ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है

ब्लॉकचेन आधारित टेक्नोलॉजी
ब्लॉकचेन को इंटरनेट के बाद से ही सबसे महत्वपूर्ण इनोवेशन के रूप में माना गया है. यह शुरुआत में बिटकॉइन की रीढ़ के रूप में उभरा और यह ट्रांजैक्शन का एक अविनाशी डिजिटल सार्वजनिक खाता है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक नई डेटा संरचना है जो सुरक्षित, क्रिप्टोग्राफी आधारित है, और डिजिटल वस्तुओं के ट्रांसफर की अनुमति देते हुए एक नेटवर्क में वितरित डेटाबेस (ब्लॉक के नाम से जाना जाता है) में ट्रांज़ैक्शनल रिकॉर्ड (जिसे चेन कहते हैं) को स्टोर करता है. यह पारदर्शिता, विकेंद्रीकरण, जवाबदेही और अपरिवर्तनीयता के सिद्धांतों पर काम करता है. उन्हें स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, वास्तविक समय के स्वामित्व, व्यक्तिगत डेटा प्रबंधन और पहचान, भुगतान प्रोसेसिंग, क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से क्राउडफंडिंग, फार्मास्यूटिकल सप्लाई चेन में ड्रग्स ट्रैकिंग, लैंड रिकॉर्ड और सर्टिफिकेट आदि के माध्यम से एसेट प्रोटेक्शन में व्यापक एप्लीकेशन मिलते हैं. चुनाव आयोग द्वारा रिमोट वोटिंग को सक्षम करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक की क्षमता का भी पता लगाया जा रहा ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है है. यह अनुमान लगाया गया है कि ब्लॉकचेन 2030 तक नए बिज़नेस में दुनिया भर में $3.1 ट्रिलियन जनरेट करेगा. भारत का उद्देश्य डिजिटल अर्थव्यवस्था पावरहाउस बनना और क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को अपनाना आवश्यक है. डिजिटल अर्थव्यवस्था में वर्तमान में भारत की कुल अर्थव्यवस्था का 14-15% शामिल है, जो 2024 तक 20% तक पहुंचने का लक्ष्य है.
वैश्विक रूप से भारत सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक बाजारों में से एक है. यह उम्मीद है कि रिटेल और एसएमई क्रेडिट का 60% डिजिटल रूप से 2029 तक डिस्बर्स किया जाएगा. 2019 में, फिनटेक इन्वेस्टमेंट पिछले वर्ष के $1.9 बिलियन से लगभग लगभग दोगुना होकर $3.7 बिलियन हो गया. भारतीय फिनटेक इकोसिस्टम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है और इसने 2014 से लगभग $6 बिलियन का इन्वेस्टमेंट आकर्षित किया है. क्योंकि डिजिटल भुगतान के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 15% तक 2020 तक $500 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है. इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज़ सेंटर अथॉरिटी (आईएफएससीए) ने कैपिटल मार्केट, बैंकिंग, इंश्योरेंस और फाइनेंशियल सर्विसेज़ में कार्यरत इनोवेटिव फिनटेक सोल्यूशन के साथ प्रयोग करने और गिफ्ट सिटी (गांधीनगर) में स्थित आईएफएससी के भीतर कार्य करने के लिए "रेगुलेटरी सैंडबॉक्स" का फ्रेमवर्क शुरू किया. उपयुक्त डेटा की पहचान और शेयर करने और सरकारी विभागों को विश्व-स्तरीय ब्लॉकचेन सेवाएं प्रदान करने के लिए बेंगलुरु में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) शुरू किया गया था. इसे थर्ड पार्टी क्लाउड आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैनेजमेंट के रूप में ब्लॉकचेन-एज-ए-सर्विस (बीएएएस) प्रदान करने के लिए नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) द्वारा स्थापित किया गया है. इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी), इंडिया रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की एक शाखा, ब्लॉकचेन तकनीक के लिए एक मॉडल प्लेटफॉर्म पर काम कर रही है.
भारत में मूल्य ब्लॉकचेन इकोसिस्टम
भारत के राज्य ब्लॉकचैन से संबंधित पहलों में शामिल हैं
ब्लॉकचेन पहलों को भारत में सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है
Blockchain Technology explainer: क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी जिस पर चलेगी देश की डिजिटल करेंसी
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अगले वित्त वर्ष में देश में डिजिटल करेंसी (Digital Currency) लाने की बात कही है। यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) पर आधारित होगी। जानिए क्या होती है यह टेक्नोलॉजी और कैसे काम करती है..
आरबीआई की डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी क्या है?
यह आरबीआई की अपनी तरह की पहली वर्चुअल करेंसी होगी जो हार्ड कैश की जगह लेगी। सरकार ने ऐसे वक्त में डिजिटल रुपये को जारी करने का ऐलान किया है जब मार्केट में बिटकॉइन समेत कई प्राइवेट वर्चुअल करेंसी मौजूद हैं। CBDC एक लीगल टेंडर होगी। इसके पीछे देश के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगी, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगी। सरल शब्दों में कहें तो डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे। - क्या हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक प्लेटफॉर्म हैं जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रेकॉर्ड रखा जा सकता है। आसान भाषा में कहें तो ब्लॉकचैन एक डिजिटल बहीखाता हैं। जो भी ट्रांजैक्शन इस पर होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है। इसे क्रिप्टोकरेंसीज का बैकबोन कहा जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ क्रिप्टोकरेंसीज में ही नहीं बल्कि कई और भी क्षेत्रों में भी होता है। यह एक सुरक्षित और डीसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है जिसे हैक कर पाना लगभग नामुमकिन है। - ब्लॉकचेन कैसे काम करती है?
ब्लॉकचेन डिजिटल जानकारी को रेकॉर्ड और डिस्ट्रीब्यूट करने की अनुमति देती है। ब्लॉकचेन लेनदेन का एक ऐसा रेकॉर्ड है जिसे बदला, हटाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है। ब्लॉकचेन को डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के रूप में भी जाना जाता ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है है। ब्लॉकचेन पहली बार 1991 में एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में आया था लेकिन वर्ष 2009 में में बिटकॉइन में इसका इस्तेमाल किया गया। अब इसे क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कई दूसरे कामों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। - डेटाबेस से यह कैसे अलग है?
ब्लॉकचेन और डेटाबेस में काफी समानता है। डेटाबेस किसी भी सिस्टम के इन्फॉर्मेशन का कलेक्शन होता है। ब्लॉकचेन भी डेटाबेस जैसा ही होता है। लेकिन यह कई कैटेगरीज के तहत जानकारी इकट्ठा रखता है। इन ग्रुप्स को ब्लॉक कहते हैं। ये ब्लॉक कई दूसरे ब्लॉक से जुड़े होते हैं, जो डेटा का एक चेन बनाते हैं। इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं। सामान्य डेटाबेस के उलट ब्लॉकचेन में कोई एक अथॉरिटी कंट्रोल नहीं होती है। इसके पीछे सोच यह थी कि इसे यूजर ही चलाएंगे। - ब्लॉकचेन नाम कैसे पड़ा?
ब्लॉकचेन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ब्लॉक (Block) और दूसरा चेन (Chain)। ब्लॉक का मतलब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में बहुत सारे डेटा ब्लॉक से है। मतलब इन ब्लॉक्स में की डेटा रखा जाता है। अलग-अलग बॉक्स में करेंसी यानी डेटा होते हैं, और ये एक-दूसरे जुड़े होते हैं। डेटा की एक लंबी चैन बनते जाती है। जैसे ही नया डेटा आता है, उसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है। ब्लॉक के भरने पर इसे नए डेटा से जोड़ दिया जाता है। इसी तरह सारे ब्लॉक्स एक-दूसरे जुड़े रहते हैं।
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CryptoCurrency: आखिर क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, क्यों है क्रिप्टो करेंसी से अलग?
क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.
'ब्लॉकचेन' टेक्नोलॉजी से किसी चीज को डिजिटल कर के उसका रिकॉर्ड मेंटेन किया जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्न . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 20, 2022, 13:17 IST
हाइलाइट्स
'ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी' एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है यानी ये एक डिजिटल लेजर है.
भारत सरकार अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगी, ये करेंसी 'ब्लॉकचेन' पर आधारित होगी.
'ब्लॉकचेन' को डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) भी कहते हैं, इसकी हैकिंग नहीं हो सकती.
नई दिल्ली. देश में डिजिटल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल हो रही ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बीच ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ टर्म भी आपने सुना ही होगा. आखिर ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ क्या है, और यह ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के साथ क्यों जोड़कर देखी जा रही है, क्या ये दोनों एक हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके मन भी उठे होंगे. आज आप इसके बारे में जान जाएंगे. ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बढ़ते ट्रेंड ने लोगों को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है इस तरह की चीजों को जानने या इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. आपको बता दें कि, ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है.
यह एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी, बल्कि किसी और चीज को भी डिजिटल कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है. ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ पर जो भी ट्रांजेक्शन होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसलिए इसे डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) भी कहा जा सकता है.
‘ब्लॉकचेन’ को माना जाता है सुरक्षित
‘ब्लॉकचेन’ के बारे में एक अच्छी बात यह भी कि यह सिक्योर और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी मानी जाती है. जिसकी हैकिंग मुमकिन नहीं है, और इसे बदलना, हटाना या नष्ट करना भी नामुमकिन है. वहीं, इसे बिटकॉइन के प्लेटफॉर्म से भी ज्यादा भरोसेमंद टेक्नोलॉजी को बताया जा रहा है.
यही वजह है कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के दरम्यान डिजिटल करेंसी का ऐलान किया. इंडियन डिजिटल करेंसी Rupee को आरबीआई जारी करेगी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. वैसे क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती है. मगर, चूंकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी डिजिटल इंफॉर्मेशन को डिस्ट्रीब्यूट करने की मंजूरी देती है, तो हर कोई इसका इस्तेमाल कर पाएगा.
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Blockchain Technology क्या है ?
आज के समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने बिटक्वॉइन और ब्लॉकचेन के बारे में नहीं सुना होगा, ख़ासकर Cryptocurrency का जो उछाल देखने को मिला है जिसमे बिटक्वॉइन, Ethereum (ETH), Litecoin (LTC), Cardano (ADA) जैसी वर्चुअल करेंसी शामिल है | परन्तु जितना आपने इनके विषय में सुना होगा और जानकारी भी प्राप्त करने का प्रयास किया होगा लेकिन ब्लॉकचेन एक Complicated कांसेप्ट है और इसे समझना भी उतना ही मुश्किल है | आज हम इस लेख के माध्यम से आपको Blockchain Technology क्या है और यह कैसे काम करता है, यह सब बेहद ही आसान भाषा में समझाने की कोशिश करेगे |
हमे मालूम है कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी समझाना कोई सरल कार्य नहीं है किन्तु जितना हमने ब्लॉकचेन के विषय में जानकारी प्राप्त की है हमे इस जानकारी को आपके लिए समझना आसान बनाने का भरपूर प्रयास करेगे | कृपया लेख का कोई शीर्षक स्किप ना करे, क्योंकि हो सकता है ऐसा करने से आपको ब्लाकचैन के विषय में जानकारी प्राप्त करना कठिन हो जाए |
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है ?
Table of Contents
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी एक डिजिटल लेज़र है जिसमें लेनदेन दर्ज किए जाते हैं। लेन-देन को एक श्रृंखला के रूप में “ब्लॉक” में जोड़ा जाता है, इसलिए शब्द “ब्लॉकचैन” होता है। ब्लॉकचेन अपनी विकेंद्रीकृत प्रकृति के लिए भी जाना जाता है- जिसका अर्थ है कि श्रृंखला पर डेटा को नियंत्रित करने वाली कोई एकल इकाई नहीं है। इसका मतलब यह है कि लोग तय कर सकते हैं कि वे अपनी जानकारी के साथ क्या करना चाहते हैं और किसी भी थर्ड पार्टी या कंपनी द्वारा उन्हें ऐसा करने पर मजबूर नहीं किया जा सकता है | ब्लॉकचैन बैंक, क्रेडिट कार्ड कंपनी, क्लियरिंग हाउस या सरकारी एजेंसी जैसे तीसरे पक्ष के मध्यस्थ की आवश्यकता को कम या समाप्त कर देता है।
ब्लॉकचैन का आविष्कार सातोशी नाकामोतो ने 2008 में बिटकॉइन के लिए एक ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी के रूप में किया था। बिटकॉइन एक क्रिप्टोक्यूरेंसी है जिसे लेनदेन में मध्यस्थता करने ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है के लिए केंद्रीय प्राधिकरण या व्यवस्थापक की आवश्यकता नहीं होती है। बिटकॉइन के ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग ने इसे पारंपरिक मुद्राओं जैसे मुद्रास्फीति और धोखाधड़ी की रोकथाम के साथ कई समस्याओं को हल करने में काफी योगदान दिया है।
ब्लॉकचेन अनिवार्य रूप से एक विकेन्द्रीकृत डेटाबेस है जिसे सभी उपयोगकर्ताओं द्वारा एक साथ एक्सेस किया जा सकता है और इसमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकती क्योंकि यह दुनिया भर के लाखों कंप्यूटरों में संग्रहीत है। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के लेन-देन ब्लॉकों में दर्ज किए जाते हैं जिन्हें बाद में एक व्यक्तिगत ब्लॉकचेन, या वेब-आधारित लेज़र में जोड़ा जाता है। इसका मतलब है कि जब कोई लेन-देन शुरू करता है, तो वे नेटवर्क पर “ब्लॉक” कहलाते हैं। उस ब्लॉक को नेटवर्क में हजारों नोड्स के सत्यापन के लिए भेजा जाता है ताकि इसे प्राप्त करने से पहले सत्यापित किया जा सके | सत्यापन की इस प्रक्रिया को ही Proof of Work कहते है |
Blockchain Technology Real Life Examples
- आप कल्पना करे कि आप कोई प्रॉपर्टी जैसे प्लाट या भूमि खरीदना चाहते है, लेकिन जो प्लाट या भूमि आप खरीद रहे है वो भी उस प्लाट के मालिक ने किसी से ख़रीदा होगा और ऐसा आगे भी हुआ होगा | अब यदि आप भूमि खरीद रहे है तो आप उस जमीन के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहेगे कि जमीन का हस्तांतरण पिछले वर्षो के दौरान कैसे – कैसे हुआ है |
- यदि बीच में कोई जमीन की नोटरी में धांधली कर देता है और वो ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज हो जाता है तो आपको कैसे मालूम होगा कि जमीन में घपला हुआ है या कोई विवाद है | इसलिए रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का विस्तार तेज़ी से किया जा रहा है जिससे कोई जमीनी धोखा-धड़ी न किया जा सके |
- यदि सभी पुराने रिकॉर्ड को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके जोड़ा जाए तो अब किसी भी नोटरी में बदलाव करना कठिन होगा और यदि किया भी तो एक बदलाव से वो नोटरी Invalid हो जायेगी जिससे गड़बड़ का पता तुरंत लग जाएगा |
- भारत में तेलांगना और आंध्र प्रदेश राज्यों द्वारा लैंड डील में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है |
- अभी हाल में ही CBSE ने सभी बोर्ड की मार्कशीट सहित अन्य दस्तावेजों में ब्लॉकचेन टेक यूज़ करना का ऐलान किया है |
Blockchain Technology कैसे काम करती है ?
ब्लॉकचेन कैसे काम करता है, आइये इसे निम्न बिन्दुओ द्वारा समझते है :-
- आपका डाटा ब्लाक में संग्रहित है और हर एक ब्लाक में आपका डाटा, हैश और पिछले ब्लाक का हैश (hash) एनकोडेड फॉर्म में होता है |
- Hash एक तरह की यूनिक आईडी है जैसे आपके अंगूठे का निशान, जो ब्लॉकचेन सिस्टम में वर्चुअल मोड में जुड़ा हुआ होता है |
- यदि आप किसी ब्लाक में डाटा में बदलाव करने की कोशिश करते है है तो उस ब्लाक का हैश बदल जाएगा और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है आपको अगले ब्लाक में भी में बदलाव करना होगा और ऐसे ही सभी ब्लाक में यही प्रक्रिया अपनानी होगी, और इस प्रक्रिया को पूरा करने में बहुत समय लग जाएगा | इस प्रकार डाटा में छेड़छाड़ करना संभव नहीं है |
- एक ब्लाक में बदलाव या हैश बदलने में 10 मिनट का समय लगता है लेकिन अगर ब्लाक की संख्या लाखो में हो तो करीबन 100 साल से भी अधिक का समय लग सकता है |
- जब हम बिटक्वॉइन या क्रिप्टोकरेंसी की बात करते है तो ब्लाकचेन की सहायता से ब्लाक में ट्रांजेक्शन की डिटेल्स स्टोर की जाती है | यदि कोई ट्रांजेक्शन होता है तो नेटवर्क में सभी कंप्यूटर या माइनर को वो ट्रांजेक्शन वेरीफाई करना होता है जिसके लिए उन्हें रिवॉर्ड के रूप में क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त होती है |
ब्लाकचेन और बिटक्वॉइन में क्या ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है अंतर है ?
बिटक्वॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है जिसका निर्माण ब्लाक टेक्नोलॉजी के आधार पर किया गया है अर्थात् ब्लाकचेन एक तकनीक है जिसका उपयोग करके डाटा को सुरक्षित रखा जा सकता है और डाटा किसी भी प्रकार का हो सकता है | जैसे बिटक्वॉइन में ब्लाक में लेन – देन का विवरण होता है तो वही लैंड डील में क्रेता व विक्रेता के साथ अन्य इनफार्मेशन भी स्टोर होती है |
ब्लाकचेन कहाँ – कहाँ उपयोग किया जा सकता है ?
ब्लाकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है
- जमीनी लेन – देन या रियल एस्टेट में ब्लाकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत ही तेज़ी से किया जा रहा है | भारत के बहुत से राज्य अब इस टेक्नोलॉजी पर अग्रसर है व आईटी मिनिस्ट्री के साथ मिलकर लैंड डील के लिए ब्लाकचेन की सहायता से सलूशन तैयार किया जा रहा है |
- पुराने सरकारी दस्तावेज़ जो बेहद ही महत्वपूर्ण है, इन्हें ब्लाकचेन की सहायता से सुरक्षित व लम्बे समय के लिए रखा जा सकता है |
- इसके साथ फर्जी मार्कशीट से लेकर नकली कागज़ के जरिये भी धोकाधड़ी को ब्लाकचेन की मदद से रोका जा सकता है |
- साइबर सुरक्षा में इसका उपयोग संजीवनी के सामान ही है इसके जरिये बहुत से देशो ने अपने बैंकों की सुरक्षा व्यव्यस्था चोकस की है | अब बैंक भी अपनी सुरक्षा बढ़नी के लिए ब्लाकचेन का भरपूर उपयोग कर रहे है और भविष्य में साइबर अपराधो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है को बहुत आसानी से रोका जा सकता है |
- आर्टिस्ट द्वारा अपनी कला को पायरेसी से बचाने के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है |
- व्यापार में लेन देन के लिए भी इसका उपयोग किया जा रहा है क्योंकि इसमें वित्त लेन देन में ब्लाकचेन द्वारा लिया जाने वाला चार्ज बैंक की अपेक्षा बहुत कम है |
- मेडिकल डाटा की सुरक्षा में ब्लाकचेन टेक्नोलॉजी का ईस्तमाल बहुत ही बखूबी से किया जा रहा है |
- ब्लाकचेन आधारित क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटक्वॉइन, Ethereum (ETH), Litecoin (LTC), Cardano (ADA) ट्रेडिंग के जरिये प्रॉफिट कमाया जा रहा है |
ब्लाकचेन पर आपको हमारा यह लेख कैसा लगा ? कृपया अपनी प्रतिक्रिया आप सोशल मीडिया या कमेंट बॉक्स के माध्यम से दे सकते है | यदि ब्लाकचेन से सम्बंधित अभी भी आपके मन में कोई प्रश्न हो तो आप हमे कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से अपना सवाल पूछ सकते है |
Explainer: क्या है Blockchain Technology जिस पर चलेगा RBI का 'डिजिटल रुपया', जानिए सबकुछ
Blockchain technology: RBI का डिजिटल Rupee ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain technology) पर आधारित होगा. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर ही चलती है.
Blockchain technology: देश में जल्द ही डिजिटल करेंसी की शुरुआत होगी. इस साल के आखिर तक इसका मसौदा सबके सामने आ जाएगा. ये पूरी तरह से लीगल टेंडर होगा, जिसे देश का सेंट्रल बैंक RBI जारी करेगा. याद दिला दें, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट 2022 के भाषण में इस बात का जिक्र किया था कि देश की डिजिटल करेंसी आरबीआई जारी करेगी. RBI का डिजिटल Rupee ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain technology) पर आधारित होगा. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर ही चलती है. लेकिन, ये टेक्नोलॉजी आखिर है क्या और कैसे काम करती है. डिजिटल करेंसी को समझने के लिए इसकी टेक्नोलॉजी को भी समझना जरूरी है.
पहले समझते हैं कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Digital Rupee) क्या है?
RBI की पहली वर्चुअल करेंसी (डिजिटल Rupee) जल्द ही हार्ड कैश की जगह ले लेगी. अभी तक मार्केट में कई तरह की प्राइवेट डिजिटल या वर्चुअल करेंसी मौजूद हैं. लेकिन, इन्हें देश में मान्यता नहीं है. RBI का CBDC ही एकमात्र लीगल टेंडर होगा. यह बिल्कुल आम करेंसी की तरह होगी, लेकिन इसे डिजिटल फॉर्म में जारी किया जाएगा. इसकी रूपरेखा और ट्रांजैक्शन का फॉर्मूला क्या होगा, इसके लिए इंतजार करना होगा. अब समझते हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है, जिस पर ये डिजिटल रूपी चलेगा.
क्या है Blockchain technology और कैसे काम करती है?
Blockchain technology सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं है, बल्कि एक प्लेटफॉर्म हैं. इसे डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) भी कहा जाता है. इस प्लेटफॉर्म के जरिए किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड मेनटेन किया जाता है. इसी तरह डिजिटल करेंसी में भी इसका इस्तेमाल रिकॉर्ड के लिए होता है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी डिजिटल इन्फॉर्मेशन को डिस्ट्रीब्यूट करने की मंजूरी देती है. बिल्कुल सरल शब्दों में समझें तो ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी एक तरह का डिजिटल बहीखाता है. ब्लॉकचेन को सबसे पहले साल 1991 में एक रिसर्च प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद साल 2009 में Bitcoin में इसका इस्तेमाल किया गया. डिजिटल करेंसी में होने वाले ट्रांजैक्शंस ये टेक्नोलॉजी चेन के जरिए जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई है. अच्छी बात ये है कि ये सुरक्षित और डीसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है, जिसे हैक करना मुमकिन नहीं है. इसे बदलना, मिटाना और नष्ट करना भी मुमकिन नहीं है.
क्यों ब्लॉकचेन ही कहते हैं?
ब्लॉक और चेन= ब्लॉकचेन. इसका सीधा मतलब है कि मल्टीपल ब्लॉक्स को चेन से जोड़कर चलाई जाने वाली टेक्नोलॉजी. ये डेटा ब्लॉक को इकट्ठा करके चेन बनाती है. अलग-अलग बॉक्स में डेटा में होता है और ये जुड़े होते हैं. लंबी चेन बनती जाती है, नया डेटा ऐड होता रहता है. इसी तरह सारे ब्लॉक्स जुड़े रहते हैं.
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डेटाबेस और ब्लॉक चेन क्या है अंतर?
डेटा रखने के लिए डेटाबेस भी एक सोर्स होता है. ऐसे में ब्लॉकचेन डेटाबेस से कैसे अलग है? दोनों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. लेकिन, डेटाबेस में कंट्रोल करने के लिए एक अथॉरिटी होती है. डेटाबेस में किसी एक सिस्टम की इन्फॉर्मेशन का कलेक्शन रखा जाता है. लेकिन, ब्लॉकचेन में अलग-अलग कैटेगरी में इन्फॉर्मेशन का रिकॉर्ड रखा जाता है. ब्लॉक्स के ग्रुप में इन्फॉर्मेशन को स्टोर किया जा सकता है. ब्लॉक्स आपस में जुड़े होते हैं, जो डेटा की चेन बनाते जाते हैं. इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं.