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विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग

विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग
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कोपेन के अनुसार भारतीय जलवायु का वर्गीकरण (Classification of Indian climate according to Koppen)

कोपेन ने सर्वप्रथम वर्ष 1918 में भारत को तीन जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया। इसके पश्चात् उन्होंने इस योजना में वर्ष 1931 व 1936 में इसमें संशोधन किया। कोपेन ने जलवायु प्रदेशों के निर्धारण हेतु निम्नलिखित चरों (Variables) का प्रयोग किया है

  • वार्षिक एवं मासिक औसत तापमान
  • वार्षिक एवं मासिक वर्षा
  • वनस्पति

कोपेन ने विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग विभिन्न जलवायु प्रदेशों के लिए अंग्रेजी के संकेताक्षरों का प्रयोग किया है। उपर्युक्त कारकों के आधार पर कोपेन ने भारत को 5 मुख्य जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया है, जो निम्न है — A, B, C, D, तथा E। कोपेन ने पुनः वर्षा एवं विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग तापमान के वितरण प्रतिरूप में मौसमी भिन्नता के आधार पर इन 5 मुख्य प्रकारों को पुनः 9 उप-प्रकारों में विभाजित किया है। इन उप-प्रकारों के लिए कोपन ने अंग्रेजी के छोटे वर्णो m, w, s, h, g, f, c का प्रयोग किया है।

कोपेन द्वारा भारत की जलवायु को निम्न वर्गों में विभाजित किया गया है, जो निम्न है —

ऐसी जलवायु मुम्बई के दक्षिण में पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में पायी जाती है। इन क्षेत्रों में विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग दक्षिण-पश्चिमी मानसून से ग्रीष्म ऋतु में 250-300 सेमी. से अधिक वर्षा होती है। इस जलवायु प्रदेश में आने वाले मुख्य क्षेत्र निम्नवत् हैं —

  • मालाबार एवं कोंकण तट,
  • गोवा के दक्षिण तथा पश्चिमी घाट पर्वत का पश्चिमी ढाल,
  • अंडमान-निकोबार द्वीप समूह।

उष्ण कटिबंधीय सवाना जलवायु प्रदेश (AW प्रकार)

यह जलवायु कोरोमण्डल एवं मालाबार तटीय क्षेत्रों के अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पठार के अधिकांश भागों में पायी जाती है। अर्थात् यह जलवायु कर्क रेखा के दक्षिण में स्थित प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश भागों में पायी जाती है। यहाँ सवाना प्रकार की वनस्पति पायी जाती है। इस प्रकार के प्रदेश में ग्रीष्मकाल में दक्षिण-पश्चिम मानसून से लगभग 75 सेमी. वर्षा होती है जबकि शीत काल सूखा रहता है।

यहाँ शीतकाल में वर्षा होती है और ग्रीष्म ऋतु शुष्क रहती है। यहाँ शीत ऋतु में उत्तर-पूर्वी मानसून (लौटते हुए मानसून) से अधिकांश वर्षा होती है। वर्षा ऋतु की मात्रा शीतकाल में लगभग 75-100 सेमी. होती है इसके अन्तर्गत तटीय तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के सीमावर्ती प्रदेश आते हैं।

UPPSC Pre General Studies-1 Exam Paper – 2012 (Solved)

85. निम्न में से किस क्षेत्र से भारत में सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GDP) का सबसे बड़ा भाग प्राप्त होता है ?
A. कृषि तथा सम्बन्धित क्षेत्रों से
B. विनिर्माण, निर्माण, बिजली तथा गैस से
C. सेवा क्षेत्र से
D. रक्षा तथा लोक प्रशासन से

86. निम्नलिखित में से कौन सा भारत में मुद्रा स्फीति के प्राक्कलन का सबसे प्रचलित माप है ?
A. मूल्य सूचकांक
B. थोक मूल्य सूचकांक
C. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
D. औद्योगिक वस्तुओं का मूल्य सूचकांक

87. वर्ष 2011 के अनुमान के अनुसार विश्व की जनसंख्या का कितना प्रतिशत भारत में रहता है ?
A. 15
B. 17.5
C. 20
D. 22.5

88. धारणीय विकास किसके उपयोग के सन्दर्भ में अन्तर-पीढ़ीगत संवेदनशील का विषय है ?
A. प्राकृतिक संसाधन
B. भौतिक संसाधन
C. औद्योगिक संसाधन
D. सामाजिक संसाधन

गणितीय पठन लेखन और प्रतिरूपण : शब्द समस्यायें

विद्यार्थी और प्रौढ़ को भी अक्सर गणित कठिन लगती है, क्योंकि वे गणितीय तथ्यों को वास्तविक जीवन से नहीं जोड़ पाते और न ही इसके विपरीत कर पाते हैं। शब्द समस्याओं को अक्सर वास्तविक जीवन और गणित की कक्षा के बीच अंतर को खत्म करने वाले पुल के रूप में देखा जाता है। यद्यपि दुनिया भर के विद्यार्थी शब्द समस्याओं वाली परीक्षाओं में अक्सर खराब प्रदर्शन करते हैं। जब विद्यार्थियों ने शब्द समस्याओं से संबंधित गणितीय प्रचालनों की तकनीकी क्षमताओं में महारत हासिल कर ली हो, तब भी उन्हें शब्द समस्याओं का समाधान करने के लिए आवश्यक इन तकनीकों को लागू करने में कठिनाई आ सकती है। (मोरेल्स और अन्य, 1985)। गणित में शब्द समस्याओं को लेकर होने वाली परेशानियों विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग के संबंध में काफी अनुसंधान हुआ है।

इस इकाई में शब्द समस्याओं के साथ काम करते हुए शिक्षण को देखा गया है और आपको ऐसे सुझाव दिये गये हैं कि अपने विद्यार्थियों को गणितीय शब्द समस्याएं पढ़ने और लिखने में मदद कैसे करें। यह इकाई गणितीय प्रतिरूपण के विचार का प्रयोग करके आपके विद्यार्थियों को यह समझने में मदद करती है कि शब्द समस्याएं प्रतिरूप हैं और ज़रूरी नहीं कि वे दैनिक जीवन का प्रतिनिधित्व करती हों।

आरबीआई ने _____ की अध्यक्षता में माइक्रोफाइनेंस/ सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में मुद्दों और चिंताओं का अध्ययन करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया।

Key Points

  • आरबीआई ने YH मालेगाम की विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग अध्यक्षता में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में मुद्दों और चिंताओं का अध्ययन करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया।
  • 2010 में AP माइक्रोफाइनेंस संकट के मद्देनजर, RBI ने MFI क्षेत्र में मुद्दों और चिंताओं का अध्ययन करने के लिए श्री वाई एच मालेगाम की विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
  • सूक्ष्म वित्त के प्रति विनियामक दृष्टिकोण काफी हद तक मालेगाम समिति की सिफारिशों पर आधारित है।
  • मालेगाम समिति की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार थीं:
    • माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में काम कर रहे NBFC की एक अलग श्रेणी का निर्माण NBFC - MFI के रूप में नामित किया जाएगा।
    • 'अर्हक आस्तियों' के रूप में वर्गीकृत 'सूक्ष्म वित्त ऋण' को परिभाषित करने के लिए मानदंड।
    • पूंजी पर्याप्तता और प्रावधानीकरण आवश्यकताओं पर विवेकपूर्ण मानदंड।
    • व्यक्तिगत ऋणों पर मार्जिन कैप और ब्याज दर की उच्चतम सीमा के संदर्भ में ऋण के मूल्य निर्धारण से संबंधित नुस्खे।
    • ब्याज शुल्क के साथ-साथ ऋण के अन्य नियमों और शर्तों में पारदर्शिता कई उधार, अति-उधार और वसूली के जबरदस्त तरीकों को संबोधित करने के उपाय शिकायत निवारण की एक उचित प्रणाली की स्थापना।

    इन्टरनेट का जीवन में उपयोग
    (80-100 words)

    wanttogainknowledge

    इंटरनेट ने लोगों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। घर हो या ऑफिस इंटरनेट को कई कारणों से हर जगह इस्तेमाल किया जाता है। इंटरनेट के कुछ उपयोगों में संचार, खरीदारी, बुकिंग, शोध और अध्ययन शामिल हैं। इंटरनेट इन दिनों हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। इसने लोगों को काफ़ी करीब ला दिया है। चाहे वे आपके दोस्त हो, परिवार के सदस्य या आपके व्यापार के सहयोगी - हर कोई सिर्फ एक क्लिक दूर है यह बताने के लिए कि हमारे पास इंटरनेट है और यह इंटरनेट का मात्र एक उपयोग है।इंटरनेट ने कई बदलाव लाए हैं। जिस तरह से हम रहते हैं और अपने विभिन्न कार्य करते हैं इसने इन सबको बदल के रख दिया है। इंटरनेट अपने कई उपयोगों के लिए जाना जाता है और इसने लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। आज लगभग सभी चीजें ऑनलाइन हो गई है। यात्रा और पर्यटन ऐसे क्षेत्रों में से एक है जिस पर इंटरनेट का भारी प्रभाव पड़ा है।

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