प्रकार के व्यापारियों

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मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड
- कृषि उत्पादन के विक्रेता को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य दिलाना, सही तौल के लिये व्यवस्थायें करना एवं उत्पादक को उसी दिन मूल्य का भुगतान कराना।
- मण्डियों की स्थापना के लिये सर्वेक्षण, साईट प्लान्स एवं मास्टर प्लान का सम्पादन।
- मण्डी प्रांगणों एवं उपमण्डी प्रांगणों में सुचारु विपणन के लिये नियोजित तरीके से मूलभूत सुविधायें विकसित करना।
- वित्तीय रुप से कमजोर मण्डी समितियों को ॠण अथवा अनुदान देना।
- कृषि उत्पादन में वृद्वि के लिये कृषि आदानों को मण्डी प्रांगण में उपलब्ध कराना।
- मण्डी अधिनियम तथा उसके अधीन बनाये गये नियमों तथा उपविधियों के उपबंधों को कार्यान्वित करना, सुचारु एवं बेहतर विपणन व्यवस्था स्थापित करने के लिये अधिनियम एवं तदाधीन नियमों में आवश्यक संशोधन के लिये समय समय पर राज्य शासन को सुझाव प्रस्तुत करना।
ई-अनुज्ञा के प्रमुख तथ्य
प्रदेश की मंडी समितियों में कुल अनुज्ञप्ति धारी व्यापारीयों की संख्या
ई-अनुज्ञा में स्वयं के द्वारा पंजीकृत कुल व्यापारीयों की संख्या
कुल भुगतान पत्रक की संख्या
दैनिक आवक / भाव की जानकारी
रिपोर्ट - भुगतान पत्रक अनुसार
मंडी / फसल अनुसार
फसल अनुसार
मंडी अनुसार
सं.क्र. | मंडी का नाम | कुल आवक (मात्रा क्विंटल में) | न्यूनतम दर (रूपये प्रति क्विंटल में) | उच्चतम दर (रूपये प्रति क्विंटल में) |
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सं.क्र. | मंडी का नाम | कुल आवक (मात्रा क्विंटल में) | न्यूनतम दर (रूपये प्रति क्विंटल में) | उच्चतम दर (रूपये प्रति क्विंटल में) |
सं.क्र. | फसल | कुल आवक(टन में) | न्यूनतम दर | उचत्तम दर | मॉडल दर |
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स.क्र. | फसल समूह | फसल | न्यूनतम दर (रूपये प्रति क्विंटल में) | उच्चतम दर (रूपये प्रति क्विंटल में) | कुल आवक (मात्रा क्विंटल में) |
दिए गए फीडबैक
eMandi
मध्यप्रदेश राज्य कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के अंतर्गत अधिसूचित कृषि उपज का विक्रय उपरांत मंडी फीस का भुगतान का एकमात्र प्रमाणिक दस्तावेज है और इसी के माध्यम से व्यापारियों द्वारा क्रय अधिसूचित कृषि उपज का प्रदेश के अंदर एवं बाहर परिवहन किया जाता है इस व्यापक कार्य को सरल एवं सुगम बनाने की दृष्टि से कृषि उपज मंडी समितियों में अनुज्ञा पत्र प्रणाली लागू की गई है इस नवीन आधुनिक प्रणाली के उपयोग से जहां एक और अनुज्ञा पत्र का तत्काल सत्यापन होने से इसके दुरुपयोग की संभावना समाप्त होगी वहीं दूसरी ओर कृषि उपज विपणन गतिविधियों में भी तेजी आएगी
आवश्यक लिंक्स
संपर्क करें
म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड, 26, किसान भवन, अरेरा हिल्स, भोपाल (म.प्र.)
पिन: 462011
Phone: 0755 2550495
Email: eanugya[at]gmail[dot]com
व्यापारियों के प्रबंधन के लिए बैनर प्रणाली
इंस्टाफॉरेक्ष् कंपनी द्वारा प आ म म प्रणाली सबसे अच्छा तरीका है अपने व्यापार खाते में निवेश को आकर्षित करने के लिए है। आप अपने व्यापार खाते में निवेश को आकर्षित करना चाहते हैं, तो इंस्टाफॉरेक्ष् प आ म M प्रणाली निवेशकों के लिए अपनी खोज के लिए त्वरित और सुविधाजनक बनाना होगा। पी ए एम एम प्रणाली में पंजीकरण के बाद एक प्रबंध व्यापारी के रूप में अपने खाते की निगरानी सूची में यह निवेशकों के लिए उपलब्ध बनाने के लिए जोड़ दिया जाएगा साथ
व्यापारियों के प्रबंधन के लिए बैनर प्रणाली के अवसरों:
- एक खाते में सभी निवेश का प्रबंधन
- निवेश की राशि के लिए कोई सीमा नहीं: एक निवेशक हजारों डॉलर के सैकड़ों खाते में इसी हिस्सेदारी रही करने के लिए 1 से जमा कर सकते हैं
- तेज और सुविधाजनक पंजीकरण निगरानी
- निवेशकों से ऑनलाइन अनुरोधों
- निवेश अनुरोधों के बारे में ईमेल और एसएमएस सूचनाएं
- एक निवेश अनुरोध गिरावट: एक व्यापारी केवल स्वीकार अनुरोधों वह में रुचि रखता है
- व्यापारी लाभ में हिस्सेदारी का स्वचालित गणना
- व्यापारी लाभ में हिस्सेदारी का स्वचालित उपार्जन के बाद निवेश वापसी संसाधित किया जाता है
- व्यापारी के विवेक पर निवेश वापसी: एक व्यापारी अपने विवेक के आधार पर लाभ का एक हिस्सा प्राप्त कर सकते हैं
- व्यापारी के विवेक पर शेयर वापसी: निवेशकों को एक व्यापारी के खाते से वित्त पोषित करने के बाद, व्यापारी अपनी पूंजी वापस लिया जा सकता है (मुक्त मार्जिन का हिस्सा)
- खाते और एक संभावना के इंटरनेट निगरानी में परियोजना विज्ञापित करने के लिए
एक प्रकार के व्यापारियों प्रबंध व्यापारी बनने के लिए कैसे?
किसी भी इंस्टाफॉरेक्ष् ग्राहक एक जीवित ट्रेडिंग खाता रखने इंस्टाफॉरेक्ष् पी ए एम एम प्रणाली भीतर एक प्रबंध व्यापारी बन सकता है। आप पहले से ही आदेश, बैनर प्रणाली के साथ रजिस्टर ग्राहकों का मंत्रिमंडल में प्राधिकृत और बाएँ मेनू में प आ आ प्रणाली लिंक पर क्लिक करने के लिए इंस्टाफॉरेक्ष् कंपनी के साथ एक ट्रेडिंग खाता है। अपनी परियोजना का नाम दर्ज संपर्क जानकारी है कि अपने निवेशकों के लिए उपलब्ध हो जाएगा, अपने में प आ आ परियोजना की सेटिंग को समायोजित और पंजीकरण पूरा करें।
इसके तत्काल पंजीकरण के बाद अपने खाते बैनर प्रणाली का एक हिस्सा बन जाता है और कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर और उसके सहयोगियों की वेबसाइटों पर ग्राहकों का मंत्रिमंडल में संभावित निवेशकों के लिए उपलब्ध निगरानी में प्रकट होता है।
आप पंजीकरण के बाद कई घंटे में निवेश अनुरोध प्राप्त शुरू कर देंगे। आप स्वीकार करते हैं या उन्हें अस्वीकार या तो कर सकते हैं। निवेश अनुरोधों की सूची बैनर मंत्रिमंडल की अपने निवेश अनुभाग में उपलब्ध है।
कैसे इंस्टाफॉरेक्ष् कंपनी द्वारा बैनर प्रणाली के भीतर एक प्रबंध व्यापारी बनने के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए, कृपया बैनर प्रणाली पंजीकरण का दौरा एक> पेज। साथ
बैनर प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा निवेशक फंडों के प्रबंधन के लिए बैनर व्यापारी आयोग है। तो, इस मामले में एक निवेश के लाभ में लाया गया है, एक व्यापारी परियोजना और निवेशक फंडों के प्रबंधन के लिए आयोग है, जो बैनर व्यापारी खाते में उपार्जित किया जाएगा के बाद निवेश वापसी संसाधित किया जाता है में अपने शेयर के हिसाब से लाभ हो जाता है।
कैसे बैनर व्यापारी खाते का काम करता है:
बैनर प्रणाली और खाते पुनःपूर्ति के साथ पंजीकरण के बाद, एक व्यापारी व्यापार शुरू होता है और सकारात्मक परिणाम को दर्शाता है। बैनर व्यापारी खाते में एक संभावित निवेशक जो अंततः निवेश करने के लिए एक निर्णय करता है का ध्यान आकर्षित करती है। बैनर व्यापारी, एक निवेश अनुरोध प्राप्त यह स्वीकार करता है और तुल्यकालन के लिए इंतजार कर रहा है। यह तब होता है एक घंटे में एक बार, प्रतीक्षा के इतने अनुमानित समय आधे घंटे से अधिक नहीं है। बाद निवेश आ चुके हैं, बैनर व्यापारी काम शुरू होता है। लाभ लेने के मामले में, व्यापारी और निवेशक शेयरों की निगरानी के पेज पर प्रदर्शित कर रहे हैं। बैनर व्यापारी या निवेशक एक वापसी की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला करते हैं, तो निवेशक शेयर बैनर व्यापारी खाते से वापस ले लिया जाएगा। एक ही समय में निवेशक लाभ का एक हिस्सा कमीशन के रूप में बैनर व्यापारी खाते में लौटा दी जाएगी।
बैनर और फोरेक्षकोपी प्रणालियों में एक साथ पंजीकरण।
इंस्टाफॉरेक्ष् ग्राहकों दोनों एक ट्रेडिंग खाते का उपयोग कर सिस्टम में रजिस्टर करने के लिए एक अतुलनीय अवसर है। इस प्रकार, एक खाते व्यापार, व्यापारियों केवल उनके बैनर परियोजनाओं में निवेश को स्वीकार नहीं कर सकते हैं, लेकिन यह भी फोरेक्षकोपी प्रणाली के भीतर नकल प्रकार के व्यापारियों के लिए उनके ट्रेडों प्रदान करते हैं। अपनी बारी में, इंस्टाफॉरेक्ष् ग्राहकों जिस तरह से वे दोनों प्रणालियों में पंजीकृत व्यापारियों के प्रदर्शन से पैसा बनाना चाहते हैं चुनने के प्रकार के व्यापारियों लिए स्वतंत्र हैं। यही कारण है कि वे बैनर निवेशकों के रूप में 'व्यापारियों बैनर परियोजनाओं में निवेश करने या फोरेक्षकोपी अनुयायियों के रूप में उनके ट्रेडों की नकल कर सकते है।.
व्यापारी वर्ग डिजिटल बनने को उत्सुक, लेकिन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी बाधा
नई दिल्ली। भारत के बाजार (India market) में ई-कॉमर्स (e-commerce) का तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़े से बड़े इंटरनेशनल ब्रांड (big international brands) की चीजें आसानी से ऑनलाइन मिल रही हैं लेकिन भारत में तैयार और दुकानों पर मिलने वाला लोकल समान ऑनलाइन (local stuff online) मिलने में अभी मुश्किलें आ रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) की रिसर्च शाखा ने रविवार को अपने सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
कैट के रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के व्यापारियों ने ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन ज्यादातर व्यापारियों को लगता है कि ऑनलाइन माल बेचने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन तथा ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रुकावट है। दरअसल, वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई-कॉमर्स व्यापार हुआ, जिसका वर्ष 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।
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कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के टियर-2 और टियर-3 जैसे 40 शहरों में एक ऑनलाइन सर्वे किया है। इस सर्वे में करीब 5 हजार व्यापारियों को शामिल किया गया, जिसमें यह बात निकल कर सामने आई है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि ऑनलाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 78 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए अपने मौजूदा कारोबार के अलावा ई-कॉमर्स को भी व्यापार का एक अतिरिक्त तरीका बनाना जरूरी है, प्रकार के व्यापारियों जबकि 80 फीसदी व्यापारियों का कहना है कि ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है। वहीं, 92 फीसदी छोटे व्यापारियों ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन कारोबार के जरिए देश के रिटेल व्यापार पर नियमों एवं कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहकों को भरमा रही हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 92 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि देश में ई- कॉमर्स व्यापार को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता क़ानून को संशोधित कर तुरंत लागू करना जरूरी है, जबकि 94 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को जिम्मेदार बनाने के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग अथॉरिटी का गठन अत्यंत जरूरी है। वहीं, 72 फीसदी व्यापारियों ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन करना जरूरी है, ताकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमानी पर तुरंत रोक लग सके। उन्होंने कह कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां व्यापारियों के कारोबार को बड़ी क्षति पहुंचा कर एकतरफा प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाये हुए प्रकार के व्यापारियों है।
कैट महामंत्री ने कहा कि यह बेहद ही अफसोस की बात है कि जहां रिटेल ट्रेड पर अनेक प्रकार के क़ानून लागू हैं। वहीँ, ई-कॉमर्स व्यापार सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है, जिससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी कोई भी व्यापार करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि एक बेहद सोची समझी साजिश के तहत विदेश धन प्राप्त कंपनियां न केवल सामान, बल्कि सेवाओं के क्षेत्र जिनमें ट्रेवल, टूरिज्म, पैक्ड खाद्य सामान, किराना, मोबाइल, कंप्यूटर, गिफ्ट आइटम्स, रेडीमेड गारमेंट्स, कैब सर्विस, लॉजिस्टिक्स आदि सेक्टर में अपना वर्चस्व बनाकर भारतीय व्यापारियों के कारोबार पर कब्जा कर उसको नष्ट करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में उनका कोई व्यापार का मॉडल नहीं है, बल्कि पूर्ण रूप से वैल्यूएशन मॉडल है, जो देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए बेहद घातक है। खंडेलवाल ने कि कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये का नुकसान देने के बाद भी विदेश धन पोषित कंपनियां अपना व्यापार कर रही हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अंतिम व्यक्ति को भी डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने और स्वीकार करने पर जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की जरूरत है। इस संबंध में कैट शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, जो स्वयं छोटे व्यापारियों के बड़े पैरोकार हैं और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिलेगा और दोनों विषयों को समाधान शीघ्र निकालने का आग्रह करेगा। क्योंकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों का व्यापार का यह कौन सा मॉडल है, यह समझना बहुत जरूरी है। (एजेंसी, हि.स.)
VyaPari (व्यापारी) Meaning In English
व्यापारी (VyaPari) = Dealer
VyaPari के पर्यायवाची:
व्यापार करने वाले को व्यापारी कहते हैं। व्यापारी ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ व्यापारिन्]
1. वह जो किसी प्रकार का व्यापार करता हो ।
2. व्यवसाय या रोजगार करनेवाला । व्यवसायी । रोजगारी ।
3. अभ्यास करनेवाला (को॰) । व्यापारी ^2 वि॰ [सं॰ व्यापार + ई (प्रत्य॰)]
1. जो किसी प्रकार का व्यापार करता हो ।
2. व्यवसाय या रोजगार करनेवाला । व्यवसायी । रोजगारी । व्यापारी ^3 वि॰ [सं॰ व्यापार + हिं॰ ई (प्रत्य॰)] व्यापार संबंधी । व्यापार का । जैसे,—व्यापारी बोलचाल, व्यापारी भाव ।
व्यापार करने वाले को व्यापारी कहते हैं। व्यापारी ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ व्यापारिन्]
1. वह जो किसी प्रकार का व्यापार करता हो ।
2. व्यवसाय या रोजगार करनेवाला । व्यवसायी । रोजगारी ।
3. अभ्यास करनेवाला (को॰) । व्यापारी ^2 वि॰ [सं॰ व्यापार + ई (प्रत्य॰)]
1. जो किसी प्रकार का व्यापार करता हो ।
2. व्यवसाय या रोजगार करनेवाला । व्यवसायी । रोजगारी ।
व्यापार करने वाले को व्यापारी कहते हैं। व्यापारी ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ व्यापारिन्]
1. वह जो किसी प्रकार का व्यापार करता हो ।
2. व्यवसाय या रोजगार करनेवाला । व्यवसायी । रोजगारी ।
3. अभ्यास करनेवाला (को॰) ।
व्यापार करने वाले को व्यापारी कहते हैं।
व्यापारी वह व्यक्ति कहलाता है जो व्यापार का कार्य करता है।
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।
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व्यापारी का पर्यायवाची, synonym of VyaPari in Hindi
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अनब्रांडेड खाद्यान्नों पर जीएसटी के विरोध में व्यापारी,दिल्ली में स्थित एशिया की सबसे बड़ी दाल मंडी बंद कर जताया विरोध।
बीते महीने दिल्ली के अंदर जीएसटी काउंसिल की हुई महत्वपूर्ण बैठक के अंदर अनाजों समेत सभी प्रकार अनब्रांडेड खाद्यान्नों पर जीएसटी की 5% की दर से टैक्स लागू करने का जो निर्णय लिया गया, जिसका पूरे देश के व्यापारी विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में शनिवार को दिल्ली की सबसे बड़ी दाल मंडी को व्यापारियों ने बंद कर अपना विरोध जताया.
नई दिल्ली: बीते दिनों राजधानी दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक में अनब्रांडेड अनाज दालों खाद्यान्नों के ऊपर जीएसटी की 5% दर लगाए जाने को लेकर दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत के व्यापारियों द्वारा विरोध जताया जा रहा है. इस बीच सरकार द्वारा लिए गए फैसले को लेकर आज राजधानी दिल्ली में एशिया की सबसे बड़ी दालमंडी जो नया बाजार में स्थित है उसे व्यापारियों के द्वारा बंद कर व्यापारियों के द्वारा अपना विरोध जताया गया है.
देश की राजधानी दिल्ली में व्यापारी वर्ग और दिल्ली सरकार के साथ केंद्र सरकार के बीच में टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. बीते महीने दिल्ली के अंदर जीएसटी काउंसिल की हुई महत्वपूर्ण बैठक के अंदर अनाजों दालों समेत सभी प्रकार अनब्रांडेड खाद्यान्नों पर जीएसटी की 5% की दर से टैक्स लागू करने का जो निर्णय लिया गया है. उसको लेकर पूरे देश भर में अब व्यापारियों द्वारा विरोध जताया जा रहा है. विशेष तौर पर इस पर निर्णय का विरोध उत्तर भारत में देखने को मिल रहा है.
शुक्रवार को एशिया की सबसे बड़ी दालमंडी जो राजधानी दिल्ली में नया बाजार के अंदर स्थित है जहां से पूरे उत्तर भारत को सप्लाई होती है. वहां के व्यापारियों ने राजधानी दिल्ली की अन्य मंडियों के व्यापारियों के साथ मिलकर केंद्र सरकार द्वारा अनब्रांडेड खाद्यानों पर जीएसटी लागू करने का विरोध किया है. विरोध जताते हुए व्यापारियों ने मंडी बंद करने का फैसला लिया है. आज नए बाजार में स्थित दालमंडी को पूरे तरीके से व्यापारियों के द्वारा जीएसटी के फैसले के विरोध में बंद रखा गया है.
सरल शब्दों में कहें तो गेहूं आटा दाल चावल आदि समेत सभी अनब्रांडेड खाद्यान्नों पर 5% जीएसटी लगाए जाने के विरोध में व्यापारियों ने मोर्चा खोल दिया है. व्यापारियों का कहना है कि जब आजादी के 75 साल तक अनब्रांडेड खाद्यान्नों के ऊपर जीएसटी नहीं लगाया गया न ही किसी प्रकार का कोई कर था. तो अब क्यों लगाया जा रहा है इससे ना सिर्फ महंगाई बढ़ेगी बल्कि आम आदमी पर बोझ भी बढ़ेगा.