मुख्य क्रिप्टोकरेंसी

प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी में अंतर

प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी में अंतर
अलग-अलग देशों में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कानून
दुनियाभर की सरकारें और रेगुलेटर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर डिवाइडेड हैं। अल सल्वाडोर जैसा देश बिटकॉइन को लीगल टेंडर के तौर पर अपनाने वाला दुनिया का पहला देश है, तो वहीं चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है।

Cryptocurrency : नहीं, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक ही चीजें नहीं होती हैं, समझिए क्या है फर्क

क्या है पब्लिक और प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी में अंतर प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी! Private Vs Public Cryptocurrency

Private Cryptocurrency kya hai

निजी या ‘प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी’ शब्द का अर्थ दृष्टिकोण के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। वैसे क्रिप्टो कॉइन वास्तव में सुरक्षित और गुमनाम हैं लेकिन फिर भी, कुछ अन्य क्रिप्टोकॉइन्स लेनदेन को और भी अधिक निजी रखती हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, प्राइवेट क्रिप्टो वे हैं जो प्राइवेट ब्लॉकचेन पर चलते हैं और जिनका लेनदेन सार्वजनिक खाता बही पर नहीं होता। जैसे Monero (XMR), ZCash आदि।

या इसका सीधा मतलब, कुछ भी जो सरकार द्वारा जारी नहीं किया जाता है। जो सरकार द्वारा नियंत्रित केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के दायरे से बाहर है।

पब्लिक और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी में अंतर!

पब्लिक सार्वजनिक क्रिप्टो वे हैं जो पब्लिक ब्लॉकचेन पर चलते हैं, और ब्लॉकचैन लेज़र पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सत्यापन योग्य लेनदेन का डाटा होता है। जैसे एथेरियम, बिटकॉइन, शिबा-इनु इत्यादि।

जबकि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी वे हैं जिनके लेनदेन का खाता बही सार्वजनिक नहीं होता है। इनके ब्लॉकचैन लेज़र को पब्लिक के द्वारा नहीं देखा जा सकता।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

क्या बिटकॉइन (BTC) प्राइवेट क्रिप्टो है?

बिटकॉइन प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी नहीं है, ये पूरी तरह से पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी हैं क्योंकि ये सार्वजनिक ब्लॉकचेन नेटवर्क पर बनी हैं। यह सार्वजनिक खाता बही पर उपलब्ध होता है जिसका लेनदेन ट्रेस किया जा सकता है।

ब्लॉकचेन (Blockchain) क्या है?

ब्लॉकचैन नेटवर्क एक डिजिटल बही खाता होता है जो क्रिप्टो-ग्राफी द्वारा 100% सिक्योर्ड हैं। इस नेटवर्क में डेटा कई Blocks में स्टोर रहते है और एक ब्लाक कई दुसरे ब्लाक से जुड़े होते हैं। इस तरह यह डेटा या ब्लाक का चेन बनाते हैं, इसीलिए इस नेटवर्क को ‘Blockchain’ कहते हैं.

इसके प्लेटफॉर्म पर ना सिर्फ डिजिटल-करेंसी बल्की किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है।

अगर आपके पास कोई प्रश्न है, तो निचे Comment करें। यदि आप इस जानकारी को उपयोगी पाते हैं, तो इसे दूसरों के साथ Share करें।

प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी में अंतर

धन महोत्सव

  • Post author: धन महोत्सव
  • Post category: क्रिप्टो
  • Reading time: 3 mins read

वर्तमान समय में निवेश की दृष्टि से क्रिप्टोकरेंसी सबसे लोकप्रिय शब्द है। क्रिप्टोकरेंसी के बारे में जानने के लिए हर कोई उत्सुक है।

क्रिप्टो में निवेश करने के कई तरीके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी दो मुख्य प्रकार की होती है, यदि नहीं तो यह पोस्ट आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।

क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार (Types of Cryptocurrencies)

मुख्य रूप से दो प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी होती है सार्वजनिक और निजी (Public और Private Cryptocurrency)।

निवेश के लिए इन दोनों में अंतर जानना आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि भविष्य में आपके निवेश का रिटर्न इसी पर निर्भर करता है।

आइए जानते हैं निजी और सार्वजनिक क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर के बारे में।

सार्वजनिक क्रिप्टोकरेंसी (Public Cryptocurrency)

सार्वजनिक क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्राएं हैं जिसके लेनदेन एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं और पूरी तरह से पारदर्शी होते हैं।

सार्वजनिक क्रिप्टोकरेंसी में यह पता लगाया जा सकता है कि मुद्रा किस-किस के पास से होकर गुजरी है, ताकि कोई कर (टैक्स) चोरी और काले धन की कालाबाजारी ना कर सके।

सार्वजनिक क्रिप्टोकरेंसी में आपका निवेश भी इसकी पारदर्शिता के कारण सुरक्षित माना जाता है।

पब्लिक और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के उदाहरण

क्रिप्टो करेंसी के बढ़ते चलन के चलते बाजार में हर दिन नई क्रिप्टोकरेंसी लिस्ट हो रही है।

हम आपको पब्लिक और प्राइवेट क्रिप्टोकरंसी के कुछ उदाहरण (Examples of public and private cryptocurrencies) बता रहे हैं जो आपके क्रिप्टो निवेश के लिए लाभदायक हो सकते है।

पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी के उदाहरण

  1. बिटकॉइन (Bitcoin)
  2. ईथर (Ether)
  3. एक्सआरपी (XRP)
  4. कार्डानो (Cardano)
  5. टेलर (Taylor)
  6. लाइटकॉइन (Litecoin)

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के उदाहरण

  1. मोनेरो (Monero)
  2. दश (Dash)
  3. ज़कैश (Zcash)
  4. वर्ज (Verge)
  5. बीम (Beam)
  6. बाइटकोइन (Bytecoin)
  7. फ़िरो (Firo)
  8. बीटीसीएक्स इंडिया (BTCX India)
  9. डेल्टा (Delta)
  10. यूकोइन (Ucoin)

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की विशेषताएं (Features of Private Cryptocurrency)

  • उपयोगकर्ता की गोपनीयता बनी रहती है और डेटा सुरक्षित रहता है।
  • निवेशक प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी में अंतर सुरक्षा के लिहाज से निजी क्रिप्टोकरेंसी को बहुत अच्छा माना जाता है।
  • ये उपयोगकर्ता के निवेश और प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी में अंतर पते का खुलासा करने की अनुमति नहीं देते हैं।
  • निजी क्रिप्टोकरेंसी की तकनीक निजी ब्लॉकचेन के आधार पर चलती है।
  • निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्राइवेट टोकन भी कहा जाता है।
  • निजी क्रिप्टोकरेंसी काले धन को बढ़ावा दे सकती है।
  • सरकार का पूर्ण नियंत्रण न होने से धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
  • इसलिए सरकार इसे नियंत्रित करना चाहती है और लोगों के लिए इसे आसान बनाना चाहती है।

क्रिप्टो करेंसी दो प्रकार प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी में अंतर की होती हैं, सार्वजनिक और निजी, दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले उनके बारे में विस्तार से जान लेना चाहिए।

क्या आप जानते हैं Cryptocurrency कितनी तरह की होती हैं ? जानिए इसके बारे में सबकुछ

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पूरी दुनिया में क्रिप्टो करेंसी का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। भारत में सरकार क्रिप्टोकरंसी से जुड़ा एक कानून लाने वाली है और इसकी खबर आते ही क्रिप्टो बाजार में पिछले 2 दिनों से कत्लेआम मचा हुआ है | अगर आप भी क्रिप्टोकरेंसी को गंभीरता से समझना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि क्रिप्टोकरेंसी दो तरह की होती है। इनमें से एक प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी है और दूसरी पब्लिक क्रिप्टो करेंसी। अगर आप इन दोनों में अंतर नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी

ऐसी सभी क्रिप्टोकरेंसी जिनके लेन-देन एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, पब्लिक क्रिप्टो करेंसी कहलाती हैं। पब्लिक क्रिप्टो करेंसी में यह पता लगाया जा सकता है कि यह करेंसी किस व्यक्ति के पास से गुजरी है। बिटकॉइन, ईथर या टेलर से, सभी प्रमुख क्रिप्टो मुद्राएं सार्वजनिक क्रिप्टो मुद्राएं हैं।

कई क्रिप्टो करेंसी हैं जिनकी ट्रांजैक्शन की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है, उन्हें प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है। मोनेरो, डैश और अन्य क्रिप्टो टोकन भी निजी क्रिप्टोकरेंसी के अंतर्गत आते हैं। इन निजी क्रिप्टोकरेंसी में उपयोगकर्ता की गोपनीयता बनी रहती है, उनका डेटा सुरक्षित रहता है। इसे निजी टोकन भी कहा जाता है।

प्राइवेट कॉइन की विशेषताएं

निजी क्रिप्टोकरेंसी उपयोगकर्ता के वॉलेट बैलेंस और पते को प्रकट करने की अनुमति नहीं देती है। इस विशेषता के कारण, उनका उपयोग अवैध गतिविधियों में किया जा सकता है। सरकार जिस कानून के तहत भारत में क्रिप्टो करेंसी ला रही है, उसके तहत किस प्राइवेट करेंसी को बैन किया जा सकता है।

निजी क्रिप्टोकरेंसी निजी ब्लॉकचेन पर चलती हैं। इसका पता लगाना लगभग असंभव हो जाता है। यह आमतौर पर इसकी परिभाषा भी है। Gcash, Monero, Dash निजी क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण हैं, जबकि बिटकॉइन, डॉगकोइन, एथेरियम सभी सार्वजनिक क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनके लेनदेन का पता लगाया जा सकता है।

केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग: मंत्रिमंडल की बैठक में क्रिप्टोकरेंसी बिल पर चर्चा की संभावना, जानें इस बिल को लेकर अब तक क्या-क्या आया सामने

केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज की बैठक में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' पर चर्चा की संभावना है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में लोकसभा में बताया था कि बिल को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अगर आज इस बिल को कैबिनेट में मंजूरी नहीं मिलती है तो शीतकालीन सत्र में बिल आने की संभावना काफी कम रह जाएगी। सरकार ने बिल को संसद के इस सत्र में लाने के लिए लिस्ट किया था।

भारत के क्रिप्टो बिल को लेकर अब तक क्या आया सामने?

  • सरकार शीतकालीन सत्र में द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल पेश कर सकती है।
  • अब तक जो जानकारी सामने आई है उससे पता चलता है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लग सकती है।
  • सरकार इस बिल के जरिए कुछ क्रिप्टोकरेंसी को एक्सेप्शन के रूप में काम करने की छूट दे सकती है।
  • छूट किन करेंसीज को मिलेगी और छूट दिए जाने का आधार क्या होगा यह अभी साफ नहीं है।
  • अभी ये भी साफ नहीं है कि सरकार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी किसे मानेगी।
  • कानून को तोड़ने पर 20 करोड़ तक का जुर्माना और 1.5 साल की जेल हो सकती है।
  • बिल का मकसद निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड कर रहे लोगों को कटऑफ डेट जाएगी, जिसके तहत उन्हें अपने एसेट डिक्लेयर करने होंगे।

2. दोनों की सिक्योरिटी और इस्तेमाल

डिजिटल करेंसी को एन्क्रिप्शन की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन हां, यूजर्स को अपने डिजिटल वॉलेट्स यानी की बैंकिंग ऐप या पेमेंट ऐप्स को स्ट्रॉन्ग पासवर्ड के जरिए सेफ रखना पड़ता है. इसके अलावा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखना होता है. डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल किसी भी उपलब्ध ऑनलाइन माध्यम से और हर उस चीज के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए नकदी की जरूरत पड़ती है.

वहीं, क्रिप्टोकरेंसी को सुरक्षा के लिए बहुत मजबूत और जटिल एन्क्रिप्शन की जरूरत पड़ती है. क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने या इसे खरीदने-बेचने के लिए सबसे पहले तो आपके पास बैंक अकाउंट और डिजिटल करेंसी की जरूरत पड़ेगी. उसके बाद आपको किसी क्रिप्टो एक्सचेंज पर ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. वहां से डिजिटल करेंसी से क्रिप्टोकरेंसी खरीदनी होगी, उसके बाद आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश शुरू करेंगे.

3. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी का नियमन

जैसाकि हम पहले कह चुके हैं, डिजिटल करेंसी फ्लैट मनी का ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म है, ऐसे में इसका नियमन भी वही संस्थाएं देखती हैं जो फ्लैट करेंसी का नियमन देखती हैं. फ्लैट करेंसी की एक निश्चित नियामक संस्था होती है, जो मौद्रिक नीतियां बनाती है और मॉनेटरी सिस्टम पर कंट्रोल रखती हैं. भारत में रुपया का नियम रिजर्व बैंक देखता है, वहीं डिजिटल करेंसी के ट्रांजैक्शन को संबंधित अथॉरिटी देखती है.

लेकिन वहीं, क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम पर बना हुआ है, यानी इसका कोई एक नियामक बिंदु नहीं है, जहां से इसपर नियंत्रण रखा जाता है या फिर इसपर नियम कानून लागू किए जाते हैं. इसे कोई एक संस्था नियमित नहीं करती है. क्रिप्टो मार्केट में जितने भी ट्रांजैक्शन होते हैं, उन्हें हर कोई देख सकता है. इसके लिए एक पब्लिक लेज़र होता है, जो सबके लिए कहीं भी उपलब्ध रहता है.

4. दोनों की स्थिरता

डिजिटल करेंसी सामान्यतया स्थिर ही रहती है. करेंसी में हल्का-उतार चढ़ाव रहता है, जिससे बाजार में अचानक तूफान नहीं आता. ऊपर से विश्व भर में इसे मान्यता मिली हुई है तो इसके ट्रांजैक्शन में कोई दिक्कत नहीं आती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी बाजार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव का शिकार होता है. यहां पर बहुत ज्यादा अनिश्चितता होती है. वैसे भी क्रिप्टो अभी बहुत नया है. नये बाजार में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव रहना बहुत ही सामान्य बात है.

डिजिटल करेंसी या फ्लैट करेंसी का सिस्टम बहुत ही प्राइवेट है. इसके ट्रांजैक्शन की जानकारी बस सेंडर, रिसीवर और बैंकिंग अथॉरिटी को रहती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जो भी ट्रांजैक्शन हो रहा है, उसकी जानकारी सबको होती है. सभी ट्रॉन्जैक्शन पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में दर्ज होते हैं. इससे सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहती है.

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