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Himachal Pradesh Elections 2022: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। (फोटो सोर्स: File/PTI)

Twitter का ग्रे ‘Official’ लेबल कुछ अकाउंट पर लौटा

ट्विटर ने एक बार फिर अपने कुछ प्रमुख अकाउंट के लिए ग्रे ‘Official’ लेबल को जोड़ा है। अरबपति एलन मस्क के कार्यभार संभालते ही कंपनी ने लेबल को बंद करने के कुछ ही समय बाद इस सप्ताह की शुरुआत में इसे फिर से शुरू किया।

गुरुवार की रात एक बार फिर ये ट्विटर के अपने अकाउंट और Amazon, Nike और Coca Cola समेत कुछ बड़ी कंपनियों के अकाउंट पर नजर आया। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’, ‘द न्यूयॉर्कर’ समेत कुछ मीडिया कंपनियों को स्थानीय समयानुसार रात 9 बजे यह लेबल मिला जबकि ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ एवं ‘द लॉस एंजिलिस टाइम्स’ जैसे कुछ मीडिया घरानों को यह निशान नहीं मिला।

इस सप्ताह ट्विटर में ‘ब्लू चेक’ मार्क वोरिफिकेशन सिस्टम में मस्क के उलटफेर करने के बाद से कुछ सेलेब्रिटी को भी ‘Official’ लेबल नहीं मिला।

ट्विटर ने इस सप्ताह सब्सक्रिप्शन सर्विस देने की शुरुआत की थी और जो कोई भी इसे लेना चाहता है वह हर महीने आठ डॉलर देकर वास्तविक वेरिफिकेशन के बिना ब्लू टिक के निशान को अपने अकाउंट में जुड़वा सकता है। इससे पहले मस्क ने ट्वीट किया था कि ‘ब्लू टिक निशान को देने में खूब भ्रष्टाचार हुआ है, इसलिए कोई विकल्प नहीं है बल्कि आगामी महीनों तक इस धांधली को खत्म करना होगा।’

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में लोगों को नहीं मिल रही दवाई, मदद की गुहार लगा रहे डॉक्टर

Sri Lanka में जनता सड़कों पर है और राजनेता देश के बाहर. अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे देश पर चीन, जापान, भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का भारी कर्ज है, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) की कमी के कारण देश ने कर्ज चुकाने में हाथ खड़े कर दिए हैं.

श्रीलंका में बीमार होना मना, पैसे देकर भी नहीं मिल रही दवा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 13 जुलाई 2022, 11:58 AM IST)
  • विदेश में रह रहे श्रीलंकाई नागरिकों से मदद की अपील
  • आर्थिक बदहाल देश में स्वास्थ्य संकट का खतरा बढ़ा

कर्ज के जाल में फंसकर इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में ईंधन और भोजन समेत रोजमर्रा के सामानों की किल्लत से देशवासियों का बुरा हाल है. अब देश में बीमार पड़ना भी भारी हो गया है. दरअसल, दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र के पास जरूरी दवाओं (Medicines) तक की किल्लत हो गई है. आर्थिक बदहाली के बीच गहराए स्वास्थ्य संकट का हाल ऐसा है कि देश के डॉक्टरों को सोशल मीडिया का रुख करना पड़ा है.

पैसे भी नहीं आ रहे काम
श्रीलंका (Sri Lanka) का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) लगभग पूरी तरह से खत्म हो चुका है और ईंधन व भोजन जैसे बुनियादी आयातों (Import) के भुगतान के लिए भी पैसा नहीं है. ऐसे में दवाओं की कमी ने एक बड़ी समस्या पैदा कर दी है और देश के सामने सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि अगर आप इस देश में बीमार पड़ जाते हैं, तो भले ही आप पैसे खर्च करने को तैयार हों, लेकिन दवाई मिलनी मुश्किल है.

मदद की गुहार लगा रहे डॉक्टर
आर्थिक और राजनीतिक बदहाली के शिकार श्रीलंका में IForex विकल्प स्वास्थ्य संकट गहराने का खतरा किस कदर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ डॉक्टरों ने दवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया का रुख किया है और विदेशों में रह रहे श्रीलंकाई लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. ये डॉक्टर सोशल मीडिया पर इन लोगों से दवाइयां खरीदने के लिए दान करने की अपील कर रहे हैं.

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दुर्घटना के शिकार न होने की अपील
अब तक देश में उस संकट के समाप्त होने का कोई संकेत नहीं है, जिसने देश को आर्थिक और राजनीतिक मंदी में डाल दिया है. उस पर अब स्वास्थ्य संकट भयावह होने वाला है. दवाओं के लिए फंड जुटाने की कोशिशों के बीच श्रीलंका में डॉक्टर लोगों को यही सलाह दे रहे हैं कि बीमार न पड़ें और खुद को किसी भी दुर्घटना का शिकार न होने दें. क्योंकि देश के आर्थिक संकट (Economic Crisis) के कारण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में दवाओं और अन्य महत्वपूर्ण सामानों की भारी कमी है.

जरूरी दवाओं के लिए परेशान मरीज
हालातों का अंदाजा एक 15 साल की बच्ची हसीनी वासना को आसानी से लगाया जा सकता है. जिसकी किडनी 9 महीने पहले ट्रांसप्लांट की गई थी और उसे जीवनभर एक जरूरी दवा लेने की आवश्यकता है. लेकिन उसे अस्पताल से टैक्रोलिमस नामक दवा IForex विकल्प नहीं मिल पा रही है. हसीनी की बड़ी बहन इशारा थिलिनी ने बताया कि हमें अस्पताल की ओर से कहा गया है कि नहीं पता कि यह टैबलेट बच्ची को दोबारा कब मिलेगी. ऐसे IForex विकल्प ही न जाने कितने गंभीर मरीजों का देश में हाल-बेहाल है.

हालात न सुधरे तो बचेगा ये विकल्प
श्रीलंका मेडिकल एसोसिएशन ( Sri Lanka Medical Association) के अध्यक्ष धमारत्ने ने कहा कि अगर हालात में जल्द सुधार नहीं होता, तो डॉक्टरों को यह चुनने के लिए मजबूर होना होगा कि कौन से मरीज इलाज करें. इस संकट की घड़ी में प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मदद की अपील की है और अमेरिका, जापान, भारत समेत अन्य देशों ने धन और अन्य मानवीय सहायता मुहैया कराने का वादा भी किया है. इसके अलावा विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अन्य एजेंसियों ने भी मदद का भरोसा दिया है.

जानवरों से दूर रहने की सलाह
मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ सुरंथा परेरा ने बयान जारी कर लोगों से .ह अपील भी की है कि यदि आप जानवरों को संभाल रहे हैं, तो खासतौर से सावधान रहें. यदि आपको जानवरों द्वारा काट लिया जाता है और आपको सर्जरी की जरूरत होती है या रेबीज हो जाता है, तो हमारे पास पर्याप्त एंटीसीरम और रेबीज के टीके नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यह आपके लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है.

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी : शिवराज को समझना बड़ा मुश्किल है : अरविंद तिवारी

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विद्यार्थी परिषद के जमाने से अभी तक मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कई रंग देख चुके आरएसएस के एक खांटी का फायनल आब्जर्वेशन तो यह है कि शिवराज को समझना बड़ा मुश्किल है। एक नहीं अनेक उदाहरण देते हुए संघ के उक्त निष्ठावान ने बताया कि कुछ समय पहले तक जब शिवराज के भविष्य को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थी, तब वे सबको साध लेते थे। अब जब अपने राजनीतिक चातुर्य और आक्रामक शैली से वे सेफ जोन में आ गए हैं उन्हें किसी की परवाह ही नहीं है। कल तक जो खुद मुख्यमंत्री का खास मानते थे, वे ही अब उन्हें कोसते नजर आ जाते हैं।

वीडी के तेवर और संगठन का दबदबा

सरकार के आयोजनों में अपनी उपेक्षा से नाराज भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने अब तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं। अभी तक सरकार के साथ कदमताल कर रहे वीडी ने अब सरकार से जुड़े मुद्दों पर नजरें रखना शुरू कर दिया है। इसका असर यह हो रहा है कि सरकार से खफा लोग भी शर्मा के दरबार में फरियाद लेकर पहुंचने लगे हैं, इनमें कई मंत्री भी शामिल हैं। इन लोगों को अच्छी-खासी तवज्जो मिल रही है। शर्मा द्वय यानि वीडी और हितानंद की अगुवाई में संगठन ने अपना दबदबा दिखाना भी शुरू कर दिया है। दिक्कत यह है कि इन दोनों ने अपने तार सीधे दिल्ली दरबार से जोड़ रखे हैं और सरकार की बातें वहां पहुंचना भी शुरू हो गई हैं।

सेक्टर-मंडलम में बुरे फंसे एनपी प्रजापति

एक जमाना था जब एनपी प्रजापति की गिनती कमलनाथ के पंच प्यारों में होती थी। पहले सरकार और फिर संगठन से जुड़े हर निर्णय में प्रजापति भागीदार रहते थे। यही कारण है कि सेक्टर और मंडलम जैसा महत्वपूर्ण कार्य कमलनाथ ने उन्हें सौंपा था, लेकिन वे उनके भरोसे पर खरा नहीं उतर पाए। पिछले दिनों जब कमलनाथ जिलेवार मंडलम और सेक्टर के काम की समीक्षा करने बैठे तो उनकी आंखें फटी रह गईं। पता चला कि जिन लोगों को कागजों पर सेक्टर और मंडलम का पदाधिकारी बनाया गया है, उनमें से कई का अता-पता ही नहीं है और कुछ ऐसे निकले जिन्हें खुद यह पता नहीं था कि वे पदाधिकारी बना दिए गए हैं।

संघ की नजरें और सुलेमान का नुकसान

इकबालसिंह बैंस के उत्तराधिकारी का फैसला तो 15 नवंबर के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इतना जरूर सुनने में आ रहा है कि मोहम्मद सुलेमान के मुकाबले अनुराग जैन के अभी तक आगे निकलने का एक बड़ा कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सक्रिय होना माना जा रहा है। अगले साल चुनाव होना है और म.प्र. में जो हालत है, उसमें संघ की मदद से ही भाजपा की नैया पार होना है। ऐसे में संघ को अनदेखा करना बड़ा मुश्किल है। सुलेमान को लेकर संघ का एक अलग नजरिया है और वही उनके लिए परेशानी का कारण बन गया है। कोशिश सुलेमान के शुभचिंतकों की ओर से संघ को साधने की भी हुई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। वैसे मुख्यमंत्री ने अभी सारे विकल्प खुले रखे हैं।

सीएम हाउस में नई इंट्री

लोकेश शर्मा भले ही घोषित तौर पर अटलबिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान के अपर मुख्य कार्यपालन अधिकारी हों, लेकिन वे अघोषित तौर पर मुख्यमंत्री के खास सलाहकार की भूमिका में हैं। इन दिनों मुख्यमंत्री सचिवालय में वे बेहद सक्रिय हैं और मुख्यमंत्री उनकी राय को बहुत तवज्जो भी दे रहे हैं। कहा ये जा रहा है कि जिन मामलों में शर्मा की विशेषज्ञता है, उन मामलों में सचिवालय के दूसरे अफसर ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हो रहे थे, इसी का फायदा इन्हें मिल रहा है। शर्मा का सरकार में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों के साथ ही मुख्यमंत्री की मीडिया टीम के साथ ही बहुत अच्छा तालमेल है।

इनकी पटरी नहीं बैठी, उन्होंने फैसला कर दिया

जनवरी में इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर समिट होना है। इस आयोजन में उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला और औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध संचालक जॉन किंग्सली की भूमिका सबसे अहम थी। रविवार रात आला अफसरों के फेरबदल में इन दोनों अफसरों को दूसरे महकमों में भेज दिया गया है। चौंकना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। पता चला है कि शुक्ला और किंग्सली की पटरी बैठ नहीं रही थी और इसका सीधा असर दोनों महत्वपूर्ण आयोजनों की तैयारी पर पड़ रहा था। रास्ता यह निकाला गया कि दोनों को ही तत्काल इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाए।

मनीष सिंह के जाने से ज्यादा चौंकाने वाला है इलैया राजा का इंदौर आना

इंदौर के कलेक्टर के रूप में शानदार पारी खेलने के बाद मनीष सिंह फिर महत्वपूर्ण भूमिका में आ गए हैं। लेकिन उनका एकाएक तबादले का कारण किसी को समझ में नहीं आ रहा है। यह चर्चा जरूर थी कि फरवरी या मार्च में जब भी वह जाएंगे आशीष सिंह, अविनाश लवानिया या चंद्रमौली शुक्ला में से कोई उन्हें रिप्लेस करेगा। लेकिन सरकार ने बहुत ही चौंकाने वाला निर्णय लेते हुए बेहद साफ-सुथरी छवि वाले इलैया राजा को इंदौर भेज दिया‌। कहा यह जा रहा है कि इस फैसले में बड़े साहब की भी बड़ी भूमिका रही है। यह फैसला जबलपुर के भाजपा नेताओं के लिए भी कम चौंकाने वाला नहीं है जो इलैया राजा को लूप लाइन में देखना चाहते थे।

चलते-चलते : संवाद, सौम्यता और समन्वय हमेशा सीनियर आईएएस अफसर नीरज मंडलोई का मजबूत पक्ष साबित होता है। यही कारण है कि चाहे कमलनाथ मुख्यमंत्री रहे हों या फिर शिवराजसिंह चौहान, मंडलोई हमेशा पावरफुल ही रहे हैं। खनिज और पीडब्ल्यूडी जैसे बड़े महकमों में सफल पारी के बाद ताजा बदलाव में भी उन्हें नगरीय प्रशासन और विकास जैसे बड़े और सीधे जनता से जुड़े महकमे की कमान सौंपी गई है।

पुछल्ला : अगले कुछ महीनों में इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा नई भूमिका में दिख सकते हैं। देखना यह है कि मिश्रा के स्थान पर इंदौर में किसे मौका मिलता है। वैसे फेहरिस्त बहुत लंबी है और अनुशंसा करने वाले दिग्गज भी बहुत उम्मीद पाल के बैठे हैं।

बात मीडिया की : दैनिक भास्कर समूह में अवनीश जैन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। अगले कुछ दिनों में उनकी भास्कर से रवानगी तय है। सालभर पहले उनसे जुड़े जो मामले प्रबंधन के ध्यान में लाए गए थे, उनकी पुष्टि होने के बाद प्रबंधन ने पहले उन्हें स्टेट एडीटर के दायित्व से मुक्त कर दिल्ली रवाना किया। वे वहां रिपोर्टर की भूमिका में आ गए थे।

भास्कर इंदौर के संपादक अमित मंडलोई को जल्दी ही पदोन्नत कर स्टेट हेड बनाया जा सकता है। वे किस राज्य में पदस्थ किए जाएंगे, इसका फैसला होना अभी बाकी है। भास्कर में और भी कई बड़े बदलाव होना है, जिसमें संपादक प्रभावित होंगे। पिछले सप्ताह संपादकों की लंबी बैठक में इसके संकेत दे दिए गए हैं। जन्मदिन के मौके पर नईदुनिया इंदौर के आउटपुट हेड उज्जवल शुक्ला को मुख्यमंत्री ने पौधारोपण के लिए भोपाल बुला लिया।

संस्थान के ही कई लोगों के पेट में मरोड़े उठने लगे। वे यह पता करने में लगे हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे। पत्रिका इंदौर के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक नीतेश पाल की अखबार के मुख्य संस्करण में वापसी हो गई है। नीतेश को कुछ दिनों पहले पत्रिका के सांध्य संस्करण न्यूज टुडे में भेज दिया गया था।

वरिष्ठ पत्रकार संजय गुप्ता अब द सूत्र में इंदौर प्रभारी की भूमिका निभाएंगे। वे अभी तक हिंदुस्तान मेल में भी सेवाएं दे रहे थे। कर्ई न्यूज चैनलों में सेवाएं दे चुके आदित्य प्रताप सिंह अब सांध्य दैनिक गुड इवनिंग टीम का हिस्सा हो गए हैं।

Himachal Pradesh Elections 2022 : पहली बार बिना सीएम फेस के कांग्रेस में चुनाव से पहले 8 दावेदार, अमित शाह का तंज, कांग्रेस का पलटवार

Himachal Pradesh Elections 2022: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अभी तक अपने सीएम फेस को घोषित नहीं कर पाई है।

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Himachal Pradesh Elections 2022: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। (फोटो सोर्स: File/PTI)

Himachal Pradesh Elections 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा की चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है, लेकिन जो सबसे बड़ी बात है, वो यह है कि कांग्रेस ने अभी तक इस चुनाव को लेकर अपना सीएम फेस की घोषणा नहीं की है, लेकिन हिमाचल चुनाव को लेकर कांग्रेस ने शनिवार (5 नवंबर) को शिमला में अपना घोषणापत्र जारी किया है। जिसमें जनता से कई तरह के वादे किए गए हैं।

वहीं केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने हिमाचल प्रदेश में बुधवार को बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसा। शाह ने कहा कि कांग्रेस अभी अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं कर पाई है, लेकिन कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए आठ दावेदार हैं। शाह ने हमीरपुर जिले के नादौन में एक रैली के दौरान कहा कि कांग्रेस राजाओं और रानियों की पार्टी है और भले ही हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के कई उम्मीदवार मैदान में हों, लेकिन वास्तव में किसी को भी मौका नहीं मिलेगा।

धर्मशाला निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सुधीर शर्मा ने अमित शाह के बयान पर पलटवार करते हुए शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस में और भी उम्मीदवार हो सकते हैं। यह एक प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि यह लोकतंत्र है और यह अच्छी बात है। यह होना चाहिए। इसका मतलब है कि हमारे पास कई सक्षम उम्मीदवार हैं और बहुत सारे विकल्प हैं।

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बता दें, कांग्रेस में सीएम पद के लिए पहले से ही कुछ दावेदारों के बीच कांग्रेस किसी स्पष्ट दावेदार की घोषणा नहीं कर पाई है। तीन दावेदारों में मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह जो वीरभद्र सिंह की पत्नी, हिमाचल विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री और पार्टी की प्रचार समिति के प्रभारी सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल हैं।

इस बीच ABP C-Voter Survey ने लोगों की राय जानने के लिए एक सर्वे किया है। जिसमें पूछा गया था कि हिमाचल में वीरभद्र सिंह के बिना कांग्रेस बीजेपी का मुकाबला कर पाएगी? इस सवाल के जावब में 54 फीसदी लोगों ने इसका जवाब हां में दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वीरभद्र सिंह के बिना बीजेपी का विधानसभा में मुकाबला कर पाएगी। जबकि 46 प्रतिशत लोगों को मानना है कि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बिना कांग्रेस, बीजेपी को टक्कर नहीं दे पाएगी।

हिमाचल कांग्रेस अभी अपने नेता वीरभद्र सिंह को याद कर रही है। जो राज्य के छह बार मुख्यमंत्री रहे। नौ बार विधायक, चार बार सांसद, तीन बार के केंद्रीय मंत्री और चार बार पार्टी प्रमुख थे। जिनका पिछले साल 8 जुलाई को निधन हो गया था। हिमाचल प्रदेश की 68 सीटों विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 8 दिसंबर को मतगणना होगी।

India Post New FD Scheme: डाकघर की इस एफडी योजना में करे निवेश

India Post New FD Scheme : डाकघर सावधि जमा ( Post Office FD Scheme ) जिसे ‘पोस्ट ऑफिस समय जमा’ के रूप में भी जाना जाता है ! बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सावधि जमा ( Fixed Deposit ) का एक सुविधाजनक विकल्प है ! भारतीय डाक सेवाओं द्वारा दी ! जाने वाली इस सावधि जमा योजना के माध्यम से, एक व्यक्ति निश्चित अवधि के लिए जमा किए गए धन पर गारंटीड रिटर्न अर्जित कर सकता है !

India Post New FD Scheme

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डाकघर ने सावधि जमा ( Post Office FD Scheme ) की प्रस्तुति में कहा ! की RBI ने दावा न किए गए, परिपक्व एफडी खातों पर लागू एक नए नियम की घोषणा की है ! इसका मतलब यह है कि एक लावारिस, परिपक्व FD ( Fixed Deposit ) खाते में जमा राशि पर बचत खाते पर लागू ब्याज दर या परिपक्व FD की अनुबंधित दर, जो भी कम हो, पर ब्याज लगेगा !

पोस्ट ऑफिस सावधि जमा में निवेश कैसे करे

पोस्ट ऑफिस सावधि जमा ( Post Office FD Scheme ) खोलने के लिए आप या तो ऑनलाइन पद्धति या ऑफलाइन पद्धति का उपयोग कर सकते हैं !

मोबाइल बैंकिंग विधि

  • Google Play Store से अपने मोबाइल पर इंडिया पोस्ट मोबाइल बैंकिंग ऐप डाउनलोड करें !
  • अपनी साख का उपयोग करके ऐप में लॉग इन करें !
  • पीओएफडी खाता ( POFD Account ) खोलने के लिए होम स्क्रीन पर ‘अनुरोध’ टैब पर क्लिक करें !
  • विवरण दर्ज करें, जैसे जमा राशि, कार्यकाल, जिस खाते से आप पैसा जमा करना चाहते हैं, खाता खोलने के लिए नामांकित और अन्य !

ऑफलाइन तरीका

  • प्रासंगिक विवरण के साथ आवेदन पत्र भरें ! फॉर्म पोस्ट ऑफिस की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है !
  • आवेदन पत्र के साथ सभी सहायक दस्तावेज संलग्न करें !
  • उस डाकघर ( Post Office ) की शाखा में जाएँ जहाँ आपने अपना बचत खाता रखा है ! यदि आपके पास पहले से कोई खाता नहीं है, तो अपनी निकटतम शाखा में जाएँ !
  • खाता खोलने के लिए संबंधित व्यक्ति को शाखा में दस्तावेज जमा करें !

आपको पीओएफडी का विकल्प क्यों चुनना चाहिए

डाकघर सावधि जमा ( Post Office FD Scheme ) का उपयोग बैंकों की सावधि जमा योजनाओं की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रहा है ! आपके पास पीओएफडी के लिए 1-5 साल में से कोई भी कार्यकाल चुनने का विकल्प है ! ध्यान दें कि आपके द्वारा आवेदन करने के लिए चुने गए वर्षों की संख्या के साथ ब्याज दर ( FD Interest Rate ) बढ़ जाती है !

कई बार, डाकघर सावधि जमा ( Post Office FD Scheme ) की ब्याज दरें बैंक सावधि जमा पर दी जाने वाली दरों से अधिक हो सकती हैं ! यह संभावना है कि आपके डाकघर की सावधि जमा ब्याज दर बैंक FD ( Fixed Deposit ) दर और कंपनी FD दर के बीच कहीं होगी !

POFD ( Post Office FD Scheme ) उन व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त है ! जो अपने निवेश की सुरक्षा और जोखिम के संबंध में अत्यधिक रूढ़िवादी हैं ! कई बार, डाकघर सावधि जमा ( Fixed Deposit ) की ब्याज दरें बैंक सावधि जमा पर दी जाने वाली दरों से अधिक हो सकती हैं ! यह संभावना है कि आपके डाकघर की सावधि जमा ब्याज दर बैंक FD दर और कंपनी FD दर के बीच कहीं होगी !

पीओएफडी में कौन निवेश कर सकता है : India Post New FD Scheme

डाकघर ( Post Office ) में कोई भी व्यक्ति नकद या चेक द्वारा सावधि जमा ( Fixed Deposit ) खोल सकता है ! सरकारी अभिलेखों में चेक की प्राप्ति की तिथि को खाता खोलने की तिथि के रूप में लिया जाएगा ! एनआरआई डाकघर में सावधि जमा ( Post Office FD Scheme ) खाता नहीं खोल सकते हैं !

POFD ( Post Office FD Scheme ) उन व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त है ! जो निवेश के मामले में अत्यधिक रूढ़िवादी हैं ! आदर्श रूप से, यह कम जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है ! जो स्थिर आय के साथ-साथ पूंजी सुरक्षा की तलाश में है ! जैसे सेवानिवृत्त या सेवानिवृत्ति के करीब !

अगर आप इस बारे में सुनिश्चित नहीं है ! कि पोस्ट ऑफिस की सावधि जमा योजना ( Post Office FD Scheme ) से आप कितने रिटर्न की उम्मीद कर सकते है ! तो हमारे FD ( Fixed Deposit ) कैलकुलेटर का उपयोग करें !

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