कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? [निवेश करने के प्रक्रिया की जानकारी]
दोस्तों, क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते है लेकिन बाजार के प्रतिदिन उतर चढ़ाव का जोखिम नहीं लेना चाहते है ? आपके लिए डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) एक बेहतर विकल्प है। यह निवेशकों में बहुत लोकप्रिय और सुरक्षित है।
डिलीवरी ट्रेडिंग
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक शेयर को अपने डीमैट खाता में जमा करता है। डीमैट खाता (Demat Account) में निवेशक बिना किसी कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले समय अवधि तक होल्ड करके रख सकता है और फिर इच्छानुसार कभी भी अपने शेयर को बेच सकता है। जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर्स को एक दिन के अंदर ही शेयर खरीदने या बेचने की प्रतिबद्धता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने या बेचने के लिए कोई परिसीमा नहीं है। निवेशक दो दिन के अंदर या दो वर्षो बाद भी अपने शेयर को बेच सकता है।
निवेशक के पास पूर्ण अधिकार होता है की वह अपने इच्छा के अनुसार अपने शेयर को होल्ड या बेच सकता है। डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा होता है जो ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते है और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक में मुनाफा बनाना चाहते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को शेयर खरीदने से पहले उस कीमत के बराबर पैसे तैयार रखने होते है।
उदाहरण : यदि आप XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद रहे है जिसकी कीमत ₹ 15000 है तो आपके डीमैट खाता में ₹ 15000 की कैश रखना होगा। और यदि आप XYZ कंपनी के 110 शेयर बेचना (Sell) चाहते है तो 110 शेयर आपके डीमैट खाता में होना चाहिए।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक विभिन्न प्रकार से निवेश कर सकता है जो निम्नलिखित है
- इक्विटी
- फॉरेक्स
- कमोडिटी
- डेरीवेटिव
- म्यूच्यूअल फंड्स
डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम
आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना चाहते है तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना आवश्यक है। यह आपको सही शेयर खरीदने में मदद करेगा। आप शेयर बाजार में नए है और किसी निपुण निवेशक सलाहकार की मदद चाहिए तो आप CapitalVIa Global Research Limited से संपर्क कर सकते है। आईये जानते है कुछ बुनियादी नियम के बारें में जिसका पालन शेयर खरीदते समय करना चाहिए।
- सबसे पहले आपको कुछ कंपनी के fundamental Analysis के अध्यन करने के बाद एक सूचि तैयार करे।
- भविष्य में उसके विकास, बैलेंस शीट आदि को ध्यान में रखकर अपने wishlist में शामिल करे।
- अपने निवेश के जोखिम के अनुसार अपने डीमैट खाता में उतना धन संचित करे।
- सही शेयर की कीमत देखकर शेयर को ख़रीदे।
- बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करे ताकि आपको नुकसान नहीं हो।
- टारगेट और स्टॉप लॉस अवश्य लगाए।
- आपको पैसे अलग -2 कंपनियों में निवेश करे जिससे आपका जोखिम काम और रिटर्न्स अच्छा प्राप्त होगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?
कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।
यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।
लॉन्ग टर्म निवेश
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।
सुरक्षित
जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, आप स्टॉक खरीदने के बाद बोनस के लिए योग्य है। जब भी कंपनी कुछ बोनस शेयरों को रोल आउट करती है, तो निवेशक बोनस का दावा कर सकते हैं।
उच्च लाभ
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में निवेशकों को शेयर के रिटर्न्स के साथ बोनस भी मिलता है । इसलिए कुछ शेयर में आपके रिटर्न्स से भी ज्यादा रिटर्न्स मिलता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:
पहले से भुगतान
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले और आप अच्छे शेयर खरीदने से वंचित हो जाते है।
अधिक ब्रोकरेज शुल्क
डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।
दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए कुछ मुलभुत नियमों का पालन करना आवश्यक है यदि आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं ले सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से निवेश कर सकते है। निवेशक को सदैव अलग-2 कंपनियों के शेयर में निवेश करना चाहिए यह आपके जोखिम को कम करता है।
अपने निवेश करने के चयन प्रक्रिया के बारें में जानकारी प्राप्त किया और साथ ही डिलीवरी ट्रेडिंग के फ़ायदे और नुकसान के बारें में विस्तृत रूप से समझे।
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डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? [निवेश करने के प्रक्रिया की जानकारी]
दोस्तों, क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते है लेकिन बाजार के प्रतिदिन उतर चढ़ाव का जोखिम नहीं लेना चाहते है ? आपके लिए डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) एक बेहतर विकल्प है। यह निवेशकों में बहुत लोकप्रिय और सुरक्षित है।
डिलीवरी ट्रेडिंग
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक शेयर को अपने डीमैट खाता में जमा करता है। डीमैट खाता (Demat Account) में निवेशक बिना किसी समय अवधि तक होल्ड करके रख सकता है और फिर इच्छानुसार कभी भी अपने शेयर को बेच सकता है। जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर्स को एक दिन के अंदर ही शेयर खरीदने या बेचने की प्रतिबद्धता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने या बेचने के लिए कोई परिसीमा नहीं है। निवेशक दो दिन के अंदर या दो वर्षो बाद भी अपने शेयर को बेच सकता है।
निवेशक के पास पूर्ण अधिकार होता है की वह अपने इच्छा के अनुसार अपने शेयर को होल्ड या बेच सकता है। डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा होता है जो ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते है और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक में मुनाफा बनाना चाहते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को शेयर खरीदने से पहले उस कीमत के बराबर पैसे तैयार रखने होते है।
उदाहरण : यदि आप XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद रहे है जिसकी कीमत ₹ 15000 है तो आपके डीमैट खाता में ₹ 15000 की कैश रखना होगा। और यदि आप XYZ कंपनी के 110 शेयर बेचना (Sell) चाहते है तो 110 शेयर आपके डीमैट खाता में होना चाहिए।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक विभिन्न प्रकार से निवेश कर सकता है जो निम्नलिखित है
- इक्विटी
- फॉरेक्स
- कमोडिटी
- डेरीवेटिव
- म्यूच्यूअल फंड्स
डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम
आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना चाहते है तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना आवश्यक है। यह आपको सही शेयर खरीदने में मदद करेगा। आप शेयर बाजार में नए है और किसी निपुण निवेशक सलाहकार की मदद चाहिए तो आप CapitalVIa Global Research Limited से संपर्क कर सकते है। आईये जानते है कुछ बुनियादी नियम के बारें में जिसका पालन शेयर खरीदते समय करना चाहिए।
- सबसे पहले आपको कुछ कंपनी के fundamental Analysis के अध्यन करने के बाद एक सूचि तैयार करे।
- भविष्य कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले में उसके विकास, बैलेंस शीट आदि को ध्यान में रखकर अपने wishlist में शामिल करे।
- अपने निवेश के जोखिम के अनुसार अपने डीमैट खाता में उतना धन संचित करे।
- सही शेयर की कीमत देखकर शेयर को ख़रीदे।
- बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करे ताकि आपको नुकसान नहीं हो।
- टारगेट और स्टॉप लॉस अवश्य लगाए।
- आपको पैसे अलग -2 कंपनियों में निवेश करे जिससे आपका जोखिम काम और रिटर्न्स अच्छा प्राप्त होगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?
कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।
यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।
लॉन्ग टर्म निवेश
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।
सुरक्षित
जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, आप स्टॉक खरीदने के बाद बोनस के लिए योग्य है। जब भी कंपनी कुछ बोनस शेयरों को रोल आउट करती है, तो निवेशक बोनस का दावा कर सकते हैं।
उच्च लाभ
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में निवेशकों को शेयर के रिटर्न्स के साथ बोनस भी मिलता है । इसलिए कुछ शेयर में आपके रिटर्न्स से भी ज्यादा रिटर्न्स मिलता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:
पहले से भुगतान
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है और आप अच्छे शेयर खरीदने से वंचित हो जाते है।
अधिक ब्रोकरेज शुल्क
डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।
दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए कुछ मुलभुत नियमों का पालन करना आवश्यक है यदि आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं ले सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से निवेश कर सकते है। निवेशक को सदैव अलग-2 कंपनियों के शेयर में निवेश करना चाहिए यह आपके जोखिम को कम करता है।
अपने निवेश करने के चयन प्रक्रिया के बारें में जानकारी प्राप्त किया और साथ ही डिलीवरी ट्रेडिंग के फ़ायदे और नुकसान के बारें में विस्तृत रूप से समझे।
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कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने? | How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi
- Post author: ShareMarketIndia
- Post published: March 11, 2022
- Post category: शेयर मार्केट
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इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने? | How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi
शेयर मार्केट में जब एक दिन के अंदर ही शेयर को खरीदकर बेचा जाता है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते है।शेयर मार्केट सुबह 9:15 को खुलता है और 3:30 को बंद होता है।इस समय के बीच में अगर आप शेयर खरीदकर उसे बेच देते है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता पाने के लिए,आपको यह जानना महत्वपूर्ण है कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयर कैसे चुने?(How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi)। इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए अच्छे शेयर चुनकर आप कम समय में अच्छा पैसा कमा सकते है।
लेकिन बहुत से लोग मुनाफा नहीं कमा पाते उल्टा नुकसान कर बैठते है। क्योंकि वे इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए अच्छे और उपयुक्त शेयर नहीं चुन पाते।
आज में आपको कुछ ऐसी टिप्स बताने वाला हूं जिससे आप इंट्राडे के लिए अच्छे शेयर चून सकते है।
Table of Contents
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने | How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – तरलता
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आपको ऐसे शेयर चुनने चाहिए जिसमें ज्यादा तरलता हो। तरलता को इंग्लिश में लिक्वडिटी कहा जाता है।
तरलता का मतलब होता है कि किसी भी शेयर को आसानी से कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि आपके पास जो भी शेयर है, उसे सही वक्त आने पर बेच कर आसानी से कैश में बदला जा सके। कोई भी शेयर जितना तरल होगा, उसे उतनी आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। अगर कोई शेयर जितना कम कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले तरल होगा उसे बेचना और खरीदना उतना ही मुश्किल हो सकता है।
अच्छी तरलता वाले शेयर को इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए चुनने से जब भी आपको एक अच्छा मुनाफा हो तो उसे बेचने में आसानी होती है।
अगर शेयर को खरीदने वाले लोग कम होंगे तो हो सकता है कि जब आप शेयर को बेचना चाहते हो उस वक्त आपको खरीदार ही ना मिले। इसलिए आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ज्यादा तरल स्टॉक में ही ट्रेडिंग करनी चाहिए।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – मीडियम वोलैटिलिटी
आपको ऐसे शेयर चुनने है जिसमें मीडियम वोलैटिलिटी यानी उतार चढ़ाव होते हो।
इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसा कमाने के लिए शेयर के प्राइस मूवमेंट की आवश्यकता होती है। इसलिए ऐसे शेयरों का चयन जरूरी होता है जिसमें वोलैटिलिटी हो।अगर आपने ऐसे शेयर चुन लिए जिसमें ज्यादा प्राइस मूवमेंट ना होती हो तो आप अच्छा पैसा नहीं बना पाएंगे।इसलिए आपको जिसमें मीडियम वोलैटिलिटी हो ऐसे शेयर चुनने चाहिए।
हाई वोलैटिलिटी वाले शेयर में रिस्क ज्यादा होता है।अगर आप ज्यादा रिस्क ले सकते है तो हाई वोलैटिलिटी वाले शेयर भी चुन सकते है। लेकिन मेरी राय ये होगी की आप ऐसे शेयरों से दूर रहे।
विशेषज्ञ उन शेयरों को चुनने का सुझाव देते हैं जिनमें औसतन प्रति दिन कम से कम 3 प्रतिशत की प्राइस मूवमेंट होती है।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – मार्केट ट्रेंड्स
कुछ शेयर ऐसे होते है जो मार्केट के रुझान यानी ट्रेंड्स के साथ चलते हैं। यानी जब मार्केट ऊपर जाता है तो वे ऊपर जाते हैं और जब मार्केट निचे होता है तो वे नीचे जाते हैं।
मार्केट ट्रेंड्स बहुत से बार शेयरों के प्राइस मूवमेंट को निर्धारित करता है। ऐसा शेयर चुनें जिसमें मार्केट में तेजी आने पर बढ़ने की क्षमता हो।एक इंट्राडे ट्रेडर होने के नाते, आपको उन शेयरों को चुनने चाहिए जो मार्केट के रुझान के साथ चलते हैं।
ऐसे शेयरों के साथ पैसा बनाने का मौका ज्यादा होता है। क्योंकि वे शेयर कभी कभी पूरे मार्केट की तुलना से अधिक बढ़ते हैं।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – टेक्निकल एनालिसिस
टेक्निकल एनालिसिस में किसी भी शेयर की प्राइस मूवमेंट को देखकर यह अंदाज़ा लगाया जाता है की शेयर ऊपर जायेगा या नीचे।
टेक्निकल एनालिसिस को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।टेक्निकल एनालिसिस की मदद से आप शेयर प्राइस मूवमेंट,ट्रेंड्स,ट्रेडिंग वॉल्यूम इन सबका पता कर सकते हैं।
आप टेक्निकल एनालिसिस यूट्यूब चैनल, वेबसाइट्स या कोई कोर्सेस करके सीख सकते है।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – शेयर मार्केट न्यूज़ देखे
अगर किसी कंपनी से जुड़ी कुछ अच्छी खबर आती है तो उसके शेयर में बढ़ोतरी हो सकती है।अगर खबर बुरी हो तो शेयर मी गिरावट भी आ सकती है।
अगर किसी शेयर से संबंधित कुछ अच्छा समाचार आने वाला होता है, तो आप समाचार सामने आने से पहले शेयर पैसा लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए,अगर कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है या क्वार्टरली रिजल्ट्स या अन्य कोई घोषणा करती है तो हो सकता है कि उसके शेयर मी बढ़ोतरी देखने मिले।
कुछ कम्पनियों के शेयर सरकारी घोषणा,बजट घोषणा,आरबीआई घोषणा आदि से भी प्रभावित होते हैं।इसलिए आपको शेयर मार्केट से जुड़ी न्यूज़ भी देखनी चाहिए।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – FAQ
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने?
तरलता,मीडियम वोलैटिलिटी,मार्केट ट्रेंड्स,टेक्निकल एनालिसिस,शेयर मार्केट न्यूज़ देखे
निष्कर्ष
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सही और अच्छा शेयर चुनकर आप अच्छे पैसे बना सकते हो।इंट्राडे ट्रेडिंग करना जोखिम भरा हो सकता है लेकिन सही तरीके और मानसिकता के साथ, आप बहुत अधिक लाभ कमा सकते हैं।
अगर आपको इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने?(How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi) इसके बारे में यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे जरूर शेयर कीजिए।
कम समय में चाहते हैं मोटा मुनाफा, तो आप ट्रेडिंग ऑप्शन पर लगा सकते हैं दांव
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से मोटा मुनाफा संभव है.
शेयर मार्केट के संबंध में अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. हालांकि, दोनों माध्यमों में निवेशकों का मकस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 11, 2022, 14:52 IST
नई दिल्ली . शेयर मार्केट संबंधित चर्चा होते ही अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. कई लोग ट्रेडिंग और निवेश में फर्क नहीं कर पाते हैं. तो आपको बता दें कि ट्रेडिंग और निवेश के बीच सबसे अहम अंतर समय अवधि का है. निवेश की तुलना में ट्रेडिंग में समय अवधि काफी कम होती है. ट्रेडिंग कई प्रकार की होतीं हैं और ट्रेडर्स स्टॉक में अपनी पॉजिशन बहुत कम समय तक रखते हैं, जबकि निवेश वे लोग करते हैं, जो स्टॉक को वर्षों तक अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं. अगर आप कम समय में मोटा मुनाफा चाहते हैं, तो ट्रेडिंग आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है.
सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते हैं. फाइनेंसियल मार्केट की स्थिति और जोखिम के आधार पर ट्रेडिंग की विभिन्न स्ट्रेटेजी हैं. ट्रेडर्स अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से इनका चयन करते हैं. साथ ही विभिन्न प्रकार की ट्रेडिंग से जुड़े रिस्क और लागत को भी ध्यान में रखते हैं. आइए, यहां हम उन लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की चर्चा करते हैं, जो अधिकतर ट्रेडर अपनाते हैं.
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इंट्राडे ट्रेडिंग
शेयर बाजार में महज 1 दिन के कारोबार में भी मोटा प्रॉफिट कमाया जा सकता है. दरअसल, बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading) कहते हैं. इस स्ट्रेटेजी के तहत शेयर खरीदा तो जाता है, लेकिन उसका मकसद निवेश नहीं, बल्कि 1 दिन में ही उसमें होने वाली बढ़त से प्रॉफिट कमाना होता है. इसमें चंद मिनटों से ले कर कुछ घंटे तक में ट्रेडिंग हो जाती है. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि इंट्रोडे ट्रेडर्स को हमेशा प्रॉफिट ही होता हो. ट्रेडर्स अपना ट्रेड शेयर मार्केट बंद होने से पहले बंद करते हैं और प्रॉफिट या लॉस उठाते हैं. इसमें तेजी से निर्णय लेना होता है.
पॉजिशनल ट्रेडिंग
पॉजिशनल ट्रेडिंग (Positional trading) स्टॉक मार्केट की एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें स्टॉक को लंबे समय तक होल्ड किया जाता है. इस स्ट्रेटेजी के तहत ट्रेडर्स किसी स्टॉक को कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक के लिए खरीदते हैं. उसके बाद उस स्टॉक को बेच कर प्रॉफिट या लॉस लेते हैं. उनका मानना होता है कि इतनी अवधि में शेयर के दाम में अच्छी बढ़ोतरी होगी. निवेशक आमतौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल ग्राउंड को ध्यान में रखकर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल को ध्यान में रखकर यह स्ट्रेटेजी अपनाते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading) में टाइम पीरियड इंट्राडे से अधिक होता है. कोई स्विंग ट्रेडर अपनी पॉजिशन 1 दिन से अधिक से लेकर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी कम होने के साथ प्रॉफिट बनाने की संभावना काफी अधिक होती है. यही कारण है कि अधिकतर लोग इंट्राडे की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
टेक्निकल ट्रेडिंग
टेक्निकल ट्रेडिंग (technical trading) में निवेशक मार्केट में मूल्य परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के लिए अपने टेक्निकल एनालिसिस ज्ञान का उपयोग करते हैं. हालांकि, इस ट्रेडिंग के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है. इसमें पॉजिशन 1 दिन से लेकर कई महीने तक रखा जा सकता है. शेयर मार्केट में कीमतों में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करने के लिए अधिकतर ट्रेडर्स अपने टेक्निकल एनालिसिस स्किल का उपयोग करते हैं. टेक्निकल एनालिसिस के तहत देखा जाता है कि किसी खास समय अवधि में किसी शेयर की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया. इस अवधि में इसकी ट्रेड की गई संख्या में क्या कभी कोई बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.
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