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पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है
फंड मैनेजर क्या है? | Fund Manager meaning in Hindi Reviewed by Thakur Lal on जनवरी 11, 2021 Rating: 5

सेबी के नियमों से बढ़ रही उलझन

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बाजार में मध्यस्थों के नियमन के लिए दर्जनों परिपत्र एवं दिशानिर्देश जारी किए हैं। शेयर ब्रोकर, पोर्टफोलियो मैनेजर, निवेश सलाहकार (आईए) एवं शोध विश्लेषक (आरए) आदि बाजार में मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं। खुदरा निवेशक इन्हीं के माध्यम और सलाह से बाजार में निवेश करते हैं। मगर पूरा ध्यान अनुपालन, खुलासा एवं रिपोर्टिंग पर ही केंद्रित रहने से ये दिशानिर्देश ग्राहकों के वास्तविक हितों की रक्षा नहीं कर पाते हैं। मैं केवल एक विषय पर ध्यान केंद्रित करता हूं और वह है कि निवेशकों को कौन खरीदारी या बिक्री की सलाह दे सकता है?

सेबी का नियामकीय ढांचा कुछ इस तरह का है कि इसमें गतिविधियों के आधार पर नियामकीय इकाइयों की अलग श्रेणियां परिभाषित करने का उपयुक्त प्रयास किया गया है। उदाहरण के लिए केवल म्युचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेस (पीएमएस) रकम लेकर ग्राहक की तरफ से निवेश कर सकते हैं। इसी तरह पिछले कई दशकों से केवल शेयर ब्रोकर निवेशकों को शेयर खरीदने या बेचने की सलाह दे रहे हैं। सेबी ने 2013 में पहली बार निवेश सलाहकार के नाम से एक विनियमित इकाइयों के एक समूह की स्थापना की। इसके बाद 2014 में आरए का गठन किया गया। ये तीनों ही शेयरों की खरीदारी या बिकवाली की सलाह दे सकते हैं। खुदरा निवेशकों को शेयरों की खरीदारी या बिकवाली में सलाह की अधिक जरूरत होती है।

अफसोस कि यह स्पष्ट नहीं है कि इन तीनों इकाइयों को एक ही तरह के कार्य करने की अनुमति क्यों दी गई है। निवेशकों के दृष्टिकोण से यह पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है भी स्पष्ट नहीं है कि कौन सी ऐसी बातें हैं जो इन्हें एक दूसरे से अलग करती हैं और सलाहकार स्वयं भी असमंजस में रहते हैं। आईए और आरए से संबंधित दिशानिर्देश आने के लगभग नौ वर्ष बाद भी ज्यादातर निवेशक एवं सलाहकार इस बात से अवगत नहीं है कि आरए खास प्रतिभूतियों पर बिकवाली/खरीदारी का सुझाव तो दे सकते हैं मगर प्रतिभूतियों का एक मॉडल पोर्टफोलियो तैयार नहीं कर सकते। आरए नियमों के तहत मॉडल

पोर्टफोलियो के जरिये सलाह देने पर स्पष्ट रूप से कभी रोक नहीं लगाई गई। इस वजह से 'मॉडल पोर्टफोलियो' की पेशकश करने वाले आरए की बाढ़ आ गई।

निवेशक समुदाय को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब 6 मई को सेबी ने एक आरए इकाई के साथ निपटान आदेश प्रकाशित किया। इस आरए इकाई को मॉडल पोर्टफोलियो की पेशकश करने के लिए फटकार लगाई गई थी और बाद में उसे ऐसा करने से रोक दिया गया। सेबी के कानूनी विभाग के प्रमुख और पूर्व कार्यकारी निदेशक ने ट्विटर पर एक के बाद एक कई पोस्ट में लिखा कि सेबी का आदेश गलत था। सेबी में भी इस बात को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है कि आरए मॉडल पोर्टफोलियो की पेशकश कर सकते हैं या नहीं। जिस विश्लेषक पर प्रतिबंध लगाया गया था उसने कहा कि खर्चीले एवं लंबे मुकदमे के झंझट से बचने के लिए उन्होंने भुगतान किया। वह अगर ऐसा नहीं करता तो इससे उसके कारोबार को कहीं अधिक नुकसान पहुंचता है।

अब शेयर ब्रोकरों को निवेश सलाहकार मानकर उनकी भूमिका पर विचार करते हैं। वर्ष 2016 से सेबी ने शेयर ब्रोकरों को अनधिकृत लेनदेन करने से रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं। हालांकि इसके बाद भी ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें ब्रोकरों की वजह पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है से निवेशकों को खासा नुकसान होता है। कई मामले तो तकनीकी अनुपालन में त्रुटियों का नतीजा होते हैं। कई बड़ी सूचीबद्ध ब्रोकिंग कंपनियां अपने अनुचित कारोबारी व्यवहार के लिए निशाने पर आई हैं। हालांकि इनकी करतूत निवेशकों से इसलिए छुपी हैं क्योंकि मध्यस्थता एवं शिकायत निवारण प्रक्रिया के बाद आए आदेश को 'गोपनीय' रखा गया है। बड़े आरए और आईए भी ऐसे गंभीर अपराध नहीं कर सकते क्योंकि बोकरों की तरह ग्राहकों के खाते तक उनकी पहुंच नहीं होती है। ब्रोकिंग कंपनियों के कर्मचारी डेरिवेटिव विशेषज्ञ बनकर जोखिम वाले कई कारोबार करते हैं और वरिष्ठ नागरिक या तकनीक की कम समझ रखने वाले लोग ग्राहक उनके झांसे में आ जाते हैं।

एक मामले में तो एक वरिष्ठ नागरिक निवेशक ने दो महीने में ही 1.32 करोड़ रुपये के डेरिवेटिव कारोबार कर डाले मगर उनके खाते में कमाई के रूप में महज 255 रुपये आए और इतनी कम रकम मिलने की कोई वजह भी नहीं बताई गई। इस निवेशक ने इससे पहले कभी एक साल में 5 लाख रुपये से अधिक कारोबार नहीं किया था। इस मामले में ब्रोकर ने ई-मेल, एसएमएस और मार्जिन एवं लेजर स्टेटमेंट्स सहित सभी तकनीकी बातों का अनुपालन किया। वरिष्ठ निवेशक को ब्रोकर की तरफ से ऐसे लेनदेन के लिए तैयार कर लिया गया जो वह ठीक से समझ भी नहीं पाए थे।

एक दूसरे मामले में एक ब्रोकर ने एक व्यक्ति को प्रति महीने एक निश्चित कमाई करने का मौखिक आश्वासन दिया। उसने निवेशक से कहा कि इसके लिए निफ्टी पर कॉल एवं पुट ऑप्शन बेचने की कवायद करनी होगी। उस निवेशक ने करीब 1.25 करोड़ रुपये का निवेश पोर्टफोलियो उस ब्रोकर के हवाले कर दिया। पोर्टफोलियो में हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, पिडिलाइट और डाबर जैसे महंगे शेयर थे। इस रणनीति से शुरू में फायदा जरूर हुआ मगर उसके बाद जब बाजार फिसला तो भारी नुकसान हुआ। ब्रोकर ने नुकसान की भरपाई करने के लिए इस सेवानिवृत्त निवेशक की जीवन भर की कमाई से खरीदे गए महंगे शेयर बेच दिए।

ऐसे कई मामले सामने आए हैं मगर अफसोस की बात है कि ब्रोकरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। बड़ा प्रश्न है कि क्या किया जा सकता है? अब हम मूल सिद्धांतों की ओर लौटते हैं। निवेशक आम तौर पर खरीद-बिक्री की सलाह की खोज में रहते हैं। ब्रोकर, आरए और आईए में सलाह देने की सबसे अच्छी स्थिति में कौन है? सेबी की स्थापना होने तक बाजार में मध्यस्थ के रूप में केवल शेयर ब्रोकर ही थे और वे कई कार्य किया करते थे। इसके बाद अलग-अलग बाजारों और मध्यस्थों की गतिविधियों के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश आए। बैंक, डिपॉजिटरीज और संरक्षक (कस्टोडियन) लेनदेन हुईं परिसंपत्तियों को देखते हैं और पोर्टफोलियो प्रबंधक और म्युचुअल फंड निवेश प्रबंधन करते हैं। उनकी भूमिकाओं के बीच में स्पष्ट विभाजन है मगर खुदरा निवेशकों को सलाह देने के कारोबार पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।

यह बात अपनी जगह है कि पिछले 28 वर्षों के दौरान शेयर ब्रोकिंग कारोबार के लिए कायदे-कानून काफी कड़े हो गए हैं मगर गलत सलाह, भरोसे का अभाव, अक्षमता और फर्जीवाड़े की बात आए दिन देखने को मिलती रहती है। शेयर ब्रोकरों को निवेशकों की तरफ से केवल लेनदेन का क्रियान्वयन करना चाहिए मगर इस गतिविधि पर उन्होंने अपना पूरा दबदबा बनाया लिया है। उन्हें निवेशकों को सलाह देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि सेबी ने इसके लिए दो मध्यस्थों के प्रावधान किए हैं। इस कदम से सलाहकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। हालांकि इसके बाद भी यह उलझन दूर नहीं होती है कि खरीदारी या बिकवाली की सलाह के लिहाज से आरए और आईए की भूमिका में अंतर कैसे करें। इसका भी समाधान एक सरल सिद्धांत से पाया जा पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है सकता है। मॉडल पोर्टफोलियो सहित खरीदारी या बिकवाली की सलाह आरए के अधिकार क्षेत्र में आनी चाहिए जबकि व्यापक वित्तीय नियोजन एवं परिसंपत्ति आवंटन की जिम्मेदारी आईए के पास रहनी चाहिए।

वैल्यू स्टॉक्स खोज रहे? जानिए ये 22 टॉप स्टॉक्स, जहां अमीर लोगों के फंड मैनेजर्स ने किया है निवेश

वैल्यू स्टॉक्स पता करने का एक तरीका यह जानना हो सकता है आखिर अमीर लोगों के पैसों को संभालने वाले सफल मनी मैनेजर्स इन दिनों कहां निवेश कर रहे हैं

भीड़-भाड़ वाले बाजार में वैल्यू स्टॉक्स (Value Stocks) खोजना कोई आसान काम नहीं है। वैल्यू स्टॉक्स पता करने का एक तरीका यह जानना हो सकता है आखिर अमीर लोगों के पैसों को संभालने वाले सफल मनी मैनेजर्स इन दिनों कहां निवेश कर रहे हैं। इस आर्टिकल में हम आपको जुलाई में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले कुछ पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) फंड्स की टॉप होल्डिंग्स के बारे में बता रहे हैं। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) का इस्तेमाल अमीर लोग अपना पैसे निवेश करने में करते हैं। इन आंकड़ों को PMS बाजार ने संकलित किया है।

लेक वाटर एडवाइजर की लेक वाटर स्ट्रैटेजी

यह मल्टी-कैप फंड जुलाई में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला फंड रहा और इसने इस महीने 17.43 प्रतिशत का रिटर्न दिया। हालांकि इसने पिछले एक साल में 4.65 फीसदी का नेगेटिव रिटर्न दिया है। फंड के होल्डिंग्स में शामिल अधिकतर शेयरों में तिमाही नतीजों के बाद भारी खरीदारी देखी गई। फंड ने इन शेयरों में अपना आवंटन सबसे अधिक रखा है- बजाज फाइनेंस (32%), टाटा मोटर्स (11%), सोना BLW प्रेसिजन फोर्जिंग (9%), आरती इंडस्ट्रीज (8%) और पीआई इंडस्ट्रीज (7%)।

ई-पोर्टफोलियो मैनेजर

हाल ही में एकेडमिक डिग्रियों को ऑनलाइन करने की बात उठी थी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह काम ई-पोर्टफोलियो का हिस्सा है। यही कारण है कि इन दिनों ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कोर्स काफी पॉपुलर हो रहे हैं। क्या है ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट..

आजकल कम्प्यूटर पर निर्भरता बढती जा रही है। यही कारण है कि इससे संबंधित कोर्स काफी हॉट हो रहे हैं। कम्प्यूटर के ऑनलाइन प्रयोग के कारण इससे संबंधित नए-नए क्षेत्र सामने आ रहे हैं। ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट भी एक नया कोर्स है और अब भारत में भी हॉट करियर ऑप्शन बन रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो

ई-पोर्टफोलियो किसी व्यक्ति, कंपनी या किसी अन्य का डॉक्यूमेंट्स, इन्फॉरमेशंस, लिंक सोर्सेज, आडियो और वीडियो क्लिप्स का वेब-पब्लिश्ड कलेक्शन है, जिसमें उसके बारे में विस्तार से वर्णन होता है। मोटे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह पुराने समय के क्लासरूम नोटबुक्स का नया डिजिटल वर्जन है, जिसमें हर चीज को अलग-अलग वर्गीकृत करके रखा जाता है। इन्हें वेबफोलियो भी कहा जाता है।

क्यों हो रहे हैं पॉपुलर

पुस्तकों के मामले में तो हम इन्फॉर्मेशन या डॉक्युमेंट्स का सीमित वर्गीकरण कर पाते हैं, लेकिन इसमें कोई सीमा नहीं। इसमें कितने भी इन्फॉरमेशंस और रिसोर्सेज जोडे जा सकते हैं। वेब आधारित अप-टु-डेट कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम की तरह इसमें यूजर किसी भी तरह की फाइल अपलोड कर सकते हैं, उन्हें फोल्डर में व्यवस्थित कर सकते हैं। यह हर तरह के काम के लिए अलग होता है। स्टूडेंट और इंस्ट्रक्टर के लिए पोर्टफोलियो सिस्टम एक सुविधाजनक और एसेसिबल स्पेस और टूल्स उपलब्ध कराता है। यह स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्वेश्चन, पब्लिश्ड वर्क देता है और उसी रुचि के अन्य स्टूडेंट्स के साथ उसका लिंक भी जोडता है। यानी इसके जरिए एड-हॉक लर्रि्नग कम्युनिटी भी क्रिएट की जा सकती है। यह कहा जा सकता है कि ई-पोर्टफोलियो सिस्टम का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पोर्टफोलियो सर्विसेज के लिए अहम है। वहीं स्टूडेंट्स व लर्नर भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं। इसके जरिए स्टूडेंट्स अपनी इंडिविजुअल ग्रोथ, करियर प्लानिंग और सीवी बिल्डिंग की अच्छी समझ हासिल कर सकते हैं।

विदेश के बाद अब भारत में ई-पोर्टफोलियो का चलन विकसित हो रहा है। इन दिनों कई यूनिवर्सिटीज, मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशन और बिजनेस स्कूल इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री और डिप्लोमा प्रोग्राम ऑफर कर रहे हैं। पोर्टफोलियो कोर्सेज आमतौर पर फाइनेंस और एकाउंटिंग प्रोफेशनल्स, जैसे सीएफए, सीए, सीडब्लूए, सीएस और एमबीए वगैरह के लिए फायदेमंद है। सीएफए, सीए, सीडब्लूए, सीएस,सीएआईआईबी, सीटीएम, सीआईबी इत्यादि कर रहे और इनवेस्टमेंट और बैंकों के ट्रेजरी डिपार्टमेंट और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में काम कर रहे प्रोफेशनल्स के लिए भी यह बेहतर करियर ऑप्शन हो सकता है। इस संबंध में एक्सपर्ट का मानना है कि कॉमर्स, इकोनॉमिक्स, मैथमैटिक्स, स्टैटिस्टिक्स और मैनेजमेंट की बैकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में एक्सेलेंट करियर बना सकते हैं।

आज इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है के क्षेत्र में बहुत सी जॉब्स उपलब्ध हैं। किसी भी ऑर्गनाइजेशन में पोर्टपोलियो मैनेजर मूल रूप से कंपनी की ओर से चल रहे पोर्टफोलियो टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्स को मैनेज करने का उत्तरदायित्व निभाता है। यूजर्स की जरूरतों और उन्हें पूरा क रने के डेवलपिंग प्रोग्राम्स और भविष्य की टेक्नोलॉजी को परिभाषित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो और ओवरऑल ग्रोथ के प्रति भी जिम्मेदार होता है। आमतौर पर पोर्टफोलियो मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वह पोर्टफोलियो से संबंधित क्षेत्र के सब्जेक्ट मैटर का विशेषज्ञ हो। वह फर्म के कस्टमर रिलेशनशिप मैनेज करने वाले स्टाफ से को-आर्डिनेट करता है। यदि आप भी इसमें करियर बनाना चाहते हैं, तो इससे संबंधित संस्थानों से जुडकर बेहतर करियर संभावनाएं तलाश सकते हैं।

पर्सनल वर्कप्लेस, जहां कोई भी व्यक्ति लिख सकता है और टेक्स्ट बेस्ड इन्फॉर्मेशन, लिंक्स, डिजिटल इमेज और ऑडियो वीडियो क्लिप्स को पब्लिश कर सकता है (वैसे ही, जैसे ब्लॉग में किया जाता है)।

दूसरों को इसमें ऑप्शनली सुविधा हासिल होती है कमेंट देने की और कंटेंट में कुछ जोडने की (जैसे, विकीपीडिया)।

अपनी रुचि के दूसरे लर्नर या एजुकेटरों तक नेटवर्रि्कग के जरिये पहुंचने की सुविधा, जानकारी के आदान-प्रदान और रिलेटेड टॉपिक्स पर लिखने की सुविधा।

कंटेंट को पब्लिश करने या बांटने के कई तरीकों के टूल्स, जैसे न्यूजलेटर्स, ईमेल्स, आरएसएसफीड, एल‌र्ट्स वगैरह।

टैग देकर उन्हें वर्गीकृत करने, कंटेंट क्रिएट, कलेक्ट और पब्लिश करने के फीचर्स।

फंड मैनेजर क्या है? | Fund Manager meaning in Hindi

एक फंड मैनेजर एक फंड की निवेश रणनीति को लागू करने और उसके पोर्टफोलियो ट्रेडिंग गतिविधियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। फंड को एक व्यक्ति द्वारा, दो लोगों द्वारा सह-प्रबंधक के रूप में, या तीन या अधिक लोगों की टीम द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है।

फंड प्रबंधकों को उनके काम के लिए एक शुल्क का भुगतान किया जाता है, जो प्रबंधन (एयूएम) के तहत फंड की औसत संपत्ति का एक प्रतिशत है। उन्हें म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड, ट्रस्ट फंड और हेज फंड के साथ फंड मैनेजमेंट में काम करते हुए पाया जा सकता है।

फंड मैनेजर क्या है?
फंड मैनेजर क्या है?


फंड में निवेश करने से पहले निवेशकों को फंड मैनेजरों की निवेश शैली की पूरी तरह से समीक्षा करनी चाहिए।

फंड मैनेजर क्या है? | What is Fund Manager

फंड मैनेजरों को समझना | Understanding Fund Manager

किसी फंड में निवेश करने का मुख्य लाभ पेशेवरों को निवेश प्रबंधन के फैसलों पर भरोसा है। इसीलिए फंड मैनेजर निवेश और वित्तीय दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे निवेशकों को मन की शांति प्रदान करते हैं, यह जानते हुए कि उनका पैसा एक विशेषज्ञ के हाथों में है।

जबकि फंड का प्रदर्शन बाजार की ताकतों के साथ बहुत कुछ कर सकता है, प्रबंधक के कौशल भी एक योगदान कारक हैं। एक उच्च प्रशिक्षित प्रबंधक अपने प्रतिद्वंद्वियों और उनके बेंचमार्क इंडेक्स को हराने के लिए अपने फंड का नेतृत्व कर सकता है। इस तरह के फंड मैनेजर को एक सक्रिय या अल्फा मैनेजर के रूप में जाना जाता है, जबकि बैकसीट अप्रोच लेने वालों को निष्क्रिय फंड मैनेजर कहा जाता है।

फंड मैनेजर आम तौर पर म्यूचुअल फंड या पेंशन की देखरेख करते हैं और उनकी दिशा का प्रबंधन करते हैं। वे निवेश विश्लेषकों की एक टीम के प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार हैं। इसका मतलब है कि फंड मैनेजर के पास एक शानदार व्यवसाय, गणित और लोगों का कौशल होना चाहिए।

फंड मैनेजर के मुख्य कर्तव्यों में उसकी या उसकी टीम के साथ-साथ मौजूदा और संभावित ग्राहकों के साथ बैठक शामिल है। चूँकि फंड मैनेजर फंड की सफलता के लिए जिम्मेदार होता है, उसे भी कंपनियों पर शोध करना चाहिए, और वित्तीय उद्योग और अर्थव्यवस्था का अध्ययन करना चाहिए। उद्योग में रुझानों पर अद्यतित रहने से कोष प्रबंधक को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलती है जो निधि के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।

फंड में निवेश करने से पहले, निवेशकों को फंड मैनेजर की निवेश शैली की समीक्षा करनी चाहिए कि क्या यह उनके स्वयं के साथ संगत है।

धन प्रबंधन का मार्ग | Wealth management route

फंड प्रबंधन में स्थिति के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए- म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड, ट्रस्ट फंड या हेज फंड- व्यक्तियों के पास उच्च स्तर की शैक्षिक और व्यावसायिक साख और उचित निवेश प्रबंधकीय अनुभव होना चाहिए। निवेशकों को एक फंड मैनेजर के साथ दीर्घकालिक, लगातार फंड प्रदर्शन के लिए देखना चाहिए, जिसका फंड फंड के कार्यकाल के साथ उसके प्रदर्शन की अवधि से मेल खाता पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है है।

अधिकांश फंड मैनेजर अक्सर एक चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषकों (सीएफए) पदनाम का पीछा करते हैं जो एक पोर्टफोलियो के लिए हेड स्टॉक-पिकर बनने में पहला कदम है। सीएफए उम्मीदवार निवेश विश्लेषण और पोर्टफोलियो प्रबंधन से संबंधित कठोर शोध से गुजरते हैं।

आमतौर पर, ये विश्लेषक निवेश विचारों और उसके बाद की सिफारिशों को खरीदने, बेचने या होल्ड करने के लिए व्यक्तिगत शोध के साथ पोर्टफोलियो प्रबंधकों की सहायता करते हैं। फंड के लिए कई वर्षों तक काम करने के बाद, करियर पथ में फंड संचालन और प्रबंधन शैली सहायता के साथ परिचित। सफल सीएफए प्रबंधक के लिए आंतरिक पदोन्नति के लिए एक गुणवत्ता के मामले का निर्माण करते हैं यदि अवसर उत्पन्न होता है।

फंड मैनेजरों की जिम्मेदारियां | Fund managers responsibilities

फंड मैनेजर मुख्य रूप से प्रॉस्पेक्टस में उल्लिखित फंड की रणनीति को फिट करने के लिए सबसे अच्छा स्टॉक, बॉन्ड या अन्य प्रतिभूतियों पर शोध करते हैं और निर्धारित करते हैं, फिर उन्हें खरीदते और बेचते हैं।

बड़े फंडों में, फंड मैनेजर के पास आमतौर पर विश्लेषकों और व्यापारियों का एक सहायक स्टाफ होता है जो इनमें से कुछ गतिविधियों का प्रदर्शन करते हैं। कुछ निवेश कंपनियों के कई प्रबंधक क्लाइंट मनी की देखरेख करते हैं, और प्रत्येक भाग के लिए जिम्मेदार हो सकता है या समिति के माध्यम से निर्णय ले सकता है।

फंड मैनेजर की कुछ अन्य जिम्मेदारियों में रिपोर्ट तैयार करना शामिल है कि फंड ग्राहकों के लिए कितना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, फंड के जोखिम और उद्देश्यों को जानने के लिए संभावित ग्राहकों के लिए रिपोर्ट विकसित कर रहा है, और ग्राहकों और कंपनियों की पहचान कर रहा है जो क्लाइंट के रूप में अच्छी तरह से फिट हो सकते हैं।

प्रमुख बिंदु | Keypoints

एक फंड मैनेजर एक फंड की पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है निवेश रणनीति को लागू करने और उसकी व्यापारिक गतिविधियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है।

वे म्यूचुअल फंड या पेंशन की देखरेख करते हैं, विश्लेषकों का प्रबंधन करते हैं, शोध करते हैं, और महत्वपूर्ण निवेश निर्णय लेते हैं।

अधिकांश फंड मैनेजर उच्च शिक्षित होते हैं, उनके पास पेशेवर साख होती है, और उनके पास प्रबंधन का अनुभव होता है।

फंड मैनेजर दो श्रेणियों में आते हैं: सक्रिय प्रबंधक और निष्क्रिय प्रबंधक।

सक्रिय बनाम निष्क्रिय प्रबंधक | Active vs passive manager

सक्रिय फंड मैनेजर अपने साथियों और बेंचमार्क इंडेक्स को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। वे प्रबंधक जो बाजार में सक्रिय निधि प्रबंधन अध्ययन प्रवृत्तियों में संलग्न हैं, आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं, और कंपनी की खबरों पर बने रहते हैं।

इस शोध के आधार पर, वे प्रतिभूतियों-स्टॉक, बॉन्ड और अन्य परिसंपत्तियों को खरीदते हैं और बेचते हैं - अधिक रिटर्न में रेक करने के लिए। ये फंड मैनेजर आम तौर पर उच्च शुल्क लेते हैं क्योंकि वे अपनी होल्डिंग में लगातार परिवर्तन करके अपने फंड में अधिक सक्रिय भूमिका निभाते हैं। कई म्यूचुअल फंड सक्रिय रूप से प्रबंधित होते हैं, जो बताते हैं कि उनकी फीस आम तौर पर उच्च क्यों है।

दूसरी ओर, निष्क्रिय फंड मैनेजर, एक बेंचमार्क इंडेक्स में मौजूद ट्रेड सिक्योरिटीज। इस तरह के फंड मैनेजर अंतर्निहित पोर्टफोलियो के रूप में अपने पोर्टफोलियो में एक ही भार डालते हैं। इंडेक्स को बेहतर बनाने की कोशिश करने के बजाय, निष्क्रिय फंड प्रबंधक आमतौर पर इसके रिटर्न को मिरर करने की कोशिश करते हैं। कई एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और इंडेक्स म्यूचुअल फंड को निष्क्रिय रूप से प्रबंधित माना जाता है। इन निवेशों की फीस आम तौर पर बहुत कम होती है क्योंकि फंड मैनेजर की ओर से इसमें बहुत अधिक विशेषज्ञता शामिल नहीं होती है।

उल्लेखनीय म्युचुअल फंड मैनेजर | Notable Mutual Fund Manager

इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित फंड मैनेजरों में से एक ने फिडेलिटी इनवेस्टमेंट्स मैगेलन फंड का संचालन किया। पीटर लिंच ने 1977 से 1990 तक कंपनी के उल्लेखनीय इक्विटी पोर्टफोलियो का प्रबंधन किया। लिंच उन उद्योगों में शेयरों का चयन करने का प्रस्तावक था जिनके साथ वह सबसे अधिक सहज थे। मैगेलन के प्रमुख ने अपने पूरे कार्यकाल में प्रति वर्ष 29% का उल्लेखनीय औसत अर्जित किया, एयूएम $ 20 मिलियन से $ 14 बिलियन तक बढ़ गया।

सबसे लंबे समय तक रहने वाले फंड मैनेजर में से एक 85 वर्षीय अल्बर्ट "अब" निकोलस हैं। निकोलस कंपनी के संस्थापक, अनुभवी पोर्टफोलियो मैनेजर ने 14 जुलाई, 1969 से पांच सितारा मॉर्निंगस्टार निकोलस फंड चलाया है, जो 2014 से 2014 तक प्रत्येक वर्ष एस एंड पी 500 इंडेक्स को सर्वश्रेष्ठ बनाता है।

हेज फंड म्युचुअल फंड से अलग होते हैं उस हेज फंड पोर्टफोलियो में केवल मान्यता प्राप्त निवेशकों से बड़े निवेश न्यूनतम की आवश्यकता होती है। केन ग्रिफिन की गढ़ वैश्विक इक्विटी हेज फंड 2018 में फीस के बाद लगभग 6% वापस आ गई।

2018 तक ग्रिफिन की कुल संपत्ति $ 9.1 बिलियन थी। 1980 के दशक में अपने हार्वर्ड छात्रावास से स्टॉक खरीदना और बेचना, ग्रिफिन ने निजी इक्विटी प्रबंधन की दुनिया में सही जगह छलांग लगाई, 1990 में $ 4 मिलियन के साथ Citadel का शुभारंभ किया।

 फंड मैनेजर क्या है? | Fund Manager meaning in Hindi

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पोर्टफोलियो मैनेजरों का शुल्क लाभ-हानि से जोड़ने का सुझाव

बाजार नियामक सेबी ने सुझाव दिया है कि पोर्टफोलियो मैनेजरों के शुल्क के एक हिस्से को उनके ग्राहकों द्वारा बाजार से कमाये जाने वाले लाभ से जोड़ दिया जाए। अगर इस प्रस्ताव का कार्यान्वयन हुआ तो घाटे वाले.

पोर्टफोलियो मैनेजरों का शुल्क लाभ-हानि से जोड़ने का सुझाव

बाजार नियामक सेबी ने सुझाव दिया है कि पोर्टफोलियो मैनेजरों के शुल्क के एक हिस्से को उनके ग्राहकों द्वारा बाजार से कमाये जाने वाले लाभ से जोड़ दिया जाए।

अगर इस प्रस्ताव का कार्यान्वयन हुआ तो घाटे वाले निवेशकों को और नुकसान से सुरक्षा मिलेगी। बाजार नियामक ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज [पीएमएस] के बारे में परामर्श पत्र जारी कर दिया है।

इसमें सुझाव दिया गया है कि पोर्टफोलियो प्रबंधकों को प्रदर्शन आधारित शुल्क तभी दिया जाए अगर ग्राहक को पूंजी बाजार से लाभ हो। पीएमएस एक पेशेवर सेवा है जो पोर्टफोलियो मैनेजर अपने ग्राहकों को उनके धन के प्रबंधन के लिए देते हैं।

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