ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म

विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ

विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ

सौंदर्य, स्वास्थ्य और जीवन शैली विकल्प

विदेशी मुद्रा नए व्यापारियों के लिए एक कटहल जंगल की तरह है। कभी-कभी विदेशी मुद्रा व्यापार में कठिनाइयाँ कुशल व्यापारियों को अपने बालों को खींचती हैं। वैसे तो इस तरह की स्थिति के कई कारण हैं लेकिन नुकसान झेलने के बाद ऐसे व्यापारी सिस्टम या दलाल को दोष देते हैं। वे मुख्य विचार को समझे बिना व्यापार में प्रवेश करते हैं। नतीजतन, वे आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से पीड़ित हैं। हम पांच आदतों पर प्रकाश डालते हैं जो नए व्यापारियों को जीवित रहने और विदेशी मुद्रा व्यापार में लाभ कमाने में मदद कर सकती हैं।

विदेशी मुद्रा व्यापार में निर्णय लेने से पहले हमेशा तर्कसंगत रूप से सोचें और एक योजना बनाएं। गेम प्लान के बिना खरीदना या बेचना विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ स्पष्ट रूप से नुकसान की ओर ले जाता है। सभी विशेषज्ञ व्यापारी वित्तीय बाजार के बदलते रुझानों से निपटने के लिए एक गेम प्लान या रणनीति विकसित करते हैं। उचित तैयारी और योजना के साथ व्यापार अधिकतर लाभदायक होता है। यह स्पष्ट है कि जब हम बिना किसी योजना के विदेशी मुद्रा व्यापार में प्रवेश करते हैं, तो हम ऐसी गलतियाँ करते हैं जो हमें आसानी से टालने योग्य विफलता और नुकसान की कीमत चुकानी पड़ती हैं।

कोई भी बाजार के रुझान को नियंत्रित या नियंत्रित नहीं विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ कर सकता है, लेकिन हम अपने व्यापार को नियंत्रित और प्रबंधित कर सकते हैं। इस संबंध में स्टॉप लॉस का उपयोग करना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। हम अपने स्टॉप लॉस को समायोजित, खो या कस सकते हैं। यह नुकसान के खिलाफ एक जोखिम मुक्त उपाय है।

हमारे ट्रेडों का जर्नल बनाए रखना और रखना भी फॉरेक्स ट्रेड को समझने में सहायक होता है। हमारे प्रदर्शन का मूल्यांकन और विश्लेषण करने के लिए भी उसी जर्नल का उपयोग किया जा सकता है। यह हमें प्रेरित करता है जो अंततः हमारे प्रदर्शन में सुधार करता है।

ट्रेडिंग समय तय करना:

विदेशी मुद्रा व्यापार में जीवित रहने के लिए व्यापार समय तय करना भी सहायक होता है। जब हमने व्यापार के लिए समय निर्दिष्ट किया है, तो हम 23 घंटे के व्यापार की तुलना में अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

विशेषज्ञता नए व्यापारियों को उनके लिए उपयुक्त रणनीति निर्धारित करने में मदद करती है। विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ यह हमें उन विशिष्ट स्थितियों को देखने और नोट करने में मदद करता है जो हमारे लिए उपयुक्त हैं जैसे कि हम किस मुद्रा के जोड़े के साथ व्यापार करना चाहते हैं या हमारे लिए कौन सी समय सीमा काम करती है।

अंतर्ज्ञान विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ और अभ्यास:

बाजार के रुझान को समझना और फिर लाभदायक निवेश के लिए उनका उपयोग करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। इसमें समय भी लगता है। कोई भी व्यक्ति रातों-रात बाजार का विशेषज्ञ विश्लेषक नहीं बन सकता। जिन व्यापारियों को विदेशी मुद्रा व्यापार में ऐस माना जाता है, उन्हें बाजार के रुझानों को समझने में भरपूर समय देना चाहिए। जाहिर तौर पर कड़ी मेहनत रंग लाती है। अंतर्ज्ञान भी इस संबंध में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विदेशी मुद्रा व्यापार में मजबूत अंतर्ज्ञान वाले व्यापारी इसे कील करते हैं। ज्ञान, अभ्यास और अंतर्ज्ञान प्रमुख कारक हैं जो व्यापारियों को सफलता की ओर ले जाते हैं। कई बार भाग्य भी निवेश के लाभ को प्रभावित करता है। अंत में, व्यापारी बाजार के रुझान की अपनी समझ के आधार पर अपने निर्णय लेते हैं।

जरुरी जानकारी | भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौता 29 दिसंबर को लागू होगा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) 29 दिसंबर से लागू होगा।

जरुरी जानकारी | भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौता 29 दिसंबर को लागू होगा

नयी दिल्ली, 30 नवंबर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) 29 दिसंबर से लागू होगा।

ऑस्ट्रेलिया के व्यापार और पर्यटन मंत्री डॉन फैरेल ने बुधवार को एक बयान में यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा कदम है जिससे पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर 45-50 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

बयान में कहा गया है, ‘‘(एंथनी) अल्बनीज सरकार इस पुष्टि का स्वागत करती है कि भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) के क्रियान्वयन के लिए अपनी घरेलू जरूरतों को विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ पूरा कर लिया है।''

उन्होंने कहा कि यह व्यापार समझौता 29 दिसंबर, 2022 से ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों और उपभोक्ताओं नई बाजार पहुंच के अवसर उपलब्ध कराएगा।

इस समझौते पर इस साल दो अप्रैल को हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते के तहत ऑस्ट्रेलियाई बाजार में कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी समेत 6,000 से अधिक व्यापक क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों को शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी।

इसके अलावा समझौते से श्रम केंद्रित क्षेत्रों मसलन कपड़ा और परिधान, कुछ कृषि और मछली उत्पाद, चमड़ा, जूते, फर्नीचर, खेल के सामान, आभूषण, विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ मशीनरी और बिजली का सामान को लाभ होगा।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

वित्त मंत्रालय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर बैंक प्रमुखों के साथ करेगा बैठक

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) वित्त मंत्रालय ने दूसरे देशों के साथ डॉलर के बजाय रुपये में व्यापार को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा के लिये बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) की बैठक बुलायी है। इसमें निजी क्षेत्र के छह प्रमुख बैंकों के सीईओ शामिल हैं।

सूत्रों के अनुसार, पांच दिसंबर को होने वाली बैठक में विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। बैठक में इस मामले में अबतक हुई प्रगति की समीक्षा भी की जाएगी।
उसने कहा कि वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के प्रतिनिधियों के भी शामिल होने की संभावना है।

आरबीआई ने रुपये में सीमापार व्यापार सौदों के लिये जुलाई में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे। रुपये में विदेशी व्यापार को सुगम बनाने के लिये अबतक दो घरेलू बैंकों में नौ विशेष वोस्ट्रो खाते खोले गये हैं।

वोस्ट्रो खाता वह है जो घरेलू बैंक स्थानीय मुद्रा में विदेशी बैंक के लिये खोले जाते हैं। भारत के मामले में यह रुपया है।

आरबीआई के दिशानिर्देश के बाद रूस के सबसे बड़े स्बरबैंक और दूसरे सबसे बड़े वीटीबी बैंक पहले विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ विदेशी बैंक हैं, जिन्हें वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति मिली है।
एक अन्य रूसी बैंक गजप्रोम ने भी कोलकाता स्थित यूको बैंक के साथ यह खाता खोला है।

विशेष वोस्ट्रो खाता खोलने के कदम से भारत और रूस के बीच व्यापार का रुपये में भुगतान का रास्ता साफ हो गया है। इससे भारतीय मुद्रा में सीमापार व्यापार संभव हुआ है।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

पूजा में इस्तेमाल होने वाली सुपारी कर सकती है कमाल जानिए कैसे?

पूजा में इस्तेमाल होने वाली सुपारी कर सकती है कमाल जानिए कैसे?

Gita Jayanti: गीता उपदेश, भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निकले ‘अमृत वचन’

Gita Jayanti: गीता उपदेश, भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निकले ‘अमृत वचन’

रविवार, विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ पीपल व लक्ष्मी माता का गहरा संबंध, जानने के लिए पढ़ें ये पौराणिक कथा

रविवार, पीपल व लक्ष्मी माता का गहरा संबंध, जानने के लिए पढ़ें ये पौराणिक कथा

अमेरिका ने कतर को एक अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री की मंजूरी दी

अमेरिका ने कतर को एक अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री की मंजूरी दी

शादी की खुशियां मातम में बदली: डांस के दौरान दूल्हे के फूफा की मौत, परिजनों में मचा कोहराम

व्यापार घाटा कहीं देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ न दे!

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें

अगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की मानें तो अर्थव्यवस्था में सब अच्छा ही अछा है। हमारी अर्थव्यवस्था के दुनिया में पांचवें स्थान पर होने के उत्साह में वे काफी कुछ दावे करने से नहीं चूकतीं। प्रत्यक्ष करों की वसूली में तीस फीसदी का उछाल और जीएसटी की वसूली के नित बढ़ते आँकड़े अर्थव्यवस्था का हाल ठीक होने के दावे को मजबूत करते हैं।

अब इसमें करखनिया सामानों का उत्पादन गिरने, महंगाई के चलते बिक्री कम होने तथा महंगाई और बेरोजगारी का हिसाब निश्चित रूप से शामिल नहीं है। छोटे और सूक्ष्म उद्योग धंधों की हालत और खराब हुई है जिसने रोजगार के परिदृश्य को ज्यादा खराब किया है। और इसमें अगर विदेश व्यापार की ताजा स्थिति और बढ़ते घाटे को जोड़ लिया जाए तो साफ लगेगा कि वित्त मंत्री सिर्फ अर्थव्यवस्था का उतना हिस्सा ही देखना और दिखाना चाहती हैं जो गुलाबी है।

बाजार में निवेश का आना कम होने और डालर की महंगाई को भी जोड़ लें तो हालत चिंता जनक लगने लगती है। यह सही है कि अभी वैश्विक मंडी की आहट भी सुनाई दे रही है और अधिकांश बड़े देशों की हालत भी खराब है लेकिन यह कहने से बेरोजगार लोगों या महंगाई से त्रस्त गृहणियों के जख्मों पर मरहम नहीं लगेगा।

वित्त मंत्री और सरकार के लोग चाहे जो दावे करें विदेश व्यापार का बढ़ता आकार और उससे भी ज्यादा तेजी से बढ़ता घाटा अर्थशास्त्र के सारे जानकारों को चिंतित किए हुए है। लगातार हर महीने आने वाले आँकड़े इन दोनों प्रवृत्तियों में वृद्धि ही दिखा रहे हैं जबकि अगस्त के आँकड़े बताते हैं कि घाटा दस साल का रिकार्ड तोड़ चुका है।

अगस्त में यह 29 अरब डालर को छू चुका है और घाटे की प्रवृत्ति में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं दिखती। दुनिया भर में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में आई नरमी बदलाव ला सकती थी लेकिन डालर के अस्सी रुपए तक पहुँचने से यह लाभ भी समाप्त सा हों रहा है।

इलेक्ट्रानिक सामानों के निर्यात में कुछ वृद्धि दिख रही विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ है तो जेवरात और रत्नों का आयात उस पर भी पानी फेर रहा है। यह भी माना जाता है कि अचानक बिजलीघरों में कोयले के अकाल ने सरकार के हाथ पाँव फुला दिए थे। इस चक्कर में विदेश से काफी कोयला मंगा लिया गया जबकि अपने यहां सबसे बड़ा कोयला भंडार है। व्यापार संतुलन बिगाड़ने में इसका भी हाथ है। हाल के दिनों में करोना से उबरी दुनिया में रिफाइनिंग का काम बढ़ा था जिसका लाभ हमें भी मिला था। अब खबर आ रही है कि इस काम में भी गिरावट है और यह दस फीसदी तक है।

जाहिर है हमारा विदेश व्यापार का असंतुलन बढ़ ही सकता है, उसके सुधार के लक्षण नहीं हैं। यह अंदेशा अभी भी जारी यूक्रेन युद्ध और ताइवान पर तनातनी से बढ़ा ही है। पर निश्चित रूप से सबसे बड़ा प्रभाव कोरोना का ही रहा। जिसके चलते दुनिया भर में मांग कम हुई है। यूरोप और अमेरिका इस बार जिस तरह की परेशानी में हैं, और अमेरिकी फेडरल रिजर्व जिस तेजी से अपने रेट बढ़ा रहा है उसमें दुनिया भर के पूंजी बाजारों से पैसा गायब होने लगा है।

हमारा केन्द्रीय बैंक भी रेट बढ़ा रहा है। लेकिन सरकार एक सीमा से ज्यादा रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं है क्योंकि इससे महंगाई बढ़ने लगती है। पर असली दिक्कत हमारे माल की मांग काम होने से आई है और दुनिया के बाजारों के जल्दी सुधारने की उम्मीद नहीं की जा रही है। सामान महंगा होने और बेकारी बढ़ने के असर अपने बाजार पर भी है और जाहिर तौर से ये कारण करखनिया उत्पादन के गिरने के हैं।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसी रायटर्स के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि लगातार तीन तिहाई के आंकड़ों की दिशा, खाद्यान्न की कीमतों में वैश्विक उछाल और गिरते रुपए के चलते भारतीय व्यापार घाटा न सिर्फ एक दशक में सबसे ऊपर जाने वाला है बल्कि यह अर्थव्यवस्था के लिए संकट भी बनेगा। ये चीजें निवेशकों का भरोसा गिरा रही हैं। बाजार से पूंजी गायब दिखने की यह एक बड़ी वजह है।

दुनिया के 18 बड़े अर्थशास्त्रियों से पूछे सवाल पर आधारित यह सर्वेक्षण बताता है कि चालू खाते का घाटा आने वाले महीनों में सकल घरेलू उत्पादन, जीडीपी के पाँच फीसदी तक पहुँच सकता है। पिछली तिमाही अर्थात अप्रैल-जून में यह जीडीपी के 3.6 फीसदी तक चला गया था। जैसा पहले बताया जा चुका है अकेले अगस्त महीने का घाटा 29 अरब डालर का था। उससे पहले जुलाई का घाटा तीस अरब डालर को छू गया था। अगर यह रफ्तार रही तो इन अर्थशास्त्रियों का अनुमान भी कम पड जाएगा। अगर हम जनवरी-मार्च के मात्र 13.4 अरब डालर पर नजर डालें तो अगस्त तक का रिकार्ड डरावना लगने लगेगा।

इस घाटे की भरपाई करनी ही होती है। इस काम में रिजर्व बैंक की सांस फूल रही है। डालर के मुकाबले गिरते रुपए को संभालने में भी उसे काफी सारा पैसा उतारना पड़ता है। इन दोनों कामों में कीमती विदेशी मुद्रा खर्च हों रही है और विदेशी मुद्रा का भंडार तेजी से विदेशी मुद्रा और मुद्रा व्यापार के लाभ नीचे आ रहा है। ये चीजें भी रुपए पर दबाव बढ़ा रही हैं और कमाई की गुंजाइश काम हुई है। सामान्य स्थिति में मुद्रा की कीमत गिरने का एक लाभ यह होता है कि आपके विदेश व्यापार में वृद्धि होती है। आपका सामान सस्ता होता है तो मांग बढ़ती है।

अभी दुनिया में, खासकर हमारा सामान (तैयार पोशाक, जेम-ज्वेलरी और इंजीनियरिंग का सामान) मांग न होने के चलते बिक ही नहीं रहा है। इलेक्ट्रानिक सामान बिक भी रहे हैं तो इंजीनियरिंग के सामान की बिक्री में अगस्त में ही पिछले साल की तुलना में 78 फीसदी की गिरावट आ गई है। उधर हमारा तेल का आयात बढ़ता ही जा रहा यही। पिछले साल की तुलना में बीते अगस्त में हमने 37 फीसदी ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थों का आयात किया। आयात निर्यात बढ़ाने घटाने के और आँकड़े भी इसी दिशा को बताते हैं लेकिन सबसे बड़ा सच तो व्यापार घाटे के बेहिसाब बढ़ाने से दिखता है। सरकार सोई नहीं होगी लेकिन सारी दुनिया के आर्थिक हालात पर उसका वश चलता हों ऐसा भी नहीं है।

रेटिंग: 4.45
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 82
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *