आदर्श रणनीति

धन के 5 नियम

धन के 5 नियम
Image Source : FREEPIK Shardiya Navratri 2022

रुपये के नियम को समझें और आगे बढ़ें

रुपये का अपना एक नियम है, ऐसा नियम जिसे व्यक्ति स्कूली शिक्षा और किसी किताबी ज्ञान से नहीं सिख सकता है।

रुपये का अपना एक नियम है, ऐसा नियम जिसे व्यक्ति स्कूली शिक्षा और किसी किताबी ज्ञान से नहीं सिख सकता है। पैसे के नियम को व्यक्ति खुद से ही सिख सकता है। जो रुपये के मूल सिद्घांत को सिख पाने में कामयाब होता है वह अपनी वित्तीय जरूरतों को आसानी से पूरा कर लेता है। वहीं जो रुपये के नियम को समझने से चूक जाता है वह कभी स्वतंत्र रूप से अपनी वित्तीय जरूरतों को हासिल नहीं कर पाता है।

यदि आपकी समस्या पैसा है तो इस मुश्किल का हल पैसे से नहीं हो सकता। क्योंकि जो समस्या है वही हल कैसे साबित हो सकती है। इसलिए पैसे का गुलाम बनने की बजाय उसके मास्टर बनना जरूरी है। वहीं जब व्यक्ति पैसे को अपने नियंत्रण में कर लेता है तो वह वित्तीय स्वतंत्रता के पथ पर अग्रसर हो जाता है। व्यक्ति को स्वयं के अनुभव ही पैसे का सही उपयोग सिखाते हैं। पैसे की बचत और निवेश से ज्यादा आज के दौर में समय की बचत करना महत्वपूर्ण है। बिना किसी अनुभव और वित्तीय जानकारी के अमीर बनने की चाह नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि ऐसे इरादों की नींव अक्सर खोखली होती है। जिसमें व्यक्ति के हाथ में केवल निराशा ही लगती है।

व्यक्ति को हमेशा अपने पैसे के नियंत्रण में रहना चाहिए, कहने का तात्पर्य यहां ये है कि अपनी आय के मुताबिक ही अपने खर्चों को नियंत्रण करना चाहिए। यदि आय कम और खर्च ज्यादा है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति कभी भी वित्तीय स्वातंत्रता को हासिल नहीं कर सकता है। व्यक्ति को कभी भी कोई काम केवल पैसा कमाने के उद्देश्य से ही नहीं करना चाहिए। यदि आप केवल पैसे के लिए काम करते हैं तो कभी अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकते। ऐसा करने वाला व्यक्ति जिंदगी भर अपने वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में ही लगा रहता है।

हमेशा अपनी जरूरतों के मुताबिक ही कोई भी निवेश करें, साथ ही अपनी वित्तीय जरूरतों को समझें और उस हिसाब से ही उसे हासिल करने की रणनीति बनाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो व्यक्ति अपने पैसों का सही उपयोग नहीं कर सकता है। साथ ही पैसे के अच्छे और बुरे व्यवहार को समझना चाहिए। जिस पैसे से मूल जरूरतों की पूर्ति हो, जिससे किया गया निवेश सकारात्मक हो और किए गए निवेश की वैल्यु बढ़ती जा रही है। इसका मतबल ये है कि आपने अपनी मेहनत के पैसों का सही उपयोग किया। लेकिन यदि निवेश के दृष्टिकोण और उसके सही उपयोग को लेकर आपका नजरिया स्पष्ट नहीं है तो ये पैसों का बुरा व्यवहार कहलाएगा। यदि व्यक्ति पैसे के अच्छे और बुरे व्यवहार पर विचार किए बिना केवल मेहनत करता जाता है तो हो सकता है वह कभी भी एक स्वतंत्र वित्तीय वातावरण ना हासिल कर पाए।

इक्विटी, बॉन्ड, कमोडिटी और रियल एस्टेट में किए गए निवेश से व्यक्ति वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। लेकिन इसके भी सही निवेश का ज्ञान निवेशक के पास होना जरूरी है। व्यक्ति का वित्तीय ज्ञान ही उसे वित्तीय रूप से मजबूत और स्वतंत्र बनाता है। पैसों के नियम को अपनी जरूरतों के हिसाब से समझें और जब व्यक्ति ऐसा करता है तो वह देखेगा पैसा ही उसके लिए पैसा बनाता है। वहीं जब व्यक्ति इस नियम से चलता है को वित्तीय रूप से मजबूत और खुशहाल होने से साथ-साथ अपनी आनेवाली पीड़ियों के लिए भी काफी धन जमा कर सकता है।

व्यक्ति को सही वित्तीय नियंत्रण की परिभाषा को समझना चाहिए। वहीं पैसा व्यक्ति के जीवन में दवाई की तरह काम करता है। जी हां दवाई, जिसका कम या ज्यादा डोज आपको को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए वित्तीय संतुलन होना बेहद जरूरी और पैसे का ये संतुलन केवल इसके फ्लो से समझा जा सकता है। ऐसे में पैसे के व्यवहार और इसके फ्लो को समझना काफी आवश्यक है। उसके बाद ही जाकर ही व्यक्ति सही रूप में वित्तीय स्वतंत्रता को हासिल कर सकता है।

धन का सदुपयोग कर जीवन को बनाएं खुशहाल

जीवन निर्वाह के लिए जिस सामग्री की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है वह धन है। धन से ही हम अपने जीवन की सभी शुरुआती आवश्यकताओं, आराम और जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। धन का सदुपयोग कर हमें जीवन को खुशहाल बनाना चाहिए।

धन का महत्व आज के समय में ही नहीं, बल्कि प्राचीन समय से रहा है। धन के बिना न तो कोई यज्ञ होता है न ही कोई अनुष्ठान। जीवन निर्वाह धन के बिना नहीं हो सकता। राष्ट्र की उन्नति एवं समृद्धि का परिचायक धन के 5 नियम भी धन ही है। प्राचीन समय में कहा जाता था कि धन और सरस्वती का वैर है। अर्थात ये दोनों एक स्थान पर इकट्ठे नहीं रह सकते, लेकिन आधुनिक युग में यह सिद्धांत बदल गया है। आज धन और विद्या दोनों साथ-साथ चलते हैं। धनवान व्यक्ति ही अच्छे विद्यालय में अपने बच्चों को शिक्षा दिलवा पाता है। परीक्षा में अच्छे अंक दिलवाने के लिए ट्यूशन लगा देता है। धन की महिमा दिन-प्रतिदिन इसी तरह बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब शिक्षा केवल धनाढय लोगों के लिए रह जाएगी और निर्धन और योग्य छात्र यदि उच्च शिक्षा प्राप्त कर लें तो उन्हें केवल अपवाद कहे जाएंगे।

यह सही है कि धन के अभाव से बड़े-बड़े कार्य रुक जाते हैं, जहां धन की कमी है वहां जीवन निर्वाह करना कठिन हो जाता है। इसलिए हमें धन की सख्त जरूरत है। आज जीवन के लिए धन नहीं रह गया है, धन के लिए जीवन हो गया है। हर आदमी जीवन, भाईचारा, सुख-शांति व ईमान खोकर जिस किसी भी तरह धन कमाने के पीछे पड़ा है। इससे दुनिया में धन नहीं बढ़ा है बल्कि धन का नशा बढ़ा है। धन के लिए पागलपन बढ़ा, इससे दुख बढ़ा, अशांति बढ़ी, वैर और घमंड बढ़ा और हमारी शैतानियत बढ़ी।

यह ठीक है कि धन के बिना हमारा काम नहीं चल सकता, थोड़ा बहुत धन हमें चाहिए, पर जितना चाहिए उसी के पीछे यह सब अनर्थ नहीं हो रहा। अनर्थ वह लोग ही करते हैं जिनके पास चाहिए से अधिक धन है। यहां सवाल यह उठता है कि चाहिए से अधिक धन का लोग क्या करते हैं। क्यों मनुष्य उसके पीछे पागल हो रहा है। जीवन की खुशहाली के लिए विकास जरूरी है और विकास के लिए धन, लेकिन यदि मनुष्य नैतिक मूल्यों को भुलाकर धन कमाता है तो समाज की व्यवस्था खराब हो जाएगी। आजकल गलत तरीके से धन कमाने के लिए मनुष्य भ्रष्टाचार, रिश्वत, गैर कानूनी कार्य, अपहरण, अमीर लोगों की हत्याएं, चोरी आदि अनेक बुरे कार्यो का सहारा ले रहा है जो मानवता के सभी नैतिक मूल्यों और आदर्शो का ह्रास कर रहे हैं। गलत तरीके से मनुष्य कम समय और प्रयासों में धन तो प्राप्त कर लेता है, लेकिन वह धन अधिक समय तक उसके पास नहीं रहता। जो व्यक्ति मानवता के सभी नियमों का पालन करके सही तरीकों से धन कमाते हैं वे चाहे कम ही धन कमाते हैं परंतु वह धन बहुत लंबे समय तक प्रयोग में आता है और वे व्यक्ति एक दिन समाज के उच्च सम्मानित व्यक्ति बनते हैं।

धन के महत्व को ध्यान में रखते हुए आज प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वे धन को सही राह पर चलकर कमाएं और उसका सदुपयोग करें। हम नहीं जानते कि हमारे ऊपर कब कौन-सी आपदा आ जाए, जिसके कारण हमें धन की आवश्यकता पड़े। इसलिए हमें चाहिए कि हम कुछ धन अवश्य उस वक्त के लिए बचाकर रखें और उसे व्यर्थ में नष्ट न करें। जो मनुष्य धन का सदुपयोग करते हैं वे सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं। उन्हें धनाभाव का कष्ट नहीं भोगना पड़ता। धन को सही तरीके से कमाने और इसका सदुपयोग करने वाला मनुष्य ही देश की उन्नति में सहयोग दे सकता है। इसलिए हमें इसका महत्व समझते हुए इसका सदुपयोग करना चाहिए।

- अंजु शर्मा, मुख्याध्यापिका गुरु गो¨बद ¨सह स्कूल मंडी।

हर युग में धन के 5 नियम रहा है धन का महत्व

धन का महत्व प्रत्येक युग में छोटे-बड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए अवश्य रहा है। सच तो यह है कि धन के अभाव में व्यक्ति का किसी भी तरह से जीवित रह पाना संभव नहीं हुआ करता। आखिर इतना धन तो हर व्यक्ति को चाहिए ही कि वह अपना व अपने घर परिवार का नि¨श्चत होकर गुजर-बसर कर सके। जीवन जीने के लिए धन एक तरह की अनिवार्यता है। शरीर रहेगा तभी व्यक्ति धर्म-कर्म आदि सभी तरह के पुरुषार्थ कर सकेगा। शरीर की रक्षा के लिए धन के 5 नियम अन्न व वस्त्र आदि आवश्यक हैं तथा उन्हें पाने के लिए धन उतना ही आवश्यक है।

- प्यार चंद सकलानी, शिक्षक गुरु गो¨बद ¨सह पब्लिक स्कूल मंडी।

जरूरतें पूरी करने के लिए पैसे होना जरूरी

जैसे कि कहा गया है कि धन में लक्ष्मी का वास होता है। प्राचीन समय से ही धन का महत्व रहा है। धन प्रत्येक युग में छोटे-बड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक रहा है। धन के बिना जीवित रह पाना प्रत्येक व्यक्ति के लिए मुश्किल है। रोटी, कपड़ा व मकान जैसी प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी करने के लिए धन धन के 5 नियम का होना जरूरी है। कबीर जैसे संत ने भी कहा था कि जीवन जीने के लिए धन एक तरह की अनिवार्यता है। ये सच है कि धन मूल्यवान है। उसकी सभी को जरूरत है पर उसको सबकुछ मान लेना स्वस्थ मन व मस्तिष्क का परिचायक नहीं कहा जा सकता। यह मानवता में स्खलित होकर कदम दर कदम दानवता की ओर अग्रसर होते जाता है।

- हेमलता शर्मा, शिक्षिका गुरु गो¨बद ¨सह पब्लिक स्कूल मंडी।

पैसे की अहमियत को समझने की जरूरत

जीवन में कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें धन से नहीं खरीदा जा सकता। बाकि सारी चीजें पाने के लिए हमें धन की आवश्यकता होती है। हम सब जानते हैं कि पैसा सबकुछ नहीं होता। लेकिन कुछ भी खरीदने के लिए पैसा बहुत महत्वपूर्ण है। हमें अपनी आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पैसे की जरूरत होती है। हमें सामाजिक सुरक्षा के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। धन की आवश्यकता हमारे सभी कार्यो के मूल में है। पैसा सुख तो नहीं है, लेकिन सुख का साधन है। हमें इसकी अहमियत समझनी चाहिए।

- शिप्रा कपूर, शिक्षिका गुरु गो¨बद ¨सह पब्लिक स्कूल मंडी।

धन से जुटाएं उचित साधन

धन का महत्व इसी बात से सिद्ध हो जाता है कि धन के बिना करीब सभी धार्मिक कार्यो को नहीं कर सकते। धन के अभाव में जीवन मुश्किल हो जाता है। जहां यह सत्य है कि धन की बुराइयों को अपनी ओर खींचने की क्षमता अकथनीय है। इस दुविधा को दूर करने के लिए हमारी संस्कृति ने एक मार्ग सुझाया है। यह मार्ग है त्याग का। अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दूसरों की भलाई व ध्यान के लिए धन की सहायता से उचित धन के 5 नियम साधन जुटाएं। किसी साधन का उपयोग करते समय जिस लक्ष्य के लिए उस साधन को जुटाया गया है उस उद्देश्य का हमेशा सामने रखा जाए। उद्देश्य की पूर्ति हो जाने पर उस साधन से किसी तरह का मोह नहीं रखना चाहिए।

- शगुन, छात्रा गुरु गो¨बद ¨सह पब्लिक स्कूल मंडी।

कुछ भी खरीदने के लिए पैसा जरूरी

जीवन में कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जिन्हें धन से नहीं खरीदा जा सकता। हम सब जानते हैं कि पैसा सबकुछ नहीं होता, लेकिन कुछ भी खरीदने के लिए पैसा बहुत जरूरी है। हमें अपनी आधारभूत आवश्यकताओं के लिए धन की जरूरत पड़ती है। हमें बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए धन की जरूरत होती है। हालांकि कुछ समय पहले हमारे देश में खाद्य विपणन व्यवस्था थी जहां पर हम अपनी जरूरत की वस्तुओं या सामान को खरीदने के लिए कोई दूसरी वस्तुओं के माध्यम से भुगतान करते थे, लेकिन अब जमाना बदल गया है। आज कुछ भी खरीदने के लिए पैसा चाहिए।

- चेतना कुमारी, छात्रा गुरु गो¨बद ¨सह पब्लिक स्कूल मंडी।

लोगों की भलाई में हो पैसे का उपयोग

धन की आवश्यकता हमारे सभी कार्यो के धन के 5 नियम मूल में है। बिना धन के हम लगभग कोई भी सामाजिक व धार्मिक कार्य पूर्ण रूप से नहीं कर सकते हैं। इसलिए हमारी संस्कृति में धन के अभाव को बहुत बड़ा अभिशाप माना जाता है। जहां यह सत्य है कि करीब दूसरों की भलाई के कार्यो के लिए धन की आवश्यकता होती है। वहां यह भी सत्य है कि धन की बुराइयों को अपनी ओर खींचने की क्षमता अकथनीय है। इस दुविधा को दूर करने के लिए हमारी संस्कृति ने एक मार्ग सुझाया है और वह है त्याग। अपने धन के 5 नियम शरीर को स्वस्थ रखने व दूसरों की भलाई के लिए धन की सहायता से उचित साधन जुटाए जाएं, लेकिन उनका उपभोग त्याग की भावना से किया जाए।

शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाने से होगी धन की वर्षा, जानें नियम

why should offer rice to lord shiva

भगवान शिव को लोग अपना आराध्य मानते हैं। उन्हें जगकर्ता और दुखहरता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान् शिव सृष्टि का संचालन करने के साथ संहारक भी हैं। वहीं भगवान् शिव को भोलेबाबा भी कहा जाता है क्योंकि वो अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उन्हें पापों से मुक्ति दिलाते हैं। ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शिव पूजन में यदि आप कुछ विशेष उपाय आजमाते हैं तो शिव जी की कृपा बनी रहती है।

ऐसे ही उपायों में से एक है शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाना। हमारे धर्म शास्त्रों में चावल या अक्षत का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। मान्यता है कि भगवान शिव के समक्ष रोजाना चावल के 5 दाने चढ़ाने से धन वृद्धि होती है और घर में सुख सम्पति आती है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ.आरती दहिया जी से जानें अपने आराध्य देव भगवान शिव को कच्चे चावल अर्पित करने के फायदों और नियमों के बारे में।

रोली एवं चावल का इस्तेमाल करें

roli and rice

हमारे हिन्दू धर्म में पूजा करते समय भगवान शिव को रोली, चंदन के साथ चावल भी लगाते हैं। यही नहीं हम पूजा करने वाले जातक को भी रोली के साथ चावल लगाते हैं। हमारी हिंदू संस्कृति में किसी भी शुभ कार्य को करते समय जब हम किसी को तिलक (माथे पर हल्दी का तिलक लगाने का महत्व) लगाते हैं तो साथ में अक्षत लगाने की परंपरा है। इसका मतलब यह होता है कि आपके मान सम्मान में वृद्धि होती रहे, धन की प्राप्ति हो एवं माता लक्ष्मी की कृपा सदा उस व्यक्ति पर बनी रहे। इस कामना से जब भी हम तिलक लगाते हैं तो साथ में अक्षत यानी कच्चे चावल का प्रयोग जरूर करते हैं।

shivling offering rice by Aarti Dahiya

शिवलिंग पर खंडित चावल न चढ़ाएं

अक्षत को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। अक्षत का मतलब होता है जिसका क्षय न हुआ हो। इसलिए खंडित चावल शिवलिंग पर नहीं चढ़ाने चाहिए। हमेशा शिव पूजन साबुत चावल ही चढ़ाने चाहिए। हिन्दू धर्म में चावल का प्रयोग पूजा पाठ में अनिवार्य रूप से किया जाता है।

हमारे देवी देवताओं को भी चावल का भोग लगाया जाता है। जब भी हम माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं या भगवान शिव की पूजा करते हैं तब अक्षत का प्रयोग करते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर पूजा में किसी चीज की कमी रह गयी हो तो उसके बदले अक्षत चढ़ाने से उस चीज की कमी पूरी हो जाती है। शिवलिंग पर अक्षत या कच्चे चावल चढ़ाने से घर में धन के 5 नियम धन की वर्षा होती है। ऐसा माना जाता है कि चावल चढ़ाने से हमारे बुरे दिन ख़त्म होते हैं और अच्छे दिन का आरंभ होता है। इससे हमारे सभी दुःख दूर हो जाते हैं ।

कच्चे चावल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

lord shiva offering rice

शिवलिंग पर रोजाना चावल के 5 दाने चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं एवं अपने भक्तों को धन धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति शिवलिंग पर नियम से अक्षत (भगवान पर अक्षत चढ़ाने का मंत्र) चढ़ाता है उसे धन के 5 नियम धन लाभ होता है।

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अपार धन प्राप्ति के लिए उपाय

वैसे तो परिश्रम करने से धन आता है लेकिन कई बार परिश्रम के बावजूद हमे धन की कमी रहती है। इसके लिए हमारे भाग्य का साथ भी होना आवश्यक है। इसलिए हम कुछ ऐसे उपाय करते धन के 5 नियम हैं जिससे ईश्वर का आशीर्वाद मिल सके। इसमें शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाना भी शामिल है। हर सोमवार को शिवलिंग की विधिवत पूजा करते समय 11 मुट्ठी चावल लें, पूजा करके 1 मुट्ठी चावल शिवलिंग पर चढ़ाएं और बचे चावल को मंदिर में दान कर दें या किसी जरूरतमंद को दान स्वरुप दें। ऐसा यदि आप 7 सोमवार करते हैं तो इससे आप पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है और अकस्मात् धन की प्राप्ति होती है।

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शिव जी पर कच्चे चावल चढ़ाना कई तरह से लाभकारी होता है और घर की सुख समृद्धि के लिए मुख्य रूप से फलदायी होता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Navratri 2022 : इस बार नवरात्रि पर घर में जरूर लाएं ये 5 चीजें, माता रानी रहेंगी प्रसन्न और नहीं होगी धन की कमी

Shardiya Navratri 2022 : आइए जानते हैं आखिर कौन सी वो चीजें है जिन्हें नवरात्रि के दौरान घर पर लाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं।

Sushma Kumari

Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published on: September 25, 2022 20:55 IST

Shardiya Navratri 2022- India TV Hindi News

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Highlights

  • इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही है।
  • हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व माना गया है।

Shardiya Navratri 2022 : इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व माना गया है। इस दिन से लेकर पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाएगी। ये नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होकर 5 अक्टूबर तक चलेंगे। नवरात्रि में माता की उपासना के दौरान पूजा-पाठ और व्रत बहुत नियमों के साथ किया जाता है। कहा जाता है कि नवरात्र‍ि के दिनों में कुछ चीजें घर लाई जाएं तो मां अपनी भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। आइए जानते हैं आखिर कौन सी वो चीजें है जिन्हें नवरात्रि के दौरान घर पर लाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं।

1. माता रानी के सोलह श्रृंगार का सामान

नवरात्रि के दिनों में घर पर माता रानी के सोलह श्रृंगार का सामान लाकर घर के मंदिर में जरूर रखें। ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा सदैव घर पर बनी रहती है।

2. सोने-चांदी का सिक्का

नवरात्रि के दिनों में घर पर सोने या चांदी का सिक्का लाना बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन अगर इन सिक्कों पर माता लक्ष्मी या भगवान गणेश की चित्र बना हुआ हो तो ये और भी शुभ माना जाता है। इससे आप पर मां लक्ष्मी के साथ-साथ मां दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहेगी।

3. केले का पौधा

नवरात्रि के दौरान घर के आंगन में केले का पौधा लगाना चाहिए और रोजाना इस पौधे का पूजा करके इस पर जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही गुरुवार के दिन केले के पौधे पर दूध भी चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से घर में पैसों की दिक्कत दूर होती है।

4. मोर पंख

शास्त्रों में मोर पंख को काफी शुभ माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, मोर पंख मां सरस्वती का प्रिय होता है। अगर आप इसे नवरात्रि के दिनों में घर लाकर मंदिर में रखेंगे तो इससे आपको कई फायदे मिलेंगे। वहीं विद्यार्थियों को मोर पंख अपने धन के 5 नियम कमरे में रखना चाहिए इससे उन्हें विद्या की प्राप्ति होती है और अलॉकर के पास मोर पंख रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। साथ ही ये नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाता है।

5. तुलसी का पौधा

यदि आपके घर के आंगन में तुलसी का पौधा नहीं लगा हो तो नवरात्रि के दिनों में इसे अपने घर पर जरूर लगाएं और इसे अच्छी तरह से देखभाल करें। साथ ही घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और धन-दौलत की कभी भी कमी नहीं होती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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धन वापसी की क्या प्रक्रिया है ?

उपभोक्ता को एमसीए 21 सेवाओं की प्राप्ति हेतु कई भुगतान करने आवश्यक होते हैं। ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं जिसमें उपभोक्ता ने विभिन्न भुगतान या गलत भुगतान या अधिक भुगतान इन सेवाओं के प्रयोग के समय किए थे। हितधारकों को ऐसे भुगतानों की वापसी की अनुमति देने के लिए कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने कम्पनी और एलएलपी दोनों को धन वापसी प्रक्रिया की शुरुआत की थी। अनुमोदित धनवापसी प्रक्रिया देखने के लिए यहां क्लिक करें।

मैं धन वापसी के दावे के लिए कैसे आवेदन कर सकता हूं ?

आपको धन वापसी के दावे के लिए एमसीए पोर्टल 21 पर उपलब्ध ‘धनवापसी प्ररूप’ को दाखिल करना होगा।

किन परिस्थितियों में एमसीए 21 फीस की वापसी होगी ?

एमसीए 21 फीस की धनवापसी निम्नलिखित मामलों में होगी :

क) एकाधिक भुगतान – इसमें वे मामले शामिल हैं जिनमें सेवा मांगने वाला एकाधिक ई-प्ररूप सं. आईएसी-2/आईएनसी-7/ आईएनसी-29/पुराना प्ररूप-1/ ई-प्ररूप-2 एलएलपी या ई प्ररूप सं. एसएच-7/ पुराना प्ररूप- 5/ ई प्ररूप-3 एलएलपी दायर करते हैं और एक ही सेवा के लिए एक से अधिक बार भुगतान करते हैं। हालांकि अनुमोदित ई-प्ररूपों के संबंध में धनवापसी की अनुमति नहीं दी जाएगी।

ख) गलत भुगतान – इसमें वे मामले शामिल हैं जहां सेवा मांगने वाले ने विविध फीस सुविधा भुगतान के अधीन गलत विकल्प के जरिए ई-प्ररूप के संबंध में या स्टाम्प शुल्क के जरिए किया है।

ग) अधिक भुगतान – इसमें वे मामले शामिल हैं जहां अधिक शुल्क का भुगतान सेवा मांगने वाले के द्वारा ई-प्ररूप में गलत डाटा भरने के कारण या एमसीए 21 प्रणाली में लीगेसी प्रणाली से डाटा हस्तांतरण के कारण गलत डाटा भरा है।

घ) एनईएफटी द्वारा गलत भुगतान – धन की वापसी मामलों में ऐसे मामले भी शामिल है जहां एनईएफटी के जरिए गलत भुगतान किया गया है, अर्थात् :-

i. स्टाम्प ड्यूटी फीस का भुगतान उस खाते में जो एमसीए फाइलिंग फीस के रूप में जाना जाता है।

ii. एमसीए फाइलिंग फीस का भुगतान उस खाते में जो स्टाम्प ड्यूटी फीस के रूप में जाना जाता है।

iii. एसआरएन की तारीख समाप्ति के बाद भुगतान।

iv. एकाधिक एसआरएन के लिए एकल समेकित भुगतान।

v. एमसीए-21 प्रणाली में वर्णित राशि से अधिक भुगतान।

vi. एमसीए-21 प्रणाली में वर्णित राशि से कम भुगतान।

vii. बिना एसआरएन सृजन के भुगतान।

क्या मैं स्टाम्प शुल्क के लिए अधिक / गलत भुगतान किए जाने के लिए धन वापसी का दावा कर सकता हूँ ?

जी नहीं, स्टाम्प शुल्क की धन वापसी के लिए आपको संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश से सम्पर्क करना होगा।

मेरी कम्पनी का आमेलन हो चुका है, क्या हस्तांतरिती कम्पनी धन वापसी का दावा कर सकती है ?

जी हां, आमेलन के मामले में हस्तांतरिती कम्पनी द्वारा फाइलिंग की अनुमति दी जाएगी।

किन सभी भुगतानों के लिए धन वापसी प्रक्रिया लागू नहीं है?

धन वापसी प्रक्रिया निम्नलिखित सेवाओं/ई-प्ररूपों के लिए लागू नहीं है :

•दस्तावेजों का सार्वजनिक निरीक्षण

•प्रमाणित प्रतियों हेतु अनुरोध

•स्टाम्प ड्यूटी शुल्क (डी/ई सीरीज़ एसआरएन)

धनवापसी ई-प्ररूप दाखिल करने के लिए क्या मुझे कोई फीस अदा करनी पड़ेगी

धनवापसी प्ररूप दाखिल करने के लिए कोई फीस नहीं है।

धनवापसी ई-प्ररूप को दाखिल करने के लिए क्या कोई समय सीमा है ?

जी हां, धन वापसी प्ररूप को निर्धारित समय सीमा में दाखिल किया जाना चाहिए इसके अतिरिक्त धनवापसी राशि में से धन की कटौती समय अवधि पर आधारित होगी जिसके भीतर धनवापसी ई-प्ररूप को दाखिल किया जाना है।

निम्नलिखित धन के 5 नियम समय सीमा स्तर धन वापसी प्ररूप के लिए और धन वापसी राशि में से संगत धन की कमी है।

समय जिसके भीतर धनवापसी आवेदन किया जाना चाहिए धनराशि को कम करने का मूल्य
0-90 दिवस 2.5%
91-180 दिवस 5%
181- 270 दिवस 7.5%
271-365 दिवस 10%
>365 दिवस 25%
इस अवधि के बाद आवेदन की अनुमति नहीं है। 1095 दिवस

उपरोक्त समय सीमाओं की गणना करने के लिए समय निम्नानुसार शुरू होगा :

i. 30/04/2011 तक सृजित एसआरएन के लिए मांगी गई धन की वापसी (विशिष्ट रूप से नीचे वर्णित मामलों के सिवाय) – 01.05.2011 से

ii. एनईएफटी के जरिए गलत भुगतान के लिए मांगी गई धन वापसी – 22/06/2012 से

iii. एकाधिक भुगतान के लिए मांगी गई धन की वापसी यदि प्ररूप-1 या प्ररूप-5 कम्पनी अधिनियम 1956 के अन्तर्गत दाखिल किया गया है जहां संगत अन्य प्ररूप आईएनसी-7 या एसएच-7 को कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत दाखिल किया गया है – प्रणाली में संशोधित धन वापसी प्रक्रिया के कार्यान्वयन की तिथि से।

iv. एलएलपी अधिनियम, 2008 के अन्तर्गत प्ररूपों के लिए भुगतान की धनवापसी – धन वापसी प्रणाली में संशोधित धनवापसी प्रणाली के कार्यान्वयन की तिथि से या एसआरएन सृजन की तिथि, इनमें से जो भी बाद में हो।

v. कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत दाखिल प्ररूपों के भुगतान के लिए धनवापसी की मांग प्रणाली में संशोधित धनवापसी प्रणाली के कार्यान्वयन की तिथि से या एसआरएन के सृजन की तिथि से, इनमें से जो भी बाद में हो।

vi. कम्पनी विधि बोर्ड या अन्य विनियम प्राधिकरणों से संबंधित भुगतान हेतु मांगी गई धन वापसी प्रणाली में संशोधित धनवापसी प्रक्रिया के कार्यान्वयन की तिथि से या एसआरएन सृजन की तिथि से, इनमें से जो भी बाद में हो।

vii. अन्य मामलों में दावा की गई धनवापसी – एसआरएन (जिसके लिए धनवापसी आवेदन किया गया है) सृजन की तारीख से। .

एनईएफटी द्वारा अदा की गई फीस की वापसी के लिए, कोई कटौती नहीं की जाएगी। हालांकि 1095 दिवस की उपरोक्त सीमा लागू होगी।

धनवापसी प्रक्रिया में धनवापसी अदायगी के विभिन्न तरीके कौन से हैं?

वर्तमान में धनवापसी की अदायगी का तरीका आपके बैंक खाते में सीधा जमा है।

मैंने धन वापसी हेतु ई-प्ररूप सं. आईएनसी 2/आईएनसी 7/आईएनसी 29/पुराना प्ररूप 1/एसएच 7/ पुराना प्ररूप 5/ प्ररूप 3 एलएलपी के एकाधिक भुगतान हेतु दाखिल किए हैं, हालांकि वह अस्वीकृत कर दिए गए हैं। क्या मैं दोबारा ई-प्ररूप उसी एसआरएन के संबंध में धनवापसी हेतु दाखिल कर सकता हूँ?

जी हां, अन्य धनवापसी प्ररूप को दाखिल करने की अनुमति है। हालांकि केवल एक अन्य धनवापसी प्ररूप को एक संव्यवहार हेतु अनुमति दी गई है अर्थात् धनवापसी प्ररूप उसी अनुरोध के लिए दो बार अस्वीकृत कर दी गई है तो अन्य धन वापसी प्ररूप को दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

मेरे धनवापसी ई-प्ररूप की स्थिति ऐसे दर्शाई जाती है “धनवापसी के योग्य”, यद्यपि मुझे धनवापसी का चैक प्राप्त नहीं हुआ है। मुझे क्या करना चाहिए?

एक बार धनवापसी का ई-प्ररूप “धनवापसी के योग्य” पाया जाता है तो एमसीए को इसको आपको ई-मेल के जरिए जीएआर 33 प्ररूप के साथ सूचित करना चाहिए। यह जीएआर 33 एमसीए पोर्टल 21 पर “संव्यवहार स्थिति देखें” प्रणाली पर उपलब्ध है।

आपको जीएआर 33 को हस्ताक्षरित कर उसकी प्रति आहरण एवं वितरण अधिकारी, कारपोरेट कार्य मंत्रालय को निम्नलिखित पते पर भेजनी होगी :

श्री शशिराज दारा, उप निदेशक, कारपोरेट कार्य मंत्रालय, कमरा सं. 508ए, 5वीं मंजिल, ए विंग, शास्त्री भवन, डा. राजेन्द्र प्रसाद रोड, नई दिल्ली-110001

जीएसआर 33 की रसीद की प्राप्ति के बाद राशि को अदाता के बैंक खाते में हस्तांतरित कर दी जाएगी।

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