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ऑप्शन खरीदार

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PhonePe दे रहा ऑनलाइन खरीदारी का ऑप्शन, मात्र 1 रुपये में खरीदें सोना, जानें कैसे

सोने की खरीदारी ऑनलाइन हो चुकी है और कोई भी ग्राहक सिर्फ एक रुपये में सोना खरीदने की शुरुआत कर सकता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या आपको पता है कि सिर्फ एक रुपये में भी सोना खरीदा जा सकता है? इन दिनों सोने की खरीदारी ऑनलाइन हो चुकी है और कोई भी ग्राहक सिर्फ एक रुपये में सोना खरीदने की शुरुआत कर सकता है. भारत के प्रमुख डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म- फोनपे (PhonePe) ने सोमवार को कहा कि यह 35 फीसदी मार्केट शेयर के साथ ही सोना खरीदने के लिए भारत में सबसे बड़ा डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Platform) बनकर उभरा है. कंपनी ने यह भी कहा है कि इस साल त्यौहार के मौसम में (दशहरे से लेकर दीवाली तक के 21 दिन) उसकी सोने की बिक्री में छह गुना वृद्धि देखी गई है.

फोनपे ने दिसंबर 2017 में सोना श्रेणी शुरू की, और पिछले 3 वर्षों में इसने सेफगोल्ड और एमएमटीसी-पीएएमपी के साथ साझेदारी की है ताकि देश भर के यूजर्स को ऑनलाइन सोना (Online Gold) खरीदने मिल सके. फोनपे पर खरीदा गया सोना 24 कैरेट का असली सोना है जिसे ग्राहक के बजट के अनुसार कभी भी खरीदा जा सकता है और जिसकी कीमत 1 रुपए से शुरू होती है.

सोने की डिलीवरी का विकल्प भी है

ग्राहक सोने की डिलीवरी का विकल्प भी चुन सकते हैं और सिक्कों या बार के रूप में अपने घर तक डिलीवरी प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी शुरूआत आधे ग्राम जितने कम मात्रा से होगी. पूरे भारत के 18,500 से अधिक पिन कोड से ग्राहक फोनपे पर सोना खरीद चुके हैं जिनमें से अब तक छोटे कस्बों और शहरों के 60 फीसदी से अधिक ग्राहक शामिल हैं.

फोनपे म्यूचुअल फंड्स एंड गोल्ड (Phone Pe Mutual Funds & Gold) के प्रमुख टेरेंस लुसिएन ने कहा,' फोनपे ने त्यौहार के मौसम के पहले इस महीने सोने की रिकॉर्ड बिक्री देखी. हमारे जैसे भुगतान प्लेटफार्म में बढ़ते विश्वास, पहुंच, सामथ्र्य और सुरक्षा में आसानी के कारण ग्राहक डिजिटल खरीदारी की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.

फोनपे के पास सोना खरीदने के लिए सबसे अच्छे डिजाइन किए गए प्लेटफॉर्म हैं और हम इसमें लगातार नई सुविधाएं ला रहे हैं. हमने हाल ही में अपने ग्राहकों को हर महीने सोना खरीदने में मदद करने के लिए एक रिमाइंडर सुविधा शुरू की है. हमने नियमित रूप से निवेश करके अपने बचत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ग्राहकों को प्रेरित करने के लिए एक माइलस्टोन सुविधा भी जोड़ी है.'

No Cost EMI ऑप्शन देखकर तुरंत न करें खरीदारी का फैसला, समझ लें इसका मतलब

No Cost EMI ऑप्शन देखकर तुरंत न करें खरीदारी का फैसला, समझ लें इसका मतलब

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर शॉपिंग करते समय आपने नो कॉस्ट ईएमआई शब्द जरूर पढ़ा होगा। क्या आप असल में इसका मतलब जानते हैं? इसके साथ कंपनियां डिस्काउंट और आकर्षक ऑफर भी देती है। क्या इस तरह खरीदना समझदारी का फैसला है? जानिए नो कॉस्ट ईएमआई से जुड़ी अहम बात

क्या होता है नो कॉस्ट ईएमआई-

वर्ष 2013 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को रिटेल प्रोडक्ट्स पर जीरो फीसद ईएमआई स्कीम पेश करने से बैन कर दिया था। इसलिए बैंकों ने इसका विकल्प निकाला है। सुनने में नो कॉस्ट ईएमआई का मतलब ऐसा जान पड़ता है कि आपको लोन पर कोई ब्याज नहीं देना। लेकिन असल में आपका बैंक दिये गये डिस्काउंट को ब्याज के रूप में वापस ले लेता है।

कैसे काम करती है नो कॉस्ट ईएमआई:

नो कॉस्ट ईएमआई में तीन हिस्सेदार होते हैं- रिटेलर, बैंक और कंज्यूमर। आम तौर पर चुनिंदा बैंक क्रेडिट कार्ड पर ऑप्शन खरीदार नो कॉस्ट ईएमआई का विकल्प देते हैं। अगर आपके पास उस बैंक का क्रेडिट कार्ड नहीं है तो आपको वह डील नहीं मिलेगी। इसके लिए आप नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से ईएमआई कार्ड का विकल्प चुन सकते हैं। कुछ ईएमआई कार्ड के लिए फीस चुकानी होती है। रिटेलर्स उन प्रोडक्ट्स पर नो कॉस्ट ईएमआई का विकल्प देता जो उसे जल्दी बेचने होते हैं। नो कॉस्ट ईएमआई की स्थिति में रिटेलर्स कंज्यूमर को ब्याज जितनी राशि का डिस्काउंट दे देता है।

क्या नो कॉस्ट ईएमआई का चयन करना चाहिए?

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, एक्सिस बैंक लिमिटेड, आइसीआइसीआइ बैंक लिमिटेड, आरबीएल बैंक लिमिटेड, येस बैंक लिमिटेड, स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर नो कॉस्ट ईएमआई का ऑप्शन देते हैं। आमतौर पर मोबाइल फोन, फ्रिज, टेलीविजन और वाशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट्स पर डिस्काउंट दिया जाता है।

अधिकांश मामलों में नकदी पर डिस्काउंट ईएमआई से ज्यादा नहीं होता है। यह एक तरह से मार्केटिंग का तरीका होता है ताकि पुराना स्टॉक खत्म किया जा सके। सलाहकारों के मुताबिक व्हाइट गुड्स (मोबाइल फोन, फ्रिज, टेलीविजन और वाशिंग मशीन, एसी) के लिए लोन नहीं लेना चाहिए।

इसलिए कोशिश करें कि इस तरह की मार्केटिंग टैक्टिक्स में न फंसे जहां पर आपको जिन चीजों की जरूरत नहीं भी है आप वो खरीद रहे हैं। वो भी ऊंचे दाम पर। साथ ही ईएमआई डिफॉल्ट से बचें।

फेस्टिव सीजन में ‘Buy Now Pay Later’ पर खरीदारी करने से पहले जान लें ये 5 बातें!

aajtak.in

हम में से कई लोग दिवाली के आसपास फेस्टिव सीजन में बड़ी खरीदारी (Diwali Shopping) करते हैं. अक्सर बड़े सामानों की खरीदारी EMI पर की जाती है. और इसके लिए आजकल बाजार में कई ऑप्शन मौजूद हैं. सबसे नया विकल्प Buy Now Pay Later का है. लेकिन अगर आप ये ऑप्शन लेने की सोच रहे हैं तो इसके बारे में आपको ये 5 बातें पहले जान लेनी चाहिए.

क्या होता है Buy Now Pay Later

क्या होता है Buy Now Pay Later
कई फिनटेक और फाइनेंस कंपनियां अपने ग्राहकों को Buy Now Pay Later की सुविधा देती हैं. ये एक तरह का लोन ही होता है जो ग्राहकों को किसी खरीदारी के लिए दिया जाता है और इसमें ग्राहक को एक तय समयअवधि में इसकी EMI चुकाने का ऑप्शन चुनना होता है. ऐसी सुविधा देने वाली कंपनियां बैंकों से टाई-अप करती हैं और ग्राहकों को छोटी अवधि एवं राशि के लोन देती हैं.

कौन लेता है Buy Now Pay Later लोन

कौन लेता है Buy Now Pay Later लोन
आम तौर पर फेस्टिव सीजन में खरीदारी के लिए क्रेडिट कार्ड या EMI के ऑप्शन चुनते हैं. बड़ी सेल और भारी डिस्काउंट का फायदा उठाने के लिए लोग इन विकल्प का चुनाव करते हैं. लेकिन ये ऑप्शन उन लोगों के लिए हैं जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी है. जबकि जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती या जिनके पास आधिकारिक लोन लेने का ऑप्शन नहीं होता वो Buy Now Pay Later के ऑप्शन पर जाते हैं.

Buy Now Pay Later में कैसे होता है पेमेंट

Buy Now Pay Later में कैसे होता है पेमेंट
जब भी कोई ग्राहक Buy Now Pay Later ऑप्शन चुनता है, तो बीच में एक मर्चेंट प्लेयर होता है. ये कोई फिनटेक कंपनी हो सकती है. इस ऑप्शन से खरीदारी करने पर ये मर्चेट सामने वाली पार्टी को पेमेंट कर देता है और आप से महीने की किस्तों में वो पेमेंट लेता है. आम तौर पर ये पेमेंट No Cost EMI के रूप में होता है.

ये कंपनियां देती हैं Buy Now Pay Later फैसिलिटी

ये कंपनियां देती हैं Buy Now Pay Later फैसिलिटी
अभी इंडिया में लगभग सभी बड़ी फिनटेक कंपनियां अपने ग्राहकों को Buy Now Pay Later की सुविधा देती है. इसमें MobiKwik Zip, Paytm Postpaid, Zest Money, Early Salary, LazyPay, Simpl के साथ-साथ Amazon Pay Later और Flipkart Pay Later के ऑप्शन भी मौजूद हैं.

छोटे अमाउंट के लिए Buy Now Pay Later

छोटे अमाउंट के लिए Buy Now Pay Later
Buy Now Pay Later की फैसिलटी देने वाली Lazy Pay और Simpl जैसी कंपनियां सीधे आपका मौके पर बिल पेमेंट कर देती हैं और एक तय अवधि के बाद आपको उसका पेमेंट करना होता है. इस तरह की कंपनियां अक्सर Swiggy या Big Basket जैसे मर्चेंट के साथ टाई-अप करती हैं जहां खरीदारी का अमाउंट कम होता है.

Buy Now Pay Later में मिले बड़ा लोन (Photo : Getty)

Buy Now Pay Later में मिले बड़ा लोन
कुछ Buy Now Pay Later फैसिलिटी देने वाली कंपनियां लोगों को बड़ी राशि का लोन भी देती हैं. इनमें Capital Float, Zest Money और Early Salary शामिल है. Early Salary के चीफ बिजनेस ऑफिसर विमल साबू बताते हैं कि इस तरह की कंपनियां EMI पर लोन ऑफर करती हैं और ये 1 ये 3 लाख रुपये तक हो सकता है. लेकिन Buy Now Pay Later लोन क्या उतना ही सेफ है और काम का है.

Buy Now Pay Later का ब्याज

Buy Now Pay Later का ब्याज
अगर आप Buy Now Pay Later ऑप्शन चुनने जा रहे हैं तो सबसे पहले आपको उस पर लगने वाले ब्याज के बारे में जानकारी लेनी चाहिए. कई बार ये Zero Cost पर भी मिलता है लेकिन इसमें फिनटेक कंपनियां किसी सामान की खरीदारी से मिलने वाले मार्जिन को मर्चेंट के साथ बांट लेती हैं. ऐसे में ब्याज फ्री लोन की अवधि 15 से 30 दिन होती है और उसके बाद आपको ईएमआई में पेमेंट देना होता है.

अगर Buy Now Pay Later में हुआ डिफॉल्ट

अगर Buy Now Pay Later में हुआ डिफॉल्ट
कई बार ऐसा होता है जब हम अपनी मासिक किस्त समय पर नहीं चुका पाते. जब बैंक से लोन लेने पर हम ऐसा करते हैं तो हमें भारी ब्याज और जुर्माना देना होता है. Buy Now Pay Later सुविधा में भी अगर आप समय पर किस्त नहीं चुकाते हैं तो आपको 500 से 1000 रुपये तक की लेट फीस के साथ 2.5% मासिक तक का ब्याज देना पड़ सकता है.

Buy Now Pay Later में रिफंड मिलता है?

Buy Now Pay Later में रिफंड मिलता है?
कई बार ऐसा होता है कि हम कोई खरीदारी करते हैं और वो हमें पसंद नहीं आती या उसमें कुछ खराबी आ जाती है. ऐसे में अगर आपने पेमेंट Buy Now Pay Later ऑप्शन से किया है तो कई बार इसके रिफंड में दिक्कत आ सकती है. इस बारे में फिनकेयर एसबीएफ के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अंकित मिश्रा का कहना है कि इस तरह की दिक्कत तब आती है जब ग्राहक लोन की शर्तों को सही से समझ नहीं पाता या उसमें पादर्शिता का अभाव होता है. इसलिए ग्राहकों को इस तरह का लोन लेने से पहले पूरी परख करनी चाहिए.

Buy Now Pay Later खराब करता है CIBIL!

Buy Now Pay Later खराब करता है CIBIL!
किसी भी व्यक्ति को बड़े लोन लेने के लिए CIBIL के क्रेडिट स्कोर की जरूरत पड़ती है. अक्सर देखने को मिलता है कि लोग बिना जरूरत के ही Buy Now Pay Later की फैसिलिटी ले लेते हैं. ऐसे में इस फैसिलिटी के तहत जो राशि आपको एलॉट होती है वो असल में आपकी क्रेडिट लाइन का ही हिस्सा ऑप्शन खरीदार होती है. और अगर आप इसे यूज नहीं करते हैं तो ये आपके क्रेडिट लाइन को घेरे रहकर कमजोर बनाती है. इसका सीधा असर आपके CIBIL Score पर पड़ता है.

शेयर मार्केट में थीटा की गणना कैसे की जाती है?

एक ऑप्शन ट्रेडर को, सफल और उपयोगी ट्रेडों को निष्पादित करने के लिए, यह ध्यान रखना चाहिए कि विश्लेषण ऑप्शंस बाजार का थंब रूल (नियम) है। कोई भी रणनीति बेकार नहीं जाती अगर आप उन्हें सही स्टॉक और उपयुक्त निवेश लक्ष्य के लिए सही तरीके से चुनते है। आइए एक अवधारणा सीखें जो ऑप्शंस का अध्ययन करने और उन्हें मापने के लिए विभिन्न पैरामीटर प्रदान करती है। ऑप्शन ग्रीक अर्थात् डेल्टा,गामा, थीटा,वेगा और रो (rho) स्टॉक की कीमतों,बाजार की अस्थिरता, और समय के हिसाब से ऑप्शन की कीमत की सापेक्ष संवेदनशीलता को मापने का एक तरीका है। प्रत्येक ग्रीक वर्णमाला के उपयोग को समझने के लिए हमारा "ऑप्शन ग्रीक्स” का ब्लॉग जरूर पढ़ें। इस ब्लॉग में, हम विशेष रूप से थीटा के बारे में चर्चा करेंगे, और देखेंगे की थीटा की गणना कैसे की जाती है।

थीटा (θ)

यह ऑप्शन ट्रेडिंग में बहुत मददगार होता है यदि आप किसी विशेष ऑप्शन की स्थिति को बंद करने के लिए समय विंडो (Time Window) जानते हैं, जिसे आमतौर पर "समाप्ति का समय" (Time to Expiration) कहा जाता है। थीटा की विशेष भूमिका समय क्षय (Time Decay) पर ध्यान केंद्रित करना है। समय क्षय (time decay) आपके ऑप्शन पोजीशन को कैसे प्रभावित कर रहा है यह जानने के लिए आम तौर पर थीटा का उपयोग किया जाता है । थीटा आपको यह मापने में मदद करता है कि समय के साथ एक ऑप्शन कितना मूल्य खो देता है। यदि आप ऑप्शंस में रुचि रखते हैं, तो एक्सपायरी का समय एक महत्वपूर्ण कारक है जिस पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि आप अपनी रणनीतियों का निर्माण कर रहे हैं।

थीटा की गणना (θ)

जैसे जैसे ऑप्शन समाप्ति तक पहुंचता है थीटा समय के साथ ऑप्शन के मूल्य (प्रीमियम) में गिरावट को मापता है।

थीटा = एक विकल्प प्रीमियम में परिवर्तन / समाप्ति के समय में परिवर्तन।

आमतौर पर थीटा लंबे ऑप्शंस के लिए नकारात्मक (negative) होता है, चाहे वह कॉल हो या पुट।

जैसे जैसे समय बीतता जाता हे वैसे वैसे ऑप्शन के समय मूल्य में कमी आने लगती है और न केवल समय मूल्य में कमी आती है, बल्कि जैसे आप समाप्ति के करीब पहुंचते हैंयह अधिक तीव्र गति से ऐसा करता है।

आम तौर पर थीटा को ऑप्शन खरीदार का दुश्मन माना जाता है जबकि ऑप्शन विक्रेता के लिए एक दोस्त माना जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जैसे-जैसे समय बीतता है, विक्रेता के लिए शॉर्ट पोजीशन को बंद करने के ऑप्शंस को वापस खरीदना सस्ता हो जाता है।

ऑप्शन खरीदार के संबंध में थीटा गणना

एक ऑप्शन खरीदार प्रीमियम का भुगतान करने का हकदार है, यह जानते हुए कि वह एक सीमित जोखिम और असीमित लाभ क्षमता रखता है। इनाम उस सीमा तक असीमित है जहां तक ​​बाजार बढ़ता है। ऑप्शन खरीदार के पास असीमित पुरस्कार अर्जित करने की क्षमता है।

उदाहरण: मान लीजिये निफ्टी का स्पॉट मूल्य 15000 है, और आप निफ्टी 15200 ओटीएम कॉल ऑप्शन खरीदते हैं।

इस कॉल ऑप्शन के इन द मनी (ITM) में समाप्त होने की क्या संभावना है?

सरल शब्दों में, निफ्टी को देखते हुए आज 15000 पर है, निफ्टी के अगले 30 दिनों में 200 अंक बढ़ने की ऑप्शन खरीदार ऑप्शन खरीदार और इसलिए 15200 CE के आईटीएम समाप्ति की क्या संभावना हैं? अगले 30 दिनों में निफ्टी के 200 अंक बढ़ने की संभावना काफी अधिक है, इसलिए एक्सपायरी पर ऑप्शन के आईटीएम (ITM) में समाप्त होने की संभावना बहुत अधिक है।

क्या होगा अगर समाप्ति के लिए केवल 15 दिन हैं?

अगले 15 दिनों में निफ्टी के 200 अंक बढ़ने की उम्मीद वाजिब है, इसलिए एक्सपायरी पर आईटीएम में समाप्त होने वाले ऑप्शन की संभावना अधिक है (ध्यान दें कि यह बहुत अधिक नहीं है, लेकिन केवल उच्च है)।

क्या होगा अगर समाप्ति के लिए केवल 5 दिन हैं?

खैर,5 दिन,200 अंक,वास्तव में निश्चित नहीं है इसलिए 15200 CE के इन द मनी में समाप्त होने की संभावना कम है

क्या होगा अगर समाप्ति के लिए केवल 1 दिन बचा है ?

निफ्टी के 1 दिन में 200 अंक बढ़ने की संभावना काफी कम है, इसलिए हम निश्चित रूप से बता सकते है कि ऑप्शन इन द मनी समाप्त नहीं होगा,इसलिए मौका बहुत कम है।

समाप्ति का समय जितना अधिक होगा, ऑप्शन के इन द मनी (ITM) समाप्त होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी

ऑप्शन विक्रेता के संबंध में थीटा गणना

ऑप्शन विक्रेता एक ऑप्शन को बेचता है और इसके लिए प्रीमियम प्राप्त करता है। जब वह एक ऑप्शन बेचता है तो वह बहुत अच्छी तरह से जानता है कि वह असीमित जोखिम और सीमित इनाम (reward) क्षमता रखता है। इनाम उसके द्वारा प्राप्त प्रीमियम की सीमा तक सीमित है। वह अपना इनाम (प्रीमियम) पूरी तरह से तभी रखता है जब ऑप्शन बेकार हो जाता है।

यदि वह जून महीने की शुरुआत में एक ऑप्शन बेच रहा है, तो वह स्पष्ट रूप से जानता है कि समय के आधार पर, आईटीएम विकल्प में संक्रमण के लिए वह जिस विकल्प को बेच रहा है, उसका एक मौका है, जिसका अर्थ है कि उसे अपना इनाम (प्राप्त हुआ प्रीमियम ) बरकरार रखने के लिए नहीं मिलेगा।

आइए इसे व्यावहारिक रूप से देखें:

ऑप्शंस का आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value)

प्रीमियम = समय मूल्य + आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value)

ऑप्शंस का आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value)

आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) वह धन है जो आपको प्राप्त होता है यदि आप आज अपने ऑप्शन का प्रयोग करते हैं। इंट्रीसिक मूल्य हमेशा पॉजिटिव या शून्य होता है और कभी भी शून्य से नीचे नहीं हो सकता।

कॉल ऑप्शंस के लिए आंतरिक (intrinsic) मूल्य = स्पॉट मूल्य - स्ट्राइक मूल्य

पुट ऑप्शन के लिए आंतरिक (intrinsic) मूल्य = स्ट्राइक मूल्य - स्पॉट मूल्य

आइए हम निम्नलिखित ऑप्शंस के लिए आंतरिक मूल्य की गणना करें, यह मानते हुए कि निफ्टी 15000 पर है :-

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