अभौतिक खाता

सबसे अहम यह कि पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसियों का मूल्य जान पाएंगे, जिससे उनके सामने यह तस्वीर साफ होगी कि उन्हें कितना बीमा कवर रखना चाहिए. बचत और निवेश घटकों वाली पॉलिसियों के मामले में पॉलिसीधारक ऐसी पॉलिसियों से उन्हें मिलने वाले रिटर्न या प्रतिफल अभौतिक खाता का आकलन कर पाएंगे, जिससे वे अन्य निवेश आधारित वित्तीय लिखतों के साथ उनकी तुलना और मूल्यांकन कर सकेंगे. वे अभौतिक खाता ऐसी पॉलिसियों को जाने दे सकते हैं जो उनके लिए मुफीद नहीं रह गई हैं और नई पॉलिसियों की मौजूदा पॉलिसियों के साथ तुलना कर पाएंगे अभौतिक खाता ताकि अतिरिक्त बीमा पॉलिसियां खरीदने का निर्णय ले सकें.
अभौतिक खाता
भारत में, शेयर एवं प्रतिभूतियाँ इलेक्ट्रानिक अभौतिक खाते (dematerialized या "Demat") में रखी जातीं है और इनके स्वामी को इन शेयरों एवं प्रतिभूतियों की भौतिक रूप में अपने पास रखने की आवश्यकता नहीं होती। डीमटीरिअलाइज़्ड शेयर वो शेयर होते है, जिसका मालिक तो कोई होता है पर वे शेयर रहते किसी और के पास हैं। ऐसे शेयर आम तौर पर किसी बैंक के पास रहते है। शेयर का मालिक अपनी इच्छानुसार जब चाहे इन्हें बेंच सकता है। ऐसी कम्पनियां जो निवेशकों के लिये ये शेयर धारण करती है उन्हे डिपौज़िटरी पार्टिसिपैंट कहते है। भारत मे ऐसी कई डिपौज़िटरी पार्टिसिपैंट कम्पनियाँ है। भारत की ऐसी सबसे बडी कम्पनी है अभौतिक खाता आइसीआइसीआइ या आइसीआइसीआइ डाइरेक्ट। कारोबार में होने इलेक्ट्रॉनिक अंतरण को संभव करने के लिए सभी लेन देन के लिए अभौतिक खाता डीमैट खाता संख्या का उपयोग किया जाता है।प्रत्येक शेयर धारक के पास लेन देन के लिए एक डिमटेरियलाइज्ड खाता होगा। डिमटेरियलाइज्ड खाते का उपयोग करने के लिए एक इंटरनेट पासवर्ड और एक यूजर नाम की आवश्यकता अभौतिक खाता होती है। तभी प्रतिभूतियों के हस्तांतरण या खरीद शुरू की जा सकती हैं।लेन देन की पूर्ण होने एवं इसकी पुष्टि होने के बाद डिमटेरियलाइज्ड खाते पर प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री स्वचालित रूप से की जाती है। .
अंश (वित्त)
वित्त में, अंश अथवा शेयर का अर्थ किसी कम्पनी में भाग या हिस्सा होता है। एक कंपनी के कुल स्वामित्व को लाखों करोड़ों टुकड़ों में बाँट दिया जाता है। स्वामित्व का हर एक टुकड़ा एक शेयर होता है। जिसके पास ऐसे जितने ज्यादा टुकड़े, यानी जितने ज्यादा शेयर होंगे, कंपनी में उसकी हिस्सेदारी उतनी ही ज्यादा होगी। लोग इस हिस्सेदारी को खरीद-बेच भी सकते हैं। इसके लिए बाकायदा शेयर बाजार (स्टॉक एक्सचेंज) बने हुए हैं। भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी॰एस॰ई॰) अभौतिक खाता और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन॰एस॰ई॰) सबसे प्रमुख शेयर बाजार हैं। .
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कागज मुक्त होंगी बीमा पॉलिसी
- नई दिल्ली,
- 04 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 04 अक्टूबर 2022, 3:18 PM IST)
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आइआरडीएआइ) ऐसे तरीकों की खोजबीन कर रहा है जिससे नई बीमा पॉलिसी दिसंबर 2022 से डीमटेरियलाइज्ड या अभौतिक रूप में जारी करना अनिवार्य बन सके. जहां बीमाकर्ता और अन्य हितधारक इस फैसले पर सोच-विचार कर रहे हैं, डीमैट अभौतिक खाता रूप में बीमा नई बात नहीं है. अभौतिक रूप में बीमा पॉलिसी की अवधारणा 2013 में आई, जब सीएएमएस रिपॉजिटरी, कार्वी, एनएसडीएल डेटाबेस मैनेजमेंट (एनडीएमएल) और सेंट्रल इंश्योरेंस रिपॉजिटरी ऑफ इंडिया सरीखी रिपॉजटरी ने ई-बीमा खाते (ई-आइए) खोलने में सुगमता के लिए व्यवस्थाएं कायम कीं.
अभौतिक खाता
चित्त मन का सबसे भीतरी आयाम है, जिसका संबंध उस चीज से है जिसे हम चेतना कहते हैं।
अगर आपका मन सचेतन हो गया, अगर आपने चित्त पर एक खास स्तर का सचेतन नियंत्रण पा लिया, तो आपकी पहुंच अपनी चेतना तक हो जाएगी। हम लोग अभौतिक खाता जिसे चेतना कह रहे हैं, वो वह आयाम है, जो न तो भौतिक है और न ही विद्युतीय और न ही यह विद्युत चुंबकीय है।
यह भौतिक आयाम से अभौतिक आयाम की ओर एक बहुत बड़ा परिवर्तन है। अभौतिक खाता यह अभौतिक ही है, जिसकी गोद में भौतिक घटित हो रहा है। भौतिक तो एक छोटी सी घटना है। इस पूरे ब्रह्माण्ड का मुश्किल से दो प्रतिशत या शायद एक प्रतिशत हिस्सा ही भौतिक है, बाकी सब अभौतिक ही है। योगिक शब्दावली में इस अभौतिक को हम एक खास तरह की ध्वनि से जोड़ते हैं।
हालांकि आज के दौर में यह समझ बहुत बुरी तरह से विकृत हो चुकी है, इस ध्वनि को हम ‘शि-व’ कहते हैं। शिव का मतलब है, ‘जो है नहीं’। जब हम शिव कहते हैं तो हमारा आशय पर्वत पर बैठे किसी इंसान से नहीं होता। हम लोग एक ऐसे आयाम की बात कर रहे होते हैं, जो है नहीं, लेकिन इसी ‘नहीं होने’ के अभौतिक आयाम की गोद में ही हरेक चीज घटित हो रही है।