रणनीति व्यापार

विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़

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जैविक खेती की ओर बढ़ता रुझान

जैविक खेती तेजी से बढ़ता सेक्टर है। जैविक खेती उन क्षेत्रों के लिये सही विकल्प है, जहाँ कृषि रसायनों के प्रभाव से उपजाऊ जमीनें बंजर होती जा रही हैं। आजकल शहरों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे ऑर्गेनिक अनाज, दालें, मसाले, सब्जियाँ व फल जैविक खेती की सम्भावनाओं को और बढ़ावा दिला रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिये नाबार्ड सहित कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान कार्यरत हैं। सरकार पूर्वोत्तर राज्यों को जैविक खेती का केन्द्र बनाने पर जोर दे रही है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सिक्किम देश का पहला राज्य है, जहाँ पूर्णतया जैविक खेती की जा रही है। सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। पिछले कई महीनों से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और कृषि वैज्ञानिक किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में जैविक खेती की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

जैविक खेती को बढ़ावा देने और कृषि विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ रसायनों पर निर्भरता को कम करने के लिये परम्परागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई है। परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत सरकार मिट्टी की सुरक्षा और लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इसे कलस्टर आधार पर प्रत्येक 50 एकड़ पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसका लक्ष्य तीन वर्षों की अवधि में 2015-16 से 2017-18 में 5 लाख एकड़ क्षेत्रफल को शामिल करते हुए 10,000 क्लस्टर्स को बढ़ावा देना है।

मृदा, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को सशक्त बनाए रखने के लिये जैविक खेती नितान्त आवश्यक है। इससे न केवल उच्च गुणवत्तायुक्त, स्वास्थ्यवर्द्धक एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि खेती में उत्पादन लागत कम करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही मृदा उर्वरता में सुधार के साथ-साथ किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। उपरोक्त के अलावा इस योजना को कार्यान्वित करने के लिये पारम्परिक संसाधनों का इस्तेमाल करके पर्यावरण अनुकूल कम लागत की प्रौद्योगिकियों को अपनाकर जैविक खेती को बढ़ावा देना है।

अधिक आय प्राप्त करने के लिये जैविक उत्पादों को बाजार के साथ जोड़ा जाएगा। जैविक खेती से तैयार फसल उत्पाद सेहत के लिये काफी उपयोगी हैं। आज के परिदृश्य में जैविक खेती का महत्त्व इसलिये भी काफी बढ़ता जा रहा है क्योंकि किसान पारम्परिक खेती से ज्यादा-से-ज्यादा उत्पादन लेने के लिये रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशियों का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। अनेक अनुसन्धानों में पाया गया है कि जैविक खेती से तैयार फसल उत्पादों में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं जो हम विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ सब की सेहत के लिये आवश्यक हैं। जैविक खेती तेजी से बढ़ता सेक्टर है। जैविक खेती उन क्षेत्रों के लिये सही विकल्प है, जहाँ कृषि रसायनों के प्रभाव से उपजाऊ जमीनें बंजर होती जा रही हैं।

आजकल शहरों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे ऑर्गेनिक अनाज, दालें मसाले, सब्जियाँ व फल जैविक खेती की सम्भावनाओं को और बढ़ावा दिला रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिये नाबार्ड सहित कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान कार्यरत हैं। सरकार पूर्वोत्तर राज्यों को जैविक खेती का केन्द्र बनाने पर जोर दे रही है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सिक्किम देश का पहला राज्य है, जहाँ पूर्णतया जैविक खेती की जा रही है।

सिक्किम फूलों की धरती के नाम से भी जाना जाता है। लगभग 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले इस राज्य को राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देश के अनुसार प्रमाणित जैविक खेती में परिवर्तित कर दिया गया है। इस प्रकार यह पूर्णतः ताजा जैविक उत्पादन कर सकता है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये हाल ही में सिक्किम के गंगटोक शहर में राष्ट्रीय जैविक खेती अनुसन्धान संस्थान की स्थापना की गई है।

जैविक खेती से तात्पर्य

जैविक खेती से तात्पर्य फसल उत्पादन की उस पद्धति से है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशियों, व्याधिनाशियों, शाकनाशियों, पादप वृद्धि नियामकों और पशुओं के भोजन में किसी भी रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि उचित फसल चक्र, फसल अवशेष, पशुओं का गोबर व मलमूत्र, फसल चक्र में दलहनी फसलों का समावेश, हरी खाद और अन्य जैविक तरीकों द्वारा भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखकर पौधों को पोषक तत्वों की प्राप्ति कराना एवं जैविक विधियों द्वारा कीट-पतंगों और खरपतवारों का नियंत्रण किया जाता है।

जैविक खेती एक पर्यावरण अनुकूल कृषि प्रणाली है। इसमें खाद्यान्नों, फलों और सब्जियों की पैदावार के दौरान उनका आकार बढ़ाने या वक्त से पहले पकाने के लिये किसी प्रकार के रसायन या पादप नियामकों का विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ प्रयोग भी नहीं किया जाता है। जैविक खेती का उद्देश्य रसायनमुक्त उत्पादों और लाभकारी जैविक सामग्री का प्रयोग करके मृदा स्वास्थ्य में सुधार और फसल उत्पादन को बढ़ावा देना है। इससे उच्च गुणवत्ता वाली फसलों के उत्पादन के लिये मृदा को स्वस्थ और पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त बनाया जा सकता है।

मृदा के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों पर जैविक खेती व परम्परागत खेती का प्रभाव

मणिपाल अस्पताल पूर्व में कोलंबिया एशिया, गाजियाबाद

कोलंबिया एशिया अस्पताल, गाजियाबाद

मणिपाल अस्पताल में शीर्ष डॉक्टर पूर्व में कोलंबिया एशिया, गाजियाबाद

डॉ। नीरा भान

डॉ। नीरा भान

स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, 27 साल का अनुभव

डॉ। नीरज अग्रवाल

डॉ। नीरज अग्रवाल

न्यूरोलॉजिस्ट, 19 साल का अनुभव

डॉ. विपिन सहगल

डॉ. विपिन सहगल

कॉस्मेटिक सर्जन , 26 साल का अनुभव

डॉ. अतुल गुप्ता

डॉ. अतुल गुप्ता

न्यूरोसर्जन , 24 साल का अनुभव

डॉ. विनीता दिवाकरी

डॉ. विनीता दिवाकरी

स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, 28 साल का अनुभव

डॉ. रंजना बेकन

डॉ. रंजना बेकन

स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, 19 साल का अनुभव

डॉ। अनुज जैन

डॉ। अनुज जैन

कॉस्मेटिक सर्जन , 20 साल विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ का अनुभव

डॉ अनुज कुमार गोयल

डॉ अनुज कुमार गोयल

ईएनटी सर्जन , 10 साल का अनुभव

डॉ मनीष काकी

डॉ मनीष काकी

मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, 10 साल का अनुभव

डॉ। भूपेंद्र सिंह

डॉ। भूपेंद्र सिंह

इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, 10 साल का अनुभव

इंफ्रास्ट्रक्चर

  • अस्पताल 24*7 एम्बुलेंस सेवाएं प्रदान करता है, इसमें एक फार्मेसी, ब्लड बैंक, आरामदायक स्वागत क्षेत्र, एटीएम और कैफेटेरिया है।
  • अस्पताल में आने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए वाईफाई की सुविधा उपलब्ध है।
  • आसपास साफ-सुथरा और सेनेटाइज किया गया है।

हवाई अड्डे

रेलवे स्टेशन

निकटतम मेट्रो

सुविधाएं

रहने के दौरान आराम


  • कमरे में टी.वी.
  • प्राइवेट कमरे
  • मुक्त वाईफ़ाई
  • कमरे में फोन
  • सुलभ कमरे
  • पारिवारिक आवास
  • लॉन्ड्री
  • स्वागत
  • कमरे में सुरक्षित
  • नर्सरी / नानी सेवाएं
  • ड्राई क्लीनिंग
  • व्यक्तिगत सहायता / द्वारपाल
  • धार्मिक सुविधाएँ
  • Fitness
  • स्पा और वेलनेस
  • कैफ़े
  • व्यापार केंद्र सेवाएं
  • ख़रीदे
  • समर्पित धूम्रपान क्षेत्र
  • ब्यूटी सैलून
  • समूह के लिए विशेष प्रस्ताव रहता है
  • पार्किंग उपलब्ध है

मनी मैटर्स

  • स्वास्थ्य बीमा समन्वय
  • चिकित्सा यात्रा बीमा
  • विदेशी मुद्रा विनिमय
  • एटीएम
  • क्रेडिट कार्ड
  • डेबिट कार्ड
  • नेटबैंकिंग
  • आहार अनुरोध पर
  • भोजनालय
  • अंतरराष्ट्रीय व्यंजन
  • स्व पाक कला

उपचार संबंधी

  • मेडिकल रिकॉर्ड ट्रांसफर
  • ऑनलाइन चिकित्सक परामर्श
  • पुनर्वास
  • फार्मेसी
  • दस्तावेज़ वैधीकरण
  • पोस्ट ऑपरेटिव फॉलोअप
  • दुभाषिया
  • अनुवाद सेवाएं

परिवहन

  • हवाई अड्डे से सवारी लेना
  • स्थानीय पर्यटन विकल्प
  • स्थानीय परिवहन बुकिंग
  • वीजा / यात्रा कार्यालय
  • कार का किराया
  • निजी ड्राइवर / कार सेवाएं
  • खरीदारी यात्रा संगठन
  • एयर एम्बुलेंस

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PM Modi शनिवार को रखेंगे Ganga Expressway की आधारशिला, उत्तर प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी भाग को जोड़ेगा एक्सप्रेसवे

PM Modi Shahjahanpur Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास करेंगे. 594 किलोमीटर लंबे छह लेन वाले इस एक्सप्रेस वे को 36,200 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा.

PM Modi Shahjahanpur Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ PMO) ने एक बयान में कहा कि 594 किलोमीटर लंबा छह लेन एक्सप्रेवे 36,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा.

पीएमओ कार्यालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शाहजहांपुर में 18 दिसंबर की दोपहर करीब 1 बजे एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखेंगे.

इन क्षेत्रों से गुजरेगी एक्सप्रेस-वे

PMO ने कहा कि Ganga Expressway के पीछे की प्रेरणा देश भर में तेज गति से कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री का विजन है. मेरठ के बिजौली गांव के पास से शुरू होकर यह एक्सप्रेस-ने प्रयागराज के जुदापुर दांडू गांव तक जाएगा.

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बनेगा यूपी का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे

PMO ने कहा कि एकबार पूरा होने पर, यह Ganga Expressway उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ने वाला राज्य का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बन जाएगा. यह एक्सप्रे-वे मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से होकर गुजरेगी.

शाहजहांपुर में बनेगी हवाई पट्टी

शाहजहांपुर में Ganga Expressway पर वायुसेना के विमानों को उतारने के लिए 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी. एक्सप्रेस-वे के साथ एक औद्योगिक गलियारा भी बनाने का प्रस्ताव है.

बयान में कहा गया है कि एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि टूरिज्म आदि कई क्षेत्रों को बढ़ावा देगा. इससे क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास को बड़ा बढ़ावा देगा.

अमेरिका ने भारत को मुद्रा निगरानी सूची से हटाया

अमेरिका ने शुक्रवार को भारत समेत चार अन्य देशों को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस (संसद) को सौंपी अपनी विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत, इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को सूची से हटा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, वे लगातार दो बार तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर पाए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने इस साल जून में अपने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष के कारण भारत को करेंसी मैनिपुलेटर की निगरानी सूची में रखा था। महामारी की शुरुआत के बाद से यह तीसरी बार था जब भारत सूची में आया था।

क्या है मुद्रा निगरानी सूची?

भारत पिछले दो साल से अमेरिकी मुद्रा निगरानी सूची में था। अमेरिका अपने प्रमुख भागीदारों की मुद्रा पर निगरानी के लिए यह लिस्ट तैयार करता है। इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है।

भारत यात्रा पर हैं अमेरिकी वित्त मंत्री

बता दें कि अमेरिका ने भारत को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से ऐसे समय में हटाया है जब उसकी वित्त मंत्री भारत के दौरे पर हैं। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने अपनी भारत यात्रा के साथ शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की। इसी दिन अमेरिका के वित्त विभाग ने यह कदम उठाया है।

चीन को झटका

वित्त विभाग ने संसद को अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात देश हैं जो मौजूदा निगरानी सूची में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटाया गया है उन्होंने लगातार दो रिपोर्ट में तीन में से सिर्फ एक मानदंड पूरा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहा है। इसके अलावा चीन अपनी विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के चलते वित्त विभाग की नजदीकी निगरानी में है।

जैविक खेती की ओर बढ़ता रुझान

जैविक खेती तेजी से बढ़ता सेक्टर है। जैविक खेती उन क्षेत्रों के लिये सही विकल्प है, जहाँ कृषि रसायनों के प्रभाव से उपजाऊ जमीनें बंजर होती जा रही हैं। आजकल शहरों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे ऑर्गेनिक अनाज, दालें, मसाले, सब्जियाँ व फल जैविक खेती की सम्भावनाओं को और बढ़ावा दिला रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिये नाबार्ड सहित कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान कार्यरत हैं। सरकार पूर्वोत्तर राज्यों को जैविक खेती का केन्द्र बनाने पर जोर दे रही है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सिक्किम देश का पहला राज्य है, जहाँ पूर्णतया जैविक खेती की जा रही है। सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। पिछले कई महीनों से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और कृषि वैज्ञानिक किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में जैविक खेती की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

जैविक खेती को बढ़ावा देने और कृषि रसायनों पर निर्भरता को कम करने के लिये परम्परागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई है। परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत सरकार मिट्टी की सुरक्षा और लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इसे कलस्टर आधार पर प्रत्येक 50 एकड़ पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसका लक्ष्य तीन वर्षों की अवधि में विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ 2015-16 से 2017-18 में 5 लाख एकड़ क्षेत्रफल को शामिल करते हुए 10,000 क्लस्टर्स को बढ़ावा देना है।

मृदा, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को सशक्त बनाए रखने के लिये जैविक खेती नितान्त आवश्यक है। इससे न केवल उच्च गुणवत्तायुक्त, स्वास्थ्यवर्द्धक एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि खेती में उत्पादन लागत कम करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही मृदा उर्वरता में सुधार के साथ-साथ किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। उपरोक्त के अलावा इस योजना को कार्यान्वित करने के लिये पारम्परिक संसाधनों का इस्तेमाल करके पर्यावरण अनुकूल कम लागत की प्रौद्योगिकियों को अपनाकर जैविक खेती को बढ़ावा देना है।

अधिक आय प्राप्त करने के लिये जैविक उत्पादों को बाजार के साथ जोड़ा जाएगा। जैविक खेती से तैयार फसल उत्पाद सेहत के लिये काफी उपयोगी हैं। आज के परिदृश्य में जैविक खेती का महत्त्व इसलिये भी काफी बढ़ता जा रहा है क्योंकि किसान पारम्परिक खेती से ज्यादा-से-ज्यादा उत्पादन लेने के लिये रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशियों का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। अनेक अनुसन्धानों में पाया गया है कि जैविक खेती से तैयार फसल उत्पादों में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं जो हम सब की सेहत के लिये आवश्यक हैं। जैविक खेती तेजी से बढ़ता सेक्टर है। जैविक खेती उन क्षेत्रों के लिये सही विकल्प है, जहाँ कृषि रसायनों के प्रभाव से उपजाऊ जमीनें बंजर होती जा रही हैं।

आजकल शहरों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे ऑर्गेनिक अनाज, दालें मसाले, सब्जियाँ व फल जैविक खेती की सम्भावनाओं को और बढ़ावा दिला रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिये नाबार्ड सहित कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान कार्यरत हैं। सरकार पूर्वोत्तर राज्यों को जैविक खेती का केन्द्र बनाने पर जोर दे रही है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सिक्किम देश का पहला राज्य है, जहाँ पूर्णतया जैविक खेती की जा रही है।

सिक्किम फूलों की धरती के नाम से भी जाना जाता है। लगभग 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले इस राज्य को राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देश के अनुसार प्रमाणित जैविक खेती में परिवर्तित कर दिया गया है। इस प्रकार यह पूर्णतः ताजा जैविक उत्पादन कर सकता है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये हाल ही में सिक्किम के गंगटोक शहर में राष्ट्रीय जैविक खेती अनुसन्धान संस्थान की स्थापना की गई है।

जैविक खेती से तात्पर्य

जैविक खेती से तात्पर्य फसल उत्पादन की उस पद्धति से है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशियों, व्याधिनाशियों, शाकनाशियों, पादप वृद्धि नियामकों और पशुओं के भोजन में किसी भी रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि उचित फसल चक्र, फसल अवशेष, पशुओं का विदेशी मुद्रा व्यापार हापुड़ गोबर व मलमूत्र, फसल चक्र में दलहनी फसलों का समावेश, हरी खाद और अन्य जैविक तरीकों द्वारा भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखकर पौधों को पोषक तत्वों की प्राप्ति कराना एवं जैविक विधियों द्वारा कीट-पतंगों और खरपतवारों का नियंत्रण किया जाता है।

जैविक खेती एक पर्यावरण अनुकूल कृषि प्रणाली है। इसमें खाद्यान्नों, फलों और सब्जियों की पैदावार के दौरान उनका आकार बढ़ाने या वक्त से पहले पकाने के लिये किसी प्रकार के रसायन या पादप नियामकों का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। जैविक खेती का उद्देश्य रसायनमुक्त उत्पादों और लाभकारी जैविक सामग्री का प्रयोग करके मृदा स्वास्थ्य में सुधार और फसल उत्पादन को बढ़ावा देना है। इससे उच्च गुणवत्ता वाली फसलों के उत्पादन के लिये मृदा को स्वस्थ और पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त बनाया जा सकता है।

मृदा के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों पर जैविक खेती व परम्परागत खेती का प्रभाव

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