सोना विदेशी मुद्रा के बारे में ठीक हो गया

क्या पाकिस्तान के भी जल्द दिवालिया होने की खबर आने वाली है? जानिए कितने खराब हो चुके हैं हालात
जून में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 8.24 अरब डॉलर रह गया था। गंभीर हालात को देखते हुए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सरकार को सभी गैर-जरूरी चीजों के आयात पर रोक लगा देने की सलाह दी है
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक State Bank of Pakistan ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मंडराते खतरे के बारे में बता दिया है।
श्रीलंका (Sri Lanka) के बाद पाकिस्तान (Pakistan) दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है। वह विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट कर सकता है। इसकी वजह यह है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) बहुत घट गया है। इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसियों ने यह आशंका जताई है।
श्रीलंका में संकट की शुरुआत भी इसी तरह हुई थी। कोरोना की महामारी के चलते श्रीलंका का पर्यटन उद्योग ठप पड़ गया। इससे एक तरफ जहां विदेशी मुद्रा का बड़ा स्रोत बंद हो गया। दूसरी तरफ इससे सरकार को होने वाली कमाई का रास्ता बंद हो गया।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, श्रीलंका और जांबिया के बाद तुर्की, मिस्र, इथोपिया, पाकिस्तान, घाना और अल सल्वाडोर विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम रह सकते हैं। इसका असर बहुत व्यापक होगा। इसकी वजह यह है कि अभी वैश्विक हालात ठीक नहीं हैं। ईंधन और खानेपीने की चीजों के दाम बहुत बढ़ गए हैं। दुनियाभर में इंटरेस्ट रेट्स बढ़ रहे हैं।
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फिच रेटिंग्स ने ऐसे 17 देशों की पहचान की है, जो अपना कर्ज चुकाने से चूक सकते हैं। इनमें पाकिस्तान शामिल है। खास बात यह है कि इस लिस्ट में रूस भी शामिल है। रूस के पास पैसा है, लेकिन अमेरिकी और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के चलते वह डॉलर में अपने विदेशी कर्ज का पेमेंट नहीं कर पा रहा है।
जिन देशों के डिफॉल्ट करने की आशंका जताई जा रही है, उनमें पाकिस्तान, लेबनान, ट्यूनिशिया, घाना, इथोपिया, यूक्रेन, ताजिकिस्तान, अल सल्वाडोर, सूरीनाम, अर्जेंटीना, रूस और बेलारूस शामिल हैं।
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक State Bank of Pakistan सोना विदेशी मुद्रा के बारे में ठीक हो गया ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मंडराते खतरे के बारे में बता दिया है। उसने कहा है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बहुत घट चुका है। इससे जरूरी चीजों के आयात में दिक्कत आ रही है। उसने यह भी कहा है कि अगर जल्द विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के उपाय नहीं किए जाते, पाकिस्तान दूसरे देशों से आयात नहीं कर पाएगा।
पाकिस्तान के उद्यमियों ने भी गहराते आर्थिक संकट को लेकर सरकार को आगाह किया है। ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा है कि आने वाले समय में सामाजिक-आर्थिक समस्या खड़ी हो सकती है। सरकार की तरफ से अनुकूल नीतियों के अभाव में फॉरने इनवेस्टमेंट के लिए पाकिस्तान का अट्रैक्शन घट रहा है।
जून में पाकिस्तान में इनफ्लेशन बढ़कर 21.32 फीसदी पर पहुंच गया। यह बीते 13 साल में सबसे ज्यादा है। इससे खानेपीने की चीजों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। बढ़ती महंगाई ने कमजोर आर्थिक वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। इससे लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है।
जून में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 8.24 अरब डॉलर रह गया था। गंभीर हालात को देखते हुए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सरकार को सभी गैर-जरूरी चीजों के आयात पर रोक लगा देने की सलाह दी है। बैंक ने ईंधन आयात पर बढ़ते खर्च पर भी चिंता जताई है।
MoneyControl News
First Published: Jul 11, 2022 9:49 AM
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गिरती सेहत
फिलहाल तो रुपए के साथ कुछ भी ठीक होता नजर नहीं आ रहा है और विशेषज्ञों की आम सलाह यही है कि भारत को पहले के मुकाबले अपनी और ज्यादा कमजोर मुद्रा का अभ्यस्त होना ही होगा
एम.जी. अरुण
- नई दिल्ली,
- 11 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 11 जुलाई 2022, 3:51 PM IST)
कमजोर मुद्रा जरूरी नहीं कि कमजोर अर्थव्यवस्था की झलक हो, पर वह उसमें निहित उन मुद्दों की तरफ तो इशारा करती ही है जिन्हें दुरुस्त नहीं किया गया तो नुक्सान हो सकता है. इस लिहाज से फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के वक्त से ही रुपए में कोई गिरावट चिंता की बात है. रूसी फौजों के यूक्रेन में दाखिल होने के दिन यानी 24 फरवरी को रुपया प्रति डॉलर 75.4 के स्तर पर था, जो 5 जुलाई को अपने सबसे निचले स्तर 79.14 प्रति डॉलर पर आ गया. मैकलाई फाइनेंशियल सर्विस के सीईओ जमाल मैकलाई कहते हैं, ''रुपया जिस तरह गिर रहा है, उसे देखते हुए यह बेशक 80 प्रति डॉलर तक जाएगा.'' वे यह नहीं बता सकते कि कब, क्योंकि यह बाजार की शक्तियों और निश्चित ही युद्ध, महंगाई सोना विदेशी मुद्रा के बारे में ठीक हो गया और कच्चे तेल के दामों पर निर्भर करता है.
रुपए के कमजोर होने की एक बड़ी वजह विभिन्न मुद्राओं के मुकाबले डॉलर का मजबूत होना है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 15 जून को ब्याज दरें 75 आधार अंक बढ़ा दीं और यह साल 1994 के बाद सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी. यह बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिश में निचली ब्याज दरों की व्यवस्था से उच्च ब्याज दरों की तरफ बदलाव का संकेत था. बॉन्ड पर ज्यादा रिटर्न पाने की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए उच्च ब्याज दरें आकर्षक पेशकश होती हैं. ऐसे वैश्विक निवेशक स्थानीय मुद्राओं में अपने निवेश डॉलर में निवेश के बदले बेच देते हैं, जिससे अमेरिकी मुद्रा मजबूत होती है.
दूसरी वजह बढ़ती महंगाई है. भारत में महंगाई इस जनवरी से लगातार पांचवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक की 6 फीसद की ऊपरी सीमा से ज्यादा बढ़ी है. मई में खुदरा महंगाई 7.04 फीसद थी. 4 मई को आरबीआइ की तरफ से रेपो दर में, यानी उस दर में जिस पर वह व्यावसायिक बैंकों को उधार देता है, 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गई जो अप्रैल में 7.79 फीसद थी. जून में आरबीआइ ने रेपो दर में और 50 आधार अंकों (बीपीएस) की बढ़ोतरी की.
अन्य वजहें हैं शेयर बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) की तरफ से तेज बिकवाली और कच्चे तेल की ऊंची कीमतें, जो 4 जुलाई को ब्रेंट के लिए 111.5 डॉलर प्रति बैरल थीं. जब अमेरिका और ब्रिटेन में बॉन्ड पर प्राप्तियां (बॉन्ड के ब्याज भुगतान पर रिटर्न) बढ़ जाती हैं, तो एफआइआइ को ये बाजार बेहतर जगह नजर आते हैं और इन बाजारों की तरफ पूंजी की उड़ान की यही वजह है. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार, एफआइआइ ने 1 अप्रैल, 2021 और 10 जून, 2022 के बीच भारतीय बाजारों में 2.14 लाख करोड़ रुपए के शेयर बेचे. यूक्रेन में जारी लड़ाई से यह बिकवाली और तेज होगी. एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च ने मई के अपने रिसर्च नोट में कहा, ''लंबी लड़ाई से बिक्री और तेज हो सकती है—ऐसी स्थिति में हमारा अंदाज करीब 7 से 8 अरब डॉलर के बाहर जाने का है, यह पिछले वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान देखे गए स्तर के समान है.''
केंद्र सरकार का अलबत्ता यही कहना है कि मुद्राएं भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कमजोर हो रही हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 जुलाई को कहा, ''आरबीआइ विनिमय दर पर कड़ाई से नजर रखे है. इस दुनिया में हम अकेले नहीं हैं. अर्थव्यवस्था के तौर पर हम खुले भी हैं. अगर आप डॉलर के मुकाबले रुपए और डॉलर के मुकाबले अन्य दूसरी मुद्राओं की तुलना करें, तो रुपए ने दूसरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है.''
कमजोर रुपया केवल निर्यातकों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि उन्हें अपने कमाए डॉलर के बदले ज्यादा रुपए मिलते हैं. हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह नुक्सानदायक हैं क्योंकि इससे चालू खाते का घाटा (सीएडी), या देश के निर्यात और आयात के मूल्य के बीच का फर्क, बढ़ने का अंदेशा होता है. सीएडी में बढ़ोतरी की बदौलत रुपया फिर और दबाव में आ सकता है और इससे विदेशों से उधार लेना भी महंगा हो सकता है. भारत का सीएडी 2021-22 की चौथी तिमाही में ज्यादा वस्तु आयात की वजह से बढ़कर 13.4 अरब डॉलर (करीब 1 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 8.1 अरब डॉलर (63,936 करोड़ रुपए) था.
रेटिंग फर्म क्रिसिल ने एक हालिया रिसर्च नोट में कहा है कि वस्तुओं की ज्यादा कीमतों की वजह से आयात के महंगे होने और निर्यात के बाहरी मांग में सुस्ती से घिर जाने के साथ सीएडी के इस वित्तीय साल में जीडीपी के 3 फीसद तक बढ़ने की आशंका है. हमारे निर्यात पर गिरते रुपए के असर को स्वीकार करते हुए सीतारमण ने कहा, ''यही एक चीज है जिस पर मैं बहुत नजर और ध्यान रख रही हूं क्योंकि हमारे कई सारे उद्योगों को अपने उत्पादन के लिए कुछ चीजें अनिवार्यत: आयात करनी होती हैं.'' क्रिसिल को रुपए-डॉलर विनिमय दर में उतार-चढ़ाव बने रहने और इस वित्तीय साल के खत्म होने तक विनिमय दर के प्रति डॉलर 78 पर आकर टिकने की उम्मीद है.
आरबीआइ रुपए को मजबूत करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करता रहा है. उसकी तरफ से सरकारी बैंकों ने भी डॉलर की भारी बिक्री का सहारा लिया. हालांकि, आरबीआइ के इस कदम का दूसरा पहलू भी है. इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटता है. बार्कलेज की एक रिपोर्ट कहती है कि आरबीआइ ने देश की मुद्रा को बचाने के लिए इस साल फरवरी से अपने विदेशी मुद्रा भंडार से 41 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 29 अप्रैल को खत्म होने वाले सप्ताह में पहली बार 600 अरब डॉलर के नीचे आ गया. 24 जून को खत्म सप्ताह में हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 593.3 अरब डॉलर था.
रुपए की गिरावट थामने के लिए एक और कदम उठाते हुए 1 जुलाई को केंद्र ने सोने पर आयात शुल्क 10.75 फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद कर दिया. मैकलाई कहते हैं, ''अभी तक आरबीआइ विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर बेच रहा था. अब केंद्र आगे आया है. दबाव बहुत ज्यादा है और हमें देखना होगा कि क्या यह और तीव्र होता है. समझदारी बरतिए और अगर बाजार में आपका जोखिम है तो खुद को बचाने के लिए संरचनागत प्रक्रिया अपनाइए.''
फिलहाल तो रुपए के साथ कुछ भी ठीक होता नजर नहीं आ रहा है और विशेषज्ञों की आम सलाह यही है कि भारत को पहले के मुकाबले अपनी और ज्यादा कमजोर मुद्रा का अभ्यस्त होना ही होगा.
608 अरब डॉलर के पार पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, जानें कितना रहा सोने का भंडार
मुंबईः देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 जून, 2021 को समाप्त सप्ताह में 5.066 अरब डॉलर बढ़कर 608.999 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक 18 जून को समाप्त इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.418 अरब डॉलर की कमी के साथ 603.933 अरब डॉलर रह गया था।
रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़े के मुताबिक 25 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की वजह विदेशी मुद्रा संपत्तियों (एफसीए) में हुई बढ़ोतरी है जो समग्र भंडार का एक प्रमुख घटक है। इस दौरान एफसीए 4.7 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 566.24 अरब डॉलर हो गई। डॉलर के लिहाज से बताई जाने वाली विदेशी मुद्रा संपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है।
आंकड़े के मुताबिक इस दौरान सोने का भंडार 36.5 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 36.296 अरब डॉलर हो गया। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास मौजूद विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) में 1.498 अरब डॉलर पर कोई बदलाव नहीं हुआ। रिजर्व बैंक ने बताया कि आलोच्य सप्ताह के दौरान आईएमएफ के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। यह 10 लाख डॉलर बढ़कर 4.965 अरब डॉलर हो गया।
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ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय
विशेषकर विदेशी यात्रा का एक अलग ही रोमांच होता है। यह रोमांच चाहे भ्रमण के लिए हो या व्यापार के लिए हो, विदेशी मुद्रा का विनिमय और उससे जुड़ी परेशानियाँ एक जैसी ही होती हैं। लेकिन जब आप इस ट्रिप से वापस आ जाते हैं तब बची हुई विदेशी मुद्रा को आप बेचने का प्रयास करते हैं।
अधितर स्थितियों में विदेश यात्रा पर जाने वाले अपने साथ किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए थोड़ी एक्स्ट्रा विदेशी मुद्रा ले कर जाते हैं। क्यूंकी वे जानते हैं कि विदेशी मुद्रा को विदेशी धरती पर खरीदना महंगा और समय लगाने वाला होता है। इसलिए देर से सुरक्षा भली वाला नियम यहाँ भी लागू होता है और जरूरत से थोड़ी अधिक विदेशी करेंसी अपने साथ लेकर जाएँ और किसी भी अनदेखी परेशानी से बचें। ट्रिप से वापस आने के बाद अगर आप अपनी बची हुई विदेशी मुद्रा का विक्रय नहीं करते हैं तो वह आपके लिए मृत धन के समान है। कुछ लोग यह काम इसलिए भी नहीं कर पाते हैं कि वे ऑनलाइन विक्रय या एजेंट के माध्यम से विक्रय में से उपयुक्त माध्यम का चयन नहीं कर पाते हैं। थॉमस कुक के पास आपकी हर समस्या का हल है। फिर भी यदि आप अपनी अनुपयोगी विदेशी मुद्रा को ट्रिप कि यादगार बना कर, किसी डर के कारण या ठीक जानकारी न होने के कारण अपने पास रखना चाहते हैं तो इस्क्में सोना विदेशी मुद्रा के बारे में ठीक हो गया कोई समझदारी नहीं है।
थॉमस कुक में विशेष क्या है ?
थॉमस कुक के माध्यम से न केवल आप अच्छे रेट पर विदेशी मुद्रा का क्रय कर सकते हैं बल्कि लाभकारी रेट पर बेच भी सकते हैं। हमें विश्व के सबसे अधिक भरोसेमंद ट्रेवल कंपनीयों के सहयोगी होने का सौभाग्य प्राप्त है और इसी कारण हम आपको विदेशी मुद्रा के लिए सबसे अच्छी कीमत प्रदान करते हैं। बात चाहे होटल की हो, या फ्लाइट की हो, हम आपकी हर जगह विदेशी मुद्रा विनिमय की ज़रूरत का ख्याल रखते हैं। हमारे विशेषज्ञ आपकी हर प्रकार की ज़रूरत को अच्छी तरह न केवल समझते हैं बल्कि उनके अनुसार सेवाएँ और सुविधाएं प्लान करके आपके ट्रिप को खुशगवार और यादगार बना देते हैं।
ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय कैसे हो ?
सबकी जिंदगी में घूमना-फिरना वो सपना होता है जिसे सब अपनी जिंदगी में बार-बार पूरा करना चाहते हैं। चाहे वो कोई मनोरंजक यात्रा हो या कोई बोरिंग बिजनेस ट्रिप, सफल यात्रा के लिए सफल प्लानिंग की बहुत ज़रूरत होती है। इसके लिए बहुत ज़रूरी है कि आपके पास एक अच्छा ट्रेवल पार्टनर हो वो हर काम करे जिससे आपकी किसी भी ट्रिप को सरल और खुशगवार बनाया जा सके। इसी प्रकार कि एक ज़िम्मेदारी होती है विदेशी करेंसी का खरीदना और बेचना। हो सकता है आपके लिए विदेशी मुद्रा को बेचने का काम अच्छीखासी कठिनाई का काम हो सकता है लेकिन थॉमस कुक का अनेक वर्षों का अनुभव इस परेशानी को सरलता से हल कर सकता है। तो चिंता किस बात की, अब विदेशी मुद्रा को बेचने का काम अब बीते दिनों की बात है क्यूंकी थॉमस कुक आपकी विदेशी मुद्रा संबंधी सभी परेशानियों का एक ही हल है।
थॉमस कुक के माध्यम से आप विदेशी मुद्रा को ऑनलाइन खरीदने और बेचने का कार्य बड़ी सरलता से कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको थॉमस कुक की वेबसाइट पर लॉगिन करें, विदेशी मुद्रा विक्रय के पेज पर सभी ज़रूरी जानकारी भरें और बस आपका काम हो गया। थॉमस कुक के विदेशी मुद्रा के रेट ऑनलाइन विधि में सबसे अच्छे रेट माने जाते हैं। आप ऑनलाइन विधि से विदेशी मुद्रा का विक्रय करेंसी, ट्रेवलर चेक या फोरेक्स कार्ड, किसी भी रूप में हो, आसानी से कर सकते हैं। आपके विदेशी मुद्रा विक्रय के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए हमारा एक अनुभवी कर्मचारी आपके घर जाकर करेंसी ले भी सकता है। थॉमस कुक में हमारी कोशिश रहती है कि हर यात्री को हमारी सेवाओं का सबसे अच्छा अनुभव हो सके। यहाँ तक कि अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपकी एप्लिकेशन को बिना किसी परेशानी के आगे बढ़ाने का काम भी करते हैं जिससे आप अपना बहुमूल्य समय और एनर्जी को दूसरे ज़रूरी कामों में लगा सकें। इसलिए जब अगली बार आप विदेशी मुद्रा को बेचने का काम करने का निर्णय लें तो बेहिचक थॉमस कुक से संपर्क करें।
हमारी दूसरी सेवाओं में अनेक सेवाओं के अतिरिक्त ऑनलाइन वीज़ा एप्लिकेशन सेवा, ट्रिप प्लानिंग, आवश्यकतानुसार एडजस्टिड हॉलिडे टूर और पैकेज़ आदि शामिल हैं। थॉमस कुक के सहयोगी आपके विदेश यात्रा को खुशगवार बनाने में कोई कसर नहीं रखते हैं!
क्या पाकिस्तान के भी जल्द दिवालिया होने की खबर आने वाली है? जानिए कितने खराब हो चुके हैं हालात
जून में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 8.24 अरब डॉलर रह गया था। गंभीर हालात को देखते हुए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सरकार को सभी गैर-जरूरी चीजों के आयात पर रोक लगा देने की सलाह दी है
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक State Bank of Pakistan ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मंडराते खतरे के बारे में बता दिया है।
श्रीलंका (Sri Lanka) के बाद पाकिस्तान (Pakistan) दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है। वह विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट कर सकता है। इसकी वजह यह है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) बहुत घट गया है। इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसियों ने यह आशंका जताई है।
श्रीलंका में संकट की शुरुआत भी इसी तरह हुई थी। कोरोना की महामारी के चलते श्रीलंका का पर्यटन उद्योग ठप पड़ गया। इससे एक तरफ जहां विदेशी मुद्रा का बड़ा स्रोत बंद हो गया। दूसरी तरफ इससे सरकार को होने वाली कमाई का रास्ता बंद हो गया।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, श्रीलंका और जांबिया के बाद तुर्की, मिस्र, इथोपिया, पाकिस्तान, घाना और अल सल्वाडोर विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम रह सकते हैं। इसका असर बहुत व्यापक होगा। इसकी वजह यह है कि अभी वैश्विक हालात ठीक नहीं हैं। ईंधन और खानेपीने की चीजों के दाम बहुत बढ़ गए हैं। दुनियाभर में इंटरेस्ट रेट्स बढ़ रहे हैं।
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जिन देशों के डिफॉल्ट करने की आशंका जताई जा रही है, उनमें पाकिस्तान, लेबनान, ट्यूनिशिया, घाना, सोना विदेशी मुद्रा के बारे में ठीक हो गया इथोपिया, यूक्रेन, ताजिकिस्तान, अल सल्वाडोर, सूरीनाम, अर्जेंटीना, रूस और बेलारूस शामिल हैं।
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First Published: Jul 11, 2022 9:49 AM
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