शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी

तख्त श्री पटना साहिब कमेटी पर हो सकता है ‘भगवा परचम’
तख्त श्री पटना साहिब कमेटी के अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह हित के आकस्मिक निधन के बाद खाली हुई अध्यक्ष की कुर्सी पर अब नए सिरे से चुनाव होगा। अगला अध्यक्ष कौन होगा और किस शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी धड़े का कब्जा होगा, इसको लेकर भी कयास लगने लगे हैं। लेकिन नए अध्यक्ष की ताजपोशी बहुत आसान नहीं है, क्योंकि तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब की कमेटी में विवाद पुराना रहा है। प्रबंधन कमेटी पर वर्चस्व कायम बनाए रखने की कोशिश में यहां 2 पक्ष आपस शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी में उलझते रहे हैं। हमेशा लोकल और बाहरी का भी विवाद रहा है।
शिरोमणि अकाली दल (बादल) कोटे से अध्यक्ष बने अवतार सिंह हित शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी के अचानक निधन के बाद अब नए सिरे से सत्ता की जंग शुरू गई है। अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर भी अंदरखाते चर्चाएं छिड़ गई हैं। जानकारों की मानें तो जो समीकरण बन रहे हैं, उनसे ऐसा लग रहा है कि तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब में इस बार कमेटी भाजपा समर्थित होने की पूरी संभावना है। कमेटी में भाजपा समर्थित कई सदस्य भी हैं। एक सदस्य दिल्ली से जाना है। वह दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रतिनिधि होता है। जत्थेदार अवतार सिंह हित भी दिल्ली कमेटी के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित हुए थे।
अब दिल्ली कमेटी अपने नए प्रतिनिधि के रूप में किसे भेजती है, अभी इसका खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन, पिछली कई बार से दिल्ली कोटे का प्रतिनिधि ही तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब की कमेटी का कप्तान बनता रहा है। इसलिए संभावना यही जताई जा रही है कि अगला अध्यक्ष भी कहीं दिल्ली कमेटी का ही प्रतिनिधि न बन जाए। वैसे भी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वर्तमान प्रबंधन को भाजपा का गुपचुप समर्थन है। अगर ऐसा होता है तो शिरोमणि अकाली दल बादल की दावेदारी वाला एक और तख्त हाथ से छिन जाएगा। महाराष्ट्र स्थित तख्त श्री नांदेड़ साहिब की कमेटी पहले से ही भाजपा समर्थित है। जानकार कहते हैं कि तख्त श्री पटना साहिब कमेटी जीतने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर जीत हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा।
1984 सिख दंगों से जुड़े मामले में पुलिस अधिकारी को छूट नहीं : 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को उचित दंड का आदेश किया है, जो कथित तौर पर पर्याप्त बल तैनात करने, एहतियातन हिरासत में लेने और हिंसा के दौरान उपद्रवियों पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई करने में विफल रहा। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने किंग्सवे कैंप थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक प्राधिकरण और केंद्र्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सी.ए.टी.) द्वारा पारित आदेशों को खारिज करते हुए कहा कि दंगों में निर्दोष लोगों की जान चली गई और पुलिस अधिकारी को उसकी 79 वर्ष की अवस्था के चलते छूट नहीं दी जा सकती। राष्ट्र अब भी उस पीड़ा से गुजर रहा है। उस आधार पर आप बच नहीं सकते। उम्र मदद नहीं करेगी।
सिकलीगर सिखों की दशा सुधारने की पहल : मध्य प्रदेश, राजस्थान, यू.पी., महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में फैले सिकलीगर समुदाय के सिखों की दशा सुधारने के लिए विशेष मांग उठी है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसे लेकर मध्य प्रदेश सरकार से विशेष गुहार लगाई है। साथ ही सिकलीगर सिखों की दशा सुधारने के लिए विशेष आॢथक पैकेज की मांग की है।
इसके अलावा समुदाय के सदस्यों के लिए स्कूल खोलने, जहां वे सदियों से रह रहे हैं उनका मालिकाना हक दिलाने, उनके खिलाफ झूठे मुकद्दमे बंद करने, दर्ज हुईं झूठी एफ.आई.आर. को रद्द करने, सिख सिकलीगर युवाओं को आर्डनैंस फैक्टरी या सरकारी नौकरियों में रखने, उनके किसी भी स्थान से कब्जा मुक्त करवाने जैसी कार्रवाई न की जाए और ऐसे स्थानों का स्वामित्व उन्हें दिया जाए। बता दें कि वे श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी जी के समय से ही लोहे के हथियार और अन्य घरेलू सामान बना रहे हैं। सिकलीगर सिखों के लिए यही उनका मुख्य व्यवसाय और आय का स्रोत है।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय
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प्रयागराज में नहीं थम रहा डेंगू का कहर, महिला अधिवक्ता समेत दो की हुई मौत
तख्त श्री पटना साहिब कमेटी पर हो सकता है ‘भगवा परचम’
तख्त श्री पटना साहिब कमेटी के अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह हित के आकस्मिक निधन के बाद खाली हुई अध्यक्ष की कुर्सी पर अब नए सिरे से चुनाव होगा। अगला अध्यक्ष कौन होगा और किस धड़े का कब्जा होगा, इसको लेकर भी कयास लगने लगे हैं। लेकिन नए अध्यक्ष की ताजपोशी बहुत आसान नहीं है, क्योंकि तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब की कमेटी में विवाद पुराना रहा है। प्रबंधन कमेटी पर वर्चस्व कायम बनाए रखने की कोशिश में यहां 2 पक्ष आपस में उलझते रहे हैं। हमेशा लोकल और बाहरी का भी विवाद रहा है।
शिरोमणि अकाली दल (बादल) कोटे से अध्यक्ष बने अवतार सिंह हित के अचानक निधन के बाद अब नए सिरे से सत्ता की जंग शुरू गई है। अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर भी अंदरखाते चर्चाएं छिड़ गई हैं। जानकारों की मानें तो जो समीकरण बन रहे हैं, उनसे ऐसा लग रहा है कि तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब में इस बार कमेटी भाजपा समर्थित होने की पूरी संभावना है। कमेटी में भाजपा समर्थित कई सदस्य भी हैं। एक सदस्य शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी दिल्ली से जाना है। वह दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रतिनिधि होता है। जत्थेदार अवतार सिंह हित भी दिल्ली कमेटी के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित हुए थे।
अब दिल्ली कमेटी अपने नए प्रतिनिधि के रूप में किसे भेजती है, अभी इसका खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन, पिछली कई बार से दिल्ली कोटे का प्रतिनिधि ही तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब की कमेटी का कप्तान बनता रहा है। इसलिए संभावना यही जताई जा रही है कि अगला अध्यक्ष भी कहीं दिल्ली कमेटी का ही प्रतिनिधि न बन जाए। वैसे भी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वर्तमान प्रबंधन को भाजपा का गुपचुप समर्थन है। अगर ऐसा होता है तो शिरोमणि अकाली दल बादल की दावेदारी वाला एक और तख्त हाथ से छिन जाएगा। महाराष्ट्र स्थित तख्त श्री नांदेड़ साहिब की कमेटी पहले से ही भाजपा समर्थित है। जानकार कहते हैं कि तख्त श्री पटना साहिब कमेटी जीतने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर जीत हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा।
1984 सिख दंगों से जुड़े मामले में पुलिस अधिकारी को छूट नहीं : 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को उचित दंड का आदेश किया है, जो कथित तौर पर पर्याप्त बल तैनात करने, एहतियातन हिरासत में लेने और हिंसा के दौरान उपद्रवियों पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई करने में विफल रहा। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने किंग्सवे कैंप थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक प्राधिकरण और केंद्र्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सी.ए.टी.) द्वारा पारित आदेशों को खारिज करते हुए कहा कि दंगों में निर्दोष लोगों की जान चली गई और पुलिस अधिकारी को उसकी 79 वर्ष की अवस्था के चलते छूट नहीं दी जा सकती। राष्ट्र अब भी उस पीड़ा से गुजर रहा है। उस आधार पर आप बच नहीं सकते। उम्र मदद नहीं करेगी।
सिकलीगर सिखों की दशा सुधारने की पहल : मध्य प्रदेश, राजस्थान, यू.पी., महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में फैले सिकलीगर समुदाय के सिखों की दशा सुधारने के लिए विशेष मांग उठी है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसे लेकर मध्य प्रदेश सरकार से विशेष गुहार लगाई है। साथ ही सिकलीगर सिखों की दशा सुधारने के लिए विशेष आॢथक पैकेज की मांग की है।
इसके अलावा समुदाय के सदस्यों के लिए स्कूल खोलने, जहां वे सदियों से रह रहे हैं उनका मालिकाना हक दिलाने, उनके खिलाफ झूठे मुकद्दमे बंद करने, दर्ज हुईं झूठी एफ.आई.आर. को रद्द करने, सिख सिकलीगर युवाओं को आर्डनैंस फैक्टरी या सरकारी नौकरियों में रखने, उनके किसी भी स्थान से कब्जा मुक्त करवाने जैसी कार्रवाई न की जाए और ऐसे स्थानों का स्वामित्व उन्हें दिया जाए। बता दें कि वे श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी के समय से ही लोहे के हथियार और अन्य घरेलू सामान बना रहे हैं। सिकलीगर सिखों के लिए यही उनका मुख्य व्यवसाय और आय का स्रोत है।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय
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बढ़ती आबादी सिर्फ चुनौती नहीं, ताकत भी है
विश्व आबादी दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ने जो रिपोर्ट पेश की है, वह भारत के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट कहती है कि अगले साल तक भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। फिलहाल सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन में 142.6 करोड़ लोग हैं, जबकि भारत 141.7 करोड़ की जनसंख्या के साथ दूसरे पायदान पर खड़ा है। अगर संयुक्त राष्ट्र का पूर्वानुमान सही निकला तो अगले साल भारत 142.9 करोड़ की आबादी के साथ पहले पायदान पर खड़ा होगा।
यह पहला पायदान भारत जैसे देश के लिए बड़ी चुनौती के रूप में दिखता है, क्योंकि हम शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी बड़ी आबादी को देश की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर चिन्हित करते आए हैं कि जितनी ज्यादा आबादी, उतनी ज्यादा संसाधनों में हिस्सेदारी। आखिर खाद्य सुरक्षा,शिक्षा की गारंटी, सेहत संबंधी जरूरतों का इंतजाम और रोजगार के अवसर के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नागरिक सुविधाओं का विकास, ये तमाम जिम्मेदारियां सरकार के कंधों पर ही रहेंगी। तदनुसार आवश्यक बजट के लिए राजस्व बढ़ाने की चुनौती से भी सरकार को ही दो-चार होना होगा।
चलिए, अब जरा बड़ी आबादी को एक अलग नजरिए से देखने -समझने की कोशिश करते हैं। बड़ी आबादी का मतलब बड़ा मानव संसाधन समूह, यानी बड़ी श्रमशक्ति। इस गणित को और बेहतर समझने के लिए सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन की जनसंख्या और उसके प्रबंधन के साथ उसकी तरक्की के समीकरण पर गौर करते हैं। एकल संतान (सिंगल चाइल्ड) की सख्त नीति के लंबे दौर के बावजूद चीन आज सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। लेकिन इस नीति के चलते पिछले करीब 2 दशकों में चीन की जनसंख्या वृद्धि दर में उल्लेखनीय गिरावट आई।
पिछले साल मई में चीन ने अपनी ताजा जनगणना रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि 1982 में हुई जनगणना में चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत दर्ज हुई थी जो सर्वाधिक थी। पिछले एक दशक ‘यानी वर्ष 2011 से 2021 के बीच’ उसकी आबादी औसतन 0.53 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले कई दशकों में सबसे कम थी। इसे जनसांख्यिकी विशेषज्ञों ने आसन्न संकट के तौर पर रेखांकित किया।
माना गया कि आने वाले दशक में अगर जनसंख्या वृद्धि दर और कम हुई तो वहां कामगारों का संकट गहरा सकता है। इसके उलट चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास की वजह से जहां मृत्यु दर में कमी आई है, लोगों की औसत आयु या यूं कहें कि जीवनकाल बढ़ा है। इस घट-बढ़ ने अनुत्पादक बुजुर्गों के कुनबे का खासा विस्तार किया है।
ऐसे में यदि जनसंख्या वृद्धि की दर और कम होती है तो जाहिर तौर पर देश की श्रमशक्ति में और गिरावट आएगी। इस संकट की आहट को गम्भीरता से लेते हुए वहां सरकार ने अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन देने वाली योजनाएं शुरू कर दी हैं। अधिक बच्चे पैदा करने वालों को अतिरिक्त अवकाश, बेबी बोनस, एकमुश्त धनराशि, टैक्स में छूट और कई अन्य विशेष योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। निजी क्षेत्र की कई कम्पनियों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए ऐसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जो उन्हें अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित करती हैं।
यह समस्या उन पश्चिमी देशों में 2 दशक से भी ज्यादा पुरानी है, जहां बेहतर रहन-सहन के बीच चिकित्सा सुविधाओं में उल्लेखनीय विस्तार के साथ-साथ जनसंख्या वृद्धि को लेकर ज्यादा संवेदनशीलता दिखाई-अपनाई गई। इस समस्या को नाम दिया गया ‘एजिंग पॉपुलेशन’। उन देशों में काम कर सकने वाले युवाओं की आबादी लगातार घटती चली गई, जिसने अभूतपूर्व श्रम संकट पैदा कर दिया। पश्चिम में स्पेन, रोमानिया, डेनमार्क और कनाडा से लेकर आस्ट्रेलिया जैसे बड़े देश श्रम संकट की जद में हैं तो पूरब में जापान जैसा छोटा किन्तु औद्योगिक विकास की दृष्टि से क्रांतिकारी राष्ट्र भी इसकी चपेट में है।
कयास है कि 2030 तक दुनिया का हर छठा आदमी 65 साल की उम्र पार कर चुका होगा और 2050 आते-आते शायद हर तीसरा। अध्ययन में यह संकेत भी मिला है कि 2050 तक चीन की श्रमशक्ति में 20 तो जापान में 40 फीसदी तक कमी आएगी। अभी 3 साल पहले जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वीकार किया था कि जन्म-दर में भारी गिरावट के कारण वहां श्रम संकट लगातार गहरा रहा है और इससे उबरने के लिए जापान की सरकार अन्य जरूरी उपाय करने के साथ-साथ दूसरे देशों से 4 लाख विदेशी कामगार लाना चाहती है।
इन परिस्थितियों के बीच हमारे लिए यह जानना कितना सुखद है कि अपने देश में ऐसे उम्रदराज बुजुर्गों की तादाद हमारी कुल आबादी का मात्र 6 प्रतिशत है। जाहिर है, आबादी का बड़ा हिस्सा युवा है और बड़ी श्रमशक्ति का प्रतीक। यह भी तय मानिए कि जनसंख्या बढऩे के साथ यह प्रतिशत और नीचे आएगा और इसके उलट हमारी युवाशक्ति में इजाफा होगा। फिर चिंता क्यों? हम देश में बढ़ती बेरोजगारी से भयभीत शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी हैं, जबकि बढ़ती बेरोजगारी की वजह आबादी नहीं बल्कि रोजगार का सापेक्ष सृजन न होना है।
अगर हम अपनी युवाशक्ति को कुशल श्रमशक्ति में बदल दें तो रोजगार के लिए आधी दुनिया के दरवाजे खुले मिल सकते हैं, खासकर सेवा क्षेत्र में। आस्ट्रेलिया स्थित ग्लोबल बिजनैस एडवाइजर ग्रुप ‘सीएक्ससी’ ने कम से कम 5 ऐसे उद्योग बताए हैं, जहां आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर कामगारों की सबसे ज्यादा जरूरत पडऩे वाली है। ये हैं विमान परिचालन, चिकित्सा, खानपान, निर्माण और यातायात। जरा सोचिए, ये वही सेवा क्षेत्र हैं, जिनमें हम भारतीयों की दक्षता रही है।
अब अगर इन नई संभावनाओं को ध्यान में रखकर सरकार नई रोजगार नीति बनाए तो बढ़ती आबादी की समस्या को अवसर में बदलने में शायद ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। कौशल विकास योजना को संगठित तौर पर थोड़ा व्यापक आधार दिया जाए और अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रबंधन में अपनी सशक्त भूमिका सुनिश्चित की जाए तो यह बेरोजगारी के वध का अभूतपूर्व सुयोग भी हो सकता है।-अनिल भास्कर
सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन अब 5 दिसंबर तक हमीरपुर 01 दिसंबर। प्रदेश के एकमात्र सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा के शैक्षणिक सत्र 2023-24.