मुख्य प्रकार के सिक्के

आरबीआइ द्वारा विज्ञापन देकर निर्देश जारी किया गया है कि भारत सरकार के द्वारा जारी सभी सिक्के वैध हैं. यह रोजमर्रा के प्रचलन में लाया जा रहा है. यदि कोई इसे लेने से मना करता है, उन पर कार्रवाई की जायेगी़
Feng Shui Tips: घर के मुख्य द्वार पर लटकाएं ये सिक्के, बढ़ जाएगी आपकी आमदनी
Feng Shui Tips: सिक्के धन का स्रोत होते है। वहीं चीन के सिक्के बाहर से गोल और अंदर से उनमें वर्गाकार छेद होता है। फेंगशुई की मानें तो घर और ऑफिस आदि के मुख्य दरवाजे पर 3, 6 या 9 सिक्कों को लाल अथव पीले रंग के रिबन से बांधकर लटकाना बहुत शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि, इन सिक्कों को घर के मुख्य दरवाजे पर ऐसे लटकाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है और वहां रहने वाले लोगों में शक्ति और सुरक्षा का एहसास बढ़ता है। तथा ऐसा घर की आर्थिक रुप से मजबूत हो जाता है। यहीं कारण हैं कि, चीनी लोग अपने घरों में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए अपने घरों को इस प्रकार सजाते हैं और अपने घर के मुख्य दरवाजे पर सिक्के लटकाना पसंद करते हैं। तथा इसी तरह सिक्के अपने कार्यालय और कार्यस्थल पर रखते हैं।
फेंगशुई की मानें तो चाइनीज सिक्के सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं और इसीलिए चरन में सिक्कों को घर के प्रवेश द्वार पर लटकाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि, इन सिक्कों को घर के दरवाजे पर टकाने से घर की दरिद्रता का नाश हो जाता है और घर में स्थायी रुप से लक्ष्मी जी निवास करने लगती हैं।
ऐतिहासिक स्रोत के रूप में सिक्के : Numismatics
चूँकि प्राचीन समय में आधुनिक बैंकिंग प्रणाली की तरह कुछ भी नहीं था, लोग मिट्टी के बर्तन और पीतल के बर्तनों में धन इकट्ठा किया करते थे और उनको बहुमूल्य चीजों के रूप में रखते थे ताकि वे जरूरत के समय उसका इस्तेमाल कर सकें।
भारत के विभिन्न हिस्सों में सिक्कों के ऐसे कई ढेर पाए गए हैं, जिनमें केवल भारतीय ही नहीं, रोमन साम्राज्य जैसे विदेशों में ढाले गए सिक्के भी थे। वे मुख्यतः कोलकाता, पटना, मुख्य प्रकार के सिक्के लखनऊ, दिल्ली, जयपुर, मुम्बई और चेन्नई के संग्रहालयों में संरक्षित हैं। कई भारतीय सिक्के नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संग्रहालयों में है।
विदित है कि लम्बे समय तक भारत पर ब्रिटेन ने शासन किया फलस्वरूप वे कई भारतीय सिक्कों को भारत से बाहर ब्रिटेन के निजी और सार्वजानिक संग्रहों और संग्रहालयों में ले जाने में सफल रहे। प्रमुख वंशों के सिक्कों की सूची तैयार की गई है और उन्हें प्रकाशित भी किया गया है।
प्राचीन भारतीय सिक्के : Ancient Indian coins
भारतीय इतिहास का पहला सिक्का आहत सिक्के या पंचमार्क सिक्का माना जाता है। इन्हें पंचमार्क (Punch marked) कहने का तात्पर्य यह था कि ये सिक्के पंच (ठप्पा) मार कर marked कर के बनाये जाते थे। ये चांदी या तांबे के बने होते थे। हालांकि कुछ सोने के मुख्य प्रकार के सिक्के पंचमार्क सिक्के भी प्रकाश में आये हैं किन्तु उनकी प्रमाणिकता संदिग्ध है।
प्राचीन सिक्के भिन्न भिन्न कालखण्ड में अलग अलग धातुओं के रहे हैं। हिन्द यवन शासकों के सिक्के अधिक मात्रा में चाँदी व तांबे के प्राप्त हुए हैं किंतु कुछ सोने के सिक्के भी मिले हैं। स्वर्ण सिक्कों को सर्वप्रथम प्रचलित करने का श्रेय ही हिन्द-यवन शासकों को जाता है।
कुषाणों के सिक्के अधिकांशतः सोने व तांबे के सिक्के भी चलाए गये थे। कुषाण काल के स्वर्ण सिक्के सबसे शुध्द थे।
वहीं अगर बात करें गुप्त शासकों की तो इन्होंने सर्वाधिक स्वर्ण सिक्के चलाये थे किन्तु मुख्य प्रकार के सिक्के पतन के काल में इनके चांदी के सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।
प्राचीन भारतीय सिक्कों की विषयवस्तु :
➠ प्राचीनतम सिक्कों में कुछ प्रतीक होते थे लेकिन बाद के सिक्के राजाओं और देवताओं के आकार-प्रकार के साथ-साथ उनके नाम और तारीखों का भी उल्लेख करते हैं। जहाँ वे पाए जाते हैं, उससे उनके संचरण के क्षेत्र का संकेत मिलता है।
इस सबने हमें कई सत्तारूढ़ राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण करने में सक्षम बना दिया है, खासकर इण्डो-यूनानियों के जो उत्तर अफगानिस्तान से भारत आए थे और यहाँ दूसरी और ई.पू. पहली शताब्दी तक शासन किया, हम उनके बारे में भी इसी आधार पर जानकारी हासिल कर पाए हैं।
➠ सिक्कों का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों मसलन दान, भुगतान और विनिमय के माध्यम के रूप में किया जाता था। ये उस वक्त के आर्थिक इतिहास के स्वरूप पर प्रकाश डालते हैं। शासकों की अनुमति से व्यापारियों एवं सुनारों के समूह द्वारा कुछ सिक्के जारी किए गए थे।
मुद्रा तथा इसके विभिन्न प्रकार (Types of money in Hindi)
नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। इस लेख के माध्यम से हम समझेंगे मुद्रा तथा इसके प्रकारों (Types of money in Hindi) के बारे में।
धन या मुद्रा किसी मुख्य प्रकार के सिक्के भी अर्थव्यवस्था का केंद्र होती है। मुद्रा का प्रयोग ऋण चुकाने अथवा अर्थव्यवस्था में विनिमय के साधन के रूप में किया जाता है, जिसके माध्यम से आप किसी भी वस्तु या मुख्य प्रकार के सिक्के सेवा को खरीद सकते हैं। मुद्रा के इतिहास की बात करें तो प्रचीन काल में वस्तुओं का प्रयोग विनिमय के साधन के रूप में किया जाता था, जिसमें किसी एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का विनिमय होता था और यह व्यवस्था बार्टर सिस्टम कहलाती थी।
मुद्रा के मुख्य प्रकार के सिक्के प्रकार (Types of money in Hindi)
प्रकारों की बात करें तो मुद्रा अनेक प्रकार की होती है जिनमे से कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं।
- वास्तविक मुद्रा
- वैधानिक मुद्रा
- साख या ऐच्छिक मुद्रा
- सांकेतिक मुद्रा
- प्रामाणिक मुद्रा
- गर्म मुद्रा
- प्लास्टिक मुद्रा
वास्तविक मुद्रा
यह मुद्रा का वह प्रकार है, जिसका प्रयोग दैनिक जीवन में लेन देन, किसी उत्पाद या सेवा की कीमत या कर्ज़ की मात्रा मुख्य प्रकार के सिक्के प्रकट करने के लिए किया जाता है। जैसे भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड इत्यादि।
वैधानिक मुद्रा
ऐसी मुद्रा, जिसे सरकार द्वारा जारी किया जाता है वैधानिक मुद्रा कहलाती है, इसे स्वीकार करना प्रत्येक व्यक्ति की बाध्यता होती है दूसरे शब्दों में कोई ऋणदाता या व्यक्ति अपने भुगतान के लिए वैधानिक मुद्रा को लेने से इंकार नहीं कर सकता। वैधानिक मुद्रा को अस्वीकार करना दंडनीय अपराध होता है। भारत में सरकार तथा केंद्रीय बैंक द्वारा जारी सभी नोट एवं सिक्के वैधानिक मुद्रा है। किसी भी देश की मुद्रा वैधानिक मुद्रा ही होती है।
Indian Currency: अगर आपके पास है यह 10 पैसे वाला सिक्का, तो मिलेंगे 1, 000 रुपये, यहां जानें - क्या है प्रक्रिया?
Updated: December 6, 2021 2:07 PM IST
Indian Currency: यदि आपके पास 1957 से 1963 के बीच जारी कोई 10 पैसे का सिक्का है तो आप उन्हें ऑनलाइन बेच सकते हैं और अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. यह ध्यान दिया मुख्य प्रकार के सिक्के जाना चाहिए कि 10 पैसे के सिक्के गणतंत्र भारत में जारी किए गए पहले सिक्के थे. दशमलव प्रणाली 1957 में शुरू की गई थी और नए पैसे को विभिन्न प्रकार के सिक्कों में देखा जा सकता है. 1963 के बाद, इस शब्द का अब और उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया गया और सिक्कों पर केवल पैसा लिखा जा रहा है.
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1957 से 1963 के बीच जारी 10 पैसे के सिक्के तांबे-निकल धातु से बनाए गए मुख्य प्रकार के सिक्के थे. इन सिक्कों का वजन 5 ग्राम और व्यास 23 मिमी था. ये सिक्के बॉम्बे, कलकत्ता और हैदराबाद में ढाले गए थे.
सिक्के के एक तरफ आप अशोक स्तंभ और भारत और भारत लिखा हुआ देख सकते हैं और दूसरी तरफ देवनागरी लिपि में 10 नए पैसे लिखे हुए हैं और सिक्के पर “रुपये का दसवां भाग” अंकित है. सिक्के के नीचे टकसाल के साथ ढलाई के वर्ष का उल्लेख है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब आप इन सिक्कों को ऑनलाइन नीलाम कर सकते हैं और अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. कुछ रिपोर्टों का दावा है कि पुराने और दुर्लभ सिक्के 1000 रुपये तक बेचे जाते हैं. ऐसी कई वेबसाइटें मुख्य प्रकार के सिक्के हैं जो लोगों को पुराने और दुर्लभ सिक्के और नोट खरीदने और बेचने की अनुमति देती हैं. आपको बस इन वेबसाइटों पर लॉग इन करना है और एक विक्रेता के रूप में खुद को पंजीकृत करना है. फिर आपको सिक्के की फोटो अपलोड करनी होगी और फिर मुख्य प्रकार के सिक्के इच्छुक खरीदार आपसे संपर्क करेगा. खरीदार के साथ बातचीत करें और फिर अपना सिक्का अच्छी कीमत पर बेचें.
सिक्के लें, वरना सजा
नवादा : अफवाह के बाद सिक्के नहीं लिये जाने के कारण आमलोगों को दिक्कत हो रही है़ फुटकर व ठेला खोमचेवालों का व्यापार ही सिक्के व खुल्ले पैसे पर निर्भर है.
कुछ लोगों द्वारा एक या दो रुपये के सिक्के लिये जाने से इनकार करने पर यह समस्या हो गयी है. लोगों की शिकायतों के बाद जिला प्रशासन सिक्के लेने से इनकार करनेवालों पर कार्रवाई करने का मन बना रहा है. बैंक व जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों के अनुसार यदि देश में जारी रुपये व सिक्के लेने से इनकार मुख्य प्रकार के सिक्के करते हैं, तो कार्रवाई की जायेगी़ कानूनी प्रावधानों के अनुसार सजा दिलायी जायेगी.
शहर व गांवों में अफवाह फैला कर कुछ लोगों द्वारा मार्केट में एक व दो रुपये के सिक्के को प्रचलन से रोकने की कोशिश हो रही है. इसका सीधा असर खरीदारी पर पड़ रहा है. दूध, सब्जी, रिक्शा भाड़ा, ठेले पर के चाट गोलगप्पे आदि के पास खुल्ला सिक्का ही लेन-देन का मुख्य आधार है. इन सिक्कों को कुछ शरारती लोगों द्वारा लेने मना किये जाने के बाद बाजार में जिस प्रकार से अफवाह का माहौल बना है, इसका असर है कि सब्जी आदि की खरीदारी के लिए लोगों को परेशानी हो रही है. छोटे दुकानदारों का कहना है कि बड़े व्यापारी सिक्के लेने से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में अगले दिन की खरीदारी कैसे हो पायेगी. छोटे दुकानदारों की इस समस्या को लेकर जिला प्रशासन सक्रिय है.