निवेशक की सेवा

- लेवल प्लेइंग फील्ड-
- > भारतीय निजी क्षेत्र के लिए रक्षा लोक उपक्रमों के समान एक्सचेंज रेट वेरिएशन (ईआरवी) सुरक्षा लागू निवेशक की सेवा किया गया है।
- > निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग जगत के सभी आयामों के लिए समान उत्पाद शुल्क/सीमा शुल्क व्यवस्था लागू करना।
- रक्षा ऑफसेट-
- > एमएसएमई के लिए 1.5 मल्टीप्लायर का प्रावधान जैसा कि भारतीय ऑफसेट पार्टनर (आईओपी)।
- > 3 तक मल्टीप्लायर का प्रावधान, जटिल तकनीकी के लिए डी आर डी ओ को हस्तांतरण ।
- > संविदा हस्ताक्षर के बाद विदेशी कंपनियां भी ऑफसेट डिस्चार्ज के लिए अपने आईओपी और घटकों को इंगित कर सकती है।
- गैर कोर मदें-
- > विक्रेताओं द्वारा आयुध निर्माणी बोर्ड की 143 मदों को गैर-कोर मदों में वर्गीकृत किया गया है।
- 'मेक’ प्रक्रिया-
- > विक्रेताओं द्वारा डिजाइन और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोटोटाइप विकास लागत 3 करोड़ रुपए के लिए एमएसएमई को अधिमानी व्यवहार के साथ मेक-II प्रक्रिया को संशोधित और साधारण निर्गत किया गया है।
- एफडीआई नीति-
- > ऑटोमेटिक रूट के अधीन 49% तक एफडीआई स्वीकृत है और 49% से अधिक सरकार के अनुमोदन से।
- औद्योगिक लाइसेसिंग नीति-
- > 70% मदें जैसे- पुर्जे, कम्पोनेंट, सब सिस्टम, कच्चे माल इत्यादि को औद्योगिक लाइसेसिंग नीति की परिधि से हटा दिया गया है।
- > औद्योगिक लाइसेंस की शुरूआती अवधि को 3 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया है जिसे आईडीआर एक्ट और आर्म्स एक्ट के तहत आजीवन वैधता के तहत 3 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।
- रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड की आउटसोर्सिंग और टेंडर विकास-
- > रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा व्यापक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें स्वदेशीकरण और आयात विकल्प के लिए टेंडर विकास शामिल है।
- रक्षा निर्यात-
- > युद्ध-सामग्री सूची के लिए आवश्यक प्राधिकरण की अनिवार्यता को सार्वजनिक डोमैन में रखकर अस्पष्टता को समाप्त कर दिया गया है।
- > पुर्जों के निर्माण, कम्पोनेंटस और सब सिस्टम इत्यादि के लिए सरकारी प्राधिकारियों द्वारा अंत प्रयोक्ता प्रमाण पत्र को प्रति हस्ताक्षरित/स्टैम्प करवाने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है।
- > आवेदन पत्र आन लाइन प्राप्त हो रहे हैं।
- > निर्यात के लिए प्राधिकरण जारी करने के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) को पब्लिक डोमैन में डाल दिया है, प्राधिकरण जारी करने के लिए विशिष्ट समय सीमा प्रारंभ की गई है।
- ग्रीन चैनल-
- > आपूर्तिकर्त्ता वारंटी/वेंडर की गारंटी के अंतर्गत प्रेषक पूर्व निरीक्षण और माल की स्वीकृति की आवश्यकता को समाप्त करके ग्रीन चैनल नीति को लागू किया गया है।
- समय पर भुगतान- –
- > रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कच्चे माल की खरीद और सामग्री को वेंडर, विशेष रूप से एमएसएमई को 30 दिन के अंदर 90% राशि का भुगतान करना होता है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों और आयुध निर्माणी बोर्ड को एमएसएमई वेंडर को 15% अग्रिम का प्रावधान है।
रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ
भारत में रक्षा क्षेत्र उत्पादों को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार की पहल ‘मेक इन इण्डिया’ के साथ, रक्षा उत्पाद क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरों के बारे में निवेशकों को जागरूक करने की जरूरत है। एकल संपर्क के रूप में काम करते हुए, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ क्षेत्र में निवेश के लिए निवेश अवसरों, प्रक्रिया और नियामक आवश्यकताओं से संबंधित प्रश्नों से संबंधित सभी आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराएगा।
रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा निवेश की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए निम्नलिखित औद्योगिक अनुकूल पहल की गई है।
- लेवल प्लेइंग फील्ड-
-
निवेशक की सेवा
- > भारतीय निजी क्षेत्र के लिए रक्षा लोक उपक्रमों के समान एक्सचेंज रेट वेरिएशन (ईआरवी) सुरक्षा लागू किया गया है।
- > निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग जगत के सभी आयामों के लिए समान उत्पाद शुल्क/सीमा शुल्क व्यवस्था लागू करना।
- रक्षा ऑफसेट-
- > एमएसएमई के लिए 1.5 मल्टीप्लायर का प्रावधान जैसा कि भारतीय ऑफसेट पार्टनर (आईओपी)।
- > 3 तक मल्टीप्लायर का प्रावधान, जटिल तकनीकी के लिए डी आर डी ओ को हस्तांतरण ।
- > संविदा हस्ताक्षर के बाद विदेशी कंपनियां भी ऑफसेट डिस्चार्ज के लिए अपने आईओपी और घटकों को इंगित कर सकती है।
- गैर कोर मदें-
- > विक्रेताओं द्वारा आयुध निर्माणी बोर्ड की 143 मदों को गैर-कोर मदों में वर्गीकृत किया गया है।
- 'मेक’ प्रक्रिया-
- > विक्रेताओं द्वारा डिजाइन और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोटोटाइप विकास लागत 3 करोड़ रुपए के लिए एमएसएमई को अधिमानी व्यवहार के साथ मेक-II प्रक्रिया को संशोधित और साधारण निर्गत किया गया है।
- एफडीआई नीति-
- > ऑटोमेटिक रूट के अधीन 49% तक एफडीआई स्वीकृत है और 49% से अधिक सरकार के अनुमोदन से।
- औद्योगिक लाइसेसिंग नीति-
- > 70% मदें जैसे- पुर्जे, कम्पोनेंट, सब सिस्टम, कच्चे माल इत्यादि को औद्योगिक लाइसेसिंग नीति की परिधि से हटा दिया गया है।
- > औद्योगिक लाइसेंस की शुरूआती अवधि को 3 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया है जिसे आईडीआर एक्ट और आर्म्स एक्ट के तहत आजीवन वैधता के तहत 3 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।
- रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड की आउटसोर्सिंग और टेंडर विकास-
- > रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा व्यापक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें स्वदेशीकरण और आयात विकल्प के लिए टेंडर विकास शामिल है।
- रक्षा निर्यात-
- > युद्ध-सामग्री सूची के लिए आवश्यक प्राधिकरण की अनिवार्यता को सार्वजनिक डोमैन में रखकर अस्पष्टता को समाप्त कर दिया गया है।
- > पुर्जों के निर्माण, कम्पोनेंटस और सब सिस्टम इत्यादि के लिए सरकारी प्राधिकारियों द्वारा अंत प्रयोक्ता प्रमाण पत्र को प्रति हस्ताक्षरित/स्टैम्प करवाने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है।
- > आवेदन पत्र आन लाइन प्राप्त हो रहे हैं।
- > निर्यात के लिए प्राधिकरण जारी करने के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) को पब्लिक डोमैन में डाल दिया है, प्राधिकरण जारी करने के लिए विशिष्ट समय सीमा प्रारंभ की गई है।
- ग्रीन चैनल-
- > आपूर्तिकर्त्ता वारंटी/वेंडर की गारंटी के अंतर्गत प्रेषक पूर्व निरीक्षण और माल की स्वीकृति की आवश्यकता को समाप्त करके ग्रीन चैनल नीति को लागू किया गया है।
- समय पर भुगतान- –
- > रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कच्चे माल की खरीद और सामग्री को वेंडर, विशेष रूप से एमएसएमई को 30 दिन के अंदर 90% राशि का भुगतान करना होता है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों और आयुध निर्माणी बोर्ड को एमएसएमई वेंडर को 15% अग्रिम का प्रावधान है।
निवेशक की सेवा
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निवेशक की सेवा
- सार्वजनिक सूचना - ऋण के लिए धोखाधड़ी प्रस्ताव के खिलाफ सावधानी
- वार्षिक रिपोर्टें
- वार्षिक विवरणी
- सहायक कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट
- वित्तीय परिणाम
- निवेशकों के लिए - कॉर्पोरेट जानकारी
- निवेशक संबंध / संपर्क
- निवेशकों का प्रस्तुतीकरण
- ट्रांसक्रिप्ट्स
- घोषणाएँ
निवेशक संबंध/संपर्क
पीएफसी का उद्देश्य मौजूदा और संभावित निवेशकों से जुड़ना और निवेश समुदाय के साथ एक मजबूत और स्थायी सकारात्मक निवेशक की सेवा संबंध बनाना है। इसके लिए, कंपनी के कार्य-निष्पादन पर निवेशकों को जानकारी प्रदान करने के लिए पीएफसी का एक प्रतिबद्ध निवेशक संबंध सेल है।
तदनुसार, पीएफसी के वित्तीय प्रदर्शन से संबंधित प्रश्नों के लिए कृपया निम्नलिखित पते पर निवेशक संबंध प्रकोष्ठ से संपर्क करें:
श्री संजय मेहरोत्रा
महाप्रबंधकनिवेशक संबंध प्रकोष्ठ
पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड
'ऊर्जानिधि', 1, बाराखंबा लेन, कनॉट प्लेस,
नई दिल्ली -110 001सुश्री जसनीत गुरम
अपर महाप्रबंधकनिवेशक संबंध प्रकोष्ठ
पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड
'ऊर्जानिधि', 1, बाराखंबा लेन, कनॉट प्लेस,
नई दिल्ली -110 001
टेलीफोन : +91-11- 23456838
ई-मेल : [email protected]पीएफसी के बॉन्ड संबंधित समस्याओं के लिए कृपया यहां क्लिक करें।
पीएफसी के इक्विटी शेयरों से संबंधित समस्याओं के लिए कृपया यहां क्लिक करें।
उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने को नई नीति
प्रदेश में सेवा क्षेत्र का विस्तार हो रहा है। निवेशक की सेवा सरकार का फोकस इसको बढ़ावा देने पर है। इसके लिए सात विषयों को केंद्र में रखा गया है। इनमें पर्यटन एवं आतिथ्य शिक्षा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं व्यावसायिक सेवाएं सूचना प्रौद्योगिकी खेल एवं व्यायाम व फिल्म एवं मनोरंजन शामिल है।
विकास गुसाईं, देहरादून। उत्तराखंड में सेवा एवं आतिथ्य क्षेत्र (सर्विस एवं हास्पिटेलिटी सेक्टर) को बढ़ावा देने के लिए नई सेवा नीति तैयार की जा रही है। इस नीति में सात घटकों को शामिल करते हुए इनमें निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देना प्रस्तावित किया गया है। नीति का उद्देश्य सेवा क्षेत्र में तेजी से विकास के लिए सरल, सक्रिय और उत्तरदायी तंत्र को विकसित करना है।
सेवा क्षेत्र की भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण सहभागिता है। सेवा क्षेत्र में विदेशी निवेश भी हुआ है। इससे देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित हुए हैं। उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं। वर्ष 2020-21 में उत्तराखंड के घरेलू सकल उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 41 प्रतिशत रहा है। अभी यहां सेवा क्षेत्र के अंतर्गत पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम हो रहा है।
राज्य में सेवा क्षेत्र में और अधिक निवेश की संभावनाएं हैं। इसे देखते राज्य में सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सेवा नीति बनाई जानी प्रस्तावित की गई है। औद्योगिक विकास विभाग द्वारा इसका खाका तैयार किया गया है। इस नीति में सात घटकों को शामिल किया गया है। इनमें पर्यटन एवं आतिथ्य, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिक समर्थित सेवाएं, व्यावसायिक सेवाएं, खेल एवं व्यायाम और फिल्म एवं मनोरंजन शामिल हैं।
नीति में पर्यटन के क्षेत्र में उद्योग लगाने वालों को निवेश के अनुसार पांच श्रेणी में बांटा गया है। इसमें इन्हें 30 प्रतिशत निवेश प्रोत्साहन सहायता और ब्याज में छूट देने का प्रविधान किया गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगने वाले उद्योग व प्रयोगशालाओं के लिए भी इसी क्रम में वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है। शिक्षा के क्षेत्र में निवेशक को भूमि की लागत की प्रतिपूर्ति करना प्रस्तावित किया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश करने वालों को भी वित्तीय प्रोत्साहन देने की बात है। खेल व मनोरंजन के क्षेत्र में कुल लागत का 30 प्रतिशत की वित्तीय सहायता देने की व्यवस्था की गई है। अब उद्योग विभाग इस नीति को सुदृढ़ बनाने के लिए सुझाव आमंत्रित कर रहा है। हालांकि, यह नीति क्या स्वरूप लेगी यह नई सरकार तय करेगी।
Uttarakhand: राज्य में निवेश को रफ्तार देने वाले उद्यमियों को सीएम धामी करेंगे सम्मानित, छह को सम्मान समारोह
मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में होने वाले समारोह में प्रदेश के लगभग 60 निवेशकों को सम्मानित किए जाएंगे। धामी सरकार ने निवेशकों की समस्याओं का समाधान और नए उद्योग स्थापित करने के लिए औद्योगिक नीतियों और सिंगल विंडो सिस्टम में कई सुधार किए, जिससे दो साल के भीतर साढ़े सात हजार करोड़ का निवेश हुआ है।
कोविड महामारी के कारण बड़ा आर्थिक झटका लगा इसके बावजूद उत्तराखंड में निवेश को रफ्तार देने वाले उद्यमियों ने जनवरी 2020 से अब तक प्रदेश में साढ़े सात हजार करोड़ का निवेश किया। निवेशकों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी छह सितंबर को प्रोत्साहन एवं सम्मान समारोह आयोजित कर सम्मानित करेंगे।
पिछले दो साल के भीतर राज्य में उद्योग स्थापित कर उत्पादन शुरू करने वाले निवेशकों से सेवा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए फीडबैक भी लिया जाएगा। मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में होने वाले समारोह में प्रदेश के लगभग निवेशक की सेवा 60 निवेशकों को सम्मानित किए जाएंगे। इसमें 42 बड़े निवेशक और विभिन्न जिलों से एमएसएमई उद्यमी शामिल होंगे।
सरकार ने 2019 में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टर्स समिट(निवेशक सम्मेलन) आयोजित किया था। इसमें देश दुनिया से आए निवेशकों ने राज्य में निवेश की इच्छा जाहिर करते हुए सरकार से एमओयू किया था। इस सम्मेलन में 1.24 लाख करोड़ के निवेश एमओयू किए गए थे। धामी सरकार ने निवेशकों की समस्याओं का समाधान और नए उद्योग स्थापित करने के लिए औद्योगिक नीतियों और सिंगल विंडो सिस्टम में कई सुधार किए, जिससे दो साल के भीतर साढ़े सात हजार करोड़ का निवेश हुआ है।
राज्य में नए उद्योगों में निवेश करने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए निवेशक सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है। इसके लिए तैयारियां चल रही है। इस समारोह में निवेशकों के साथ निवेश की संभावनाओं पर भी चर्चा की जाएगी। -डॉ. पंकज कुमार पांडेय, सचिव, उद्योग
विस्तार
कोविड महामारी के कारण बड़ा आर्थिक झटका लगा इसके बावजूद उत्तराखंड में निवेश को रफ्तार देने वाले उद्यमियों ने जनवरी 2020 से अब तक प्रदेश में साढ़े सात हजार करोड़ का निवेश किया। निवेशकों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी छह सितंबर को प्रोत्साहन एवं सम्मान समारोह आयोजित कर सम्मानित करेंगे।
पिछले दो साल के भीतर राज्य में उद्योग स्थापित कर उत्पादन शुरू करने वाले निवेशकों से सेवा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए फीडबैक भी लिया जाएगा। मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में होने वाले समारोह में प्रदेश के लगभग 60 निवेशकों को सम्मानित किए जाएंगे। इसमें 42 बड़े निवेशक और विभिन्न जिलों से एमएसएमई उद्यमी शामिल होंगे।
सरकार ने 2019 में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टर्स समिट(निवेशक सम्मेलन) आयोजित किया था। इसमें देश दुनिया से आए निवेशकों ने राज्य में निवेश की इच्छा जाहिर करते हुए सरकार से एमओयू किया था। इस सम्मेलन में 1.24 लाख करोड़ के निवेश एमओयू किए गए थे। धामी सरकार ने निवेशकों की समस्याओं का समाधान और नए उद्योग स्थापित करने के लिए औद्योगिक नीतियों और सिंगल विंडो सिस्टम में कई सुधार किए, जिससे दो साल के भीतर साढ़े सात हजार करोड़ का निवेश हुआ है।
राज्य में नए उद्योगों में निवेश करने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए निवेशक सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है। इसके लिए तैयारियां चल रही है। इस समारोह में निवेशकों के साथ निवेश की संभावनाओं पर भी चर्चा की जाएगी। -डॉ. पंकज कुमार पांडेय, सचिव, उद्योग