व्यापर रोक

प्रतिबंध के बावजूद रूस से कोयले का आयात बढ़ा
क्रूड ऑयल के बाद भारत अब रूस से अधिक मात्रा में सस्ता कोयला खरीद रहा है। रूस पर अमरीका सहित पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत की ओर से रूस से आयात किए जाने वाले व्यापर रोक कोयले में 6 गुना बढ़ोतरी हुई है। यूरोपीय ट्रेडर्स ने रूस से व्यापार रोक दिया है जिसका लाभ भारतीय खरीदार उठा रहे हैं। ढुलाई लागत अधिक होने के बावजूद बड़े स्तर पर रूस से कोयला खरीद रहे हैं। रूस कोयले की कीमत में भारतीय व्यापारियों को 30% तक छूट दे रहा है। भारत इस बात का जबरदस्त रूप से फायदा उठा रहा। इस समय सबसे ज्यादा कोयले का आयात रूस से ही किया जा रहा।
Published: June 20, 2022 10:18:08 pm
क्रूड ऑयल के बाद भारत अब रूस से अधिक मात्रा में सस्ता कोयला खरीद रहा है। रूस पर अमरीका सहित पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत की ओर से रूस से आयात किए जाने वाले कोयले में 6 गुना बढ़ोतरी हुई है। यूरोपीय ट्रेडर्स ने रूस से व्यापार रोक दिया है जिसका लाभ भारतीय खरीदार उठा रहे हैं। ढुलाई लागत अधिक होने के बावजूद बड़े स्तर पर रूस से कोयला खरीद रहे हैं। रूस कोयले की कीमत में भारतीय व्यापारियों को 30% तक छूट दे रहा है। भारत इस बात का जबरदस्त रूप से फायदा उठा रहा। इस समय सबसे ज्यादा कोयले का आयात रूस से ही किया जा रहा।
,Concerns about coal production in these five mines are increasing, the problem will increase in monsoon,
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले 20 दिन में 33.1 करोड़ डॉलर का कोयला और उससे संबंधित उत्पाद खरीदा है। यह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 6 गुना अधिक है। वहीं भारतीय रिफाइनरीज ने रूस से पिछले 20 दिन में 2.22 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 31 गुना अधिक है।
. ताकि देश में न हो बिजली संकट
मानसून के सीजन के दौरान भारत में कोयले की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने से बिजली संकट पैदा होने का खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए सरकार ने कोयले की सुगम आपूर्ति के लिए बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को खुद के इस्तेमाल (कैप्टिव) के लिए कोयले की रैक खरीदने का निर्देश दिया है। इससे मानसून के सीजन में बिजली उत्पादक कंपनियों को कोयले की व्यापर रोक सुगम आपूर्ति सुनिश्चित हो पाएगी और बिजली का संकट दूर हो सकेगा।
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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Anand Mani Tripathi
आनंद मणि त्रिपाठी (@aanandmani) रक्षा, राजनीति और सामरिक मामलों के पत्रकार हैं। प्रिंट, टीवी और आनलाइन में रिपोर्टिंग। नवोदय विद्यालय से शिक्षा और हरियाणा से पत्रकारिता। रेलवे, सड़क एवं परिवहन, प्रशासन, शिक्षा, विज्ञान, कृषि विभाग और मंत्रालय की रिपोर्टिंग की। 2016 में रक्षा मंत्रालय के DCC के बाद रक्षा मामलों की पत्रकारिता शुरू की। इसके बाद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या 2017,राइफलमैन औरंगजेब की हत्या 2018, जम्मू—कश्मीर में बदले 2018 में बदले राजनीतिक समीकरण, पुलवामा हमला 2019, कश्मीर से 370 में परिवर्तन, गलवान घाटी मुठभेड़ 2020 की ग्राउंड रिपोर्टिंग की। लोकसभा चुनाव 2019 में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब कवर किया। 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या मामले में आए फैसले की अयोध्या से कवर किया। 2020 में भी लददाख से नेपाल तक की यात्रा चीन के बदलते समीकरण को लेकर की। 2022 उत्तरप्रदेश चुनाव को सहारनपुर से सोनभद्र तक मोटर साइकिल के माध्यम से कवर किया।
भारत के साथ व्यापार रोक सकता है पाकिस्तान.
फिल्मों और टीवी चैनेलों के बाद पाकिस्तान अब भारत के साथ व्यापार जारी रखने या रोकने पर विचार कर सकता है.
पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार जारी रखने या रोकने पर विचार कर सकता है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी व्यापार पर नजर रखने वाली संस्था ने ऐलान किया है कि अगर दोनों देशों के बीच कायम संघर्षपूर्ण माहौल में सुधर नहीं होता है तो वह भारत के साथ अपना व्यापार फिलहाल रोक (निलंबित) कर सकता है.
पाकिस्तानी अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक, द फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (FPCCI) के अध्यक्ष अब्दुल रऊफ आलम ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान तनावपूर्ण स्थिति में भारत के साथ व्यापार बहाल रखने को लेकर किसी तरह से भी बाध्य नहीं है.
आलम ने सार्क चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री की भूमिका की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इसने उनके सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा है, सिवा ECO (इकनॉमिक कॉपरेशन ऑर्गनाइजेशन) और D-8 (डिवेलपिंग-8) देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते को बढ़ावा देने के.
गौरतलब है कि साल 1985 में पाकिस्तान और तुर्की ने मिलकर इकनॉमिक कॉपरेशन ऑर्गनाइजेशन का गठन किया. 1992 तक इसमें सात अन्य देश शामिल हो गए. ये सात देश अफगानिस्तान, अजरबैजान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं. वहीं, डिवेलपिंग 8 या D-8 देशों में पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश, मिस्त्र, इंडोनेशिया, ईरान, मलयेशिया, नाइजीरिया और तुर्की शामिल हैं.
तालिबान ने भारत के साथ आयात-निर्यात पर लगाई रोक, जानें वजह
भारत और अफगानिस्तान गहरे दोस्त रहे हैं, लेकिन तालिबान ने सत्ता पर काबिज होते ही भारत के साथ आयात और निर्यात दोनों ही बंद कर दिया है.
तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण बनाने के साथ ही भारत के साथ व्यापार रोक दिया है. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा होने के साथ ही अब उसके साथ पड़ोसी या अन्य देशों का संबंध भी बदलने लगा है. भारत और अफगानिस्तान गहरे दोस्त रहे हैं, लेकिन तालिबान ने सत्ता पर काबिज होते ही भारत के साथ आयात और निर्यात दोनों ही बंद कर दिया है.
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (एफआईईओ) के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय ने कहा कि हम अफगानिस्तान में चल रहे घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए हुए हैं. भारत के लिए आयात पाकिस्तान के ट्रांजिट मार्ग के जरिये होता है. इससे मुल्क में भारत से सामान की आवाजाही रुक गई है. उन्होंने कहा कि हम अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखे हैं. तालिबान ने पाकिस्तान के लिए जाने वाले सभी कार्गो रोक दिए हैं.
83.5 करोड़ डॉलर का सामान निर्यात
एफआईईओ के महानिदेशक डॉ. सहाय के अनुसार भारत अफगानिस्तान के बड़े व्यापार साझेदारों में से एक है. नई दिल्ली से काबुल को साल 2021 में अब तक 83.5 करोड़ डॉलर (लगभग 6262.5 करोड़ रुपये) का सामान निर्यात किया जा चुका है.
अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश
अफगानिस्तान से भारत में लगभग 51 करोड़ डॉलर (लगभग 3825 करोड़ रुपये) का सामान आयातित हो चुका है. व्यापार के अलावा भारत ने अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश भी कर रखा है. मुल्क में भारत की ओर से संचालित 400 से अधिक परियोजनाओं में तीन अरब डॉलर (लगभग 225 अरब रुपये) का निवेश होने का अनुमान है.
भारत-अफगानिस्तान में द्विपक्षीय व्यापार
एफआईईओ डीजी ने कहा कि भारत फिलहाल अफगानिस्तान को चीनी, दवाइयां, कपड़े, चाय, कॉफी, मसाले और ट्रांसमिशन टावर की सप्लाई करता है, जबकि वहां से आने वाला अधिकतर आयात ड्राईफ्रूट्स का ही है. भारत लगभग 85 प्रतिशत सूखे मेवे अफगानिस्तान से आयात करता है.
भारत से अच्छे संबंध चाहता तालिबान
आपको बता दें कि वैसे तो तालिबान ने ऐलान किया था कि वह भारत से अच्छे संबंध चाहता है, साथ ही भारत यहां पर जारी अपने सभी काम और निवेश को बिना किसी दिक्कत के पूरा कर सकता है.
कारोबार बुरी तरह बाधित
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां से भारत आने वाले ड्राई फ्रूट का कारोबार बुरी तरह बाधित हुआ है. जिस कारण भारत में सूखे मेवे के दाम में इजाफा हो गया है. वहीं, आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में इनकी कीमतें और बढ़ सकती है.
व्यापर रोक
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने का फैसला किया है, इस कार्य के लिए एक व्यापार मंत्री नामित किया है।
हालांकि इस फैसले को देश की गंभीर आर्थिक स्थिति के लिहाज से एक बड़े विकास के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसे इस्लामाबाद द्वारा एक बड़े समझौते और 5 अगस्त, 2019 के बाद भारत के खिलाफ अपने पिछले रुख से पीछे हटने के रूप में भी देखा जा रहा है।
शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में एक संघीय कैबिनेट की बैठक में, यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार को फिर से खोलने की दिशा में काम करेगा और कार्य के लिए नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के कमर जमर कैरा को व्यापार मंत्री के रूप में नियुक्त करेगा।
इसके अलावा, इसी तरह के व्यापार अधिकारियों और मंत्रियों को कम से कम 15 देशों में नामित किया जा रहा है, ताकि उनके संबंधित देशों के साथ व्यापार संबंधों और समझौतों को बढ़ाया जा सके।
भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने का निर्णय एक कठिन निर्णय है जो शहबाज शरीफ ने लिया है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मोदी सरकार द्वारा अपने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बदलने के बाद भारत के साथ व्यापार रोक दिया था।
इमरान खान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को भी डाउनग्रेड कर दिया था और इस्लामाबाद में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त को भी देश छोड़ने के लिए कहा था।
इससे पहले, भारत के साथ व्यापार को फिर से शुरू करने की उसी सिफारिश को तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली तक खारिज कर दिया था।
वर्तमान निर्णय की विश्लेषकों और बड़े पैमाने पर जनता द्वारा गंभीर आलोचना की गई है, जो शहबाज शरीफ सरकार पर पाकिस्तान के हितों से समझौता करने और कश्मीर के लोगों की आशाओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक नाजिम जेहरा ने कहा, "प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा भारत के साथ व्यापार की दिशा में उठाया गया कोई भी कदम न केवल कश्मीरियों को बेचैन करेगा, बल्कि भारतीय आधिपत्य के प्रति नरम समर्पण की शुरूआत होगी।"
इस फैसले से शहबाज शरीफ को राजनीतिक तौर पर कोई मदद मिलने की व्यापर रोक भी उम्मीद नहीं है। हालांकि, इसने निश्चित रूप से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए एक नया बिंदु दिया है, जिन्होंने शहबाज शरीफ को भारत के सामने झुकने और देश की नीति पर वापस आने के लिए नारा दिया है, 5 अगस्त, 2019 के बाद सहमत हुए।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति एक मंदी की ओर बढ़ रही है, जो कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की 6 अरब डॉलर की ऋण व्यापर रोक सुविधा के पुनरुद्धार के लिए सख्त मांगों के साथ है।
रूस की आर्थिक नाकेबंदी रंग लाई, बड़ी कंपनियों ने व्यापार बंद किया, रूबल में गिरावट जारी
पश्चिमी देशों ने रूस की आर्थिक नाकेबंदी करके उसे कड़ा संदेश भेजा है। रूस का सारा व्यापार धीरे-धीर ठप हो रहा है। वहां की मुद्रा रूबल गिर रही है। पश्चिमी देशों की बड़ी कंपनियों ने रूस से व्यापारिक नाता तोड़ लिया है।
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पश्चिमी देशों की रूस पर आर्थिक नाकेबंदी का असर दिखने लगा है। रूसी मुद्रा रूबल लगातार गिर रही है। रूस के बैंकों की गतिविधियां धीरे-धीरे ठप हो रही हैं। विश्व की तमाम बड़ी कंपननियां रूस से व्यापार बंद कर रही हैं। मंगलवार को विश्व की तमाम बड़ी कंपनियों ने रूस खेमे से बाहर निकलने के संकेत दिए हैं। इनमें बीपी और शेल जैसी नामी कंपनियां हैं जो रूस में कई अरब डॉलर का धंधा करती हैं। रूस एनर्जी संपन्न देश है। तेल कंपनियों का वहां पर बड़ा स्टेक है। यही नहीं कई बड़े बैंकों, एयरलाइंस, ऑटो निर्माताओं और अन्य ने रूस जाने वाली शिपमेंट में कटौती की है या पार्टनरशिप खत्म कर दी है। कई और कंपनियों ने कहा कि वे कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं। वॉल्ट डिज़नी कंपनी की घोषणा के बाद, मंगलवार को वार्नर ब्रदर्स ने रूस में 'द बैटमैन' की रिलीज़ को रोक दिया है।
मास्टरकार्ड ने मंगलवार को कहा कि उसने रूस पर प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप कई वित्तीय संस्थानों को अपने पेमेंट नेटवर्क से बाहर कर दिया है।
कई पश्चिमी देशों ने रूस को दंडित करने के लिए रूसी विमानों के लिए अपने एयर स्पेस को बंद कर दिया है। स्विफ्ट ग्लोबल वित्तीय नेटवर्क से रूसी बैंकों को निकाल दिया गया है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार में से रूस अपने 630 बिलियन डॉलर का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। यह बहुत बड़ी चोट है।
बोस्टन में जेविन एसेट मैनेजमेंट की अध्यक्ष सोनिया कोवाल ने कहा है कि अगले कुछ दिनों में इसी तरह की घोषणाएं और बढ़ने वाली हैं। नॉर्वे भी स्विफ्ट सिस्टम से रूस को निकाले जाने का समर्थन करने वाला है।
कुछ अमेरिकी निवेशक भी प्रतिबंधों को लेकर काफी एग्रेसिव हैं। कैलिफोर्निया के ट्रेजर फियोना मा ने एक बयान में कहा, हमें एक बहुत स्पष्ट प्रतिक्रिया भेजने की जरूरत है। कैलिफोर्निया रूस की आक्रामकता के समर्थन में खड़ा नहीं होगा। .
शिपर मार्सक कंपनी ने कहा वो कई विकल्पों पर विचार कर रही है। वह रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की निगरानी कर रही है और उनका पालन करने की तैयारी कर रही है। इसमें प्रमुख रूप से रूस से या रूस के लिए कार्गो बुकिंग को निलंबित करना शामिल है। कई कंपनियां शिपर मार्सक का अनुसरण करने वाली हैं।
प्रमुख ऑटो और ट्रक निर्माताओं ने रूस के निर्यात में कटौती की है, जिसमें वोल्वो और जीएम शामिल हैं, हालांकि दोनों कंपनियां रूस में एक साल में सिर्फ 12,000 वाहन बेचती हैं। फोर्ड मोटर जिसकी तीन रूसी प्लांट में 50% हिस्सेदारी है, ने कोई महत्वपूर्ण टिप्पणी नहीं की है। उसका कहना है कि उसका उद्देश्य अपने श्रमिकों को सुरक्षित रखना पहली प्राथमिकता है।
कई एक्सचेंजों ने रूस से व्यापार रोक दिया है। रूस में बड़े निवेश वाली कुछ पश्चिमी कंपनियों ने पहले ही शेयरों में गिरावट देखी है। रूस के पड़ोसी देश फिनलैंड में स्थित फिनएयर का हवाई क्षेत्र के बंद होने के बाद बिजनेस में भारी गिरावट आई है।
यूरोपीय संघ और मास्को द्वारा हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने के बाद तमाम एयरलाइंस पूर्व-पश्चिम उड़ान कॉरिडोर से फ्लाइट का नया रूट मैप बना रही हैं। व्हाइट हाउस ने रूसी उड़ानों को प्रतिबंधित करने पर कोई निर्णय नहीं लिया है, हालांकि व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ऐसी कई उड़ानें हैं जो अमेरिकी एयरलाइंस एशिया और अन्य हिस्सों में जाने के लिए रूस से उड़ान भरती हैं। हम कई तरह से विचार करना होगा।