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[Registration] हिमाचल प्रदेश विकलांग पेंशन योजना 2022: HP Viklang Pension

HP Viklang Pension Yojana – हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के विकलांग व्यक्तिओ को लाभ प्रदान करने के लिए इस योजना को शुरू किया है | प्रदेश के न्यूनतम 40% विकलांग व्यक्तिओ को इस योजना का लाभ दिया जायेगा | लाभार्थी व्यक्ति को Viklang Pension Yojana के तहत 750 रूपये से 1300 रूपये तक की वित्तीय मदद सरकार देगी | अगर आप भी इस योजना का लाभ लेना चाहते है तो आपको इसके लिए आवेदन करना होगा | दोस्तों इस आर्टिकल में हम जानेगे की विकलांग पेंशन योजना के लिए आवेदन की प्रक्रिया ,पात्रता ,दस्तावेज आदि | इस लिए आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े |

Himachal Pradesh Viklang Pension Yojana 2022

हिमाचल प्रदेश सरकार अपने राज्य के लोगो को वित्तीय मदद देने के लिए अनके प्रकार की कल्याणकारी योजना शुरू कर रखी है अनेक प्रकार की पेंशन योजना जैसे की वृद्धा पेंशन योजना ,विधवा पेंशन योजना शुरू कर रखी है जिसका लाभ लोगो को दिया जा रहा है | उसी प्रकार से राज्य की सरकार ने अपने राज्य के विकलांग व्यक्तिओं को आर्थिक लाभ प्रदान करने के लिए इस योजना को शुरू किया है | जिसके तहत लाभार्थी विकलांग व्यक्तिओ को सरकार की और से वित्तिय मदद दी जाती है | प्रदेश के न्यूनतम 40% विकलांग व्यक्ति हैंडीकैप्ड पेंशन इन हिमाचल प्रदेश के लिए आवेदन कर सकते है | हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा अधिनियम 1995 की धारा-2 के तहत अपंगता की स्थिति में लाभार्थी को 750 रूपये से लेकर के 1300 रूपये तक की पेंशन की राशी दी जाती है | दी जाने वाली राशी लाभार्थी के खाते में सीधे ट्रान्सफर होगी |

Himachal Pradesh Viklang Pension Yojana Highlights

योजना का नाम हिमाचल लाभ 70% प्रति माह प्रदेश विकलांग पेंशन योजना 2022
योजना टाइप राज्य सरकार की योजना
राज्य हिमाचल प्रदेश
लाभार्थी राज्य के विकलांग व्यक्ति
उद्देश्य विकलांग व्यक्तिओ को पेंशन की राशी देना

हिमाचल प्रदेश विकलांग पेंशन योजना का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के विकलांग व्यक्तिओ को आर्थिक मदद देना है | विकलांग व्यक्ति के साथ हमारे समाज में बहुत भेदभाव होता है | उनको कोई इज्जत नहीं देता है जिससे उनको होसला टूट जाता है | उनको अपना जीवन जीने के लिए दुसरो पर निर्भर रहना पड़ता है | इसलिए सरकार ने इन लोगो को आर्थिक लाभ देने के लिए HP Handicapped Pension को शुरू किया है जसके तहत सरकार लाभार्थी को 750 रूपये से लेकर के 1300 रूपये तक की आर्थिक मदद प्रदान करती है | प्रदेश के वे सभी विकलांग व्यक्ति जिनमे न्यूनतम 40% विकलांगता है वो इस योजना के लिए आवेदन कर सकते है |

Himachal Pradesh viklang pension yojana दी जाने वाली राशी

HP Viklang Pension Yojana के तहत लाभार्थी को 750 रूपये से लेकर के 1300 रूपये तक की आर्थिक मदद पेंशन के रूप में देती है | जिस व्यक्ति में 40% से 69% तक विकलांगता है उनको 750 रूपये प्रतिमाह और जिन व्यक्तिओ में 70% से उपर विकलांगता है उनको 1300 रूपये की आर्थिक मदद प्रतिमाह दी जाती है | शारीरिक रूप से और मानशिक रूप दोनों से विकलांग व्यक्ति इस योजना का लाभ ले सकते है |

Himachal Pradesh viklang pension yojana के लाभ लाभ 70% प्रति माह

  • प्रदेश के विकलांग व्यक्तिओ को समाज में इज्जत मिलेगी |
  • विकलांग व्यक्ति को अपना जीवन जीने के लिए दुसरो पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा |
  • लाभार्थी की आर्थिक स्थिति सुधरेगी |
  • विकलांग व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने में इस योजना का मुख्य योगदान है |
  • राज्य के न्यूनतम 40% विकलांग व्यक्ति इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है |
  • जिस व्यक्ति में 40% से 69% तक विकलांगता है उनको सरकार 750 रूपये प्रतिमाह देगी और लाभ लेने के लिए इनकी वार्षिक आय 35,000 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए |
  • जिन व्यक्ति में 70% से अधिक अपंगता है उनको 1300 रूपये की पेंशन राशी दी जाएगी और इनकी आय का कोई फर्क नहीं है यानि की अगर इनकी आय 35,000 रूपये से अधिक है तो भी ये इस योजना के लिए आवेदन कर सकते है |

हिमाचल प्रदेश विकलांग पेंशन योजना के लिए पात्रता

  • आवेदक हिमाचल प्रदेश का निवासी होना चाहिए |
  • आवेदन करने वाले व्यक्ति में न्यूनतम 40% विकलांगता होनी चाहिए |
  • व्यक्ति को अपना विकलांगता का प्रमाण पत्र देना जरुरी होगा |
  • जिन व्यक्ति में 40% से 69% तक विकलांगता है उनकी वार्षिक आय 35,000 रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए |
  • जिन व्यक्ति में 70% से अधिक विकलांगता है उनके आय की कोई सीमा नहीं है यानि की उनकी आय अगर 35,000 रूपये से अधिक भी है तो वे इस योजना का लाभ ले सकते है |
  • व्यक्ति को मिलने वाली राशी व्यक्ति के खाते में सीधे ट्रान्सफर होगी इसलिए व्यक्ति के पास बैंक खता होना जरुरी है जो की आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए |

HP Viklang Pension Yojana के लिए दस्तावेज

  • आधार कार्ड
  • बैंक खाता पासबुक
  • मोबाइल नंबर
  • विकलांगता का प्रमाण पत्र
  • निवास प्रमाण पत्र
  • आय प्रमाण पत्र
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • पेन कार्ड
  • हिम केयर योजना
  • HP मुख्यमंत्री सेवा संकल्प योजना हेल्पलाइन नंबर 1100

हिमाचल लाभ 70% प्रति माह प्रदेश विकलांग पेंशन योजना के लिए आवेदन कैसे करे ?

  • आवेदन करने के लिए आपको सबसे पहले आवेदन फॉर्म प्राप्त करना होगा जो की आप सम्बन्धित पंचायत अथवा तहसील कल्याण अधिकारी या जिला कल्याण अधिकारी से प्राप्त कर सकते है और आपको फॉर्म पूरा भरकर के उसके साथ दस्तावेज अटेच करके इसे सम्बन्धित विभाग में जमा करवाना होगा |
  • Himachal pradesh viklang pension yojana आवेदन फॉर्म डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
  • सम्बन्धित ग्राम सभा की बैठक में जो पात्र व्यक्ति है उनकी पहचान होगी |उसके बाद जो व्यक्ति पात्र है उनको सूची सम्बन्धित तहसील कल्याण अधिकारी के पास भेजी जाती है |
  • तहसील कल्याण अधिकारी इस सूचि को सम्बन्धित जिला कल्याण अधिकारी के पास भेजता है |उसके बाद आपके फॉर्म का सत्यापन होता है और आपको इस योजना का लाभ दिया जाता है |

Conclusion :-

इस आर्टिकल में हमारे द्वारा “हिमाचल प्रदेश विकलांग पेंशन योजना 2022 ऑनलाइन आवेदन” के बारे में हिंदी भाषा में बताया गया है | यदि आपको जानकारी पसंद आई है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और यदि आपका इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी से सम्बंधित प्रश्न हो तो आप कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकते हैं | इसके अलावा आप ऑफिसियल वेबसाइट के हेल्पलाइन नंबर पर भी संपर्क कर सकते हैं |

Post Office सुपर स्कीम! सिर्फ 50 रुपए का निवेश करने पर मिलेंगे पूरे 35 लाख, जानिए – विस्तार से..

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डेस्क : पोस्ट ऑफिस को निवेश का काफी सुरक्षित तरीका माना जाता है, क्योंकि यह बाजार के जोखिम पर भी निर्भर नहीं है, इसलिए यह काफी सुरक्षित है। अगर आप कम निवेश में ज्यादा रिटर्न का फायदा उठाना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट ऑफिस स्कीम में भी निवेश कर सकते हैं। यहां आपको 50 रुपए प्रतिदिन यानी 1500 रुपए प्रति माह के बेहद ही कम निवेश पर करीब 35 लाख का फंड आसानी से मिल सकता है। आप पोस्ट ऑफिस (Post office) “ग्राम सुरक्षा योजना” में संपत्ति, शादी जैसे भविष्य के खर्चों के लिए निवेश भी कर सकते हैं।

Post Office सुपर स्कीम! सिर्फ 50 रुपए का निवेश करने पर मिलेंगे पूरे 35 लाख, जानिए - विस्तार से.. 1

Post Office सुपर स्कीम! सिर्फ 50 रुपए का निवेश करने पर मिलेंगे पूरे 35 लाख, जानिए - विस्तार से.. 5

डाकघर ग्राम सुरक्षा योजना से जुड़ी कुछ खास बातें : इस योजना में निवेश करने के लिए व्यक्ति की आयु 19 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए और व्यक्ति को भारतीय नागरिक का ही होना चाहिए। इस योजना में निवेश पर न्यूनतम 10 हजार रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये की बीमा राशि मिलती है। आप इस योजना में 1 महीने, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक आधार पर निवेश कर सकते हैं। यदि आप प्रीमियम राशि से चूक जाते हैं, तो आप इसे 30 दिनों के भीतर वापस भी भुगतान कर सकते हैं। इस योजना में निवेशक को ऋण का लाभ भी आसानी से मिलता है। यदि आप पॉलिसी खरीदने के बाद 4 साल तक प्रीमियम का भुगतान समय पर करते हैं, तो उसके बाद आप ऋण सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं।

Post Office सुपर स्कीम! सिर्फ 50 रुपए का निवेश करने पर मिलेंगे पूरे 35 लाख, जानिए - विस्तार से.. 2

प्रीमियम का भुगतान कैसे करें : कोई भी निवेशक जिसकी उम्र 19 से 55 साल के बीच है, इस योजना के तहत लाभ 70% प्रति माह निवेश कर सकता है। डाकघर ग्राम सुरक्षा योजना के तहत निवेशक को 10,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक निवेश करने का विकल्प मिलता है। अगर कोई 19 साल का व्यक्ति 10 लाख रुपये की स्कीम में निवेश करता है तो उसे 55 साल तक हर महीने 1515 रुपये का प्रीमियम देना होगा। वहीं 58 साल के लिए 1463 रुपये प्रतिमाह और 60 साल के लिए 1411 रुपये प्रतिमाह की दर से प्रीमियम देना होगा. ऐसे में निवेशक को 55 साल के लिए निवेश पर 31.60 लाख रुपये, 58 साल के लिए 33.40 लाख रुपये और 60 साल के लिए 34.60 रुपये की मैच्योरिटी राशि मिलती है. यह राशि निवेश करने वाले व्यक्ति को 80 वर्ष की आयु के बाद ही दी जाती है। इस बीच, यदि व्यक्ति की मृत्यु लाभ 70% प्रति माह हो जाती है, तो यह राशि उसके नामांकित व्यक्ति को ही दी जाती है। आप योजना लेने के 3 साल बाद इसे सरेंडर भी कर सकते हैं, लेकिन आपको इसमें कोई भी लाभ नहीं मिलेगा।

10th Pass Scholarships: हर महीने मिलेंगे 3000 रुपये तक, 10वीं पास के लिए ये हैं टॉप 5 सरकारी स्कॉलरशिप

Government Scholarship मेधावी और मेहनती छात्रों को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ बेहतर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने में भी मदद करती है.

10th Pass Scholarships: हर महीने मिलेंगे 3000 रुपये तक, 10वीं पास के लिए ये हैं टॉप 5 सरकारी स्कॉलरशिप

TV9 Bharatvarsh | Edited By: रवि मल्लिक

Updated on: Jul 27, 2022 | 3:18 PM

सीबीएसई और ICSE समेत स्टेट बोर्ड की ओर से 10वीं पास करने के बाद छात्रों की हायर स्टडी में कोई परेशानी ना हो इसके लिए स्कॉलरशिप स्कीम चलाए जाते हैं. इन स्कॉलरशिप से मेधावी और मेहनती छात्रों को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ बेहतर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने में मदद की जाती है. इनमें से कई स्कॉलरशिप प्रोग्राम्स के बारे में छात्रों को जानकारी नहीं होती है और वो इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं. यहां इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ Government Scholarship के बारे में बता रहे है, जो केंद्र सरकारी द्वारा ऑफर की जाती है.

1. NCERT Scholarship

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्ट एंड ट्रेनिंग यानी NCERT की ओर से 10वीं पास छात्रों के लिए स्कॉलरशिप प्रोग्राम चलाए जाते हैं. NCERT की ओर से दो चरणों में टेस्ट आयोजित करके योग्य छात्रों का चयन किया जाता है. इसमें पहले चरण में राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से टेस्ट आयोजित की जाती है. वहीं, दूसरे चरण में नेशनल टैलेंट सर्च एग्जाम का आयोजन किया जाता है. इसमें सिलेक्ट होने वाले उम्मीदवारों को 1250 रुपये प्रति माह की स्कॉलरशिप दी जाती है. इसकी पूरी डिटेल्स के लिए ऑफिशिय ncert.nic.in पर जाएं.

2. CBSE Single Girl Child Merit Scholarship

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी CBSE की ओर से सिंगल गर्ल चाइल्ड मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम चलाई जाती है. यह स्कॉलरशिप प्रोग्राम उन लड़कियों के लिए है जो अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं. सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड मेरिट स्कॉलरशिप 2022 के लिए चयनित उम्मीदवारों को 500 रुपए छात्रवृत्ति राशि प्रति माह दी जाएगी.

3. PM Scholarship Scheme

प्रधानमंत्री स्कॉलरशिप योजना साल 2016 में शुरू हुई थी, लेकिन कुछ कारणों से इसे बंद कर दिया गया था. एक बार फिर इस स्कॉलरशिप लाभ 70% प्रति माह लाभ 70% प्रति माह के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई है. इसमें 10वीं पास छात्र आवेदन कर सकते हैं. इस स्कॉलरशिप प्रोग्राम में लड़कों को 2,500 रुपये प्रति माह और लड़कियों को 3,000 रुपये प्रति माह दी जाती है. इसमें आवेदन करने के लिए छात्रों को National Scholarship Portal की ऑफिशियल वेबसाइट- scholarships.gov.in पर जाना होगा. करियर की खबरें यहां देखें.

4. National Means cum Merit Scholarship

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से नेशनल मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम ऑफर की जाती है. इसमें वही छात्र आवेदन कर सकते हैं, जिनकी वार्षिक आय 1.50 लाख रुपये या इससे कम हो. इसमें उम्मीदवारों का चयन टेस्ट के माध्यम से होता है. टेस्ट में चुने गए छात्रों को सालाना 12 हजार रुपये स्कॉलरशिप मिलेगी. इसमें National Scholarship Portal की ऑफिशियल वेबसाइट- scholarships.gov.in पर जाकर अप्लाई किया जा सकता है.

5. Post Matric Scholarship for Minority

भारत के अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से साल 2006 में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम फॉर माइनॉरिटीज की घोषणा हुई थी. इस स्कॉलरशिप का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना है. साथ ही उन्हें उच्च शिक्षा के लिए बेहतर अवसर प्रदान किया जा सके, उच्च शिक्षा में उनकी प्राप्ति की दर में वृद्धि हो और उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हो. अधिक जानकारी के लिए ऑफिशियल वेबसाइट- minorityaffairs.gov.in पर जाएं.

शिक्षुता प्रशिक्षण

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मानव संसाधन विकास किसी राष्ट्र के औद्योगिक विकास के लिए निर्णायक होता है। कौशल उन्नयन मानव संसाधन विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। केवल संस्थानों में दिया गया प्रशिक्षण कौशल प्राप्ति के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि कार्यस्थल पर भी प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। शिक्षु अधिनियम, 1961 बनाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योग में उपलब्ध सुविधाओं का पूरा लाभ उठाया जा सके ताकि उद्योग की कुशल जनशक्ति की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। प्रारम्भ में इस अधिनियम में व्यवसाय शिक्षुओं का शिक्षुता प्रशिक्षण ही शामिल किया गया था। बाद में स्नातकों, तकनीशियनों, तकनीशियन (व्यावसायिक) तथा वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षुओं को भी इसके अंतर्गत लाने के लिए इसे क्रमशः 1973, 1986 तथा 2014 में संशोधित किया गया।

उद्देश्य

शिक्षु अधिनियम, 1961 निम्नलिखित उद्देश्यों से लाया गया थाः--

  • उद्योग में शिक्षुओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम को विनियमित करना ताकि निर्धारित पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण की अवधि आदि को केन्द्रीय शिक्षुता परिषद द्वारा दिए गए अनुसार उसके समरूप बनाया जा सके।
  • उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति की जरुरतों को पूरा करने के दृष्टिकोण से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु उद्योगों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना।

अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी

  • कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के अंतर्गत प्रशिक्षण महानिदेशालय चैन्नई, फरीदाबाद, हैदराबाद, कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित छह क्षेत्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण निदेशालयों के माध्यम से चार या इससे अधिक राज्यों में केन्द्रीय सरकार के उपक्रमों तथा विभागों तथा व्यवसाय संचालित कर रहे संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के मामले में शिक्षु अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी रखता है।
  • राज्य सरकार के उपक्रमों/विभागों तथा निजी संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के संबंध में अधिनियम के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य शिक्षुता परामर्शदाताओं की है।
  • स्नातकों, तकनीशियनों तथा तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षुओं के मामले में अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करने की जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय में शिक्षा विभाग की है। यह निगरानी चैन्नई, कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित चार शिक्षुता प्रशिक्षण बोर्डों के माध्यम से की जाती है।

केन्द्रीय शिक्षुता परिषद

  • यह एक शीर्षस्थ सांविधिक निकाय है। गठन की दृष्टि से यह त्रिपक्षीय है जिसमें केन्द्र तथा राज्य दोनों सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों, नियोक्ताओं आदि से सदस्य होते हैं।
  • यह शिक्षुता प्रशिक्षण के मामले में नीतियां निर्धारित करने तथा मानदंड और मानक निश्चित करने में सरकार को परामर्श देता है।

शिक्षुता प्रशिक्षण के क्षेत्र

शिक्षुता प्रशिक्षण निर्दिष्ट तथा वैकल्पिक दोनों व्यवसायों में दिया जा सकता है।

निर्दिष्ट व्यवसाय से अभिप्राय है सरकार द्वारा यथा अधिसूचित कोई व्यवसाय या पेशा।

वैकल्पिक व्यवसाय का मतलब है नियोक्ता द्वारा विनिश्चित कोई व्यवसाय या कारोबार

शिक्षुता कोटियां

शिक्षुता की पांच कोटियां हैं

  1. व्यवसाय शिक्षु
  2. स्नातक शिक्षु
  3. तकनीशियन शिक्षु
  4. तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षु
  5. लाभ 70% प्रति माह
  6. वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षु
  • 40 या इससे अधिक जनशक्ति तथा अधिनियम में यथा निर्धारित अपेक्षित प्रशिक्षण अवसंरचना रखने वाले नियोक्ताओं के लिए यह अनिवार्य है कि शिक्षुओं को काम पर लगाएं।
  • नियोक्ता, संस्थानों की कुल जनशक्ति जिसमें संविदा पर लगाए गए कर्मचारी शामिल हैं, के 2.5% से 10% के समूह में शिक्षु नियुक्त करेंगे।
  • 2.5% से 10% के समूह में लगाए गए शिक्षुओं की कुल संख्या में संस्थान द्वारा लगाए गए सभी शिक्षुओं की कोटियां शामिल हैं।
  • शिक्षुओं की कोटियां तथा व्यवसाय(यों) का निर्णय जिनमें शिक्षुओं को लगाया जाना है, संस्थान/नियोक्ता अपने पास उपलब्ध ऑन-दी-जाब प्रशिक्षण/कार्य स्थल पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने की सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।

    व्यवसाय शिक्षुओं को देय प्रतिमाह वृत्तिका की न्यूनतम दर निम्न प्रकार हैः

राजस्थान में पोषण सुधार के लिए नवाचार

सितम्बर माह को पोषण माह के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने संपूर्ण राष्ट्र में पोषण अभियान के तहत कई सामुदायिक गतिविधियां आयोजित होती हैं, जिससे समुदाय में पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ती है। राजस्थान नवीन पहलों एवं जन आंदोलन के लिए अग्रणी राज्य रहा है। मातृ व बाल पोषण को बढ़ावा देकर राज्य ने सुनिश्चित किया कि समुदाय पोषण-पथ पर स्वावलम्बी बनें।

इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना

2020 में राजस्थान सरकार ने पांच जनजातीय जिलों में इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना का शुभारंभ किया। अगस्त 2022 में इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया। योजना के तहत गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को दूसरी संतान के लिए ₹6,000 की राशि पांच किस्तों में मिल रही है। इस वित्तीय सहायता का लक्ष्य महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक रूप से सशक्त करना है ताकि वे पौष्टिक आहार प्राप्त कर सकें। पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार का सेवन करने से गर्भावस्था के समय महिला के वज़न में उचित वृद्धि हो सकती है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के सही विकास के लिए हितकारी है और बच्चे के स्वस्थ पैदा होने की संभावना को बढ़ाता है। शिशु के जीवन के पहले 1,000 दिन, यानी गर्भावस्था के आरम्भ से बच्चे के दो साल के होने तक का समय, अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। अतः राजस्थान सरकार की यह योजना शिशु के जीवन की इस बहुमूल्य नींव को मजबूत बनाने के लिए एक ठोस कदम है।
योजना द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक लाभ की किस्तों की शर्तें महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बंधी व्यवहार का अनुपालन करने में मदद करती हैं। इस प्रकार महिलाएं निर्धारित सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ समय पर प्राप्त कर सकती हैं। योजना की किस्तों की संरचना गर्भावस्था का शीघ्र पंजीकरण, समय से प्रसव पूर्व जांच, संस्थागत प्रसव, बच्चे का टीकाकरण, परिवार नियोजन, आदि सुनिश्चित करती है।

यह योजना सरकार की एक अनूठी पहल है, जिसमें महिलाओं को लाभ प्राप्त करने के लिए किसी भी आवेदन की बाध्यता नहीं है। इस कारण योजना का लाभ उठाना बहुत सरल है। किस्तों की निर्धारित शर्तों की पूर्ति होने की स्थिति में महिलाएं स्वतः लाभ के लिए योग्य हो जाती हैं और किस्त की रकम सीधे उनके खाते में क्रेडिट हो जाती है। योजना का लाभ प्राप्त कारने के लिए राज्य सरकार द्वारा आवंटित व्यक्तिगत जन-आधार पर्याप्त है।

इस योजना के लिए लागू की गई कागज-रहित प्रणाली राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी महिला व बाल विकास विभाग की है।
योजना में आर्थिक लाभ के साथ व्यवहार परिवर्तन संचार के लिए भी प्रावधान है। यह सुनिश्चित करता है कि परिवार और समुदाय में पोषण को प्राथमिकता मिले और वित्तीय सहायता की राशि का प्रयोग केवल मातृत्व व बाल पोषण हेतु हो। व्यवहार परिवर्तन संचार के तहत राजस्थान पारस्परिक व सामूहिक परामर्श, ‘ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण समिति’ तथा ‘सहभागी सीख और क्रियान्वयन’ के माध्यम से सामुदायिक लामबंदी, सामुदायिक स्थलों में चित्र व पोस्टर, डिजिटल मीडिया, इत्यादि का उपयोग कर रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के एएनएम और आशा सहयोगिनी पोषण-संबंधी परामर्श प्रदान करते हैं।

व्यवहार परिवर्तन केवल माताओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे परिवार व समुदाय के लिए लक्षित है। सामान्यत: घर में पति या सास खाना खरीदते हैं या गृहस्थी-संबंधित निर्णय लेते हैं। पितृ सत्ता के कारण प्रायः महिलाएं भोजन का सेवन घर के सब सदस्यों को खिला के करती हैं। कुछ रूढ़िवादी परम्पराएं, जैसे मां को गर्भावस्था के समय दूध-दही से वंचित रखना और नवजात शिशु को जन्म-घुट्टी पिलाना, आदि आज तक चली आ रही हैं और सुपोषण के पथ पर बाधाएं डाल रही हैं। इन समस्याओं के निवारण के लिए पोषण हेतु जन भागीदारी आवश्यक है। इससे मातृत्व व बाल पोषण को लेकर सभी हित धारकों की धारणा एवं सही लाभ 70% प्रति माह आचरण सुनिश्चित किया जा सकता है और जच्चा-बच्चा के प्रति अपना कर्तव्य निभाने हेतु प्रेरित किया जा सकता है।

इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना के लागू होने से राजस्थान की 70% से अधिक महिलाओं को वित्तीय सहायता मिल सकता है। इस योजना से पूर्व यह आंकड़ा लगभग 35% था। इस प्रकार राज्य ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत महिलाओं के लिए ₹6000 की आर्थिक सहायता के प्रावधान को प्रत्यक्ष करने की ओर कदम बढ़ाया है।
वित्तीय सहायता और व्यवहार परिवर्तन संचार के इस अनूठी पहल से राजस्थान मातृत्व व बाल पोषण हेतु जन आंदोलन को मजबूत कर रहा है और जनभागीदारी बढ़ा लाभ 70% प्रति माह रहा है। हम आशा करते हैं कि पूरा देश राजस्थान की इस पहल का अनुसरण करे एवं महिलाओं हेतु वित्तीय सहायता व पोषण-संबंधी सामुदायिक गतिविधियों को बढ़ावा दे ताकि घर-परिवार खुशहाल, स्वस्थ व सुपोषित हों।

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