सिक्योरिटीज मतलब क्या?

शेयर बाजार में डीमैट और ट्रेडिंग खातों में क्या होता है अंतर, यहां पर जानिए
मुंबई– शेयर बाजार में अगर आप निवेशक हैं तो आपको दो तरह के अकाउंट की जानकारी मिलती होगी। एक ट्रेडिंग अकाउंट और एक डीमैट अकाउंट। ट्रेडिंग अकाउंट मतलब जिस अकाउंट से आप शेयरों को खरीदते और बेचते हैं। डीमैट अकाउंट मतलब जिस अकाउंट में आपका शेयर या सिक्योरिटीज जमा होता है। इन दोनों के उद्देश्य अलग-अलग होते हैं। इसे दरअसल 2 इन 1 कहा जाता है।
इन दोनों में अंतर क्या है
ट्रेडिंग अकाउंट आपके शेयर बाजार के लेन देन को बताता है। जबकि डीमैट अकाउंट शेयरों को जमा करता है। मान लीजिए आपने किसी कंपनी के 100 शेयरों को 500 रुपए में खरीदने का ऑर्डर दिया। सिक्योरिटीज मतलब क्या? ऑर्डर पूरा हो जाता है। फिर आपको अगली सुबह 11 बजे तक अपने ट्रेडिंग अकाउंट को इसे प्री फंड करना होता है। यह 2 कारोबारी दिनों के बाद आपके डीमैट अकाउंट में आ जाता है।
इसी तरह जब आप कोई शेयर बेचते हैं तो ट्रेडिंग इंजन को पहले खुद को यह समझना होता है कि आपके डीमैट अकाउंट में कितने शेयर बचे हैं। आप ऑर्डर देंगे तो 1 कारोबारी दिन में आपके डीमैट खाते से शेयर बिक जाएगा। दो कारोबारी दिनों के बाद शेयर की रकम आपके खाते में आ जाएगा। यह ऑन लाइन होता है। अगर आप ऑफ लाइन करते हैं तो शेयर ब्रोकर को आपको उसी दिन डेबिट की स्लिप देनी होती है।
सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या डीमैट खाते में आने से पहले शेयर बेच सकते हैं। यानी सोमवार को खरीद कर सोमवार को ही बेच सकते हैं क्योंकि शेयर तो डीमैट में बुधवार तक आएगा। हां, यह संभव है कि आप डीमैट में शेयर आने से पहले इसे बेच सकते हैं। ब्रोकर आपको अपने डीमैट अकाउंट में आने से पहले शेयरों को बेचने की मंजूरी दे देगा। हालांकि एक जो खतरा है वह यह कि आपको 2 कारोबारी दिनों में डिलिवरी नहीं मिल सकती है। इस स्थिति में आपके शेयर निलामी में जाएंगे और आपके डीमैट खाते में 3 कारोबारी दिन में यह आएगा।
बिना ट्रेडिंग अकाउंट के डीमैट अकाउंट हो सकता है?
हां, यह भी संभव है। अगर आप आईपीओ के लिए आवेदन करते हैं तो आपको शेयर मिलने पर डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है। अगर आप इन शेयरों को केवल रखना चाहते हैं और बेचना नहीं चाहते हैं तो डीमैट अकाउंट ही इसके लिए काफी है। बेचना होगा तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट रखना होगा।
डीमैट अकाउंट एक जरूरी अकाउंट है। हालांकि अगर आप फ्यूचर एंड ऑप्शन में कारोबार करते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि फ्यूचर एंड ऑप्शन में कैश में कारोबार होता है।
शेयर बाजार में ग्रुप
शेयर बाजार में ग्रुप A, B, T और Z क्या हैं और इनका वर्गिकरण कैसे होता है। क्यों अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाता है BSE के शेयरों को। मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज के शेयरों को ट्रेडिंग के उद्देश्य से अलग अलग श्रेणियों में बांटने के क्या कारण हैं, कौन कौन सी श्रेणियां हैं और इनमें क्या अंतर हैं। आईये समझते हैं बॉम्बे शेयर बाजार में शेयरों के वर्गिकरण क्यों और कैसे किया जाता है।
शेयर बाजार में ग्रुप
शेयर बाजार में ग्रुप – वर्गिकरण का आधार
मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज में सभी शेयरों को ग्रुप A, B, T और Z में बांटा गया है। हालांकि यह वर्गिकरण ट्रेडिंग की सुविधा के लिये किया गया है मगर कौन सा शेयर किस कैटेगरी में है यह उसकी विकास क्षमता और उसके गुणों के बारे में भी बहुत कुछ कहता है। बीएसई पर कारोबार की गई सिक्योरिटीज को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
शेयर बाजार में ग्रुप
बीएसई ने निवेशकों के मार्गदर्शन और लाभ के लिए इक्विटी सेगमेंट में सिक्योरिटीज को ‘ए’, ‘बी’, ‘टी’ और ‘जेड’ समूहों में कुछ गुणात्मक और मात्रात्मक मानकों के आधार पर वर्गीकृत किया है।
ग्रुप A
शेयर मार्केट में ग्रुप ए में सबसे लोकप्रिय शेयर शामिल हैं। स्टॉक जो सक्रिय रूप से कारोबार कर रहे हैं वे A ग्रुप में आते हैं। ‘ए’ समूह में मुख्यत मार्केट कैपिटलाईजेशन, टर्नोवर और लिक्विडिटी के आधार पर टॉप 300 शेयरों को रखा जाता है। A ग्रुप के शेयर सबसे ज्यादा लिक्विड शेयर होते हें। लिक्विड शेयर का मतलब शेयर की सिक्योरिटीज मतलब क्या? तरलता से है। आसान भाषा में समझें तो ऐसे शेयरों में हमेशा खरीदार और बेचने वाले उपलब्ध रहते हें और शेयर खरीदने या बेचने में आसानी रहती है। A श्रेणी के शेयरों में तुलनात्मक रूप से ट्रेडिंग वॉल्युम (व्यापार की मात्रा) हाई रहता है। A श्रेणी के शेयरों में ट्रेड सैटलमेंट नॉर्मल ट्रेडिंग सैटलमेंट की प्रक्रिया से की जाती है। अधिकतर ब्लू चिप और FMCG शेयर इसी ग्रुप में मिलते हैं। यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।
ग्रुप T
टी समूह के तहत आने वाले शेयरों को एक्सचेंज के ट्रेड टु ट्रेड सैटलमेंट प्रणाली के रूप में माना जाता है। इस समूह में प्रत्येक ट्रेड को अलग लेनदेन के रूप में देखा जाता है और रोलिंग सिस्टम में ट्रेड की तरह कोई नेट-आउट नहीं होती है। व्यापारियों जो इस ग्रुप के शेयर खरीदने इस समूह की स्क्रिप्ट को बेचने के लिए, टी + 2 दिनों तक राशि का भुगतान करना या शेयर देना होगा। उदाहरण के लिए, आपने टी समूह के 100 शेयर खरीदे और उसी दिन 100 अन्य शेयर बेचे। फिर, आपके द्वारा खरीदे गए शेयर, आपको उन शेयरों की कीमत दो दिनों में चुकानी पड़ेगी। और आपके द्वारा बेचे गए शेयरों के लिए, आपको टी + 2 दिनों के शेयरों को डिलीवरी करना होगा, ताकि एक्सचेंज समय पर निपटान कर सके।
ग्रुप Z
जेड ग्रुप में इक्विटी स्टॉक शामिल हैं जिन्हें एक्सचेंज नियमों और विनियमों का पालन न करने के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है या निवेशक शिकायतों या ऐसे किसी कारण से लंबित है।
ग्रुप B
बी श्रेणी में ऐसे स्टॉक शामिल हैं जो उपर्युक्त इक्विटी समूहों में से किसी एक का हिस्सा नहीं बनते हैं।
इसके अतिरिक्त बीएसई में एफ समूह भी है जो ऋण बाजार खंड को दर्शाता है।
यह थी हमारी कोशिश कि आप भारतीय शेयर बाजार में प्रवेश करने से पहले शेयरों के वर्गीकरण को सीखें लें जिससे आपको पता चल जाये कि शेयर बाजार में ग्रुप किस आधार पर बनाये जाते हैं और उनका क्या महत्व है।
HDFC Demat Account: क्या आप HDFC में खोलना चाहते हैं डीमैट अकाउंट, फॉलो करें ये आसान स्टेप्स
Demat Account Online in HDFC: एचडीएफसी सिक्योरिटीज मतलब क्या? बैंक सिक्योरिटीज मतलब क्या? में अकाउंट खुलवाना बेहद आसान है, अगर आप चाहे तो ऑनलाइन अकाउंट खुलवा सकते हैं। वहीं ऑनलाइन इन स्टेप्स की मदद से आसानी एचडीएफसी डिमेट अकाउंट भी खोल सकते हैं।
- ऑनलाइन आप आसानी से एचडीएफसी बैंक में अकाउंट खोल सकते हैं।
- एचडीएफसी में डीमैट अकाउंट खोलने के लिए ये तरीके अपना सकते हैं।
- डीमैट अकाउंट में म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, शेयर आदि निवेश हो सकते हैं।
एचडीएफसी बैंक ग्राहकों को डीमैट अकाउंट सेवाएं प्रदान करता है। बता दें कि डीमैट अकाउंट एक सुरक्षित, ऑनलाइन और निर्बाध मोड है जो आपके निवेशों को स्टोर और सुरक्षित रखता है। आपके डीमैट अकाउंट में जीरो शेयर भी हो सकते हैं क्योंकि इसमें कई शेयरों पर इसकी कोई न्यूनतम आवश्यकता नहीं है। यह आपके निवेश को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में स्टोर करता है। डीमैट अकाउंट में म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, शेयर आदि निवेश हो सकते हैं।
एचडीएफसी डीमैट अकाउंट व्यापारियों के लिए बेहतर है और साथ ही इससे बहुत सारे लाभ मिलते हैं। बता दें कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग और निवेश करना चाहते हैं तो कोई उम्र के होने के बावजूद आप एचडीएफसी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। इसके लिए सिर्फ पैन कार्ड डिटेल, पहचान और पते का प्रमाण भरना होगा, इसके अलावा आपको केवाईसी फॉर्म भी भरना होगा। नाबालिग और वयस्क दोनों ही स्टॉक में निवेश कर सकते हैं। नाबालिग अपने माता-पिता के नाम से डीमैट अकाउंट खुलवा सकता है। वहीं जब तक नाबालिग 18 साल से ऊपर का नहीं हो जाता तब तक उसके माता-पिता अकाउंट के प्रभारी होंगे।
आप नेट बैंकिंग के माध्यम से या फिर ब्रांच अकाउंट में जाकर एचडीएफसी डीमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं। एचडीएफसी के ग्राहक नहीं होने पर आप बैंक के ब्रांच में जा सकते हैं और चेक बुक के साथ ऑरिजनल डॉक्यूमेंट को जमा कर सकते हैं। इस दौरान आपको बैंक में अकाउंट खोलने और केवाईसी फॉर्म भरने की भी आवश्यकता होती है। वहीं इन तरीकों के जरिए आप ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
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इन स्टेप्स के जरिए खोलें ऑनलाइन एचडीएफसी डीमैट अकाउंट
- सबसे पहले अपने क्रेडेंशियल के साथ एचडीएफसी नेट बैंकिंग में लॉगिन करें। अब ओपन डीमैट अकाउंट ऑप्शन पर क्लिक करें।
- 'ऑनलाइन आवेदन करें' ऑप्शन पर क्लिक करें, जिसके बाद फॉर्म स्क्रीन पर आ जाएगा।
- फॉर्म में जरूरी डिटेल भरें। इसके बाद ऑथोराइज्ड एचडीएफसी सिक्योरिटी रिप्रेजेंट को आपको कॉल करने के लिए चेकबॉक्स पर क्लिक करें।
- इसके बाद आपको सबमिट बटन पर क्लिक करना होगा।
- सबमिट करने के बाद, आपको एक मैसेज प्राप्त होगा। इसके साथ ही आपके दिए डिटेल को चेक करने के लिए सिक्योरिटी रिप्रेजेंट की तरफ से कॉल आएगा।
- डॉक्यूमेंट वेरिफाई करने के बाद, आपको अपने पहचान प्रमाण, निवास प्रमाण के साथ एक ईमेल भेजना होगा।
- अकाउंट खुलने के बाद आपके रजिस्टर मोबाइल नंबर पर मैसेज आ जाएगा।
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NSE और BSE क्या है?
बीएसई का मतलब है ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ और एनएसई का मतलब है ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’। हालांकि हर कोई जानता है कि ये दोनों शेयर्स और बॉन्ड्स जैसी सिक्योरिटीज से जुड़े हुये हैं, लेकिन इनका असली मतलब शायद हर सिक्योरिटीज मतलब क्या? किसी को पता नहीं होगा। आइये हम बताते है क्या हैं बीएसई और एनएसई। भारत में दो शेयर बाज़ार हैं: बीएसई यानि ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ और एनएसई यानि ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’।
भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज :
- BSE यानि (Bombay Stock Exchange), की स्थापना सन 1875 में हई थी।
- NSE यानि (National Stock Exchange) की स्थापना सन 1992 में हुई थी।
दोनों एक्सचेंज के सूचकांक(INDEX) :
- NSE का सूचकांक NIFTY (‘N’=NSE तथा ‘IFTY’=fifty यानि NSE-50)| “NIFTY INDEX” NSE में सूचीबद्ध शेयरों का प्रतिनिधित्व करती है। और
- BSE का सूचकांक “SENSEX” (“सेंसिटिव इंडेक्स”) । “SENSEX INDEX” BSE में सूचीबद्ध शेयरों का प्रतिनिधित्व(represent) करती है।
NSE और BSE index की गणना विधि क्या है ? :
SENSEX और NIFTY INDEX की गणना “free float market capitalization” विधि से की जाती है। यानी सेन्सेक्स की गणना “मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेज मेथेडोलॉजी” के आधार पर की जाती है।
National Stock Exchange क्या है ?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज मुंबई में स्थित है, यह भारत का सिक्योरिटीज मतलब क्या? सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। यह 1992 से अस्तित्व में आया और यहीं से इलेक्ट्रोनिक एक्सचेंज सिस्टम की शुरुआत हुई और पेपर सिस्टम खत्म हुआ।
एनएसई ने 1996 से निफ्टी की शुरुआत की, जो टॉप 50 स्टॉक इंडेक्स दे रहा था और यह तेजी से भारतीय पूंजी बाज़ार की रीड बना। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को 1992 को कंपनी के रूप में पहचान मिली और 1992 में इसे सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट, 1956 के तहत कर भुगतान कंपनी के रूप में स्थापित किया गया।
National stock exchange दुनिया का 11 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसका बजार पूंजीकरण (market capitalization) अप्रैल 2018 तक 2.27 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुच गया था ।
BSE यानि BOMBAY STOCK EXCHANGE क्या है ? :
बीएसई की स्थापना 1875 में हुई, इसे नेटिव शेयर और स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन’ के नाम से जाना जाता था। इसके बाद, 1957 के बाद भारत सरकार ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट, 1956 के तहत इसे भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज के रूप में मान्यता दे दी।
सेन्सेक्स की शुरुआत 1986 में हुई, यह भारत का पहला इक्विटी इंडेक्स है जो कि टॉप 30 एक्सचेंज ट्रेडिंग कंपनियों को एक पहचान दे रहा था। सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है।
1995 में, बीएसई की ऑनलाइन ट्रेडिंग शुरू हुई, उस समय इसकी क्षमता एक दिन में 8 मिलियन ट्रांजेक्शन थी।
बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है, और यह मार्केट डेटा सर्विस, रिस्क मैनेजमेंट, सीडीएसएल (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड), डिपॉजिटरी सर्विसेज आदि सेवाएँ प्रदान करता है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दुनिया का 12वा बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, आउर जुलाई 2017 को इसका बाजार पूंजीकरण 2 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा था।
बीएसई और एनएसई में मुख्य अंतर :
- बीएसई और एनएसई दोनों भारत के बड़े शेयर बाज़ार हैं।
- बीएसई पुराना और एनएसई नया है।
- टॉप स्टॉक एक्सचेंज में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 10वां स्थान है वहीं एनएसई का 11वां।
- इलेक्ट्रॉनिक एक्चेंज सिस्टम पहली बार एनएसई में 1992 में और बीएसई में 1995 में शुरू किया गया।
- कितने शेयरों को शामिल किया जाता है : एनएसई का निफ्टी इंडेक्स 50 स्टॉक इंडेक्स दिखाता है वहीं बीएसई का सेन्सेक्स 30 स्टॉक एक्सचेंज दिखाता है।
- बीएसई को 1957 में स्टॉक एक्सचेंज के रूप में पहचान मिली वहीं एनएसई को 1993 में पहचान मिली।
BSE और NSE के स्थापना को लेकर अंतर :
- एनएसई भारत का सबसे बड़ा एक्सचेंज है, बीएसई सबसे पुराना है।
- बीएसई 1875 में स्थापित हुआ, जब कि एनएसई 1992 में।
- एनएसई का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी है, जब कि बीएसई का सेन्सेक्स है। एनएसई में 1696 और बीएसई में 5749 कंपनियाँ सूचीबद्ध हैं।
- इनकी ग्लोबल रैंक 11 और 10 है।
निष्कर्ष : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दोनों भारतीय पूंजी बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। रोज लाखों ब्रोकर और निवेशक इन स्टॉक एक्सचेंजों में ट्रेडिंग करते हैं। ये दोनों महाराष्ट्र के मुंबई में स्थापित हैं और सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) से मान्यता प्राप्त हैं।
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भारत में सुरक्षा श्रेणियाँ (Security Categories in India in Hindi) – इंडिया की प्रमुख सिक्योरिटीज के बारे में जानें!
भारत में, उच्च जोखिम वाले खतरों को रखने वाले मान्यता प्राप्त व्यक्तियों को सुरक्षा कवर प्रदान किए जाते हैं। खुफिया विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार विभिन्न व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान की जाती है। व्यक्ति को खतरे की जानकारी के आधार पर सुरक्षा श्रेणी को 5 श्रेणियों में विभाजित किया गया है: एसपीजी, जेड +, जेड, वाई, एक्स आदि। इस लेख में आज हम बताने जा रहे हैं कि भारत में सुरक्षा श्रेणियाँ (Security Categories in India In Hindi) कितने प्रकार की होती हैं और भारत में सुरक्षा किन लोगो को दी जाती है।
इस तरह की प्रतिभूतियों को वीवीआईपी-वीआईपी, खेल व्यक्तियों, मशहूर हस्तियों या किसी भी उच्च प्रोफ़ाइल या राजनीतिक व्यक्तित्व को पेश किया जाता है। जबकि Z + उच्चतम सुरक्षा स्तर है, वर्तमान और पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ मिलकर देश के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों को अतिरिक्त एसपीजी कवरेज प्रदान किया जाता है। वाई श्रेणी में 11 कर्मियों के लिए स्थायी गार्ड है और इसमें दो पीएसओ शामिल हैं।
भारत में सुरक्षा सिक्योरिटीज मतलब क्या? श्रेणियाँ के प्रकार | Types of Security Categories in India in Hindi
भारत में सुरक्षा श्रेणियाँ – एसपीजी लेवल की सुरक्षा
- एसपीजी एक सशस्त्र इकाई है, जो भारत के प्रधान मंत्रीऔर भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों और दुनिया भर में कहीं भी उनके तत्कालीन परिवारों के सदस्यों को सबसे अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए दी गई है।
- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद 1988 में भारत की संसदके एक अधिनियम द्वारा इसका गठन किया गया था।
- SPG समूह केंद्र सरकार की देखरेख में प्रशासित, निर्देशित और नियंत्रित किया जाता है।
- इकाई के प्रमुख, निदेशक के रूप में जाना जाता है, जिसे सचिव के रूप में नामित किया गया है। SPG की इकाई की कमान और कुल पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदार है।
- एसपीजी हमेशा अपने रैंक में 4000 से अधिक व्यक्तियों के साथ आरक्षित होती है।
- यह सभी उपलब्ध प्रतिभूतियों का सबसे महंगा सुरक्षा बल माना जाता है।
- अब तक, केवल 6 लोगों को इस प्रकार की सुरक्षा प्रदान करने का विशेषाधिकार है।
एसपीजी और जेड + प्रतिभूतियों के एक ही श्रेणी में होने के बारे में बहसें होती रही हैं, लेकिन यह बहुत स्पष्ट है कि एसपीजी जेड + की तुलना में उन्नत सुरक्षा प्रदान करता है, जो केवल प्रधान मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री और दुनिया भर के उनके परिवारों को प्रदान किया जाता है। इसलिए, उन्हें Z + सुरक्षा से ऊपर एक अलग श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। इसके अलावा, यदि पूर्व प्रधान मंत्री और उनके परिवार एसपीजी सुरक्षा कवर प्राप्त करना चाहते हैं, तो वे अपनी आवश्यकताओं या शर्तों के अनुसार इस विशेष सुरक्षा को अस्वीकार कर सकते हैं।
सिक्योरिटी कैटेगिरी इन इंडिया – Z + लेवल की सुरक्षा
- यह एसपीजी सुरक्षा के ठीक नीचे भारत में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा के रूप में जाना जाती है जो भारत के पीएम को प्रदान की जाती है।
- यह 55 सदस्य कार्यबल का एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है, जिसमें 10+ एनएसजी कमांडो + पुलिस कर्मचारी शामिल हैं।
- प्रत्येक कमांडो को पेशेवर रूप से मार्शल आर्ट और निहत्थे कॉम्बेटिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है।
- भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वित्त मंत्री और कुछ अन्य लोग भारत में Z + सुरक्षा श्रेणी के तहत हैं।
भारत में सुरक्षा श्रेणियाँ – जेड लेवल की सुरक्षा
- यह भारत में सुरक्षा का तीसरा उच्चतम स्तर है।
- ज़ेड लेवल प्रोटेक्शन कवर में 22 सदस्यीय कार्यबल होता है, जिसमें 4-5 एनएसजी कमांडो + पुलिस के जवान शामिल होते हैं।
- Z स्तर की सुरक्षा दिल्ली पुलिस या भारत-तिब्बत पुलिस (ITBP) या CRPF के लोगों को एक एस्कॉर्ट कार के साथ प्रदान की जाती है।
- जिन लोगों को Z सिक्योरिटी दी जाती है, वे बाबा रामदेव और अभिनेता आमिर खान हैं।
भारत में सुरक्षा श्रेणियाँ – वाई लेवल की सुरक्षा
- यह भारत में सुरक्षा स्तर का चौथा स्तर माना जाता है।
- वाई लेवल प्रोटेक्शन कवर में 11 सदस्यीय कार्यबल होता है, जिसमें 1-2 एनएसजी कमांडो + पुलिस के जवान शामिल होते हैं।
- यह दो निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) भी प्रदान करता है।
- ऐसे कई लोग हैं जो भारत में इस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त करते हैं।
भारत में सुरक्षा श्रेणियाँ – एक्स लेवल की सुरक्षा
- यह भारत में पांचवा महत्वपूर्ण सुरक्षा स्तर है।
- एक्स लेवल प्रोटेक्शन कवर में 2 सुरक्षाकर्मी होते हैं जिसमें सशस्त्र पुलिस कर्मी होते हैं
- यह 1 व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी द्वारा देश के विभिन्न लोगों को प्रदान किया जाता है।
हमें उम्मीद है कि भारत में सुरक्षा श्रेणियों के प्रकार (Types of security सिक्योरिटीज मतलब क्या? categories pdf in India in Hindi) पर आधारित यह लेख आपके लिए सहायक और ज्ञानवर्धक रहा होगा यदि आपको Types of Security Categories in India से सम्बंधित कोई प्रश्न हैं सिक्योरिटीज मतलब क्या? तो हमें टिप्पणी अनुभाग में बताना न भूलें। इसके अलावा, दुनिया भर में इस तरह के ज्ञान और समाचारों से अपडेट रहने के लिए करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें। इसके अलावा, विभिन्न परीक्षाओं और भर्तियों के बारे में नवीनतम अपडेट प्राप्त करने के लिए हमारे विश्वसनीय टेस्टबुक ऐप की जांच करें।
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