वायदा व्यापार

वायदा : फायदा और गैर फायदा
महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों के वायदा पर सेबी द्वारा एकाध वर्ष पहले लगाए गए प्रतिबंधि को उठा लेने की मांग कई उद्योग संगठनों ने की है। सेबी को यह मांग नकार देनी चाहिए। सेबी ने आवश्यक चीजों की भाव वृद्धि को रोकने के लिए वायदा बंद करवाया था।Read More
अब एनसीडेक्स इन्वेस्टमेंट प्रोटेक्शन फंड के अध्ययन से पता चलता है कि वायदा के कामकाज के कारण चीज वस्तुओं का भाव बढ़ता है, ऐसा कहने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। यह विवाद पुराना और उग्र है। करीब दस वर्ष पहले केद्र सरकार ने ऐसा ही प्रतिबंध चालू रखें या उठा लें इस मुद्दे पर अभिजीत वायदा व्यापार सेन समिति की नियुक्ती की थी। उनके सदस्यों में ऐसा भी मतभेद था कि चौदह महीने बाद भी कोई सर्वसंमति नहीं बनी और अध्यक्ष सहित प्रत्येक सदस्य ने अपना अलग मत पेश किया। सेन ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट सर्वस्वीकार्य दृष्टिकोण अपनाना असंभव है।
अनुभव दर्शाता है कि वायदा या सट्टा फंडामेंटल नहीं बदल सकता है, लेकिन थोड़ी समान कमी या माल जमाव के असर को अनेक गुनाह बढ़ा सकता है और करता है। मात्र मांग और आपूर्ति के असंतुलन वायदा व्यापार के कारण भाव में जो घट बढ़ हुई होती, उसकी तुलना में कोई बड़ी घट बढ़ सटोरिये करा सकते हø या नहीं उनके पास धन की ताकत होती है और उन्हें माल की डिलिवरी लेना या देना नहीं होता।
वायदा के कारण किसान, प्रोसेसर्स, निर्यातक और अन्य हितधारक भाव की अनिश्चता के जोखिम को दूर कर व्यवसाय करते हø, ऐसा कहा जाता है। लेकिन ऐसा करने के अन्य मार्ग भी हø।
वायदा का जो फायदा बताया जाता है वह तब मिलेगा जब हाजिर वायदा व्यापार बाजार एकरूप और एकत्रित हो, बाजार में सभी के पास एक समान जानकारी हो और सौदा करने का खर्च नगण्य हो। हमारे कृषि उत्पादों का हाजिर बाजार खंडित, फैला हुआ, गैर कार्यदक्ष और वैविध्यपूर्ण है। सरकार का पूरी तरह हस्तक्षेप है और बाजार भाव का मुश्किल से चौथा भाग किसानों को मिलता है। इस वातावरण में वायदा का कामकाज मुट्ठी भर सटोरियों का खेल बन रहा है। वास्तव में सेबी को सभी आवश्यक चीज वस्तुओं पर वायदा के सट्टागत कामकाज पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए और उसके बदले डिलिवरी आधारित फारवर्ड ट्रेडिंग की प्रथा चालू करनी चाहिए। ऐसा होता है तो कागज, पेंसिल का धंधा रुकेगा और सचमुच किसान, प्रोसेसर्स, वायदा व्यापार निर्यातक अपना जोखिम कम कर सकेंगे।
वायदा कारोबार के नफा-नुकसान
वायदा कारोबार का भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रवेश एक बिलकुल नए तरह का आर्थिक उपक्रम है जिसने कृषि जिंसों के मूल्यों पर गहरा असर डाला और किसानों को बेहाल करने में अनोखी भूमिका निभाई है. भारतीय किसान वायदा कारोबार से होने वाले लाभ से वंचित रहा और सारा फायदा सटोरिए ले गए.
वायदा कारोबार का सबसे बुरा प्रभाव कीमतों के तेजी से उतार-चढ़ाव में देखने को मिला. अब कृषिगत उपज की कीमतें बाजार के आधार पर तय होने लगीं और बिचौलिए इसका गलत फायदा उठा रहे हैं. अतः आवश्यकता है एक सही और संतुलित दृष्टिकोण की ताकि कृषिगत उपजों के मूल्य अनावश्यक रूप से ऊंचाई पर ना पहुंचें और देश की खाद्य सुरक्षा ना प्रभावित हो.
क्या है वायदा कारोबार
किसी आगामी तारीख के लिए किया जाने वाला कारोबारी वायदा व्यापार सौदा, जिसमें शेष भुगतान और डिलीवरी उसी आगामी तारीख को ही होती है वायदा कारोबार के नाम से जाना जाता है. उत्पादक भविष्य में कीमतों की गिरावट की संभावना को देखते हुए वायदा कारोबार को सुरक्षा कवच के रूप में अपनाते हैं. दूसरी ओर खरीदार सौदे की तारीख तक कीमतों के बढ़ने से मिलने वाले मुनाफे को ध्यान में रखता है. इस प्रकार वायदा कारोबार उत्पादक और निवेशक दोनों की ही जरूरत पूरी करता है, लेकिन 2003 में कृषि उपजों के वायदा कारोबार को अनुमति मिलने से जिस ढंग से महंगाई की रफ्तार में तेजी आई है उससे वायदा कारोबार को संदेह की नजर से देखा जाने लगा है. इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. समिति ने प्रधानमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में वायदा कारोबार और महंगाई के बीच सकारात्मीक संबंध पाया है. समिति ने महंगाई रोकने के लिए जो 20 सिफारिशें की हैं उनमें सबसे प्रमुख है कुछ समय के लिए सभी आवश्यक खाद्य वस्तुओं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाना.
वायदा कारोबार की प्रकृति
वास्तव में वायदा कारोबार की प्रकृति आम किसान के हितों से कहीं मेल नहीं खाती. इसमें मसालों को छोड़कर अधिकांश सौदों की एक इकाई का आकार दस टन निर्धारित किया गया. देश के 84 फीसदी किसान दो एकड़ से कम जमीन वाले हैं, जिनका कुल उत्पादन मुश्किल से एक टन होता है. फिर बड़े किसानों में भी गिने-चुने लोग हैं जो दस टन के सौदे करते हैं. ये सौदे ज्यादातर ऑनलाइन होते हैं और 95 फीसदी सौदे मुंबई स्थित दो बड़े कमोडिटी एक्सचेंजों में लिखे जाते हैं. सारा कामकाज अंग्रेजी में होता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक पांच लाख लोगों के अलावा बाकी देश इन सौदों को हाथ नहीं लगाता. इसके बावजूद 2010-11 में एक लाख करोड़ से अधिक के सौदे हुए. इसमें वस्तुओं की उपलब्धता की तुलना में 20 से 300 गुना तक सौदे किए जाते हैं. वायदा कारोबार मुख्य रूप से अनुमान का खेल है और व्यापार में कोई भी घाटे का अनुमान नहीं लगाता. भारत समेत पूरी दुनिया में खाद्य पदार्थो में सट्टेबाजी ने तहलका मचाया हुआ है. संयुक्त राष्ट्र के भोजन के अधिकार संबंधी रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतराष्ट्रीय अनाज बाजार में दामों में करीब 30 फीसदी वृद्धि सट्टे के कारण हुई हैं. जब वैश्विक स्तर पर ऐसा हो रहा है तो यह कैसे संभव है कि भारत में वायदा बाजार महंगाई को हवा न दे.
सटोरियों का मजा
अंतरराष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संगठन ने भी स्वीकार किया है कि वायदा बाजार में सट्टेबाज कमोडिटी के दाम बढ़ाते जा रहे हैं. भारत में भी यही स्थिति है. यहां बड़े-बड़े सटोरिए बिना मेहनत के रोज लाखों-करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं. इन्हीं के कारण कीमतें एकाएक बढ़ जाती हैं. कृषि से संबंधित संसद की स्थाई समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में कृषि उत्पादकों की कीमतों में कृत्रिम बढ़ोतरी के लिए वायदा कारोबार जिम्मेदार है. रिपोर्ट में कृषि जिंसों में वायदा सौदों को हतोत्साहित करने की सिफारिश की गई है.
दूसरी ओर कृषि जिंस और वायदा कारोबार विषय पर गठित अभिजीत सेन समिति का कहना है कि कृषि जिंसों के वायदा कारोबार से महंगाई का कोई संबंध नहीं है. उदाहरण के लिए चीनी के वायदा पर मई 2009 में रोक लगाई गई थी इसके बावजूद चीनी की कीमतें पचास रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं. भारत में समस्याएं इसलिए पैदा हुई हैं कि जिस तेजी से वायदा कारोबार का विकास हुआ उस तेजी से न तो जोखिम प्रबंधन किया गया और न ही नियामक ढांचे का विकास. वायदा बाजार में सट्टेबाज और निवेशक महत्वपूर्ण जरूर होते हैं, लेकिन सिर्फ उन्हें ही ध्यान में रखकर सौदे नहीं होने चाहिए.
Futures Trading Oil and Oilseeds: तेल व तिलहन का वायदा कारोबार से हटे प्रतिबंध
भारतीय वायदा बाजार में खाद्य तेल तिलहन वायदा प्रतिबंधित होने से बाजार प्रतिभागी वायदा व्यापार अपने मूल्य जोखिम प्रबंधन से पिछले करीब एक वर्ष से वंचित हैं, जो कि वर्तमान समय की आवश्यकता है। तेल तिलहन में वायदा व्यापार बंद होने से व्यापारी वर्ग या प्रोसेसर को अग्रिम सौदे करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
Published: September 12, 2022 09:44:59 am
भारतीय वायदा बाजार में खाद्य तेल तिलहन वायदा प्रतिबंधित होने से बाजार प्रतिभागी अपने मूल्य जोखिम प्रबंधन से पिछले करीब एक वर्ष से वंचित हैं, जो कि वर्तमान समय की आवश्यकता है। तेल तिलहन में वायदा व्यापार बंद होने से व्यापारी वर्ग या प्रोसेसर को अग्रिम सौदे करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा एवं संयुक्त सचिव अनिल चतर ने भारत सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे ज्ञापन में कहा है कि 8 अक्टूबर 2021 को सरकार ने तेल-तिलहन जिंसों में अचानक से वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। डाटा ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि तेल व तिलहन पर वायदा कारोबार शीघ्र शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि वायदा बाजार पर रोक लगने से किसान असमंजस में हैं कि उनका माल किस भाव पर बिकेगा। इसी प्रकार उपभोक्ता को यह पता ही नहीं लगता कि उसे माल किस भाव पर खरीदना होगा।
राजस्थान में 50 फीसदी से ज्यादा सरसों तेल मिलें बंद, जाने क्यों बंद हो रही हैं तेल मिलें
केन्द्र के राजस्व में बढ़ोतरी होगी
वायदा बाजार फिर से शुरू करने से केन्द्र के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में देश के किसानों के पास सरसों, सोयाबीन एवं मूंगफली का स्टॉक करीब 90 लाख टन है। खरीफ सीजन की फसल में सोयाबीन एवं मूंगफली की पैदावार क्रमश: 130 लाख टन तथा 85 लाख टन के करीब होने का अनुमान है। आगामी रबी सीजन की सरसों एवं अन्य तिलहनों की पैदावार सहित हमारे पास अप्रैल तक करीब 350 लाख टन तिलहनों का स्टॉक रहेगा। यही कारण है कि सरकार को अभी से वायदा बाजार से रोक तुरंत वायदा व्यापार प्रभाव से हटा लेनी चाहिए। वायदा कारोबार शुरू होते ही त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की कीमतों में स्थिरता देखने को मिलेगी। चतर ने बताया कि पूर्व में भारत सरकार ने सोयाबीन सीड एवं ऑयल, उड़द, चना, ग्वार, ग्वार गम तथा अरंडी आदि कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उचित समय पर सरकार ने निर्णय लेकर इनके वायदा बाजार को बहाल कर दिया था, जिसके परिणाम अनुकूल रहे। लिहाजा तेल तिलहन वायदा बाजार को भी शीघ्र शुरु करने की जरूरत है।
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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Narendra Singh Solanki
विजय बैंसला के लिए गुर्जर आरक्षण समिति ने कह डाली वायदा व्यापार ये बात और सरकार को दी चेतावनी..
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भारतीय वायदा बाजार में खाद्य तेल तिलहन वायदा प्रतिबंधित होने से बाजार प्रतिभागी अपने मूल्य जोखिम प्रबंधन से पिछले करीब एक वर्ष से वंचित हैं, जो कि वर्तमान समय की आवश्यकता है। तेल तिलहन में वायदा व्यापार बंद होने से व्यापारी वर्ग या प्रोसेसर को अग्रिम सौदे करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
Published: September 12, 2022 09:44:59 am
भारतीय वायदा बाजार में खाद्य तेल तिलहन वायदा प्रतिबंधित होने से बाजार प्रतिभागी अपने मूल्य जोखिम प्रबंधन से पिछले करीब एक वर्ष से वंचित हैं, जो कि वर्तमान समय की आवश्यकता है। तेल तिलहन में वायदा व्यापार बंद होने से व्यापारी वर्ग या प्रोसेसर को अग्रिम सौदे करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा एवं संयुक्त सचिव अनिल चतर ने भारत सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे ज्ञापन में कहा है कि 8 अक्टूबर 2021 को सरकार ने तेल-तिलहन जिंसों में अचानक से वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। डाटा ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि तेल व तिलहन पर वायदा कारोबार शीघ्र शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि वायदा बाजार पर रोक लगने से किसान असमंजस में हैं कि उनका माल किस भाव पर बिकेगा। इसी प्रकार उपभोक्ता को यह पता ही नहीं लगता कि उसे माल किस भाव पर खरीदना होगा।
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वायदा बाजार फिर से शुरू करने से केन्द्र के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में देश के किसानों के पास सरसों, सोयाबीन एवं मूंगफली का स्टॉक करीब 90 लाख टन है। खरीफ सीजन की फसल में सोयाबीन एवं मूंगफली की पैदावार क्रमश: 130 लाख टन तथा 85 लाख टन के करीब होने का अनुमान है। आगामी रबी सीजन की सरसों एवं अन्य तिलहनों की पैदावार सहित हमारे पास अप्रैल तक करीब 350 लाख टन तिलहनों का स्टॉक रहेगा। यही कारण है कि सरकार को अभी से वायदा बाजार से रोक तुरंत प्रभाव से हटा लेनी चाहिए। वायदा कारोबार शुरू होते ही त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की कीमतों में स्थिरता देखने को मिलेगी। चतर ने बताया कि पूर्व में भारत सरकार ने सोयाबीन सीड एवं ऑयल, उड़द, चना, ग्वार, ग्वार गम तथा अरंडी आदि कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उचित समय पर सरकार ने निर्णय लेकर इनके वायदा बाजार को बहाल कर दिया था, जिसके परिणाम अनुकूल रहे। लिहाजा तेल तिलहन वायदा बाजार को भी शीघ्र शुरु करने की जरूरत है।
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Narendra Singh Solanki
विजय बैंसला के लिए गुर्जर आरक्षण समिति ने कह डाली ये बात और सरकार को दी चेतावनी..
वायदा बाजार
दुनिया का वायदा बाजार का मतलब 'अधि़कारिक जुआ' जिसको सरकारे खिलाती हे जिसमे ९९% जनता नुकसान देती हे हमारा कहना हे आम जनता इससे दूर रहे अगर किसी को धन गवाना हो तो ही शेयरऔर वस्तु-बाजार मे आये उसका स्वागत हे ये शराब-जुआ आदि से ज्यादा खतरनाक हे इसमे आदमी तिल-तिल कर मरता हे परेशान होकर आत्म-हत्या तक कर लेता हे अगर आप जुआरी-शराबी हे तो कोई बात नही खेलिये ?अगर आपको वजन कम करना हो खेलिये आपको बीबी-बच्चो से प्यार नही जरुर खेलिये अगर समय से पहले मरना हे जरुर खेलिये नाते-रिश्तेदारी सम्पर्कवाले करीबी मिलने वालो सबसे दूर रहना हे जरुर खेलिये . नही सीख मिली हो तो भी खेलना हे तो इस बाजार की जानकारी कीजिये १ शहर जिन्स शेयर आदि की चाल वायदा व्यापार होती हे चाल को देखना चाहिये २ हमेशा नीचे मे खरीदना चाहिये उपर मे बेचना चाहिये माल ना होने की दशा बेचकर नही खेलना चाहिये |३ शेयरो वायदा व्यापार को हमेशा ऊचे रेट के ५% कीमत मे लेना चाहिए मान लीजिए किसी शेयर की कीमत १००० रुपये तक गई तो उसको ५०रु तक आने का इन्त्तजार करे शेयर को हर हाल मे नीचे आना चाहिये| १साल मे नीचे आयेगा ३साल से ५साल मे बदेगा १साल मे ९५% गिरेगा जब-जब चुनाव होगे चुनावो के बाद बाजार बदना शुरु हो जाता लगभग ३साल१०महीने मे बाजार सबसे ऊचा होगा हर वस्तु महगी होगी | उसके बाद मन्दी शुरु हो जायेगी चुनाव से ४ महिने पहले तक घोर मन्दी होगी | वहा आप खरीद कर सकते हे सरकार बनने के ४महिने बाद बाजार मे धीरे-धीरे तेजी आना शुरु हो जायेगी | लगभग ४साल तेजी के बाद मन्दी शुरु हो जायेगी| ये वायदा बाजार ऐसे ही चलता रहता हे| ये ही हाल जमीनो -मकानो कच्चे माल वस्तु-वायदा बाजार मे भी चलता हे जो वस्तु चुनाव के समय से कितनी भी महगी हो जाये ३३% कीमत पर जरुर वापस आयेगी|आप को अपनी जमा पूजी का १०% इस बाजार मे लगाना चाहिए|इससे ज्यादा नही इसको व्यापार मत समझिये ये सट्टा हे ये सट्टा केसे चलता हे| मे आपको बताता हु कम्प्यूटर पर आपको दोनो तरफ खरीददार और बिकवाल नजर आते हे वो ज्यादातर फर्जी होते हे| और आपस मे खरीद बेच करते रहते हे आपको लगता हे बाजार मे तेजी मन्दी चल रही हे|जबकि वो इन्तजार मे हे| कब आप खरीद या बेच करे जनता बहुतायत मे जिस काम को करेगी वो उसके विपरीत चल देगे यानी जनता ही तेजी मन्दी लाने मे मुख्य भूमिका निभाती हे| उनकी कोशिश होती हे जनता उनके हिसाब से सोचे जनता किधर भी जाये जीत उन्ही की होनी हे |क्योकि जनता एक नही हे वो एक ही थेली के चट्टे- बट्टे हे|बाजार मे बहुतायत मे जो काम हो रहा हो उसके विपरीत चले| जिस रेट मे खरीद की हे उसका ५०% नीचे आने पर ही दूसरी खरीद करे माल दोगुना कर दे जेसे १शेयर भाव५०रुपये .
यहां पुनर्निर्देश करता है:
यूनियनपीडिया एक विश्वकोश या शब्दकोश की तरह आयोजित एक अवधारणा नक्शे या अर्थ नेटवर्क है। यह प्रत्येक अवधारणा और अपने संबंधों का एक संक्षिप्त परिभाषा देता है।
इस अवधारणा को चित्र के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है कि एक विशाल ऑनलाइन मानसिक नक्शा है। यह प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है और प्रत्येक लेख या दस्तावेज डाउनलोड किया जा सकता है। यह शिक्षकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों या छात्रों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है कि एक उपकरण, संसाधन या अध्ययन, अनुसंधान, शिक्षा, शिक्षा या शिक्षण के लिए संदर्भ है, अकादमिक जगत के लिए: स्कूल, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च विद्यालय, मध्य, महाविद्यालय, तकनीकी डिग्री, कॉलेज, विश्वविद्यालय, स्नातक, मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री के लिए; कागजात, रिपोर्ट, परियोजनाओं, विचारों, वायदा व्यापार प्रलेखन, सर्वेक्षण, सारांश, या शोध के लिए। यहाँ परिभाषा, विवरण, विवरण, या आप जानकारी की जरूरत है जिस पर हर एक महत्वपूर्ण का अर्थ है, और एक शब्दकोष के रूप में उनके संबद्ध अवधारणाओं की एक सूची है। हिन्दी, अंग्रेज़ी, स्पेनी, पुर्तगाली, जापानी, चीनी, फ़्रेंच, जर्मन, इतालवी, पोलिश, डच, रूसी, अरबी, स्वीडिश, यूक्रेनी, हंगेरियन, कैटलन, चेक, हिब्रू, डेनिश, फिनिश, इन्डोनेशियाई, नार्वेजियन, रोमानियाई, तुर्की, वियतनामी, कोरियाई, थाई, यूनानी, बल्गेरियाई, क्रोएशियाई, स्लोवाक, लिथुआनियाई, फिलिपिनो, लातवियाई, ऐस्तोनियन् और स्लोवेनियाई में उपलब्ध है। जल्द ही अधिक भाषाओं।