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ग्रोथ या डिविडेंड?

ग्रोथ या डिविडेंड?
म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर या डिविडेंड पर कितना टैक्स लगता है?

म्यूच्यूअल फण्ड में ग्रोथ (Growth) और डिविडेंड (Dividend) विकल्प क्या होते हैं? किसमें करें निवेश?

म्यूच्यूअल फण्ड dividend और ग्रोथ विकल्प क्या होते हैं?

हर म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में निवेश के दो विकल्प होते हैं|

#1 Growth (ग्रोथ)

आपको कोई डिविडेंड नहीं मिलता| अगर आपको अपने निवेश से कुछ पैसा चाहिए, तो आपको अपनी कुछ यूनिट्स को बेचना होगा| यूनिट्स बेचने पर जो मुनाफा होता है, उस पर आपको capital gains टैक्स देना होता है|

ग्रोथ विकल्प में आपका पैसा निवेशित रहता है आर बेहतर तरीके से कंपाउंड (compound) हो सकता है|

SBI BlueChip Fund-Growth

#2 Dividend (डिविडेंड)

समय-समय पर आपको dividend मिलता है| Dividend कब मिलना है और कितना मिलना है, यह आपकी इच्छा के अनुसार नहीं होता| फण्ड मेनेजर पर निर्भर करता है| साथ ही dividend केवल मुनाफे में से दिया जा सकता है| इसलिए अगर स्टॉक market अच्चा नहीं कर रहे, तो फण्ड की dividend देने की क्षमता प्रभावित हो सकती है|

SBI BlueChip Fund-Dividend

ध्यान दें dividend आपके पैसे से ही आता है| आपको जितना dividend मिलता है, उतना ही आपके फण्ड का NAV कम हो जाता है| दरअसल, NAV कुछ ज्यादा गिरता है क्योंकि dividend पर Dividend डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) भी लगता है| यह टैक्स आपको नहीं देना होता| म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी यह टैक्स काटकर ही आपको पैसा देती है|

जो dividend आपके हाथ में आता है, उस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता|

#3 Dividend Re-investment

यहाँ एक तीसरा विकल्प ग्रोथ या डिविडेंड? भी हैं| इस विकल्प में dividend आपके हाथ में नहीं आता| dividend दोबारा से म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश हो जाता है| बाकी सब, dividend विकल्प के सामान ही है|

ग्रोथ या डिविडेंड किस विकल्प में निवेश करें?

ग्रोथ विकल्प में आपके पास पैसा केवल यूनिट्स बेचें पर आता है| ऐसे में आपको कैपिटल गेन्स हो सकते हैं और उस पर आपको टैक्स देना होगा|

डिविडेंड विकल्प में आपके dividend पर DDT (डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स) लगता है|

इसलिए आपका निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा की आपको किस पर कम टैक्स देना होगा|

Capital gain पर या Dividend पर?

अगर कैपिटल gain पर कम टैक्स देना होगा, तो Growth option बेहतर है|

अगर dividend पर कम टैक्स देना होगा, तो Dividend विकल्प बेहतर है|

म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर या ग्रोथ या डिविडेंड? dividend मिलने पर कितना टैक्स देना होता है?

इस बारे में मैंने इस पोस्ट में विस्तार से चर्चा करी है|

संक्षिप्त में जानकारी के लिए नीचे देख सकते हैं|

long term capital gain लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड शेयर dividend डिविडेंड पर टैक्स बजट 2018

म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर या डिविडेंड पर कितना टैक्स लगता है?

Dividend (डिविडेंड) और Growth (ग्रोथ) में क्या चुनाव करें?

यह निर्भर करेगा इन बातों पर:

  1. आप किस तरह के फंड में निवेश कर रहे हैं (इक्विटी या डेब्ट फण्ड)
  2. आप कितनी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं
  3. आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं (केवल डेब्ट फण्ड में चुनाव प्रभावित होगा)

इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (Equity Mutual Fund) में क्या करना चाहिए?

देखिये इक्विटी म्यूच्यूअल फंड में कम अवधि के लिए निवेश करना अच्छा विचार नहीं है|

अगर आप एक वर्ष से अधिक के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपको capital gain पर 10.4% टैक्स देना होगा| यहीं आपको dividend पर तकरीबन 11.5% का टैक्स देना होगा|

इसलिए ग्रोथ option बेहतर है|

अगर आप इक्विटी फण्ड में निवेश कर रहे हैं, तो ग्रोथ विकल्प (Growth option) में ही निवेश करें|

कुछ निवेशकों नियमित आय के लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के विकल्प में निवेश करते हैं| यह एक बुरा आईडिया है| पहले तो dividend की कोई गारंटी नहीं है| दूसरी बात आप Growth option के यूनिट्स बेचकर भी अपनी ज़रुरत पूरी कर सकते हैं| टैक्स भी कम लगेगा| मैंने इस विषय पर दूसरे पोस्ट में विस्तार से चर्चा करी है|

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड (Debt Mutual Fund) में क्या करना चाहिए?

अगर आप डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर रहे हैं, तो आपका निर्णय आपके टैक्स स्लैब और आपकी निवेश अवधि पर निर्भर करेगा|

अगर आप अपनी यूनिट्स को 3 वर्ष से पहले बेचते हैं, तो आपको मुनाफे पर अपनी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा|

अगर आप अपनी यूनिट्स को 3 वर्ष के बाद बेचते हैं, तो आपको मुनाफे 20% (indexation के बाद) ग्रोथ या डिविडेंड? टैक्स देना होगा|

Dividend पर तकरीबन 28% DDT लगता है|

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में चुनाव करना आसान है|

अगर आप 5% या 20% वाले टैक्स स्लैब में आते हैं, तो Growth विकल्प में निवेश करें| निवेश अवधि से कोई फर्क नहीं पड़ता| Dividend विकल्प में 28% टैक्स लगेगा| मुनाफे पर केवल 5% या 20% टैक्स लगेगा|

अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और 3 वर्ष से कम अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपको Dividend (डिविडेंड) या Dividend Reinvestment विकल्प में निवेश करना चाहिए| मुनाफे पर 30% देना होगा, dividend विकल्प में 28% टैक्स ही लगेगा|

अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और 3 वर्ष से अधिक अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तब भी आपको Growth option चुनना चाहिए| मुनाफे पर 20% (इंडेक्सेशन के बाद) टैक्स देना होगा, डिविडेंड पर 28% प्रतिशत लगेगा|

Mutual Fund इन्वेस्टर्स को डिविडेंड और ग्रोथ ऑप्शन में क्या चुनना चाहिए? इस तरह लें फैसला

ग्रोथ ऑप्शन के तहत आपके NAV की वैल्यु बढ़ती है. यही ग्रोथ इन्वेस्टर्स के लिए फायदा है. वहीं डिविडेंड ऑप्शन के तहत निवेशक को समय-समय पर डिविडेंड का लाभ मिलता है.

Mutual Fund इन्वेस्टर्स को डिविडेंड और ग्रोथ ऑप्शन में क्या चुनना चाहिए? इस तरह लें फैसला

TV9 Bharatvarsh | Edited By: मनीष रंजन

Updated on: Jul 12, 2021 | 8:46 AM

अगर आप म्यूचुअल फंड के निवेशक हैं तो डिविडेंड ऑप्शन, ग्रोथ ऑप्शन और डिविडेंड री-इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के बारे में जरूर सुना होगा. अगर अभी तक इसके बारे में नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं, इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि तीनों ऑप्शन क्या होते हैं और इसके क्या फायदे हैं. सही जानकारी होने पर आप अपने लिए बेहतर विकल्प का चुनाव कर पाएंगे. इससे आपका रिटर्न बेहतर होगा.

मूल रूप से तीनों ऑप्शन रिटर्न देने का एक तरीका है. सबसे पहले जानते हैं कि ग्रोथ ऑप्शन क्या होता है. मान लीजिए कि A ने 10 रुपए के NAV प्राइस पर 1000 यूनिट पर्चेज किया है. इस तरह उसका कुल इन्वेस्टमेंट 10 हजार रुपए हो गया. मान लीजिए कि 5 साल बाद उस NAV की वैल्यु 10 रुपए से बढ़कर 40 रुपए हो गई. ऐसे में प्रति NAV फायदा 30 रुपए हुआ और 1000 यूनिट पर टोटल फायदा 30000 रुपए हुआ. इस हिसाब से A के 10 हजार के इन्वेस्टमेंट पर नेट फायदा पांच सालों में 30 हजार रुपए रहा.

अन्य फायदा नहीं मिलता है

हालांकि इन्वेस्टमेंट पीरियड के दौरान इन्वेस्टर को किसी तरह का अन्य फायदा नहीं मिलता है. इसका दूसरा उदाहरण गोल्ड इन्वेस्टमेंट, प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट है जहां आपके इन्वेस्टमेंट का जो ग्रोथ होता है, वही आपकी कमाई है. म्यूचुअल फंड के निवेशकों को एक और बात ध्यान में रखना चाहिए कि 1 साल के बाद NAV बेचने पर 10 फीसदी का LTCG यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. 1 साल के भीतर 15 फीसदी का STCG टैक्स लगता है.

डिविडेंड ऑप्शन में रेग्युलर इनकम होता है

अब दूसरा ऑप्शन है डिविडेंड ऑप्शन. इसमें आपको रेग्युलर इंटरवल पर डिविडेंड इनकम मिलता है. हालांकि यह कितना मिलता है और कितने अंतराल पर मिलता है, यह पहले से फिक्स नहीं होता है. डिविडेंड ऑप्शन में NAV का ग्रोथ कम देखा जाता है. उदाहरण के तौर पर A ने 10 रुपए के NAV पर 1000 यूनिट पर्चेज किया. उसका कुल इन्वेस्टमेंट 10 हजार रुपए हुआ. एक साल के भीतर यह NAV बढ़कर 15 रुपए का हो जाता है, लेकिन फंड हाउस ने प्रति एनएवी 2 रुपए डिविडेंड के रूप में देने का फैसला किया. ऐसे में एक साल बाद यह NAV महज 13 रुपए रह जाता है. अगर यह ग्रोथ ऑप्शन होता तो एनएवी की वैल्यु एक साल बाद 15 रुपए होती.

शॉर्ट टर्म के लिए डेट फंड ज्यादा फायदेमंद

निवेशकों के लिहाज से बात करें तो लॉन्ग टर्म के लिए डेट फंड के मुकाबले इक्विटी फंड बेहतर रिटर्न देता है. दूसरी महत्वपूर्ण ग्रोथ या डिविडेंड? बात ग्रोथ या डिविडेंड? यह भी है कि आप कितने दिनों के लिए निवेश करते हैं और आपका ऑब्जेक्टिव क्या है साथ में टैक्स कैलकुलेशन को देखते हुए डिविडेंड ऑप्शन या ग्रोथ ऑप्शन का चयन करना चाहिए. अगर कोई शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहता है तो उसके लिए डेट फंड ज्यादा फायदेमंद होता है.

Dividend Paying Stocks in Sep: ये कंपनियां अपने ग्रोथ या डिविडेंड? शेयरहोल्डर्स को देंगी डबल मुनाफा, समझिए डिविडेंड का फंडा

डिविडेंड का मतलब होता है कंपनियों की कमाई के लाभ के कुछ हिस्से को शेयरहोल्डर्स के बीच बांटा जाता है. हिंदी में इसे लाभांश कहते हैं. यह लाभांश कंपनी के बोर्ड के डायरेक्टर तय करते हैं कि कंपनी के नेट प्रॉफिट का कितना प्रतिशत डिविडेंड में बांटा जाए.

शेयर बाजार में निवेश करने पर निवेशकों को एक तो शेयरों के वैल्यू पर कमाई होती है, वहीं एक और रास्ता होता है, जिससे उन्हें निवेश का फायदा मिलता है. शेयर बाजार में डिविडेंड एक टर्म होता है, जो निवेशकों को डबल फायदा दिलवा सकता है. डिविडेंड का मतलब होता है कंपनियों की कमाई के लाभ के कुछ हिस्से को शेयरहोल्डर्स के बीच बांटा जाता है. हिंदी में इसे लाभांश कहते हैं. वित्त वर्ष के अंत में कंपनियां अपने मुनाफे में से टैक्स और दूसरे खर्चों का पैसा अलग करने के बाद जो शुद्ध मुनाफा बनता है, उसमें से लाभांश अपने शेयरहोल्डर्स को देती हैं. यह लाभांश कंपनी के बोर्ड के डायरेक्टर तय करते हैं कि कंपनी के नेट प्रॉफिट का कितना प्रतिशत डिविडेंड में बांटा जाए.

यहां आपको डिविडेंड के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी, और उसके साथ यह भी जानेंगे कि इस महीने ऐसी कुछ कौन सी कंपनियां हैं, जो अपने शेयर पर डिविडेंड देने वाली हैं.

डिविडेंड से जुड़ी कुछ अहम बातें जो आपको जाननी चाहिए

- कंपनियों के प्रॉफिट के कुछ हिस्से को पात्र शेयरहोल्डर्स के साथ शेयर करना डिविडेंड का डिस्ट्रीब्यूशन है. डिविडेंड का पेमेंट और अमाउंट कंपनी के बोर्ड डायरेक्टर तय करते हैं.

- प्रति शेयर पर मिलने वाले डिविडेंड या लाभांश को डिविडेंड यील्ड कहते हैं.

- ये डिविडेंड देना या न देना किसी भी कंपनी का अपना फैसला होता है. ये अनिवार्य नियम नहीं है. पब्लिक सेक्टर की अधिकतर कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती हैं. कुछ प्राइवेट कंपनियां भी डिविडेंड यील्ड देती हैं.

- यह डिविडेंड हर तिमाही के नतीजे के साथ दिया जाता है. कुछ कंपनियां साल की आखिरी तिमाही में एक बार ही डिविडेंड देती है, जिसे ग्रोथ या डिविडेंड? फाइनल डिविडेंड कहा जाता है.

- यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो डिविडेंड कब देती हैं, कितना देती हैं और कितनी बार देती हैं. कुछ कंपनियां साल में एक बार तो कुछ दो-तीन बार भी दे सकती हैं.

- डिविडेंड या तो आपके अकाउंट में कैश में भी आ सकता है या फिर एडिशनल स्टॉक में रिइन्वेस्टमेंट के तौर ग्रोथ या डिविडेंड? पर भी मिल सकता है.

- डिविडेंड मिलने की एक शर्त होती है कि उन्हीं शेयरहोल्डर्स को लाभांश मिलता है, जिन्होंने एक्स

- शेयरों के अलावा, कुछ म्युचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भी निवेशकों को डिविडेंड देते हैं.

- कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनियां अपने नेट प्रॉफिट पर लाभांश न देकर इसका हिस्सा अपने रिटेन्ड अर्निंग्स में रख लें और अपने ग्रोथ में लगाएं.

- डिविडेंड का एक्स डेट और रिकॉर्ड डेट होता है. एक्स डेट उस तारीख को कहते हैं, जब डिविडेंड एलिजिबिलिटी एक्सपायर हो रही हो. यानी कि अगर किसी कंपनी ने 13 सितंबर एक्स डेट फिक्स किया है तो उस दिन पर या उस दिन के बाद स्टॉक खरीदने वालों को डिविडेंड नहीं मिलेगा.

- रिकॉर्ड ग्रोथ या डिविडेंड? डेट एक तरह से कटऑफ डेट होती है. कंपनी यह तारीख तय करती है और इससे यह तय किया जाता है कि कौन सा शेयरहोल्डर डिविडेंड पाने का पात्र है या नहीं. एक तरीके से यह लॉयल्टी देखी जाती है कि आप कितने वक्त से कंपनी का स्टॉक होल्ड किए हुए हैं.

इस महीने आ सकते हैं कुछ चर्चित कंपनियों के डिविडेंड

LIC Housing Finance

फाइनेंशियल सेक्टर की बड़ी पीएसयू कंपनी एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस इस महीने अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड यील्ड दे सकती हैं. BSE के मुताबिक, कंपनी ने प्रति शेयर पर 8.50 रुपये का डिविडेंड देने की घोषणा की है. कंपनी के शेयर 13 सितंबर को दोपहर 3.30 बजे 436.50 रुपये पर बंद हुए. इसमें 1.05 अंक या 0.24% की तेजी दर्ज हुई थी. इसका एक्स-डेट 19 सितंबर, 2022 है.

Zee Entertainment

मीडिया कॉन्गलोमरेट ज़ी एंटरटेनमेंट प्रति शेयर 3 रुपये का डिविडेंड देगी. इसका एक्स डेट 15 सितंबर और रिकॉर्ड डेट 16 सितंबर है. इसका शेयर इस दौरान 0.24% या 0.65 अंक की तेजी के साथ 271 रुपये प्रति शेयर पर दर्ज हुआ.

Southern Gas Limited

सदर्न गैस लिमिटेड प्रति शेयर 50 रुपये का डिविडेंड यील्ड देगा. इसका एक्स और रिकॉर्ड डेट दोनों ही 15 सितंबर हैं.

Polyplex Corporations

पॉलिएस्टर बनाने वाली बड़ी कंपनी पॉलिप्लेक्स 21 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड का ऐलान कर चुकी है. इसका एक्स डेट 22 और रिकॉर्ड डेट 24 सितंबर है. इसके शेयर की कीमत मंगलवार को क्लोजिंग पर 2,183 रुपये प्रति शेयर के आसपास दर्ज हुई.

Bharat Bijlee

भारत बिजली अपने एक शेयर पर 30 रुपये का डिविडेंड देगी. कंपनी ने 19 सितंबर को एक्स डेट और रिकॉर्ड डेट 22 सितंबर रखा है.

कंपनी ग्रोथ या डिविडेंड? शेयर के मार्केट प्राइस की तुलना में आपको कितना डिविडेंड मिला, ऐसे करें कैलकुलेट

डिविडेंड देना कंपनियों के लिए अनिवार्य नहीं होता है, फिर भी कुछ कंपनियां शेयरहोल्‍डर्स को डिविडेंड देती हैं. डिविडेंड मिलने से शेयरहोल्‍डर्स का मुनाफा तो समझ में आता है, लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि इससे कंपनियों का क्‍या फायदा होता है ?

जब कोई कंपनी साल भर में कमाए गए अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा शेयरहोल्डर्स में बांटती है तो उसे डिविडेंड कहा जाता है. डिविडेंड भी शेयर मार्केट में कमाई का काफी प्रचलित तरीका है. हालांकि सभी कंपनियां शेयरधारकों को डिविडेंड नहीं देती हैं, क्‍योंकि डिविडेंड देना कंपनियों के लिए अनिवार्य नहीं होता है. ऐसी तमाम कंपनियां हैं जो मुनाफे की रकम को बिजनेस के विस्‍तार और ग्रोथ में लगा देती हैं.

ज्‍यादातर बड़ी और पूरी तरह से स्‍थापित कंपनियां शेयरहोल्‍डर्स को डिविडेंड देती हैं. डिविडेंड मिलने से शेयरहोल्‍डर्स का मुनाफा तो समझ में आता है, लेकिन क्‍या आपने कभी ये सोचा है कि जब कंपनियों के लिए डिविडेंड देने की कोई बाध्‍यता नहीं हैं, फिर कंपनियां अपने मुनाफे का हिस्‍सा शेयरहोल्‍डर्स को क्‍यों देती हैं और इससे कंपनियों का क्‍या फायदा होता है ? इसके अलावा मार्केट प्राइस की तुलना में आपको कंपनी ने कितना डिविडेंड दिया है, कैसे पता करें? आइए आपको बताते हैं…


क्‍यों डिविडेंड देती हैं कंपनियां

डिविडेंड से कंपनी का सीधेतौर पर कोई फायदा नहीं होता. लेकिन कई कंपनियां अपने मुनाफे में शेयरहोल्डर्स को भी हिस्सेदारी मानती हैं और उनकी खुशी और कंपनी पर भरोसा बनाए रखने के लिए डिविडेंड बांटती हैं. वहीं कई बार कंपनियां शेयरों में गिरावट को रोकने या फिर और अधिक शेयरधारकों को आकर्षित करने के लिए भी डिविडेंड बांटती हैं. इससे आकर्षित होकर ज्‍यादा से ज्‍यादा उस कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं और इससे कंपनी के शेयर्स के रेट्स में उछाल आता है. अगर शेयरहोल्‍डर्स को शेयर्स में कुछ घाटा भी हुआ है तो डिविडेंड से उस घाटे की भरपाई हो जाती है. ज्‍यादातर निवेशक ऐसी कंपनियों की तलाश में रहते हैं, जो ज्‍यादा से ज्‍यादा डिविडेंड देती हैं. यानी डिविडेंड के जरिए निवेशक कंपनी से जुड़ा रहता है और उसका भरोसा कंपनी पर बना रहता है.

कब दिया जाता है डिविडेंड

डिविडेंड हर तिमाही के नतीजे के साथ दिया जाता है. ये कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो डिविडेंड कब देती हैं, कितना देती हैं और कितनी बार देती हैं. कुछ कंपनियां साल में एक बार तो कुछ दो-तीन बार भी दे सकती हैं. डिविडेंड आपके अकाउंट में कैश में भी आ सकता है या फिर एडिशनल स्टॉक में रिइन्वेस्टमेंट के तौर पर भी मिल सकता है.


आपको कितना डिविडेंड मिला ?

प्रति शेयर पर मिलने वाले लाभांश को डिविडेंड यील्ड कहते हैं. डिविडेंड यील्ड का इस्तेमाल ये पता करने में होता है कि कंपनी शेयर के मार्केट प्राइस की तुलना किसी कंपनी ने आपको कितना डिविडेंड‍ दिया है. उदाहरण से समझिए जैसे -

राजू की कंपनी है A और श्‍याम की कंपनी है B. राजू की कंपनी ने भी 40 रुपए डिविडेंड दिया और श्‍याम की कंपनी ने भी 40 रुपए डिविडेंड दिया. लेकिन मार्केट प्राइस के हिसाब से किस कंपनी ने ज्‍यादा डिविडेंड दिया, इसका पता ऐसे लगेगा. मान लीजिए A का शेयर प्राइस 1000 रुपए और B का शेयर प्राइस 2000 रुपए है. 40X100/1000 = 4% और 40X100/2000 = 2% . इस तरह राजू की कंपनी ने 4 प्रतिशत और ग्रोथ या डिविडेंड? श्‍याम की कंपनी ने 2 प्रतिशत डिविडेंड दिया.

50 रुपये का डिविडेंड और 1 बोनस शेयर, आज एक्स-डिविडेंड पर इस कंपनी के शेयर

ग्लोस्टर लिमिटेड अपने इनवेस्टर्स को डबल गिफ्ट दे रही है। कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को हर शेयर पर 50 रुपये का अंतरिम डिविडेंड देने जा रही है। ग्लोस्टर के शेयर आज एक्स-डिविडेंड पर ट्रेड कर रहे हैं।

50 रुपये का डिविडेंड और 1 बोनस शेयर, आज एक्स-डिविडेंड पर इस कंपनी के शेयर

जूट और जूट के प्रॉडक्ट्स बनाने वाली कंपनी ग्लोस्टर लिमिटेड (Gloster Limited) अपने इनवेस्टर्स को डबल गिफ्ट दे रही है। कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को हर शेयर पर 500 पर्सेंट यानी 50 रुपये का अंतरिम डिविडेंड देने जा रही है। ग्लोस्टर लिमिटेड के शेयर आज एक्स-डिविडेंड पर ट्रेड कर रहे हैं। ग्लोस्टर लिमिटेड ने अंतरिम डिविडेंड की रिकॉर्ड डेट 16 नवंबर 2022 फिक्स की है। कंपनी 30 नवंबर 2022 को या इससे पहले डिविडेंड पेमेंट करेगी।

हर 1 शेयर पर 1 बोनस शेयर दे रही कंपनी
अंतरिम डिविडेंड के अलावा, ग्लोस्टर लिमिटेड (Gloster Limited) अपने इनवेस्टर्स को 1:1 के रेशियो में बोनस शेयर दे रही है। यानी, कंपनी हर 1 शेयर पर 1 बोनस शेयर देगी। टेक्सटाइल कंपनी ने अभी बोनस शेयर की रिकॉर्ड डेट फिक्स नहीं की है। इससे पहले, ग्लोस्टर लिमिटेड ने हर शेयर पर 10 रुपये का स्पेशल डिविडेंड और 25 रुपये का डिविडेंड दिया था। 29 जुलाई 2022 इनकी एक्स-डिविडेंड डेट थी।

एक महीने में 56% से ज्यादा चढ़ गए ग्लोस्टर के शेयर
ग्लोस्टर लिमिटेड के शेयरों में पिछले एक महीने में करीब 57 पर्सेंट का उछाल आया है। कंपनी के शेयर 17 अक्टूबर 2022 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में 1135.85 रुपये के स्तर पर थे। ग्लोस्टर लिमिटेड के शेयर 15 नवंबर 2022 को बीएसई में 1781 रुपये के स्तर पर ट्रेड ग्रोथ या डिविडेंड? कर रहे हैं। पिछले 6 महीने में ग्लोस्टर लिमिटेड के शेयरों में 87 पर्सेंट की तेजी आई है। वहीं, इस साल अब तक कंपनी के शेयर करीब 66 पर्सेंट चढ़ गए हैं। कंपनी के शेयरों का 52 हफ्ते का हाई लेवल 1830 रुपये है। वहीं, कंपनी के शेयरों का 52 हफ्ते का लो लेवल 905.80 रुपये है।

डिस्‍क्‍लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।

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