सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को

क्या सरकारों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency ) को रोका जा सकता है?
सबसे पहले तो हमें ये समझना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) कोई मूर्त (फिजिकल) वस्तु नहीं है, जिसे छुआ जा सकता हो। यह एक तरह की डिजिटल संपत्ति होती है और क्योंकि ये Distributed Ledger Technology (DLT) का इस्तेमाल करती हैं, इसलिए इसे किसी इन्सान, सरकार या गैर सरकारी संगठन द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता। आज यदि किसी भी सरकार को क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) के इस्तेमाल को रोकना हैं तो उसे इंटरनेट को बंद करना होगा और इंटरनेट को पूरी तरह से बंद करना मुमकिन नहीं है।
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चलिए पहले जानते हैं कि आखिर क्या कारण हैं कि दुनिया भर की सरकारें क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को पसंद नहीं करती या इनके इस्तेमाल को रोकना चाहती हैं।
बिटकॉइन जो की दुनिया की सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency ) हैं और जनता के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देख कर दुनिया भर की सरकारें डरी हुई है। क्योंकि ये सरकारों द्वारा लागू की गई फिएट मुद्रा को कमजोर बनाती है। फिएट मुद्रा, उस मुद्रा को कहते हैं, जिसे सरकार द्वारा बनाया (प्रिंट किया) जाता है। जैसे हमारे भारत की फिएट मुद्रा भारतीय रुपया है। जिस पर आज तक सरकार ने एकाधिकार(monopoly) बना कर रखा है, यानि सरकार के अलावा और किसी को यह हक़ नहीं है कि वह इस मुद्रा छपाई के व्यापार में आ सके।
अर्थात सरकार के अलावा कोई भी गैर सरकारी संगठन या व्यक्ति विशेष देश की करेंसी नहीं बना सकता और न ही कभी जनता को भी ऐसा लगा की सरकार के अलावा भी और अन्य कंपनियों द्वारा करेंसी बनाने का काम किया जा सकता है। लेकिन बिटकॉइन सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को ने सारी दुनिया यह को ये दिखा दिया कि सिर्फ सरकार ही करेंसी नहीं बना सकती हैं, बल्कि आज के समय में कोई भी करेंसी बना सकता है।
वैसे भी सरकार द्वारा बनाई जाने वाली मुद्रा की आपूर्ति (supply) असीमित होती है। अर्थात सरकार जितना चाहे उतने ज्यादा नोट प्रिंट कर सकती है और वह ऐसा करती भी है। जिसकी वजह से जनता को कभी भी इसको अपने पास लम्बे समय तक रखने पर भी माँग बढ़ने का फायदा नहीं मिलता, क्योंकि किसी वस्तु माँग बढ़ने का फायदा वहीं मिल सकता हैं जहाँ उसकी आपूर्ति सीमित हो न की असीमित।
बल्कि बहुत अधिक मात्रा में फिएट मुद्रा प्रिंट करके सरकार इसके मूल्य को भी कम कर देती है। हर साल मँहगाई दर बढ़ने का यह एक बहुत बड़ा कारण होता हैं। बहुत ज्यादा प्रिंट किये जाने की वजह से फिएट मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है, जिसकी वजह से हमें खाने-पीने की और बाकि सभी चीजों के लिए पहले से ज्यादा भुगतान करना पड़ता है।
एक समय पहले भारत में बीमा सिर्फ Life Insurance Corporation (LIC) ही बेच सकती थी। 19 जनवरी 1956, को भारत सरकार ने life Insurance sector को राष्ट्रीयकृत(nationalised) कर दिया था और फिर उसी साल Life Insurance Corporation का गठन किया गया था। उसके बाद Life Insurance Corporation के अलावा किसी और को life Insurance बेचने की इज्जात नहीं दी गई थी। तब भी सभी को लगने लगा था कि बीमा तो ऐसी चीज हैं जो अगर सरकार द्वारा दी जाये तो ही सही होता है। लेकिन इसके नकारात्मक नतीजे सामने आये और जनता तक कभी भी बीमा पॉलिसी सही ढंग से पहुँच ही नहीं पाई।
फिर 1993 में Malhotra Committee बनायीं गयी, जिसनें 1994 में निजी कंपनियां को बीमा बेचने की अनुमति देने का सुझाव भारत सरकार को दिया। उस समय भी अधिकांश जनता को ऐसा लगा था कि सरकार अपने फायदे के लिए बीमा योजना को निजी कम्पनियों के हाथों में सौंप रही है या फिर कुछ अमीर व्यापारियों को फायदा पहुँचना चाहती है। लेकिन आज हम सभी ये बात जानते हैं कि निजी कंपनियों के आने से सभी कंपनियों के बीच में जो प्रतिस्पर्धा बड़ी, जिसकी वजह से बीमा आज भारत के लगभग हर घर सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को तक पहुंच गया है।
जैस ही किसी भी क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ती हैं तो उस क्षेत्र में सुधार ही होता हैं और उससे जनता को बेहतर सेवाएं मिलती हैं।
ऐसा ही कुछ अब करेंसी के क्षेत्र में भी हो रहा हैं और आज फिर से अधिकांश जनता सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को ये समझ नहीं पा रही हैं कि सरकार के बिना भी करेंसी बनाई और चलाई जा सकती है। बिटकोइन और बाकि सभी क्रिप्टोकरेंसी ने ब्लॉकचैन तकनीकी की मदद से यह कर दिखाया है।
सारी दुनिया में केवल यही एकमात्र ऐसा क्षेत्र बचा था, जिसमें सरकारों के सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को पास आज तक उनका कोई प्रतिद्वंदी नहीं था। लेकिन अब जब यह क्षेत्र भी उनके हाथ से निकल रहा हैं तो दुनिया भर की सरकारें घबराहट में हैं। कोई सरकार भला क्यों चाहेगी कि उनके हाथ से असीमित मुद्रा प्रिंट करने की शक्ति चली जाये या आने वाले समय में इन सरकारों द्वारा प्रिंट की जाने वाली मुद्रा का कोई मूल्य ही न रहे। इसीलिए दुनिया भर की सरकारें क्रिप्टोकरेंसी को रोक तो नहीं पा रही लेकिन जनता द्वारा इसकी स्वीकृति में देरी जरूर करवाना चाह रही हैं।
आइए अब जानते हैं कि आखिर किसी सरकार के लिए क्रिप्टोकरेंसी को रोक पाना मुश्किल या नामुमकिन क्यों है?
क्रिप्टोकरेंसी को रोक पाना तभी मुमकिन हैं जब सरकार इंटरनेट को ही रोक दे। आज के समय में इंटरनेट को नहीं रोका जा सकता क्योंकि हमारे व्यापार, खुद सरकार, बैंक, शिक्षा या नौकरी आदि सभी इंटरनेट के बिना काम नहीं कर सकते, इसी वजह से अब सरकारें क्रिप्टोकरेंसी को भी नहीं रोक सकती।
साथ ही, क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचैन तकनीक का उपयोग करती हैं, जिसमें वितरित बही-खाता(distributed ledger) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से क्रिप्टोकरेंसी का सारा नियंत्रण किसी व्यक्ति, कंपनी या सरकार के पास नहीं रहता, बल्कि जनता के पास चला जाता है। इस वजह से भी सरकार इन पर रोक नहीं लगा पा रही है। यदि इसका नियंत्रण किसी व्यक्ति या कंपनी के पास होता तो उस पर सरकार द्वारा दबाव डाल कर इसे रोका जा सकता था, लेकिन यहाँ यह संभव ही नहीं हैं क्योंकि यहाँ किसी व्यक्ति या कंपनी के पास कोई नियंत्रण नहीं रहता।
अगर सरकार केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज को बंद करती हैं तब भी जनता के पास बहुत सारे विकेन्द्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज माध्यम हैं, जहाँ से लोग अपनी पहचान को उजागर किए बिना क्रिप्टोकरेंसी को खरीद और बेच सकते हैं।
आज क्रिप्टोकरेंसी को रोकना, एक बेहतर भविष्य को रोकने जैसा है, भविष्य की अरबों डॉलर की कंपनियों को देश में बनने से रोकना और देश की उन्नति को रोकना है। “उस विचार को धरती पर कोई भी शक्ति नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो” ऐसा Victor Hugo ने क्रिप्टोकरेंसी के सन्दर्भ में कहा था जो की आज भी बिलकुल सही हैं। हमें यह समझना होगा की सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को नाम में करेंसी शब्द जुड़ जाने से सभी क्रिप्टोकरेंसियों का उद्देश्य सिर्फ मुद्रा की तरह इस्तेमाल होना नहीं बन जाता है।
बिटकॉइन के लिए यह कहा जा सकता हैं कि उसे सिर्फ एक करेंसी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता हैं क्योंकि बिटकॉइन को सरकारों द्वारा बनायीं जाने वाली मुद्रा के विकल्प के रूप में ही बनाया गया था।
लेकिन इथेरेयम (Ethereum) सिर्फ मुद्रा नहीं हैं बल्कि एक प्रोग्राम की जा सकने वाली ब्लॉकचैन है जिसका उपयोग बहुत तरह से किया जा सकता है। हम इथेरेयम (Ethereum) ब्लॉकचैन पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और विकेन्द्रीकृत एप्लीकेशन बना सकते हैं, जिन्हें dApp भी कहा जाता है। मतलब अब इथेरेयम (Ethereum) और उसके जैसे बहुत सारे प्रोजेक्ट्स ऐसे आ चुके हैं, जिनका इस्तेमाल सिर्फ करेंसी की तरह नहीं बल्कि और बहुत तरह से किया जा रहा है।
जितने भी स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स प्लेटफोर्म हैं जैसे – इथेरेयम (Ethereum), सोलाना (Solana), कार्दानो(Cardano), एलरोंड(Elrond) आदि ये एक तरह से आने वाले भविष्य की कंपनियों के प्लेटफोर्म हैं। आने वाला भविष्य पूर्णतः विकेन्द्रीकृत होगा, जिसका निर्माण ब्लॉकचैन पर विकेन्द्रीकृत एप्लीकेशन द्वारा होगा। इन सभी स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स प्लेटफोर्मों को इस्तेमाल करने और इन पर भविष्य के dApp और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स बनाने के लिए इनके क्रिप्टो सिक्के (crypto coins) जरुरी होंगे।
तो आज किसी भी देश के द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाना ऐसा माना जायेगा जैसे वह देश उसकी जनता और कंपनियों को भविष्य में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र से वंचित रख रहा हो। जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा उसे नाकामयाबी ही हासिल होगी और साथ में इसे जितना देर से अपनाया जायेगा उतना ही ज्यादा उस देश को आर्थिक नुक्सान भी होगा। अगर सरकारों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को जल्दी नहीं अपनाया गया तो हो सकता हैं बहुत बड़ी मात्रा में प्रतिभाशाली व्यक्ति और कंपनियां उस देश से बाहर भी चली जाये, जो की कोई भी समझदार सरकार कभी नहीं चाहेगी।
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भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?
डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भविष्य का पैसा कैसा होगा?
हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।
क्या है डिजिटल रुपया?
अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।
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क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।
एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर
डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।
क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?
नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।
पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर
जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।
बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?
रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।
1 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।
पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।
Winter Session of Parliament 2021: क्रिप्टोकरेंसी समेत 26 बिल संसद के शीतकालीन सत्र में होंगे पेश
Cryptocurrency Regulation Bill Among 26 to be Introduced in Winter Session: केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी समेत 26 विधेयकों को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी. क्रिप्टोकरेंसी रेग्युलेशन बिल में भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने की मांग. जानकारों का मानना है कि डिजिटल करेंसी को रोका नहीं जा सकता है लेकिन इसे रेग्युलेट करना जरूरी है यानि इस पर कानूनी नियंत्रण रखने की आवश्यकता है. इसके अलावा पेंशन और डाटा प्रोटेक्शन बिल पर भी संसद में चर्चा होगी.
- News18Hindi
- Last Updated : November 25, 2021, 07:00 IST
नई दिल्ली. संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) में केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर कानूनी नियंत्रण के लिए बिल लेकर आएगी. लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 29 नवंबर से शुरू हो रहे पार्लियामेंट के विंटर सेशन में क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) समेत 26 विधेयकों को संसद में पेश किया जाएगा. लोकसभा के बुलेटिन के अनुसार, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किये जाने वाले विधेयकों की सूची में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सूचीबद्ध है.
इस विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के सृजन के लिये एक सहायक ढांचा सृजित करने की बात कही गई है. इस प्रस्तावित विधेयक में भारत में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की बात कही गई है. हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए. भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के संबंध में न तो कोई प्रतिबंध है और न ही कोई नियमन की व्यवस्था है.
इससे पहले बीजेपी नेता जयंत चौधरी की अध्यक्षता में संसदीय पैनल ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लाभ और हानियों के बारे में सभी स्टेक होल्डर से चर्चा की. इस बैठक में इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि डिजिटल करेंसी को रोका नहीं जा सकता है लेकिन इसे रेग्युलेट करना जरूरी है यानि इस पर कानूनी नियंत्रण रखने की आवश्यकता है.
शीत सत्र में पेश होने वाले इस बिल में क्या है खास
क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन बिल में भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने की मांग की गई है लेकिन अंतर्निहित तकनीक और इसके उपयोगों को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों को अनुमति देने की बात कही गई है. इस बिल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की जाने वाली ऑफिशियल डिजिटल करेंसी के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करने की मांग भी की गई है.
हाल ही में भारत में क्रिप्टोकरेंसी को काफी चर्चाएं हुई हैं. देश में बिना किसी कानूनी निगरानी के इसका चलन तेजी से बढ़ा है लेकिन अब सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर नियंत्रण रखने के लिए कानून लेकर आना चाहती है.
पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी क्रिप्टोकरेंसी पर चिंता जताते हुए कहा था कि यह गलत हाथों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि इससे युवा बर्बाद हो सकते हैं. पीएम मोदी ने सभी लोकतांत्रिक देशों से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक साथ काम करने की जरुरत पर जोर दिया था.
शीतकालीन सत्र में संसद में ये बिल भी होंगे पेश
संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने वाले 26 बिलों में बैंकिंग लॉ बिल 2021, जिसका उद्देश्य बैंकिंग संशोधन को लागू करना है.
इन 26 बिलों में सबसे अहम बिल कृषि कानून को वापस लेने वाला बिल (Farm Laws Repeal Bill, 2021) है. 19 नवंबर को पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. अब इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. दरअसल सरकार ने किसान और किसान संगठनों के भारी विरोध के बाद तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था.
पेंशन एंड डाटा प्रोटेक्शन बिल
द डाटा प्रोटेक्शन बिल एंड द पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021, भी संसद में पेश करने के लिए सूचीबद्ध है.
पेंशन बिल का मकसद पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) में संशोधन करना है ताकि 2019 की बजट भाषण को पूर्ण करने के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट को पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी से अलग किया जा सके.
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WazirX के बाद अब इस क्रिप्टो-एक्सचेंज पर क्यों हुई ED की कार्रवाई? ये है पूरी कहानी
by बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो ।।
Published - Saturday, 13 August, 2022
क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों के दिन अच्छे नहीं चल रहे है. एक तो बाज़ार में गिरावट का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्तर पर होने वाली सख्ती ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है. हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने क्रिप्टो-एक्सचेंज प्लेटफॉर्म वजीरएक्स (WazirX) पर कार्रवाई की थी, अब 'वॉल्ड (Vauld)' के खिलाफ एक्शन हुआ है. वॉल्ड पहले से ही आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहा है, ऐसे में ED की कार्रवाई से उसकी स्थिति बद से बदतर हो सकती है.
370 करोड़ रुपए जब्त
ED ने Vauld के बैंक खातों, पेमेंट गेटवे बैलेंस और क्रिप्टो बैलेंस को जब्त करने का आदेश दिया है, जिसकी कुल कीमत 370 करोड़ रुपए बताई जा रही है. जुलाई में वॉल्ड ने अपने प्लेटफॉर्म पर सभी प्रकार की जमा-निकासी के साथ ट्रेडिंग एक्टिविटी को रोक दिया था. कंपनी ने कहा था कि क्रिप्टो में भारी गिरावट और भारत में नियमों के कड़े होने से ट्रेडिंग वैल्यूम पर काफी असर पड़ा है, जिसकी वजह सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को से उसे ट्रेडिंग एक्टिविटी रोकनी पड़ी है.
सिंगापुर में है मुख्यालय
क्रिप्टो करेंसी प्लेटफॉर्म वॉल्ड का मुख्यालय भले ही सिंगापुर में है, लेकिन इसका ज्यादातर कारोबार भारत में ही है. इस कारण इसमें सबसे ज्यादा पैसा भारतीयों का ही फंसा हुआ है. कंपनी की अधिकांश टीम भारत से ही काम करती है. ED का कहना है कि बेंगलुरु मुख्यालय वाली एक कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी की गई और जब्त की गई संपत्तियां फ्लिपवॉल्ट क्रिप्टो-करेंसी एक्सचेंज की हैं, जो भारत में वॉल्ड को चलाती है. इस कार्रवाई की वजह सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को भी वही है, जिसके चलते WazirX पर छापा मारा गया था.
Vauld पर क्या हैं आरोप
Vauld पर कुछ अवैध चीनी लैंडिंग ऐप को मनी-लॉन्ड्रिंग में मदद पहुंचाने का आरोप है. बताया जा रहा है कि ईडी ने अपनी जांच में पाया कि लोन ऐप कंपनियों ने क्रिप्टोकरेंसी में बड़े पैमाने पर निवेश किया और एक्सचेंस की मदद से उन्हें विदेशों में ट्रांसफर कर दिया. केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि आपराधिक जांच शुरू होने के बाद, कई फिनटेक ऐप ने कामकाज बंद कर दिया और इन गलत तरीकों से कमाए भारी मुनाफे को डायवर्ट कर दिया. जांच में पाया गया कि 23 आरोपी NBFC कंपनियों और लैंडिंग ऐप ने मिलकर करीब 370 करोड़ रुपए का फंड बेंगलुरु स्थित M/s येलो ट्यून टेक्वोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के INR क्रिप्टो खाते में जमा किया, जो फ्लिपवॉल्ट क्रिप्टो-करेंसी एक्सचेंज के पास खुला था, यही कंपनी भारत में वॉल्ड को चलाती है.
चीनी नागरिकों का हाथ
बाद में इन पैसों से खरीदे क्रिप्टो करेंसी खरीदी गईं और उन्हें अज्ञात विदेशी वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया गया. यह बात भी सामने आई है कि M/s येलो ट्यून टेक्वोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड को दो चीनों नागरिकों ने खोला था. इससे पहले ED ने इसी मामले में देश की सबसे बड़ी क्रिप्टो-एक्सचेंज WazirX के बैंक खातों में पड़े 64.67 करोड़ रुपए को जब्त करने का आदेश दिया था. जांच एजेंसी ने WazirX के डायरेक्टर समीर म्हात्रे पर सहयोग न करने का आरोप लगाया था.
क्रिप्टो से कमाई में भारत
क्रिप्टो को लेकर भारतीयों में भी क्रेज बढ़ रहा है. हालांकि, दूसरे देशों के मुकाबले यह काफी कम है. पिछले साल क्रिप्टो से कमाई को लेकर एक लिस्ट जारी हुई थी, उसमें भारत 21वें स्थान पर था. भारतीय यूजर्स ने 2021 में क्रिप्टो से 1.85 बिलियन डॉलर कमाए थे. जबकि अमेरिकी यूजर्स ने कुल 47 बिलियन डॉलर कमाए. 2020 में यह कमाई 8.1 बिलियन डॉलर थी. इससे पता चलता है कि यूएस में क्रिप्टो के प्रति दीवानगी कितनी ज्यादा है. पिछले साल निवेशकों ने Cryptocurrency में खूब मुनाफा कमाया है. क्रिप्टो में निवेश करने वालों का मुनाफा करीब 400 बढ़ा है. डेटा एनालिटिक्स फर्म Chainalysis की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 2021 क्रिप्टो में निवेश करने वालों का मुनाफा गई गुना बढ़ा था. हालांकि, 2022 में क्रिप्टो में निवेश करने वालों को परेशानी का सामना ज्यादा करना पड़ रहा है.
भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?
डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भविष्य का पैसा कैसा होगा?
हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।
क्या है डिजिटल रुपया?
अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।
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क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।
एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर
डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।
क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?
नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।
पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर
जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।
बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?
रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।
1 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के सरकार क्यों Bann करना चाहती है Cryptocurrency को तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।
पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।