आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है?

IPO क्या होता है? हिंदी में जानें – What is IPO and How to Invest in IPO
आज हम आपको IPO In Hindi – आईपीओ क्या है? इसके बारे में पूरी जानकारी हिंदी में यहाँ बताने वाले हैं। क्या आप भी What is IPO kya hai in Hindi के बारे में जानना चाहते हैं.?
तो आइये हम जानते हैं कि आईपीओ क्या है और IPO में Invest कैसे किया जाता है? क्या हमें IPO में Invest करना चाहिए या नहीं। अगर आप Share Market पर पल पल की खबर रखते हैं तो आप ज़रूर IPO के बारे में सुनते होंगे।
अक्सर कई Companies अपने आईपीओ को जारी करती ही हैं। आप भी IPO में इनवेस्टिंग के बारे में जरूर सोचते होंगे, लेकिन फिर आपको लगता होगा कि आख़िर कैसे IPO में इनवेस्ट किया जाए?
इस लेख को पढ़ें और जाने कि शेयर बाजार में IPO क्या हैं और आईपीओ से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
What is IPO Hindi me – आईपीओ क्या है?
IPO (Initial Public Offering), एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा कोई निजी कंपनी अपने शेयरों की बिक्री आम जनता को सार्वजनिक तौर पर कर सकती है। यह Company कोई एक नई या कोई एक पुरानी कंपनी भी हो सकती है जो एक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का फैसला करती है और इसलिए यह सार्वजनिक हो जाती है।
किसी कंपनी के सार्वजनिक होने या पब्लिक होने का मतलब है कि अब इस कंपनी के शेयर आम लोगों को जारी किये जा सकते हैं और ये लोग इन्हें शेयर बाजार में खरीद और बेच सकते हैं। एक कंपनी एक से ज्यादा बार भी आईपीओ ला सकती है और यह Primary Market के अंतर्गत होता है।
What is Initial public offering (IPO) in Hindi
अगर ज्यादा साधारण तरह से जानना है तो कहेगें कि आईपीओ के जरिए कंपनी फंड इकट्ठा करती है और उस फंड को कंपनी की तरक्की में खर्च करती है। बदले में आईपीओ खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? के आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? शेयर खरीदते है तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
कोई Company IPO क्यों लाती हैं।
Company का कर्ज कम करने लिए: जब किसी कंपनी का कर्ज ज्यादा होता है तो इस स्थिति में कंपनी आईपीओ जारी करती है। कंपनियाँ किसी Bank से Loan लेकर कर्ज की भरपाई करने से बेहतर यह अपने कंपनी के कुछ शेयर बेच कर कर्ज का भुगतान करना आसन समझती हैं। इस तरह से कंपनी कर्ज का भी भुगतान करती है और कंपनी को नए Investor भी मिल जाते हैं।
Company विस्तार के लिए: अगर किसी कंपनी को लगता है कि वह लगातार Develop और बाज़ार में अच्छा Perform कर रही है और विस्तार की जरूरत है यानि अब कंपनी को दूसरे शहरों में भी अपना Business बढ़ाना है और इसके लिए Extra Resources की जरूरत है तो इस स्थिति में कंपनी IPO जारी करती है।
वैसे कंपनी किसी Bank से Loan भी ले सकती है, लेकिन बैंक को Loan Amount के साथ Interest भी लौटाना होता है। लेकिन अगर Company IPO के जरिए Fund इकट्ठा करती है तो उसे किसी तरह का Bank Loan लौटाना नहीं पड़ता और नहीं किसी भी प्रकार का Interest देना पड़ता है।
IPO के Prospectus क्यों पढ़ें:
Initial Public Offering को जारी करने वाली कंपनी अपने IPO के लिए Prospectus भी जारी करती है। कसी भी तरह का निवेश करने से पहले इसे पूरी तरह से पढ़ लेना चाहिए। IPO Prospectus में कंपनी और आईपीओ के बारे में सारी जानकारी दी जाती है।
IPO के Prospectus पढ़ कर Investors ये अंदाज लगा सकते हैं कि कंपनी IPO से मिलने वाली पूँजी का उपयोग कहाँ करेगी और क्या कंपनी बेहतर रिटर्न जुटा पाएगी या नहीं।
Types of IPO – आईपीओ के प्रकार:
यदि आप IPO में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको IPO के अलग अलग Types के बारे में जानकारी होना चाहिए।
Initial Public Offering (IPO) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? -
Fix Price IPO
कोई भी Company जो आईपीओ जारी करने वाली होती हैं वह आईपीओ जारी करने से पहले Investment Bank के साथ मिलकर IPO के Price के बारे में चर्चा करती है और जारी होने वाले आईपीओ का Price Decide करती है। Investor उस Fixed Price पर ही IPO Subscribe कर सकते हैं।
Book Building IPO
इस तरह के IPO में Company, Investment Bank के साथ मिलकर IPO का एक Price Band Decide करती है। जब आईपीओ की Price Band Decide हो जाती है उसके बाद इसे जारी किया जाता है। इसके बाद Investor उस Decide किए गए Price Band में से अपनी Bid Subscribe करते हैं।
How to Invest in IPO – आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है?
तो दोस्तों अब तक हमने जाना कि IPO क्या है और आईपीओ क्यो जारी किया जाता है। अब हम जानेगें कि IPO में Investment कैसे कर सकते हैं?
आईपीओ जारी करने वाली कंपनी अपने आईपीओ को इनवेस्टर्स के लिए 3-10 दिनों के लिए ओपन करती है। मतलब कोई भी आईपीओ जब आता है तो उसे कोई भी इनवेस्टर 3 से 10 दिनों के भीतर ही खरीद सकता है। कोई कंपनी अपने आईपीओ जारी करने की अवधि सिर्फ 3 दिन भी रखती है तो कोई तीन दिन से ज्यादा रखती है।
आप इन निश्चित दिनों के भीतर की कंपनी की Official Website पर जाकर या Registered Brokerage के जरिए IPO में Invest कर सकते हैं। अगर Fix Price IPO है तो आपको उसी Fix Price पर IPO के लिए Apply करना होगा और IPO अगर Book Building है तो आपको उस Book Building Issue पर ही Bid लगानी होगी।
What is the IPO Allotment Process – आईपीओ अलॉटमेंट
जब आईपीओ ओपनिंग क्लोज हो जाती है तो कंपनी आईपीओ का अलॉटमेंट करती है। इस प्रोसेस में कंपनी सभी इनवेस्टर्स को आईपीओ अलॉट करती है और इनवेस्टर्स को आईपीओ अलॉट होने के बाद शेयर Stock Market में लिस्ट हो जाते हैं।
स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद शेयर सेकेंड्री मार्केट में खरीदे और बेचे जाते हैं। जब तक शेयर, स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं होते हैं आप उन्हें नहीं बेच सकते हैं। एक बार जब स्टॉक मार्केट में शेयर लिस्ट हो जाते हैं तो पैसा और शेयर ये दोनों इनवेस्टर के बीच एक्सचेंज होते रहते हैं।
एक बार लिस्ट होने के बाद Stock Market के Timing के अनुसार आप Share को Buy या Sell कर सकते हैं।
आज हमने “IPO kya hai” के बारे में जाना। दोस्तों, अगर आप Share Market में Invest करना चाहते हैं या फ़िर सोच रहें हैं तो आप Personally किसी Financial adviser से जरुर मिले और बिना पूरी जानकरी के Market में Invest ना करे क्यूंकि इससे आपके निवेश के डूबने का डर बना रहता हैं।
उम्मीद करता हूँ कि आपको “Initial Public Offering (IPO)” से जुड़ी जानकारी पसंद आई होगी।
(Note: The information provided in this article is generic in nature and for informational purposes only. It is not a substitute for specific advice in your own circumstances/ इस लेख में IPO kya hota hai पर दी गई जानकारी केवल सूचना प्रयोजनों के लिए है।)
IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान
इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.
आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.
IPO: भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की बाढ़ आई हुई है. स्टॉक इंडेक्स अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अभी और ज्यादा आईपीओ के आने की उम्मीद है. निवेशक भी इन आईपीओ के ज़रिए पैसा कमाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, हालांकि नए निवेशकों को इन आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. नए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.
क्या है IPO
इनिशियल पब्लिक ऑफर बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.
यह ध्यान रखना अहम है कि सभी आईपीओ को उनके मन मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. अतीत में ऐसे कई आईपीओ रहे हैं जो सफल नहीं हो सके जबकि कई अन्य ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों की संपत्ति में इजाफा किया. इसलिए, निवेशकों को किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. आईपीओ में पैसा लगाते समय निवेशकों के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है.
Multicap Funds: रिटर्न चार्ट में टॉप पर हैं ये मल्टीकैप, 10 साल से मिल रहा है 21% तक सालाना रिटर्न, क्या है खासियत
DRHP को ध्यान से पढ़ें
किसी कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस या DRHP के ज़रिए उस कंपनी को समझा जा सकता है. इस दस्तावेज को बाजार नियामक सेबी के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कंपनी से संबंधित अहम जानकारियां होती हैं. इसमें कंपनी के बिजनेस, पास्ट परफॉरमेंस, संपत्ति और देनदारियां, आईपीओ के ज़रिए प्राप्त फंड के इस्तेमाल से संबंधित डिटेल और संभावित रिस्क फैक्टर्स जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं, आदि जानकारियां होती हैं. निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको इसे अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. DRHP कई अहम जानकारी प्रदान करता है, जिसकी मदद से आप कंपनी के व्यवसाय को बेहतर ढंग से समझने और इस आधार पर निवेश का निर्णय ले सकते हैं.
जुटाई गई पूंजी का उद्देश्य
इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और डीआरएचपी में उल्लेख करती है कि आय का इस्तेमाल मौजूदा कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा, तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि, अगर फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के साथ-साथ कंपनी की तरक्की के मिश्रित उद्देश्य के लिए किया जाना है, तो निवेश करने पर विचार किया जा सकता है. अगर कंपनी पहले ही अच्छा परफॉर्म कर रही है और आईपीओ से प्राप्त फंड का इस्तेमाल कंपनी की तरक्की के लिए करना चाहती है तो ऐसे में इसमें निवेश करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
प्रमोटरों को जानें
जो लोग कंपनी को चला रहे हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए. इसमें फर्म के प्रमोटर और प्रबंधन के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल हैं. कंपनी ग्रोथ करेगी या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रमोटर और प्रमुख अधिकारी कौन हैं. कंपनी के सभी तरह के व्यावसायिक निर्णय इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं. एक निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रमुख प्रबंधन आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? अधिकारियों ने कंपनी के साथ कितने साल बिताए हैं.
कंपनी के कारोबार और इसके विस्तार के बारे में जानें
कंपनी जिस सेक्टर से संबंधित है, उसमें कंपनी की स्थिति, उसकी बाजार हिस्सेदारी, उसके उत्पादों की पहुंच, भौगोलिक प्रसार, विस्तार योजनाएं, अनुमानित लाभ, सप्लाई चैन, संकट से निपटने की क्षमता जैसे फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है. इन सभी जीचों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कंपनी भविष्य में ग्रोथ करेगी या नहीं.
रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें
कंपनी अपने DRHP में रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताती है. एक निवेशक को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जिन पर निर्भर करता है कि इस आईपीओ में निवेश से फायदा होगा या नुकसान. कानूनी मुकदमों, पॉलिसी से संबंधित परिवर्तनों और ब्याज दरों समेत कई तरह के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं. यह कंपनी की भविष्य की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.
किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए. अगर बिजनेस बाजार सहभागियों की सलाह के अनुसार बहुत जोखिम भरा दिखता है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता से मेल नहीं खाता है, तो आईपीओ में निवेश से बचना बेहतर है.
(Article: Adhil Shetty)
(इस आर्टिकल को BankBazaar.com के CEO ने लिखा है.)
Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.
How To Invest In IPO In Hindi – आईपीओ में निवेश कैसे करें
How To Invest In IPO In Hindi – आईपीओ में निवेश कैसे करें
How To Invest In IPO In Hindi – आईपीओ में निवेश कैसे करें
आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है (How To Invest In IPO In Hindi): रिटेल निवेशक IPO में 2 लाख रुपये तक के शेयर खरीद सकते है उससे ज्यादा नहीं खरीद सकते है। आईपीओ में ऑनलाइन आवेदन करने के लिये बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट, पैन कार्ड होना जरूरी है। जो भी कंपनी अपना आईपीओ लेकर आयी है वह निवेशकों को 3 – 10 दिनों का समय देती है IPO में निवेश करने लिए और उसी समय के दौरान आपको अपने ब्रोकर के पास एक फॉर्म भरकर आईपीओ के लिए अप्लाई करना पड़ता है।
आईपीओ में आवेदन कैसे करें? (How To Apply For IPO In Hindi)
आईपीओ में Online और Offline दोनों तरीकों से निवेश किया जा सकता है लेकिन ऑनलाइन तरीके से आवेदन करना ज्यादा सुविधाजनक होता है। IPO आवेदन करने के लिये डीमैट अकाउंट का होना अनिवार्य है। क्योंकि शेयर Allotment होने के बाद सीधे डीमैट अकाउंट में आते है।
ऑफलाइन आवेदन कैसे करे: आईपीओ में निवेश करने के लिए सबसे पहले अपने ब्रोकर से संपर्क करें जिसके साथ आपने अपना डीमैट अकाउंट ओपन करवाया है, और उसे बताये की आपको आईपीओ में निवेश करना है।
ब्रोकर आपको एक फॉर्म प्रोवाइड करेगा जिसमें अपनी डीमैट अकाउंट डिटेल और जिस भी कंपनी के IPO में भाग लेना चाहते है उसके शेयर की बोली लगानी होगी। बोली वह प्राइस होती है जिस पर आप उस आईपीओ में मिलने वाले शेयर्स को खरीदना चाहते है।
उसके बाद उस फॉर्म को जमा करा दें। अगर आपको आबंटन मिला तो इसकी जानकारी ब्रोकर दवारा आपको दे दी जायेगी।
ऑनलाइन आवेदन कैसे करें: आईपीओ में ऑनलाइन आवेदन करने का सबसे बड़ा फायदा यह है की अगर आपको शेयर का आबंटन मिलता है तो ही भुगतान करना होगा।
जब तक IPO के Allotment की प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक आपकी राशि को बैंक द्वारा ब्लॉक कर दिया जाता है, अगर आपको शेयर Allot हो जाते है तो वह पैसा डेबिट हो जाता है नहीं तो उस पैसे को अनब्लॉक कर दिया जाता है।
ऑनलाइन आवेदन करने में ज्यादा कुछ नहीं करना होता है बल्कि अपने ब्रोकर के प्लेटफार्म पर जाकर सिर्फ IPO के लिये Apply करना होता है आपकी जानकारी आपके ब्रोकर के पास पहले से ही होती है इसलिये आपको अलग से कोई फॉर्म नहीं भरने की जरुरत नहीं है।How To Invest In IPO In Hindi
आईपीओ में निवेश करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
Price Band: प्राइस बैंड वो अधिकतम और न्यूनतम प्राइस होती है जिसके बीच में IPO के लिये बोली लगानी होती है। आम तौर पर जो कंपनी आईपीओ लेकर आ रही है उसे इजाजत होती है की वह अपना प्राइस बैंड निर्धारित कर सकें।
Last Price: आईपीओ का प्राइस बैंड निर्धारित होने के बाद आम निवेशक जो आईपीओ में बोली लगाना चाहते है वह अपनी – अपनी बोली लगाते है की वह किस प्राइस पर शेयर खरीदना चाहते है। कुछ निवेशक आईपीओ की किसी भी प्राइस पर शेयर खरीदने के लिए तैयार होते है ऐसे निवेशक आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? Cut Off Price पर बोली लगाते है Cut Off Price प्राइस बैंड की वह अंतिम प्राइस होती है जिस पर शेयर्स Allot होते है।
Lot Size: IPO में अपनी मर्जी से जितने चाहे उतने शेयर नहीं खरीद सकते है बल्कि पहले से निर्धारित Lot Size में ही शेयर खरीद सकते है एक लोट में 10, 20, या 50 शेयर भी हो सकते है। यह IPO लाने वाली कंपनी पर निर्भर करता है की वह एक लोट में कितने शेयर रखना चाहती है।
Capital Of IPO: कंपनी आईपीओ के माध्यम से कितनी रकम मार्किट से उठाना चाहती है और बदले में वह अपने कितने शेयर पब्लिक कर रही है आईपीओ में निवेश करने से पहले इसकी जानकारी भी होनी चाहिये।
Cut Off Date And Time: कंपनी अपना आईपीओ लाने से पहले एक टाइम टेबल जारी करती है जिसमे IPO में अप्लाई करने से लेकर अलॉटमेंट, लिस्टिंग होने तक के सभी कार्यक्रम के बारे में समय और तारीख अनुसार बताया जाता है।(How To Buy IPO In Hindi)
आईपीओ आवंटन प्रक्रिया (IPO Allotment Process in Hindi)
कंपनी ने जितने शेयर्स बेचने के लिये IPO लाया है जब उससे ज्यादा लोग शेयर खरीदने के लिये अप्लाई कर देते है तो इसे आईपीओ का Oversubscribe होना कहते है। और जब बहुत कम लोग IPO में निवेश करते है तो इसे आईपीओ का Undersubscribed होना कहते है।
जितने शेयर्स कंपनी जारी कर रही है अगर उतने ही एप्लीकेशन आती है तो सबको उनके दवारा लगाई गई बोली के अनुसार शेयर Allot कर दिये जाते है।
और अगर रिटेल केटेगरी के शेयर Oversubscribe हो जाते है तो Lottery निकालकर आईपीओ का Allotment किया जाता है।How To Invest In IPO In Hindi
IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान
इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? बोझ से दबी है तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.
आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.
IPO: भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की बाढ़ आई हुई है. स्टॉक इंडेक्स अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अभी और ज्यादा आईपीओ के आने की उम्मीद है. निवेशक भी इन आईपीओ के ज़रिए पैसा कमाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, हालांकि नए निवेशकों को इन आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. नए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.
क्या है IPO
इनिशियल पब्लिक ऑफर बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.
यह ध्यान रखना अहम है कि सभी आईपीओ को उनके मन मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. अतीत में ऐसे कई आईपीओ रहे हैं जो सफल नहीं हो सके जबकि कई अन्य ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों की संपत्ति में इजाफा किया. इसलिए, निवेशकों को किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. आईपीओ में पैसा लगाते समय आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? निवेशकों के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है.
Multicap Funds: रिटर्न चार्ट में टॉप पर हैं ये मल्टीकैप, 10 साल से मिल रहा है 21% तक सालाना रिटर्न, क्या है खासियत
DRHP को ध्यान से पढ़ें
किसी कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस या DRHP के ज़रिए उस कंपनी को समझा जा सकता है. इस दस्तावेज को बाजार नियामक सेबी के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कंपनी से संबंधित अहम जानकारियां होती हैं. इसमें कंपनी के बिजनेस, पास्ट परफॉरमेंस, संपत्ति और देनदारियां, आईपीओ के ज़रिए प्राप्त फंड के इस्तेमाल से संबंधित डिटेल और संभावित रिस्क फैक्टर्स जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं, आदि जानकारियां होती हैं. निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको इसे अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. DRHP कई अहम जानकारी प्रदान करता है, जिसकी मदद से आप कंपनी के व्यवसाय को बेहतर ढंग से समझने और इस आधार पर निवेश का निर्णय ले सकते हैं.
जुटाई गई पूंजी का उद्देश्य
इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और डीआरएचपी में उल्लेख करती है कि आय का इस्तेमाल मौजूदा कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा, तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि, अगर फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के साथ-साथ कंपनी की तरक्की के मिश्रित उद्देश्य के लिए किया जाना है, तो निवेश करने पर विचार किया जा सकता है. अगर कंपनी पहले ही अच्छा परफॉर्म कर रही है और आईपीओ से प्राप्त फंड का इस्तेमाल कंपनी की तरक्की के लिए करना चाहती है तो ऐसे में इसमें निवेश करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
प्रमोटरों को जानें
जो लोग कंपनी को चला रहे हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए. इसमें फर्म के प्रमोटर और प्रबंधन के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल हैं. कंपनी ग्रोथ करेगी या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रमोटर और प्रमुख अधिकारी कौन हैं. कंपनी के सभी तरह के व्यावसायिक निर्णय इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं. एक निवेशक को आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है? इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रमुख प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनी के साथ कितने साल बिताए हैं.
कंपनी के कारोबार और इसके विस्तार के बारे में जानें
कंपनी जिस सेक्टर से संबंधित है, उसमें कंपनी की स्थिति, उसकी बाजार हिस्सेदारी, उसके उत्पादों की पहुंच, भौगोलिक प्रसार, विस्तार योजनाएं, अनुमानित लाभ, सप्लाई चैन, संकट से निपटने की क्षमता जैसे फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है. इन सभी जीचों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कंपनी भविष्य में ग्रोथ करेगी या नहीं.
रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें
कंपनी अपने DRHP में रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताती है. एक निवेशक को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जिन पर निर्भर करता है कि इस आईपीओ में निवेश से फायदा होगा या नुकसान. कानूनी मुकदमों, पॉलिसी से संबंधित परिवर्तनों और ब्याज दरों समेत कई तरह के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं. यह कंपनी की भविष्य की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.
किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए. अगर बिजनेस बाजार सहभागियों की सलाह के अनुसार बहुत जोखिम भरा दिखता है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता से मेल नहीं खाता है, तो आईपीओ में निवेश से बचना बेहतर है.
(Article: Adhil Shetty)
(इस आर्टिकल को BankBazaar.com के CEO ने लिखा है.)
Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.