं, जबकि इसकी डिलीवरी अगले साल की तीसरी तिमाही में शुरू होंगी। यह बोर्डो, लिथियम, एम्परर पर्पल, सियाचिन ब्लू, हिंडिगो, मून ग्रे, हल्दी येलो, 5.56 ग्रीन, शनि ब्लैक, काजीरंगा ग्रीन और वर्मिलियन रेड के साथ कुल 11 रंगों में उपलब्ध है।
लचित बोरफुकन: वो योद्धा जिसने निराश सैनिकों में जोश भरके मुगलों को धूल चटाई
16वीं सदी में मुगल विस्तारवाद को चुनौती देने वाले नायक की जयंती को असम में 'लचित दिवस' के रूप में मनाया जाता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित गुप्ता
Updated on: Nov 24, 2022 | 11:35 AM
असम के इतिहास में लचित बरफुकन बहुत विकल्पों का परिचय महत्वपूर्ण हैं. इन्हें इनकी वीरता और कुशल नेतृत्व क्षमता के लिए याद किया जाता है. लचित अहोम साम्राज्य के सेनापति थे. 1671 की सराईघाट की लड़ाई में इन्होंने बेहतरीन सूझबूझ का परिचय दिया था. असम के कामरूप पर पुनः अधिकार प्राप्त करने के लिए रामसिंह प्रथम के नेतृत्व वाली मुगल सेनाओं का प्रयास विफल कर दिया गया था. वीर पराक्रमी लचित बरफुकान ही थे जिन्होंने मुगल साम्राज्य को हिला कर रख दिया था.
13वीं सदी में अहोम वंश की स्थापना हुई
असम में 13वीं सदी में अहोम वंश की स्थापना हुई. अहोम योद्धाओं ने सुखपा के नेतृत्व में विकल्पों का परिचय स्थानीय नागों को हराया और असम पर कब्जा किया. अगले 600 सालों तक असम पर राज किया. असम नाम ही अहोम वंश के नाम पर पड़ा. इससे ताल्लुक रखने वाले लचित बोरफुकन का जन्म 24 नवंबर विकल्पों का परिचय 1622 को असम में अहोम साम्राज्य में हुआ. उनके पिता का नाम मोमाई तमुली बोरबरुआ जो ऊपरी असम के राज्यपाल और अहोम सेना के कमांडर-इन-चीफ थे. उनकी माता का नाम कुंती मोरन था. वह अपने भाइयों-बहनों में सबसे छोटे थे. सैन्य रणनीति में अध्ययन पूरा करने के बाद, उन्हें अहोम राजा के सालधारा बरुआ के रूप में नियुक्त किया गया था. बाद में अहोम साम्राज्य में आर्मी का कमांडर इन चीफ भी बनाया गया.
मुगल बादशाह औरंगजेब ने असम के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने के लिए राजपूत सेनापति राम सिंह को भेजा. 1669 में राम सिंह 18,000 से अधिक सैनिकों के साथ असम पहुंचे और जंग की शुरुआत हुई, लेकिन असमिया योद्धा लचित बोरफुकन की वीरता के आगे उनकी एक न चली. राम सिंह ने दोबारा प्रयास किया और 10,000 अहोम सैनिक मार गिराए. इससे अहोम सैनिकों को भारी झटका लगा. सैनिक हतोत्साहित महसूस करने लगे. वहीं, लचित बीमार पड़ गए.
इसलिए मामा का सिर धड़ से अलग कर दिया था
इसका किस्सा मुगलों से हुई जंग से जुड़ा है. कहते हैं, लचित ने मुगलों सेना को रोकने के लिए अहोम साम्राज्य के चारों तरफ दीवार बनाने की रणनीति बनाई. सैनिकों को रातों-रात दीवार बनाने का आदेश दिया. इसका जिम्मा उन्होंने अपने मामा को दिया. बीमार होने के बावजूद जब वो उस जगह पर पहुंचे तो देखा दीवार का निर्माण पूरा ही नहीं हुआ. सैनिक हताशा और निराशा से भरे हुए हैं. सैनिकों ने पहले ही मान लिया था कि वो सुबह से पहले दीवार का निर्माण नहीं कर पाएंगे.
ऐसे हालात देखकर लचित को अपने मामा पर गुस्सा आया क्योंकि वो सैनिकों का उत्साह तक नहीं बढ़ा सके और मामा का गला काट दिया. इस घटना के बाद उन्होंने सैनिकों में इतना उत्साह भर दिया कि सूर्योदय से पहले दीवार खड़ी कर दी गई. एक सेनापति के तौर पर उन्होंने सैनिकों में इतना जोश भर दिया कि युद्ध में जीत हासिल हुई.