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वैश्विक बाजार से सकारात्मक संकेत, एशियाई बाजारों में भी उछाल

- अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़े आने के पहले यूएस फ्यूचर्स पर दबाव

नई दिल्ली, 07 नवंबर (हि.स.)। ग्लोबल मार्केट से सोमवार को मजबूती के संकेत नजर आ रहे हैं। एशियाई बाजारों ने भी आज मजबूती के साथ कारोबार की शुरुआत की है, लेकिन अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़े आने के पहले यूएस फ्यूचर्स पर दबाव बना हुआ नजर आ रहा है।

पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी मार्केट उतार-चढ़ाव के बावजूद मजबूती के साथ बंद हुए थे। डाओ जोंस 400 अंक की मजबूती के साथ और नैस्डेक 132 अंक की मजबूती के साथ बंद हुए थे, जबकि एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.36 प्रतिशत की तेजी के साथ 3,770 अंक के स्तर पर बंद हुआ था। माना जा रहा है कि भविष्य की आशंका के बावजूद बेहतर जॉब डेटा के कारण अमेरिकी बाजार की मजबूती कायम रही है। पिछले सप्ताह आए अमेरिकी जॉब डेटा उम्मीद से बेहतर रहे हैं।

अनुमान की तुलना में जॉब डेटा में करीब 25 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद अमेरिका में बेरोजगारी दर अभी भी 3.7 प्रतिशत के स्तर पर बनी हुई है, जो दिसंबर 2020 के बाद का सबसे कमजोर स्तर है। इसी सप्ताह 9 नवंबर को यूएस कांग्रेस के मिड टर्म चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। इसके साथ ही 10 नवंबर को महंगाई के आंकड़े आने वाले हैं। चुनाव के नतीजों और महंगाई के आंकड़ों का असर अमेरिकी बाजार पर पड़ेगा, जिससे ग्लोबल मार्केट भी प्रभावित होगा।

एशियाई बाजारों में भी आज सुबह से मजबूती का रुख बना हुआ है। एसजीएक्स निफ्टी 2 अंक की सांकेतिक मजबूती के साथ 18,205 अंक के स्तर पर बना हुआ है, जबकि निक्केई इंडेक्स 1.26 प्रतिशत की तेजी के साथ 27,543.66 अंक के स्तर पर है। स्ट्रेट टाइम्स इंडेक्स भी 0.21 प्रतिशत की तेजी के साथ 3,136.59 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसी तरह हैंग सेंग इंडेक्स 543.43 अंक यानी 3.42 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल के साथ 16,714.57 अंक के स्तर पर कारोबार करता नजर आ रहा है।

अभी तक के कारोबार में ताइवान वेटेड इंडेक्स में भी 211.10 अंक की तेजी आ चुकी है, जिसके कारण ये इंडेक्स 13,237.81 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं कोस्पी इंडेक्स 0.97 प्रतिशत की तेजी के साथ 2,371.24 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसके अलावा सेट कंपोजिट इंडेक्स 0.23 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,630.06 अंक के स्तर पर, जकार्ता कंपोजिट इंडेक्स 0.23 प्रतिशत की तेजी के साथ 7,061.65 अंक के स्तर पर और शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 0.46 प्रतिशत की तेजी के साथ 3,084.87 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।

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इन कारणों से शेयर बाजार में इस हफ्ते दिखेगी हलचल

know which factors will affect share market in coming week

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘‘धारणा सकारात्मक रहने के कारण बाजार के आगे मजबूत होने का अनुमान है। हमें लगता है कि रिजर्व वैश्विक संकेत बैंक की मौद्रिक नीति से आगे की दिशा तय होगी।’’ इसके अलावा विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के पीएमआई के आंकड़े भी बाजार की धारणा तय करेंगे।

वाहनों की बिक्री के आंकड़ों पर भी रहेगी नजर

आगामी सप्ताह वाहनों की बिक्री के मासिक आंकड़े भी आने वाले हैं। निवेशकों की नजरें इन आंकड़ों पर भी रहेगी।

ये होगा सबसे बड़ा कारक

अगले वैश्विक संकेत सप्ताह शुक्रवार को रिजर्व बैंक नीतिगत दरों पर निर्णय लेगा। यही अगले सप्ताह का सबसे बड़ा कारक होगा।

इन मुद्दों पर भी रहेगा निवेशकों का ध्यान

कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (पीसीजी शोध) संजीव जरवाड़े ने कहा, ‘‘आने वाले समय में निवेशकों का ध्यान अमेरिका और चीन की व्यापार वार्ता और कंपनियों के तिमाही परिणाम पर जाएगा।’’ वैश्विक मोर्चे पर निवेशकों की निगाह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियाग चलाये जाने के संबंध में शुरू हुई जांच पर भी रहेगी। बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 807.95 अंक यानी 2.12 फीसदी लाभ में रहा।

विश्लेषकों ने यह राय जताई है कि रिजर्व बैंक का नीतिगत दरों पर निर्णय, विनिर्माण व सेवा क्षेत्र के पीएमआई आंकड़े और वैश्विक संकेत इस सप्ताह बाजार की चाल तय करेंगे।

बुधवार को बंद रहेगा बाजार

बता दें कि अगले सप्ताह बुधवार को गांधी जयंती के मौके पर शेयर बाजार बंद रहेंगे।

बाजार के मजबूत होने का अनुमान

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘‘धारणा सकारात्मक रहने के कारण बाजार के आगे मजबूत होने का अनुमान है। हमें लगता है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से आगे की दिशा तय होगी।’’ इसके अलावा विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के पीएमआई के आंकड़े भी बाजार की धारणा तय करेंगे।

वाहनों की बिक्री के आंकड़ों पर भी रहेगी नजर

आगामी सप्ताह वाहनों की बिक्री के मासिक आंकड़े भी आने वाले हैं। निवेशकों की नजरें इन आंकड़ों पर भी रहेगी।

ये होगा सबसे बड़ा कारक

अगले सप्ताह शुक्रवार को रिजर्व बैंक नीतिगत दरों पर निर्णय लेगा। यही अगले सप्ताह का सबसे बड़ा कारक होगा।

इन मुद्दों पर भी रहेगा निवेशकों का ध्यान

कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (पीसीजी शोध) संजीव जरवाड़े ने कहा, ‘‘आने वाले समय में निवेशकों का ध्यान अमेरिका और चीन की व्यापार वैश्विक संकेत वार्ता और कंपनियों के तिमाही परिणाम पर जाएगा।’’ वैश्विक मोर्चे पर निवेशकों की निगाह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियाग चलाये जाने के संबंध में शुरू हुई जांच पर भी रहेगी। बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 807.95 अंक यानी 2.12 फीसदी लाभ में रहा।

वैश्विक संकेत

वृहद आर्थिक आंकड़ों, कंपनियों की कमाई और वैश्विक संकेतों से संचालित होगा आगामी सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार

वृहद आर्थिक आंकड़ों, कंपनियों की कमाई और वैश्विक संकेतों से संचालित होगा आगामी सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार

मुंबई। घरेलू शेयर बाजार के विश्लेषकों के मुताबिक आने वाले सप्ताह में घरेलू इक्विटी बाजार व्यापक रूप से वृहद आर्थिक आंकड़ों, कंपनियों की कमाई और वैश्विक संकेतों से संचालित होगा। इसके साथ ही निवेशक की नजर कोविड-19 महामारी के मोर्चे पर नवीनतम घटनाओं और रुझानों पर भी रहेगी। इसमें संक्रमण के मामलों के डेटा और घातक दर और साथ ही टीका परीक्षणों पर अपडेट भी बाजार को प्रभावित करेगा।

विश्लेषकों के मुताबिक यूएस-चीन के बढ़ते तनाव और कोविड-19 मामलों के लगातार बढ़ने से शेयर बाजार के निवेशकों में अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं, जबकि वैक्सीन के मोर्चे पर शुरुआती सकारात्मक विकास एक वैश्विक संकेत बेहतर अवसर बना रहा है। इस प्रकार, शेयर बाजारों में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है।

पिछले सप्ताह की आरबीआई मौद्रिक नीति के बाद, जिसने ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रखी, आने वाले सप्ताह में सभी की नज़र मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन संख्या पर होगी। वैश्विक संकेत और कमाई बाजार की प्रवृत्ति को निर्धारित करना जारी रखेंगे। वैश्विक संकेत इसके अलावा, मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा, मुद्रास्फीति, टीका परीक्षणों पर अपडेट और कोविड-19 स्थिति पर निवेशकों द्वारा बारीकी से नज़र रखी जाएगी।

विश्लेषकों के मुताबिक बाजार प्रतिभागी सप्ताह के दौरान कॉरपोरेट कंपनियों के तिमाही और मासिक आय पर भी गहरी नजर रखेंगे। इस सप्ताह जिन प्रमुख कंपनियों और बैंकों की तिमाही नतीजे आने वाले हैं उनमें , बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बीपीसीएल, हीरो मोटोकॉर्प, एमआरएफ और एनटीपीसी शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह सेंसेक्स 433.68 अंक यानी 1.15 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी। वही निफ्टी में 140.60 अंक यानी 1.26 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।

भारत को मिलने जा रहीं अहम वैश्विक ज़िम्मेदारियां, जानिए क्या होगा इसका असर

नरेंद्र मोदी

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक शुक्रवार को उज़्बेकिस्तान के शहर समरकंद में ख़त्म हुई जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भाग लिया. इस दौरान पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की.

भारत के लिहाज़ से एससीओ काफ़ी महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि अगले साल भारत एससीओ की अध्यक्षता करने जा रहा है और इसकी शिखर बैठक भारत में ही होगी.

भारत की अध्यक्षता को लेकर चीन का बयान आया है और उसने इसका समर्थन किया है. एससीओ में चीनी राष्ट्रपति वैश्विक संकेत शी जिनपिंग ने भी भाग लिया था लेकिन अभी तक यह साफ़ नहीं है कि भारतीय प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति के बीच कोई औपचारिक मुलाक़ात हुई थी या नहीं.

हालांकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि वो एससीओ की अध्यक्षता के लिए भारत का समर्थन करते हैं. इसके अलावा शी जिनपिंग ने अपने भाषण में ज़ोर देते हुए कहा है कि दुनिया के नेताओं को 'तर्कसंगत दिशा में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के अनुरूप विकास को बढ़ावा देने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए.'

वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी भारत को एससीओ की अध्यक्षता के लिए मुबारकबाद दी है.

कई विशेषज्ञों का मानना है कि विश्व में कूटनीति के स्तर पर भारत का कद और बड़ा होता दिख रहा है. भारत अगले साल जहाँ एससीओ की बैठक करने जा रहा है वहीं वो कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और धड़ों की भी अध्यक्षता करने जा रहा है.

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क्या ज़िम्मेदारियां मिलीं?

एससीओ के अलावा भारत को दुनिया के 20 ताक़तवर देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता का कार्यभार भी इसी साल मिलने जा रहा है. अगले साल इसकी शिखर बैठक भारत में आयोजित होगी. इसे भी कूटनीति के क्षेत्र में अहम घटना के तौर पर देखा जा रहा है.

दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले इस समूह की अध्यक्षता भारत को एक दिसंबर 2022 को मिलेगी जो अगले साल 30 नवंबर तक उसके पास रहेगी.

अगर कोई देश जी-20 की अध्यक्षता कर रहा हो तो उसके पास यह अधिकार होता है कि वो किसी देश को गेस्ट कंट्री के तौर पर इसमें भाग लेने की अनुमति दे.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारत जी-20 में अतिथि देश के तौर पर बांग्लादेश, मिस्र, मॉरिशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को न्योता भेजेगा.

दुनिया के नक़्शे पर अगर इन देशों की भौगोलिक मौजूदगी को देखा जाए तो भारत ने बहुत सोच समझकर यह वैश्विक संकेत फ़ैसला लिया है. बांग्लादेश जहाँ भारत का पड़ोसी देश है वहीं इस सूची में अरब, यूरोप, अफ़्रीका और पूर्वी एशिया के देश शामिल हैं.

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एससीओ, जी-20 के अलावा भारत संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी अहम मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र एक जाना-पहचाना नाम और वैश्विक संगठन है और उसकी सुरक्षा परिषद की ताक़त को हर देश मानता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अध्यक्षता भी भारत को मिलने जा रही है.

इस साल के आख़िर में भारत को यह ज़िम्मेदारी दी जा रही है. दिसंबर 2022 में भारत सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा. भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य है.

इसके अलावा दुनिया के सात ताक़तवर देशों के संगठन जी-7 में भी भारत को शामिल करने की चर्चाएं होती रहती हैं लेकिन इसमें अभी फ़िलहाल बड़ी कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है लेकिन इसी साल भारत ने इस संगठन में अपनी अहम मौजूदगी दर्ज कराई थी.

इस साल जून महीने में जर्मनी में हुई जी-7 की शिखर बैठक में भारत ने इसमें मेहमान देश की भूमिका निभाई थी. जी-7 में जर्मनी ने भारत को अतिथि देश के तौर पर बुलाया था.

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वैश्विक कूटनीति के क्षेत्र में भारत की भूमिका

कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत की अध्यक्षता मिलने को एक बड़ी कूटनीतिक विजय के तौर पर देखा जा रहा है और माना जा रहा है कि भारत इसके ज़रिए अपनी एक बड़ी कूटनीतिक छाप दुनिया पर छोड़ेगा.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा था कि विश्व में भारत की भूमिका बीते कुछ सालों में तेज़ी से महत्वपूर्ण हो चुकी है और एससीओ, जी-20 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता मिलना संकेत देता है कि भारत भविष्य में किस तरह की भूमिका निभाने जा रहा है.

भारत को इस तरह की भूमिका दिए जाने को लेकर श्रृंगला इसके कई कारण भी गिनाते हैं. वो कहते हैं कि भारत में रिकॉर्ड 150 अरब डॉलर का एफ़डीआई हुआ है, देश की 60 फ़ीसदी आबादी युवा है, विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर का हो चुका है और वित्तीय वर्ष की अनुमानित वृद्धि दर 9 फ़ीसदी तक है, इन सबके कारण भारत लगातार शीर्ष पर जा रहा है.

उन्होंने कहा था, "इस साल के आख़िर में वैश्विक संकेत भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलेगी. जी-20 देश दुनिया की जीडीपी का 80 फ़ीसदी, अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 75 फ़ीसदी और 60 फ़ीसदी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह प्रमुख सामाजिक-आर्थिक और समसामयिक मुद्दों पर वैश्विक विमर्श को आकार देता है. भारत को इस साल के आख़िर में जी-20, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और एससीओ की अध्यक्षता मिलने जा रही है जो संकेत है कि भारत की भविष्य में क्या भूमिका होगी."

भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासिल भी मानते हैं कि भारत की कूटनीतिक ताक़त लगातार बढ़ रही है. लेकिन इसके साथ ही वो यह भी कहते हैं कि भारत को अभी ख़ुद को विकसित देश घोषित करने के लिए दशकों चाहिए होंगे क्योंकि भारत में अभी भी करोड़ों लोग ग़रीबी में रह रहे हैं.

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अब्दुल बासित ने अपने यूट्यूब वीडियो में भारत के पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का ज़िक्र भी किया. ग़ौरतलब है कि सितंबर महीने की शुरुआत में भारत सकल घरेलू उत्पाद यानी (जीडीपी) के मामले में ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था.

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों ने बताया था कि भारत ने मार्च 2022 के अंत में ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया था. ब्लूमबर्ग ने ये निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के आंकड़ों के आधार पर निकाला था.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक़, इस साल मार्च के अंत में भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर की थी जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी.

पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त ने और क्या-क्या कहा

अब्दुल बासित ने अपने यूट्यबू वीडियो में कहा कि पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और वैश्विक संगठनों में जगह मिलना भारत की ताक़त को दिखाता है.

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उन्होंने कहा, "मैं आने वाले महीनों और सालों में देख रहा हूँ कि इस ताक़त की वजह से भारत का अंतरराष्ट्रीय कद बढ़ेगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक महीने की अध्यक्षता भारत को मिलने जा रही है तो हमें (पाकिस्तान) क़रीब से देखना है कि भारत उस एक महीने में क्या करेगा."

"उसके बाद यूएनएससी की भारत की दो साल की अस्थायी सदस्यता भी ख़त्म हो जाएगी. ऐसी संभावना है कि भारत कुलभूषण जाधव के हवाले से कोई न कोई बात वहाँ लेकर जाए. भारत को इस साल जी-20 की अध्यक्षता मिलने जा रही है."

अब्दुल बासित कहते हैं कि जी-20 एक बहुत अहम संगठन है, जिसकी बैठक अगले साल भारत में होगी, इसका मतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत दुनिया के कई बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत में होंगे. इसके साथ ही भारत में एससीओ की बैठक अगले साल होने जा रही है.

"भारत के पास अब ऐसी बहुत सी जगहें हैं, जहां वो अपने आप को इस तरह से स्थापित कर रहा है कि उसकी अब क्षेत्रीय के साथ-साथ वैश्विक भूमिका भी है. जी-20 की तक़रीबन 200 बैठकें भारत भर में होंगी जिनमें से कुछ बैठकें जम्मू-कश्मीर में हो सकती हैं, इसलिए हमें यह देखना है कि कौन-सी बैठकें वहाँ होने जा रही हैं और कौन-से देश वहाँ जा रहे हैं."

इसके साथ ही बासित ने कहा कि उन्हें लगता है कि कुछ समय में भारत को जी-7 की सदस्यता का निमंत्रण भी दिया जाएगा और उसके बाद ये संगठन जी-8 हो जाएगा, इस बार इसमें रूस नहीं भारत होगा क्योंकि वो दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है.

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मैक्रो डेटा, वैश्विक रुझानों से संकेत लेंगे बाजार: विश्लेषक

विश्लेषकों ने कहा कि इस सप्ताह घरेलू इक्विटी बाजार में व्यापार व्यापक रूप से व्यापक आर्थिक डेटा घोषणाओं और वैश्विक रुझानों से प्रेरित होगा। जुलाई के लिए औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े और अगस्त के लिए मुद्रास्फीति दर की घोषणा सोमवार को वैश्विक संकेत की जाएगी। इसके अलावा थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति के आंकड़े बुधवार को जारी किए जाएंगे।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "आने वाले सप्ताह वैश्विक संकेत में बाजार की दिशा वैश्विक बाजारों के संकेतों के साथ-साथ मुद्रास्फीति, विनिर्माण और औद्योगिक उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा बिंदुओं से निर्धारित होगी।"

अन्य प्रमुख कारक जो व्यापार को प्रभावित करेंगे, वे हैं विदेशी फंड की गति और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में रुझान।

सैमको सिक्योरिटीज के मार्केट पर्सपेक्टिव्स के प्रमुख अपूर्व शेठ ने कहा, "वैश्विक बाजार अमेरिका की मुद्रास्फीति की संख्या का उत्सुकता से इंतजार करेंगे। इस डेटा को अंतरराष्ट्रीय बाजारों द्वारा बारीकी से देखा जाएगा क्योंकि यह प्रभावित करेगा कि फेड भविष्य में दरों में बढ़ोतरी कैसे करेगा।" कोटक सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च (खुदरा) के प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि तेल की कीमतों में अस्थिरता और यूएसडी-आईएनआर की प्रवृत्ति महत्वपूर्ण कारक होंगे जो बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 989.81 अंक यानी 1.68 फीसदी चढ़ा, जबकि निफ्टी 293.90 अंक यानी 1.67 फीसदी चढ़ा. रेलिगेयर वैश्विक संकेत ब्रोकिंग लिमिटेड के वीपी - रिसर्च अजीत मिश्रा ने कहा, "हम बाजारों पर अपना तेजी का नजरिया बनाए रखते हैं।"

मिश्रा ने कहा, "जैसा कि हम बोर्ड भर में ब्याज खरीद रहे हैं, सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों जैसे बैंकिंग, वित्तीय, ऑटो और एफएमसीजी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और दूसरों में चयनात्मक रहना चाहिए।"

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