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बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा?

बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा?

बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा?

नारियल पानी के गुणकारी होने की बात फैलने से इन दिनों नारियल की बिक्री जोरों पर है। मंडी में जाकर इस बाजार का जायजा लिया इंदुलेखा अरविंद ने


बेंगलूर-मैसूर राजमार्ग पर बसा मद्दूर एक छोटा कस्बा है। शायद पहले किसी ने इसका नाम भी नहीं सुना होगा, लेकिन यह कस्बा नारियल बाजार के रूप में आसपास के इलाके में काफी मशहूर है। छोटे ट्रकों, ऑटो और बैलगाडिय़ों में लदे नारियलों की आवक सुबह के करीब 10 बजे से शुरू हो जाती है। दरवाजे पर ही माल उतरने लगता है। नौजवान आमतौर पर पैंट और कमीज पहने हुए दिखाई देते हैं, जबकि बड़े-बुजुर्ग लुंगी पहनते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बनियान और जांघिए में घूमते हैं। मेरी मुलाकात भी एक ऐसे ही इंसान से हो गई जो एक टर्की तौलिया लपेटे हुए था। यह देश के सबसे बड़े थोक नारियल बाजार मद्दूर कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) का प्रवेश द्वार है। यह बाजार अपने आप में बिल्कुल अनोखा है। बेंगलूर-मैसूर राजमार्ग पर बेंगलूर से 80 किलोमीटर की दूरी पर मांड्या जिले में यह जगह है। यहां हर दिन करीब 4,00,000 से 7,00,000 नारियलों की खरीद फरोख्त होती है। गर्मियों में यह संख्या करीब 9,00,000 लाख तक पहुंच जाती है। लेकिन कामकाज शुरू होने से करीब 1 घंटा पहले बाजार में सन्नाटा पसरा रहता है। मंडी के अंदर खाली ट्रक और क्लीनर, ट्रक ड्राइवर इधर-उधर टहलते हुए देखे जा सकते हैं। ज्यादातर ट्रकों पर कर्नाटक, महाराष्ट्र या फिर आंध्र प्रदेश की नंबर प्लेट होती हैं, लेकिन कुछ ट्रकों पर पंजाब की भी नंबर प्लेट देखने को मिल जाती हैं। बाजार की शुरुआत वर्ष 1992 में हुई थी, इससे पहले नारियलों का कारोबार मद्दूर के छोटे बाजारों में होता था।
एपीएमसी के सहायक सचिव जमीर साहब कहते हैं, 'पहले नारियल सीधे किसानों से खरीदे जाते थे और बेंगलूर के आसपास के इलाकों में बेचे जाते थे। एपीएमसी की स्थापना के बाद नारियलों का कारोबार दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद तक फैल गया।' नारियलों का बखान करते हुए साहब कहते हैं, 'मांड्या क्षेत्र के नारियलों का पानी काफी मीठा होता है।' इस बात की पुष्टिï करने के लिए मैंने भी दो ग्लास नारियल पानी पी लिया। मंडी का कार्यालय बाजार के अंतिम छोर पर है और चारों तरफ सरकारी इमारतों से घिरे होने के कारण हवा भी बहुत मुश्किल से आ पाती है। साहब बताते हैं, 'फिलहाल एक नारियल की कीमत 10 रुपये है। एक हफ्ते पहले यह 12 रुपये थी। बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? कीमतें प्रतिदिन बदलती रहती है।' नारियल मद्दूर और कोलेगल, चन्नरायापट्टïना, मांड्या और पांडवपुरा जैसे आसपास के क्षेत्रों से लाया जाता है। बाजार की शुरुआत किसानों को बेहतर कीमत दिलाने के लिए एक उचित प्लेटफार्म देने के उद्देश्य से की गई थी। लेकिन हालिया रिपोर्टों से कुछ और ही तस्वीर सामने आई है। बाजार में कीमतें अकेले विक्रेताओं और खरीदारों के बीच होने वाले मोलभाव के बाद तय होती हैं और लेनदेन नकदी में ही होता है। इसके अलावा बाजार में आने वाले ज्यादातर लोग किसान नहीं, बल्कि बिचौलिये होते हैं, हालांकि अधिकारियों की नजर में वे किसान ही होते हैं। बाजार के दरवाजे पर नारियलों से लदे उनके वाहनों की वजह से एक छोटा-मोटा टै्रफिक जाम जैसा नजारा देखने को मिलता है। इसके बाद खरीदार उत्पादों की जांच परख करके उनके लिए बोली लगाते हैं। कीमत को लेकर बात बनते ही सारा माल खरीदार के ट्रक में भर दिया जाता है। बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? एपीएमसी के अधिकारी तभी बीच में दखल देते हैं जब दोनों पक्षों के बीच कोई विवाद होता है। कारोबारी कुल बिक्री का 1.5 फीसदी एपीएमसी को बाजार शुल्क के रूप में अदा करते हैं। कई बार यह आंकड़ा 60,000-65,000 रुपये प्रतिदिन तक पहुंच जाता है। अधिकारियों का कहना है कि शुल्क के जरिये होने वाली कमाई का अंदाजा लगा पाना थोड़ा मुश्किल है। कीमतों में होने वाले बदलाव और रिकॉर्डों की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पाता है। दरवाजे के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे सोमशेखर का कहना है कि पिछले पांच सालों में कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं। 4-5 रुपये में मिलने वाले नारियल की कीमत 9-10 रुपये तक पहुंच गई है। वह पिछले दस सालों से इस कारोबार में हैं और फिलहाल रोजाना 30,000-40,000 नारियल मुंबई, हैदराबाद और आंध्र प्रदेश के दूसरे बाजारों को भेजते हैं। वह और दूसरे अधिकारी इस बात को अनाधिकारिक रूप से इस बात को स्वीकार करते हैं कि किसान अपने उत्पादों की नीलामी करने से बचना चाहते हैं। इसके पीछे पहला कारण तो यह है कि इसके लिए उन्हें नारियलों को अलग-अलग आकार के मुताबिक विभिन्न श्रेणियों में बांटना पड़ता और दूसरे माल उतारने चढ़ाने में नुकसान होने का डर बना रहता है। हालांकि मद्दूर बाजार में जयरामन जैसे कुछ किसान भी आते हैं, जो इस मामले में कुछ अलग राय रखते हैं। अपनी बैलगाड़ी में करीब 400 नारियल लेकर आए 45 वर्षीय जयरामन कहते हैं, 'इस व्यवस्था का सबसे अधिक फायदा बिचौलियों को होता है। हमें तो 8-9 रुपये के हिसाब से पैसे मिलते हैं।' बेंगलूर में नारियलों की 20-25 रुपये है, जबकि दिल्ली जैसे बाजारों में ये 30-35 रुपये तक बिकते हैं। वह कहते हैं कि नीलामी ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि इसमें उन्हें बेहतर कीमत मिलती है। हालांकि वह इस बात को मानते हैं कि मद्दूर में उन्हें दूसरी जगहों के मुकाबले बेहतर कीमत मिलती है। जयरामन हर 45 दिन में बाजार में आते हैं और 1,000-1,500 नारियल बेचते हैं।
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अपने ट्रक में लादे जा रहे माल की देखभाल कर रहे मद्दूर के रहने वाले कारोबारी फैजुल्ला खान कहते हैं, 'यह सब नीलामी की तरह ही होता है।' खान उस प्रक्रिया की ओर इशारा कर रहे थे जो मंडी के दरवाजे पर जारी थी। जहां कारोबारी उत्पाद की जांच परख के बाद उसकी कीमत की पेशकश करते हैं और विक्रेता उसे स्वीकार करने या नकारने के लिए मुक्त होता है। खान खुद 6,000-12,000 नारियल खरीदते हैं और बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? उन्हें मुंबई भेजते हैं। एक बार फिर से हमें नारियल पानी देते हुए उन्होंने कहा, 'गर्मियों में इस बाजार में हर दिन करीब 200 लॉरियां आती हैं। फिलहाल इनकी संख्या 100 के आसपास है।' नारियलों की लोकप्रियता बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहन देने में कोच्चि स्थित नारियल विकास बोर्ड का किरदार खासा अहम है। नारियल विकास बोर्ड की मुख्य विपणन अधिकारी दीप्ति नायर बताती हैं कि यह अभियान वर्ष 2004 में शुरू किया गया था ताकि राइप नारियलों पर किसानों की निर्भरता कम हो सके। इस प्रकार के नारियलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी क्योंकि इससे सस्ता खाद्य तेल बनाया जाता था। नायर कहती हैं कि किसान 6-7 महीने में पैदा होने वाले नारियल की फसल भी लगा सकते हैं जबकि दूसरे के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसके लिए विज्ञापनों और विशेष परिशिष्टों की मदद ली गई जिसमें नारियल पानी के गुणों के बारे में बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? लोगों को बताया गया। इसके अलावा प्रसिद्घ एथलीट पीटी उषा को लेकर भी एक विज्ञापन अभियान चलाया गया था। वर्ष 2012-13 को कच्चा नारियल वर्ष घोषित किया गया था। इसके साथ ही दुनिया भर में नारियल पानी को स्वास्थवद्र्घक पेय के रूप में भी पहचान मिली है। नायर ने बताया कि बोर्ड को नारियल से बनने वाले उत्पादों के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए तीन बायोपार्क बनाने की अनुमति मिल गई है और इससे नारियल बेचने वाले बूथों को भी मदद मिलेगी। पैकेटबंद नारियल पानी का बाजार भी दुनिया भर में बढ़ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाजार के दूसरे सबसे बड़े ब्रांड जिको में कोका कोला हिस्सेदारी खरीदने जा रहा है। एक कारोबारी एजेंसी की खबर के मुताबिक प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स और पोटैशियम जैसे पोषक तत्त्वों की खूबियों के कारण नारियल पानी के बाजार में वर्ष 2011 के दौरान 100 फीसदी की विकास दर दर्ज की गई है।
नारियल विकास बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 2.17 अरब नारियलों के साथ कर्नाटक देश का तीसरा सबसे बड़ा नारियल उत्पादक है। इस मामले में 5.8 अरब नारियलों के साथ केरल देश में सबसे आगे है, जबकि तमिलनाडु को 5.36 अरब नारियलों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त है। लेकिन पिछले साल के मुकाबले कर्नाटक में नारियल उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है। तमिलनाडु में पोल्लची नारियल की फसल के लिहाज से सबसे बड़ा केंद्र है। नायर बताती हैं कि केरल में एक अंधविश्वास के चलते उत्पादन में थोड़ी गिरावट देखी गई है। हालांकि इस बात में कोई दोराय नहीं है कि दुनिया भर में नारियलों का बाजार बढ़ा है लेकिन फिर भी किसान बेहतर कीमत के कारण नट की खेती पर ही जोर देते हैं। मद्दूर कस्बे को भी इस कारोबार से कोई खास फायदा होता नहीं दिखता है। यह कस्बा आज भी उतना अनजाना है जितना इस राजमार्ग पर बसा दूसरा कोई और कस्बा। स्टेट बैंक ऑफ मैसूर के मद्दूर शाखा के प्रबंधक उमेश बी कहते हैं कि इसकी मुख्य वजह यह है कि नारियल यहां के लोगों की मुख्य फसल नहीं है। वह कहते हैं, 'मैं कह सकता हूं कि शायद 2 फीसदी अर्थव्यवस्था कच्चे नारियल के कारोबार से प्रभावित होती होगी। यहां की मुख्य फसल गन्ना है।'
दूसरी तरफ मंडी में हाल वैसा ही है। जयरामन अभी भी बेहतर कीमत का इंतजार कर रहा है। उसे 8 रुपये प्रति नारियल की कीमत मिल रही थी, लेकिन उसे कम से कम 8.5 रुपये की उम्मीद है। अगर किस्मत ने उसका साथ दिया तो बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? यह कीमत 9 रुपये तक भी जा सकती है। शहर की ओर जा रहे इन वाहनों में लदा नारियल नुक्कड़ों पर कम से कम 20 रुपये में तो बिकेगा ही।

बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा?

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Business Idea : टिश्यू पेपर से होगी लाखों में कमाई, जानिए पूरा बिजनेस आइडिया

Business Idea : टिश्यू पेपर से होगी लाखों में कमाई, जानिए पूरा बिजनेस आइडिया

HR Breaking News (ब्यूरो) : आधुनिकता और टेक्नोलॉजी के इस जमाने में लोगों की आदतों में भी तेजी से बदलाव आया है. अब कई चीजें लोगों की आदतों में शामिल हो गई है, जिनमें टिश्यू पेपर भी आते हैं. घर, दफ्तर, रेस्टोरेंट, होटल, स्कूल, हॉस्पिटल, ढाबे यहाँ तक की छोटे खाने के स्टॉल्स पर भी टिश्यू पेपर पाए जाते हैं.

इनकी उपयोगिता बढ़ने के पीछे एक कारण यह भी है कि इससे पानी कम खर्च होता है. यदि आप कोई ऐसा बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, जो आपको ज्यादा मुनाफ़ा दे, जिसकी डिमांड भी ज्यादा हो तो टिश्यू पेपर बनाने का काम आप आसानी से शुरू कर सकते हैं.


टिश्यू पेपर के लिए रिसर्च है जरुरी


किसी भी नए व्यापार को शुरू करने से पहले आपको उसके बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए. जैसे की आपको किस प्रकार के टिश्यू पेपर का निर्माण करना है. इसमें लागत कितनी आएगी. कच्चा माल कितना और क्या लगेगा, कहाँ से मिलेगा. कौन बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? सी मशीन अच्छी है. माल तैयार होने के बाद उसे किसे बेचा जाएगा. मार्केटिंग की चुनौतियां कौन सी होगी. आपको पहले सारी रिसर्च करनी होगी.

टिश्यू पेपर के प्रकार


इस व्यापार में सबसे अच्छी बात यह है कि आपके पास कई विकल्प होते हैं टिश्यू पेपर बनाने के, जिसमें शामिल हैं -
नैपकिन
फेशियल टिश्यू पेपर
किचन नैपकिन्स
वाइप्स
टॉयलेट पेपर
हैंडकरचीफ पेपर
हाउसहोल्ड टॉवेल्स

ये सभी टिश्यू पेपर के प्रकार है. जिनका निर्माण करके आप भी अच्छा मुनाफ़ा कर सकते हैं. इनका निर्माण एक शीट या कई सीटों के इस्तेमाल के बाद किया जाता है.

टिश्यू पेपर बिजनेस में हमेशा होगा मुनाफ़ा


इस समय बाजार में भले ही टिश्यू पेपर बनाने बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? वाली कम्पनियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उसके साथ ही इनकी मांग भी बढती जा रही है. शादी-पार्टियों जैसे कई कार्यक्रमों में भी इनकी ऊंची मांग होती है. आप इस बिजनेस को छोटे स्तर पर बिजनेस बढ़ाने के लिए कहाँ से मिलेगा पैसा? भी शुरू कर सकते हैं. इसके लिए आपको सबसे पहले निवेश की आवश्यकता होगी, जमीन, कर्मचारियों, कच्चा माल, मशीन, के साथ ही लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की भी जरूरत होगी.

इस व्यापार से आप सालाना 90 लाख से ज्यादा कमा सकते हैं. साल भर की मजदूरी, कच्चा माल, बिजली बिल जैसी सारी लागत हटाने के बाद भी 15 लाख से ज्यादा का मुनाफ़ा आप आसानी से कमा सकते हैं. वहीँ बड़े स्तर पर शुरू किये गए कार्य में 20 प्रतिशत का मुनाफ़ा कमाया जा सकता है.

सरकार करती है मदद


भारत सरकार अब मेक इन इंडिया के कॉन्सेप्ट पर चल रही है. जिसमें भारत में निर्मित वस्तुओं को कई जगह छूट दी जाती है. नया बिजनेस शुरू करने वालों को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत कम दरों पर लोन भी दिया जाता है. इसके साथ ही कर में छूट सहित अन्य कई तरह का फायदा सरकार नए उद्यमियों को दे रही है. ताकि विदेशों से कम सामान खरीदा जाए और देश में बनाए सामानों को विदेशों में भेजा जाए.

टिश्यू पेपर बनाने की लागत


टिश्यू पेपर मेकिंग कारोबार में आपको लगभग दस लाख का निवेश करना पड़ेगा. इसमें मशीन की लागत, कच्चा माल और अन्य खर्चे शामिल होंगे. आजकल ऑटोमेटिक मशीन बाजार में उपलब्ध है. ऐसे में केवल एक मशीन से एक भी काम शुरू किया जा सकता है. मशीनें लोकल मार्केट से या फिर ऑनलाइन भी खरीदी जा सकती है.

जमीन


टिश्यू पेपर मेकिंग के लिए आपको एक जगह का चुनाव भी करना होगा. इसके लिए शुरुआत आपके घर से भी हो सकती है. वहीं आप चाहे तो जमीन किराए पर लेकर भी सेटअप कर सकते हैं. जगह इतनी होनी चाहिए जिसमें मशीन लग सके, कर्मचारी आ सके, कच्चा एवं निर्मित माल रखा जा सके.

लाइसेंस एवं अन्य दस्तावेज


इस कारोबार को शुरू करने के लिए आपको लाइसेंस एवं कई दस्तावेजों की आवश्यकता होगी. जिसमें शामिल है –


फैक्ट्री लाइसेंस
जीएसटी नंबर
कम्पनी रजिस्ट्रेशन ( बिना कम्पनी का निर्माण किये छोटे स्तर पर भी काम शुरू कर सकते हैं. लेकिन ऐसे मामले में आपकी उत्पादन क्षमता सीमित हो जाएगी. )
व्यापार लाइसेंस
बीआईएस प्रमाणन
अनापत्ति प्रमाण पत्र
औषधि और प्रसाधन सामग्री लाइसेंस
टिश्यू पेपर के लिए कच्चा माल


टिश्यू पेपर बनाने के लिए अधिक कच्चे माल की आवश्यकता नहीं होती. इसके लिए जम्बो पेपर रोल, गोंद और सिलोफ़न की आवश्यकता होगी. पेपर रोल आप ऑनलाइन इंडीमार्ट, अलीबाबा जैसे साइटों से भी खरीद सकते हैं. 50 से 70 रुपए प्रति किलो के पेपर रोल लिए जा सकते हैं. पेपर रोल के दाम कागज़ के जीएसएम पर निर्भर करते है. अलग-अलग प्रकार के टिश्यू के लिए अलग-अलग प्रकार के पेपर की आवश्यकता होती है.

कैसे करें निर्माण?


पेपर बनाने के लिए बाजार में ऑटोमेटिक मशीनें उपलब्ध होती है. जिसमें केवल पेपर डाला जाता है, जिसके बाद फाइनल प्रोडक्ट बाहर आता है. सबसे पहले मशीन में पेपर रोल को डाला जाता है. यदि आप रंगीन पेपर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए मशीन में विकल्प मौजूद रहता है. आप मनपसंद रंग डालकर पेपर को मशीन से लगा सकते है. इसके साथ ही आप चाहे तो किसी का लोगो या टैग भी लगा सकते हैं.

कलरिंग और टैगिंग के बाद पेपर एम्बॉसिंग से होकर पारदर्शी रूप में निकलता है. जिसके बाद फोल्डिंग सेक्शन में पेपर रोल की कटिंग की जाती है और अंत में हमें अपना मन पसंदीदा टिश्यू पेपर प्राप्त हो जाता है. इस काम को करने के लिए आपको दो से तीन लोगों की भी आवश्यकता पड़ सकती है.

टिश्यू पेपर की पैकिंग


टिश्यू पेपर बनने के बाद उन्हें पैकेट में पैक किया जाता है. आप पॉलीथिन के ऊपर अपनी कंपनी का लोगो और टैग लगा सकते हैं. आपको 50 अथवा 100 टिश्यू पेपर के बंडल तैयार करने होंगे.

कहाँ करें सेल?


टिश्यू पेपर का इस्तेमाल व्यापार तौर पर रेस्त्रां और होटलों में किया जाता है. इसीलिए आप ऐसे स्थानों को टारगेट कर वहां अच्छी मार्केटिंग करके अपना सामान बेच सकते हैं. किसी भी वस्तु की सेल बढ़ाने के लिए बढ़िया मार्केटिंग स्ट्रेटेजी भी जरुरी होती है. ऐसे में आप आसपास के दुकानदारों, मॉल और ऐसे स्थानों से भी सम्पर्क कर सकते हैं जहाँ टिश्यू पेपर बेचे जा सके.

ज्यादा मुनाफे के लिए सीधे ग्राहकों से संपर्क करना अच्छा होगा. इसके लिए आप सोशल मीडिया मार्केटिंग का भी सहारा ले सकते हैं.

व्यापार में रिस्क


वैसे तो यह मुनाफे वाला कारोबार है, जिसमें रिस्क न के बराबर है. लेकिन उस वक्त हानि सबसे ज्यादा होती है जब कोई भी व्यवसाय बिना सोचे समझे, बिना किसी जानकारी के शुरू किया जाता है. या बाजार की मांग को अनदेखा किया जाता है. आप भी इस व्यापार को सही स्थान पर और ग्राहकों की मांग के अनुसार चलाइये तो आपको भी सोच से परे मुनाफ़ा हो सकता है.

Latest Business Idea : शुरू करें ये बिजनेस सरकार देगी फ्री प्रशिक्षण व 75 फीसदी लोन

दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी (Corona Virus) के कारण छोटे हो या बड़े हर कारोबारी को नुकसान हुआ है . उम्मीद पर ही दुनिया कायम है . नुकसान हुआ है तो लाभ भी होगा. इस लेख में ऐसे ही एक व्यवसाय के बारे में बतायेंगे. जिसमें आप कम निवेश करके (Low Investment Business) भविष्य में अच्छी खासी कमाई (Profitable Business) कर सकते हैं. तो जानते हैं इस व्यवसाय के बारे में विस्तार से.

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दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी (Corona Virus) के कारण छोटे हो या बड़े हर कारोबारी को नुकसान हुआ है. उम्मीद पर ही दुनिया कायम है. नुकसान हुआ है तो लाभ भी होगा. इस लेख में ऐसे ही एक व्यवसाय के बारे में बतायेंगे.

जिसमें आप कम निवेश करके (Low Investment Business) भविष्य में अच्छी खासी कमाई (Profitable Business) कर सकते हैं. तो जानते हैं इस व्यवसाय के बारे में विस्तार से.

हमारे देश में अंडे और चिकन की मांग अब फिर से बढ़ गई है. ऐसे मे अगर आप मुर्गी पालन का व्यवसाय (Poultry Farming Business) करते हैं तो आपको फायदा हो सकता है. अब आप सोच रहें होंगे कि बिना ज्ञान के इस बिजनेस को कैसे करें, तो आपको बता दें कि मुर्गी पालन का प्रशिक्षण आपके जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में निशुल्क प्रदान किया जाता हैं. हालांकि इस बिजनेस को शुरू करने से पहले आपको इसकी उचित कार्ययोजना और पोल्ट्री प्रबंधन करने की जरूरत पड़ती है.

मुर्गी के अलावा कर सकते हैं इन पक्षियों का पालन (Apart from chicken, you can follow these birds)

पॉल्ट्री फार्मिंग में आप मुर्गी के अलावा भी कई सारे पक्षियों का पालन कर सकते हैं जैसे बतख, बटेर, तीतर आदि. ये कोई मुश्किल नहीं काम नहीं है बस इसके लिए थोड़े निवेश और प्रशिक्षण की जरुरत हैं.

सरकार दे रही है प्रशिक्षण (Government is giving training)

इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें लोगों को इस व्यवसाय से जोड़ने के लिए बिजनेस लोन (Business Loan) और प्रशिक्षण की सुविधा भी प्रदान कर रही हैं. इसमें आप प्रोसेसिंग, प्रजनन, पालन और हैचिंग प्रक्रियाओं में निवेश कर अच्छा खासा पैसा बना सकते हैं.

गांव में शुरु करें ये 7 बिजनेस, हर महीने कमाएं लाखों रुपए

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कितना होता है इस व्यवसाय में खर्च (How much does it cost in this business)

पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय को शुरू करने के लिए कई व्यवसायिक संस्थान बिज़नेस लोन दे रहें हैं जिनसे आप लोन ले सकते है. अगर आप अपना व्यवसाय छोटे स्तर पर शुरू करना चाहते हैं तो इसमें न्यूनतम 50 हजार से 1.5 लाख रुपए तक का शुरुआती खर्च करना होगा और अगर आप बड़े स्तर पर शुरू करना चाहते हैं तो आपको 1.5 लाख रुपए से लेकर 3.5 लाख रुपए तक खर्च आ सकता है.

कितना मिलेगा लोन (How much loan will you get)

इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी बैंक (Government Bank ) से लोन ले सकते हैं. एस.बी.आई. बैंक कुल लागत का 75 फीसदी तक लोन देता है. आपको इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए 5 हजार मुर्गियों का फार्म खोलने पर 3 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है. यह लोन आपको 5 साल में वापिस करना होता है. अगर आप किसी कारणवश लोन को 5 साल में नहीं चुका पाते हैं तो बैंक आपको लोन का भुगतान करने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय प्रदान करता है.

कहाँ बेच सकते है उत्पाद (Where can i sell the product)

इसके लिए आपको सबसे पहले स्थानीय बाजार में अंडो और मांस को नजदीकी बाजार में दुकानों, ठेलों व होटलों में बेच सकते हैं, क्योंकि इससे आपका परिवहन का खर्च भी कम आयेगा और समय भी बचेगा.

ऐसी ही बिजनेस सम्बंधित सुझावों और लेटेस्ट जानकारियां पाने के लिए जुड़े रहें हमारे कृषि जागरण की वेबसाइट के साथ.

English Summary: business idea: start this business, the government will give free training and 75 percent loan Published on: 07 July 2021, 05:17 IST

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Business Idea: Immunity को बढ़ाने वाले इस आटे का शुरू करें बिजनेस, हर महीने होगी बंपर कमाई

Business Idea: यह एक ऐसा आटा है जिसमें इम्युनिटी बढ़ती है और मोटापा और कोलेस्ट्राल कम होता है। शुगर और BP के लिए भी बेहद फायदेमंद है

Business Idea: कोरोना काल के इस दौर में अगर आप किसी ऐसे बिजनेस की तलाश में है, जिसकी मांग सबसे ज्यादा हो और बंपर कमाई हो, तो हम आपको एक ऐसा बिजनेस आइडिया दे रहे हैं, जिसे शुरू करके आप तुरंत लखपति बन सकते हैं। इस प्रोडक्ट की शहरों से लेकर गांवों तक में भारी डिमांड है। यह बिजनेस है पौष्टिक आटे (Nutritious Flour) का बिजनेस। इसे बेहद मामलू निवेश के साथ शुरू किया जा सकता है और हर महीने बंपर कमाई होगी।

दरअसल, बाजार में हेल्थ सप्लीमेंट के तौर पर खाद्य पदार्थें की इस समय भारी डिमांड है। पौष्टिक आटा इसी कैटेगरी का बिजनेस है। इसके असफल होने की गुंजाइश बेहद कम है। इस आटे से इम्युनिटी बढ़ती है। इसके साथ ही मोटापा और कोलेस्ट्राल को कम करने में मदद मिलती है। वहीं हार्ट, शुगर और BP के मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद है।

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