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इक्विटी पर व्यापार क्या है?

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लॉन्ग टर्म के निवेश के लिए इक्विटी अब भी सबसे बेहतर विकल्प, ये फैक्टर्स दे रहे संकेत

स्टॉक (Stocks) में जोख‍िम ज्यादा रहता है लेकिन इसमें एक अच्‍छी बात यह है कि जितनी लंबी अवध‍ि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का असर सीमित होता जाता है. इसलिए लॉन्ग टर्म में इक्विटी सबसे बेहतर एसेट क्‍लास हैं.

भारतीय शेयर बाजार में करीब 18 महीने तक की तेजी के बाद पिछले एक साल में मिलाजुला रुख देखा गया. बाजार में उतार-चढ़ाव वाला रहा है लेकिन इसके लिए यह कोई असामान्‍य बात नहीं है. एक एसेट क्‍लास के रूप में देखें तो स्टॉक (Stocks) में जोख‍िम ज्यादा रहता है लेकिन इसमें एक अच्‍छी बात यह है कि जितनी इक्विटी पर व्यापार क्या है? लंबी अवध‍ि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का असर सीमित होता जाता है. इसलिए लॉन्ग टर्म में इक्विटी सबसे बेहतर एसेट क्‍लास हैं.

कमोडिटीज की कीमतों में आई गिरावट

अब इस पर बहस की जा सकती है कि खासकर विकसित देशों में मंदी या सुस्‍ती का असर कम रहेगा या व्‍यापक रहेगा, या महंगाई टिकने वाला होगा या कुछ समय के लिए. लेकिन कमोडिटीज और एनर्जी की कीमतों (ऊर्जा आयात का हिस्‍सा जीडीपी के 4 फीसदी तक होता है) में कमी आई है जो कुछ राहत की बात है. हम पूरे भरोसे से यह नहीं कह सकते कि मार्जिन का दबाव कम हुआ है, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि अब चीजें सही दिशा में जा रही हैं, कम से कम कमोडिटी उपभोग के मामले में.

हालांकि, कई ऐसे जोख‍िम हैं जिनका हमें ध्‍यान रखना होगा. पहला- अनिश्चित जियो-पॉलिटिकल चिंताएं और सप्‍लाई चेन की निरंतरता के मसले लंबे समय तक बने रहने वाले हैं. दूसरा- अब करीब एक दशक के कम ब्‍याज दरों और आसान नकदी के माहौल से ऊंची ब्‍याज दरों और नकदी में सख्‍ती वाले माहौल की तरफ बढ़ा जा रहा है. पहले जोख‍िम की वजह से महंगाई न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता है और हमनें यह देखा है कि केंद्रीय बैंक सख्‍त मौद्रिक नीतियों से इस पर अंकुश के लिए कोशिश में लगे हुए हैं.

शॉर्ट टर्म में बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे

भारत में हमें कुछ और समस्‍याओं के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं- विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है, व्‍यापार घाटा ऊंचाई पर है और रुपए में काफी कमजोरी है. महंगाई लगातार ऊंचाई पर बनी हुई है और पिछले करीब तीन तिमाहियों से यह रिजर्व बैंक के 6% के सुविधाजनक स्‍तर से ऊपर है. कई दूसरे देशों के मुकाबले हमने बेहतर प्रदर्शन किया है और हमारी ग्रोथ रेट भी बहुत अच्‍छी है, लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था की इस अलग राह या बेहतरीन प्रदर्शन से जरूरी नहीं इक्विटी पर व्यापार क्या है? कि बाजार एक-दूसरे से जुड़े नहीं हों, भले ही प्रदर्शन कितना ही बढ़ि‍या हो. इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शॉर्ट टर्म में हमारे बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे.

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वैश्विक तरक्‍की में मौजूदा अनिश्चिचता के माहौल को देखते हुए बाजारों के लिए मौजूदा साल काफी चुनौतियों वाला हो सकता है. वैश्विक स्‍तर पर और भारत में ऊंची ब्‍याज दरों की वजह से शेयरों के वैल्‍युएशन में उस बढ़त पर जोख‍िम आ इक्विटी पर व्यापार क्या है? सकता है, जिसका हाल में भारतीय बाजारों को फायदा मिला है. इसके अलावा भारत के कई राज्‍यों में मानसून अनियमित रहने की वजह से खाद्य महंगाई भी ऊंचाई पर रहने की आशंका है.

Equity- क्या होती है इक्विटी

क्या होती है इक्विटी?
इक्विटी (Equity) को आम तौर पर शेयरधारकों की इक्विटी या निजी तौर की कंपनियों के लिए मालिकों की इक्विटी कहा जाता है। इक्विटी उस धन की राशि का प्रतिनिधित्व करती है जो कंपनी के शेयरधारकों को उस स्थिति में वापस कर दी जाएगी, अगर कंपनी के सारे एसेट लिक्विडेट हो जाते हैं और लिक्विडेशन के मामले में कंपनी के सारे ऋण चुका दिए जाते हैं। अधिग्रहण के मामले में यह कंपनी सेल्स की वैल्यू है, जिसमें कंपनी के ऊपर किसी देनदारी को सेल के साथ ट्रांसफर नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त, शेयरधारक इक्विटी किसी कंपनी की बुक वैल्यू का प्रतिनिधित्व कर सकती है। इक्विटी को कभी कभार पेमेंट-इन-काइंड के रूप में ऑॅफर किया जा सकता है। यह कंपनी के शेयरों के यथानुपात (प्रो राटा) स्वामित्व का भी प्रतिनिधित्व करती है। इक्विटी कंपनी के बैलेंस शीट पर पाई जा सकती है और यह कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का अनुमान लगाने के लिए तैनात सर्वाधिक आम आंकड़ों में से एक है।

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उद्योग के लिए जन-संपर्क करने वाला आईवीसीए और परामर्श कंपनी ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार आलोच्य महीने में 83 सौदों में पीई और वीसी ने 2.2 अरब डॉलर निवेश किये. इसमें भारतीय कंपनियों के लिए 97.2 करोड़ डॉलर में पांच बड़े सौदे शामिल हैं.

मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई, 2022 में वीसी निवेश 4.1 अरब डॉलर इक्विटी पर व्यापार क्या है? इक्विटी पर व्यापार क्या है? रहा था जबकि पिछले साल अगस्त में यह 11.2 अरब डॉलर था.

परामर्श कंपनी के साझेदार विवेक सोनी ने कहा कि भारतीय पीई/वीसी निवेश इस साल के शुरुआत में मजबूत रहा. लेकिन उसके बाद इसमें सुस्ती आई है और यह 19 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया.

सोनी ने कहा, ‘ निवेशक निवेश संबंधी निर्णय लेने में अधिक सतर्कता बरत रहे हैं. सौदों को पूरा करने में भी अधिक समय ले रहे हैं. इसका कारण पिछले साल के मुकाबले प्रतिस्पर्धी दबाव का कम होना और पूंजी लागत का बढ़ना है.’’

उन्होंने कहा कि पिछले महीने स्वास्थ्य क्षेत्र को छोड़कर अधिकतर क्षेत्रों में निवेश में गिरावट पायी गयी. इस क्षेत्र में पीई / वीसी निवेश में 485 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

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