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स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर

स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर
जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative Image)

Top Loser Today August 01, 2022: बाजार में पैसा लगाने से पहले जानें आज किन स्टॉक्स में है अच्छा एक्शन?

Bharat Bond FOF - April 2023 - Regular Plan - Growth Option Top Loser Today स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर August 01, 2022: बाजार में पैसा लगाने से पहले जानें आज किन स्टॉक्स में है अच्छा एक्शन?

By: ABP Live | Updated at : 02 स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर Aug 2022 01:17 PM (IST)

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एबीपी लाइव बिजनेस पर जानिए शेयर मार्केट के ताजा हाल. यहां जानिए शेयर मार्केट में कौनसे शेयर में आज सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. सबसे पहले यहां जानिए कौनसे शेयर आज मार्केट में टॉप लूजर्स की लिस्ट में शुमार हुए. सेंसेक्स, निफ्टी में आज कई शेयर दबाव में रहे. एक क्लिक में जानिए कि आज स्टॉक मार्केट में कौनसे शेयर्स टॉप लूजर्स रहे. यहां शेयर बाजार में आज के टॉप लूजर्स शेयर की लिस्ट देखी जा सकती है. टॉप लूजर्स से मतलब उन शेयरों से है जिन्होंने अपने आखिरी क्लोजिंग प्राइज की तुलना में प्रतिशत के मामले में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. यहां जानिए आज के टॉप लूजर्स शेयर के भाव और प्रतिशत में कितनी हुई गिरावट.

Bharat Bond FOF - April 2023 - Regular Plan - Growth Option टॉप लूजर्स, August 01, 2022 List

SN.Scheme NameScheme CategoryCurrent NAV
1Bharat Bond FOF - April 2023 - Direct Plan - Growth OptionMONEY MARKET11.7789
2Bharat Bond FOF - April 2023 - Regular Plan - Growth OptionMONEY MARKET11.7789
3SBI Fixed Maturity Plan (FMP) - Series 56 (1232 Days) - Direct Plan - GrowthINCOME9.9776
4SBI Fixed Maturity Plan (FMP) - Series 56 (1232 Days) - Direct Plan - Income Distribution cum Capital Withdrawal Option (IDCW)INCOME9.9776
5SBI Fixed Maturity Plan (FMP) - Series 56 (1232 Days) - Regular Plan - GrowthINCOME9.9682
6SBI Fixed Maturity Plan (FMP) - Series 56 (1232 Days) - Regular Plan - Income Distribution cum Capital Withdrawal Option (IDCW)INCOME9.9682
7SBI Fixed Maturity Plan (FMP) Series 47 (1434 Days) - Direct Plan - GrowthINCOME10.2589
8SBI Fixed Maturity Plan (FMP) Series 47 (1434 Days) - Regular Plan - GrowthINCOME10.24
9Sundaram Ultra Short Duration Fund (Formerly Known as Principal Ultra Short Term Fund)-Weekly Income Distribution CUM Capital Withdrawal OptionDEBT1019.7111
10TRUSTMF Liquid Fund-Direct Plan-Weekly Income Distribution cum Capital WithdrawalLIQUID1024.2665

टॉप लूजर्स स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर में वे शेयर शामिल होते हैं जिन्होंने अपने पिछले बंद से प्रतिशत अंतर के मामले में सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है. इसमें स्टॉक की घटी हुई कीमत, वर्तमान ट्रेडिंग सत्र के लिए स्टॉक का अंतिम कारोबार मूल्य, मौजूदा स्टॉक के मूल्य में प्रतिशत का अंतर शामिल है. यहां जानेंगे शेयर का हाई प्राइज, लॉ प्राइज, प्रतिशत में अंतर, वर्तमान क्लोजिंग प्राइज, आखिरी क्लोजिंग प्राइज.

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क्या है टॉप लूजर्स?
किसी सिक्योरिटी में एक ही कारोबारी दिन के दौरान कीमत में गिरावट होती है तो उसे लूजर्स कहा जाता है. शेयर बाजार में जिन शेयरों में गिरावट देखने को मिलती है, वो लूजर्स की श्रेणी में आते हैं. साथ ही जिन शेयर में सबसे ज्यादा गिरावट देखी जाती है वो टॉप लूजर्स की लिस्ट में शामिल होते हैं. जब शेयर बाजार के सूचकांक नीचे की ओर जाते हैं तो संभावना है कि बाजार में लूजर्स की संख्या ज्यादा होगी.

Published at : 02 Aug 2022 01:17 PM (IST) Tags: Mutual fund Top Losers Top Losers Today Top Losers List हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस

अगर आप क्रिप्टो करेंसी में निवेश की योजना बना रहे हैं तो इनकी ट्रेडिंग के लिए लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.

Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस

जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative Image)

Trading in Crypto Currencies: दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है. इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है. जहां इनकी कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय होती है. जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो बेच सकते हैं. स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है. इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.

एक्सचेंज फीस

  • क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है.
  • फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.

नेटवर्क फीस

  • क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह सुनिश्चित करना इन माइनर्स का काम है. एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है.
  • आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो. जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है.

वॉलेट फीस

  • क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं.
  • क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
    (Article: Shivam Thakral, CEO, BuyUcoin)
    (स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिए गए सुझाव लेखक के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)

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Stock Market Tips: निवेश से पहले इन ‘Ratio’ के बारे में जानना जरूरी, सही शेयर चुनने में मिलेगी मदद

Stock Market Tips: कोई शेयर सस्ता है या महंगा या किसी खास कंपनी में निवेश करना चाहिए या नहीं, इसका पता एक रेशियो के जरिए जान सकते हैं.

Stock Market Tips: निवेश से पहले इन ‘Ratio’ के बारे में जानना जरूरी, सही शेयर चुनने में मिलेगी मदद

कुछ खास रेशियो के जरिए स्टॉक चुनने में स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर मदद मिल सकती है. (Image- Pixabay)

Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में जब आप सीधे निवेश करते हैं तो सबसे पहला काम होता है, बेहतर स्टॉक को चुनना. स्टॉक चुनते समय बहुत सावधानियां बरतनी होती हैं ताकि आपको शानदार मुनाफा हासिल हो सके. कभी-कभी आपने खबरों में पढ़ा होगा कि इस कंपनी का शेयर महंगा है तो इसे लेना सही नहीं है. ऐसे में आपके मन में जरूर सवाल उठता होगा कि कोई शेयर सस्ता है या महंगा, इसका पता कैसे चलता है कि किसी स्टॉक का भाव सही या नही. इसका कैलकुलेशन खास फाइनेंशियल रेश्यो से पता चलता है. इसके अलावा इन रेशियो से कंपनी की सेहत का भी अंदाजा लगता है. आइए इन कुछ खास रेशियो के बारे में जानते हैं जिनसे स्टॉक चुनने में मदद मिल सकती है.

Price to Earnings (P/E) Ratio

प्राइस टू अर्निंग्स रेशियो किसी कंपनी के मौजूदा शेयर भाव और प्रति शेयर आय (EPS) का अनुपात है. इससे किसी कंपनी के शेयर भाव के ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड का पता चलता है. इसे मल्टीपल जैसे कि 15x, 20x, 23x के रूप में लिखते हैं और इसके जरिए एक ही इंडस्ट्री की दो कंपनियों के बीच में तुलना की जा सकती है तो एक ही कंपनी के ऐतिहासिक रिकॉर्ड को परखा जा सकता है. इसके अधिक होने का मतलब है कि भविष्य में ग्रोथ को लेकर अधिक उम्मीदें हैं या यह ओवरवैल्यूड है, वहीं दूसरी तरफ इसके कम होने का मतलब है कि कंपनी की ग्रोथ को लेकर अधिक उम्मीदें नहीं है या यह आउटपरफॉर्म कर सकती है यानी कि अंडरवैल्यूड है.

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Return on Equity (R/E) Ratio

यह किसी कंपनी की वित्तीय सेहत को मापने का एक पैमाना है जिसे नेट इनकम को कुल इक्विटी से डिवाइड करके निकालते हैं. इससे किसी कंपनी के शेयरों में निवेश पर रिटर्न का पता चलता है यानी कि यह निवेशकों को एक आइडिया देता है कि इसमें निवेश पर पूंजी कितनी बढ़ सकती है. यह कंपनी की प्रॉफिबिलिटी का मानक है कि कंपनी कितने बेहतर तरीके से प्रॉफिट जेनेरेट कर रही है.

Price to Book (P/B) Ratio

इसका इस्तेमाल किसी कंपनी की बाजार पूंजी को इसके बुक वैल्यू से तुलना करने के लिए की जाती है. इसका मान कंपनी के मौजूदा शेयर भाव को प्रति शेयर के बुक वैल्यू से डिवाइड करके निकाला जाता है. बुक वैल्यू का मतलब बैलेंस शीट में दर्ज वैल्यू है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर लांग टर्म निवेशकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. इसकी वैल्यू एक से कम होने पर एक से कम होने को बेहतर माना जाता है लेकिन वैल्यू इंवेस्टर्स 3 तक भी बेहतर मानते हैं. यह रेशियो कम होने का मतलब शेयर डिस्काउंट पर है.

Dividend Yield (Dividend-Price Ratio)

इससे यह पता चलता है कि कंपनी अपने शेयर भाव की तुलना में कितना डिविडेंड दे रही है. इसे फीसदी के रूप में दिखाते हैं और इसकी वैल्यू डिविडेंड को स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर शेयर भाव से डिवाइड करके निकालते हैं. हालांकि इसकी वैल्यू अधिक होने का मतलब यह नहीं है कि निवेश के लिए कोई स्टॉक बेहतर है क्योंकि शेयर भाव कम होने पर भी इसकी वैल्यू अधिक हो सकती है.

Debt-to-Equity (D/E) Ratio

यह कंपनी के कुल कर्ज और इक्विटी का अनुपात है. यह बहुत महत्वपूर्ण अनुपात है जिससे पता चलता है कि कंपनी कितना लीवरेज इस्तेमाल कर रही है यानी कि कंपनी अपने कारोबार के लिए अपने (शेयरधारकों के) पैसों की तुलना में कितना कर्ज ले रही है. इस रेशियो के अधिक होने का मतलब अधिक रिस्क है. हालांकि लांग टर्म निवेशकों के लिए अधिक रेशियो का मतलब शॉर्ट टर्म निवेशकों की तुलना में अलग है क्योंकि लांग टर्म में देनदारी शॉर्ट टर्म से अलग होती है. आमतौर पर 2-2.5 का डेट-इक्विटी रेशियो अच्छा माना जाता है.

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Cryptocurrency: एक हफ्ते में बिटकॉइन की कीमत में 30% की गिरावट, रूस-यूक्रेन युद्ध से मार्केट पर दवाब

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aajtak.in

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  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

बिटकॉइन दुनिया की सबसे पहली विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी या कहें कि डिजिटल कॉइन है. इसे विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि दुनिया की कोई भी फाइनेंशियल रेग्युलेटरी अथॉरिटी इस पर नियंत्रण नहीं रखती है. दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन अब धीरे-धीरे टूटती हुई नजर आ रही है. निवेशकों के बीच तेजी से पॉपुलर हो रही क्रिप्टोकरेंसी में अब मार्किट पर दवाब के चलते गिरावट देखने को मिल रही है. इस वीडियो में देखें और समझें कि पिछले 6 महीने से क्यों बिटकॉइन की कीमत में गिरावट आने लगी है.

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