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एक सुरक्षित दलाल कौन है

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Bihar Top 5 : खान सर को किसने बताया आरएसएस का दलाल? जानिए बिहार की पांच बड़ी खबरें

पटना : आरआरबी एनटीपीसी (RRB NTPC) रिजल्ट मामले को लेकर बिहार बंद के दौरान जमकर बवाल हुआ। पटना, समस्तीपुर, हाजीपुर, गया समेत कई जिलों में छात्र संगठनों के अलावा राजनीतिक दलों के समर्थक हंगामा और आगजनी में जुटे रहे। वहीं, जाप अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों पर दर्ज केस वापस एक सुरक्षित दलाल कौन है होने चाहिए। खान सर पर हमला बोलते हुए पप्पू यादव ने कहा कि कौन हैं ये आन खान सान, आरएसएस का दलाल। जानिए बिहार पांच बड़ी खबरें।

कौन सुरक्षित, कौन असुरक्षित है हिंदपीढ़ी में?

गिरिडीह का पचंबा फिलहाल सुर्खियों में है. यहां 12 जून की देर शाम हटिया रोड में दो समुदायों के बीच पथराव की घटना के बाद मोहल्ले के लोग डरे हुए हैं और इलाका छोड़ने की बात कह रहे हैं. 14 जून को यहां कुछ हिंदुओं ने अपने घरों के बाहर मकान बेचने का पोस्टर चिपका दिया. पचंबा के हिंदू बहुल इलाकों में कुछ समय से पथराव की घटनाएं हो रही हैं. एक मित्र ने रांची के हिंदपीढ़ी और कर्बला चौक इलाकों में हिंदुओं की घटती आबादी के बारे में मेरा ध्यान खींचते हुए आग्रह किया कि मैं इसके कारणों की पड़ताल करूं. इस बारे में आंकड़ों को जुटा पाना एक सुरक्षित दलाल कौन है तो काफी श्रमसाध्य और शोध का विषय है, लेकिन मैंने वैसे लोगों से बात की जिनका परिवार पचंबा और हिंदपीढ़ी में कई दशकों से निवास कर रहा है.

उनसे जानने की कोशिश की कि इस इलाके की डेमोग्राफी में कितना और क्या अंतर आया है और हिंदुओं की घटती संख्या की वजह क्या है. और इस बात में कितनी सच्चाई है कि मुस्लिम बहुल बस्तियों में रहनेवाले हिंदू सुरक्षित नहीं हैं.

गिरिडीह के पचंबा से क्यों भागना चाहते हैं हिंदू

गिरिडीह के पत्रकार मनोज कहते हैं कि पचंबा मुसलिम बहुल इलाका है, लेकिन पहले यहां अभी जैसा तनाव नहीं था. हाल के दिनों में जमीन का कारोबार करनेवाले एक व्यक्ति और उसके गुर्गों के कारण ऐसे हालात पैदा हुए हैं.

यहां लंबे समय से दोनों समुदाय साथ रहते आये हैं. उनके घर, दुकानें और कारोबार भी वहीं हैं. लोग छोटे-मोटे कामों के लिए एक-दूसरे पर आश्रित हैं. सामाजिक तानाबाना टूटेगा तो इसका असर दोनों समुदायों पर पड़ेगा.

मनोज बताते हैं कि पचंबा में तनाव की वजह सांप्रदायिक से ज्यादा जमीन कारोबार से जुड़ी है ताकि हिंदू औनेपौने भाव अपनी संपत्ति दलालों को बेच जायें और वे उन्हें ऊंचे भाव में बेच सकें.

अपने-आप में एक अजूबा है हिंदपीढ़ी

रांची में पिछले हफ्ते जुमे की नमाज के बाद हुई तनावपूर्ण घटनाओं के बाद राजधानी की सबसे बड़ी मुसलमान बहुल बस्ती हिंदपीढ़ी में रहनेवाले हिंदुओं की स्थिति जानने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर पाल से बात की. सुधीर पाल का परिवार पिछले डेढ़ सौ साल से हिंदपीढ़ी में रहता आ रहा है. सुधीर ने हिंदपीढ़ी के इलाके में विभिन्न विषयों पर कई शोध भी किये हैं. वे बताते हैं कि हिंदपीढ़ी एक बहुत ही सघन आबादीवाला मुहल्ला है. करीब डेढ़ लाख की आबादी वहां निवास करती है.

हिंदपीढ़ी का इलाका मोटे तौर पर पुराने वेलफेयर सिनेमा (अभी के सैनिक मार्केट) से लेकर मेन रोड के संकटमोचन हनुमान मंदिर के पीछे काफी दूर पुरानी रांची की सीमा तक सटा हुआ है. इस बड़े इलाके में रांची नगर निगम के पांच-छह वार्ड शामिल हैं. सुधीर कहते हैं कि हिंदपीढ़ी अपने-आप में एक अजूबा है.

यहां सौ-सवा सौ तरीके के काम करनेवाले लोग रहते हैं. दर्जी हैं, तो जरी-कढ़ाई, कसीदाकारी करनेवाले भी. सब्जी-फल बेचनेवाले हैं, तो मांस-अंडा के कारोबारी भी, मैकेनिक-इलेक्ट्रीशियन हैं, तो बढ़ई-लोहार भी हैं. धुनिया-प्लंबर, पेंटर, कारीगर, बैंड बाजेवाले से लेकर लाइटवाले सब यहां भरे पड़े हैं. इसे आर्टीजन की बस्ती कहा जाये, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

हिंदपीढ़ी में 150 साल से हैं, कभी डर नहीं लगा

दिन हो रात, हिंदपीढ़ी इलाका हमेशा गुलजार रहता है. सुधीर बताते हैं कि मजाक में हम लोग कहते हैं कि हिंदपीढ़ी कभी सोती नहीं. देर रात ट्रेन आदि से रांची आने पर हम लोग पीपी कंपाउंड के पीछे के रास्ते से ओसीसी कंपाउंड स्थित अपने घर जाते हैं, क्योंकि चाहे जितनी भी रात हो, वहां लोगों की आवाजाही दिखती है. जबकि मेन रोड के सन्नाटे में जाने में डर लगता है. वे कहते हैं कि बाहर से लोगों को लगे कि हिंदपीढ़ी कम्यूनल एरिया है, लेकिन हमलोग पिछले 150 साल से यहां रह रहे हैं. हमें कभी डर या अलग-थलग पड़ जाने का अहसास नहीं हुआ.

सुधीर कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि यहां सभी लोग अच्छे ही हैं, यहां बुरे लोग भी हैं, लेकिन ऐसे लोग हर जगह होते हैं. ओवरऑल देखें, तो हिंदपीढ़ी एक ऐसा इलाका है, जहां आप रात के 12 बजे भी जा सकते हैं और बहुत सुरक्षित होकर जा सकते हैं.

इस तानेबाने को कोई तोड़ना नहीं चाहता

हिंदपीढ़ी की करीब 90 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. जीवन-यापन और दूसरी जरूरतों के लिए यहां के मुसलमानों की निर्भरता जितनी हिंदुओं पर है, उतने ही निर्भर यहां के हिंदू भी मुसलमानों पर हैं. कुछ दिन पहले एक संस्था द्वारा कराये गये शोध के अनुसार करीब 100 तरह के ऐसे काम हैं, जिनके लिए यहां रहनेवाले हिंदू और मुसलमान एक दूसरे पर निर्भर हैं.

कभी वे ग्राहक होते हैं और कभी सप्लायर. इस फैब्रिक को यहां कोई तोड़ना नहीं चाहता. दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे के यहां शादी-विवाह और दूसरे सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं.

कोरोना के लॉकडाउन के पहले हिंदपीढ़ी के मुसलिम युवकों ने एक हिंदू बच्चे के इलाज के लिए करीब दो महीने तक ऑटो रिक्शा में घूम-घूम कर पैसा इकट्ठा किया था. यह अकेली घटना नहीं है. लंबे समय लोग एक-दूसरे की मदद करते चले आ रहे हैं.

चंद तात्कालिक घटनाओं से धारणा बनाना सही नहीं

पत्रकार कुमार सौरभ का परिवार मूल रूप से हिंदपीढ़ी का रहनेवाला है. अब वे वहां नहीं रहते, लेकिन हिंदपीढ़ी को लेकर सौरभ के विचार भी कमोबेश सुधीर की तरह ही एक सुरक्षित दलाल कौन है थे. लेकिन बड़ा सवाल यह था कि इतने सौहार्द्र और सद्भाव के बाद भी माहौल क्यों बिगड़ा और मेन रोड पर बने संकट मोचन हनुमान मंदिर और काली मंदिर पर पत्थरबाजी की घटना कैसे हुई. इस पर सुधीर कहते हैं कि यह एक तात्कालिक घटना थी.

भीड़ में कहां के और कैसे तत्व घुस गये थे, इसका पता पुलिस लगा रही है. इसके अलावा देश में अभी जिस प्रकार का माहौल है, वह भी इसका कारण हो सकता है. पहले भी चंद ऐसी तात्कालिक घटनाएं हुई हैं, लेकिन इससे हिंदपीढ़ी के सोशल फैब्रिक पर कोई खास असर नहीं पड़ा है.

तो हिंदपीढ़ी से क्यों घटती जा रही है हिंदू अबादी

यह एक अलग तरीके का इकोनॉमिक्स है. जो जमीन दलाल हैं या जो रियल एस्टेट के कारोबार में हैं, उन्हें पता है कि हिंदपीढ़ी एक प्राइम लोकेशन है. हिंदू यहां माइनॉरिटी हैं. ऐसे दलालों और कारोबारियों को लगता है कि अगर यहां का भय का माहौल पैदा नहीं होगा, तो औनेपौने दाम में जमीन नहीं मिलेगी. इसलिए ऐसी बातें फैलायी जाती हैं. जो लोग बाहर से हिंदपीढ़ी को देखते हैं, वे उसी तरीके से इसे प्रोजेक्ट भी करते हैं.

हिंदपीढ़ी के रहनेवाले एक सज्जन बताते हैं कि उन्हें रोज परिचितों के फोन आते हैं कि सुना कि आपके मोहल्ले में कोई तलवार लेकर घुस गया या कहीं कुछ हो गया. जबकि ऐसा कुछ होता नहीं है. इसे कम्यूनल एंगल से देखना सही नहीं होगा, यह जमीन माफिया का विशुद्ध कारोबार है, जो भय पर आधारित है.

हिंदपीढ़ी में मुस्लिम समुदाय एक सुरक्षित दलाल कौन है के काफी लोग अच्छे-खासे पैसेवाले हैं, जो जमीन या घर के लिए कैश पैसा देने को तैयार रहते हैं. इसलिए भी भय बनाया जाता है ताकि हिंदुओं की संपत्ति को औनेपौने दाम में खरीद कर ऊंचे दाम में बेच दिया जाये.

इसके अलावा हिंदपीढ़ी में जो हिंदू बसे हैं, उनमें ज्यादातर लोग तीन-चार पीढ़ियों से वहां रह रहे हैं. परिवार बढ़ने के कारण बंटवारा भी होता गया, और नौकरी और अन्य कारणों से लोग बाहर रहने लगे.

जब रहनेवाला कोई बचा नहीं, तो ऐसे परिवार भी अपनी संपत्ति बेचने लगे. यहां रहनेवाले हिंदू ऐसी संपत्ति की ज्यादा कीमत नहीं देना चाहते, जबकि मुसलमान अच्छे दाम देते हैं. यह भी हिंदुओं की घटती संख्या का एक प्रमुख कारण हो सकता है.

हिंदपीढ़ी में बन रहे हैं फ्लैट, बस रहे हैं हिंदू

और ऐसा नहीं है कि हिंदपीढ़ी में हिंदू आना नहीं चाहते. सुधीर पाल बताते हैं कि उनके ही इलाके ओल्ड कमिश्नर्स कंपाउंड, घोष कंपाउंड में कई रिहाइशी फ्लैट बने, बुधिया की बड़ी इमारत बन गयी. अगर स्थिति खराब होती, तो ये चीजें नहीं बनतीं. इतना ही डर का माहौल एक सुरक्षित दलाल कौन है होता, तो हिंदू परिवार 40-50 लाख का फ्लैट लेकर क्यों यहां रहने आते.

लेकिन जिस तरह हर आदमी दूसरे को सांप्रदायिकता के चश्मे से देख रहा है, हर बात को धर्म से जोड़ कर राजनीति की जा रही है और इसे सामाजिक मान्यता मिल रही है, ऐसे माहौल में हिंदपीढ़ी और इस जैसी बाकी जगहों की सोशल फैब्रिक को जोड़ कर रखनेवालों की संख्या लगातार कम होती जा रही है.

परीक्षा पास करवाने के 3 लाख, ज्वाइनिंग 2 लाख!

sikar news

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ग्रुप सी व डी की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा में दलाल सक्रिय हो गए हैं। दो फरवरी से शुरू हुई इस परीक्षा के सी व डी ग्रुप की भर्ती परीक्षा 19 फरवरी तक चलेगी। इस परीक्षा में पास कराने के नाम पर अभ्यर्थियों से सौदा कर 5 लाख रुपए तक की मांग की जा रही है। इसमें दलाल पेपर हल करने के तीन लाख तो नियुक्ति के बाद 2 लाख रुपए मांग रहे हैं। इसमें
मेडिकल भी शामिल है। हालांकि शारीरिक दक्षता दौड़, सीना आदि अभ्यर्थियों को अपने स्तर पर पास करनी होगी। दलाल और अभ्यर्थी के बीच हो रहे इस सौदे का वायरल ऑडियो रिकॉर्डिंग राजस्थान पत्रिका के पास है। पड़ताल में सामने आया कि दलाल आरपीएफ के ऑनलाइन परीक्षा पेपर की वेबसाइट को हैक कर अभ्यर्थियों को पेपर सॉल्व करवा देते हैं। गुरुवार को दलाल और अभ्यर्थी की बातचीत का एक ऑडियो पत्रिका के हाथ लगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह दलाल फतेहपुर तहसील के नया बास का रहने वाला है।
नकारा आरोपों को
सीकर. दलाल एक सुरक्षित दलाल कौन है और अभ्यर्थी की ऑडियो क्लिप की पड़ताल के दौरान पत्रिका ने भी दलाल से बातचीत का प्रयास किया। हालांकि तीन-चार बार फोन करने पर उसने फोन नहीं उठाया। बाद में फोन पर पत्रिका संवाददाता से बातचीत में दलाल पैसे लेकर भर्ती करवाने की बात से साफ मुकर गया। उसका कहना है कि वह तो खुद यही परीक्षा दे रहा है और उसकी तैयारी कर रहा है। यदि उसके खिलाफ ऐसी शिकायत है, तो वह गलत है। इधर, कोतवाली थाने के एएसआई जयप्रकाश ने भी ऑडियो क्लिप सुनने के बाद दलाल के नंबरों पर फोन का प्रयास किया, लेकिन दलाल ने फोन नहीं उठाया।
दलाल: हैलो एक सुरक्षित दलाल कौन है कौन बोल रहा है
अभ्यर्थी: मैं बोल रहा हूं मेरे दोस्त से आप का नंबर मिला था। आरपीएफ के पेपर की बात करनी थी।
दलाल: बोलो
अभ्यर्थी: किस तरह से करना है।
दलाल: पांच लाख रुपए तक का एक सुरक्षित दलाल कौन है खर्चा होगा। 3 लाख रुपए पेपर और 2 लाख रुपए ज्वाइनिंग के समय देने होंगे।
अभ्यर्थी: दौड़, सीना और उसके लिए
दलाल: फिजीकल तो आप को ही पास करना होगा। उसमें हम कुछ नहीं कर सकते।
अभ्यर्थी: ठीक है दौड़ आदि तो हम कर लेंगे, लेकिन मेडिकल।
दलाल: मेडिकल में कोई परेशानी नहीं होगी, वो हो जाएगा।
अभ्यर्थी: पेमेंट पेपर होने के बाद करना है या पहले
दलाल: पेमेंट आपको साथ लेकर आना होगा। जैसे ही पेपर होगा आप के बंदे से बात कर लेना और पेमेंट कर देना।
अभ्यर्थी: ठीक है। यह मेरे नंबर सेव कर लो
दलाल: आपका का लेटर इस नंबर पर वॉट्सअप कर दो
अभ्यर्थी: ठीक है करता हूं। कोई नहीं तीन लाख रुपए मिल जाएंगे। पेपर में प्रश्न कितने आएंगे
दलाल: पेपर में प्रश्न 120 होंगे
अभ्यर्थी: प्रश्न होता कम्प्यूटर पर दिखेंगे या नहीं
दलाल: स्क्रीन पर आराम से देख सकते हो सब कुछ आप के सामने होगा। इन सवालों के अलावा अन्य 20-30 सवाल भी होंगे तो वो भी दिखेंगे।
अभ्यर्थी: पैसों में आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
दलाल: पेपर होने से पहले आप का आदमी हमारे पास बैठ जाएगा। रूम की व्यवस्था हमारी रहेगी। पेपर होते ही पैसे देकर आप का आदमी चला जाएगा।
दलाल और अभ्यर्थी के बीच बातचीत का ऑडियो

बाढ़ का कहरः गोपालगंज में क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मत हुई, अब सुरक्षित

गंडक नदी का गोपालगंज में क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मत कर ली गयी है। सिधवलिया प्रखंड में शीतलपुर गांव के निकट सल्लेहपुर-टंडसपुर लघु बांध सोमवार को क्षतिग्रस्त हो गया था।

बाढ़ का कहरः गोपालगंज में क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मत हुई, अब सुरक्षित

गंडक नदी का गोपालगंज में क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मत कर ली गयी है। सिधवलिया प्रखंड में शीतलपुर गांव के निकट सल्लेहपुर-टंडसपुर लघु बांध सोमवार को क्षतिग्रस्त हो गया था। गंडक नदी में अप्रत्याशित पानी आने के बाद इसका दांया छरकी 4 किलोमीटर पर क्षतिग्रस्त हुआ था। हालांकि युद्धस्तर पर इसकी मरम्मत कर सुरक्षित कर लिया गया है। केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष के प्रभारी कार्यपालक अभियंता अभिषेक कुमार ने कहा कि अब छरकी सुरक्षित है। उनके अनुसार विभाग के अन्य तटबंध भी सुरक्षित हैं।

उधर, गंडक नदी में पानी घटकर एक लाख क्यूसेक पर पहुंच गया है। हालांकि जल संसाधन विभाग ने अभी भी गंडक नदी को लेकर एलर्ट जारी रखा है। गंडक में 7 अक्टूबर को अचानक 4.45 लाख क्यूसेक पानी आ जाने के बाद उत्तर बिहार में हाई अलर्ट जारी किया गया था। इस साल गंडक में पिछले साल की तुलना में 33 हजार क्यूसेक पानी अधिक आया। गत वर्ष गंडक में 16 जून को 4.12 लाख क्यूसेक पानी आ गया था।

बांध को बचाने के लिए रविवार को रात भर बचाव कार्य चलाया गया। लेकिन सुबह में अचानक तेज रिसाव के साथ बांध टूट गया। बांध के ध्वस्त होने से आसपास के गांवों में अफरा-तफरी की स्थिति है। शीतलपुर, बंजरिया सहित कई गांवों के लोग अपना बोरिया-बिस्तर समेटने लगे हैं। 50 से अधिक एक सुरक्षित दलाल कौन है परिवार गांव के प्राथमिक विद्यालय में शरण ले रहे हैं। डीएम के निर्देश पर एनडीआरएफ की टीम बंजरिया पहुंच गई है।

डीडीसी ने लगाई अधिकारियों को फटकार

बांध टूटने की सूचना पर पहुंचे डीडीसी अभिषेक कुमार ने बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि बांध टूटने के मामले की जांच की जाएगी। जांच के बाद दोषी कर्मियों एवं अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर से कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को बचाव कार्य को लेकर कई आवश्यक निर्देश दिए।

शीतलपुर गांव में पसरा रहा बाढ़ का पानी

जिले के सिधवलिया प्रखंड के शीतलपुर गांव में बाढ़ का पानी तेजी से पसर रहा है। दोपहर तक कई परिवार बाढ़ की चपेट में आ गए। हालांकि पानी का प्रवाह कम है। बाढ़ प्रभावित गांवों में अधिकारियों की टीम ने पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। अधिकारियों ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को हरसंभव सहायता एवं सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

डीएम ने दौरा कर स्थिति का लिया जायजा

सिधवलिया प्रखंड के बंजरिया- शीतलपुर गांव के समीप रिसाव के बाद टूटे तटबंध की जांच करने डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी भी पहुंचे। उन्होंने तटबंध टूटने की जानकारी ग्रामीणों से ली। जांच के दौरान ग्रामीणों ने बाढ़ नियंत्रण विभाग पर बचाव कार्य में कोताही बरतने की बात कही। जिस पर डीएम ने संबंधित पदाधिकारियों को फटकार लगाई। कहा कि शीघ्र बांध का निर्माण कार्य पूरा होगा। उन्होंने स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बचाव कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया। डीएम के निरीक्षण के दौरान जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख भी मौजूद थे।

बाढ़ प्रभावित गांवों में सर्पदंश की हो रहीं घटनाएं

प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाके में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ती जा रही है। बाढ़ के पानी में बहकर आए पहाड़ी सांपों के भय से ग्रामीणों में दहशत है। पिछले 48 घंटों के दौरान सरकारी अस्पताल में सर्पदंश से पीड़ित दस लोगों को भर्ती कराया जा चुका है। हालांकि इलाज के बाद सभी पीड़ितों को ठीक कर घर वापस भेजा गया है। बाढ़ पीड़ितों ने प्रत्येक पंचायत में मेडिकल टीम की व्यवस्था करने की गुहार लगाई है। ताकि समय पर उनका समुचित इलाज हो सके।

डॉक्सिंग क्या है? बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित

2017 से, कोलेट बर्नार्ड ने PixelPrivacy.com के कंटेंट एडिटर के रूप में काम किया है, जहाँ वह औसत व्यक्ति को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के बारे में सूचनात्मक लेख भी लिखती हैं। उनकी विशेषज्ञता उपयोगकर्ताओं को वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का उपयोग करने का तरीका सिखाने में है।

doxxing या doxing का अर्थ उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी को लक्षित करने से संबंधित है

Doxxing, या doxing, एक डरावनी समस्या है जो आपके परिवार के सदस्यों और उनकी वास्तविक पहचान को खतरे में डाल सकती है। हालांकि, ऐसी चीजें हैं जो आप सुरक्षित रहने के लिए कर सकते हैं। पिक्सेल गोपनीयता से कोलेट बर्नार्ड ने हमारे साथ यह समझाने के लिए काम किया कि आपको क्या जानना चाहिए।

पेज पर क्या है

  • डॉक्सिंग क्या है?
  • Doxxing परिभाषाएँ और शर्तें
  • क्या डॉकिंग अवैध है?
  • डॉक्सिंग को कैसे रोकें
  • अगर कोई आपके बच्चे को टारगेट करे तो क्या करें
  • कार्रवाई अगर आपका बच्चा किसी और को लक्षित करता है

डॉक्सिंग क्या है?

Doxxing का अर्थ है कि इंटरनेट पर किसी ने दुनिया के देखने के लिए किसी और के बारे में निजी जानकारी पोस्ट की है। यह जानकारी व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य है और इसलिए संवेदनशील है। जैसे, कोई इसका उपयोग यह पता लगाने के लिए कर सकता है कि कोई वास्तव में कौन है, वे कहाँ रहते हैं और उनसे कैसे संपर्क किया जाए। डॉक्‍स किया जाना का एक रूप है साइबर धमकी.

जानकारी पीड़ित का वास्तविक नाम, घर का पता, फोन नंबर, ईमेल पता, फोटो या अन्य व्यक्तिगत जानकारी हो सकती है।

Doxxing परिभाषाएँ और शर्तें

डॉक्सिंग की परिभाषा को समझने में आपकी मदद करने के लिए, हमने इसके साथ प्रयोग होने वाले कुछ सामान्य शब्दों को एक साथ रखा है।

वे लोग या कंपनियां जो जानकारी बेचते हैं वे अन्य लोगों के बारे में एकत्र करते हैं। वे इन सूचनाओं को डार्क वेब पर बेच सकते हैं।

ये अनौपचारिक शब्द हैं जो हमलावर (doxxer) और पीड़ित (doxxed) का जिक्र करते हैं।

व्यक्तिगत जानकारी चुराने के लिए ईमेल या अन्य साधन। संदेहास्पद लिंक पर क्लिक करना एक तरह से फ़िशिंग पीड़ितों का doxxers है। के बारे में अधिक जानने ESET की सलाह से फ़िशिंग.

दस्तावेज़ (दस्तावेज़) के लिए डॉक्स शब्द कठबोली है। फिर, डॉक्सिंग या 'ड्रॉपिंग डॉक्स' का अर्थ है किसी के व्यक्तिगत दस्तावेज़ साझा करना।

यह तब होता है जब doxxers पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर, बैंक खाते की जानकारी और बहुत कुछ खोजने के लिए आपके इंटरनेट डेटा का उपयोग करते हैं।

एक खोज इंजन जिसका उपयोग doxxers किसी के बारे में व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी खोजने के लिए कर सकते हैं।

क्या डॉकिंग अवैध है?

डॉक्स या डॉक्सिंग शब्द को अवैध नाम नहीं दिया गया है। हालाँकि, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की निंदा करता है, तो वे अन्य कानूनों को तोड़ सकते हैं।

उदाहरण के लिए, उत्पीड़न से संरक्षण अधिनियम (1997) किसी और को परेशान करना अवैध बनाता है। अन्य कानून जिन्हें तोड़ा जा सकता है, 2003 के संचार अधिनियम और 1988 के दुर्भावनापूर्ण संचार अधिनियम में मौजूद हैं। कानून प्रवर्तन इन विशिष्ट कानूनों पर कार्य कर सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह स्वयं ही हो।

इसके खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अपने नियम भी हो सकते हैं। एक उदाहरण में शामिल हैं Reddit, जिसे उपयोगकर्ताओं द्वारा दूसरों को चकमा देने के बारे में आलोचना का सामना करना पड़ा है और इसलिए इसके खिलाफ नियम लागू किए।

इसे कैसे रोका जाए

डॉक्सिंग हमले को रोकने के लिए आप जो सबसे अच्छी चीजें कर सकते हैं, उनमें से एक इस बारे में उनसे बात करना है। उन्हें सिखाएं कि डॉक्सिंग क्या है और यह उन्हें कैसे नुकसान पहुंचा सकता है। इन वार्तालापों से उन्हें यह एक सुरक्षित दलाल कौन है जानने में मदद मिलती है कि वे किसी को अपना असली नाम न बताएं, ऑनलाइन अपनी तस्वीरें साझा करें या किसी को बताएं कि वे किस स्कूल में जाते हैं या किस कक्षा में हैं।

  • सुनिश्चित करें कि वे a . का उपयोग करते हैं मजबूत पासवर्ड और प्रत्येक सोशल मीडिया या गेमिंग अकाउंट के लिए एक अलग खाता है
  • इंटरनेट पर और ईमेल पते में उपयोग करने के लिए नकली नाम के साथ आने में उनकी सहायता करें
  • अपने बच्चे के सोशल मीडिया या गेमिंग अकाउंट पर सभी व्यक्तिगत जानकारी छिपाना सुनिश्चित करें
  • सोशल मीडिया ऐप्स, जैसे Snapchat, स्थान सेवाओं का उपयोग यह पता लगाने के लिए करें कि उपयोगकर्ता कहां से जुड़ते हैं। किसी doxxer को आपके बच्चे के स्थान को ट्रैक करने से रोकने के लिए डिवाइस की सेटिंग में स्थान सेवाओं को बंद करना सुनिश्चित करें
  • उपयोग वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) से doxxers को यह पता लगाने से रोकें कि आपका बच्चा किस IP पते से जुड़ता है।

अगर कोई आपके बच्चे को टारगेट करे तो क्या करें

यदि सबसे बुरा होता है और कोई आपके बच्चे का असली नाम, पता या अधिक साझा करता है, तो आप कुछ चीजें कर सकते हैं:

  • स्क्रीनशॉट लें या अन्यथा डॉक्सिंग पोस्ट रिकॉर्ड करें
  • वेबसाइट या ऐप के ग्राहक सेवा एजेंटों से संपर्क करके देखें कि क्या वे पोस्ट को हटा सकते हैं
  • अपने बच्चे के सोशल मीडिया और गेमिंग अकाउंट्स को डिलीट कर दें ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके, जहां बेहद जरूरी हो
  • अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा तत्काल खतरे में है, तो पुलिस को यह पता लगाने के लिए कॉल करें कि वे कैसे मदद कर सकते हैं
  • अगर आपको लगता है कि कानून तोड़ा गया है, तो मदद के लिए कानून प्रवर्तन को फोन करें।

कार्रवाई अगर आपका बच्चा किसी और को लक्षित करता है

कभी-कभी बच्चे अपने कार्यों के परिणामों को नहीं समझते हैं। जैसे, वे यह नहीं समझ सकते हैं कि अपने मित्र या अन्य एक सुरक्षित दलाल कौन है व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन डालने से उन्हें जोखिम होता है।

न केवल अपनी सुरक्षा के लिए बल्कि अपने दोस्तों की सुरक्षा के लिए अपने बच्चे से डॉकिंग के खतरों के बारे में बात करें।

अगर आपको पता चलता है कि आपके बच्चे ने किसी और को धोखा दिया है, तो उनके ऑनलाइन खाते पर जाएं और पोस्ट को तुरंत हटा दें ताकि वे जिस किसी के भी साथ हों, उसकी सुरक्षा की जा सके।

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