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रुझान सूचक

रुझान सूचक
मानसून - सब आकाश पर निर्भर आदित्यात जयति वृष्टि (सूर्य वर्षा को जन्म देता है), यह पंक्ति बृहदसंहिता की है जिसकी रचना छठी शताब्दी के खगोलशास्त्री व गणितज्ञ वराहमिहिर ने उज्जैन में की थी। यह पंक्ति बादलों की सृष्टि और वर्षा के बारे में गहरी समझ को प्रकट करती है।

मानसून - सब आकाश पर निर्भर

रुझान सूचक

हम ऐसे योग अभ्‍यास करने वाले लोग हैं जो अपने विश्‍व के प्रभावशाली परिवर्तन में रुचि रखते हैं। विश्‍व रुझान सूचक के 50 देशों में हम 16 से 30 वर्ष के ऐसे युवा हैं जो नेटवर्क के माध्‍यम से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, जिसे ब्रह्माकुमारीज के अन्‍तर्राष्‍ट्रीय युवा फोरम के रूप में जाना जाता है।

हम मानते हैं कि जीने का नया तरीका अन्‍तत: मनुष्‍यात्‍मओं के उत्‍थान और परिवर्तन पर निर्भर है। हम हर धर्म, जाति और संस्‍कृति के हमारे युवा सा‍थियों को प्रोत्‍साहित करना चाहते हैं कि वे अपने आपसे गहराई रुझान सूचक से जुड़कर अपने अन्‍दर और बाहरी परिवेश को पुन: निर्मित करने की चुनौती स्‍वीकार करें।

विकास के लिए हम अपने साथियों की सहायता करते हैं

  • अपनी आन्‍तरिक शान्ति और शक्ति के प्रति जागृति
  • जीने के लिए नैतिक दिशा सूचक
  • अपने अन्‍तर्निहित शक्ति और कौशल को प्रकट करने के लिए व्‍यवहारिक आध्‍यात्मिक कौशल एवं साधन खोजने में।

जिग जैग इंडिकेटर

मूल्य रुझान की पहचान करने में मदद करने के लिए संकेतक का उपयोग किया जाता है। यह यादृच्छिक मूल्य में उतार-चढ़ाव को समाप्त करता है और प्रवृत्ति परिवर्तन दिखाने का प्रयास करता है। ज़िग ज़ैग लाइनें केवल तब दिखाई देती हैं जब एक स्विंग उच्च रुझान सूचक और एक स्विंग कम के बीच एक मूल्य आंदोलन होता है जो एक निर्दिष्ट प्रतिशत से अधिक होता है – अक्सर 5%। मामूली मूल्य आंदोलनों को फ़िल्टर करके, संकेतक सभी समय फ़्रेम में स्पॉट करना आसान बनाता है।

ज़िग ज़ैग सूचक का उपयोग अक्सर प्रतिभूतियों के अनुरूप Zig Zag संकेतक की प्रतिशत सेटिंग को अनुकूलित करने की आवश्यकता होगी ।

हालांकि ज़िग ज़ैग इंडिकेटर भविष्य के रुझानों की भविष्यवाणी नहीं करता है, यह प्लॉटेड स्विंग हाई और स्विंग गायों के बीच संभावित डबल बॉटम्स और सिर और कंधों में सबसे ऊपर प्रकट किया जा सकता है । ट्रेडर्स इस बात की पुष्टि करने के लिए लोकप्रिय तकनीकी संकेतक जैसे कि रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (आरएसआई) और स्टोचस्टिक ऑसिलेटर का उपयोग कर सकते हैं, जब ज़िग ज़ैग लाइन दिशा बदलती है तो सुरक्षा की कीमत अधिक होती है या ओवरसोल्ड होती है।

जिग जैग इंडिकेटर फॉर्मूला

जिग जैग संकेतक की गणना कैसे करें

  1. एक प्रारंभिक बिंदु (स्विंग उच्च या स्विंग कम) चुनें।
  2. % मूल्य आंदोलन चुनें।
  3. अगले स्विंग हाई या स्विंग लो को पहचानें जो शुरुआती बिंदु =>% मूल्य आंदोलन से अलग है।
  4. शुरुआती बिंदु से नए बिंदु तक ट्रेंडलाइन ड्रा करें ।
  5. अगले स्विंग हाई या स्विंग लो को पहचानें जो नए बिंदु =>% मूल्य आंदोलन से अलग है।
  6. ट्रेंडलाइन ड्रा करें।
  7. सबसे हाल ही में स्विंग उच्च या स्विंग कम पर दोहराएं।

जिग जैग संकेतक सीमाएँ

अन्य सिग्नल खरीदना और बेचना पिछले मूल्य इतिहास पर आधारित है जो भविष्य की कीमत कार्रवाई का अनुमान नहीं हो सकता है। उदाहरण के लिए, रुझान सूचक एक प्रवृत्ति का बहुमत पहले ही हो सकता है जब एक ज़िग ज़ैग रेखा अंततः दिखाई देती है।

व्यापारियों को पता होना चाहिए कि सबसे हाल की ज़िग ज़ैग लाइन स्थायी नहीं हो सकती है। जब मूल्य दिशा बदलता है, तो संकेतक एक नई रेखा रुझान सूचक खींचना शुरू कर देता है। यदि वह रेखा संकेतक की प्रतिशत सेटिंग तक नहीं पहुंचती है और सुरक्षा की कीमत दिशा को उलट देती है, तो लाइन को हटा दिया जाता है और ट्रेंड की मूल दिशा में विस्तारित ज़िग ज़ैग लाइन को रुझान सूचक बदल दिया जाता है।

अंतराल को देखते हुए, कई व्यापारी सही प्रविष्टि या निकास के प्रयास के बजाय प्रवृत्ति की दिशा की पुष्टि करने के लिए ज़िग ज़ैग संकेतक का उपयोग करते हैं।

संस्कृत सीखें | समय सूचक शब्द संस्कृत में | Time indicator words in sanskrit

समय सूचक शब्द संस्कृत में

समय सूचक शब्द संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है।

संस्कृत का प्रचार-प्रसार अब वर्तमान तकनीकी युग में बहुत तेजी से बढ़ रहा। प्रचार का माध्यम चाहे संस्कृत शिविरों के माध्यम से हो रुझान सूचक रहा हो अथवा संस्कृत में हिन्दी गानों का अनुवाद कर उनका गायन कर हो रहा हो। सबका एक ही ध्येय है कि संस्कृत भाषा पुनः बोल चाल की भाषा बने।

भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज हम समय सूचक शब्द संस्कृत में पढ़ेगें। इनका प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।

उपदेशात्मक संस्कृत श्लोक

भूमे:गरीयसी माता,स्वर्गात उच्चतर:पिता।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी।।

अर्थात् भूमि से श्रेष्ठ माता है, स्वर्ग से ऊंचे पिता हैं। माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ होते हैं।

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संस्कृत सीखें

वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत सीखें में समय सूचक शब्द संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में रुझान सूचक प्रयोग कर सकते हैं।

समय सूचक शब्द हिन्दी मेंसमय सूचक शब्द संस्कृत में
बजे वादने
सवासपाद
पौनेपादोन
साढ़ेसार्ध
1:00एकवादनम्
1:15 सपादैकवादनम्
1:30सार्धैकवादनम्
1:45पादोनद्विवादनम्
2:00द्विवादनम्
2:15सपादद्विवादनम्
2:30सार्धद्विवादनम्
2:45पादोनत्रिवादनम्
3:00त्रिवादनम्
3:15सपादत्रिवादनम्
4:00चतुर्वादनम्
4:05पञ्चाधिकचतुर्वादनम्
5:00पञ्चवादनम्
5:10दशाधिकपञ्चवादनम्
6:00षड्वादनम्
6:20विंशत्याधिषड्वादनम्
7:00सप्तवादनम्
7:25पञ्चविंशत्याधिकसप्तवादनम्
8:00अष्टवादनम्
8:35पञ्चत्रिंशताधिकाष्टवादनम्
9:00नववादनम्
9:40चत्वारिंशदाधिकनववादनम्
10:00दशवादनम्
10:50पंचाशताधिकदशवादनम्
11:00एकदशवादनम्
11:55पञ्चपञ्चाशताधिकैकादशवादनम्
12:00द्वादशवादनम्

रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा सोने का भाव, पिछले 1 साल में दिया 24 फीसदी रिटर्न

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ईरान और अमेरिका (Iran US tension) के बीच फौजी तनाव से सोने और चांदी (Gold & Silver) की रुझान सूचक कीमत में भी जोरदार तेजी आई है. विदेशी बाजार से मिले मजबूत संकेतों से भारतीय वायदा (Commodity) बाजार में शुक्रवार को सोने का भाव नई उंचाई पर पहुंच गया. वहीं, विदेशी बाजार में सोने का भाव 4 महीने के ऊंचे स्तर पर चला गया है. डॉलर में आई कमजोरी और चीन में नए साल की शुरुआत से पहले की खरीदारी को लेकर बुलियन की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है.

मूल सूचक

वर्षा के परम्परागत सूचक के रूप में बादल सर्वाधिक लोकप्रिय सूचक हैं। सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट रुझान सूचक फाॅर ड्राईलैंड एग्रीकल्चर (सीआरआईडीए ) द्वारा 2008 में प्रकाशित पुस्तक ‘आन्ध्र प्रदेश में देशज वर्षा पूर्वानुमान’ में वर्षा के 14 भौतिक और जैववैज्ञानिक सूचकों का दस्तावेजीकरण किया गया है। उनमें बादल पहला है और पाया गया कि राज्य के 16.7 प्रतिशत किसान वर्षा का पूर्वानुमान करने में बादलों का उपयोग करते हैं।

इसी तरह आनंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा 2009 में तैयार आलेख में शोधकर्ताओं ने वर्षा के 16 लक्षणों -बरसाती बादल, सूर्योदय के रुझान सूचक 15-20 मिनट पहले पूरब में आसमान की रक्तिम लालिमा, सूर्यास्त के 15-20 मिनट बाद आसमान का रक्ताभ लालिमा, आँधी, हवा का रुख, गरजते बादल, बिजली चमकना, झोंके के साथ वर्षा, वर्षा के चिन्ह, इन्द्रधनुष, चीटियों का अंडे ले जाना, पतंगों का उड़ना, चंद्रमा के चारों ओर प्रभामण्डल, सूर्य के चारों ओर प्रभामण्डल, गर्म और उमस भरा माहौल और कुहरा -का छह महीने तक जाँच किया जिससे उनके सही होने के बारे में भरोसा किया जा सके।

खगोलशास्त्रीय मूल

बादलों का सहारा लेकर मौसम पूर्वानुमान करने के सूत्र पंचांगों में मिल सकते हैं, इस हिन्दू खगोलशास्त्रीय तिथिपत्र का उपयोग हजारों वर्षों से होता रहा है। पंचांग बादलों के आकार और रुझान के आधार पर पूर्वानुमान करते हैं कि उस वर्ष किस प्रकार की वर्षा होगी। बादलों के प्रकार का निर्धारण एक सूत्र के आधार पर किया जाता है। नीलम और वरुणम (पंचांगों में उल्लेखित नौ प्रकार के बादलों में से दो प्रकार) को भारी वर्षा लाने वाला माना जाता है। जबकि कालम और पुष्करम को हल्की फुहारों का वाहक माना जाता है। पंचांगों में वर्णित बादलों रुझान सूचक के प्रकार आधुनिक वर्गीकरण की तरह का ही है।

पंचांगों द्वारा पूर्वानुमान का परीक्षण भी किया गया है। श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय और तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के शोधकर्ताओं ने 2012 में पंचांग में व्यक्त पूर्वानुमान और तिरुपति में 1992 से 2004 के बीच वास्तविक अवलोकनों की तुलना के आधार पर एक आलेख भारतीय विज्ञान और तकनीकी जर्नल में प्रकाशित कराया। शोधकर्ताओं ने पंचांग के मौसम पूर्वानुमान और वास्तविक वर्षापात में 63.6 प्रतिशत समानता पाई।

स्थानीय प्रयोज्यनीयता

भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी होने वाले जिला स्तरीय वैज्ञानिक पूर्वानुमानों के विपरीत परम्परागत पूर्वानुमान क्षेत्र-स्तर पर काम करते हैं। हालांकि परम्परागत पद्धति अल्पकालीक, मध्यकालीक और दीर्घकालीक पूर्वानुमान प्रदान कर सकते हैं। आनंद कृषि विश्वविद्यालय के कृषिगत मौसम वैज्ञानिक विभाग में सहायक प्राध्यापक विद्याधर वैद्य कहते हैं कि विज्ञान दीर्घकालीन पूर्वानुमान की परम्परागत पद्धतियों का उपयोगी विकल्प प्रस्तुत नहीं कर सका है।

श्री कनानी कहते हैं कि हमने पिछले 22 वर्षों से अनेक परम्परागत पूर्वानुमान पद्धतियों का दस्तावेजीकरण और परीक्षण किया है। उनमें से सभी हमारी जाँच में खरे नहीं उतरे। उन पद्धतियों को हमने खारिज कर दिया और किसानों को उनका व्यवहार करने से हतोत्साहित किया। इसके साथ ही हमने किसानों को उन पद्धतियों का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जो हर बार जाँच में सही साबित हुए, जैसे-होली के दिन हवा के बारे में भादली के कथन।’’ (देखें-युगों से प्रासंगिक)

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