कुशल बाजार

लैब क्षमता निर्माण
ऊर्जा दक्षता मानक प्रक्रिया और नियम हैं जो निर्मित उत्पादों के ऊर्जा प्रदर्शन को निर्धारित करते हैं, कभी-कभी उन उत्पादों की बिक्री को रोकते हैं जो न्यूनतम स्तर से कम कुशल होते हैं। उन्हें कुशल ऊर्जा खपत के लिए एक देश कार्यक्रम की पिछली हड्डी माना जाता है। अनिवार्य रूप से, मानक और लेबलिंग बाजार परिवर्तन के लिए उपकरण हैं। बाजार में उपकरणों के औसत ऊर्जा प्रदर्शन में सुधार होता है। बाजार "पुल" और "पुश" पूरक बाजार परिवर्तन रणनीति हैं। न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानकों को स्थापित करना कम से कम कुशल मॉडल को समाप्त करके बाजार को "धक्का" देता है। ग्राहकों को उच्च दक्षता वाले मॉडल खरीदने के लिए प्रोत्साहित करके "धक्का" देता है और प्रोत्साहित करता है लेकिन निर्माताओं को अधिक ऊर्जा कुशल मॉडल का उत्पादन और विपणन करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता है।
यह भी माना गया है कि परीक्षण प्रयोगशालाएँ एक मजबूत मानक और लेबलिंग कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन में एक अनिवार्य भूमिका निभाती हैं। परीक्षण प्रयोगशालाओं की मौजूदा क्षमताओं का आकलन उनके प्रचलित बुनियादी ढांचे और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) के मानक और लेबलिंग कार्यक्रम के लगातार समर्थन करने की कुशल बाजार क्षमता के आसन्न था।
दुनिया भर में, परीक्षण प्रयोगशालाओं की भूमिका केवल मानक और लेबलिंग कार्यक्रम के लिए परीक्षण सेवाएं प्रदान करना नहीं है, बल्कि इसमें कार्यक्रम के विभिन्न चरणों और गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में उनकी भूमिका भी शामिल है। एक सफल मानक और लेबलिंग कार्यक्रम बनाने के लिए प्रयोगशाला प्रमुख भूमिकाएँ निभा सकती हैं:
- परीक्षण प्रयोगशालाएँ यह सुनिश्चित करने के लिए जाँच परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं कि उत्पाद प्रदर्शन मानदंडों को पूरा करते हैं
- यथार्थवादी दक्षता और प्रदर्शन मानकों के विकास में एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में परीक्षण प्रयोगशालाएं।
- परीक्षण बेहतर विकास मानकों की दिशा में निरंतर विकास और उन्नयन में योगदान दे सकता है।
- परीक्षण प्रयोगशालाओं को भविष्य में राउंड-रॉबिन परीक्षण की अवधारणा के आवेदन के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है
इसलिए इस परियोजना को शुरू करने की आवश्यकता को अधिक समझ विकसित करने के लिए महसूस किया गया, जिससे बीईई और परीक्षण प्रयोगशालाओं के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद और सहजीवी संबंध पैदा हुए। बीईई उत्पादों के लिए मानकों को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए नीतियों को डिजाइन करता है, जो बाजार को ऊर्जा दक्षता की ओर बदलता है। मानक और लेबलिंग के तहत उत्पाद चुनने के लिए चयन मानदंड ऊर्जा की खपत, बचत क्षमता और कुल बाजार हैं।
बाज़ार की कार्यक्षमता
मंडी दक्षता वह डिग्री है जिस तक बाजार में कीमतें प्रासंगिक और उपलब्ध जानकारी को दर्शाती हैं। यदि बाजार कुशल हैं, तो कोई भी अवमूल्यन या अधिक मूल्य वाली प्रतिभूतियां उपलब्ध नहीं होंगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी प्रासंगिक जानकारी कीमतों के साथ शामिल की जाएगी और बाजार को मात देने का कोई रास्ता नहीं होगा। 'मार्केट एफिशिएंसी' शब्द किसके द्वारा लिखे गए एक पेपर से आया हैअर्थशास्त्री 1970 में यूजीन फामा। श्री फामा ने स्वयं स्वीकार किया कि यह विशेष शब्द भ्रामक है क्योंकि किसी के पास स्पष्ट परिभाषा नहीं है कि बाजार की दक्षता को कैसे ठीक से मापा जाए।
सरल शब्दों में, इस शब्द का मूल बाजार की जानकारी को शामिल करने की क्षमता है जो प्रतिभूतियों के खरीदारों और विक्रेताओं को लेनदेन की लागत को बढ़ाए बिना लेनदेन को प्रभावित करने के लिए अधिकतम अवसर प्रदान करता है।
बाजार दक्षता का महत्व
बाजार की दक्षता का तीन डिग्री महत्व है। उनका उल्लेख नीचे किया गया है:
1. कमजोर रूप
बाजार दक्षता का कमजोर रूप अतीत में मूल्य आंदोलनों को संदर्भित करता है जो भविष्य की कीमतों की भविष्यवाणी के लिए उपयोगी नहीं है। यदि सभी उपलब्ध, प्रासंगिक जानकारी को वर्तमान कीमतों में शामिल किया जाता है, तो कोई भी प्रासंगिक जानकारी जिसे पिछली कीमतों से निकाला जा सकता है, वर्तमान कीमतों में शामिल की जाएगी। यही कारण है कि भविष्य के मूल्य परिवर्तन केवल उपलब्ध कराई गई नई जानकारी का परिणाम हो सकते हैं।
2. अर्ध-मजबूत रूप
बाजार दक्षता का अर्ध-मजबूत रूप जनता से नई जानकारी को अवशोषित करने के लिए स्टॉक को तेजी से समायोजित करने की धारणा को संदर्भित करता है ताकि एकइन्वेस्टर नई जानकारी पर व्यापार करके बाजार के ऊपर और ऊपर लाभ नहीं उठा सकते हैं। दूसरे शब्दों में, इसका अर्थ है कि दोनों तकनीकी यामौलिक विश्लेषण बड़ा रिटर्न पाने के लिए भरोसेमंद रणनीति नहीं होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि मौलिक विश्लेषण से कोई भी जानकारी उपलब्ध होगी और इस प्रकार पहले से ही मौजूदा कीमतों में शामिल हो जाएगी।
3. मजबूत रूप
बाजार दक्षता का मजबूत रूप इस धारणा को संदर्भित करता है कि बाजार की कीमतें कमजोर रूप और अर्ध-मजबूत रूप को शामिल करने वाली सभी सूचनाओं को दर्शाती हैं। इस धारणा के अनुसार, स्टॉक की कीमतें जानकारी को दर्शाती हैं और कोई भी निवेशक औसत निवेशक से अधिक लाभ प्राप्त करने में सक्षम नहीं होगा, भले ही वह अंदरूनी जानकारी के लिए गुप्त हो।
बाजार दक्षता उदाहरण
कंपनी XYZ एक सार्वजनिक कंपनी है और पर सूचीबद्ध हैनेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)। कंपनी एक्सवाईजेड एक नया उत्पाद लेकर आई है जो बाजार में उपलब्ध किसी भी अन्य उत्पाद की तुलना में अद्वितीय और बहुत उन्नत है। यदि कंपनी XYZ जिस बाजार में काम करती है, वह कुशल है, तो नया उत्पाद कंपनी के शेयर की कीमत को प्रभावित नहीं करेगा।
कंपनी एक्सवाईजेड कुशल श्रम बाजार से श्रमिकों को काम पर रखती है। सभी कर्मचारियों को ठीक उसी राशि का भुगतान किया जाता है जो वे कंपनी में योगदान करते हैं। कंपनी एक्सवाईजेड किराएराजधानी एक कुशल पूंजी बाजार से। इसलिए, पूंजी के मालिकों को दिया गया किराया कंपनी को पूंजी द्वारा योगदान की गई राशि के बराबर है। यदि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) एक कुशल बाजार है, तो कंपनी एक्सवाईजेड शेयर की कीमतें कंपनी के बारे में सभी जानकारी दर्शाती हैं। इसलिए, एनएसई भविष्यवाणी कर सकता है कि कंपनी एक्सवाईजेड नया उत्पाद जारी करेगी। इसलिए कंपनी के शेयर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा।
युवा शक्ति को कुशल व हुनरमन्द बनाने से ही देश का विकास संभव
किसी भी देश व व्यक्ति के विकास में कला, कुशल बाजार कौशल व हुनर का महत्वपूर्ण स्थान है। मानव संसाधनों के उपयोग से कौशलता में और निखार लाकर सत्त विकास की प्रक्रिया को गतिमान कुशल बाजार बनाया जा सकता है। कहा जाता है कि हुनर कुशल कार्यबल एक धरोहर है। इसी उद्देश्य से विश्व युवा कौशल दिवस -2022 मनाने की कुशल बाजार दिशा में सत्त विकास के लिए कौशलता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। देश में बढ़ती युवा शक्ति के लिए नीति निर्माता चुनौतियों और अवसरों का लाभ उठा रहे हैै। इनमें प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग और श्रम बाजार की बदलती गतिशीलता से युवाओं को रोजगार योग्य और उद्यमशीलता कौशल से लैस करने के सार्थक प्रयास किए गए हैं ताकि वे बदलती दुनिया का सामना कर सकें।
तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) संस्थानों की उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका है जो आज समय की मांग भी है। उद्यमिता के क्षेत्र में समय की नजाकत को ध्यान में रखते हुए संस्थानों, फर्मों, कर्मचारी संघों, नियोक्ताओं, नीति निर्माताओं तथा सार्वजनिक नीति विशेषज्ञों सभी को एक मिशन मोड में कौशल संबंधी कार्यक्रमों को लागू करने के लिए एक साथ पटल पर आने की आवश्यकता है।
हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भविष्य की जरूरतों और चुनौतियों के अनुरूप तैयार की गई है। प्रारम्भिक स्तर में ही व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से कौशलता की कमी पूरी करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। दस जमा दो की शिक्षा पूरी करने से पहले प्रत्येक छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रम पूरा करेगा। अनुमान है कि 2025 तक, 2.23 करोड़ नए रोजगार सृजित होंगे, जिसके लिए ऐसे कर्मचारियों की आवश्यकता होगी जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (प्वज्), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (।प्), रियल टाइम एनालिटिक्स, 5जी आदि के क्षेत्र में काम करने में कौशलता से लैस हों। इसी के मद्देनजर छम्च्-2020 में व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर दिया है।
भारत एक युवा देश है, जिसमें लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवा जनसंख्या का 27.5 प्रतिशत हैं। देश में एक मजबूत तंत्र स्थापित हो चुका है जो युवाओं को कौशल और अपस्किलिंग करने में सक्षम है। स्कूल से बाहर के युवा जो रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण संस्थानों में नहीं हैं, उनके लिए कौशल विकास के अवसर प्रदान करने पर विशेष ध्यान आकर्षित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए छम्च्-2020 एक आशा की किरण है।
चौथी औद्योगिक क्रांति में – उद्योग 4.0 – उत्पादकता दक्षता बढ़ाने के लिए स्वचालन और डेटा विनिमय पर जोर दिया गया है। इसमें जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ पर्यावरण से संबंधित विषयों को भी शामिल किया गया है। देश में मेक इन इंडिया से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा बढ़ावा मिला है। इस क्षेत्र में कुल रोजगार वर्ष 2017-18 में 57 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 62.4 मिलियन हो गया है। विनिर्माण क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 17 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाना है। इससे कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।
विश्व में कौशल के बेहतर मानकों वाले देशों ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय रोजगार के बाजार में चुनौतियों और अवसरों के लिए अधिक प्रभावी किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न क्षेत्रों में टिके रहने के लिए कौशल विकास अत्यंत जरूरी है। एनएसएसओ, 2011-12 की रिपोर्ट भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति के अनुसार 15-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में, लगभग 2.2 प्रतिशत लोगों ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है और 8.6 प्रतिशत ने अनौपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा शुरू की गई पर्यावरण स्कैन रिपोर्ट, 2016 के अनुसार, कृषि, भवन निर्माण और रियल एस्टेट, खुदरा जैसे दो दर्जन क्षेत्रों में 2017-2022 के दौरान 103 मिलियन की अनुमानित वृद्धि है। परिवहन, भंडारण, कपड़ा-वस्त्र, शिक्षा, कौशल विकास, हथकरघा, हस्तशिल्प, ऑटो, ऑटो घटक, निजी सुरक्षा सेवाएं, खाद्य प्रसंस्करण, घरेलू मदद, पर्यटन, आतिथ्य और यात्रा, रत्न, आभूषण, सौंदर्य, कल्याण, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, बीमा, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, मीडिया और मनोरंजन आदि क्षेत्र शामिल हैं।
यह वास्तव में खुशी की बात है कि कौशल विकास के मोर्चे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में बेहद प्रगति हुई है। देश में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 2014 में एक अलग कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (डैक्म्) की स्थापना की गई। मंत्रालय ने अपनी प्रमुख योजना का तीसरा चरण – प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 (पीएमकेवीवाई 3.0) पिछले साल जनवरी में शुरू किया, जिसका उद्देश्य पूरे देश में उद्योग की जरूरतों कुशल बाजार कुशल बाजार को पूरा करने, बाजार की मांगों को पूरा करने, सेवाओं में कौशल प्रदान करने के लिए कौशल विकास को बढ़ावा देना है।
कोविड महामारी के बाद नए क्षेत्र की सेवाएं महत्वपूर्ण हुई हैं। इनके लिए पी.एम.के.वी.वाई 3.0 के तहत, 3.74 लाख से अधिक लोगों को नामांकित किया गया है, 3.36 लाख से अधिक को प्रशिक्षित किया गया है, 2.23 से अधिक का मूल्यांकन किया गया है और 1.65 लाख से अधिक को प्रमाणित भी किया गया है। 1136 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) भी विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 20,000 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देने में लगे हुए हैं। चूंकि कौशल से रोजगार का रास्ता निकलता है। कौशल युवाओं के लिए अपनी आजीविका अर्जित करने और उनकी आकांक्षाओं को साकार करने का एक साधन है। कौशलता के क्षेत्र में हरियाणा ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए केन्द्र की सहायता से 1100 करोड़ रू से अधिक की राशि से पलवल में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय भी स्थापित किया है। यह देश का अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय है।
राष्ट्रीय युवा नीति-2021 सही मायने में एक ऐसे भविष्य का निर्माण करती है जहां हमारे युवाओं के पास स्थायी रोजगार के अवसर हों। हमारी युवा ज्यादातर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और सहकारी समितियों में उनका एकीकरण उन्हें जरूरत के अनुसार कौशल प्रदान करने में मदद करेगा। यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र को और कुशल बाजार सुद्वढ़ किया जाना चाहिए ताकि उनका कौशल और अपस्किलिंग ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बाजार की जरूरतों के अनुरूप हो।
केवल सेवा क्षेत्र ही विकास और रोजगार की आशा का एकमात्र अग्रदूत नहीं हो सकता है। सेवा क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। विनिर्माण क्षेत्र में अधिक से अधिक कौशल संचालित रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता है। प्वज्ए ।प्ए मशीन लर्निंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (त्च्।), एज कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी, ब्लॉकचौन, साइबर सिक्योरिटी और स्पेस टेक्नोलॉजी को भी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ने की जरूरत है। अंतरिक्ष आधारित सेवाएं प्रदान करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी से कई अवसर खुलेंगे। हमें कौशल के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहने की जरूरत है।
मुझे लगता है कि आईटीआई सहित उच्च शिक्षा के हमारे परिसरों को पूरी तरह से उन्नत करना होगा। केवल छात्र ही नहीं, हमारे कॉलेज और विश्वविद्यालयों के संकायों को भी स्वयं को आधुनिक शोध कार्यो पर बल देना होगा और वॉकल फार लोकल के सिद्धांत पर आगे बढ़ना होगा। इसके लिए छम्च्-2020 एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
बाजार की मांग के साथ कुशल कार्यबल की आपूर्ति से मेल खाने वाला एक मंच प्रदान करने के लिए, दिसंबर 2021 में, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने ASEEM पोर्टल लॉन्च किया है। ASEEM पोर्टल का पूर्ण रूप क्या है?
Key Points
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी नियोक्ता मानचित्रण (ASEEM) पोर्टल लॉन्च किया है।
- यह कुशल कार्यबल की निर्देशिका के रूप में कार्य करता है।
- इसका उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना है जो बाजार की मांग के साथ कुशल कार्यबल की आपूर्ति से मेल खाता हो।
- ASEEM पोर्टल का प्रबंधन मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा किया जा रहा है।
Additional Information
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत 2008 में स्थापित एक गैर-लाभकारी पब्लिक लिमिटेड कंपनी है।
- केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री हैं।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और भारत अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्र (IISCs) NSDC के तहत कार्य करते हैं।
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Last updated on Nov 2, 2022
SBI PO Prelims Admit Card to be out soon. The exam is scheduled on 17th, 18th, 19th and 20th December 2022. The State Bank of India (SBI) had released the official notification of the SBI PO 2022 Recruitment. A total of 1673 vacancies have been released under SBI PO 2022-23 Recruitment. Candidates who will get qualified in the prelims are eligible to attend the mains. The SBI has revised the mains exam pattern a bit. The candidates can check out the SBI PO Mains Exam Pattern here.