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ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है

ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है
आरबीआई की डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।

‘ब्लॉकचेन’ प्रौद्योगिकी से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

यह अपेक्षा की जा रही है कि बिचौलियों को हटाकर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी किसी भी प्रकार के लेन-देन की दक्षता में सुधार लाएगी तथा इससे सभी लेन-देनों की लागत में भी कमी आएगी। इससे पारदर्शिता में भी वृद्धि होगी तथा फर्जी लेन-देनों से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि इसके अंतर्गत प्रत्येक लेन-देन को एक सार्वजानिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाएगा।

Blockchain Technology explainer: क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी जिस पर चलेगी देश की डिजिटल करेंसी

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अगले वित्त वर्ष में देश में डिजिटल करेंसी (Digital Currency) लाने की बात कही है। यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) पर आधारित होगी। जानिए क्या होती है यह टेक्नोलॉजी और कैसे काम करती है..

Blockchain Technology

आरबीआई की डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।

  1. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी क्या है?
    यह आरबीआई की अपनी तरह की पहली वर्चुअल करेंसी होगी जो हार्ड कैश की जगह लेगी। सरकार ने ऐसे वक्त में डिजिटल रुपये को जारी करने का ऐलान किया है जब मार्केट में बिटकॉइन समेत कई प्राइवेट वर्चुअल करेंसी मौजूद हैं। CBDC एक लीगल टेंडर होगी। इसके पीछे देश के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगी, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगी। सरल शब्दों में कहें तो डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे।
  2. क्या हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?
    ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक प्लेटफॉर्म हैं जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रेकॉर्ड रखा जा सकता है। आसान भाषा में कहें तो ब्लॉकचैन एक डिजिटल बहीखाता हैं। जो भी ट्रांजैक्शन इस पर होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है। इसे क्रिप्टोकरेंसीज का बैकबोन कहा जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ क्रिप्टोकरेंसीज में ही नहीं बल्कि कई और भी क्षेत्रों में भी होता है। यह एक सुरक्षित और डीसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है है जिसे हैक कर पाना लगभग नामुमकिन है।
  3. ब्लॉकचेन कैसे काम करती है?
    ब्लॉकचेन डिजिटल जानकारी को रेकॉर्ड और डिस्ट्रीब्यूट करने की अनुमति देती है। ब्लॉकचेन लेनदेन का एक ऐसा रेकॉर्ड है जिसे बदला, हटाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है। ब्लॉकचेन को डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के रूप में भी जाना जाता है। ब्लॉकचेन पहली बार 1991 में एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में आया था लेकिन वर्ष 2009 में में बिटकॉइन में इसका इस्तेमाल किया गया। अब इसे क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कई दूसरे कामों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
  4. डेटाबेस से यह कैसे अलग है?
    ब्लॉकचेन और डेटाबेस में काफी समानता है। डेटाबेस किसी भी सिस्टम के इन्फॉर्मेशन का कलेक्शन होता है। ब्लॉकचेन भी डेटाबेस जैसा ही होता है। लेकिन यह कई कैटेगरीज के तहत जानकारी इकट्ठा रखता है। इन ग्रुप्स को ब्लॉक कहते हैं। ये ब्लॉक कई दूसरे ब्लॉक से जुड़े होते हैं, जो डेटा का एक चेन बनाते हैं। इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं। सामान्य डेटाबेस के उलट ब्लॉकचेन में कोई एक अथॉरिटी कंट्रोल नहीं होती है। इसके पीछे सोच यह थी कि इसे यूजर ही चलाएंगे।
  5. ब्लॉकचेन नाम कैसे पड़ा?
    ब्लॉकचेन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ब्लॉक (Block) और दूसरा चेन (Chain)। ब्लॉक का मतलब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में बहुत सारे डेटा ब्लॉक से है। मतलब इन ब्लॉक्स में की डेटा रखा जाता है। अलग-अलग बॉक्स में करेंसी यानी डेटा होते हैं, और ये एक-दूसरे जुड़े होते हैं। डेटा की एक लंबी चैन बनते जाती है। जैसे ही नया डेटा आता है, उसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है। ब्लॉक के भरने पर इसे नए डेटा से जोड़ दिया जाता है। इसी तरह सारे ब्लॉक्स एक-दूसरे जुड़े रहते हैं।

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ब्लॉकचेन तकनीक क्या है कैसे काम करती है | Blockchain Technology In Hindi

Blockchain Technology In Hindi: आज के इंटरनेट समय में हर व्यक्ति ब्लॉकचेन से संबंधित सभी जानकारियों को प्राप्त करना चाहता है. हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि आखिर ब्लॉकचेन क्या होता है और इसका इस्तेमाल कहाँ किया जाता है.

तो अगर आपके मन में भी इसी प्रकार के सवाल हैं तो आज के लेख में हम ब्लॉकचेन क्या है, ब्लॉकचेन में कौन से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, ब्लॉकचेन तकनीकी के फायदे क्या है आदि प्रकार की इससे जुड़ी सभी जानकारियों को आपके साथ शेयर करने वाले हैं. इसलिए ब्लॉकचेन की सभी महत्वपूर्ण डिटेल्स को प्राप्त करने हेतु इस लेख को अंत तक पढ़ें.

तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह लेख और जानते हैं Blockchain Technology क्या है इन हिंदी.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है (Blockchain in Hindi)

ब्लॉकचेन एक तरह की तकनीक (टेक्नोलॉजी) यानी कि एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर किसी भी डिजिटल करेंसी या डिजिटल चीज के रिकॉर्ड को रखा जा सकता है. सरल शब्दों में समझा जाए तो ब्लॉकचैन को एक डिजिटल ledger (खाता बही) है.

ब्लॉकचेन तकनीक क्या है और कैसे काम करती है (Blockchain Technology In Hindi)

जब भी कोई Degital Transcation होती है तो उसकी पूरी जानकारी के रिकॉर्ड को ब्लॉकचेन के द्वारा ही सुरक्षित रखा जाता है. Blockchain में कई ब्लॉक की चेन होती है जिसमें कि डिजिटल लेन – देन का रिकॉर्ड ब्लॉक में save होता है. ब्लॉकचेन में डेटा को क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी के द्वारा एनकोड किया जाता है जिसे कि Hash कहते हैं.

ब्लॉकचैन एक Decentralized Public Ledger (सार्वजनिक विकेन्द्रीकृत खाता बही) होता है, अर्थात क्रेता और विक्रेता बिना किसी बैंक के लेन – देन कर सकते हैं.

Decentralized Ledger होने के कारण इसमें पारदर्शिता होती है जिससे नेटवर्क से जुड़े सभी कंप्यूटर तक Ledger की कॉपी पहुँच जाती है. जिसके कारण उसमें ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है छेड़ – छाड़ करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को सुरक्षित माना जा सकता है.

कुल मिलाकर देखें तो Blockchain एक विकेन्द्रीकृत डिजिटल बहीखाता है, जिसके द्वारा Digital CryptoCurrency के लेन – देन के रिकॉर्ड को रखा जा सकता है.

आपकी जानकारी के लिए बता दे की ब्लॉकचेन से पहली क्रिप्टो करेंसी Bitcoin बनाई गयी थी.

ब्लॉकचेन का इतिहास (History of Blockchain in Hindi)

ब्लॉकचेन तकनीकी का आविष्कार Satoshi Nakamoto ने साल 2008 में किया था. Satoshi Nakamoto ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बिटकॉइन का आविष्कार भी किया था.

Satoshi Nakamoto ने बिटकॉइन का भी आविष्कार किया था, उन्होंने बिटकॉइन की लेन – देन का रिकॉर्ड रखने के लिए ब्लॉकचेन तकनीकी का निर्माण किया.

Nakamoto के ब्लॉकचेन के आविष्कार के पीछे का उद्देश्य यह था कि वह एक ऐसा विकेन्द्रीकृत डिजिटल ledger बनाना चाहते थे जिसपर किसी भी Third Party जैसे सरकार या बैंक का नियंत्रण न हो और जनता अपने पैसों को खुद Control कर सके.

ब्लॉकचेन तकनीक कैसे काम करता है (Blockchain Work in Hindi)

जैसा कि आपने लेख में अभी तक जाना कि ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसका इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी के लेन – देन से जुडी सारी जानकारी के रिकॉर्ड को सार्वजनिक बहीखाता में Save किया जाता है.

डिजिटल करेंसी की लेन – देन किसी भी Third Party के बिना कर सकते हैं. जब एक कंप्यूटर के द्वारा कॉइन ट्रान्सफर किया जाता है तो इसकी जानकारी नेटवर्क से जुड़े सभी कंप्यूटर तक पहुँच जाती है, और transaction को Verify किया जाता है.

इसके बाद transaction के डेटा को क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी के द्वारा ब्लॉक में एनकोड करके सुरक्षित कर लिया जाता है. इसी प्रकार से अनेक प्रकार के ब्लॉक मिलकर Public ledger का निर्माण करते हैं जिसे कि Blockchain कहा जाता है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की पीछे की टेक्नोलॉजी क्या है?

यदि आप भी ब्लॉकचेन के पीछे की टेक्नोलॉजी के बारे में जानना चाहते हैं, तो अब हम आपको नीचे कुछ मुख्य टेक्नोलॉजी के नाम बताने जा रहे हैं. जो कि इस प्रकार है :-

  • Program (the blockchain’s protocol)
  • Private Key Cryptography
  • P2P Network (Peer-2-Peer)

ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल रियल लाइफ में कहां किया जाता है

आपने ब्लॉकचैन की पीछे की टेक्नोलॉजी के नाम के बारे में तो जान ही गए होंगे लेकिन अब हम ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल रियल लाइफ में कहां किया जाता है इसके बारे में जानने वाले हैं :-

    ShoCard :- आपको बता दूं कि शोकार्ड आपके आइडेंटिटी को स्टोर करने का कार्य करता है. ताकि बिटकॉइन ब्लॉकचेन में आपकी काफी आसानी से वेरिफिकेशन हो पाए.

ब्लॉकचेन कितना सुरक्षित है

असल में देखा जाए तो इंटरनेट में कोई भी चीज सिक्योर नही होती है ये तो हम सब बखूबी जानते हैं लेकिन वही पर हम अगर ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में चर्चा करें तो इसे अन्य टेक्नोलॉजी के मुकाबले काफी हद तक सुरक्षित माना जा सकता है.

आपको बता दे कि यदि कोई व्यक्ति ब्लॉकचैन में कोई भी लेन देन करना चाहता हैं, तो सबसे पहले तो उन्हें पूरे नेटवर्क के सारे नोड्स को Agree होना आवश्यक होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि तभी वो लेन देन मान्य माना जाएगा, या फिर एक तरह से देखे तो यह एक ऐसा टेक्नोलॉजी है जहां पर कोई अकेला entity ये बोल नही सकता है कि लेन देन हुआ है या फिर नहीं.

यदि आप इसे हैक करने का सोच कर है, तो आपको मालूम होना चाहिए कि इसे हैक करने हेतु किसी को बैंक की तरह सिर्फ एक ही सिस्टम को हैक करने की आवश्यकता नहीं होती है. क्योंकि इसमें आपको टोटल नेटवर्क में स्थित सारे के सारे सिस्टम को ही हैक करने की आवश्यकता होती है.

इसलिए इस ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है टेक्नोलॉजी में कोई व्यक्ति हैक करने का प्लान बना रहा है तो उसे अभी तक ये मालूम हो गया होगा कि यह इतना भी आसान नहीं है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के फायदे (Advantage of Blockchain in Hindi)

तो चलिए अब हम आगे के पोस्ट में Blockchain प्रौद्योगिकी के लाभ है, इसके बारे में चर्चा करते हैं –

  • ब्लॉकचेन तकनीकी की मदद से आप किसी Third Party की अनुमति के बिना लेन – देन कर सकते हैं.
  • एक बार डेटा Save हो जाने के बाद डेटा में हेर – फेर करना मुश्किल है.
  • अन्य टेक्नोलॉजी के मुकाबले ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को सुरक्षित माना जा सकता है, क्योंकि इसे हैक करना इतना भी आसान काम नहीं है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के नुकसान (Disadvantage of Blockchain in Hindi)

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में भी हमने आपको नीचे बताया है-

CryptoCurrency: आखिर क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, क्यों है ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है क्रिप्टो करेंसी से अलग?

क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.

क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.

'ब्लॉकचेन' टेक्नोलॉजी से किसी चीज को डिजिटल कर के उसका रिकॉर्ड मेंटेन किया जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्न . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : August 20, 2022, 13:17 IST

हाइलाइट्स

'ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी' एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है यानी ये एक डिजिटल लेजर है.
भारत सरकार अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगी, ये करेंसी 'ब्लॉकचेन' पर आधारित होगी.
'ब्लॉकचेन' को डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड लेजर टेक्‍नोलॉजी (DLT) भी कहते हैं, इसकी हैकिंग नहीं हो सकती.

नई दिल्‍ली. देश में डिजिटल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल हो रही ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है बीच ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ टर्म भी आपने सुना ही होगा. आखिर ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ क्‍या है, और यह ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के साथ क्‍यों जोड़कर देखी जा रही है, क्या ये दोनों एक हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके मन भी उठे होंगे. आज आप इसके बारे में जान जाएंगे. ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बढ़ते ट्रेंड ने लोगों को इस तरह की चीजों को जानने या इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. आपको बता दें कि, ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है.

यह एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी, बल्कि किसी और चीज को भी डिजिटल कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है. ‘ब्लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी’ पर जो भी ट्रांजेक्शन होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसलिए इसे डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड लेजर टेक्‍नोलॉजी (DLT) भी कहा जा सकता है.

‘ब्लॉकचेन’ को माना जाता है सुरक्षित

‘ब्लॉकचेन’ के बारे में एक अच्छी बात यह भी कि यह सिक्‍योर और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी मानी जाती है. जिसकी हैकिंग मुमकिन नहीं है, और इसे बदलना, हटाना या नष्ट करना भी नामुमकिन है. वहीं, इसे बिटकॉइन के प्‍लेटफॉर्म से भी ज्‍यादा भरोसेमंद टेक्नोलॉजी को बताया जा रहा है.

यही वजह है कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के दरम्यान डिजिटल करेंसी का ऐलान किया. इंडियन डिजिटल करेंसी Rupee को आरबीआई जारी करेगी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. वैसे क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती है. मगर, चूंकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी डिजिटल इंफॉर्मेशन को डिस्ट्रीब्यूट करने की मंजूरी देती है, तो हर कोई इसका इस्तेमाल कर पाएगा.

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