आदर्श रणनीति

एसेट क्लास के रूप में मुद्रा

एसेट क्लास के रूप में मुद्रा
Investment Tips बीते एक वर्ष से भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है. लगातार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनियाभर के देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं. हालांकि इन चुनौतियों और अस्थिर वातावरण के बीच एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था बना हुआ है. एक से पांच वर्ष के आधार पर लगभग सभी उभरते बाजारों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए भारतीय बाजार एक अलग मुकाम बनाए हुए हैं. भारतीय बाजारों का मूल्यांकन अभी भी उनके लंबी अवधि के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है. आरबीआइ, सरकार और कारपोरेट कंपनियों ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है. इसके बावजूद जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है, क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है.

Asset Allocation क्या है?

एसेट एलोकेशन एक निवेश रणनीति है जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति के लक्ष्यों, जोखिम सहिष्णुता और निवेश क्षितिज के अनुसार पोर्टफोलियो की संपत्ति को विभाजित करके जोखिम और इनाम को संतुलित करना है। तीन मुख्य परिसंपत्ति वर्ग-इक्विटी, निश्चित-आय, और नकद और समकक्ष- जोखिम और वापसी के विभिन्न स्तर हैं, इसलिए प्रत्येक समय के साथ अलग-अलग व्यवहार करेगा।

एसेट एलोकेशन स्टॉक, बॉन्ड और कैश के बीच आपके निवेश पोर्टफोलियो में पैसे को विभाजित करने की प्रक्रिया है। लक्ष्य जोखिम और समय क्षितिज के लिए अपनी सहनशीलता के साथ अपने परिसंपत्ति आवंटन को संरेखित करना है। मोटे तौर पर, तीन मुख्य परिसंपत्ति वर्ग हैं:

  • स्टॉक्स : ऐतिहासिक रूप से शेयरों ने रिटर्न की उच्चतम दरों की पेशकश की है। स्टॉक्स को आम तौर पर जोखिम भरा या आक्रामक संपत्ति माना जाता है।
  • बांड : निश्चित आय ने एसेट क्लास के रूप में मुद्रा एसेट क्लास के रूप में मुद्रा ऐतिहासिक रूप से शेयरों की तुलना में रिटर्न की कम दर प्रदान की है। बांड को आमतौर पर सुरक्षित या रूढ़िवादी संपत्ति माना जाता है।
  • नकद और नकद जैसी संपत्ति : जबकि आप आम तौर पर नकद को निवेश के रूप में नहीं सोचते हैं, बचत खाते, मुद्रा बाजार खाते, जमा प्रमाणपत्र (सीडी), नकद प्रबंधन खाते, ट्रेजरी बिल और मनी मार्केट म्यूचुअल फंड जैसे नकद समकक्ष सभी तरीके हैं जो निवेशक संभावित आनंद ले सकते हैं। जोखिम के बहुत कम स्तर के साथ उल्टा।

संपत्ति के प्रकार [Types of Asset] [In Hindi]

संपत्तियों को कई मानदंडों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। कंपनियों के लिए, वित्तीय रिपोर्टिंग और व्यवसाय के वित्तीय स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए सही वर्गीकरण महत्वपूर्ण है। IFRS के अनुसार, आमतौर पर, संपत्तियों का मूल्यांकन भविष्य के अपेक्षित नकदी प्रवाह से होता है, जो वे अपनी वर्तमान स्थिति में दर्शाते हैं।

  • व्यक्तिगत (Personal) : सॉफ्ट पर्सनल एसेट्स, जैसे बुद्धि, बुद्धि या विजयी मुस्कान व्यक्तिगत वित्तीय एसेट्स से अलग हैं, जो किसी व्यक्ति या परिवार के नेट वर्थ में योगदान करते हैं। व्यक्तिगत वित्तीय संपत्तियों के उदाहरणों में नकद और बैंक खाते, अचल संपत्ति, व्यक्तिगत संपत्ति जैसे फर्नीचर और वाहन, और स्टॉक, म्यूचुअल फंड और सेवानिवृत्ति योजना जैसे निवेश शामिल हैं।
  • व्यवसाय (Business) : व्यावसायिक परिसंपत्तियाँ किसी कंपनी को मूल्य प्रदान करती हैं क्योंकि उनका उपयोग माल, निधि संचालन और ड्राइव विकास के लिए किया जा सकता है। संपत्ति में मशीनरी, संपत्ति, कच्चे माल और इन्वेंट्री जैसी भौतिक वस्तुएं और पेटेंट, रॉयल्टी और अन्य बौद्धिक संपदा जैसी अमूर्त वस्तुएं शामिल हैं। कंपनियां अपनी संपत्ति के लिए अपनी बैलेंस शीट पर खाता बनाती हैं और उन्हें मानदंडों के एक सेट के आधार पर वर्गीकृत करती हैं जो उनकी तरलता को दर्शाती हैं, या कितनी आसानी से उन्हें नकदी में परिवर्तित किया जा एसेट क्लास के रूप में मुद्रा सकता है, साथ ही साथ वे भौतिक या गैर-भौतिक संपत्ति हैं और उनका उपयोग कैसे किया जाता है व्युत्पन्न मूल्य।
  • परिवर्तनीय (Convertible) : परिवर्तनीयता, या तरलता, यह दर्शाता है कि कोई व्यवसाय कितनी आसानी से किसी संपत्ति को नकदी में बदल सकता है। ऐसी संपत्तियां जिन्हें एक वित्तीय वर्ष या परिचालन चक्र के भीतर नकदी में बदलने की संभावना है, उन्हें वर्तमान संपत्ति कहा जाता है। जबकि किसी भी संपत्ति को 12 महीनों के भीतर नकद में परिवर्तित किया जा सकता है, यदि कीमत पर्याप्त रूप से छूट दी गई हो, तो मौजूदा संपत्तियों में केवल ऐसी संपत्तियां शामिल होती हैं, जिनके 12 महीनों के भीतर नकदी में परिवर्तित होने की उम्मीद होती है।Applicable Federal Rate क्या है?

Explainer: क्रिप्टोकरेंसी में निवेश क्या घाटे का सौदा है, जानें एक्सपर्ट की राय?

क्रिप्टोकरेंसी में होता है खूब उतार-चढ़ाव (फाइल फोटो: Getty Images)

  • नई दिल्ली ,
  • 07 अक्टूबर 2021,
  • (अपडेटेड 07 अक्टूबर 2021, 4:54 PM IST)
  • क्रिप्टोकरेंसी भारत में भी लोकप्रिय
  • निवेश के लिए कई प्लेटफॉर्म मौजूद

भारत में पिछले कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर निवेशकों में काफी ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है. इसका मुख्य कारण यह है कि अन्य करेंसी के मुकाबले क्रिप्टोकरेंसी में रिस्क के बावजूद निवेश से तेजी से मुनाफा और रिटर्न मिलता है. Bitcoin, Ethereum, Tether, Cardano, Ripple, Polka Dot जैसी कई करेंसी हैं, जहां भारत के लोग अपना पैसा लगा रहे हैं.

लॉन्ग टर्म के निवेश के लिए इक्विटी अब भी सबसे बेहतर विकल्प, ये फैक्टर्स दे रहे संकेत

स्टॉक (Stocks) में जोख‍िम ज्यादा रहता है लेकिन इसमें एक अच्‍छी बात यह है कि जितनी लंबी अवध‍ि तक एसेट क्लास के रूप में मुद्रा निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का असर सीमित होता जाता है. इसलिए लॉन्ग टर्म में इक्विटी सबसे बेहतर एसेट क्‍लास हैं.

भारतीय शेयर बाजार में करीब 18 महीने तक की तेजी के बाद पिछले एक साल में मिलाजुला रुख देखा गया. बाजार में उतार-चढ़ाव वाला रहा है लेकिन इसके लिए यह कोई असामान्‍य बात नहीं है. एक एसेट क्‍लास के रूप में देखें तो स्टॉक (Stocks) में जोख‍िम ज्यादा रहता है लेकिन इसमें एक एसेट क्लास के रूप में मुद्रा अच्‍छी बात यह है कि जितनी लंबी अवध‍ि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का असर सीमित होता जाता है. इसलिए लॉन्ग टर्म में इक्विटी सबसे बेहतर एसेट क्‍लास हैं.

कमोडिटीज की कीमतों में आई गिरावट

अब इस पर बहस की जा सकती है कि खासकर विकसित देशों में मंदी या सुस्‍ती का असर कम रहेगा या एसेट क्लास के रूप में मुद्रा व्‍यापक रहेगा, या महंगाई टिकने वाला होगा या कुछ समय के लिए. लेकिन कमोडिटीज और एनर्जी की कीमतों (ऊर्जा आयात का हिस्‍सा जीडीपी के 4 फीसदी तक होता है) में कमी आई है जो कुछ राहत की बात है. हम पूरे भरोसे से यह नहीं कह सकते कि मार्जिन का दबाव कम हुआ है, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि अब चीजें सही दिशा में जा रही हैं, कम से कम कमोडिटी उपभोग के मामले में.

हालांकि, कई ऐसे जोख‍िम हैं जिनका हमें ध्‍यान रखना होगा. पहला- अनिश्चित जियो-पॉलिटिकल चिंताएं और सप्‍लाई चेन की निरंतरता के मसले लंबे समय तक बने रहने वाले हैं. दूसरा- अब करीब एक दशक के कम ब्‍याज दरों और आसान नकदी के माहौल से ऊंची ब्‍याज दरों और नकदी में सख्‍ती वाले माहौल की तरफ बढ़ा जा रहा है. पहले जोख‍िम की वजह से महंगाई न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता है और हमनें यह देखा है कि केंद्रीय बैंक सख्‍त मौद्रिक नीतियों से इस पर अंकुश के लिए कोशिश में लगे हुए हैं.

शॉर्ट टर्म में बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे

भारत में हमें कुछ और समस्‍याओं के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं- विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है, व्‍यापार घाटा ऊंचाई पर है और रुपए में काफी कमजोरी है. महंगाई लगातार ऊंचाई पर बनी हुई है और पिछले करीब तीन तिमाहियों से यह रिजर्व बैंक के 6% के सुविधाजनक स्‍तर से ऊपर है. कई दूसरे देशों के मुकाबले हमने बेहतर प्रदर्शन किया है और हमारी ग्रोथ रेट भी बहुत अच्‍छी है, लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था की इस अलग राह या बेहतरीन प्रदर्शन से जरूरी नहीं कि बाजार एक-दूसरे से जुड़े नहीं हों, भले ही प्रदर्शन कितना ही बढ़ि‍या हो. इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शॉर्ट टर्म में हमारे बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे.

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वैश्विक तरक्‍की में मौजूदा अनिश्चिचता के माहौल को देखते हुए बाजारों के लिए मौजूदा साल काफी चुनौतियों वाला हो सकता है. वैश्विक स्‍तर पर और भारत में ऊंची ब्‍याज दरों की वजह से शेयरों के वैल्‍युएशन में उस बढ़त पर जोख‍िम आ सकता है, जिसका हाल में भारतीय बाजारों को फायदा मिला है. इसके अलावा भारत के कई राज्‍यों में मानसून अनियमित रहने की वजह से खाद्य महंगाई भी ऊंचाई पर रहने की आशंका है.

भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था, फिर भी जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी

पिछले एक साल में भारत और वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार अस्थिर रहा हैं। लगातार बढ़ती महंगाई को विश्व के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में वृद्धि एसेट क्लास के रूप में मुद्रा करके नियंत्रित कर रहे हैं। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था का आनंद ले रहा है।

भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था, फिर भी जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी

पिछले एक साल में भारत और वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार अस्थिर रहा हैं। लगातार बढ़ती महंगाई को विश्व के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करके नियंत्रित कर रहे हैं। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था का आनंद ले रहा है। भारत एक साल या पांच साल के आधार पर लगभग सभी उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख बाजारों में एक अलग मुकाम बनाए हुए है। भारतीय इक्विटी वैल्यूएशन अभी भी उनके लॉंग टर्म एवरेज और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है। भारत का सेंट्रल बैंक, भारत सरकार और कॉरपोरेट्स सभी ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है। इसके बावजूद, जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है। आज दुनिया एसेट क्लास के रूप में मुद्रा पहले की तुलना में बहुत अधिक आपस में जुड़ी हुई है और इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता एसेट क्लास के रूप में मुद्रा है। हमारा मानना है कि जब यूएस फेड यह घोषणा करता है कि मुद्रा को सख्ती से साथ निपटा जा चुका है तो यह इक्विटी के लिए एक बड़े असेट क्लास के रूप में उभरने का बड़ा मौका होगा। हमें नहीं पता कि ऐसा कब होगा और तब तक हम उम्मीद करते हैं कि मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।

समाधान प्रदान करने वाले म्यूचुअल फंड ऑफर

जब तक फेडरल रिजर्व महंगाई से निपटने के लिए सभी उपायों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. ऐसे में निवेशकों, खासतौर पर भारतीय निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसआईपी के माध्यम से निवेश करना चाहिए. इक्विटी निवेश के नजरिये से निवेशकों को असेट एलोकेशन जैसे संतुलित लाभ या बहु-परिसंपत्ति श्रेणी पर विचार करना चाहिए. योजनाबद्ध अनुशासित और व्यवस्थित तरीके से विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी जैसी फीचर्स पर भी विचार किया जा सकता है.

एसेट क्लास में एक विविध (diversified) पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह के जोखिम (concentration risk) को कम किया जाए. अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में निवेशक करने का एक बेहतर मौका सामने होता है. वे न केवल महंगाई के खिलाफ, बल्कि मुद्रा मूल्यह्रास (currency depreciation) के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं. निवेशक इसमें ईटीएफ के जरिये निवेश पर विचार कर सकते हैं. जिनके एसेट क्लास के रूप में मुद्रा पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए गोल्ड या सिल्वर और फंड ऑफ फंड्स एक बेहतर निवेश विकल्प हैं.

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