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मुद्राएं अलग

मुद्राएं अलग
यह मुद्रा अर्पण, स्वागत, दान, देना, दया और ईमानदारी का प्रतिनिधित्व करती है। इस मुद्रा में दायें हाथ को शरीर के साथ स्वाभाविक रूप से लटकाकर रखा जाता है, खुले हाथ की हथेली को बाहर की ओर रखते हैं और उंगलियां खुली रहती है तथा बाये हाथ को बाये घुटने पर रखा जाता है।

Anjali Mudra

शुरू करना चाहते हैं अपना बिजनेस! सरकार की इस स्कीम से मिलेगी मदद, यहां जानिए पूरा प्रोसेस

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत दिए गए लोन पर कोई तय ब्याज दर नहीं है. अलग-अलग बैंकों का मुद्रा लोन के लिए अलग-अलग ब्याज दर हो सकती है.

सरकार देश में स्वरोजगार को बढ़ावा देने और छोटे कारोबार से रोजगार पैदा करने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है. अगर आप भी अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Mudra Yojana) से आपको 10 लाख रुपए तक की मदद मिलेगी. योजना के जरिए आपको लंबी अवधि में लोन चुकाने, बिना गारंटी समेत कई फायदे मिलेंगे. इस योजना की शुरुआत सरकार ने 2015 में की थी. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ कोई भी भारतीय नागरिक ले सकता है, जिसका किसी भी बैंक के साथ डिफॉल्ट रिकॉर्ड ना हो.

नौकरी गई तो कला अध्यापक संग्रह में रखीं विदेशी मुद्राएं बेचने को मजबूर

Rohtak Bureau

रोहतक ब्यूरो
Updated Sun, 21 Feb 2021 01:05 AM IST

विभिन्न देशों की मुद्राओं के संग्रह को दिखाते बिजेंद्र सिंह।

अमित भारद्वाज
हिसार। कला अध्यापक बिजेंद्र सिंह को विदेशी मुद्राओं का संग्रह करने का शौक परिवार के भरण पोषण के लिए छोड़ना पड़ा। उनके पास मुगल काल, ब्रिटिश काल की भारतीय मुद्राओं के अलावा करीब 200 देशों की मुद्राओं का संग्रह है। जिसे उन्हाेंने काफी जतन से जुटाया था, लेकिन पारिवारिक दायित्व को निभाने के लिए शहर के जनता मार्केट में खुद अपने संग्रह में रखी मुद्रा बेचने को मजबूर हैं।
बता दें कि अभी हाल ही में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर शिक्षा विभाग ने कला अध्यापकों को हटा दिया। ढाणी पीरावाली में तैनात कला अध्यापक बिजेंद्र सिंह का नाम भी हटाए गए शिक्षकों की सूची में है। विभाग द्वारा हटाए जाने से मुद्राएं अलग पहले पूर्व उन्होंने करीब 11 साल तक शिक्षा विभाग में नौकरी की है।
मुगल काल तक की मुद्राओं का संग्रह
बिजेंद्र सिंह के पास करीब 200 देशों की मुद्राओं का संग्रह है, जिसमें नोट व सिक्के दोनों शामिल हैं। इसके अलावा उनके पास ब्रिटिश काल, आजादी से पहले देश के अलग-अलग राज्यों की मुद्राएं, मुगल काल की मुद्राएं भी हैं। इस संग्रह को तैयार करने में उन्हें दो साल का समय लग गया।
अपने मुद्रा संग्रह की प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं बिजेंद्र
बिजेंद्र सिंह के मुताबिक करीब तीन साल पहले नेपाल घूमने गए थे। इस दौरान उन्होंने पशुपति मंदिर के दर्शन के बाद से वहां की मुद्रा खरीदी थी, तब से उन्हें अलग-अलग देशों की मुद्रा एकत्रित करने का शौक पैदा हो गया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से संपर्क कर अलग-अलग देशों की करेंसी एकत्रित करनी शुरू की। वह अपने संग्रह की स्कूल में प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं।
संग्रह में दस लाख डॉलर का नोट
बिजेंद्र सिंह द्वारा लगाई गई स्टॉल पर काफी लोग आ रहे हैं और इन मुद्राओं के बारे में जानकारी लेने के साथ-साथ खरीद भी रहे हैं। खासतौर पर भारतीय मुद्रा, जिसमें एक पैसा, दो पैसा, तीन पैसा, 10 पैसा, 20 पैसा शामिल हैं। उनके संग्रह में जिंबाब्वे का दस लाख डॉलर का नोट भी शामिल है। बिजेंद्र सिंह के अनुसार देश में आए वित्तीय संकट के दौरान वहां की सरकार ने कुछ समय के लिए इस नोट को जारी किया था।

बुद्ध की विभिन्न मुद्राएं एवं हस्त संकेत और उनके अर्थ

बुद्ध के अनुयायी, बौद्ध ध्यान या अनुष्ठान के दौरान शास्त्र के माध्यम से विशेष विचारों को पैदा करने के लिए बुद्ध की छवि को प्रतीकात्मक संकेत के रूप में इस्तेमाल करते हैं। भारतीय मूर्तिकला में, मूर्तियाँ देवत्व का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करती है, जिसका मूल और अंत धार्मिक और आध्यात्मिक मुद्राएं अलग मान्यताओं के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।

Top 10 Buddhist Mudras, Hand Gestures with meaning in Hindi

आप सभी ने बुद्ध की मूर्तियों को कई मुद्राओं के साथ देखा होगा। इन अलग-अलग मुद्राओं में मुद्राएं अलग बुद्ध की मूर्तियों को देखकर आपके मन में इन मुद्राओं का अर्थ जानने की इच्छा तो उत्पन्न होती ही होगी।

इस लेख में, हम जानेंगे बुद्ध की 10 विभिन्न मुद्राएं एवं हस्त संकेत और उनके अर्थ।

बुद्ध की 10 विभिन्न मुद्राएं एवं हस्त संकेत और उनके अर्थ

1. धर्मचक्र मुद्रा

Dharmachakra Mudra

इस मुद्रा का सर्वप्रथम प्रदर्शन ज्ञान प्राप्ति के बाद सारनाथ में बुद्ध ने अपने पहले धर्मोपदेश में किया था। इस मुद्रा में दोनों हाथों को सीने के सामने रखा जाता है तथा बायें हाथ का हिस्सा अंदर की ओर जबकि दायें हाथ का हिस्सा बाहर की ओर रखा जाता है।

2. ध्यान मुद्रा

Dhyan Mudra

भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपए का चिन्ह भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के 'र' और रोमन लिपि के अक्षर 'आर' को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।

यह चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुम्बई के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी. उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हजारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे। इस चिन्ह को डिजीटल तकनीक तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।

नौकरी गई तो कला अध्यापक संग्रह में रखीं विदेशी मुद्राएं बेचने को मजबूर

Rohtak Bureau

रोहतक ब्यूरो
Updated Sun, 21 Feb 2021 01:05 AM IST

विभिन्न देशों की मुद्राओं के संग्रह को दिखाते बिजेंद्र सिंह।

अमित भारद्वाज
हिसार। कला अध्यापक बिजेंद्र सिंह को विदेशी मुद्राओं का संग्रह करने का शौक परिवार के भरण पोषण के लिए छोड़ना पड़ा। उनके पास मुगल काल, ब्रिटिश काल की भारतीय मुद्राओं के अलावा करीब 200 देशों की मुद्राओं का संग्रह है। जिसे उन्हाेंने काफी जतन से जुटाया था, लेकिन पारिवारिक दायित्व को निभाने के लिए शहर के जनता मार्केट में खुद अपने संग्रह में रखी मुद्रा बेचने को मजबूर हैं।
बता दें कि अभी हाल ही में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर शिक्षा विभाग ने कला अध्यापकों को हटा दिया। ढाणी पीरावाली में तैनात कला अध्यापक बिजेंद्र सिंह का नाम भी हटाए गए शिक्षकों की सूची में है। विभाग द्वारा हटाए जाने से पहले पूर्व उन्होंने करीब 11 साल तक शिक्षा विभाग में नौकरी की है।
मुगल काल तक की मुद्राओं का संग्रह
बिजेंद्र सिंह के पास करीब 200 देशों की मुद्राओं का संग्रह है, जिसमें नोट व सिक्के दोनों शामिल हैं। इसके अलावा उनके पास ब्रिटिश काल, आजादी से पहले देश के अलग-अलग राज्यों की मुद्राएं, मुगल काल की मुद्राएं भी हैं। इस संग्रह को तैयार करने में उन्हें दो साल का समय लग गया।
अपने मुद्रा संग्रह की प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं बिजेंद्र
बिजेंद्र सिंह के मुताबिक करीब तीन साल पहले नेपाल घूमने गए थे। इस दौरान उन्होंने पशुपति मंदिर के दर्शन के बाद से वहां की मुद्रा खरीदी थी, तब से उन्हें अलग-अलग देशों की मुद्रा एकत्रित करने का शौक पैदा हो गया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से संपर्क कर अलग-अलग देशों की करेंसी एकत्रित करनी शुरू की। वह अपने संग्रह की स्कूल में प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं।
संग्रह में दस लाख डॉलर का नोट
बिजेंद्र सिंह द्वारा लगाई गई स्टॉल पर काफी लोग आ रहे हैं और इन मुद्राओं के बारे में जानकारी लेने के साथ-साथ खरीद भी रहे हैं। खासतौर पर भारतीय मुद्रा, जिसमें एक पैसा, दो पैसा, तीन पैसा, 10 पैसा, 20 पैसा शामिल हैं। उनके संग्रह में जिंबाब्वे का दस लाख डॉलर का नोट भी शामिल है। बिजेंद्र सिंह के अनुसार देश में आए वित्तीय संकट के दौरान वहां की सरकार ने कुछ समय के लिए इस नोट को जारी किया था।

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