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स्टॉप लॉस क्या होता है

स्टॉप लॉस क्या होता है

स्टॉप लॉस क्या होता है

स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे हैं जितना की आप सह सकते है।

दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:

1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस

2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस

केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा

केस 2 > अगर आप ने सेल पोजीशन लिया है तो, आप बाय SL प्लेस करना होगा

केस 1 में, अगर आपके पास Rs 100/- में बाय का पोजीशन है और आप स्टॉप लॉस Rs 95/- में प्लेस करना चाहते है

a. SL-M आर्डर टाइप - आपको सेल आर्डर SL-M प्लेस करना होगा, जिसमें ट्रिगर प्राइस 95 होगा और जब प्राइस 95 पर ट्रिगर होगा तो , सेल मार्किट आर्डर एक्सचेंज को जायेगा और आपका पोजीशन मार्किट प्राइस पर क्लोज हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको सेल SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≥ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 95 और प्राइस = 94.90 होगा। जब प्राइस 95 पर ट्रिगर करता है, तब सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 94.90 से उपर उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 96 या 94.95 पर ही पूरा होगा और 94.90 से नीचे नहीं होगा।

इस तरह के आर्डर का नुकसान भी है, अगर मान लीजिए मार्किट बहुत जल्दी से गिरने लगता है जब तक 95 ट्रिगर हो और इससे पहले की 94.90 सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को मिले, स्टॉक प्राइस पहले ही 94.90 से नीचे गिर चूका हो, तब स्टॉप-लॉस आर्डर आप का क्लोज नहीं होगा। आपका स्टॉप लॉस आर्डर खुला ही रहेगा और आपका नुकसान बहुत ही बढ़ सकता है।

आपको खुद ही तय करना होगा की SL or SL-M का इस्तेमाल करें मार्किट को दिमाग में रख कर तय करना होगा।

केस 2 में, आप के पास सेल पोजीशन है 100 पर है, आप SL 105 में प्लेस करना चाहते है,

a. SL-M आर्डर टाइप - आप को बय SL-M आर्डर प्लेस करना होगा ट्रिगर प्राइस = 105 यहाँ जब प्राइस 105 ट्रिगर करेगा तब स्टॉप लॉस क्या होता है बय मार्किट आर्डर एक्सचेंज को मिलेगा और आपका पोजीशन स्क्वायर ऑफ मार्किट प्राइस पर हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको बय SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≤ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 105 और प्राइस = 105.10 होगा। जब प्राइस 105 पर ट्रिगर करता है, तब बय लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 105.10 से नीचे उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 105.05 या 105 पर ही पूरा होगा और 105.10 से ऊपर नहीं होगा।

SL आर्डर का दूसरा अल्टरनेटिव इस्तेमाल:

जैसे की सेल SL आर्डर बय प्राइस के नीचे के लिए इस्तेमाल होता और बय SL आर्डर सेल प्राइस के ऊपर , तो आप यह आर्डर टाइप्स को लास्ट ट्रेडेड प्राइस (LTP) के ऊपर या लास्ट ट्रेडेड प्राइस के नीचे इस्तेमाल कर सकते है।

1. LTP के अपर बय करने के लिए आप बय SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको बय करना है।

2. LTP के नीचे सेल करने के लिए आप सेल SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको सेल करना है।

Kite का टुटोरिअल जो स्टॉप लॉस आर्डर पर है उसकी जानकारी के लिए है यहाँ क्लिक करें और Kite यूजर मैन्युअल के लिया यहाँ क्लिक करें

क्या है Stop Loss और Target Price?

शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.

A man walks out of the Bombay Stock Exchange (BSE) building in Mumbai

Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें

इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.

मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने की सलाह दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.

स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह स्टॉप लॉस क्या होता है मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.

किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते स्टॉप लॉस क्या होता है स्टॉप लॉस क्या होता है हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.

क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.

स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.

आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.

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Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें - Stop loss in trading

Stock market हमेशा वही करता है जो वह करना चाहता है, स्टॉक मार्केट उधर ही घूमता है, जिधर वह घूमना चाहता है इसलिए ना चाहते हुए भी लोग अक्सर गलत पोजीशन में फंस जाते हैं तथा उनका बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है, इसी नुकसान को कम करने के लिए stop loss लगाया जाता है। आज की आर्टिकल इसी बारे में है। Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें ?

Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें ?


स्टॉप लॉस को ट्रेड मैनेजमेंट टेक्नीक भी कहा जाता है। स्टॉप लॉस सेटिंग का पहला रूल ये है कि यदि आपका स्टॉप लॉस हिट होता है तो इसका मतलब आपका ट्रेडिंग आईडिया गलत है। आपको अपनी ट्रेडिंग पोजीशन बंद कर देनी चाहिए। ट्रेडिंग का पहला नियम यह है कि हर बार stop loss लगाना चाहिए । यदि कभी स्टॉप लॉस लगाने का मन नहीं है तो उस दिन ट्रेडिंग ना ही करें तो ही अच्छा है।


स्टॉप लॉस लगाने के वैसे तो अनेक तरीके होते हैं, लेकिन यहां हम stop loss के चार प्रकार के बारे में जानकारी दे रहे हैं-

प्रतिशत पर आधारित stop loss


परसेंट के आधार पर लगने वाला स्टॉप लॉस पूर्वानुमान से लगाया जाता। जिसमें ट्रेडर, एक ट्रेड में अपने अकाउंट का दो प्रतिशत तक जोखिम उठाते हैं। जो बहुत ज्यादा महत्वाकाक्षी ट्रेडर होते वह दस प्रतिशत तक का जोखिम उठाते हैं. लेकिन ऐसा करना नहीं चाहिए क्योंकि इससे एक-दो ट्रेड में ही आपके अकाउंट की पूरी राशि ख़त्म हो सकती हैं।

Stop loss लगाने से पहले आपको अपने आप से ये पूछना चाहिए हम सभवतः कहाँ पर स्टॉप लॉस लगा सकते हैं। यदि आपका ट्रेड गलत साबित होता है तो आपको अपने आप से यह भी पूछना कि आप कहाँ गलत थे। क्रिप्टो करेंसी क्या है? क्रिप्टोकरेंसी से पैसे कैसे कमायें?

प्राइस Volatility पर आधारित stop loss

प्राइस वोलैटिलिटी बेस्ड स्टॉप लॉस का अर्थ है, स्टॉक्स की कीमत में उतार-चढ़ाव, ज्यादा वोलैटिलिटी की वजह से ट्रेडिंग करने में बहुुत ज्यादा जोखिम होता है। एक्टिव ट्रेडर्स इसलिए सरवाइव कर पाते हैं क्योंकि वह initial stop loss यूज करते हैं।अपने प्रॉफिट को लॉक करने के लिए trailing stop loss भी लगाते हैं।

प्राइस वोलैटिलिटी बेस स्टॉप लॉस लगाने स्टॉप लॉस क्या होता है के लिए Volatility stop indicator tool का उपयोग करके स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।

इस तरह VOLATILITY STOP का यूज करके ट्रेडिंग के दौरान stop loss लगा सकते हैं। इसमें डाउनट्रेंड के लिए प्राइस बार के ऊपर लाल डॉट्स बनी होती है तथा प्राइस बार के नीचे हरी डॉट्स अपट्रेंड के लिए बनी होती हैँ। लाल तथा हरे रंग डॉट्सके आधार पर स्टॉप लॉस लगाया जाता है।

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस पर आधारित stop loss

स्टॉप लॉस चार्ट के आधार पर भी लगाया जा सकता है। चार्ट पर प्राइस एक्शन पर गौर करने पर आप देखेगें कि प्राइस एक निश्चित लेवल के ऊपर तथा नीचे नहीं जा पाते। इस लेवल को सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल कहते हैं। प्राइस निश्चित support & resistance level को बार-बार रीटेस्ट करते है तथा पोटेंशियली होल्ड करते हैं।

आपको इन्हीं S&R के पीछे stop loss लगाना चाहिए। यानि आप किसी शेयर को long (खरीदना) रहे हैं तो हमे उसके सपोर्ट एरिया के नीचे स्टॉप लॉस लगाना चाहिए तथा यदि हम sell (short sell) कर रहें हैं तो स्टॉप लॉस resistance area के ऊपर लगाना चाहिए। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्या हैं, इन्हें चार्ट पर कैसे यूज़ करें?

Stop loss based on support and resistance level

टाइम लिमिट पर आधारित स्टॉप लॉस

टाइम लिमिट पर आधारित stop loss को तब लगाया जाता है। जब ट्रेड को पूर्वनिर्धारित समय तक होल्ड किया जाता है जैसे- इंट्राडे, एक सप्ताह इत्यादि। उदाहरण स्वरू- जैसे कि आप एक इंट्राडे ट्रेडर हैं तथा आपने एक लॉन्ग ट्रेड लिया हुआ है। लेकिन उसमे ना तो टार्गेट अचीवे हो रहा है और ना ही stop loss हिट हो रहा है।

अब आपको यह लग रहा है कि इस ट्रेड में पैसे को क्यों लॉक रखा जाय। इसी पैसे का हम दूसरी जगह उपयोग कर सकते हैं। तो आप उस ट्रेड को बंद कर देते हैं। इसका दूसरा उदाहरण- जैसे कि कोई swing trader है तथा वह फ्राइडे को अपनी पोजीशन को बंद कर देता है। क्योंकि वो weekend event risk से बचना चाहता है तब वह टाइम लिमिट बेस्ड stop loss लगाया जाता है।

Stop Loss लगाते वक्त होने वाली गलतियाँ :

स्टॉप लॉस लगाते वक्त निम्नलिखित गलतियों से बचना चाहिए-
1.स्टॉप लॉस टाइट होना चाहिए लेकिन इतना भी टाइट नहीं होना कि सामान्य सी वोलेटिलिटी के कारण ही टूट जाय। जैसे किसी शेयर का प्राइस 150 रूपये है और आपने 149.90 पर स्टॉप लॉस लगाया है। किसी भी स्टॉक का प्राइस निश्चित दिशा में घूमने पहले एंट्री पॉइंट के आस-पास (ऊपर-नीचे) घूमता है। उसके बाद उसे जिस दिशा होता है, उस दिशा में घूमता है। बिग बुल हर्षद मेहता ने शेयर मार्केट स्कैम 1992 कैसे किया?
2. Position size के आधार पर stop loss लगाना अच्छा नहीं माना, मार्केट की मूवमेंट के आधार पर स्टॉप लॉस लगाना अच्छा माना जाता है। वैसे हमे अपनी पोजीशन को भी नहीं भूलना चाहिए। हमे अपनी पोजीशन को केलकुलेट करने से पहले स्टॉप लॉस सेट कर लेना चाहिए।

यदि आप शेयर मार्केट में नुकसान नहीं उठाना चाहते तो आपको बेंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित बुक 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक (हिंदी) को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए। इस बुक को शेयर मार्केट की बाइबिल भी कहा जाता है। The intelligent investors book को आप इस लिंक https://amzn.to/3H6q0Dj पर क्लिक करके बहुत आसानी से खरीद सकते हैं।

3. कुछ ट्रेडर ये गलती करते हैं कि वो स्टॉप लॉस ज्यादा दूर लगाते हैं। जिससे उनको स्टॉप लॉस हिट होने पर नुकसान ज्यादा होता है तथा टार्गेट अचीव होने पर मुनाफा कम होता है। हमे अपनी पैसे का यूज़ प्रॉफिट कमाने के लिए करना चाहिए तथा नुकसान से बचने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।

Stop Loss लगाते वक्त ध्यान देने योग्य बातें

स्टॉप लॉस हमेशा टेक्निकल एनालिसिस को समझ कर ही लगाना चाहिए। Stock Analysis kya hai tatha Stock Analysis kaise kren in Hindi यदि आप कोई ट्रेड लॉन्ग करते हैं तो आपको सपोर्ट लेवल के ऊपर पोजीशन लेनी चाहिए तथा stop loss सपोर्ट लेवल के नीचे लगाना चाहिए।

इसी तरह यदि आप शॉर्ट ( short sell ) का ट्रेड करते हैं तो आपको रेजिस्टेंस लेवल के नीचे ट्रेड में एंट्री करनी चाहिए तथा स्टॉप लॉस रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर लगाना चाहिए।जितना स्टॉप लगाना जरूरी है, उतना ही Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें - Stop loss in trading भी जरूरी है।
यदि आपके S & R level टूट जाते हैं तो आपको यह मान लेना चाहिए कि आपका ट्रेड आइडिया गलत था। ट्रेड करते वक्त आपको और ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए। कभी भी ट्रेड के साथ इमोशनली अटैच नहीं होना चाहिए।
Stop loss दो तरह से लगाए जाते हैं, पहला ऑटोमेटिक स्टॉप लॉस दूसरा मेंटल स्टॉप लॉस। आटोमेटिक स्टॉप लॉस तो अपने आप कट जाता है, लेकिन मेन्टल स्टॉप लॉस के साथ ऐसा नहीं है। इसलिए इसके लिए आपको खुद की भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए तथा स्टॉप लॉस लगाने के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए।

यदि आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं जिससे आप अपने शेयर ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के निर्णय खुद सकें, तो आप निम्नलिखित बुक्स पढ़ सकते हैं। आप नीचे दिए गए किताबों के चित्र पर Shop now पर क्लिक करके बहुत आसानी से इन किताबों को खरीदकर पढ़ सकते हैं।


यदि आप अपने ट्रेड में प्रॉफिट में चल रहे है तो आपको अपने स्टॉप लॉस को भी ऊपर कर लेना चाहिए जिससे आपका प्रॉफिट लॉक हो जाये तथा रिस्क भी कम हो जाय। इसे trailing your stop loss कहते हैं।
उम्मीद है, अब आप Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें- Stop loss in trading के बारे अच्छे समझ गए होंगे। आज की प्रेरणादायी पोस्ट आपको जरूरपसंद आयी होगी, ऐसी ही प्रेरणादायी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिये। आप मुझे facebookऔर Instagram पर भी जॉइन कर सकते हैं। इस पोस्ट से सम्बन्धित कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर भेजें तथा यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
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ऑर्डर बुक और बाजार की गहराई को समझना

एक ऑर्डर बुक मूल्य स्तर द्वारा व्यवस्थित एक विशिष्ट असेट के लिए ऑर्डर खरीदने और बेचने की इलेक्ट्रॉनिक सूची है। ऑर्डर बुक के माध्यम से खरीदारों और विक्रेताओं के हितों का प्रतिनिधित्व किया जाता है। एक ऑर्डर बुक रीयल टाइम में किसी विशिष्ट असेट के लिए बकाया ऑर्डर की सूची को दर्शाते हुए खरीदारों और विक्रेताओं के बीच गतिशील संबंध को दर्शाती है।

प्रत्येक मूल्य बिंदु पर बोली लगाने या पेश किए जाने वाले ऑर्डरों की मात्रा, जिसे बाजार की गहराई के रूप में भी जाना जाता है, एक ऑर्डर बुक में सूचीबद्ध होती है। वे महत्वपूर्ण व्यापारिक जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे बाजार में पारदर्शिता बढ़ती है। ऑर्डर बुक की गहनता और तरलता मूल्य की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ऑर्डर बुक कैसे काम करता है?

लगभग हर विनिमय विभिन्न असेट स्टॉप लॉस क्या होता है जैसे कि इक्विटी, बॉन्ड, मुद्राओं और यहां तक कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) के लिए ऑर्डर करने के लिए ऑर्डर बुक का उपयोग करते हैं। खरीदने और बेचने की जानकारी स्क्रीन के ऊपर और नीचे या बाईं और दाईं ओर दिखाई दे सकती है।

ऑर्डर बुक को पूरे दिन वास्तविक समय में लगातार अपडेट किया जाता है, जिसका अर्थ है कि वे गतिशील हैं और बाजार सहभागियों के वास्तविक समय को दर्शाते हैं।

  1. खरीद ऑर्डर में खरीदार की जानकारी होती है, साथ ही सभी बोलियों सहित, वह राशि होती है जो वे खरीदना चाहते हैं।
  2. बिक्री ऑर्डर में विक्रेता की जानकारी होती है, साथ ही सभी प्रस्तावों सहित, वह राशि होती है जो वे बेचना चाहते हैं।
  3. प्रत्येक मूल्य स्तर दिए गए ऑर्डर (आकार) की मात्रा दिखाएगा जो प्रतिभागी असेट खरीदने या बेचने के इच्छुक हैं।
  4. उच्चतम बोली और न्यूनतम पूछ मूल्य पुस्तक के शीर्ष पर मिलेंगे। बायनेन्स ऑर्डर बुक बुक के शीर्ष तक बाजार के प्रत्येक पक्ष (खरीद / बिक्री) के लिए तरलता का संचयी आकार दिखाती है।

ऑर्डर बुक व्यापारियों को अधिक सूचित व्यापारिक निर्णय लेने में मदद करती है। वे ऑर्डर असंतुलन देख सकते/सकती हैं जो अल्पावधि में किसी असेट की दिशा के लिए संकेत प्रदान कर सकते हैं।

Stop Loss Order- स्टॉप-लॉस ऑर्डर

क्या होता है स्टॉप-लॉस ऑर्डर?
स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) किसी सिक्योरिटी को उस वक्त बेचने या खरीदने के लिए किसी ब्रोकर को दिया गया ऑर्डर है, जब यह एक विशेष कीमत पर पहुंच जाती है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर की रूपरेखा सिक्योरिटी में एक पोजिशन पर निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए बनाई जाती है और यह स्टॉप-लिमिट ऑर्डर से अलग होता है। जब कोई स्टॉक, स्टॉप प्राइस से नीचे चला जाता है तो ऑर्डर एक मार्केट ऑर्डर बन जाता है और यह अगली उपलब्ध कीमत पर एक्सीक्यूट होता है। उदाहरण के लिए एक ट्रेडर एक स्टॉक खरीद सकता है और इसे खरीद कीमत से 10 प्रतिशत नीचे स्टॉप-लॉस ऑर्डर पर रख सकता है। अगर स्टॉक में गिरावट आती है तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर सक्रिय हो जाएगा और स्टॉक, एक मार्केट ऑर्डर की तरह बिक जाएगा। हालांकि अधिकांश निवेशक एक लॉन्ग पोजिशन के साथ स्टॉप-लॉस ऑर्डर से जुड़ सकते हैं, यह शॉर्ट पोजिशन को भी सुरक्षित कर सकता है, जिसमें सिक्योरिटी खरीदी जाती है अगर यह निर्धारित कीमत से ऊपर ट्रेड करती है।

मुख्य बातें
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर विनिर्दिष्ट करता है कि कोई स्टॉक उस वक्त बेचा या खरीदा जाएगा, जब यह विशिष्ट कीमत पर पहुंच जाता है जिसे स्टॉप प्राइस के नाम से जाना जाता है।

- जैसे ही स्टॉप-प्राइस मिल जाता है, स्टॉप ऑर्डर मार्केट ऑर्डर बन जाता है और अगले उपलब्ध अवसर पर निष्पादित हो जाता है।

- कई मामलों में स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग उस वक्त निवेशक को नुकसान से बचाना होता है, जब सिक्योरिटी की कीमत में गिरावट आती है।

स्टॉप-लॉस ऑॅर्डर को समझना
ट्रेडर या निवेशक अपने लाभ की सुरक्षा करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करना पसंद कर सकते हैं। यह किसी ऑर्डर के निष्पादित न होने के जोखिम को हटा देता है अगर स्टॉक में गिरावट जारी रहती है क्योंकि यह मार्कट ऑर्डर बन जाता है। एक स्टॉक लिमिट ऑर्डर तब ट्रिगर होता है, जब कीमत स्टॉप प्राइस से नीचे गिर जाती है। बहरहाल, ऑर्डर के सीमित हिस्से की वैल्यू के कारण यह ऑर्डर निष्पादित नहीं भी हो सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का एक नकारात्मक पहलू तब है, अगर स्टॉक में स्टॉप प्राइस से नीचे तेजी से गिरावट आती है।

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