ट्रेडिंग क्या होती है

Trading और Investment क्या हैं, दोनों में क्या अंतर है
जब भी नए लोग शेयर मार्केट में आते है। उसके मन में ये सवाल जरूर आता ही हैं। Trading और Investing क्या है इन दोनों में ट्रेडिंग क्या होती है क्या अंतर होते हैं। ये सवाल मन में आना जायज भी हैं। जब तब नए लोगो को ये समझ नहीं आते उसे कैसे पता लगेगा उसका जोखिम क्षमता और लक्ष्य के हिसाब से, Trading और Investing में उसके लिए किया बेहतर होगा। आज हम जानेंगे Trading और Investing होता क्या है, दोनों में क्या अंतर हैं, Trading कितने तरह की होते हैं। साथ ही साथ जानेंगे कि ट्रेडिंग से हर रोज कमाई कर सकते है या नहीं।
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Trading क्या होता है:-
जब भी आप शेयर को खरीदते हो और उस दिन ही बेच देते हो। तब इसे Trading कहते हैं। मतलब आप Stock Trading में ज्यादा समय तक शेयर को अपने पास नहीं रख सकते हो। मान लीजिए आप एक शेयर खरीदा 200 रुपये में प्रॉफिट होने पर आपने उस दिन ही 220 रुपये में बेच दिया। इसी प्रोसेस को कहते है ट्रेडिंग। Trading करते वक्त Trader हमेशा Technical Analysis के साथ चलते हैं। जिससे उस कंपनी के शेयर प्राइस को कुछ समय आगे का शेयर प्राइस अंदाजा हो जाता हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कंपनी क्या काम करती है, भविष्य की योजना क्या हैं। सिर्फ ये देखा जाएगा शेयर प्राइस किस तरफ जा रही है। Trading करते समय न्यूज़ पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता हैं. क्युकी कोई अच्छी खबर किसी भी शेयर को ऊपर ले जा सकती हैं। और बुरी खबर एकदम से नीचे भी ला सकती हैं।
Trading के प्रकार (Types of Trading):-
बहुत सारे Types of Trading होते है मुख्य रूप से 5 तरह का होता है। जिससे ट्रेडर ट्रेडिंग करके पैसा कमाई कर सके।
- Day Trading:- इसमें ट्रेडर को जिस दिन खरीदा उस दिन ही शेयर को बेचना पड़ता हैं। उस स्टॉक को कुछ समय के लिए होल्ड कर सकता है। मार्केट बंद होने से पहले ही ट्रेडर को शेयर बेचना ही पड़ता हैं। इसमें छोटे छोटे पल स्टॉक में होने वाले ऊपर नीचे से Traders अपना प्रॉफिट कर सकते हैं।
- Scalping Trading:- Day Trading और Scalping दोनों एक ही तरह का होता हैं। इस ट्रेडिंग में खरीद बेच होते है लेकिन दिन में कही बार ये ट्रेंड किया जा सकता हैं। आपको प्रॉफिट भी हो सकता है और नुकसान भी, इस पर निर्भर करता है कि आपने किस प्रकार का ट्रेंड किया हैं।
- Swing Trading:- इस ट्रेडिंग में आप खरीद और बेच तो सकते हो। अगर आपको खरीदा हुआ दिन नुकसान हो रहा है तो आप उस दिन शेयर को ना बेचकर कुछ दिनों तक होल्ड भी कर सकते हो। फिर जब प्रॉफिट आ जाता है तब बेचकर मुनाफा कमाई कर सकते हैं।
- Momentum Trading:- इस Trading को ट्रेंडर तब प्रयोग करता है जब कोई शेयर ऊपर जाता दिखता हैं। तब खरीदारी कर लेता है जैसे ही कोई उस शेयर का खराब न्यूज़ आता है तब तुरंत बेच देते हैं। जिससे Trader कुछ समय में ही अच्छी मुनाफा कमाई कर लेते हैं। लेकिन इसके लिए न्यूज़ के साथ अपडेट रहना बहुत जरुरी हैं। अगर सही समय पर शेयर को नहीं बेचा तो बहुत ज्यादा नुकसान भी हो सकता हैं।
- Position Trading:- इस तरह का ट्रेडिंग में आप कुछ दिनों के लिए ट्रेडिंग कर सकते हैं। ये Trading उन लोगों के लिए है जो लोग नियमित रूप से मार्केट में नहीं आते। खरीद कर कुछ दिनों के बाद मुनाफा आते ही बेच ट्रेडिंग क्या होती है ट्रेडिंग क्या होती है कर निकल जाते। इसी तरह का ट्रेडर को कहते हैं Position Trading।
Investing क्या होता है:-
जब कोई शेयर आज खरीद के बहुत साल बाद बेच देते है तब इसे Investing कहते हैं। इन्वेस्टिंग में आप बहुत लंबे समय के शेयर को अपने Demat Account में रखते हो। कंपनी के वित्तीय विवरण, पिछले प्रदर्शन, भविष्य में होने वाले ग्रोथ को देखते हुए ही किसी भी शेयर में इन्वेस्ट करता हैं। Investing में Fundamental ट्रेडिंग क्या होती है Analysis करना बहुत जरुरी हैं। जिससे आपको कंपनी के बारे अच्छी नॉलेज होगा और भविष्य में अच्छा रितर्न कमाके देगा।
Investing के प्रकार (Types of Investing):-
मुख्य रूप से इन्वेस्टिंग दो तरह का होता हैं। जिससे आपको लंबे समय में जबरदस्त मुनाफा कमाई करके देगा।
- Value Investing:- इस तरह का इन्वेस्टिंग में आप अच्छी कंपनी का शेयर प्राइस जब नीचे आता है। तब आपको उसमे इन्वेस्ट करना चाहिए। Value Investing में इन्वेस्टर शेयर का विश्लेषण करके देखता है कि कौन सा शेयर कम दाम में मिल रहा हैं। फिर उसमे लंबे समय तक निवेश करता हैं।
- Growth Investment:- जो कंपनी भविष्य में ग्रोथ की संभावना देखता है उसी शेयर में इन्वेस्टर लंबे समय के लिए निवेश करता है। इसी को Growth Investment कहते हैं। इससे Investor उस कंपनी में ज्यादा इन्वेस्ट करता है जो कंपनी Fundamentally बहुत मजबूत हैं।
Trading और Investing में अंतर क्या है (Difference between Trading and Investing):-
- Trading कम समय के लिए होता हैं।
- Investing लंबे समय के लिए होता हैं।
- इसमें Technical Analysis का इस्तेमाल करते हैं।
- Investing में Fundamental Analysis का इस्तेमाल करते हैं।
- Trading में कम समय में बहुत ज्यादा पैसा कमाई कर सकते हैं।
- इसमें आपका कमाई करने के लिए बहुत ज्यादा समय लगता हैं।
- ट्रेडिंग करने से ब्रोकर का शुल्क बहुत ज्यादा होता हैं।
- इन्वेस्टिंग में ब्रोकर का शुल्क ना के बराबर होता हैं।
- Trading जुआ की तरह होता हैं सोचने समझने के लिए समय नहीं मिलता।
- Investing में आप सोच समझकर निवेश कर सकते हैं।
क्या Trading से रोज पैसा कमाई कर सकते है:-
जी बिल्कुल आप ट्रेडिंग से हर रोज पैसा कमाई कर सकते हो। लेकिन जैसा कि हम जानते है Share Market रिस्क भी होता हैं। जिस तरह आप रेगुलर कमाई कर सकते है ठीक उसी तरह नुकसान भी हो सकता हैं। लाभ और नुकसान निर्भर करता है आपके ट्रेडिंग रणनीति के ऊपर। कब आप कौन सा ट्रेड ले रहे हो और आप कितना सही हो। जहा लोग बहुत कम समय में लाखो रूपया कमा लेते है वही कुछ लोग कम समय में लाखों रुपये का नुकसान भी कर लेते हैं।
अगर आप नए निवेशक हो तो आपको सबसे पहले Investing की तरफ जाना चाहिए। क्युकी अच्छा शेयर कम समय में नीचे भी आ सकता हैं। लेकिन लंबे समय में वो शेयर जरूर ऊपर जाएगा ही। आपको एसी शेयर में निवेश करना चाहिए जो शेयर भबिस्य में बढ़ने की पूरी संभावना रहती हैं।
आशा करता हु आपको Trading और Investment क्या हैं, दोनों में क्या अंतर है, कितने Types के होते है आपको अच्छी तरह से समझमे आ गया होगा । इससे जुड़ी कोई सवाल या सुझाब है तो कमेंट में जरुर बताए। शेयर मार्केट के बारे में बिस्तार से जानने के लिए आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।
इनसाइडर ट्रेडिंग क्या है
गैरकानूनी तरीके से ख़रीदे गए शेयरों को बेचकर कमाए गए मुनाफे को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है | इस तरह का कार्य अक्सर कंपनी मैनेजमेंट से जुड़ा हुआ व्यक्ति जो कि कंपनी की अंदरूनी जानकारी रखता है | इनसाइडर ट्रेडिंग की श्रेणी के अंतर्गत आता है | सरल भाषा में अगर कहे तो जब कोई कंपनी दूसरी कंपनी में मिलने वाली होती है या अपने शेयर को गिरवी रखकर पैसा जुटाने के बारे में सोच रही होती है तो ऐसे में कंपनी से जुड़े कर्मचारी यह सोचकर की कंपनी को इससे फ़ायदा होगा और शेयर के दाम बढ़ जायेंगे |
तब यह कर्मचारी डील के अनाउंस होने से पहले शेयर को खरीद लेते है,और डील की घोषणा होने के बाद शेयर के दाम बढ़ जाते है जिसके बाद शेयर बेचकर अच्छा लाभ कमा लेते है | यह ट्रेडिंग ही इनसाइडर ट्रेडिंग कहलाती है | प्रमोटर द्वारा शेयर को खरीदना तब गलत नहीं होता है | जब यह शेयर सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) नियमो के अनुसार ख़रीदे और स्टॉक एक्सचेंजों को डिस्क्लोजर दे | यदि आप भी इनसाइडर ट्रेडिंग क्या है, Insider Trading Meaning in Hindi के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़े |
इनसाइडर ट्रेडिंग का क्या मतलब होता है?
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अवैध तरीको से की गयी शेयरों की खरीद-बिक्री कर प्राप्त किया गया लाभ इनसाइडर ट्रेडिंग के अंतर्गत आता है | इस तरह के गैरकानूनी कार्य कंपनी के कर्मचारियों द्वारा ही किये जाते है | जैसे किसी कंपनी के प्रबंधन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति कंपनी की गुप्त जानकारी का प्रयोग कर सिक्योरिटी या शेयरों को खरीद बेचकर अवैध तरीके से लाभ कमा लेता है | ऐसा अक्सर कंपनी के शेयरों का भाव बढ़ाने के लिए किया जाता है |
कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़े लोग अपने शेयरों को अधिक मूल्य पर बेचने के लिए ऐसा माहौल बनाते है, जिससे निवेशक झांसे में आकर शेयर्स को अधिक मूल्य पर खरीद ले जिससे कंपनी को फ़ायदा हो जाता है | इसके अतिरिक्त जब शेयर खरीदने वाले निवेशकों को यह पता चलता है, कि शेयर ट्रेडिंग क्या होती है का भाव गलत तरीके से बढाकर बेचे गए है | तब तक इसके शेयरों की कीमत गिरने लगती है और निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है |
इनसाइडर ट्रेडिंग के कुछ उदाहरण
सेबी की पिछली पांच वर्षो की रिपोर्ट के अनुसार इनसाइडर ट्रेडिंग नियमो के उल्लंघन के कथित मामलो की जाँच की गयी है | वर्ष 2015 से 2019 तक सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग के कुल 141 मामले दर्ज किये है, इसमें से 70 इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले केवल 2019 के है | इनमे कुछ बड़ी हस्तियों के नाम भी शामिल है, जिनपर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप भी लग चुके है |इनमे से ही कुछ निदेशकों के नाम किरण मजूमदार-शॉ, राकेश झुनझुनवाला, भारती एयरटेल की प्रमोटर फर्म इंडियन कॉन्टिनेंट इनवेस्टमेंट, एंबिट कैपिटल तथा राज्य के स्वामित्व वाली जनरल इंश्योरेंस कंपनी और न्यू इंडिया इंश्योरेंस का नाम भी शामिल है |
वर्ष | इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए दर्ज मामलें | इनसाइडर ट्रेडिंग क्या होती है ट्रेडिंग के निपटाए गए मामलें |
2014-2015 | 10 | 15 |
2015-2016 | 12 | 20 |
2016-2017 | 34 | 15 |
2017-2018 | 15 | 06 |
2018-2019 | 70 | 19 |
सेबी (SEBI) इनसाइडर ट्रेडिंग
SEBI (Security And Exchange Board of India) द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के सख्त नियम बनाये है | इनसाइडर ट्रेडिंग नियम के अंतर्गत इनसाइडर ट्रेडिंग पर नियंत्रण पाने के लिए मार्केट सर्विलांस सिस्टम को आरम्भ किया गया है | यह सिस्टम बाजार के असामान्य पैटर्न पर नजर रखती है | सेबी ने इसके अंतर्गत और भी कई सुधार ट्रेडिंग क्या होती है करने के प्रयास किये है |
सेबी द्वारा निर्धारित किये गए महत्वपूर्ण मापदंड
- इस नियम के अनुसार कंपनी द्वारा कोई भी घोषणा करने के 48 घंटे पहले और बाद में कंपनी के प्रमोटर्स,मैनेजमेंट या कर्मचारियों को कंपनी के शेयर्स में ट्रैड करने की अनुमति नहीं होगी |
- इस मापदंड में वह सभी ऑडिटर्स,लॉ फर्म, विश्लेषक, एडवाइजर भी शामिल होंगे | जो कंपनी को सलाहकार के रूप में सलाह देते हो ट्रेडिंग क्या होती है |
- इसके साथ ही कंपनी की तिमाही का परिणाम घोषित होने के बाद ट्रेडिंग विंडो को 48 घंटे तक बंद रखने का नियम लागू है |
- यदि बताये गए इन नियमो का पालन नहीं किया जाता है तो सेबी द्वारा सख्त सजा का प्रावधान भी पेश है | साथ ही कई कंपनियों को नियमो का उल्लंघन करने के लिए दण्डित भी किया गया है |
निष्कर्ष (Conclusion)
इनसाइडर ट्रेडिंग को गैरकानूनी माना जाता है, यह कार्य कंपनी के प्रबंध से जुड़े व्यक्ति अपने लाभ के लिए करते है | इसमें कंपनी का कर्मचारी जो कि कंपनी की गुप्त जानकारी रखता है वह कंपनी के शेयरों को खरीद – बेचकर फायदा कमाता है | यहाँ पर निवेशकों को इस छल से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए जा रहे है, जिन्हे एक निवेशक को शेयर खरीदते समयइन बातों को ध्यान में रखना चाहिए:-
एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) पर सेबी ने प्रस्ताव पेश किया, जानिए क्या होती है एल्गो ट्रेडिंग?
ब्रोकरेज हाउसेज के अनुसार, सेबी द्वारा एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) से उत्पन्न होने वाले सभी ऑर्डर को एल्गोरिथम या एल्गो ऑर्डर के रूप में मानने का प्रस्ताव भारत में इस तरह के व्यापार के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
मुख्य बिंदु
- एल्गो ट्रेडिंग का अर्थ उस ऑर्डर से है जो स्वचालित निष्पादन तर्क (automated execution logic) का उपयोग करके उत्पन्न होता है।
- एल्गो ट्रेडिंग सिस्टम लाइव स्टॉक की कीमतों पर स्वचालित रूप से नज़र रखता है और सभी मानदंडों को पूरा करने पर एक ऑर्डर शुरू करता है।
- यह प्रणाली ट्रेडर को लाइव स्टॉक की कीमतों की निगरानी से मुक्त करती है।
ब्रोकरेज हाउसेज ने क्या चिंता जताई है?
ब्रोकरेज हाउसेज का विचार है कि एल्गो बाजार को विनियमित करने की आवश्यकता है। क्योंकि कुछ वेंडर्स द्वारा किए गए झूठे वादों के चलते कई निवेशकों ने काफी पैसा खो दिया है। हालांकि, कुछ चुनिन्दा बुरे मामलों से निपटने के लिए, सेबी के नियम बाधाएं डाल रहा है जो भारत में एल्गो ट्रेडिंग के विकास को प्रतिबंधित कर सकता है।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या होती है ट्रेडिंग ( Algorithmic Trading)
एल्गोरिथम ट्रेडिंग मूल्य, समय और मात्रा जैसे चर (variables) के लिए स्वचालित पूर्व-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग निर्देशों (automated pre-programmed trading instructions) का उपयोग करके ऑर्डर प्लेस करने का एक तरीका है। इस तरह की ट्रेडिंग मानव व्यापारियों के मुकाबले कंप्यूटर की गति और कम्प्यूटेशनल संसाधनों का लाभ उठती है। यह रिटेल ट्रेडर्स और साथ ही संस्थागत व्यापारियों (institutional traders) में काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसका उपयोग निवेश बैंकों, म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और हेज फंड द्वारा किया जाता है। 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, विदेशी मुद्रा बाजार में लगभग 92% ट्रेडिंग ट्रेडिंग एल्गोरिदम द्वारा की गई थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( Securities and Exchange Board of India – SEBI )
सेबी भारत में प्रतिभूतियों और कमोडिटी बाजार के लिए नियामक निकाय है। यह वित्त मंत्रालय के स्वामित्व में काम करता है। सेबी को 12 अप्रैल, 1988 को गैर-सांविधिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। इसे वैधानिक अधिकार दिए गए थे और सेबी अधिनियम, 1992 द्वारा 30 जनवरी 1992 को यह स्वायत्त निकाय बन गया था।
Muhurat Trading 2020 : जानिए क्या होती है मुहूर्त ट्रेडिंग और आज कब है इसका समय
हर दिवाली के दिन भारतीय शेयर बाजारों में मुहूर्त ट्रेडिंग (Muhurat Trading) का आयोजन किया जाता है। यहां हम आपको बता दें रहें कि दिवाली के मौके पर आज इस साल इसकी टाइमिंग क्या है और क्यों मनाया जाता है।
- लक्ष्मी पूजा के दिन आज मुहूर्त ट्रेडिंग का आयोजन किया जा रहा है
- भारतीय शेयर बाजार इसके लिए खास टाइमिंग की व्यवस्था करता है
- मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान शेयरों की खरीद बिक्री करना शुभ माना जाता है
नई दिल्ली: प्रकाश का पर्व दिवाली आज पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह हिंदू वित्तीय वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। हर साल की तरह इस साल भी जश्न मनाने के लिए भारतीय शेयर बाजार ने स्पेशल व्यापारिक सत्र का आयोजन किया है। स्टॉक ट्रेडर्स और निवेशक इस साल के मुहूर्त ट्रेडिंग (Muhurat Trading) के लिए कमर कस लिए हैं जो दिवाली के दिन होगा। दिवाली के दिन, भारतीय शेयर बाजार लक्ष्मी पूजन के विशेष समय में एक स्पेशल ट्रेडिंग सत्र की व्यवस्था करते हैं जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग कहते हैं। इस दिन व्यापारियों और निवेशकों द्वारा प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने के शुभ घंटों के दौरान हिंदू पंचांग के अनुसार स्पेशल ट्रेडिंग विंडो खुलती है।
दिवाली हिंदू लेखा वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। विशेष अनुष्ठानों में भारत के गुजरातियों और मारवाड़ी समुदायों द्वारा खाता बही और नकद चेस्ट की पूजा करना शामिल है। प्रथा के अनुसार मुहूर्त ट्रेडिंग शुरू होने से पहले अकाउंट बुक (खाता-बही) की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि अगर वे इस दिन अच्छा व्यवसाय होता है तो पूरे साल अच्छा बिजनेस होता है।
इस साल बीएसई और एनएसई शनिवार 14 नवंबर को शाम 6:15 से 7:15 बजे के बीच मुहूर्त ट्रेडिंग का आयोजन कर रहा है। संवत ट्रेडिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण परंपरा है जिसके बाद भारतीय बाजारों में ट्रेडिंग होता है। तो, आइए जानें: मुहूर्त ट्रेडिंग क्या है और इसमें ट्रेडिंग कैसे किया जाता है?
मुहूर्त ट्रेडिंग क्या है?
मुहूर्त हिंदी शब्द है, जिसका अर्थ है शुभ समय। यह ग्रहों, तारों औ नक्षत्रों के आधार पर गणना की जाती है। हिंदू ज्योतिष के लिए मुहूर्त महत्वपूर्ण हैं। लंबे समय से भारत में स्टॉक एक्सचेंज मुहूर्त ट्रेडिंग का आयोजन कर रहे हैं। यह एक वार्षिक अनुष्ठान है जिसे हर किसी की नजरें होती हैं। मुहूर्त ट्रेडिंग आमतौर पर शाम को होती है। स्टॉक एक्सचेंज एक घंटे का स्पेशल ट्रेडिंग सेशन की घोषणा करते हैं, जिस दौरान हिंदू व्यापारी और निवेशक नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए शेयरों की खरीद और बिक्री में शामिल होते हैं। उनका मानना है कि यह उन्हें पूरे साल सौभाग्य और समृद्धि लाता है।
मुहूर्त ट्रेडिंग की टाइमिंग
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) शनिवार (14 नवंबर) को एक घंटे की दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग का आयोजन करेंगे। बीएसई और एनएसई दोनों एक घंटे के लिए ट्रेडिंग की अनुमति देंगे, जो शाम 6:15 बजे से शुरू होगा। एक्सचेंजों ने कहा कि एक ब्लॉक डील सेशन इस मुख्य सत्र से पहले और प्री ऑपनिंग सेशन शाम 5:45 से 6:00 बजे के बीच होगा। ट्रेडर्स को शाम 5:15 से 5:45 के बीच लॉगिन करने की सलाह दी जाती है। यह एक्सचेंज 16 नवंबर को दीवाली बलिप्रतिपदा के अवसर पर बंद रहेगा। मंगलवार से सामान्य व्यापार फिर से शुरू होगा।
- ब्लॉक डील सेशन: शाम 5:45 से शाम 6:00 बजे तक
- प्री ओपन सेशन: शाम 6:00 से शाम 6:08 बजे तक
- नॉर्मल मार्केट : शाम 6:15 बजे से शाम 7:15 बजे तक
- कॉल नीलामी लिक्विडिटी सेशन: शाम 6:15 से शाम 7:15 तक
- कट-ऑफ टाइम: शाम 6:15 बजे से शाम 7:40 बजे तक
- क्लोजिंग सेशन: शाम 7:20 बजे से शाम 7:30 बजे तक
मुहूर्त ट्रेडिंग का इतिहास
सत्र में एक नए संवत या हिंदू कैलेंडर वर्ष की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि मुहूर्त ट्रेडिंग पूरे वर्ष समृद्धि और धन लाता है। बीएसई 1957 से मुहूर्त सत्र का आयोजित कर रहा है, जबकि एनएसई 1992 से कर रहा है। पिछले साल के मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र में, सेंसेक्स 192 अंक बढ़कर 39,250 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 0.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने के बाद 10598 पर बंद हुआ ट्रेडिंग क्या होती है था।
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जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.