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सिग्नल कैसे काम करते हैं

सिग्नल कैसे काम करते हैं
Signal App Features

सैटेलाइट(उपग्रह) कैसे काम करता है? सैटेलाइट क्या है?

संचार क्रांति के इस युग में सैटेलाइट यानी उपग्रह आज हर आदमी के जीवन का हिस्सा है। हमें अहसास हो, न हो, लेकिन ये सैटेलाइट्स ही हैं जो आज की तेज भागती दुनिया में हमें आपस में कनेक्ट रखते हैं। टेलीकॉम्युनिकेशन, टीवी, रेडियो ब्रॉडकास्टिंग, इंटरनेट आज के जीवन के अनिवार्य हिस्सा हैं और इनका चलना सैटेलाइट के बिना संभव नहीं। आइए जानते हैं, Satellite क्या है? सैटेलाइट(उपग्रह) कैसे काम करता है?

उपग्रह (सैटेलाइट) क्या हैं? सैटेलाइट कैसे काम करते हैं – about Satellite in Hindi

सैटेलाइट यानी उपग्रह मानवनिर्मित वस्तु हैं जो अंतरिक्ष में एक निश्चित ऊंचाई से सिग्नल कैसे काम करते हैं धरती के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। जिस तरह चांद धरती की परिक्रमा करता है, उसी तरह ये भी करते हैं। चांद को धरती का नेचुरल सैटेलाइट कहा जाता है। उसी तरह, सैटेलाइट को मानवनिर्मित चांद सिग्नल कैसे काम करते हैं कह सकते हैं। सैटेलाइट, अंतरिक्ष से धरती को देखने वाली आंखों की तरह काम करते हैं, सैटेलाइट अंतरिक्ष में सैंकडों किलोमीटर की ऊंचाई से काम करने वाले संचार टॉवरों के तरह काम करते हैं।

सैटेलाइट(उपग्रह) कैसे काम करता है -सैटेलाइट(उपग्रह) क्या काम करता है

सैटेलाइट को रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में पहुंचाया जाता है। जिस गति से रॉकेट सैटेलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाता है लगभग उसी गति से सैटेलाइट पृथ्वी के चक्कर लगाता है। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण सैटेलाइट की गति संतुलित रहती है और वह पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमण करता है। अन्यथा, वह सीधी रेखा में अंतरिक्ष में दूर निकल जाएगा।

सैटेलाइट में लगे उपकरणों को काम करने के लिए सौर ऊर्जा से बिजली मिलती है। इसके लिए सैटेलाइट पर सोलर पैनल लगे होते हैं।

सैटेलाइट(उपग्रह) क्या काम करते हैंं?

सैटेलाइट मुख्य रूप से दो कामों के लिए अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं- पृथ्वी की तस्वीरें खींचने और टेलीकम्युनिकेशन के सिग्नलों को धरती पर प्रसारित करने।

पृथ्वी की तस्वीरें खींचने वाले सैटेलाइट्स उनमें लगे हाई रेजॉल्यूशन के पावरफुल कैमरों की मदद से धरती की तस्वीरें खींचकर धरती पर स्थित रिसीविंग स्टेशन को भेजते हैं। इन उपग्रहों की मदद से ही मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है; धरती की स्थलाकृति के बारे में पता चलता है; मैपिंग (नक्शा निर्माण) में मदद मिलती है; बाढ़, सूखा, जंगल की आग, वनों की कटाई आदि की सटीक जानकारी मिलती है। ऐसे सेटेलाइट्स की मदद से अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की चौकसी और सीमापार की गतिविधियों पर भी नजर रखी जाती है।

कम्युनिकेशन सैटेलाइट (संचार उपग्रह) पृथ्वी पर टेलीकम्युनिकेशन में मदद करते हैं। इनकी मदद से ही हम टेलीविजन देख पाते हैं और मोबाइल फोन में जीपीएस और नेविगेशन सिस्टम का उपयोग कर पाते हैं। ऐसे सैटेलाइट पृथ्वी के ऊपर अंतरिक्ष में एक निर्धारित ऊंचाई पर स्थापित किए जाते हैं। संचार उपग्रह जियोस्टेशनरी कक्षाओं में (36,000 किमी या उससे ऊपर) स्थापित किए जाते हैं। ये धरती के ऊपर एक जगह पर स्थिर रहते हैं क्योंकि इनकी परिक्रमण गति (revolution speed) पृथ्वी की घूर्णन गति के बराबर होती है।

कम्युनिकेशन सैटेलाइट में सिग्नल रिसीव करने और उन्हें प्रसारित करने के सिस्टम ट्रांसपॉन्डर कहलाते हैं। एक सैटेलाइट पर कई ट्रांसपॉन्डर्स लगे होते हैं जो अलग-अलग प्रसारण चैनलों को सपोर्ट करते हैं। धरती के प्रसारण केंद्रों से भेजे जाने वाले सिग्नल को रिसीव करने के बाद ये सैटेलाइट्स उन्हें फिर धरती पर प्रसारित कर देते हैं। जैसे कोई संचार टावर होता है धरती पर- ये टावर जितने ऊंचे होंगे उनसे उतने ही बड़े एरिया तक संचार सिग्नल प्रसारित किए जा सकते हैं।

कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स ऐसे ही टावरों की तरह काम करते हैं। अंतरिक्ष में बहुत ऊंचाई पर होने के कारण इनसे प्रसारित सिग्नल धरती पर लगाए गए किसी भी टावर की मुकाबले धरती के बहुत बड़े क्षेत्रफल को कवर करते हैं। धरती के चारो ओर स्थापित ऐसे 20 से अधिक सैटेलाइट्स की मदद से पूरी धरती पर सिग्नल प्रसारित किए जा सकते हैं। सैटेलाइट्स की मदद से संपूर्ण धरती पर संचार की ऐसी व्यवस्था जीपीएस (सिग्नल कैसे काम करते हैं GPS) यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम कहलाती है। हमारे मोबाइल फोन का या अन्य नेविगेशन सिस्टम इसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के आधार पर काम करता है।

सैटेलाइट धरती का परिक्रमण ऊंचाई के आधार पर तीन तरह की अलग-अलग कक्षाओं में करते हैं। पहली, सबसे निचली कक्षा- लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) कहलाती है जिसकी ऊंचाई 160 किमी से 1600 किमी के बीच होती है। दूसरी कक्षा होती है Medium Earth Orbit जिसकी ऊंचाई 10,000 से 20,000 किमी के बीच होती है। तीसरी कक्षा, जियोस्टेशनरी (भूस्थैतिक) या जियोसिंक्रोनस (भूतुल्य) कक्षा [geostationary or geosynchronous orbit] कहलाती है जिसकी ऊंचाई लगभग 36,000 किमी या उससे अधिक होती है।

काम के अनुसार सैटेलाइट सिग्नल कैसे काम करते हैं दो प्रकार के होते हैं – (i) रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट (ii) कम्युनिकेशन सैटेलाइट

वजन के अनुसार सैटेलाइट्स कई प्रकार के होते हैं, जैसे-

1 kg से कम वजन के सैटेलाइट पीको सैटेलाइट
1 kg से लेकर 10 kg तक के नैनो सैटेलाइट
10 kg से लेकर 100 kg तक के माइक्रो सैटेलाइट
100 kg से लेकर 500 kg तक के मिनी सैटेलाइट
500 kg से लेकर 1000 kg तक के मीडियम सैटेलाइट
1000 kg से अधिक वजन के लार्ज सैटेलाइट कहलते हैं।

Signal App Kya Hai, सिग्नल ऐप के फीचर्स कैसे हैं, और हर कोई इसका उपयोग क्यों कर रहा है?

Signal App Kya hai

आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं की Signal App Kya hai , इसके फीचर्स कैसे हैं और हर कोई इसका उपयोग क्यों कर रहा है। आज के समय में signal App काफी पॉपुलर हो रहा है और आपने इसके बारे में कई लोगों से या अन्य माध्यमों से सुना भी होगा। यदि आप इसके बारे में विस्तार से जानकारी चाहते हैं तो आप सही पोस्ट पढ़ रहे है। तो चलिए विस्तार में जानते है सिग्नल ऐप्प क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में।

आपलोगो को तो पता ही होगा की अभी हाल ही में व्हाट्सप्प ने अपनी सिक्युरिटी और प्राइवेसी पालिसी में बदलाव किया है जिसके कारण आपको व्हाट्सप्प की तरफ से एक पॉपअप मैसेज आ रहा होगा जहाँ पर यूजर को इसपर एग्री करना होता है. एक बार आपने Agree कर लिया तो आपने उनके टर्म्स एंड कंडीशन को स्वीकार कर लिया.

सिग्नल ऐप् के निर्माण की शुरुआत 2013 में मॉक्सी मार्लिनस्पाइक द्वारा की गई थी लेकिन इसकी लॉन्चिंग 10 जनवरी 2018 को किया गया था।

Signal app भी व्हाट्सऐप और टेलेग्रामम की तरह एक मैसेजिंग ऐप है जो कि WhatsApp का एक alternative मेसेजिंग application है। सिग्नल ऐप्प को Android Devices के अलावा आप इसको ios यानि Apple Device, मैक और विंडो डिवाइस में भी यूज़ कर सकते हैं।

जितने तरह का Features आपको WhatsApp में मिलते है वो सभी तरह के Features आप Signal App में भी पाएंगे। तभी तो यूजर या उपयोगकर्ता बहुत ही कम समय में सिग्नल ऐप्प को पसंद करने लगे हैं और इसकी Download भी काफी बढ़ गयी है। सिर्फ भारत में ही जनवरी-फ़रवरी 2021 में मात्र 1 महीने में करीब 45 मिलियन Downloads हुए है।

Whatsapp Ki New Privacy Policy से यूजर को क्या नुक्सान है, जिसकी वजह से लोग Signal app की ओर पलायन कर रहे हैं?

Whatsaap के नए पालिसी के अनुसार आपके मैसेज या chat के Data EnCrypted नहीं रह पाएंगे यानी आपका डाटा अब सुरक्षित नहीं रहेगी. यही वजह है कि लोगों में अपनी डाटा की सुरक्षा को लेकल चिंताएं बढ़ गयी हैं

इसलिए हरेक व्यक्ति को ये अधिकार है कि वो अपनी Security and Privacy की रक्षा करे. और करे भी क्यों नहीं, कोई भी अपना डाटा किसी के साथ शेयर क्यों करे . लोगों की यही चिंता उनको सिग्नल ऐप्प की तरफ खींचता है जो कि Whatsapp के Alternative एप्लीकेशन के रूप में आज मार्किट में ट्रेंड कर रहा है.

अगर हम Whatsapp की नई Privacy Policy की बात करे तो व्हाट्सप्प का कहना है कि वो अपने यूज़र्स के प्राइवेट डेटा का इस्तेमाल सिग्नल कैसे काम करते हैं अपने व्यापार को और बढ़ाने के लिए उपयोग कर सकती है। यहाँ तक की वो अपने एक और प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भी आपका डेटा बिज़नेस के लिए इस्तेमाल कर सकती है . जबकि Whatsapp के विकल्प सिग्नल ऐप्प का टैगलाइन ही निजी सुरक्षा का है. Signal App का टैगलाइन है ‘Say Hello to Privacy’. ऐसे में यह उसेर्स के लिए निजी डेटा सुरक्षा का आश्वासन मिल जाता है तो निश्चित है कि इस ऐप की तरफ यूज़र्स झुकाव बढ़ेगा जो कि किसी भी यूज़र्स के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है।

यही वजह है की आजकल बड़ी संख्या में उपयोकर्ता निराश हैं और वो Signal जैसे कम पॉपुलर और Telegram जैसे मैसेजिंग प्लेटफार्म पर पलायन कर रहे हैं। इन्ही घटनाक्रम के बीच दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और Tesla के सीईओ Elon Musk ने भी एक ट्वीट कर के Signal App के इस्तेमाल करने की सलाह दे डाली है।

Elon Musk सिग्नल कैसे काम करते हैं Tweet Use Signal App

Signal app Kya Hai Elon Musk Tweet use Signal

Elon Musk Tweet

लेख-सूचि

सिग्नल ऐप्प क्या है? और सिग्नल ऐप को किसने बनाया?

Whatsapp की New Privacy पालिसी क्या है, इससे यूजर को क्या नुक्सान है ?

सिग्नल ऐप्प के फीचर्स कैसे हैं और यह कैसे काम काम करता है ?

सिग्नल ऐप्प के फीचर्स कैसे हैं और यह कैसे काम काम करता है ?

Main features Of Signal App in Hindi

सिग्नल ऐप को किसने बनाया? Who is the Owner of Signal App

सिग्नल एक मैसेजिंग ऐप है, जो iPhone, iPad, Android, Windows, Mac और Linux के लिए उपलब्ध है। ऐप को Signal Foundation और Signal Messenger LLC द्वारा विकसित किया गया है और यह एक गैर-लाभकारी कंपनी है। सिग्नल ऐप को Moxie Marlinspike, American cryptographer और वर्तमान में सिग्नल मैसेंजर के सीईओ द्वारा बनाया गया था।

वहीँ सिग्नल फाउंडेशन को Whatsapp के सह-संस्थापक ब्रायन एक्टन और मारलिंस्पाइक ने बनाया था। 2017 में व्हाट्सएप को छोड़ने वाले एक्टन ने सिग्नल की मदद के लिए लगभग 50 मिलियन डॉलर कि फंडिंग लगाए हैं।

सिग्नल ऐप् (Signal App) के फीचर्स कैसे हैं, और यह कैसे काम काम करता है ? Features Of Signal App

Signal app kya hai ये जानने के बाद अब हम ये जानते हैं की सिग्नल ऐप्प के फीचर्स क्या क्या हैं What are the Features Of Signal App ?

Main features Of Signal App in Hindi

सिग्नल एप्प के फीचर्स

Signal App ke Features

Signal App Features

1. WhatsApp की तरह आप सिग्नल ऐप्प में भी ग्रुप बनाकर अपने दोस्तों और फैमिली के साथ Chat कर सकते हैं.

सिग्नल ऐप के माध्यम से आप सीधे किसी को भी ग्रुप में एड नहीं कर पाएंगे, यदि आप किसी व्यक्ति को ग्रुप में जोड़ना चाहते हैं तो आप ग्रुप ऐड प्रोसेस करेंगे, तो पहले एक नोटिफिकेशन जाएगा, फिर अगर वो चाहेंगे यानि Approve करेंगे तभी आप उन्हें अपने ग्रुप में एड कर पाएंगे। इस ऐप के माध्यम से आप ग्रुप के किसी भी Chat को Delete For Everyone के जरिए सभी मेंबर के लिए डिलीट करने का भी फीचर है।

2. सिग्नल app कंपनी ये दावा करती है कि आप Media File को भी अपने दोस्तों के साथ सुरक्षित गोपनीयता के साथ शेयर कर सकते है. यहाँ पर अच्छी बात यह है कि Signal कभी भी आपके डाटा को अपने सर्वर पर Copy नहीं करता है और आपकी Chatting का कोई भी डेटा अपने सर्वर पर स्टोर नहीं करती है। आप जो भी Chatting करते हैं उसकी History आपके फोन में ही save रहती है और अगर किसी कारणवश आपका फोन खराब या जाता है तो आपकी Chatting History भी खत्म हो जाएगी।

3. सिग्नल ऐप्प में एक और सुविधा भी है जिसे Message Disappearing फीचर कहते हैं. इस फीचर से आप प्रत्येक पर्सनल चैट के लिए Message Disappearing सेट कर सकते हैं और 5 सेकंड से एक सप्ताह तक का समय चुन सकते हैं.

3. Hide ”typing…..” Feature

Whatsapp में जब आप Chatting कर रहे होते हैं तो Typing करते समय सिग्नल कैसे काम करते हैं दूसरे यूजर को ‘typing……’ लिखा हुआ आता है। Whatsapp में आप इसको हाईड नहीं कर सकते लेकिन Signal App में आपको यह सुविधा मिलती है कि आप इसको Hide कर सकते हैं।

इसके लिए आपको Settings में जाना है फिर ▶ Privacy में जाना है और Typing indicators को off कर देना है। इससे सामने वाले को पता नहीं चलेगा कि आप Type कर रहे हैं या नहीं। लेकिन ये ापर भी लागू होता है और इससे आप भी ये नहीं जान पायेंगे की सामने वाला टाइपिंग कर रहा है या नहीं।

4. Hide Blue Tick Feature – अगर आपको ब्लू टिक फीचर नहीं चाहिए यानि आप चाहते हैं की किसी को पता न चले कि आपने जो मैसेज प्राप्त किया है वो मेसेज आपने देखा है या नहीं तो आप Blue Tick को Hide कर सकते हैं। इसके लिए भी आपको Settings में जाना है फिर ▶ Privacy में जाना है और Read receipts को off कर देना है। लेकिन इससे आप भी ये नहीं देख पायेंगे की सामने वाले ने मेसेज देखा है या नहीं।

5. लेकिन सिग्नल का फोकस पूरी तरह से प्राइवेसी सिग्नल कैसे काम करते हैं पर है. सिग्नल ऐप केवल एंड-टू-एंड एन्क्रिप्श न End to End Encryption की पेशकश करने के बारे में नहीं है, बल्कि सुविधाओं पर समझौता किए बिना, न्यूनतम उपयोगकर्ता डेटा एकत्र करने का विकल्प चुनता है।

6. Status Not Allowed

Whatsapp में Photos और Videos को आप Status में डाल सकते हैं लेकिन Signal App में यह Feature नहीं मिलता है, हो सकता है की Signal App के अगले Updates में यह Feature देखने को मिले।

मैं सिग्नल कैसे काम करते हैं सिग्नल ऐप्प एंड्रॉइड को कैसे अपडेट करूं?

Automatically

Signal ऐप और अपने दूसरे ऐप्स के लिए Automatic अपडेट सेट करने के लिए:

स्टोर निष्पादन ऐप को ऑनलाइन और ऑफलाइन काम करने की आवश्यकता क्यों है

कुछ ऐप्स केवल ऑनलाइन काम करते हैं ("रीयल-टाइम में")। अन्य केवल ऑफ़लाइन काम करते हैं (सिंक्रनाइज़ेशन के साथ)। दोनों मॉडलों के फायदे और कमियां हैं. तो क्यों न दोनों के फायदों का फायदा उठाया जाए?

स्टोर निष्पादन और खुदरा ऑडिट सॉफ़्टवेयर को ऑनलाइन और ऑफलाइन काम करना चाहिए। आइए जानें क्यों।

कनेक्टेड बढ़िया है. जब तक आप कनेक्ट नहीं कर सकते

यहां कुछ स्थितियां हैं जहां उपयोगकर्ता के पास काम करने वाला इंटरनेट कनेक्शन नहीं हो सकता है या नहीं भी हो सकता है।

दूरदराज के क्षेत्रों में

हो सकता है कि जिस क्षेत्र में आप यात्रा कर रहे हों, वहां नेटवर्क या वाई-फाई सिग्नल उपलब्ध न हो। यह दूरस्थ और कम आबादी वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से सच है।

बड़े बॉक्स स्टोर और गोदाम

आप एक बड़े बॉक्स स्टोर, गोदाम या मॉल स्थान का निरीक्षण कर रहे हैं जिसका निर्माण, सामग्री या लेआउट नेटवर्क रिसेप्शन में हस्तक्षेप करता है।

सिग्नल पर नियामक प्रतिबंध

नियामक या सुरक्षा अनुपालन नेटवर्क सिग्नल के उपयोग को प्रतिबंधित करता है। उदाहरण के लिए, नेटवर्क सिग्नल का उपयोग गैसोलीन वितरक के फोरकोर्ट क्षेत्र में कंपनी की नीति के विरुद्ध हो सकता है।

उपलब्ध लेकिन अविश्वसनीय

एक नेटवर्क सिग्नल उपलब्ध हो सकता है लेकिन अविश्वसनीय या रुक-रुक कर होता है। इंटरमीटेंट रिसेप्शन यकीनन किसी भी रिसेप्शन की तुलना में उपयोगकर्ता के लिए अधिक निराशाजनक और निराशाजनक है। कौन बाधित होना चाहता है और उनका डेटा यादृच्छिक समय पर खो जाता है?

आपको ऑनलाइन काम करना पसंद है। आपको ऑफ़लाइन भी काम करने में सक्षम होना चाहिए।

स्टोरों का ऑडिट करने की आपकी क्षमता इंटरनेट रिसेप्शन पर निर्भर नहीं हो सकती है, जो सर्वोत्तम स्थितियों और आदर्श स्थितियों पर निर्भर करती है। वास्तविक दुनिया में, इंटरनेट का उपयोग अपेक्षित है, इसकी गारंटी नहीं है। अपने खुदरा निष्पादन कार्यक्रमों और उपयोगकर्ताओं के लिए, सुनिश्चित करें कि आपका खुदरा ऑडिट और स्टोर निष्पादन सॉफ़्टवेयर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से काम करने में सक्षम है।

अन्य खुदरा निष्पादन संसाधन

को देखें खुदरा निष्पादन श्रेणी ब्रांड मानकों और कार्यक्रमों के खुदरा और आतिथ्य निष्पादन के लिए कैसे-करें और सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए।

एक और बात.

विजेता ब्रांड ब्रांड मानकों को पूरा करते हैं। इसलिए बिंदी आपके संचालन और ब्रांड मानकों को बढ़ावा देने में मदद करता है।

ट्रैफिक सिग्नल से राह पर आए नवाब

ट्रैफिक सिग्नल से राह पर आए नवाब

- चौराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल का दिखने लगा असर, फॉलो कर रहे ट्रैफिक रूल्स - पहले रेड सिग्नल होने पर तोड़े देते थे ट्रैफिक रूल्स - कई चौराहों पर अब नहीं लगाई जा रही ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी [email protected] LUCKNOW: कभी ट्रैफिक रूल्स तोड़ने में अव्वल रहे लखनवाइट्स ट्रैफिक सिग्नल को

- चौराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल का दिखने लगा असर, फॉलो कर रहे ट्रैफिक रूल्स

- पहले रेड सिग्नल होने पर तोड़े देते थे ट्रैफिक रूल्स

- कई चौराहों पर अब नहीं लगाई जा रही ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी

LUCKNOW: कभी ट्रैफिक रूल्स तोड़ने में अव्वल रहे लखनवाइट्स ट्रैफिक सिग्नल को पूरी तरह फॉलो कर रहे हैं। अब यहां पर पहले की तरह आपको ट्रैफिक कंट्रोलर नजर सिग्नल कैसे काम करते हैं नहीं आएंगे। ऐसे में ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने मैन पॉवर का रूख शहर के उन चौराहों की ओर किया है जहां पर ट्रैफिक सिग्नल नहीं लगे हैं या फिर काम नहीं कर रहे हैं। इसकी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने गुरुवार को शहर के विभिन्न चौराहों का रियल्टी चेक किया, पेश है एक रिपोर्ट।

नहीं लगाई जाती किसी की ड्यूटी

स्थान- जवाहर भवन तिराहा,

सिकंदरबाग चौराहे से जवाहर भवन तिराहे के बीच पांच सौ मीटर की दूरी है। जवाहर भवन तिराहे से अशोक मार्ग की तरफ ट्रैफिक मूव करता है। तिराहे पर पहले ट्रैफिक सिपाही की ड्यूटी लगाई जाती थी। अनलॉक वन के बाद यहां ट्रैफिक सिग्नल से ट्रैफिक मूव कराया जा रहा है। लाल बत्ती जलने पर ट्रैफिक रुक गया और ग्रीन सिग्नल पर दौड़ पड़ा।

सिग्नल पर चल रहा था ट्रैफिक

स्थान - कैथेडिल चर्च तिराहा, हजरतगंज

सेंट फ्रांसिस स्कूल से हजरतगंज मार्केट की तरफ जाने वाली रोड पर पहले ना तो कभी ट्रैफिक ड्यूटी लगाई जाती थी और ना ही ट्रैफिक सिग्नल लगे थे। इस रोड पर चलने वाले लोग अपने हिसाब से मार्केट के लेफ्ट व राइड साइड टर्न होते थे। अब यहां पर ट्रैफिक सिग्नल लग गये हैं और इसी के अनुसार ट्रैफिक रन कर रहा है।

यहां भी सजग दिखे लोग

स्थान नाजा तिराहा, हजरतगंज

हजरतगंज के नाजा मार्केट और कैथेडिल चर्च तिराहे की दूरी महज तीन से चार सौ मीटर की होगी। इस तिराहे पर भी तीनों तरफ ट्रैफिक सिग्नल लाइट से रन कर रहा था। सभी सिग्नल का पालन कर रहे थे।

बड़े चौराहे पर भी सिग्नल से दौड़ रहा ट्रैफिक

लोहिया पथ के 1090 चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल पर दौड़ रहा था। चौराहे पर खड़े लोग अपने रूट पर जाने के लिए सिग्नल के ग्रीन होने का इंतजार करते दिखे। पहले पराग बूथ चौराहे पर ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी लगती थी, लेकिन सिग्नल सिग्नल कैसे काम करते हैं की वजह से स्मूथ ट्रैफिक को देखते हुए ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी हटा दी गई है। बैराज से 1090 चौराहे की तरफ जाने वाली रोड पर भी अब ट्रैफिक सिपाही नजर नहीं आता है।

यहां नहीं हो रहा था पालन

स्थान- सीएमएस चौराहा, गोमतीनगर

गोमतीनगर स्थित सीएमएस चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल लगे तो थे, लेकिन यहां पर लोग उसका पालन नहीं कर रहे थे। वह रेड सिग्नल को अनदेखा कर रहे थे।

यहां भी हो रही थी सिग्नल की अनदेखी

स्थान- पत्रकारपुरम चौराहा, गोमतीनगर

पत्रकारपुरम चौराहे पर भी चारों तरफ ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाई गई है। लाइट फिक्स टाइम के साथ रेड, ग्रीन व यलो सिग्नल दे रही है, लेकिन यहां पर भी लोग ट्रैफिक लाइट की अनदेखी करते नजर आए।

यह हुए इंट्रीगे्रटेड ट्रैफिक सिग्नल के फायदे

बड़े चौराहों पर कम की गई मैन पॉवर

शहर में 511 चौराहे हैं, जिसमें से स्मार्ट सिटी के तहत शहर के करीब 145 चौराहों पर इंट्रीग्रेटेड ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे। इसका यह फायदा हुआ कि शहर के बड़े चौराहे पर ट्रैफिक रन करने के लिए तो ट्रैफिक कंट्रोलर और सिपाही लगाए जा रहे हैं, वहीं छोटे चौराहे पर ट्रैफिक बिना ट्रैफिक कंट्रोलर के सिग्नल पर दौड़ रहा है। जहां पहले बड़े चौराहे पर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए कई लोगों की तैनात की जाती थी, वहीं अब इनकी संख्या में कमी कर दी गई है।

नियमों का कर रहे हैं बखूबी पालन

शहर के कई चौराहे व तिराहे ऐसे हैं जहां न तो ट्रैफिक रूकता था और न ही ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी लगाई जाती थी। अपने हिसाब से चलने वाले ट्रैफिक पर अब ब्रेक लग गया है। इन चौराहों पर भी लोग अब सिग्नल के अनुसार फर्राटा भर रहे हैं। शहर में कई जगह ऐसी भी हैं जहां ट्रैफिक के लोड को कम करने के लिए महज पांच सौ मीटर की दूरी पर दो-दो बार ट्रैफिक सिग्नल कैसे काम करते हैं सिग्नल से होकर लोगों को गुजरना पड़ रहा है और वह नियमों को बखूबी पालन कर रहे हैं।

ऑनलाइन चालान ने सुधारी व्यवस्था

पहले ट्रैफिक नियमों को तोड़ने के दौरान पकड़े जाने पर ही चालान होता था वहीं अब इंट्रीग्रेटेड ट्रैफिक सिग्नल से चौराहों पर नियम तोड़ते ही ऑनलाइन चालान हो जाता है। जानकारों की मानें तो ट्रैफिक रूल्स फॉलो कराने में इंट्रीग्रेटेड ट्रैफिक सिग्नल का अहम रोल है। लखनवाइट्स कहीं ना कहीं ऑनलाइन चालान के डर से भी नियमों को फॉलो कर रहे हैं।

बारिश के साथ ही क्यों ख़राब हो जाता है आपके DTH का सिग्नल, कभी सोचा है?

मानसून ने दस्तक दे दी है और चारों तरफ़ से जलभराव/जलजमाव की ख़बरें आने लगी हैं. हर साल ऐसा ही होता है, हमारे शहर थोड़ी सी ही बारिश में समंदर बनने लगते हैं और उसकी रफ़्तार जैसे थम सी जाती है. इसके साथ रुक जाता है डीटीएच का सिग्नल.

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बारिश में या थोड़ा सा मौसम बिगड़ते ही टीवी पर लगी स्क्रीन पर एक मैसेज़ आता है- ‘ख़राब मौसम के कारण आपका सेट टॉप बॉक्स सिग्नल रिसीव नहीं कर पा रहा है. असुविधा के लिए खेद है.’

ये समस्या हर साल की है. इस सिचुएशन में आपके दिमाग़ में एक ही सवाल आता होगा और वो ये कि आख़िर बारिश में डीटीएच का सिग्नल क्यों रुक जाता है? इसका जवाब हम देते हैं.

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दरअसल, आपके टीवी से जुड़ा सेट टॉप बॉक्स एंटीना के ज़रिये सिग्नल कैच करता है. ये सिग्नल आते हैं दूर अंतरिक्ष में लगी सैटेलाइट से. ये सिग्नल आपके सेट टॉप बॉक्स तक पहुंचते हैं Ku Band फ़्रीक्वेंसी के ज़रिये. बारिश में ये फ़्रीक्वेंसी यानि तरंगें भारी हो जाती हैं और आपके डिश एंटीना तक नहीं पहुंच पाती. इसलिए बरसात या मौसम में थोड़ा सी आद्रता होते ही ये सिग्नल भारी हो जाते हैं और अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते.

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नतीजा आपकी टीवी स्क्रीन ब्लैक हो जाती है और एक मैसेज डिस्पले होने लगता है. ये आपके डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर के साथ ही नहीं, बल्कि सबके साथ ही होता है. इसलिए सर्विस बदलने के बारे में न सोचें. अब आप सोच रहे होंगे कि इसका इलाज क्या है? कुछ नहीं! हां, इसका कोई समाधान अभी तक नहीं निकल पाया है.

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इससे बड़ी फ़्रीक्वेंसी यानि के सी बैंड के साथ भी यही समस्या आती है. Superhydrophobic डिश एंटिना जिस पर पानी की बूंदे नहीं टिकती, एक विकल्प है. लेकिन इससे भी समस्या पूरी तरह हल नहीं होती. क्योंकि तेज़ बारिश में ये भी फे़ल हो जाता है.

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इसलिए अगली बार आप बारिश की वजह से सिग्नल न आने पर कस्टमर केयर फ़ोन घुमाएं, तब इस बात का ख़्याल रखें, कि उनसे बहस करने का कोई फ़ायदा नहीं.

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