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निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

Multibagger stock: एक्सपर्ट्स की इस पेनी स्टॉक में है खरीदारी की सलाह, जानिए क्या है टार्गेट और स्टॉपलॉस

IIFL Securities के अनुज गुप्ता का कहना है कि टेक्निकली इस स्टॉक में निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह बुल ट्रेंड देखने को मिल रहा है। यह अपना कंसोलिडेशन जोन तोड़कर बाहर आ चुका है और इसका चार्ट पैटर्न काफी बुलिश नजर आ रहा है।

Multibagger stock for 2022: भारतीय बाजार ने गिरावट के बीच रिटेल निवेशक बाजार में ऐसे वैल्यू पिक्स की तलाश में है जो कम निवेश में बड़ा रिटर्न दे सकें। ऐसे निवेशकों के लिए मार्केट एक्सपर्ट्स की Vikas Ecotech के शेयर में खरीदारी की सलाह है। यह एक पेनी स्टॉक है। बाजार जानकारों का कहना है कि यह स्टॉक 2022 का संभावित मल्टीबैगर स्टॉक हो सकता है। बाजार जानकारों का कहना है कि यह स्टॉक अपने ब्रेकआउट लेवल के करीब नजर आ रहा है और शॉर्ट टर्म में इसमें 11.60 रुपये का स्तर देखने को मिल सकता है।

Vikas Ecotech के शेयरों पर बात करते हुए IIFL Securities के अनुज गुप्ता का कहना है कि टेक्निकली इस स्टॉक में बुल ट्रेंड देखने को मिल रहा है। यह अपना कंसोलिडेशन जोन तोड़कर बाहर आ चुका है और इसका चार्ट पैटर्न काफी बुलिश नजर आ रहा है। वर्तमान में यह अपने कंसोलिडेशन जोन के ऊपर कंसोलिडेशन कर रहा है और शॉर्ट टर्म में 10 रुपये और उसके बाद 12 रुपये का लेवल देखने को मिल सकता है।

Money Guru: मंदी में भी मिलेगा कमाई का शानदार मौका, एक्सपर्ट्स की ये महंगाई प्रूफ प्लानिंग चमका देगी पोर्टफोलियो

Money Guru: मंदी के बीच भी निवेशकों को कमाई का मौका मिल सकता है. आइए जानते हैं ऐसे हालातों में निवेश के लिए किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

Money Guru: बढ़ती महंगाई और उसपर नियंत्रण पाने के लिए ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी से दुनिया की कई सारी अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं और नतीजतन एक ग्लोबल मंदी जैसे हालात बनते जा रहे हैं. क्योंकि मंदी का सीधा असर देश की इकोनॉमी पर पड़ता है. इससे शेयर बाजार सामात अन्य एसेट क्लास में निवेश प्रभावित होता है. ऐसे में आम निवेशकों के मन में सवाल होता है कि ऐसी स्थिति में सुरक्षा के लिहाज से कहां निवेश किया जाए. इस बारे में सही सलाह देने के लिए हमारे साथ फिनवाइज की फाउंडर प्रतिभा गिरीश और PersonalCFO.in के सीईओ सुशील जैन हैं.

मंदी में भी कमाई का मौका

भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंदी का असर कम है. देश फंडामेंटल मजबूत हैं. हम निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है क्योंकि हमारी घरेलू खपत मजबूत है.

लंबी अवधि के निवेश के विकल्प

महंगाई प्रूफ पोर्टफोलियो प्लानिंग#MoneyGuru में आज देखिए

मंदी प्रूफ पोर्टफोलियो

एक्सपर्ट्स का मानना है कि लंबी अवधि में निवेश से इन्वेसटर्स को फायदा मिलेगा. अनिश्चित बाजार में निवेश के मौके होते हैं. जैसे कि गिरावट में ज्यादा यूनिट खरीदने का फायदा मिलता है. वहीं अच्छे स्टॉक सस्ते में मिलने के अवसर बन जाते हैं.

Investment Tips: बढ़ती ब्याज दरों में कहां है कमाई का मौका? जानिए इक्विटी और डेट फंड के निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट की सलाह

Investment Tips: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाकर 5.9 फीसदी कर दिया जो तीन सालों का उच्चतम स्तर है. अभी रेपो रेट में बढ़ोतरी जारी रहने की उम्मीद है. ऐसे में इक्विटी और डेट फंड के निवेशकों को किस स्ट्रैटिजी पर आगे बढ़ना चाहिए इसके बारे में जानते हैं.

Investment Tips: आज एकबार फिर से रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है. अब रेपो रेट बढ़कर 5.90 फीसदी पर पहुंच गया जो तीन सालों का उच्चतम स्तर है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अभी महंगाई की चिंता बनी रहेगी. ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस करना जरूरी है. अगर आपका पोर्टफोलियो 7 फीसदी से ज्यादा रिटर्न नहीं दे रहा है तो नेट आधार पर आपको नुकसान हो रहा है. अभी निवेश और पोर्टफोलियो को लेकर क्या स्ट्रैटिजी होनी चाहिए इसके बारे में मिराए एसेट की सेल्स प्रमुख सुरंजना बोरठाकुर और मॉर्निंगस्टार की सीनियर ऐनालिस्ट कविता कृष्णन ने जी बिजनेस से खास बातचीत में निवेशकों को बहुमूल्य टिप्स दिए हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.

हर हाल में पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई रखें

जब आप अपना पोर्टफोलियो तैयार करते हैं तो इसे डायवर्सिफाई रखने की सलाह दी जाती है. इससे रिस्क घटता है. एक्सपर्ट ने कहा कि अपने पोर्टफोलियो में सभी एसेट क्लास को शामिल करें. इस स्ट्रैटिजी को कभी भूलना नहीं चाहिए. इस समय शेयर बाजार में हलचल है. ऐसे में इक्विटी के मुकाबले डेट एसेट स्थिर है. अगर इक्विटी में ज्यादा उथल-पुथल है और इकोनॉमी में अनिश्चितता की स्थिति बनती है तो गोल्ड की तरफ रुख करना चाहिए.

डेट फंड के निवेशकों को क्या करना चाहिए?

महंगाई चरम पर होने के कारण रेपो रेट में अभी बढ़ोतरी जारी रहेगी. एक्सपर्ट ने कहा कि इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी से डेट फंड्स पर नेगेटिव असर होता है. ऐसे में अभी डेट फंड से संभल कर रहें. अगर आपका नजरिया लंबी अवधि के निवेश का है तो डेट फंड से बचें. अगर इसमें निवेश करना ही है तो पोर्टफोलियो में लिक्विड औप अल्ट्रा शॉर्ट निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह ड्यूरेशन फंड को शामिल कर सकते हैं. अगर मीडियम टर्म के निवेशक हैं तो डायनमिक बॉन्ड फंड सही विकल्प है. इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी से बैंकिंग सेक्टर को फायदा होगा. ऐसे में बैंकिंग और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSU) बॉन्ड फंड में निवेश करने की सलाह दी गई है.

इक्विटी फंड के निवेशकों को क्या करना चाहिए?

शेयर बाजार का भविष्य अभी धुंधला है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निफ्टी इंडेक्स में 30 फीसदी तक भारी करेक्शन आ सकता है. इसका कहना है कि इंडियन बॉन्ड और इक्विटी मार्केट अपने ग्लोबल पीयर्स से अलग चल रहा है. अगर इतनी बड़ी गिरावट की आशंका जताई गई है तो निवेशकों को क्या करना चाहिए यह बड़ा सवाल है? एक्सपर्ट्स ने बातचीत में कहा कि इक्विटी में लंबी अवधि के निवेश से फायदा होगा. शेयर बाजार में म्यूचुअल फंड की मदद से निवेश करें और SIP पर फोकस होना चाहिए. SIP महंगाई को मात देने में भी कारगर है और वोलाटिलिटी से भी पोर्टफोलियो को बचाएगा.

Expalined: शेयर बाजार में क्यों हो रही गिरावट, निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

Expalined: शेयर बाजार में क्यों हो रही गिरावट, निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

Stock Markets Crashed: भारत समेत दुनियाभर के बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई है। बजट के ठीक पहले दलाल स्ट्रीट का इस मूड ने सभी को चिंता में डाल दिया है। वैसे माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी इसका सबसे बड़ा कारण है। कहा जा रहा है कि अभी कुछ और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी निवेशकों के लिए मुश्किल दौर बना रहेगा। कोरोना महामारी भी बाजार के सेंटिमेंट्स को बिगाड़ रही है। अमेरिका और रूस के बीच तनातनी भी आग में घी का काम कर रही है। यहां जानिए एक्सपर्ट्स की राय कि आगे क्या करना चाहिए। वहीं गिरावट की बड़ी बजह क्या हैं

Stock Markets Crashed: गिरावट की दो बड़ी वजह

1. महंगा होता क्रूड बिगाड़ेगा सरकार का बजटीय गणित: सरकार के बजटीय गणित पर सबसे ज्यादा परोक्ष असर महंगे होते क्रूड का पड़ेगा। वर्ष 2022 में क्रूड की कीमतें 14 प्रतिशत बढ़कर 88.17 डालर प्रति बैरल हो गई हैं। पिछले सात वर्षों में यह सबसे ज्यादा है। यह ठीक है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत नहीं बढ़ा रही हैं, लेकिन अगर क्रूड की कीमतें ऐसी ही बनी रहीं तो पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद एकमुश्त कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं। इसका व्यापक असर महंगाई पर पड़ सकता है। ऐसे में यह देखना निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह होगा कि वित्त मंत्री जनता को फिर से महंगे पेट्रोल डीजल के एक नए दौर में डालती हैं या फिर उन्हें राहत देने के लिए पेट्रोल- डीजल पर उत्पाद शुल्क में पहले ही कटौती करेंगी। केंद्र सरकार के पास एक और उपाय है कि वह राज्यों को पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए नए सिरे से बात करे और उन्हें तैयार करे। महंगे क्रूड का प्रभाव देश के चालू खाते में घाटे (निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा की कमाई व आयात पर होने वाले विदेशी मुद्रा के खर्चे का अंतर) पर भी दिखाई देगा।

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2. महंगाई का दौर लौटने की आशंका भी बड़ी वजह: शेयर बाजार की गिरावट के लिए एक दूसरी बड़ी वजह अमेरिका और दूसरी अर्थव्यवस्था में महंगाई के दौर के लौटने को माना जा रहा है। इसकी वजह से अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों को बढ़ाने का एलान होने वाला है। इसका भारत पर असर होने की बात कही जा रही है। सबसे पहले तो अमेरिकी शेयर बाजार के आकर्षक होने से विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) भारत से पैसा निकाल कर वहां निवेश करेंगे। ऐसे में देखना होगा कि एफआइआइ को पैसा निकालने से रोकने के लिए आम बजट 2022-23 में कोई कदम उठाया जाता है या नहीं। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू बांड्स पर दिखेगा।

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Stock Markets Crashed: जानिए आगे क्या करें

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार के मुताबिक, अभी निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहना होगा, क्योंकि पिछले सप्ताह अमेरिका के तकनीकी शेयरों में भारी गिरावट ने पूरी दुनिया के बाजार को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन सीमा विवाद और फेडरल बैंक की तरफ से दरों में बढ़ोतरी से इस गिरावट को और मजबूती मिली है।

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इसी तरह इक्विटी सलाहकार देवांग मेहता का कहना है कि बाजार चार-पांच दिनों से विकसित देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर सहमा हुआ है। ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरनाक नहीं होने के बावजूद इससे प्रभावित मरीजों की संख्या सोचने को मजबूर कर रही है।

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