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वर्चुअल मनी

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तेरह साल के जेम्स बेगिन ने स्टॉक मार्केट चैलेंज के पहले दिन ब्लॉकचेन में निवेश करके पैसे गंवा दिए.

Cryptocurrency : नहीं, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक ही चीजें नहीं होती हैं, समझिए क्या है फर्क

लॉन्च के साथ ही छा गई भारत की डिजिटल करेंसी, पहले दिन ही हुआ 275 करोड़ का ट्रांजेक्शन

भारत के बैंकिंग सेक्टर को डिजिटल क्रांति की राह पर आगे ले जाने के लिए यूपीआई की शुरूआत करने के बाद अब मोदी सरकार ने डिजिटल करेंसी की भी शुरूआत कर दी है। कुछ महीने पहले संसद में वित्त मंत्री ने इसका ऐलान किया था लेकिन अब यह अस्तित्व में आ चुका है। 2 नवंबर से आरबीआई (RBI) की डिजिटल करेंसी सीबीडीसी (CBDC) की शुरुआत हो गई। पहले दिन कई बैंकों ने इस वर्चुअल मनी का इस्तेमाल करते हुए सरकारी बॉन्ड से जुड़े करीब 50 ट्रांजेक्शन किए। इनकी कुल वैल्यू 275 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

बुधवार को आरबीआई ने अपनी डिजिटल करेंसी का पहला पायलट परीक्षण किया और यह संभल भी रहा। इसके लिए 9 बैंकों का चयन किया गया था, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी वर्चुअल मनी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि एसबीआई (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और आईडीएफसी बैंक (IDFC Bank) ने सरकारी बॉन्ड के सेटलमेंट के लिए सीबीडीसी का वर्चुअल मनी पहले-पहल इस्तेमाल किया। हर बैंक ने लगभग 4-5 डील CBDC के जरिए की। मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह फैसला भारत के लोगों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। चलिए आपको विस्तार से समझाते हैं कि आखिर यह डिजिटल करेंसी किस तरीके से काम करती है और यह कैसे पूरी तरह से सेफ है।

कैसे काम करती है डिजिटल करेंसी

दरअसल, पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने वाले हर बैंक का एक डिजिटल करेंसी अकाउंट है जिसे सीबीडीसी अकाउंट (CBDC Account) नाम दिया गया है। इसे आरबीआई की ओर से मेंटेन किया जा रहा है। बैंकों को पहले अपने अकाउंट्स से इस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे। अगर कोई बैंक किसी अन्य बैंक से बॉन्ड खरीद रहा है तो पैसे उस बैंक के सीबीडीसी अकाउंट से डेबिट होंगे और जिस बैंक से बॉन्ड खरीदा जा रहा है उसके सीबीडीसी अकाउंट में ही क्रेडिट होंगे। इसमें वर्चुअल मनी उसी दिन डिजिटल सेटलमेंट होगा। ज्ञात हो कि भारत में दो प्रकार की डिजिटल करेंसी की शुरूआत की गई है एक रिटेल सीबीडीसी (CBDC) और दूसरी होलसेल सीबीडीसी (CBDC)। रिटेल सीबीडीसी का उपयोग आम लोग ही कर सकेंगे, वहीं दूसरी ओर होलसेल सीबीडीसी का उपयोग चुनिंदा वित्‍तीय संस्‍थान, बैंक और बड़ी प्रइवेट कंपनियां कर सकेंगी। अभी आरबीआई की ओर से जो पायलट परीक्षण किया गया, वह होलसेल सीबीडीसी से जुड़ा था। अब इसके सफल होते ही इसकी संभावना काफी तेज हो गई है कि जल्द ही रिटेल सीबीडीसी इस्तेमाल से जुड़ा पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है।

इस कैंप में आने वाले बच्चे करोड़पति बनते हैं

कैंप मिलिनेयर

वह "वॉल्यूम" के बारे में पूछती हैं और फिर बाज़ार पूंजीकरण के बारे में विस्तार से बताती हैं. वहां मौजूद छात्र उनको ध्यान से सुनते हैं.

यह कोई नाइट स्कूल या कॉलेज की क्लास नहीं है. लुकमैन एक प्रोजेक्ट मैनेजर हैं जिन्होंने कैंप मिलियनेयर का गठन किया है और वह यहां पढ़ाती भी हैं.

उनके पास 10 से 14 साल की उम्र के करीब दर्जन भर बच्चे आते हैं.

वह डिज्नी कंपनी की माली हालत की चर्चा करते हुए कुछ दिन पहले उसके बाज़ार मूल्य में आई गिरावट की बात करती हैं तो एक बच्चा फुसफुसाते हुए कहता है, "मुझे यकीन है कि ऐसा अलादीन के आने पर हुआ था."

लुकमैन के पास आने वाले बच्चों की पृष्ठभूमि अलग है, लेकिन अधिकतर बच्चे मध्य और उच्च वर्ग के परिवारों के हैं.

उद्यमियों की नई पीढ़ी?

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दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर

हममें से कई लोग अपने बचपन में गर्मी की छुट्टियों को याद करते हैं तो हमारा वक़्त फुटबॉल खेलने, तैरने या नाटक करने में बीतता था.

हाल के वर्षों में कई समर कैंप (किताबें और पत्रिकाएं भी) में बच्चों को यह सिखाया जाता है कि पैसे कैसे कमाएं, कैसे बचाएं और कैसे अमीर बनें.

पूरे उत्तर अमरीका में कैंप मिलेनियर जैसे फाइनेंस कैंप खुल गए हैं. डेनवर में जूनियर मनी मैटर्स है जहां बच्चों को अंतरराष्ट्रीय कारोबारी सिद्धांत सिखाए जाते हैं.

ऑस्टिन में मुल्ला यू के कैंप में बच्चे कारोबार खड़ा करते हैं, उत्पाद बनाते हैं और असली पैसों के लिए उनको बेचते हैं.

हांगकांग में किड्स बिज़ एकेडमी के होलीडे कैंप में 8 से 14 साल के बच्चे व्यापार चलाने के गुर सीखते हैं.

अच्छी ज़िंदगी के लिए कड़ी मेहनत

कैंप मिलेनियर का पाठ्यक्रम बढ़ते बच्चों को वित्तीय साक्षरता के लिए वर्चुअल मनी प्रोत्साहित करता है.

परोपकार और सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पैसे कैसे खर्च किए जाएं, यह भी बताया जाता है.

बेशक कैंप में संपत्ति अर्जित करने पर जोर होता है, लेकिन लुकमैन बच्चों को प्रोत्साहित वर्चुअल मनी करती हैं कि वे दूसरे देशों में क्या चल रहा है इसे भी जानें समझें. मसलन, जलवायु परिवर्तन कैसे उनके निवेश को प्रभावित कर सकता है.

वह कहती हैं, "हम पेरिस में लू के थपेड़ों की बात करते हैं और यह भी कि इसके आपके पोर्टफोलियो के लिए क्या मायने हैं."

स्टॉक मार्केट चैलेंज के लिए लुकमैन हर बच्चे को 10 हजार डॉलर की वर्चुअल मनी देती हैं.

पहले दिन बच्चे शेयर बाजार की बुनियादी बातें सीखते हैं, जैसे- यह कैसे काम करता है, करेंसी, बाजार खुलने और बंद होने का समय वगैरह.

यहां पैसे लगा करेंसी ट्रेडर ने एक महीने में बनाए 1800 करोड़ रुपए, 413 पर्सेंट का मुनाफा कमाया

यहां पैसे लगा करेंसी ट्रेडर ने एक महीने में बनाए 1800 करोड़ रुपए, 413 पर्सेंट का मुनाफा कमाया

ईडी ने जब्त की रिकॉर्ड संपत्ति (Representative Image)

एक रहस्मीय क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडर ने सिर्फ एक महीने में 283 मिलियन डॉलर (करीब 1826 करोड़ रुपए) कमाए। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेडर ने 55 मिलियन डॉलर (354 करोड़ रुपए) लगाकर करीब 4 गुना मुनाफा कमाया। आपको जानकर हैरानी होगी एक महीने में इतनी मोटी कमाई करने वाले उस शख्स की असली पहचान क्या है, इस बात का किसी को पता नहीं है। फिलहाल केवल उसका एक ही सुराग है और वो है उसके वर्चुअल वॉलेट का आइडेंटिफिकेशन कोड। जो कि 11 जून को सोशल प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर सामने आया। ब्लूमबर्ग के मुताबिक पोस्ट में ट्रेडर ने लिखा कि इस साल उसे इथेरियम ब्लॉकचैन की डिजीटल करेंसी इथर से 413 प्रतिशत का फायदा हुआ है। पोस्ट में लिखा गया है कि मुझसे कई लोगों ने मैसेज करके पूछा है कि मेरे पास कितना इथर है।

दिल्ली सरकार का NIOS को जवाब-हमने जो खोला वो मॉडल वर्चुअल स्कूल, पूरी तरह से ऑनलाइन

दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि हमारा खोला हुआ वर्चुअल स्कूल पूरी तरह से ऑनलाइन होगा. (फाइल फोटो)

  • भाषा
  • Last Updated : September 01, 2022, 23:07 IST

हाइलाइट्स

दिल्ली सरकार ने कहा कि हम कुछ स्कूलों में हमारे छात्रों के लिए एनआईओएस को एक विकल्प के रूप में ले रही है.

नई दिल्ली. एनआईओएस का पहला वर्चुअल स्कूल 2021 में शुरू करने के दावे पर दिल्ली सरकार ने गुरुवार को कहा कि उसका दिल्ली मॉडल वर्चुअल स्कूल पूरी तरह ऑनलाइन होगा जिसमें कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई होगी. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) ने बुधवार को एक बयान में कहा था कि देश में पहला वर्चुअल स्कूल पिछले साल केंद्र द्वारा शुरू किया गया था. दिल्ली सरकार ने कहा कि एनआईओएस के देश भर में अध्ययन केंद्र हैं जो प्रत्यक्ष रूप से कक्षाएं संचालित करते हैं, जबकि दिल्ली मॉडल वर्चुअल स्कूल पूरी तरह से ऑनलाइन होगा.

एनआईओएस ने कहा बुधवार को कहा था कि भारत के प्रथम वर्चुअल स्कूल की आज शुरूआत किये जाने के दावे के बारे में कुछ खबरों के संदर्भ में सूचित किया जाता है कि देश के प्रथम वर्चुअल स्कूल की शुरुआत पिछले साल अगस्त में ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री कर चुके हैं.

आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)

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2. दोनों की सिक्योरिटी और इस्तेमाल

डिजिटल करेंसी को एन्क्रिप्शन की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन हां, यूजर्स को अपने डिजिटल वॉलेट्स यानी की बैंकिंग ऐप या पेमेंट ऐप्स को स्ट्रॉन्ग पासवर्ड के जरिए सेफ रखना पड़ता है. इसके अलावा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखना होता है. डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल किसी भी उपलब्ध ऑनलाइन माध्यम से और हर उस चीज के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए नकदी की जरूरत पड़ती है.

वहीं, क्रिप्टोकरेंसी को सुरक्षा के लिए बहुत मजबूत और जटिल एन्क्रिप्शन की जरूरत पड़ती है. क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने या इसे खरीदने-बेचने के लिए सबसे पहले तो आपके पास बैंक अकाउंट और डिजिटल करेंसी की जरूरत पड़ेगी. उसके बाद आपको किसी क्रिप्टो एक्सचेंज पर ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. वहां से डिजिटल करेंसी से क्रिप्टोकरेंसी खरीदनी होगी, उसके बाद आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश शुरू करेंगे.

3. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी का नियमन

जैसाकि हम पहले वर्चुअल मनी कह चुके हैं, डिजिटल करेंसी फ्लैट मनी का ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म है, ऐसे में इसका नियमन भी वही संस्थाएं देखती हैं जो फ्लैट करेंसी का नियमन देखती हैं. फ्लैट करेंसी की एक निश्चित नियामक संस्था होती है, जो मौद्रिक नीतियां बनाती है और मॉनेटरी सिस्टम पर कंट्रोल रखती हैं. भारत में रुपया का नियम रिजर्व बैंक देखता है, वहीं डिजिटल करेंसी के ट्रांजैक्शन को संबंधित अथॉरिटी देखती है.

लेकिन वहीं, क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम पर बना हुआ है, यानी इसका कोई एक नियामक बिंदु नहीं है, जहां से इसपर नियंत्रण रखा जाता है या फिर इसपर नियम कानून लागू किए जाते हैं. इसे कोई एक संस्था नियमित नहीं करती है. क्रिप्टो मार्केट में जितने भी ट्रांजैक्शन होते हैं, उन्हें हर कोई देख सकता है. इसके लिए एक पब्लिक लेज़र होता है, जो सबके लिए कहीं भी उपलब्ध रहता है.

4. दोनों की स्थिरता

डिजिटल करेंसी सामान्यतया स्थिर ही रहती है. करेंसी में हल्का-उतार चढ़ाव रहता है, जिससे बाजार में अचानक तूफान नहीं आता. ऊपर से विश्व भर में इसे मान्यता मिली हुई है तो इसके ट्रांजैक्शन में कोई दिक्कत नहीं आती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी बाजार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव का शिकार होता है. यहां पर बहुत ज्यादा अनिश्चितता होती है. वैसे भी क्रिप्टो अभी बहुत नया है. नये बाजार में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव रहना बहुत ही सामान्य बात है.

डिजिटल करेंसी या फ्लैट करेंसी का सिस्टम बहुत ही प्राइवेट है. इसके ट्रांजैक्शन की जानकारी बस सेंडर, रिसीवर और बैंकिंग अथॉरिटी को रहती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जो भी ट्रांजैक्शन हो रहा है, उसकी जानकारी सबको होती है. सभी ट्रॉन्जैक्शन पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में दर्ज होते हैं. इससे सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहती है.

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