ट्रेंड मूवमेंट क्या है?

Plogging at a beach in Mamallapuram this morning. It lasted for over 30 minutes.
Swing Trading क्या है - स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें?
Swing Trading क्या है? इसे कैसे करे? अगर आप भी यह जानना चाहते हैं। तो आज हम आपको इस लेख में swing trading के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने का प्रयास करुगा। आज अगर आप भी पार्ट टाइम ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
इसमें कमाएं गए छोटे छोटे प्रॉफिट आपको साल के अंत में एक अच्छा रिटर्न देता है। आयिये तो फिर पहले जानते हैं कि स्विंग ट्रेडिंग क्या होता है?
Swing Trading क्या है? - Swing Trading In Hindi
Swing Trading एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है। जहा पर ट्रेडर्स शेयर को एक दिन से ज्यादा के लिए खरीदते हैं और थोड़े समय तक होल्ड करने के बाद बेच देते हैं। ट्रेडर्स शेयर को थोड़े दिनों तक इसी उम्मीद से होल्ड करते हैं ताकि उन्हें कुछ प्रॉफिट हो सके। आमतौर पर यह समय कुछ दिन या कुछ हफ्ते हो सकते हैं।
Swing Traders किसी भी स्टॉक का संभावित स्विंग का एक हिस्से को कैप्चर करने की कोशिश करता है। यानी मतलब यह हुआ कि एक स्विंग ट्रेडर बाजार या किसी भी स्टॉक के प्राइस का एक तरफा मूवमेंट को कैप्चर करने की कोशिश करता है। बाजार या स्टॉक का एक तरफा मूवमेंट को इसी उम्मीद से कैप्चर करने की कोशिश करता है कि उसे कुछ परसेंट का प्रॉफिट होगा। लेकिन अगर बाजार ठीक उसके उलट चला जाता है तो स्विंग ट्रेडर्स अपने नुकसान को बुक करने के बाद मार्केट से बाहर निकल जाता है। स्विंग ट्रेडिंग में हासिल किए गए छोटे छोटे मूवमेंट का लाभ वार्षिक में एक अच्छा रिटर्न बन जाता है।
एक अच्छा स्विंग ट्रेडर opportunity को ढूंढने के लिए टेक्निकल एनालिसिस और कभी कभी फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग करता है। साथ ही चार्ट के माध्यम से market trend और patterns का विश्लेषण करता है।
Swing Trading कैसे काम करती है?
Swing Trader किसी भी स्टॉक को खरीदने से पहले मार्केट का ट्रेंड, शेयर कि कीमत में उतार-चढ़ाव, ट्रेडिंग चार्ट में बनने वाले पैटर्न का विश्लेषण करता है। आमतौर पर swing traders लार्ज-कैप शेयरों यानी कि उन शेयरों पर विश्लेषण करते हैं जिसमें ट्रेडिंग अधिक होती है।
अन्य प्रकार के ट्रेडिंग से ज्यादा swing trading में risk ज्यादा होता है। इसमें आमतौर से gap risk शामिल होता है। यदि मार्केट के बंद होने के बाद कोई अच्छी खबर आती हैं तो स्टॉक के प्राइस मार्केट खुलने के बाद अचानक बढ़ जाते हैं। ठीक इसका उल्टा भी हो सकता है। मार्केट के बंद होने के बाद कोई बुरी खबर आती हैं। तो मार्केट खुलने के बाद स्टॉक के प्राइस में भारी गैप डाउन देखने को मिलता हैं। इस तरह के रिस्क को overnight risk कहा जाता है।
स्विंग ट्रेडिंग के फायदे क्या है? - Advantages Of Swing Trading In Hindi
अन्य ट्रेडिंग प्रकार की तरह swing trading के भी कुछ फायदे और नुकसान होते है। आइए पहले स्विंग ट्रेडिंग के advantages जानते हैं।
1. स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक को कुछ दिनों या कुछ हफ्ते तक होल्ड किया जाता है। इसलिए Intraday के मुकाबले लाइव मार्केट में ज्यादा समय रहने की जरूरत नहीं होती है।
2. Swing Trading, ट्रेडर्स को बाजार के sideways होने पर एक अच्छा रिटर्न देता है।
3. स्विंग ट्रेडिंग उन लोगो के लिए सबसे अच्छा है जो जॉब या बिज़नेस करते हैं। यानी कि स्विंग ट्रेडिंग को पार्ट टाइम किया जा सकता है।
4. Intraday के मुकाबले, स्विंग ट्रेडिंग में स्ट्रेस लेवेल कम होता है।
5. स्विंग ट्रेडिंग में छोटे छोटे रिटर्न्स वार्षिक में एक अच्छा रिटर्न बन जाता है।
6. Intraday के मुकाबले स्विंग ट्रेडिंग आसान होती हैं। आपको सिर्फ टेक्निकल एनालिसिस आना चाहिए।
7. स्विंग ट्रेडिंग में डे ट्रेडिंग के मुकाबले कम noisy होता है।
स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? - Disadvantages Of Swing Trading In Hindi
1. स्विंग ट्रेडिंग में overnight और वीकेंड ट्रेंड मूवमेंट क्या है? रिस्क शामिल रहेता है।
2. मार्केट का अगर किसी तरह से अचानक ट्रेंड बदल जाता है तो यहां काफी नुकसान हो सकता है।
3. स्विंग ट्रेडिंग में गैप रिस्क शामिल रहता है।
4. डे ट्रेडिंग के मुकाबले स्विंग ट्रेडिंग में रिटर्न्स कम मिलता है।
स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी क्या है? - Swing Trading Strategy In Hindi
अभी तक आपने स्विंग ट्रेडिंग के बारे में बारीकी से अध्ययन किया है। अब हम आपको swing trading के को कैसे किया जाता है इसे करने के लिए कौन कौन सी strategy को आप सीख सकते हैं। इसके बारे में जानकारी दूंगा। तो फिर आइए जानते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्ट्रेटजी बनाने के लिए ट्रेडर्स कई प्रकार के इंडिकेटर्स और चार्ट पैटर्न का इस्तेमाल करते हैं। उनमें से कुछ पॉपुलर चार्ट पैटर्न और इंडिकेटर के बारे में नीचे बताया गया है।
Chart Patterns
- Head & Shoulder Patterns
- Cup & Handle Patterns
- Candlestick Patterns
- Triangle Patterns
- Double Top & Double Bottom Patterns
- Flag Patterns
- Triple Top & Triple Bottom Patterns
Indicators
- Simple Moving Average
- Exponential Moving Average
- Bollinger Band
- RSI (Relative Strength Index)
- MACD (Moving Average Convergence Divergence)
- Moving Average Crossover
- Pivot Support & Resistance
- Fibonacci Retracement
- VWAP (Volume Weighted Average Price)
- Stochastics
- SuperTrend
Swing Trading Strategy उपयोग करने का क्या फायदा होता है?
1. Swing Trading में अधिक फायदा या नुकसान होने की संभावना रहती है। यह स्ट्रेटजी स्विंग ट्रेडर्स को intraday में होने वाले उथल पुथल से दूर रखती है।
2. स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी ट्रेडर्स का बढ़े ट्रेड पर ध्यान केंद्रित करती है।
3. ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी आपको बाजार में एंट्री और पोजिशन को square off करने का सही समय बताने की कोशिश करता है।
4. टेक्निकल पर आधारित होने के कारण आप स्पष्ट निर्णय ले सकते हैं।
निष्कर्ष
Swing Traders बाजार में अलग अलग तरीकों की स्ट्रेटेजी का प्रयोग करते हैं। यह सभी बताए गए चार्ट पैटर्न और इंडिकेटर्स आपको अपनी खुद की भी स्ट्रेटेजी बनाने में मदद करेगी। आप चाहे तो दो या इसे अधिक इंडिकेटर्स को मिलाकर एक स्ट्रॉन्ग स्ट्रेटेजी बना सकते हैं। अंत में यह याद रखना कि कोई भी स्ट्रेटेजी आपको 100% एक्यूरेट रिजल्ट नहीं दे सकता है। मेरे द्वारा लिखी गई यह पोस्ट सिर्फ आपको Swing trading kya hai? के बारे में विस्तार से जानकारी देने कि कोशिश की गई है। उम्मीद करता हूं कि यह पोस्ट आपको कुछ इंफॉर्मेशन जानकारी दे पाई होगी।
शेयर बाजार में लगाने जा रहे हैं पैसा तो अनिल सिंघवी से समझिए कैसे करें कमाई वाली ट्रेडिंग
घरेलू शेयर बाजार में मंगलवार को शुरुआती कारोबार के दौरान रिवकरी देखी गई. हालांकि उतार-चढ़ाव का दौर जारी था.
3 फैक्टर से बाजार का ट्रेंड तय होता है. (reuters)
घरेलू शेयर बाजार में मंगलवार को शुरुआती कारोबार के दौरान रिवकरी देखी गई. हालांकि उतार-चढ़ाव का दौर जारी था, लेकिन मेन इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी में हरे निशान के साथ कारोबार चल रहा था.
बीते सत्र में घरेलू शेयर बाजार में निराशाजनक कारोबार माहौल में सेंसेक्स और निफ्टी दो फीसदी से ज्यादा लुढ़के थे. बाजार के ऐसे हालात में इन्वेस्टर को क्या करना चाहिए? जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने 3 सबसे जरूरी फैक्टर बताए हैं, जिनसे बाजार का ट्रेंड तय होता है.
बाजार का ट्रेंड तय करने वाले 3 फैक्टर
सेंटिमेंट
लिक्विडिटी
फंडामेंटल्स
सेंटिमेंट : अनिल सिंघवी के मुताबिक सेंटिमेंट हर पल बदलता रहता है. इसीलिए बाजार में कभी बायर तो कभी सेलर नजर आते हैं. बाजार का ग्राफ भी ऊपर-नीचे होता है. शॉर्टटर्म में बाजार का मूवमेंट सेंटिमेंट बनाता है, मसलन सोमवार को जैसा हुआ. सुबह के समय बाजार में अच्छी तेजी थी लेकिन सीमा पर चीन से तनाव की खबर के बाद मार्केट धड़ाम हो गया. यानि सेंटिमेंट तुरंत बाजार की चाल बदल देता है.
लिक्विडिटी : बाजार में मिड टर्म ट्रेंड लिक्विडिटी से बनता है. अगर किसी निवेशक को ट्रेंड मूवमेंट क्या है? निवेश करना है तो वह करेगा फिर चाहे कोरोना काल हो या भाव ज्यादा हों. निवेशक निवेश करेगा.
फंडामेंटल्स : इसमें लॉन्ग टर्म ट्रेंड फंडामेंटल्स के आधार पर तय होता है. ये फंडामेंटल्स देश की इकोनॉमी, कंपनियों के तिमाही नतीजों और दूसरे कारकों से बनता है.
नए ट्रेडर्स के लिए ये जानना बहुत जरूरी, जरूर देखें ये वीडियो.
अनिल सिंघवी- सेंटिमेंट, लिक्विडिटी, फंडामेंटल्स से तय होता है ट्रेंड.
लॉन्ग, मीडियम और शॉर्ट टर्म के लिए क्या है अहम? जानें यहां
बताते चलें कि घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को बिकवाली के भारी दबाव में कोहराम का आलम रहा. सेंसेक्स पिछले सत्र से 839 अंकों की गिरावट के बाद 38,628 पर बंद हुआ और निफ्टी 260 अंक लुढ़ककर 11,387 पर ठहरा. भूराजनीतिक तनाव और मुनाफा-वसूली हावी होने से बिकवाली के दबाव के चलते सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट दर्ज की गई.
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से सिर्फ 3 शेयर बढ़त के साथ बंद हुए, जबकि 27 शेयरों में गिरावट रही. बढ़त वाले शेयरों में ONGC (2.18 फीसदी), TCS (0.86 फीसदी), HDFC बैंक (0.02 फीसदी) शामिल हैं.
पीएम मोदी ने की थी 'प्लॉगिंग', जानें कहां और किसने शुरू किया था ये ट्रेंड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महाबलीपुरम में बीच पर प्लॉगिंग (Plogging) की। पीएम मोदी की इस प्लॉगिंग का वीडियो भी जारी किया गया था। इसमें नरेंद्र मोदी मॉर्निंग वॉक के दौरान बीच पर पड़ा प्लास्टिक का कूड़ा, फेंकी हुई बोलतें उठाते नजर आ रहे थे। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने खुद भी ट्वीट किया और बताया था कि उनकी यह प्लॉगिंग करीब 30 मिनट तक चली।
ये 'प्लॉगिंग' शब्द आपने कई जगहों पर सुना और पढ़ा होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि इसका मतलब क्या होता है? देश में चल रहे इस ट्रेंड की शुरुआत कहां हुई थी, किसने की थी? पीएम मोदी को प्लॉगिंग ट्रेंड मूवमेंट क्या है? का आइडिया कैसे मिला? इन सवालों के जवाब हम आपको आगे बता रहे हैं।
'प्लाॉगिंग' दो अलग-अलग शब्दों से जुड़कर बना है। जॉगिंग और प्लॉका अप (Jogging and Plocka upp)। अंग्रेजी शब्द पिक अप (pick up) को स्वीडिश भाषा में प्लॉका अप कहते हैं।
प्लॉगिंग तेजी से उभरता हुआ अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड है जिसमें लोग जॉगिंग करते हुए या तेजी से चलते हुए रास्ते पर पड़ा कूड़ा उठाते हैं। इससे एक साथ दो काम हो जाते हैं- फिटनेस और सफाई।
यह ट्रेंड 2016 में स्वीडन में शुरू हुआ था। एरिक एलस्ट्रम ने इसकी शुरुआत की थी। जब एरिक ने देखा कि सड़कों पर हफ्तों तक कूड़ा पड़ा रहता है, लेकिन कोई उसे उठाकर कूड़ेदान में डालने की जहमत नहीं उठाता। इसके बाद उन्होंने खुद ये काम शुरू किया। रोज अपनी एक्सरसाइज व रनिंग के दौरान एरिक जिस रास्ते से गुजरते, वहां पड़ा कूड़ा भी उठाते जाते।
इस गतिविधि को ट्रेंड बनाने में कुछ लोगों के साथ-साथ सोशल मीडिया का सबसे बड़ा योगदान रहा। धीरे-धीरे प्लॉगिंग एक अंतरराष्ट्रीय मुहिम बन गई है। यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका में कई समूह प्लॉगिंग को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत में केंद्र सरकार ने बीते 2 अक्तूबर को प्रधानमंत्री के फिट इंडिय मूवमेंट के तहत फिट इंडिया प्लॉग रन (Fit India Plog Run) का आयोजन किया था। 29 सितंबर को पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में लोगों से प्लॉगिंग करने की अपील की थी, ताकि भारत को स्वच्छ बनाया जा सके।
पीएम मोदी को कैसे आया Plogging का आइडिया
प्रधानमंत्री ने कहा था, 'हमारे ही देश के एक नौजवान ने बड़ा अनोखा अभियान चलाया है। उनके इस काम पर मेरा ध्यान गया तो मैंने उनसे फोन पर बात कर इस नए प्रयोग को जानने समझने की कोशिश की। रिपुदमन बेल्वी अनोखा प्रयास कर रहे हैं। वे प्लॉगिंग करते हैं। जब मैंने पहली बार प्लॉगिंग शब्द सुना तो मेरे लिए भी नया था। विदेशों में तो शायद ये शब्द कुछ मात्रा में उपयोग हुआ है। लेकिन भारत में रिपुदमन बेल्वी जी ने इसे बहुत प्रचारित किया है।'
इसे शुरू करने वाले एरिक के अनुसार, आधे घंटे की प्लॉगिंग से कम से कम 288 कैलोरी कम की जा सकती है। जबकि इतने ही देर सिर्फ जॉगिंग करने से आप करीब 235 कैलोरी ही कम कर पाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महाबलीपुरम में बीच पर प्लॉगिंग (Plogging) की। पीएम मोदी की इस प्लॉगिंग का वीडियो भी जारी किया गया था। इसमें नरेंद्र मोदी मॉर्निंग वॉक के दौरान बीच पर पड़ा प्लास्टिक का कूड़ा, फेंकी हुई बोलतें उठाते नजर आ रहे थे। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने खुद भी ट्वीट किया और बताया था कि उनकी यह प्लॉगिंग करीब 30 मिनट तक चली।
ये 'प्लॉगिंग' शब्द आपने कई जगहों पर सुना और पढ़ा होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि इसका मतलब क्या होता है? देश में चल रहे इस ट्रेंड की शुरुआत कहां हुई थी, किसने की थी? पीएम मोदी को प्लॉगिंग का आइडिया कैसे मिला? इन सवालों के जवाब हम आपको आगे बता रहे हैं।
'प्लाॉगिंग' दो अलग-अलग शब्दों से जुड़कर ट्रेंड मूवमेंट क्या है? बना है। जॉगिंग और प्लॉका अप (Jogging and Plocka upp)। अंग्रेजी शब्द पिक अप (pick up) को स्वीडिश भाषा में प्लॉका अप कहते हैं।
प्लॉगिंग तेजी से उभरता हुआ अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड है जिसमें लोग जॉगिंग करते हुए या तेजी से चलते हुए रास्ते पर पड़ा कूड़ा उठाते हैं। इससे एक साथ दो काम हो जाते हैं- फिटनेस और सफाई।
यह ट्रेंड 2016 में स्वीडन में शुरू हुआ था। एरिक एलस्ट्रम ने इसकी शुरुआत की थी। जब एरिक ने देखा कि सड़कों पर हफ्तों तक कूड़ा पड़ा रहता है, लेकिन कोई उसे उठाकर कूड़ेदान में डालने की जहमत नहीं उठाता। इसके बाद उन्होंने खुद ये काम शुरू किया। रोज अपनी एक्सरसाइज व रनिंग के दौरान एरिक जिस रास्ते से गुजरते, वहां पड़ा कूड़ा भी उठाते जाते।
इस गतिविधि को ट्रेंड बनाने में कुछ लोगों के साथ-साथ सोशल मीडिया का सबसे बड़ा योगदान रहा। धीरे-धीरे प्लॉगिंग एक अंतरराष्ट्रीय मुहिम बन गई है। यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका में कई समूह प्लॉगिंग को बढ़ावा दे रहे हैं।
Plogging at a beach in Mamallapuram this morning. It lasted for over 30 minutes.
Also handed over my ‘collection’ to Jeyaraj, who is a part of the hotel staff.
Let us ensure our public places are clean and tidy!
Let us also ensure we remain fit and healthy. pic.twitter.com/qBHLTxtM9y
— Narendra Modi (@narendramodi) October 12, 2019
भारत में केंद्र सरकार ने बीते 2 अक्तूबर को प्रधानमंत्री के फिट इंडिय मूवमेंट के तहत फिट इंडिया प्लॉग रन (Fit India Plog Run) का आयोजन किया था। 29 सितंबर को पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में लोगों से प्लॉगिंग करने की अपील की थी, ताकि भारत को स्वच्छ बनाया जा सके।
पीएम मोदी को कैसे आया Plogging का आइडिया
प्रधानमंत्री ने कहा था, 'हमारे ही देश के एक नौजवान ने बड़ा अनोखा अभियान चलाया है। उनके इस काम पर मेरा ध्यान गया तो मैंने उनसे फोन पर बात कर इस नए प्रयोग को जानने समझने की कोशिश की। रिपुदमन बेल्वी अनोखा प्रयास कर रहे हैं। वे प्लॉगिंग करते हैं। जब मैंने पहली बार प्लॉगिंग शब्द सुना तो मेरे लिए भी नया था। विदेशों में तो शायद ये शब्द कुछ मात्रा में उपयोग हुआ है। लेकिन भारत में रिपुदमन बेल्वी जी ने इसे बहुत प्रचारित किया है।'
इसे शुरू करने वाले एरिक के अनुसार, आधे घंटे की प्लॉगिंग से कम से कम 288 कैलोरी कम की जा सकती है। जबकि इतने ही देर सिर्फ जॉगिंग करने से आप करीब 235 कैलोरी ही कम कर पाते हैं।
बड़ा खुलासा: #MeToo मे कई लड़कियों ने पैसा कमाया: चाहत खन्ना ने बताया
अपने पति से तलाक की अर्जी लगाकर संजय दत्त के साथ उनकी फिल्म 'प्रस्थानम' के जरिए एक बार फिर बॉलीवुड में एंटर कर रहीं टीवी एक्ट्रेस चाहत खन्ना ने दावा किया है कि #MeToo मूवमेंट के समय कई मॉडल और एक्ट्रेस ने चेक लिए और चुप रहीं। यानी उन्होंने ट्रेंड मूवमेंट क्या है? पीड़ित होने का फायदा उठाया और इसके जरिए पैसा कमाया।
बॅालीवुड में आज भी काम के बदले सेक्स लिया जाता है
स्पॅाटबॅाय को दिए गए इंटरव्यू में चाहत खन्ना ने कई खुलासे किए हैं। उन्होंने पिछले साल चर्चित रहे मी टू मूवमेंट पर भी पर्दे के पीछे की बात का खुलासा किया है। चाहत ने खुलासा किया कि आज भी बॅालीवुड में फिल्मों में काम दिलाने की लालच देकर यौन उत्पीड़न किया जाता है। ये अभी तक खत्म नहीं हुई है। इसी वजह से वह हमेशा से फिल्मों से दूर रही हैं।
#MeToo के समय कई लड़कियों ने चेक लिए और चुप रहीं
कास्टिग काउच बड़े पैमाने पर अपनी बातचीत में चाहत ने आगे कहा कि कास्टिंग निर्देशक भी इसका हिस्सा हैं। कौन इसे कबूल कर सकता है। कोई भी नहीं। यहां पर कास्टिंग काउच बड़े पैमाने पर मौजूद है। मैंने इस वजह से हमेशा टीवी किया। मैंने इस रास्ते को नहीं चुना। मी टू मूवमेंट पर चाहत का कहना है कि ये एक फैशन ट्रेंड बन गया है। कई लोगों ने चेक लिए और चुप रहीं। जो लोग पब्लिसिटी स्टंट करना चाहती थी, उन्होंने कर लिया। यह एक फैशन ट्रेंड की तरह था।
यदि कोई पीड़ित है तो #MeToo का इंतजार क्यों करेगा
चाहत ने दावा किया है कि मैं एक ऐसी एक्ट्रेस को जानती हूं जिन्होंने नहीं बोलना चुना लेकिन ऐसी कई एक्ट्रेसे थीं। जो चुप रह गईं। कई कलाकारों के नाम सामने आने चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जो पीड़ित होता वो मी टू मूवमेंट जैसे प्लेटफॅार्म का इंतजार क्यों करता?