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क्रिप्टो बैन

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इस बिल में ये भी उल्लेख किया गया है कि आरबीआई के ऑफिशल डिजिटल करेंसी के लिए एक फ्रेम वर्क तैयार किया जाएगा। इसका उद्देश्य है भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना है। हालांकि, कुछ करेंसी को रेगुलेट करने की अनुमति दी जाएगी परंतु वो कौन सी होंगी इसका उल्लेख नहीं है।

Cryptocurrency Ban: क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाना चाहता है RBI, वित्त मंत्री ने संसद को बताया

क्रिप्टोकरेंसी ( Cryptocurrency) को भारत में मान्यता मिलने की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को RBI की ओर से जोर का झटका लगा है. खुद वित्त मंत्री ने बताया है कि RBI देश में क्रिप्टो पर पूरी तरह बैन लगाने के पक्ष में है.

क्रिप्टोकरेंसी ( Cryptocurrency) को भारत में मान्यता मिलने की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को RBI की ओर से जोर का झटका लगा है. लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बताया है कि देश का केन्द्रीय बैंक क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह बैन लगाने के पक्ष में है. बकौल वित्त मंत्री RBI का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी से देश के मॉनिटरी और वित्तीय स्थिरता को खतरा है.

दरअसल वित्त मंत्री से पूछा गया था कि क्या सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर बंदिश लगाने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है? दूसरा सवाल ये था कि क्या आरबीआई (RBI) ने देश में क्रिप्टोकरेंसी को चलन पर नियत्रंण लगाने के लिए सरकार को कानून बनाने की सिफारिश की है? इसी के जवाब में उन्होंने कहा कि आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी नहीं मानता क्योंकि किसी भी करेंसी को जारी करने का अधिकार देश के सेंट्रल बैंक या सरकार को है जबकि क्रिप्टोकरेंसी का वैल्यू पूरी तरह अटकलों पर निर्भर है.

मौजूदा सत्र में भी नहीं आएगा क्रिप्टो बिल

वित्त मंत्री ने ये भी कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेशन ( Regulation) या प्रतिबंध ( Ban) लगाने के लिए कोई भी कानून अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बाद ही प्रभावी हो सकेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को किसी देश की सीमा के भीतर बांधा नहीं जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी को फिलहाल भारत में मान्यता नहीं मिली है. नवंबर 2021 में घोषणा के बावजूद सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर नकेल कसने के लिए संसद ( Parliament) में बिल ( Legislation) लेकर नहीं आ पाई है जबकि इस बीच संसद का दो शीतकालीन ( Winter Session) और बजट सत्र ( Budget Session) पूरा हो चुका है और तीसरे मानसून सत्र ( Monsoon Sesssion) की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि इस सत्र में भी बिल लाने की कोई चर्चा नहीं है. ये जरुर है कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स और ट्रेडिंग पर 1 फीसदी टीडीएस लगा चुकी है.

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Cryptocurrency Bill: क्रिप्टो बैन की खबरों के बीच कीमतों में उछाल, नई करेंसी की हुई एंट्री

क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगाने वाले 10 करोड़ लोगों के लिए आज बड़ा दिन है। केंद्र सरकार आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में बहुप्रतीक्षित ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश करने के लिए तैयार है। क्रिप्टो उद्योग एक सकारात्मक रेग्युलेशन की प्रतीक्षा कर रहा है जो कुछ प्रतिबंधों के साथ क्रिप्टो में निवेश और व्यापार की अनुमति दे सकता है। क्रिप्टो बिल को लेकर अब तक पॉज़िटिव और नेगेटिव दोनों तरह की चर्चा रही है।

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क्रिप्टो बिल पर WazirX के फाउंडर निश्चल शेट्टी का कहना है कि सरकार यह बिल क्रिप्टो को बैन करने के लिए नहीं, बल्कि इसे रेगुलेट करने के लिए लेकर आ रही है, निवेशकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। शायद यही कारण है कि आज क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भी बढ़त देखने को मिली। बिटकॉइन का कारोबार 57,000 डॉलर से ऊपर है।

दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में 6 फीसदी की तेजी देखने को मिली और ये 57,699 डॉलर के पार चली गई। इसकी कीमत हाल ही में लगभग 69,000 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। CoinGecko के अनुसार, क्रिप्टो का वैश्विक मार्केट कैपिटल अब बढ़कर 2.72 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether भी 7% से बढ़कर 4,337 डॉलर पर पहंच गई है। कॉइनडेस्क के अनुसार Dogecoin की कीमत 3% से बढ़कर 0.20 डॉलर , जबकि Shiba Inu 4% से बढ़कर 0.000039 डॉलर पहंच गई।

वहीं, क्रिप्टो बैन की खबरों के बीच सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज कॉइनस्टोर (Coinstore) भारत में एंट्री हुई है। इस सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज ने देश में अपने ऑपरेशन भी शरू कर दिए हैं।

कॉइनस्टोर (Coinstore) के मार्केटिंग हेड चार्ल्स टैन (Charles Tan) ने भारतीय बाजार में विस्तार की पर जोर देते हुए कहा, उनकी ऐप पर लगभग एक तिहाई यूजर भारत से हैं, ऐसे में भारतीय बाजार में विस्तार करना कंपनी ने को ठीक लगा। हालांकि, बैन की खबरों पर उन्होंने कहा, "पॉलिसी में थोड़े बदलाव हो सकते हैं, लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि चीजें सकारात्मक रहेंगी। हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक हेल्थी फ्रेमवर्क प्रस्तुत करेगी।"

इसके अलावा टैन ने कहा कि कॉइनस्टोर भारत में लगभग 100 से अधिक कर्मचारी रखने की तैयारी में है और भारतीय बाजार में मार्केटिंग से लेकर हायरिंग और क्रिप्टो संबंधी प्रोडक्ट्स के साथ सर्विसेज़ के डेवलपमेंट पर लगभग 20 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना है।

हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के बैन को लेकर खबरें मीडिया में देखने को मिल रही है। खासकर सरकार द्वारा लाये जा रहे बिल को लेकर चर्चा है। तो चलिए जानते हैं कि क्रिपटोकरेंसी को लेकर नए बिल में क्या प्रावधान है ? क्यों सरकार इससे जुड़े खतरे को देखते हुए इसे बैन करने पर विचार कर रही है?

दरअसल, भारत सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में नया बिल लाएगी। संसद में सरकार जो बिल लाने वाली है उस बिल की सूची में दसवें नंबर पर साफ साफ लिखा है कि भविष्य में आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी के अलावा अन्य सभी क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इस बिल का नाम ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’, है।

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इस बिल में ये भी उल्लेख किया गया है कि आरबीआई के ऑफिशल डिजिटल करेंसी के लिए एक फ्रेम वर्क तैयार किया जाएगा। इसका उद्देश्य है भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना है। हालांकि, कुछ करेंसी को रेगुलेट करने की अनुमति दी जाएगी परंतु वो कौन सी होंगी इसका उल्लेख नहीं है।

हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा अभी तक 'निजी' क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई परिभाषा स्पष्ट नहीं की गई है। ऐसे में यह संभावना है कि बिटकॉइन, एथेरियम और इस तरह के अन्य क्रिप्टो टोकन पर प्रतिबंध न लगे क्योंकि ये सार्वजनिक ब्लॉकचैन नेटवर्क पर आधारित हैं। इसका अर्थ है कि इन नेटवर्कों का उपयोग करके किए गए लेन-देन का पता लगाया जा सकता है। या हो सकता है निजी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में सरकार का इशारा मोनेरो और डैश की ओर हो जो उपयोगकर्ताओं के ट्रैन्सैक्शन की गोपनीयता को उजागर नहीं करता है।

इस बिल के लागू किए जाने से भारत में क्रिप्टो करेंसी का बाजार बंद हो जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 8 फीसदी आबादी क्रिप्टो करेंसी के बाजार में निवेश करती है। इन लोगों ने क्रिप्टो करेंसी में कुल 70 हजार करोड़ रुपये निवेश किए हैं। ये निवेश एक ऐसे बाजार में किए गये हैं जिसे भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है, परंतु अब इनके निवेश पर प्रतिबंध लगाने की तलवार लटक रही है। निवेश करने का उद्देश्य जल्द से जल्द अमीर होने की लालसा है जिस वजह से इस बाजार ने युवाओं को सबसे अधिक आकर्षित किया है।

ये अनुमान लगाया गया था कि भविष्य में भारत के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले करीब 19 प्रतिशत लोग इस बाजार में निवेश करने की योजना बना रहे थे, जो अब इसपर एक बार फिर से विचार करने के लिए बाध्य हो गए हैं। यदि प्रतिबंध लगता है तो जिसने भी इस बाजार में निवेश किया है उसके पैसे डूब जाएंगे। इसका अर्थ है कि अगर क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा दिया गया तो करोड़ों लोगों द्वारा निवेश किए गए 70 हजार करोड़ रुपये डूब जाएंगे।

बता दें कि दुनिया भर में अभी इस समय 7 हजार से अधिक क्रिप्टो करेंसी चलन में हैं, जबकि भारत में ये संख्या 4 हजार है। इनमें से 2008 में लॉन्च की गई बिटकॉइन सबसे अधिक लोकप्रिय है। बिटकॉइन की कीमत वर्ष 2010 में 75 पैसे से भी कम थी जबकि आज की तारीख में इसकी कीमत 46 लाख रुपये है। मीडिया में बैन के खबरों का प्रभाव क्रिप्टो करेंसी के बाजार पर देखने को मिल रहा है। बिटकॉइन, इथीरियम सहित सभी क्रिप्टो में गिरावट देखने को मिली है है, अकेले बिटकॉइन में ये गिरावट 29 फीसदी की देखी गई है, जबकि ये क्रिप्टो करेंसी 30 प्रतिशत तक टूटी है।

पिछले हफ्ते पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित कर कहा था, 'डाटा गवर्नन्स के लिए मानक और मापदंड बनाने की आवश्यकता है। डाटा का सुरक्षित तरीके से सीमा पार प्रवाह की भी आवश्यकता क्रिप्टो बैन है। क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन इसका उदाहरण हैं। ये महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतान्त्रिक राष्ट्र इस पर एक साथ काम करें और ये सुनिश्चित करें कि ये गलत हाथों में न जाए जो हमारे युवाओं खराब कर सकता है।'

बता दें कि सरकार को चिंता है कि क्रिप्टो बाजार मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए रास्ते बना सकता है। इसके पीछे का कारण क्रिप्टो करेंसी का कोई रेगुलेटर न होना है और न ही कोई इसे क्रिप्टो बैन नियंत्रित करता है। ये सब ऑटोमेटिक होता है, परंतु स्पेशल कंप्यूटर और सोफ्टवेयर के जरिए होता है। क्रिप्टो करेन्सी का कोई फिज़िकल फोर्म नहीं है, परंतु इसका डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है। ऐसे में इसे हैक करना आसान है और गैर कानूनी गतिविधियों के लिए इसका इस्तेमाल बढ़ा है। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके में इसपर कोई रोक नहीं है, परंतु की केंद्र बाँकों ने इन्हें मान्यता भी नहीं दी है।

आरबीआई कई बार भारत में क्रिप्टो के बढ़ते प्रचलन पर गंभीर चिंता जताया चुका है। आरबीआई का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी से देश की व्यापक आर्थिक ( Macro Economic) और वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) प्रभावित हो सकती है। आरबीआई तो इसे वर्ष 2018 में बैन तक लगा चुका है, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में बैन को हटा दिया था। हालांकि, आरबीआई ने अपनी डिजिटल करेन्सी लाने की बात कही थी और अब उसी दिशा में सरकार अपने कदम बढ़ा रही है।

कई विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि क्रिप्टो करेंसी केवल कंप्यूटर कोड का हिस्सा हैं, इसलिए इसे प्रतिबंधित करना कठिन है। क्रिप्टो को एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर करना पेन ड्राइव के जरिए म्यूजिक शेयर करने से जैसा है, जिसका अर्थ है कि रेगुलेटरी बैन वास्तव में लोगों की एक-दूसरे को क्रिप्टो भेजने की क्षमता को नहीं छीनेगा।

सरकार क्रिप्टो करेन्सी से जुड़े प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाती है तो इससे जुड़े ग्राहकों के लिए क्रिप्टो में व्यापार करना मुश्किल हो सकता है, परंतु पूरी तरह से रोक नहीं सकती क्योंकि इसका वैकल्पिक तरीका भी निकाला जा सकता है। हालांकि, बैन लगने के बाद भारत में इस बाजार के बढ़ने की संभावनाएँ कम हो जाएंगी। इसके अलावा बैंक और क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच लेन-देन भी बंद हो जाएगा और क्रिप्टो के ग्राहक क्रिप्टो करेंसी खरीदने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाएंगे।

इस बीच, भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म WazirX के सीईओ निश्चल शेट्टी ने ट्वीट कर बताया, "क्रिप्टो रेगुलेशन बिल को शीतकालीन सत्र के लिए सूचीबद्ध किया गया है। विवरण ज्यादा नहीं बदला गया है। कयास दोनों तरफ से कयास लगाए जा रहे। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि सरकार के भीतर अधिक लोग जानते हैं कि क्रिप्टो कैसे काम करता है।"

क्रिप्टोकरेंसी: वित्तमंत्री बोलीं-आरबीआई चाहता है क्रिप्टो पर बैन पर इसके लिए वैश्विक सहयोग जरूरी

देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा बयान दिया है। वित्तमंत्री ने सोमवार को 18 जुलाई को संसद में बोलते हुए कहा है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाना चाहती है पर इसके लिए उसे दूसरे देशों के सहयोग की भी जरूरत पड़ेगी।

वित्तमंत्री ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त नियम बनाने और इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने की पैरवी आरबीआई भी करता रहा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि RBI देश की मौद्रिक और फिस्कल स्टैबिलिटी के लिए क्रिप्टोकरेंसी को खतरा बता चुका है। आरबीआई की ओर से इस सेक्टर के लिए कानून बनाने की सिफारिश की गई है। देश के केंद्रीय बैंक का मानना है कि इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।

संसद में एक लिखित सवाल के जवाब में वित्तमंत्री ने यह भी कहा है कि डिजिटल मुद्रा के वैश्विक स्वरूप को देखते हुए इसके परिचालन में नियमों का उल्लंघन रोकने के लिए अलग-अलग देशों के बीच सहयोग जरूरी है। इसे नियंत्रित करने के लिए बनाया गया कोई भी कानून तभी असरकारी हो सकता है जब इसे लागू करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परस्पर सहयोग की भावना हो।

आपको बता दें कि सरकार की ओर से कई बार इस बात के संकेत दिए गए हैं कि वह एनएफटी, डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसीज को नियंत्रित करने के लिए व्यापक नियम और कानून बनाना चाहती है। सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस पर मंथन किया जा रहा है। सरकार मॉनसून सत्र के दौरान क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने के लिए एक बिल पेश कर सकती है। हालांकि फिलहाल संसद में पेश होने वाले प्रस्तावित विधेयकों की सूची में इस बिल का जिक्र नहीं किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संसद में पेश होने से पहले क्रिप्टोकरेंसी पर कंसल्टेशन पेपर लाया जाएगा। इसमें डिजिटल करेंसी को लेकर सरकार के रुख का संकेत मिलेगा। इस पेपर को मई महीने में ही तैयार कर लिया गया गया था। उम्मीद है कि सरकार इसे जल्द ही सार्वजनिक कर देगी।

आपको बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त रुख अपनाते हुए आरबीआई अपनी डिजिटल करेंसी लांच करने पर भी काम कर रहा है। उम्मीद है इसी साल इसकी भी घोषणा कर दी जाएगी। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने कहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लाकर निजी क्रिप्टोकरेंसी की जरूरत को खत्म कर सकती है।

वहीं दूसरी ओर, वित्तमंत्री ने सोमवार को संसद सत्र के दौरान लोकसभा में सूचना देते हुए कहा है कि तेलंगाना समेत कई राज्यों ने जीएसटी कानून के तहत राज्यों को मिलने वाले मुआवजे को और पांच सालों तक जारी रखने की मांग की है।

आपको बता दें कि जीएसटी एक्ट 2016 के अनुच्छेद 18 के तहत जीएसटी कानून लागू होने पर राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान से बचाने के लिए पांच वर्षों तक मुआवजा देने का प्रावधान किया गया था। फिलहाल उसकी समयावधि समाप्त हो चुकी है, पर कुछ राज्य उसे आगे भी जारी रखने की मांग कर रहे हैं।

संसद में सोमवार को एक लिखित का जवाब देते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही गिरावट का भी कारण बताया। वित्त मंत्री ने कहा है कि रुपये में जारी गिरावट का प्रमुख कारण रूस और यूक्रेन बीच जारी युद्ध और अंतरराष्ट्रीय स्तर कच्चे तेल की कीमतों में जारी तेजी है।

आपको बता दें कि सोमवार को भारतीय रुपये ने छह पैसे की मजबूती के साथ 79.76 के स्तर पर कारोबार करना शुरू किया था। पर, उसके बाद यह फिर कमजोर होने लगा और बाजार बंद होते समय यह अपने अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर 79.97 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पिछले कारोबारी दिन रुपया 79.82 के स्तर पर बंद हुआ था।

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Ban on Private Cryptocurrency । भारत सरकार जल्द ही प्राइवेट Cryptocurrency पर बैन लगाने के लिए कानून लाएगी। इस संबंध में संसद में एक विधेयक पेश करने की तैयारी चल रही है। केंद्र सरकार द्वारा विधेयक लाने की घोषणा के बाद क्रिप्टो मार्केट में हलचल बढ़ गई है और अचानक ही Cryptocurrency मार्केट धराशायी हो गया है। क्रिप्टो करेंसी मार्केट में 15 से 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि Cryptocurrency बिटकॉइन में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, वहीं एथेरियम में लगभग 15 प्रतिशत और टीथर में लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट आई है।

प्राइवेट Cryptocurrency बिल संसद के शीतकालीन सत्र में ही लाया जाएगा। सदन की कार्यवाही पर आधिकारिक दस्तावेज में जानकारी दी गई है कि डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोकरेंसी और विनियमन, आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाना है। गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होने वाला है।

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विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि निजी Cryptocurrency पर भारत में पूरी तरह से बैन लगाया जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक आरबीआई खुद जल्द ही अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगा। डिजिटल करेंसी का निजी हाथों में होना निवेशकों के लिए घातक हो सकता है इसलिए सरकार Cryptocurrency पर आरबीआई का नियंत्रण चाहती है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भी कमजोर खुदरा निवेशकों को ध्यान में रखते हुए भारत में क्रिप्टोकरेंसी के अनियंत्रित विकास के बारे में चिंता जताई थी।

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गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में Cryptocurrency में तेजी से निवेश बढ़ा है। हालांकि अभी तक सिर्फ एक देश साल्वाडोर ने ही डिजिटल करेंसी को मान्यता दी है। Cryptocurrency में बिटकॉइन के अलावा भी कई प्राइवेट डिजिटल करेंसी चलन में है, लेकिन साल्वाडोर के अलावा दुनिया के किसी भी देश ने Cryptocurrency को मान्यता नहीं दी है।

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सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए जो बिल ला रही है उसका नाम है- क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021)। इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार एक आधिकारिक क्रिप्टो करेंसी जारी कर पाएगी और इस विधेयक के जरिए सभी प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी बैन हो जाएंगी।

Cryptocurrency भले ही अभी ज्यादा चर्चा में रहती है लेकिन इसके बारे में लोगों ने 90 के दशक में ही सोचना शुरू कर दिया था। 90 के दशक में जब तकनीकी क्रांति होने लगी थी तो शुरुआती दौर में फ्लूज़, बींज़ व दीजिकेश ने डिजिटल करंसी के रूप में पैर पसारने के बारे में प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी। दरअसल शुरुआत में लोग इस डिजिटल करेंसी पर विश्वास नहीं कर पाए थे। इसके बाद साल 2009 में एक बेनामी व्यक्ति सामने आता है, जो सातोशी नाकामोटो के उपनाम से कार्य करता था और सॉफ्टवेयर डेवलप करता था। उसी ने सबसे पहले BitCoin का विचार सबके सामने रखा।

Cryptocurrency की ट्रेडिंग पर संसद में जल्द पास होगा बिल, जानिए- अगर बैन लगा तो क्या होगा आपके निवेश का

क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल का नाम ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ है। ऐसा माना जा रहा है कि, यह बिल बिटकॉइन सहित दूसरी क्रिप्टो में निवेश करने वालों के सामने मुश्किल खड़ी कर सकता है।

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क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा बिल संसद के शीलकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।

संसद के शीतकालन सत्र में सरकार क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग और निवेश पर कानून बना सकती है। इसके लिए सरकार अध्यादेश भी ला सकती है। अगर आपने भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है तो आपके लिए ये खबर काफी काम की साबित हो सकती है। क्योंकि यहां हम बताने वाले हैं कि, संसद में कानून पास होने के बाद आप अपने क्रिप्टोकरेंसी के निवेश का क्या कर सकते हैं। इसके साथ ही हम यहां आपको बताते है कि, सरकार किस तरह के कानून बना सकती है। आइए जानते हैं इसके बारे में….

शीतकालीन सत्र में पास होंगे इतने बिल – संसद का शीतकालीन सत्र जल्द ही शुरू होने वाला है। सरकार इस सत्र में 26 नए बिल पेश करने की तैयारी कर रही है। जिसमें से तीन कानून अध्यादेश के जरिए सरकार पारित कराने की सोच रही है। ये जानकारी मंगलवार शाम को शीलकानीन सत्र के लिए जारी हुए लेजिस्टलेटिव एजेंटा से सामने आई है। ऐसे में सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा कानून भी इसी सत्र में पारित करा सकती है।

क्या क्रिप्टोकरेंसी बैन होगी ? केंद्र सरकार जल्द से जल्द क्रिप्टोकरेंसी पर बिल लाना चाहती है। क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी पर कोई निगरानी नहीं होने की वजह से देश को आर्थिक और सुरक्षात्मक नुकसान का खतरा बना हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा सकती है या फिर कुछ प्रतिबंधों के साथ इसमें ट्रेडिंग की इजाजत दे सकती है। यह सारी बात क्रिप्टोकरेंसी के बिल के सामने आने के बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन हम आपको ऐसी किसी भी स्थिति में फसने पर समाधान बताने जा रहे हैं। ऐसे में देश के अंदर क्रिप्टोकरेंसी की दर में 15 फीसदी तक की कमी आई है।

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कैसा होगा क्रिप्टोकरेंसी बिल का स्वरूप- क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल का नाम ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ है। ऐसा माना जा रहा है कि, यह बिल बिटकॉइन सहित दूसरी क्रिप्टो में निवेश करने वालों के सामने मुश्किल खड़ी कर सकता है। अगर सरकार क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाती है तो बैंक और क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा। कोई क्रिप्टो खरीदने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही आप उन्हें भुना भी नहीं पाएंगे।

RBI जारी कर सकती है डिजिटल करेंसी – सरकार के बिल में आरबीआई के द्वारा डिजिटल करेंसी जारी करने की बात भी हो सकती है। इसके साथ ही सरकार विदेशी डिजिटल करेंसी को सेल आउंट करने का भी मौका दे सकती है। इसके साथ ही अगर आप आरबीआई की डिजिटल करेंसी में निवेश करते हैं तो आपको विदेशी डिजिटल करेंसी को एक्सचेंज करने का भी मौका मिल सकता है।

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