बाइनरी वैकल्पिक व्यापार की मूल बाते

फंड का सेक्टर

फंड का सेक्टर
आरबीआई का लोगो | सूरज सिंह बिष्ट, फाइल फोटो | दिप्रिंट

Money Guru: सेक्टर फंड में इन्वेस्टमेंट करने के पहले जरूर जान लें ये बातें, निवेश पर मिलेगा अच्छा रिटर्न

Money Guru: अगर आप भी किसी स्पेसिफिक सेक्टर में निवेश करना चाहते हैं, तो इसके पहले कुछ जरूरी बातों को ध्यान रखना आवश्यक होता है. आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.

Money Guru: किसी स्पेसिफिक सेक्टर में निवेश का एक्सपोजर अपने पोर्टफोलियों में चाहते हैं तो कई ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें आप म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए यह मालूम करना भी जरूरी है कि कौन सा सेक्टर अभी निवेश करने के लिए सही है. इसके साथ ही यह भी जानना जरूरी होता है कि किसी सेक्टर में निवेश करने के क्या पैमाने होते हैं. वहीं किसी सेक्टर में निवेश करने के लिए कौन सा समय सबसे सही होता है और कब एग्जिट कर लेना चाहिए. किसी भी सेक्टर में निवेश करने के पहले इन तमाम बारीकियों को जान लेना चाहिए. आपके लिए इन सभी सवालों का जवाब लेकर आए हैं ऑप्टिमा मनी के एमडी पंकज मठपाल और क्रिडेन्स वेल्थ फंड का सेक्टर एडवायजर्स के सीईओ कीर्तन शाह.

सेक्टर निवेश

  • किसी सेक्टर में निवेश करने का तरीका
  • अलग-अलग सेक्टर में निवेश करने का मौका
  • सेक्टर के अच्छा करने पर रिटर्न में फायदा
  • 80% निवेश किसी एक सेक्टर में जरूरी
  • बाकी 20% डेट या हाइब्रिड सिक्योरिटी में निवेश
  • सेक्टोरल निवेश डायवर्सिफिकेशन के लिए अच्छा

सेक्टर फंड-किनके लिए?

  • ज्यादा जोखिम लेने वाले निवेशकों के लिए
  • टैक्टिकल पोर्टफोलियो का हिस्सा बना सकते हैं
  • पहले कोर पोर्टफोलियो बनाएं,फिर सेक्टर निवेश
  • कोर पोर्टफोलियो में लार्ज,मिज,स्मॉलकैप शामिल
  • सेक्टर निवेश में सही समय पर एंट्री और एग्जिट जरूरी

किन सेक्टर में MF निवेश

  • बैंकिंग
  • इंफ्रा
  • फार्मा
  • टेकनेलॉजी
  • कंजम्पशन
  • एनर्जी

कितनी तरह की थीम?

बैंकिंग सेक्टर के लिए संकेत

  • बढ़ता क्रेडिट ग्रोथ
  • सुधरता मार्जिन
  • कैपेक्स साइकल
  • घटता NPA

बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन

सेक्टर 3साल 5साल 7साल

बैंकिंग 11.41% 9.24% 13.64%

कीर्तन के पसंदीदा फंड

SBI Banking & Financial Services
ICICI Pru. Banking & Financial Services

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए संकेत

चीन+1 पॉलिसी
PLI स्कीम
बढ़ता निर्यात

कीर्तन के पसंदीदा फंड

ICICI Pru. Manufacturing
ABSL Manufacturing
Kotak Manufacturing(Ind)

IT सेक्टर के लिए संकेत

अमेरिका,UK,युरोप में मंदी की आशंका
मार्जिन पर दबाव
एट्रिशन रेट की समस्या

Mutual Fund: ये 3 सेक्‍टर दिखाएंगे कमाल; निवेश पर मिल सकता है दमदार रिटर्न

Mutual funds growing sector: म्‍यूचुअल फंड में निवेश के लिए कुछ सेक्‍टर से जुड़े फंड्स बेहतर नजर आ रहे हैं.

Mutual funds: म्‍यूचुअल फंड में निवेश को लेकर प्‍लान कर रहे हैं, तो पहले तेजी से उभर रहे कुछ नए सेक्‍टर्स पर जरूर गौर कर लें. कोरोना महामारी के बाद से टेक्‍नोलॉजी, फॉर्मा और सर्विस सेक्‍टर में काफी तेजी से बदलाव आए हैं. बदलाव इनमें मॉडनाइजेशन के साथ-साथ डिमांड पैटर्न में भी आया है. एक्‍सपर्ट मान रहे हैं कि म्‍यूचुअल फंड में निवेश शुरू करना है, तो इन सेक्‍टर से जुड़ी सेक्‍टोरल स्‍कीम्‍स या इनसे जुड़ी कंपनियों में निवेश वाली स्‍कीम्‍स एक अच्‍छा ऑप्‍शन हो सकती है. बीते एक साल में सेक्‍टोरल म्‍यूचुअल फंड्स की परफॉर्मेंस की बात करें, तो टेक्‍नोलॉजी फंड का रिटर्न 97 फीसदी से ज्‍यादा और फॉर्मा फंड्स का रिटर्न 36 फीसदी से ज्‍यादा रहा है.

ये 3 सेक्‍टर दिखाएंगे दम!

BPN फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है कि टेक्‍नोलॉजी, फार्मा और सर्विसेज सेक्‍टर में आने वाले समय में जोरदार तेजी आ सकती है. डिमांड और कंज्‍यूमर बिहैवियर्स देखें, तो इन सेक्‍टर्स में ग्रो‍थ को लेकर आउटलुक भी बेहतर नजर आ रहा है.

निगम का कहना है कि महामारी के दौरान हमने काफी कुछ देखा और सीखा कि टेक्‍नोलॉजी कैसे अहम रोल निभा रही है. नई टेक्‍नोलॉजी के चलते लोगों को लाइफ लॉकडाउन के बावजूद सामान्‍य रूप से चलती रही. दूसरा खास सेक्‍टर फार्मा है. कोविड के बाद फार्मा सेक्‍टर बेहद ही अहम बनकर सामने आया है. आने वाले समय में भी इसका रोल और ज्‍यादा अहम रहने वाला है.

तीसरा अहम सेक्‍टर सर्विस सेक्‍टर है. कोरोना लॉकडाउन के बाद बदले हालात में सर्विस सेक्‍टर ने अपने तेजी से न केवल टेक्‍नोलॉजी लेवल पर बदला बल्कि सर्विस उपलब्‍ध कराने का तरीका भी बदला. जरूरी सामानों की ऑनलाइन डिलिवरी हो या एजुकेशन की, सभी तरह की सर्विसेज ने बदले समय में अपने तेजी से बदलाव है. आने वाले समय में इनमें और बदलाव की उम्‍मीद है.

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किन स्‍कीम्‍स में कर सकते हैं निवेश

म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम्‍स में निवेश करने जा रहे हैं, तो पोर्टफोलियो में उन स्‍कीम्‍स को शामिल किया जा सकता है, जो या तो सेक्‍टर स्‍पेशिफिक हैं या फंड हाउसेस इन सेक्‍टर्स की कंपनियों में निवेश कर रहे हैं. एक्‍सपर्ट मान रहे हैं कि टेक्‍नोलॉजी, फार्मा फंड अभी आगे और चलेंगे. सेक्‍टोरल टेक्‍नोलॉजी फंड की बात करें तो बीते एक साल में टॉप 5 स्‍कीम्‍स फंड का सेक्टर का रिटर्न 70 फीसदी से 97 फीसदी के बीच रहा है. वहीं, फार्मा फंड्स ने 31 से 36 फीसदी का रिटर्न निवेशकों को दिया है.

MF: निवेश शुरू करने का आसान फंड का सेक्टर ऑप्‍शन

निगम का कहना है कि म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने बेहद आसान है. जरूरी नहीं कि आपके पास एकमुश्‍त बड़ी रकम हो तभी आप निवेश शुरू कर सकते हैं. आज के समय में महज 100 रुपये की SIP के साथ म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम्‍स में निवेश किया जा सकता है. यहां यह बात जरूर ध्‍यान रखें कि म्‍यूचुअल फंड में निवेश पर भी जोखिम रहता है. इसलिए अपना गोल, उम्र और रिस्‍क की क्षमता देखते हुए फंड सलेक्‍ट करना चाहिए. लॉन्‍ग टर्म के नजरिए से निवेश पर हमेशा शानदार रिटर्न मिलने की उम्‍मीद रहती है.

‘अब यह प्राइवेट सेक्टर के लिए फंड का मुख्य स्रोत नहीं रहा’, अर्थव्यवस्था में बैंकों की कैसे बदल रही है भूमिका

कंपनियां तेजी से बाजार से फंड जुटाने की कोशिश कर रही हैं, जबकि बैंक पर्सनल लोन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव की वजह एनपीए संकट और हाउसहोल्ड पर भरोसा है.

आरबीआई का लोगो | सूरज सिंह बिष्ट, फाइल फोटो | दिप्रिंट

नई दिल्ली: निजी क्षेत्र के निवेश को लेकर चर्चा इस बात को लेकर भी है कि इसकी रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है क्योंकि बैंक कंपनियों को उधार नहीं दे रहे हैं. यह सच हो सकता है कि कॉरपोरेट लोन अब बैंकों के लिए एक फोकस क्षेत्र नहीं रहा हो. लेकिन डेटा बताते हैं कि कॉरपोरेट अपने फंड जुटाने के लिए बैंकों से आगे बढ़ रहे हैं. शायद यह अर्थव्यवस्था में बैंकों की बदलती भूमिका की ओर इशारा है.

दिप्रिंट के साथ साझा किए गए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के इकोनॉमिक आउटलुक डेटाबेस के डेटा से पता चला है कि 2009-10 तक, कॉरपोरेट्स के अपने निवेश के लिए जुटाए गए फंड में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की हिस्सेदारी 58.5 फीसदी तक रही थी. लेकिन 2021-22 तक यह अनुपात गिरकर 32 फीसदी पर आ गया.

CMIE एक इंडिपेंडेंट बिजनेस इन्फॉर्मेशन थिंक टैंक है.

वहीं दूसरी तरफ बॉन्ड और डिबेंचर के रूप में बाजार से जुटाए गए फंडों में कॉरपोरेट्स द्वारा जुटाई गई कुल पूंजी में हिस्सेदारी बढ़ रही है. जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है – 2009-10 में 9 फीसदी से बढ़कर 2021-22 में यह 21 फीसदी तक पहुंच गई.

आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि बैंक पर्सनल लोन कैटेगरी में अपने क्रेडिट का एक बड़ा हिस्सा दे रहे हैं. तो वहीं इंडस्ट्री में उनकी हिस्सेदारी सिकुड़ती जा रही है.

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दूसरे शब्दों में कहें तो बैंक जो कभी निजी क्षेत्र के लिए फंडिंग का एक प्रमुख स्रोत हुआ करते थे, अब उनकी भूमिका इस ओर कम होती जा रही है. इसके बजाय अब उनका ज्यादा फोकस पर्सनल लोन की तरफ है.

अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस बदलाव के कई कारण हैं. और जिस तथ्य ने इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाई वो यह है कि बैंकों ने जानबूझकर अपनी उधारी से बड़े कॉर्पोरेट लोन को दूर रखने का फैसला किया. उनका ये फैसला नॉन-परफोर्मिंग एसेट (एनपीए) संकट की प्रतिक्रिया के रूप में था, जिसका वे 2014 के बाद से सामना कर रहे हैं.

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘जब एनपीए की समस्या आई, तो 2015 में आरबीआई ने एसेट क्वालिटी रिव्यु किया था. मूल रूप से, यह इन्फ्रस्ट्रक्चर सेक्टर में बड़े ऋणों का मामला था और बैंकों के लिए अपने एनपीए को कम करने के लिए अपने व्यापार फंड का सेक्टर मॉडल को फिर से तैयार करने के लिए एक कवायद भी थी.’

उन्होंने कहा कि यह वह समय भी था जब बैंकों की ओर से कॉरपोरेट्स को बड़ी रकम उधार देने में हिचकिचाहट नजर आने लगी थी.

सबनवीस ने कहा, ‘यह एक ऐसी स्थिति थी जहां बैंकों ने जानबूझकर खुदरा ऋण देने का फैसला किया, क्योंकि वहां डिफ़ॉल्ट का जोखिम बहुत कम फंड का सेक्टर था.’

Industry is moving more towards the market to raise funds instead of banks | Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint

धन जुटाने के लिए बैंको के बजाए, बाज़ार की ओर बढ़ रहे है इंडस्ट्री | ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

हाउसहोल्ड पर ज्यादा भरोसा

दूसरा कारण यह भी रहा कि इंडस्ट्री फंड जुटाने के लिए बाजार की ओर ज्यादा बढ़ने लगा है. इसका संबंध फंड के तरीके और पब्लिक की बाजार के जरिए सीधे कॉरपोरेट्स को उधार देने की बढ़ती इच्छा है.

अर्न्स्ट एंड यंग (EY) इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा, ‘जहां तक इंडस्ट्री का सवाल है, यह लंबे समय तक के फाइनेंस पर ध्यान दे रहा है और इसलिए हाउसहोल्ड और अन्य हितधारकों से सीधे बांड जुटाने पर अपेक्षाकृत ज्यादा निर्भर है.’ वह आगे कहते हैं, ‘इसकी तुलना में वे कम समय की जरूरतों के लिए बैंकों फंड का सेक्टर पर ज्यादा निर्भर हैं. शायद इसकी वजह पब्लिक पर ज्यादा विश्वास भी है. इसका सीधा सा मतलब यह है कि वे बैंकों को मध्यस्थों के रूप में इस्तेमाल करने के बजाय बांडों की सदस्यता लेकर सीधे कॉरपोरेट्स को उधार देने को तैयार हैं.

फंड के सोर्स के रूप में बॉन्ड मार्केट में इंटरेस्ट भी बड़े कॉरपोरेट्स द्वारा संचालित होता है, जो एएए रेटेड हैं. यह उच्चतम संभव रेटिंग है, जो उन्हें अपेक्षाकृत सस्ते में बांड जारी करके फंड जुटाने की अनुमति देती है. इसलिए कंपनियां कॉरपोरेट बैंकों से उधार लेने के बजाय बांड जारी करने का विकल्प चुनती हैं.

बैंक क्रेडिट से बॉन्ड मार्केट में बदलाव कुछ ऐसा है जो आरबीआई के ध्यान में भी आया है. डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने अक्टूबर में अपने भाषण में इस घटना की ओर इशारा किया था.

राव ने कहा था, ‘हालांकि बैंक क्रेडिट, ऐतिहासिक रूप से भारत में वित्तपोषण का एक प्रमुख स्रोत रहा है. उसी दौरान बैंकों के इतर अन्य चैनलों द्वारा भी फंड जुटाया जाता रहा था, जिसका चलन पिछले एक दशक में काफी बढ़ा है. भारत में अब 10 करोड़ से अधिक डीमैट खाते हैं और फंड जुटाने के लिए प्राथमिक बाजार तक पहुंचने वाली संस्थाओं में तेजी आई है.’

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में भी काफी तेजी देखने को मिली है. कॉरपोरेट बॉन्ड जारी करने में ‘स्थिर वृद्धि’ हुई है. मार्च 2022 तक बकाया राशि 40 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई.

राव ने कहा, ‘जैसा कि हम सभी जानते हैं, कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट वित्तीय प्रणाली के भीतर रिस्क डिफ्यूजर और निवेशकों के एक बड़े समूह के बीच जोखिम का पुनर्वितरण करने का काम करता है.’

सबनवीस के मुताबिक, बदलाव का एक और कारण यह है कि बड़ी कंपनियां अपने कर्ज को कम करने के लिए महामारी के समय को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने में सक्षम रही हैं. उन्होंने कहा कि फंड का सेक्टर कई बड़े कॉरपोरेट घरानों ने अपने पिछले ऋणों का भुगतान करने के लिए कम ब्याज दरों और अपने स्वयं के उच्च मुनाफे का लाभ उठाया.

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पर्सनल लोन का महत्व

पर्सनल लोन की तरफ बढ़ती हिस्सेदारी को निर्धारित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल कम्पनीज (NBFCs) का काम करने का तरीका भी रहा है, जो खुद डेब्ट मार्किट में सक्रिय तौर पर भागीदार है.

सबनवीस ने बताया, ‘जब आप डेब्ट मार्केट की ओर देखेंगे तो पाएंगे कि वहां तकरीबन फंड का सेक्टर 70-80 फीसदी कर्ज एनबीएफसी से आ रहा है. एनबीएफसी इन फंडों को जुटाते हैं और फिर उन्हें बड़े पैमाने पर कंज्यूमर क्रेडिट सेगमेंट में उधार देते हैं.’

इसके अलावा खुद बैंकों को होने वाला फायदा और उनके बिजनेस का विस्तार भी पर्सनल लोन की तरफ आगे बढ़ने का एक कारण है.

श्रीवास्तव ने कहा, ‘जहां तक बैंकों का सवाल है, उन्हें अपनी लोन बुक को बढ़ाना जारी रखना होगा. अगर इस ओर इंडस्ट्री की हिस्सेदारी गिर रही है, तो उन्हें ज्यादा पर्सनल लोन देने की कोशिश करनी होगी ताकि उनकी कुल लोन बुक में इजाफा होता रहे.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

किसी इक्विटी फंड में निवेश करने से पहले किन जानकारियों और जोखिम मानकों पर विचार किया जाना चाहिए?

किसी इक्विटी फंड में निवेश करने से पहले किन जानकारियों और जोखिम मानकों पर विचार किया जाना चाहिए?

अपने पोर्टफोलियो के लिए इक्विटी फंड चुनने के लिए एक व्यवस्थित चुनाव प्रक्रिया की ज़रूरत होती है जिसमें दो फेज़ होते हैं। पहला फेज़ आपके बारे में है और यह आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी म्यूचुअल फंड की ज़रूरत या आपके वित्तीय गोल के साथ ही इसकी समय सीमा, इक्विटी फंड में निवेश के प्रकार और आपकी जोखिम लेने की क्षमता के असेसमेंट से शुरू होता है। एक बार जब ये तीनों चीजें तय हो जाती हैं, तो मौजूदा फंड्स में से सही फंड चुनने का अगला चरण यानी दूसरा फेज़ शुरू होता है।

इस तरह दूसरे फेज़ में ज़्यादा गुणात्मक नज़रिया अपनाकर सारे उपयुक्त फंड्स के बारे में थोड़ी जानकारी जुटाकर और अलग-अलग जोखिम मापदंडों की जांच करना शामिल है। आपको फंड का सेक्टर फंड पोर्टफोलियो, विंटेज, फंड मैनेजर्स, एक्सपेंस रेशो, इसका बेंचमार्क और समय के साथ बेंचमार्क के संदर्भ में फंड ने कैसा परफॉर्म किया है, यह जानकारी देखनी चाहिए।

जब आप पोर्टफोलियो की जांच करते हैं, तो देखें कि यह सेक्टर एलोकेशन और स्टॉक चयन के मामले में कितना विविध दिखता है। इसका अनुमान फंड के टॉप 10 सेक्टर और स्टॉक होल्डिंग से लगाया जा सकता है। जब आप विंटेज को देखते हैं, तो इससे आपको अंदाज़ा हो जाता है कि फंड ने कितने आर्थिक चक्रों का सामना किया है। बुल रन के दौरान, अधिकांश फंड अच्छा परफॉर्म करते हैं, लेकिन बुल और बियर मार्केट फेज़ के पूरे चक्र के दौरान फंड कैसा परफॉर्म करते हैं, यह पोर्टफोलियो की फ्लेक्सिबिलिटी का इंडिकेटर है। फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड फंड के विंटेज से काफी हद तक जुड़ा हुआ है। आप फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड को बेहतर ढंग से देखने के लिए उसके द्वारा मैनेज किए गए दूसरे फंडों को देख सकते हैं।

एक्स्पेंस रेशो इस बात का एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर है कि फंड को कितनी अच्छी तरह से मैनेज किया जा रहा है जो फंड के परफॉर्मेंस से अलग होता है। एक्सपेंस रेशो जितना कम होता है, निवेशक के लिए उतना ही अच्छा होता है।

आगे, स्टैन्डर्ड डीवीऐशन और बीटा जैसे इक्विटी फंड जोखिम के मुख्य इंडिकेटर को देखते हैं। पहला आपको रिटर्न में फंड की अस्थिरता या इसके रिटर्न में अपेक्षित उतार-चढ़ाव के बारे में बताता है। उच्च स्टैन्डर्ड डीवीऐशन का मतलब है कि आप फंड रिटर्न में ज़्यादा अस्थिरता की उम्मीद कर सकते हैं मतलब फंड के औसत अपेक्षित रिटर्न में दोनों तरह के (अच्छे और बुरे) उतार-चढ़ाव होने की संभावना होती है। बीटा बाजार की गतिविधियों के लिए फंड की संवेदनशीलता का इंडिकेटर है। बीटा>1 का मतलब है कि फंड का NAV बाजार की गतिविधियों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील है। इसलिए बाजार के फेज़ में तेज़ी के दौरान फंड बाजार की तुलना में ज़्यादा बढ़ेगा और बाजार में मंदी के फेज़ में बाजार की तुलना में ज़्यादा गिरेगा। बीटा = 1 का मतलब है कि फंड का NAV बाजार की गति के साथ-साथ आगे बढ़ेगा। कम जोखिम वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में आमतौर पर बीटा

अपना पोर्टफोलियो चुनने से पहले फंड्स के बारे में जानकारी जुटाने और उनकी जांच करने के लिए थोड़ा समय खुद बिताएं या किसी वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन लें।

डिफेंस सेक्टर की कंपनियों से मुनाफा कमाने का मिलेगा मौका, HDFC म्यूचुअल फंड लॉन्च करेगा देश का पहला Defence Fund

एचडीएफसी म्यूचुअल फंड का डिफेंस फंड म्यूचुअल फंड इंडस्टी में अपने तरह का पहला फंड होगा. यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है, जो रक्षा और संबद्ध क्षेत्र की कंपनियों में निवेश करेगी.

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Mar 23, 2022, 9:47 AM IST

देश के तीसरे सबसे बड़े एसेट मैनेजर एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) ने देश का पहला डिफेंस फंड (Defence Fund) लॉन्च करने के लिए के लिए अप्लाई किया है. एचडीएफसी म्यूचुअल फंड का डिफेंस फंड म्यूचुअल फंड इंडस्टी में अपने तरह का पहला फंड होगा. HDFC म्यूचुअल फंड एचडीएफसी डिफेंस फंड (HDFC Defence Fund) के लिए सेबी के पास स्कीम इन्फॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (SID) फाइल किया है. यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है, जो रक्षा और संबद्ध क्षेत्र की कंपनियों में निवेश करेगी. एचडीएफसी डिफेंस फंड एक सेक्टोरल फंड होगा. सेबी से मंजूरी मिलने के बाद एचडीएफसी म्यूचुअल फंड इस डिफेंस फंड को लॉन्च कर सकेगा.

देश के तीसरे सबसे बड़े एसेट मैनेजर एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) ने देश का पहला डिफेंस फंड (Defence Fund) लॉन्च करने के लिए के लिए अप्लाई किया है. एचडीएफसी म्यूचुअल फंड का डिफेंस फंड म्यूचुअल फंड इंडस्टी में अपने तरह का पहला फंड होगा. HDFC म्यूचुअल फंड एचडीएफसी डिफेंस फंड (HDFC Defence Fund) के लिए सेबी के पास स्कीम इन्फॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (SID) फाइल किया है. यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है, जो रक्षा और संबद्ध क्षेत्र की कंपनियों में निवेश करेगी. एचडीएफसी डिफेंस फंड एक सेक्टोरल फंड होगा. सेबी से मंजूरी मिलने के बाद एचडीएफसी म्यूचुअल फंड इस डिफेंस फंड को लॉन्च कर सकेगा.

सरकार का जोर डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर बनाने पर है. इसका बड़ा फायदा घरेलू डिफेंस कंपनियों को मिलने वाला है. अब डिफेंस सेक्टर को भुनाने के लिए म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री नए फंड पेश कर रही है. इसमें केवल डिफेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों में निवेश होगा. एलाइड सेक्टर्स में एयरोस्पेस, एक्सप्लोसिव, शिपबिल्डिंग, एसआईडीएम (सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स) सूची में मौजूद इंडस्ट्रीज/स्टॉक या रक्षा क्षेत्र से संबद्ध अन्य समान उद्योग / स्टॉक शामिल हैं.

सरकार का जोर डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर बनाने पर है. इसका बड़ा फायदा घरेलू डिफेंस कंपनियों को मिलने वाला है. अब डिफेंस सेक्टर को भुनाने के लिए म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री नए फंड पेश कर रही है. इसमें केवल डिफेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों में निवेश होगा. एलाइड सेक्टर्स में एयरोस्पेस, एक्सप्लोसिव, शिपबिल्डिंग, एसआईडीएम (सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स) सूची में मौजूद इंडस्ट्रीज/स्टॉक या रक्षा क्षेत्र से संबद्ध अन्य समान उद्योग / स्टॉक शामिल हैं.

यह स्कीम मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश करेगी और कंपनियों की पहचान करने के लिए बॉटम-अप अप्रॉच का उपयोग करेगी. इसके अलावा, डाइवर्सिफिकेशन प्राप्त करने के लिए स्कीम संपत्ति का 20 फीसदी तक रक्षा और संबद्ध क्षेत्र की कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों में भी निवेश कर सकती है. इस फंड को हाल ही में पेश किए गए निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स टीआरआई (टोटल रिटर्न इंडेक्स) के साथ बेंचमार्क किया जाएगा.

यह स्कीम मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश करेगी और कंपनियों की पहचान करने के लिए बॉटम-अप अप्रॉच का उपयोग करेगी. इसके अलावा, डाइवर्सिफिकेशन प्राप्त करने के लिए स्कीम संपत्ति का 20 फीसदी तक रक्षा और संबद्ध क्षेत्र की कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों में भी निवेश कर सकती है. इस फंड को हाल ही में पेश किए गए निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स टीआरआई (टोटल रिटर्न इंडेक्स) के साथ बेंचमार्क किया जाएगा.

वेटेज के आधार पर इंडेक्स में सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया (Solar Industries India), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (Bharat Electronics), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (Hindustan Aeronautics), बीईएमएल (BEML), एमटीएआर टेक्नोलॉजीज (MTAR Technologies), एस्ट्रा माइक्रोवेव प्रोडक्ट्स (Astra Microwave Products), भारत डायनेमिक्स (Bharat Dynamics), कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (Mazagoan Dock Shipbuilders)और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (Garden Reach Shipbuilders & Engineers) हैं. पोर्टफोलियो में औद्योगिक विनिर्माण और रसायन क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमशः 79 फीसदी और 21 फीसदी होगी.

वेटेज के आधार पर इंडेक्स में सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया (Solar Industries India), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (Bharat Electronics), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (Hindustan Aeronautics), बीईएमएल (BEML), एमटीएआर टेक्नोलॉजीज (MTAR Technologies), एस्ट्रा माइक्रोवेव प्रोडक्ट्स (Astra Microwave Products), भारत डायनेमिक्स (Bharat Dynamics), कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (Mazagoan Dock Shipbuilders)और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (Garden Reach Shipbuilders & Engineers) हैं. पोर्टफोलियो में औद्योगिक विनिर्माण और रसायन क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमशः 79 फीसदी और 21 फीसदी होगी.

फंड का प्रबंधन मुख्य रूप से अभिषेक पोद्दार द्वारा किया जाएगा. न्यू फंड ऑफर (NFO) अवधि के साथ-साथ रेग्युलरऑफर अवधि के दौरान न्यूनतम 5,000 रुपये निवेश करना होगा. बता दें कि यह योजना एक सेक्टोरल फंड है, इसलिए निवेश की कंसेंट्रेशन अधिक होने की संभावना है. निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स ने चार सालों में 25 फीसदी का रिटर्न दिया है. योजना के पोर्टफोलियो में ऐसी कंपनियां शामिल होंगी जो न केवल बेंचमार्क इंडेक्स के घटक हैं बल्कि अन्य कंपनियां भी हैं जो डिफेंस सेक्टर के अंतर्गत क्लासिफाइड या कवर्ड हैं.

फंड का प्रबंधन मुख्य रूप से अभिषेक पोद्दार द्वारा किया जाएगा. न्यू फंड ऑफर (NFO) अवधि के साथ-साथ रेग्युलरऑफर अवधि के दौरान न्यूनतम 5,000 रुपये निवेश करना होगा. बता दें कि यह योजना एक सेक्टोरल फंड है, इसलिए निवेश की कंसेंट्रेशन अधिक होने की संभावना है. निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स ने चार सालों में 25 फीसदी का रिटर्न दिया है. योजना के पोर्टफोलियो में ऐसी कंपनियां शामिल होंगी जो न केवल बेंचमार्क इंडेक्स के घटक हैं बल्कि अन्य कंपनियां भी हैं जो डिफेंस सेक्टर के अंतर्गत क्लासिफाइड या कवर्ड हैं.

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