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Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन

Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।

आर्थिक विकास के आगे की दिशा

डेली न्यूज़

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय पूंजी बाज़ारों में पी-नोट्स (P-Notes) के माध्यम से निवेश बढ़कर जुलाई, 2020 के अंत तक 63288 करोड़ रुपए हो गया है। पी-नोट्स के माध्यम से निवेश में यह लगातार चौथी मासिक वृद्धि है।

  • निवेश से संबंधित आँकड़े
    • पी-नोट्स (P-Notes) के माध्यम से जुलाई 2020 के अंत तक 63288 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। जिसके अंतर्गत इक्विटी में 52,356 करोड़ रुपए का, ऋणों में 10,429 करोड़ रुपए का, हाइब्रिड प्रतिभूतियों में 250 करोड़ रुपए का, डेरीवेटिव्स में 190 करोड़ रुपए का निवेश किया गया।

    डेरीवेटिव (Derivative) एक वित्तीय साधन है जो अंतर्निहित परिसंपत्तियों से इसका मूल्य प्राप्त करता है।

    अर्थव्यवस्था में मंदी आने के प्रमुख संकेत क्या हैं?

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    यदि किसी अर्थव्यवस्था की विकास दर या जीडीपी तिमाही-दर-तिमाही लगातार घट रही है, तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है.

    हाइलाइट्स

    • अर्थव्यवस्था के मंदी की तरफ बढ़ने पर आर्थिक गतिविधियों में चौतरफा गिरावट आती है.
    • इससे पहले आर्थिक मंदी ने साल 2007-2009 में पूरी दुनिया में तांडव मचाया था.
    • मंदी के सभी कारणों का एक-दूसरे से ताल्लुक है. आर्थिक मंदी का भय लगातार घर कर रहा है.

    1. आर्थिक विकास दर का लगातार गिरना
    यदि किसी अर्थव्यवस्था की विकास दर या जीडीपी तिमाही-दर-तिमाही लगातार घट रही है, तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था या किसी खास क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी की दर को विकास दर कहा जाता है.

    यदि देश की विकास दर का जिक्र हो रहा हो, तो इसका मतलब देश की अर्थव्यवस्था या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ने की रफ्तार से है. जीडीपी एक निर्धारित अवधि में किसी देश में बने सभी उत्पादों और सेवाओं के मूल्य का जोड़ है.

    मेक इन इंडिया

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    भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

    'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

    आरबीआई: आर्थिक गतिविधियों में मजबूती, 12 महीने में रफ्तार पकड़ लेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

    भारतीय अर्थव्यवस्था (सांकेतिक तस्वीर)

    आरबीआई ने कहा कि भारत की कुल आर्थिक गतिविधियां बैंक ऋण में तेजी और उपभोक्ता विश्वास में सुधार आने से मजबूत बनी हुई हैं। ओमिक्रॉन के ‘एक लहर के बजाय अचानक आई बाढ़’ ही रहने की उम्मीद से भविष्य को लेकर संभावनाओं में सुधार हुआ है।

    आरबीआई के सोमवार को जारी बुलेटिन में कहा कि टीकाकरण मोर्चे पर भारत की प्रगति भी काफी तेज रही है। आपूर्ति के मोर्चे पर रबी की बुआई पिछले साल के स्तर से भी आगे निकल गई है। लेख के मुताबिक, विनिर्माण व विभिन्न सेवा क्षेत्रों के विस्तार से कुल आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हैं। कारोबारी विश्वास बढ़ने और विभिन्न उच्च तीव्रता संकेतकों में तेजी से भी स्थिति सुधरी है। हालांकि, उपभोक्ता विश्वास कोविड-पूर्व स्तर पर नहीं लौट पाया है। इसकी प्रमुख वजह व्यापार और रोजगार स्थितियों से जुड़ी अनिश्चितताएं हैं।

    विस्तार

    आरबीआई ने कहा कि भारत की कुल आर्थिक गतिविधियां बैंक ऋण में तेजी और उपभोक्ता विश्वास में सुधार आने से मजबूत बनी हुई हैं। ओमिक्रॉन के ‘एक लहर के बजाय अचानक आई बाढ़’ ही रहने की उम्मीद से भविष्य को लेकर संभावनाओं में सुधार हुआ है।

    आरबीआई के सोमवार को जारी बुलेटिन में कहा कि टीकाकरण मोर्चे पर भारत की प्रगति भी काफी तेज रही है। आपूर्ति के मोर्चे पर रबी की बुआई पिछले साल के स्तर से भी आगे निकल गई है। लेख के मुताबिक, विनिर्माण व विभिन्न सेवा क्षेत्रों के विस्तार से कुल आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हैं। कारोबारी विश्वास बढ़ने और विभिन्न उच्च तीव्रता संकेतकों में तेजी से भी स्थिति सुधरी है। हालांकि, उपभोक्ता विश्वास कोविड-पूर्व स्तर पर नहीं लौट पाया है। इसकी प्रमुख वजह व्यापार और रोजगार स्थितियों से जुड़ी अनिश्चितताएं हैं।

    महामारी और वैश्विक स्तर पर अड़चनों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 12 महीने में रफ्तार पकड़ेगी। पीडब्ल्यूसी के वार्षिक वैश्विक सीईओ सर्वे में शामिल 99 फीसदी भारतीय सीईओ का मानना है कि अगले 12 महीनों में आर्थिक वृद्धि दर में सुधार होगा। 94 फीसदी मानते हैं कि अगले एक साल में वैश्विक वृद्धि दर भी सुधरेगी। वैश्विक स्तर पर ऐसा मानने वाले 77 फीसदी सीईओ हैं।

    देश में इस साल 100 से ज्यादा हो जाएगी यूनिकॉर्न की संख्या

    भारत में इस साल Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन 50 स्टार्टअप यूनिकॉन बन सकते हैं। इससे 2022 में एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप की संख्या 100 के पार पहुंच सकती है। सलाहकार फर्म पीडब्ल्यूसी ने कहा कि करीब 50 स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनका मूल्यांकन बढ़कर अरब डॉलर से अधिक हो सकता है।

    भारत में 2021 में सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के मूल्यांकन में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली। इस दौरान यूनिकॉर्न की संख्या बढ़कर 68 हो गई। देश ने 2021 में 43 यूनिकॉर्न जोड़े। पीडब्ल्यूसी इंडिया के मुताबिक, सिर्फ अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में 10 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया गया। फर्म के पार्टनर अमित नवका ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2021 में वृद्धि स्तर के सौदे तेजी से बढ़े।

    महामारी के दौरान बैंकों और वित्तीय संस्थानों में बढ़े धोखाधड़ी के मामले

    महामारी और डिजिटल परिचालन में तेजी से बैंक और वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। ये इन घटनाओं से निपटने के लिए जूझ रहे हैं। डेलॉय इंडिया ने सोमवार को कहा कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी की घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए जिन प्रमुख कारणों की पहचान की गई है, उनमें रिमोट वर्किंग, शाखा से अलग बैंकिंग माध्यमों का बढ़ता उपयोग और फॉरेंसिक विश्लेषण साधनों की सीमित उपलब्धता शामिल है।

    सर्वे में 78 फीसदी ने आशंका जताई कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी के मामले बढ़ सकते हैं। यह सर्वे भारत में स्थित विभिन्न वित्तीय संस्थानों के 70 वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत पर आधारित है, जो जोखिम प्रबंधन, लेखा परीक्षण, संपत्ति वसूली जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें शामिल बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों में निजी, सार्वजनिक, विदेशी, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल थे।

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    भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

    'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

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