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भविष्य अनुबंध

भविष्य अनुबंध

नई प्रतिभूतियां: छात्र ऋण का एक विकल्प

भारत में जैसे-जैसे विद्यार्थियों द्वारा अध्ययन हेतु ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे ऋणों का एनपीए (NPA) होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में मानव पूंजी अनुबंध (Human Capita।Contracts-HCC) विद्यार्थियों के लिये सामान्य ऋण (Debt) का एक अच्छा विकल्प बन गया है।

मानव पूंजी अनुबंध का अर्थ

  • मानव पूंजी अनुबंध उच्च शिक्षा के वित्तपोषण के लिये उपयोग किये जाने वाला नवाचारी वित्तीय साधन या वित्तीय प्रपत्र है।
  • इस प्रकार के अनुबंध में निवेशक द्वारा निवेश की गई राशि का प्रतिफल मुख्य रूप से ऋण लेने वाले विद्यार्थी की भविष्य की आय पर निर्भर करता है।
  • इस प्रकार के अनुबंध से छात्रों के लिये भविष्य का जोखिम कम हो जाता है और इसी कारण यह विद्यार्थियों के लिये ऋण का एक अच्छा विकल्प माना जाता है।

मानव पूंजी अनुबंध (HCC) के लाभ

  • विद्यार्थियों को लाभ:
    • यह विद्यार्थियों के लिये ऋण का अच्छा विकल्प है एवं इससे दिवालियापन तथा NPA खतरा कम होता है।
    • इस अनुबंध में यह भी व्यवस्था होती है कि यदि किसी छात्र को अच्छी नौकरी नहीं मिलती तो उसे किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं करना होगा। साथ ही अनुबंध में निवेशकों के हितों की रक्षा हेतु यह भी प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत यदि किसी विद्यार्थी को अपने क्षेत्र में अधिक सफलता मिल जाती है तो उसे ज़्यादा भुगतान भी करना पड़ सकता है।
    • इसके माध्यम से छात्र भारी वित्तीय बोझ के बिना उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
    • यह पहल शिक्षा बाज़ार की दक्षता में सुधार करने की दिशा में लाभदायक होगा।
    • निवेशकों के लिये यह एक नए प्रकार की परिसंपत्ति है, जिससे भविष्य में अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है।
    • HCC शिक्षा को आकर्षक निवेश के रूप में देखा जा रहा है।
    • यह सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के वित्तपोषण पर किये जा रहे खर्च के बोझ को कम करता है।
    • साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि देश में शिक्षण पर किया गया कोई भी निवेश देश के विकास पर किये गए निवेश के समान ही होता है।
    • यह राज्य को शैक्षिक बजट को बेहतर बनाने का विकल्प प्रदान करता है।
    • उच्च शिक्षा बाजार की दक्षता में सुधार करेगी।

    कैसे कार्य करता है मानव पूंजी अनुबंध (HCC)?

    उदाहरण के लिये आप MBA के छात्र हैं और आप 20 लाख का ऋण लेना चाहते हैं। आप या तो 10% ब्याज दर पर पांच साल का ऋण प्राप्त कर सकते हैं या एचसीसी (HCC) के तहत अगले पांच वर्षों के लिये अपनी कुल आय का 15% भुगतान करने का वादा कर सकतें हैं। इस प्रकार आप अपनी शिक्षा के लिये ऋण प्राप्त कर सकतें हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि आपको कम या अधिक राशि भी प्राप्त हो सकती है। साथ ही भविष्य में जो राशि भुगतान करनी है, वह आपकी आय पर निर्भर करेगी।

    मानव पूंजी अनुबंध (HCC) में निहित मुद्दे:

    • निवेशकों से संबंधित मुद्दे:
      • निवेशकों को निवेश करते समय कानूनी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।
      • निवेशकों द्वारा छात्रों की आय का सही अनुमान लगाना कठिन होगा।
      • छात्र अपनी आय को भुगतान के समय छिपा भी सकतें हैं।
      • निवेशकों को अनुबंधों को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
      • छात्र अपनी आय का कुछ भाग बेचता है अतः यह छात्रों पर नैतिक रूप से प्रभाव डाल सकता है।
      • अन्य प्रकार के विकल्प उपस्थित होने पर छात्र उनका उपयोग कर सकतें हैं।
      • छात्र द्वारा अपनी आय को बेचना, आंशिक गुलामी का भाव उत्पन्न करता है।
      • नीति निर्माताओं भविष्य अनुबंध और उच्च शिक्षा प्रशासकों द्वारा इसके क्रियान्वन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

      निष्कर्ष:

      मानव पूंजी अनुबंध (Human Capita।Contracts-HCC) में निहित चुनौतियों के बाद भी छात्रों द्वारा अपनी शिक्षा को पूरा किया गया है तथा कई उद्योग विकसित हुए हैं। अतः इस प्रकार के नवाचारी वित्तीय साधनों का नए तरीके से स्वागत करना चाहिये जिससे शिक्षा के क्षेत्र में प्रतियोगिता को बढ़ावा मिले व छात्रों के नए अवसर उपलब्ध हों।

      नई प्रतिभूतियां: छात्र ऋण का एक विकल्प

      भारत में जैसे-जैसे विद्यार्थियों द्वारा अध्ययन हेतु ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे ऋणों का एनपीए (NPA) होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में मानव पूंजी अनुबंध (Human Capita।Contracts-HCC) विद्यार्थियों के लिये सामान्य ऋण (Debt) का एक अच्छा विकल्प बन गया है।

      मानव पूंजी अनुबंध का अर्थ

      • मानव पूंजी भविष्य अनुबंध अनुबंध उच्च शिक्षा के वित्तपोषण के लिये उपयोग किये जाने वाला नवाचारी वित्तीय साधन या वित्तीय प्रपत्र है।
      • इस प्रकार के अनुबंध में निवेशक द्वारा निवेश की गई राशि का प्रतिफल मुख्य रूप से ऋण लेने वाले विद्यार्थी भविष्य अनुबंध भविष्य अनुबंध की भविष्य की आय पर निर्भर करता है।
      • इस प्रकार के अनुबंध से छात्रों के लिये भविष्य का जोखिम कम हो जाता है और इसी कारण यह विद्यार्थियों के लिये ऋण का एक अच्छा विकल्प माना जाता है।

      मानव पूंजी अनुबंध (HCC) के लाभ

      • विद्यार्थियों को लाभ:
        • यह विद्यार्थियों के लिये ऋण का अच्छा विकल्प है एवं इससे दिवालियापन तथा NPA खतरा कम होता है।
        • इस अनुबंध में यह भी व्यवस्था होती है कि भविष्य अनुबंध यदि किसी छात्र को अच्छी नौकरी नहीं मिलती तो उसे किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं करना होगा। साथ ही अनुबंध में निवेशकों के हितों की रक्षा हेतु यह भी प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत यदि किसी विद्यार्थी को अपने क्षेत्र में अधिक सफलता मिल जाती है तो उसे ज़्यादा भुगतान भी करना पड़ सकता है।
        • इसके माध्यम से छात्र भारी वित्तीय बोझ के बिना उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
        • यह पहल शिक्षा बाज़ार की दक्षता में सुधार करने की दिशा में लाभदायक होगा।
        • निवेशकों के लिये यह एक नए प्रकार की परिसंपत्ति है, जिससे भविष्य में अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है।
        • HCC शिक्षा को आकर्षक निवेश के रूप भविष्य अनुबंध में देखा जा रहा है।
        • यह सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के वित्तपोषण पर किये जा रहे खर्च के बोझ को कम करता है।
        • साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि देश में शिक्षण पर किया गया कोई भी निवेश देश के विकास पर किये गए निवेश के समान ही होता है।
        • यह राज्य को शैक्षिक बजट को बेहतर बनाने का विकल्प प्रदान करता है।
        • उच्च शिक्षा बाजार की दक्षता में सुधार करेगी।

        कैसे कार्य करता है मानव पूंजी अनुबंध (HCC)?

        उदाहरण के लिये आप MBA के छात्र हैं और आप 20 लाख का ऋण लेना चाहते हैं। आप या तो 10% ब्याज दर पर पांच साल का ऋण प्राप्त कर सकते हैं या एचसीसी (HCC) के तहत अगले पांच वर्षों के लिये अपनी कुल आय का 15% भुगतान करने का वादा कर सकतें हैं। इस प्रकार आप अपनी शिक्षा के लिये ऋण प्राप्त कर सकतें हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि आपको कम या अधिक राशि भी प्राप्त हो सकती है। साथ ही भविष्य में जो राशि भुगतान करनी है, वह आपकी आय पर निर्भर करेगी।

        मानव पूंजी अनुबंध (HCC) में निहित मुद्दे:

        • निवेशकों से संबंधित मुद्दे:
          • निवेशकों को निवेश करते समय कानूनी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।
          • निवेशकों द्वारा छात्रों की आय का सही अनुमान लगाना कठिन होगा।
          • छात्र अपनी आय को भुगतान के समय छिपा भी सकतें हैं।
          • निवेशकों को अनुबंधों को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
          • छात्र अपनी आय का कुछ भाग बेचता है अतः यह छात्रों पर नैतिक रूप से भविष्य अनुबंध प्रभाव डाल सकता है।
          • अन्य प्रकार के विकल्प उपस्थित होने पर छात्र उनका उपयोग कर सकतें हैं।
          • छात्र द्वारा अपनी आय को बेचना, आंशिक गुलामी का भाव उत्पन्न करता है।
          • नीति निर्माताओं और उच्च शिक्षा प्रशासकों द्वारा इसके क्रियान्वन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

          निष्कर्ष:

          मानव पूंजी अनुबंध (Human Capita।Contracts-HCC) में निहित चुनौतियों के बाद भी छात्रों द्वारा अपनी शिक्षा को पूरा किया गया है तथा कई उद्योग विकसित हुए हैं। अतः इस प्रकार के नवाचारी वित्तीय साधनों का नए तरीके से स्वागत करना चाहिये जिससे शिक्षा के क्षेत्र में प्रतियोगिता को बढ़ावा मिले व छात्रों के नए अवसर उपलब्ध हों।

          करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) को जानें

          करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) विक्रेता और खरीदार के बीच एक अनुबंध है, जिसका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति, मुद्रा राशि से लिया जाता है। करेंसी डेरिवेटिव को विदेशी मुद्रा विनिमय दर अस्थिरता (Foreign Currency Exchange Rate Volatility) के खिलाफ किसी भी जोखिम का प्रबंधन करने के लिये सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है।

          मुद्रा डेरिवेटिव क्या हैं?

          • मुद्रा विनिमय दरों के आधार पर डेरिवेटिव भविष्य का एक अनुबंध है जो उस दर को निर्धारित करता है जिस पर किसी मुद्रा को किसी अन्य मुद्रा के लिये भविष्य की तारीख में आदान-प्रदान किया जा सकता है।
          • भारत में भविष्य अनुबंध कोई भी व्यक्ति डॉलर, यूरो, यूके पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के खिलाफ बचाव के लिये ऐसे डेरिवेटिव अनुबंधों का उपयोग कर सकता है।
          • विशेष रूप से आयात या निर्यात करने वाले कॉर्पोरेट इन अनुबंधों का उपयोग किसी निश्चित मुद्रा के जोखिम के खिलाफ बचाव के लिये करते हैं।
          • हालाँकि, इस तरह के सभी मुद्रा अनुबंधों का रुपए में नकद के रूप में निपटारा (cash-settled) किया जाता है, इस साल की शुरुआत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रॉस मुद्रा अनुबंध के साथ-साथ यूरो-डॉलर, पाउंड-डॉलर और डॉलर- येन के साथ व्यापार में भविष्य अनुबंध आगे बढ़ने को कहा है|

          करेंसी डेरिवेटिव के साथ कोई व्यापार कैसे कर सकता है?

          • दो राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज, BSE और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट हैं। मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MSEI) में भी ऐसा ही सेगमेंट है लेकिन BSE या NSE पर इसका अधिक विस्तार देखा गया है।
          • कोई भी ब्रोकर के माध्यम से मुद्रा डेरिवेटिव में व्यापार कर सकता है। संयोग से सभी प्रमुख स्टॉक ब्रोकर भी मुद्रा व्यापार सेवाएँ प्रदान करते हैं।
          • यह इक्विटी या इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग की तरह है और ब्रोकर के ट्रेडिंग एप के माध्यम से किया जा सकता है। यद्यपि डॉलर-रुपए का अनुबंध आकार 1,000 डॉलर है, लेकिन केवल 2-3% मार्जिन देकर व्यापार शुरू किया जा सकता है।

          एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्मों पर ऐसे डेरिवेटिव क्यों शुरू किये गए थे?

          रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक के साथ 1,109 करोड़ रुपये का अनुबंध किया

          नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) रक्षा मंत्रालय ने 1,109 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय वायुसेना के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्धक उपकरण भविष्य अनुबंध के विकास के लिए सार्वजानिक क्षेत्र की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ अनुबंध किया है। मंत्रालय ने इंस्ट्रूमेंटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर रेंज (आईईडब्ल्यूआर) के विकास के लिए इस अनुबंध को भविष्य के युद्ध की तैयारी की दृष्टि से भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक ‘महत्वपूर्ण कदम’ बताया। मंत्रालय ने मंगलवार को कहा, ‘‘भारत के रक्षा मंत्रालय और हैदराबाद की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने आज यहां भारतीय वायुसेना के लिए आईईडब्ल्यूआर के लिए एक अनुबंध

          मंत्रालय ने इंस्ट्रूमेंटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर रेंज (आईईडब्ल्यूआर) के विकास के लिए इस अनुबंध को भविष्य के युद्ध की तैयारी की दृष्टि से भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक ‘महत्वपूर्ण कदम’ बताया।

          मंत्रालय ने भविष्य अनुबंध मंगलवार को कहा, ‘‘भारत के रक्षा मंत्रालय और हैदराबाद की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने आज यहां भारतीय वायुसेना के लिए आईईडब्ल्यूआर के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।’’

          बयान में कहा गया, ‘‘भविष्य की तैयारी के लिए यह अनुबंध भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अनुबंध की कुल लागत 1,109 करोड़ रुपये अनुमानित है।’’

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