क्रिप्टो रोबोट

इस्लामी खाते

इस्लामी खाते
इसे आरोहण की रात्रि के रूप में मनाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार इसी रात, मुहम्मद साहब एक दैवीय जानवर बुर्राक पर बैठ कर सातों स्वर्गों का भ्रमण किया था। अल्लाह से मुहम्मद साहब के मुलाक़ात की इस रात को विशेष प्रार्थनाओं और उपवास द्वारा मनाया जाता है और मस्जिदों में सजावट की जाती है तथा दीप जलाये जाते हैं.

मुस्लिम, भारतीय मुस्लिम, इस्लाम, फतवा

मुस्लिम त्यौहार कैलेंडर

जिस तरह से इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से हमारा नया साल जनवरी माह से शुरू होता है ठीक उसी तरीके से इस्लाम का भी नया वर्ष जनवरी में ही शुरू होता है.

इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन्‌ का पहला महीना मुहर्रम ही है. और दोस्तों ख़ास बात तो यह है कि यह एक मुस्लिम त्यौहार भी है, और इस वर्ष 14 जनवरी 2018, को रविवार को मुहर्रम है.

इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है. साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास बात की है।

एक किताब के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो मुहर्रम में रखे जाते हैं.

इत्तिफाक की बात यह है कि आज मुहर्रम का यह पहलू आम लोगो की नजरों से अंजान है और इस माह में अल्लाह की इबादत करनी चाहिये। मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। इस महिने की बहुत विशेषता और महत्व है.

NIA इस्लामी खाते ने कहा- PFI का इस्लामी राज का मंसूबा, यूथ को आतंकी समूहों में भेजा

News18 हिंदी लोगो

News18 हिंदी 24-09-2022 News18 इस्लामी खाते Hindi

© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "NIA ने कहा- PFI का इस्लामी राज का मंसूबा, यूथ को आतंकी इस्लामी खाते समूहों में भेजा"

नई दिल्ली. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India- PFI) के केरल के पदाधिकारियों ने भारत में इस्लामिक शासन कायम करने के लिए युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, ISIS, अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है. NIA ने केरल की एक स्पेशल कोर्ट में पेश रिमांड कॉपी में ये रहस्य उजागर किया है. NIA ने ये भी कहा कि पीएफआई के सदस्य विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच वैमनस्य की आग भड़काने के साथ ही कई नेताओं की हिटलिस्ट बनाने जैसे अवैध कामों में शामिल थे.

जमात-ए-इस्लामी पर बैन के बाद संपत्तियां सील, विरोध में सड़क पर उतरीं महबूबा मुफ्ती

Published: March 2, 2019 1:04 PM IST

जमात-ए-इस्लामी पर बैन के बाद संपत्तियां सील, विरोध में सड़क पर उतरीं महबूबा मुफ्ती

श्रीनगर. केंद्र द्वारा ‘जमात-ए-इस्लामी’ संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अधिकारियों ने कश्मीर में संगठन इस्लामी खाते से जुड़ी कई सम्पत्तियों को सील कर दिया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ‘जमात-ए-इस्लामी’ के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के आवास सहित कई अन्य सम्पत्तियां शुक्रवार रात को शहर और घाटी के कई इलाकों में सील कर दी गईं. जमात पर कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार पर आरोप लगाए.

Also Read:

उन्होंने बताया कि ‘जमात-ए-इस्लामी’ के नेताओं के बैंक खाते भी सील कर दिए गए हैं. अधिकारी ने बताया कि विभिन्न जिलाधिकारियों ने भी जमात नेताओं की चल एवं अचल संपत्तियों की सूची मांगी है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि संगठन पर प्रतिबंध या धनशोधन मामलों में एनआईए द्वारा की गई जांच से इसका कोई संबंध है या नहीं.

आतंकी संगठनों के संपर्क में रहने का आरोप
बता दें कि जमात-ए-इस्लामी पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है. सुरक्षाबलों ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है तथा जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया है.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें देश की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

🔸इस्लाम में मेहमान नवाज़ी🔸


"मेहमान नवाज़ी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है आप बग़ैर मेहमान के कभी खाना तनावुल नहीं फरमाते थे यहां तक कि अगर कभी कोई ना मिलता तो आप किसी की तलाश में एक दो मील तक सफर कर आते थे कि कोई मिल जाए जिसके साथ आप खाना खायें,मेहमान का आना रहमते खुदावन्दी का आना है और वो अपना रिज़्क़ खुद लेकर आता है इसलिए मेहमान के आने पर खुशी का इज़हार करना चाहिये मेहमान के आने पर नाखुश होना या उसको हिकारत से देखना तंगी और मुफलिसी का बाइस है,चंद हदीसे पाक मुलाहज़ा फरमायें|"


❤ हदीस शरीफ ❤

➤जिस घर में लोगों को खाना खिलाया जाता है भलाई उसकी तरफ कोहान की तरफ जाने वाली छुरी से भी तेज़ दौड़ती है|
📕 इब्ने माजा,सफह 204

➤अपने मेहमान की ताज़ीम करो|
📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 50


➤लोगों ने अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम हम खाते हैं मगर हमारा पेट नहीं भरता तो आप सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि शायद तुम लोग अलग अलग खाते हो अर्ज़ की हां तो फरमाया कि इकठ्ठा खाया करो और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर शुरू करो|

📕 इब्ने माजा,सफह 236




➤उस शख्स में कोई भलाई नहीं जो मेहमान नवाज़ नहीं और जिसके घर मेहमान नहीं आते उसके घर रहमत के फरिश्ते भी नहीं आते|

📕 अहयाउल उलूम,जिल्द 2,सफह 12

➤ मेहमान अपना रिज़्क़ लेकर आता है और घर वालों के गुनाह मिटाकर जाता है|

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 176

➤ बन्दा जो कुछ खुद खाता है या अपने मां-बाप या अहलो अयाल पर खर्च करेगा उसका हिसाब क़यामत के दिन देना होगा मगर जो कुछ अपने दोस्तों पर खर्च करेगा उसका हिसाब नहीं होगा इसलिए मेहमान नवाज़ी बुज़ुर्गाने दीन की खास खसलत रही है|

📕 अहयाउल उलूम,जिल्द 2,सफह 9
📕 कीमियाये सआदत,सफह 245

अब मेहमान इस्लामी खाते कौन है,कब तक है,क्या खिलाया पिलाया जायेगा,उसके लिए एक हदीस पढ़ लीजिये:


रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मेहमानी 3 दिन तक है और बेहतरीन पकवान 1 दिन और रात तक उसके बाद जो पकाये वो खिलाये और मेहमान के लिए ये हलाल नहीं कि इतने दिनों तक ठहरा रहे कि मेज़बान को परेशान कर डाले|

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 18

यानि मेहमान के लिए ये जायज़ नहीं कि 3 दिन से ज़्यादा किसी के घर ठहरे क्योंकि 3 दिन तक वो जो खायेगा उसका हक़ होगा मगर 3 दिन के बाद उसका कोई हक़ नहीं हां अगर मेज़बान खुद 3 दिन के बाद भी मेहमान को रोकता है तो रोक सकता है और अब जो भी खिलायेगा वो सदक़-ए नाफिला में शुमार होगा जिसका उसे अज्रो सवाब मिलेगा|





"Mehmaan nawazi hazrat ibraheem alaihissalam ki sunnat hai aap bagair mehmaan ke khaana nahin khaate the yahan tak ki agar kabhi koi na milta to aap kisi ki talaash me 1,2 meel tak safar kar aate the ki koi mil jaaye jiske saath aap khaana khayein,mehmaan ka aana rahmate khuda wandi ka aana hai aur wo apna rizq khud lekar aata hai isliye mehmaan ke aane par khush hona chahiye usko hukarat se dekhna tangi aur muflisi ka baayis hai,chund hadise paak इस्लामी खाते mulahza farmayein."

❤ HADEES SHARIF ❤


➤Jis ghar me logon ko khaana khilaya jaata hai bhalayi uski taraf kohaan ki taraf jaane waali chhuri se bhi tez daudti hai.

📕 Ibne maaja,safah 204

➤ Apne mehmaan ka ejaaz karo.

📕 Muslim,jild 1,safah 50

➤ Logon ne arz kiya ki ya Rasool ALLAH sallallahu taala alaihi wasallam hum khaate hain magar hamara peit nahin bharta to aap sallallahu taala alaihi wasallam farmate hain ki shayad tum log alag alag khaate hoge arz ki haan to farmaya ki ikattha khaaya karo aur bismillah sharif padhkar shuru karo

📕 Ibne maaja,safah 236





➤Us shakhs me koi bhalayi nahin jo mehmaan nawaz nahin aur jiske ghar mehmaan nahin aate uske ghar rahmat ke farishte bhi nahin aate.

📕 Ahyaul uloom,jild 2,safah 12

➤Mehmaan apna rizq lekar aata hai aur ghar waalon ke gunaah mitakar jaata hai.

📕 Fatawa razviyah,jild 9,safah 176

➤Banda jo kuch khud khaata hai ya apne maa-baap ya ahlo ayaal par kharch karta hai uska hisaab qayamat ke din dena hoga magar jo kuchh apne dosto par kharch karega uska hisaab nahin hoga isliye mehmaan nawazi buzurgane deen ki khaas khaslat rahi hai.

📕 Ahyaul uloom,jild 2,safah 9
📕 Kimiyaye sa'adat,safah 245

➤Bhookh se kam khaana sunnat hai aur peit bharkar khaana mubaah yaani jayaz hai aur bhookh se zyada kha lena ki jisse meda ya haazma kharab ho jaaye haraam hai magar mehmaan ka saath dene ke liye zyada kha lene ki ijazat hai.

📕 Durre mukhtar,jild 5,safah 235
📕 Fiqhi paheliyan,safah 247

➤Jab mehmaan aaye to uski tazeem karo aur use khilao pilao ki aisa karne se maula taala ghar waalon ko jahannam se 7 khandaq door kar dega aur har khandaq ke darmiyan 500 saal ki musafat hogi.

📕 Ahyaul uloom,jild 2,safah 9




मेरा एफबी अकाउंट है, मैं प्रसाद भी खाता हूं ! कहीं मैं इस्लाम से खारिज तो नहीं हूं इमाम साहब ?

मैं इस देश का एक आम मुसलमान हूं. एक ऐसा मुसलमान जिसे अपने धर्म के मुकाबले अपनी नागरिकता बताना ज्यादा अच्छा लगता है. मैं इस देश का वो आम मुसलमान हूं जो दिल्ली के भयानक ट्रैफिक में पल्यूशन के कारण मुंह पर रुमाल रख कर दफ्तर जाता है. जो दफ्तर से घर आने के इस्लामी खाते बाद पड़ोसी से सिर्फ इसलिए बहस करता है क्योंकि न तो नल में ही पानी है और न ही टंकी में. घर, दफ्तर, रिश्तेदार, बाजार मैं जहां भी, जिसके पास भी जाऊं मुझे एक नई चुनौती का सामना करता है.

मुस्लिम, भारतीय मुस्लिम, इस्लाम, फतवा

फतवों की मार झेल रहा मुसलमान खुद कई चुनौतियों का सामना कर रहा है

पहली तारीख को सैलरी न आने से लेकर मेट्रो के बढ़े हुए किराए तक, पेट्रोल के बढ़े और दाम से लेकर अंडा रोल पर लगने वाले जीएसटी तक कई ऐसी चीजें हैं जिनसे मैं परेशान हूं. इसके बाद रही गयी कसर मेरे धर्म की ठेकेदारी कर रहे मुल्ले पूरी कर देते हैं. इन मुल्लों और इनकी बातों पर यदि मैं विचार करता हूं तो मिलता है कि आखिर हम (आम मुसलमान) जिंदा ही क्यों हैं. हमें तो सल्फास को कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर पीने के बाद या फिर चूहा मार का पेस्ट बनाकर उसे ब्रेड में लगाकर खाने के बाद कबका मर जाना चाहिए था.

रेटिंग: 4.31
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 419
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *